Satya Yuga: The Unconscious

Caxton Hall, London (England)

1978-04-08 Satya Yuga The Unconscious, Opt For Transcription HD, 67'
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1978-04-08 Talk on Heart Chakra, London, UK, Opt NORM, 23'
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1978-04-08 The Mind And Its Relation To Kundalini London NITL HD, 82'
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   [Hindi translation from English] 

  हृदय चक्र और ओमकारा

फरवरी 1978. यह बात भारत में पश्चिमी योगियों के पहले भारत दौरे (जनवरी-मार्च 1978) के दौरान दी गई थी। 

ऑडियो से प्रतिलिपि

अब हृदय के इस बायीं ओर का संबंध आपकी माता और शिव अर्थात अस्तित्व से है। आप अपना अस्तित्व अपनी माँ के माध्यम से प्राप्त करते हैं।  जहाँ तक आपका अस्तित्व का प्रश्न है, शिव और पार्वती, वे आपके माता-पिता हैं,  दोनों ही आपके माता-पिता हैं 

और यह इतना सुंदर केंद्र है आपका, हृदय चक्र है। आप चाहते हैं कि कोई व्यक्ति आपकी कोशिशों पर अनुकूल प्रतिक्रिया करे, आप चाहते हैं कि कोई व्यक्ति कुछ फल प्रदान करे या ऐसा ही कुछ और, आप किसी को बहुत ही अड़ियल पाते हैं,  मैंने आपको बताया है कि आप अच्छी तरह से उनकी जूता पट्टी कर सकते हैं, यह सभी चीज़े करें। लेकिन एक बहुत ही सरल तरीका है, यदि आप जानते हैं कि इसे कैसे करना है। आप देखिये, आप सिर्फ उनके ह्रदय [मध्य हृदय] के बारे में सोचें, उनके हृदय में एक बंधन लगा देते हैं। और आप इसे इतनी खूबसूरती से कर सकते हैं, आप किसी भी कठिनाइयों के बिना किसी व्यक्ति को पिघला सकते हैं यदि आप जानते हैं कि उनके दिल को कैसे संभालना है। आपको उनके दिल से अपील करनी होगी और वह सबसे अच्छा आकर्षण है, जो मैं आपको बताती हूं और सबसे अच्छी गुप्त विधि है जिसके द्वारा आप किसी के साथ बात करते समय उनमें अच्छाई ला सकते हैं।

मान लीजिए कि मैं अब बौद्धिक रूप से अगर मैं आपसे झगड़ा करना शुरू कर दूं, तो आप मुझे तुरंत ही छोड़ देंगे, लेकिन मुझे आपकी दिल की शक्ति का उपयोग करना है और मुझे आपके दिल में प्रवेश करना है और इस तरह यह काम करता है।

इसलिए हमेशा जब आप ऐसा कुछ करना चाहते हैं, तो बस अपने दिल में खुद को नम्र करें, यह पहला है। सबसे पहले आपको अपने दिल में खुद को नम्र करना चाहिए और वहां से दूसरों के दिल पर काम करना चाहिए, बस एक बंधन लगाएं और आप देखेंगे, एक व्यक्ति पिघल जाएगा। हम अपनी बुद्धि, अपने अहंकार, सब कुछ, यहां तक ​​कि अपने प्रति-अहंकार को अपने दिल में पिघला लेते हैं। तो यह एक बहुत ही आसान बात है यदि आप जानते हैं कि लोगों तक उनके दिल के माध्यम से कैसे पहुंचना है।

और यह केवल तभी संभव है जब आप वास्तविक हों क्योंकि वास्तविकता कुछ ऐसी चीज़ है जिसे दिल पहचानता है। आप अपने चालाक तरीकों से एक व्यक्ति को धोखा दे सकते हैं लेकिन दिल बाद में इसे पहचान लेगा और वह व्यक्ति आपसे नफरत करेगा। यहां तक ​​कि अगर आप किसी से बात करते हैं: “ओह, बहुत अच्छा, ओह, बहुत अच्छा है, बहुत बहुत धन्यवाद, बहुत अच्छा” … और दिल जानता है: “ओह, वह मुझे मुर्ख बनाने की कोशिश कर रहा है और वह बहुत चालाक है”, दिल ऐसे व्यक्ति से नफरत करने जा रहा है। और हृदय में व्यक्ति को देखने और महसूस करने का माद्दा होता है।

इसलिए यदि आप किसी के दिल से अपील कर सकते हैं और दिल पर बंधन डाल सकते हैं तो आप उस व्यक्ति को पिघला सकते हैं। और अगर आप किसी से प्यार करते हैं और अगर आप चाहते हैं कि उस व्यक्ति को सुधारा जाए-तो इस तरह का व्यक्ति शराबी है या ऐसा व्यक्ति है जो आपको पीटता है और आपको प्रताड़ित कर रहा है क्योंकि वह कुछ दवाओं या किसी बाहरी चीज के जादू के प्रभाव में है – तब आप बस उसके दिल में बंधन डालो और तुम देखोगे, वे बदल रहे हैं। वे बहुत तेजी से बदल रहे होंगे।

और इसीलिए आप कहते हैं कि ‘दिल का परिवर्तन’। हर जगह तुम पाते हो हर शास्त्र में लिखा है: हृदय परिवर्तन की आवश्यकता है, वस्त्रों के परिवर्तन की नहीं। इसलिए यह एक बौद्धिक परिवर्तन नहीं है, ना ही एक तार्किक परिवर्तन है, लेकिन यह हृदय का परिवर्तन है।

और वह हृदय चक्र को दाहिने हाथ की ओर, घड़ी की दिशा में घुमाकर लाया जाता है। स्वयम यह हृदय घड़ी की दिशा की तरह है। यदि आप ऐसा कर सकते हैं, तो आप वास्तव में चमत्कार कर सकते हैं।

और कैसे यह एक सामूहिक आधार पर है, दिल सामूहिकता की सबसे अंतरतम तार, अंतरतम स्ट्रिंग की तरह है, एक तार जो हम सभी से गुजर रही है। इसलिए यदि आप अंतरतम को छु सकते हैं – क्योंकि साढ़े तीन सर्कल में जो अंतरतम बिंदु है – यदि आप वहां स्पर्श करते हैं, तो यह इस पर से गुजरता है। मान लें कि आप कहीं और छूते हैं तो यह टूट सकता है, लेकिन शुरुआत में यदि आप इसे छेड़ना शुरू करते हैं, तो यह बहुत अच्छी तरह से चलता है और यह पूरी परिधि में से गुजरता है।

अब जो चक्र मैंने आपको बताया है, वह हृदय प्लेक्सस है जिसे हम कार्डिएक प्लेक्सस कहते हैं और इसे दस [बारह]उप-प्लेक्सस मिले हैं और इसके लिए अंग्रेजी नाम – फिर से मैं आपको पूरी सूची देने जा रही हूं। मुझे नहीं पता कि कब हमारे पास मेडिकल जर्नल के माध्यम से जाने का समय है, लेकिन मुझे यह सब पता है, और मैं आपको यह बताने जा रही हूं कि वे इसे मेडिकल शब्दावली में क्या कहते हैं। लेकिन वे जानते हैं कि दस [बारह]उप-प्लेक्सस हैं जो हृदय की मांसपेशियों को, फेफड़ों को और दाहिनी ओर के फेफड़ों को आपूर्ति कर रहे हैं और इस तरह वे इसे विभाजित करते हैं – लेकिन वे नहीं जानते कि यह पहले से ही तीन भागों में है और फिर दस पंखुड़ियाँ हैं जो इसे कार्यान्वित कर रही हैं – मुझे क्षमा करें, बारह पंखुड़ियाँ, जो इसे काम कर रही हैं

तो तीन को बारह में विभाजित किया गया है, प्रत्येक पक्ष में चार हैं। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। यह बारह पंखुड़ियां केंद्र में एक साथ हैं, और मध्य वाली को “सेक्रेड हार्ट” के रूप में जाना जाता है। बाइबल में इसे “सेक्रेड हार्ट” कहा गया है और यह सार रूप में उस हृदय की पवित्रता है जो ईश्वर का मातृ प्रेम है। इसीलिए जगदम्बा, जगत माता, वहाँ रहती हैं। और ये, वे बारह पंखुड़ियाँ हृदय स्थित माँ के अनुसार काम करती हैं और इसीलिए हम उन्हें इधर -उधर जाने नहीं दे सकते, क्योंकि वही वास्तव में उन्हें स्पंदित करती है। तो यहाँ प्रभावी व्यक्तित्व देवी होती है ना की दिल। आत्मा के नियम हैं। इसलिए आत्मा स्वयम शासन करता है और यह स्वयं सर्वशक्तिमान ईश्वर के प्रतिबिंब की मदद से शासित होता है। यह अपने दम पर है, यह विवेकाधीन है। यह देखता है, दृष्टा है, साक्षी है। यह यहाँ इन 12 पंखुड़ियों का खेल देखता है, लेकिन अगर यह पाता है कि एक केंद्र पर बहुत अधिक तनाव है, तो यह बस बंद कर देता है, और जब यह बंद हो जाता है, तो पूरी चीज़ बंद हो जाती है, आप देखिये। तो आपको अन्य चक्रों और इस चक्र के बीच के अंतर को समझना चाहिए, जो यह है कि एक तरफ आत्मा और माँ है, दूसरी तरफ एक मानव, संपूर्ण व्यक्तित्व है [श्री राम], तीन चीजें एक साथ हैं। अब, यदि आप उन्हें हमारी तीन शक्तियों तक रूपांतरित कर देते हैं, तो आप समझ पाएंगे।

आप कह सकते है की,एक तरफ बाएं बाजू के कार्य के लिए साधन या नाभिक है। यह केंद्र में है – या आप कह सकते हैं कि बाएं बाजू यानि महाकाली का कार्य हैं। मध्य में आप कह सकते हैं कि यह महालक्ष्मी के कार्य के लिए है। और दाहिने बाजू के कार्य के लिए केंद्रक हृदय के दाहिने बाजू की ओर होता है, जहाँ राम निवास करते हैं। हम इसे केन्द्रक इस कारण कह सकते हैं,कि वह साक्षी अवस्था को महसूस किए बिना कार्यरत थे। अब वे यहां जुड़ गए जहां कृष्ण आए और ’उन्होंने’ साक्षी अवस्था को महसूस किया और उन्होंने ’इसे लीला कहा। राम ने इसे कभी नाटक नहीं कहा, लेकिन उन्होंने इसे नाटक कहा। तो इसीलिए कृष्ण यहाँ पूर्ण हुए हैं और इसलिए हम उन्हें सम्पूर्ण कहते हैं, पूर्ण अवतार हैं, आदि। क्या आप जानते हैं कि ईसा-मसीह यहाँ थे और मैंने आपको उस पुस्तक में ईसा-मसीह के बारे में बताया था। मैंने देवी महात्म्यम, आपके लिए पढ़ा,  उन्होंने उनके बारे में क्या वर्णन किया है की, उन्हें कैसे उत्पन्न किया गया था और कैसे उन्हें यहां लाया गया था, वह महाविष्णु थे और कैसे उन्हें वहां स्थापित किया गया था। लेकिन अभी यह संदर्भ नहीं है – अभी हम केवल चर्चा कर रहे हैं, हम अभी हृदय के इन तीन भागों के बारे में चर्चा कर रहे हैं।

अब इन तीन भागों का क्या संबंध है? उस समय उन्हें क्यों रखा जाना चाहिए? क्योंकि इस परिस्थिति में, जब तीन अलग-अलग प्रणाली पर एक साथ तीन नाभिक [nucleus]काम कर रहे हैं और उन्हें किसी भी तरह से जोड़ा जाना है .. उन्हें इसलिए जोड़ा जाना है क्योकि, आप देखते हैं, एक इंसान में, इतने संयोजन इसलिए स्थापित नहीं हैं क्योंकि कुंडलिनी जागरण नहीं हुआ है। परा अनुकम्पी [pera-sympathatic]आधे रास्ते में लटका हुआ है, झूल रहा है और किस प्रकार वे, उस हृदय जो अस्तित्व है, हृदय जो विकास है, हृदय जो गतिविधि है के बीच संयोजन करे?

तो इस परिस्थिति में जो जुड़ा हुआ है, एक बार जब हृदय रुक जाता है, तो सब कुछ एक साथ बंद हो जाता है।

लेकिन जब आप इस अवस्था पर होते हैं तो आपकी कुंडली काम करती है। कुंडली केवल इस अवस्था तक ही काम कर सकती है क्योंकि यदि आप भविष्यवाणी करते हैं कि कुंडली के अनुसार, एक व्यक्ति मरने वाला है – तो माना की अभी वे कहते हैं, “वह कल मरने वाला है”| लेकिन वह आज अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करता है, वह कल नहीं मरने वाला है, वह बहुत बाद में मरेगा। अथवा संभवत: जब भी वह चाहे, तब वह मरेगा, ऐसा हुआ है। क्योंकि वह इस सीमा से परे, वहाँ पहुँच जाता है, जहाँ ये तीन चीजें जुड़ी हुई हैं। तो देखिये, वे कहते हैं कि आपको सीमित संख्या में हृदय की धड़कनें मिली हैं, आपको सीमित संख्या में श्वास मिली है। जब आत्मसाक्षात्कार के बाद श्वास इतनी धीमी हो जाती है, तो श्वास की दर अत्यंत धीमी होती है कि, चूँकि यह बोध प्राप्त है, यह बहुत दीर्घ होती है और सम्बन्ध connectionबहुत भिन्न हो जाता है। चूँकि हृदय एक बार रुकने के बाद रुक जाता है, पर वह रुक नहीं सकता क्योंकि अन्य गतिविधियाँ अभी भी जारी हैं। इसलिए , जब एक आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति मरता है, तो सबसे पहले कुंडलिनी को यहां से बाहर जाना पड़ता है और फिर दिल बंद होता है। यह एक अलग घटना है। और यही कारण है कि जब एक आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उन्हें पता चलता है कि प्राण, जीवन, मुंह से या नाक से नहीं गुजरा है, लेकिन यह यहां से गुजरता है, और आपको यहां रक्त का एक थक्का मिलता है। लेकिन यह इस बात का संकेत है कि एक व्यक्ति को बहुत अधिक ऊंचाई का बोध हुआ था। लेकिन जो लोग आत्मसाक्षात्कारी होते हैं वे वे इस तरह की उपलब्धि से पहले भी यदि मर जाते हैं, वे अपनी खुली आँखों के साथ नहीं मरते हैं, न ही नाक से खून बह रहा होता है और न ही उनके मुंह खुला होता है, बल्कि नाक या मुंह से बिल्कुल भी खून नहीं निकलता है, कोई खून नहीं निकलता है। और यह हो सकता है कि उन्हें उनसे दबाव परीक्षण लेना पड़े। अन्यथा, हर दूसरी मृत्यु में, एक रक्तस्राव होता है। कुछ लोगों की आंखें खुली हो सकती हैं, लेकिन अगर वे पूरी तरह से आत्मसाक्षात्कारी हैं तो बंद ही रहेंगी| तो यह अंतर है। लेकिन इस स्तर पर सब कुछ आपके व्यक्तित्व पर काम करता है, क्योंकि यहां आप अभी भी एक ऐसे स्तर पर हैं जहां आप साक्षी अवस्था में नहीं पहुंचे हैं और यही कारण है कि आपकी कुंडली कार्यरत है, इस स्तर पर सभी भौतिक चीजें कार्यान्वित हैं। और यह कि आप कैसे चमत्कारिक रूप से भिन्न हो जाते हैं।

मैं इसका एक और उदाहरण दूंगी कि आप कैसे चमत्कारी बन जाते हैं। उदाहरण के लिए, एक आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति एक ट्रेन से यात्रा कर रहां है। हमें यह उदाहरण मिला है, भारत में एक ठोस उदाहरण।एक ट्रेन से यात्रा करने वाला एक  आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति था और ट्रेन टकरा गई थी और उसमें एक भी व्यक्ति नहीं मारा गया था और जबकि रेल ने कई पलटियां खायी और कोई भी नहीं समझा पाया की कैसे ।

एक कार दुर्घटना थी जहां एक आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति उस कार में जा रहा था|यह एक बहुत बड़ी कार थी और बहुत से लड़के थे और उनमें से कुछ एक साथ पकड़ से ग्रसित थे और वे सभी नशे में थे और वे गा रहे थे और उसे नहीं पता था कि क्या करना है। लेकिन वह किसी न किसी प्रकार से वहां था और एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई, जब ऐसा हुआ था, जिसे देखकर लोग हैरान थे कि यह कैसे हुआ।

यहां तक ​​कि अगर एक आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति चल रहा है और अगर कोई दुर्घटना होने जा रही है , तो उसे अचानक कुछ ऐसा पता चलेगा कि दुर्घटना टल जाएगी। यदि आप उस समय बंधन डाल सकते हैं, तो आप तुरंत उस दुर्घटना को टाल सकते हैं।

तो आप देखते हैं, ऐसा व्यक्ति जो आत्मसाक्षात्कारी है, जो इस अवस्था से परे चला गया है और साक्षी अवस्था में हो गया है, ऐसा व्यक्ति न केवल खुद को बचाता है बल्कि दूसरों को बचाता है।

तो सभी आपकी कुंडली और ये अन्य सभी चीजें जो आप देखते हैं, एक आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति के लिए भिन्न श्रेणियों में जाते हैं क्योंकि पूरी चीज बदल जाती है। पूरी बात बदल जाती है, बिल्कुल बदल जाती है और वह एक अलग व्यक्ति बन जाता है। उसके हाथ बदल जाते हैं, उसकी रेखाएँ बदल जाती हैं और लोग कहने लगते हैं, “ओह, आप यही रहे होंगे और आप भी यही रहे होंगे” और फिर आप देखते हैं, वे लोग जो आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति नहीं हैं, यदि वे आपके हाथ देखते हैं तो वे आपके आध्यात्मिक परिवर्तन का चित्रण कर सकते हैं जो आप में आ गया है। लेकिन फिर भी वे कुछ चीजों पर टिके रहते हैं और वे कुछ चीजें कहते हैं, आप देखिये, जो कि वे देख नहीं पाते। लेकिन अगर वह एक आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति है, तो वह आपको तुरंत बता सकता है कि किस उम्र में आपको पूर्ण बोध मिलेगा, क्या होगा, सभी प्रकार की चीजें, यदि वह पूरी तरह से आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति है। लेकिन वास्तव में, बोध के बाद लोगों को इन सभी चीजों में कोई दिलचस्पी नहीं बची है, इसलिए शायद ही कभी। मैं किसी को भी नहीं जानती, जो एक आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति है और अभी भी हस्त रेखा और कुछ चीजों को बताने में व्यस्त है। उसकी कोई रुचि नहीं बची है।

लेकिन अब फिर से ह्र्दुय पर वापस आते है। दाहिने बाजू पर हमें राम का स्थान मिला है। अब राम को स्वधा की आज्ञाकारिता के लिए जाना जाता था, यदि आप उनकी कहानी जानते हैं। उनके पिता अयोध्या में थे। वह वहाँ शासन कर रहे थे और उनकी तीन पत्नियाँ थीं। तीसरी पत्नी के पास नहीं था- मेरा मतलब है कि उसके दो बच्चे, बेटे हैं, लेकिन वह राम को सिंहासन प्राप्त करते नहीं देख सकती थी। वह [कैकेयी] – एक बहुत ही अच्छी माँ थी, लेकिन किसी ने, किसी महिला ने जाकर उससे कुछ कहा और उसने उसकी बात सुनी और उसने अपने पति से कहा कि, “यदि आप मुझे मेरा वरदान देना चाहते हैं, वरदान जिसका आपने वादा किया था तो , आप राम को 14 साल के लिए जंगल में जाना है, और मेरे बेटे भरत को सिंहासन देना है। ” और जब दशरथ ने यह सुना, तो वह बेहोश हो गये, इस अनुरोध से वह बेहोश हो गये, लेकिन राम वहीं थे। उन्होंने यह सुना और उन्होंने तुरंत उससे कहा, “मैं जंगल जा रहा हूं और मैंने इसे स्वीकार कर लिया है और तुम्हारे बेटे ने मेरे लिए विकास किया है।” सब ठीक है।” और इस तरह वह गए, देखें। सिर्फ अपने पिता के आदेश का पालन करना, क्योंकि पिता ने भी आदेश नहीं दिया था, क्योंकि वह मजबूर थे। उन्होंने अपनी पत्नी को दो वरदान दिए थे, जब कि एक बार उसने युद्ध में उनकी जान बचाई, इसलिए उन्होंने कहा कि जब भी तुम चाहो तुम इन दो वरदानों के लिए कह सकती हो और वे थे। वह कभी नहीं जानती थी कि वह उनका इस्तेमाल इतने अजीब तरीके से करेगी। बाद में उसने पश्चाताप किया क्योंकि भरत आया और उसने सिंहासन लेने से इंकार कर दिया और उसने केवल राम की चप्पल वहाँ रख दी और वहाँ शासन किया, और सब कुछ अलग ही हुआ| लेकिन दशरथ की मृत्यु हो गई, क्योंकि जब राम चले गए, तब उनकी मृत्यु हो गई।

तो, आप देखते हैं, राम का जीवन दिखाता है कि वह अपने माता-पिता के प्रति कैसे आज्ञाकारी थे। उसे बहुत कष्ट हुआ।

देखिये,जो कोई भी अपने माता-पिता के प्रति सम्मानजनक नहीं रहा है[साउंड ट्रैक के ऑडियो का अंत]

आप देखें, यदि आपके माता-पिता निर्दयी रहे हैं, तो आपको यह बताने का पूरा अधिकार है कि वे आपके प्रति निर्दयी न हों और आपको चोट लगे, लेकिन आपको उन्हें वापस पलट कर जवाब देने का कोई काम नहीं है और आपको उनके प्रति सम्मानजनक होना चाहिए। आपको सम्मानजनक होना होगा क्योंकि वे आपके Primordial Parents. आदि माता,पिता का प्रतिनिधित्व करते हैं। आप उन पर चिल्लाना और दुर्व्यवहार न करें। आपको उनका सम्मान करना होगा।

वे बुरे लोग हो सकते हैं लेकिन आप सीधे परमात्मा से पैदा नहीं हो सकते थे, आपने वास्तव में उन्हें चुना है और आपने कहा: “ये आपके माता-पिता बनने जा रहे हैं।” इसलिए यदि वे आपके माता-पिता हैं, तो वे निश्चित ही किन्ही कारणों से वहां हैं, चूँकि आप उन्हें अपने पिछले जन्मों में ढूंढ रहे थे और इसीलिए आप वहां हैं।

अब उदाहरण के लिए,देखिये, आप किन्ही माता-पिता से मिलते हैं और आपको लगता है कि वे अपने बच्चों के लिए बहुत अच्छे माता-पिता हैं। उसने कहा, “हे भगवान, क्या मैं उन्हें अपने माता-पिता के रूप में पा सकती हूं?” ओह! तुम पा लो। जब तक आप  पा नहीं लेते है, आप नहीं जान सकते हैं कि उनका बच्चा होना कैसा है। तब आप उनके साथ दुर्व्यवहार करने लगते हैं, यह ठीक तरीका नहीं है। अब  सबसे अच्छा केवल एक ही तरीका है कि उन में से उनका बेहतरीन प्राप्त किया जाए ताकि कम से कम अगली बार आप गलत माता-पिता को चुनने की ऐसी गलतियाँ न करें और उनके प्रति सम्मानजनक रहें और यह एक आशीर्वाद के रूप में आता है। यह हमेशा बहुत आनंददायी होता है। आपके माता-पिता बहुत कठोर होंगे, समय को अनुशासित करेंगे, गलतफहमी होंगी, मुझे पता है कि यह बहुत कठिन है। और आपके पास जो शिक्षा है, और पूरी दुनिया के बारे में आपकी समझ के साथ, आपको लगता है कि वे बिल्कुल मूर्ख और बच्चो जैसे, अपरिपक्व और बचकाने हैं। और विशेष रूप से जब आपके पास चैतन्य का ज्ञान होता है, तो आप उनके बारे में और भी बुरा महसूस करते हैं क्योंकि वे झगड़ालू हो सकते हैं, चीजों के आदी और काफी गुलाम हो सकते हैं। लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि आप देखते पाते कि उन्हें ये परेशानी मिली है। यदि आप सहज योग में नहीं आते, तो आप भी ऐसे ही हो सकते थे, आप बहुत अधिक बुरे भी हो सकते थे। तो आइए हम उन्हें समझते हैं, उनकी मदद करने की कोशिश करते हैं और अगर आप सम्मान की भावना रखते है तो मैं आपको बताती हूं, आप बहुत यकीन कर सकते हैं, अगर आप उनके प्रति सम्मान रखते हैं, तो आप उन्हें बदल सकते हैं। बुजुर्ग, आप उनमे कुछ भी कह कर बदलाव नहीं ला सकते हैं, कभी नहीं, यह आपके बड़ों को बदलने का तरीका नहीं है। सम्मान भावना रख कर, चूँकि उन्हें लगता है कि उनका सम्मान होना चाहिए। इसलिए वे इस तरीके से व्यवहार करना शुरू करते हैं कि उनका सम्मान हो । अपने माता-पिता को कैसे संभालना है इसका , मैं आपको रहस्य बता रही हूं की, यह उनके लिए बहुत सम्मानजनक होना चाहिए ताकि उन्हें एहसास हो की: “हे भगवान, जब वह मेरा इतना सम्मान करते हैं, तो मैं उनकी उपस्थिति में कैसे दुर्व्यवहार करता हूं?” यह अपने माता-पिता को संभालने का राज है, न कि उन पर चिल्लाने से। इसका मतलब यह नहीं है कि आप बच्चों के साथ ऐसा कर सकते है [?] लेकिन अपने बड़ों के साथ नहीं। अपने बड़ों के साथ आपको उनमें एक भावना पैदा करनी होगी कि वे सम्मानित है। इस तरह, आप देखते हैं, आप कोशिश करते हैं, आप अपने बड़ों के साथ इस बात की कोशिश करते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपका कोई भी बुजुर्ग व्यक्ति आपके साथ अच्छा व्यवहार करे, तो आप बहुत सम्मानित रखने की कोशिश करें और वह व्यक्ति आश्चर्यचकित हो सोचता है: “अब मुझे अपना सम्मान बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए, ताकि मुझे यह खोना ना पड़े ?”

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और वे जिस चीज़ को सबसे अधिक महत्व देते हैं वह है सम्मान। बुजुर्ग, वे सम्मान की सर्वाधिक कद्र करते हैं। और अगर आप उन्हें सम्मान देते हैं तो वे इसे किसी भी चीज के लिए नहीं छोड़ेंगे। आप उनसे कुछ भी जो आप को पसंद है करवा सकते है,  अगर आप वास्तव में उन्हें सम्मान दिखाते हैं। और वे उस चीज़ सम्मान को बनाये रखने के लिए संघर्ष करेंगे, तथा जो कुछ भी आप से दूरी पैदा करती है उसे त्याग कर देते हैं।

लेकिन देखिये, ऐसा होता है, आप पाते हैं कि आपके माता-पिता ऐसा नहीं कर रहे हैं जो सही है, आप उन पर संदेह करना शुरू कर देते हैं, फिर वे सोचते हैं: ” हम सम्मान खो चुके हैं, अब हम क्या हासिल करेंगे?” क्योंकि आप देख रहे हैं, ये चीजें उनके दिमाग में कोई भी अच्छी याद दर्ज नहीं करती हैं।

हमारे पास एक मामला था, देखिये, एक लड़के ने, मुझे अपने पिता के बारे में बताया, कि वह इस तरह के है और वह किसी दूसरी महिला के साथ जा रहे है और ऐसा और वैसा, वह इस तरह से व्यवहार कर रहे है, और यह उसके लिए बहुत गलत है। मैंने कहा: “मैं सहमत हूँ। यह उसके लिए बहुत गलत है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए “और इसलिए मैंने कहा,” तुम क्या कर रहे हो? ” उसने कहा: “हम उन्हें पीट रहे हैं और हमें गुस्सा आ रहा है, हम उसे गाली दे रहे हैं।” और मैंने कहा: “यह ठीक तरीका नहीं है, यह तरीका ही नहीं है।” जब वह घर आते है तो आप उनके प्रति बहुत सम्मानित होने की कोशिश करें। प्रयत्न।” इसने तरीके ने काम किया । उन्होंने महिला को छोड़ दिया। क्योंकि वह सम्मान की परवाह करते है।

और आप जानते हैं कि सम्मान कितना महत्वपूर्ण है! आखिरकार,  यदि आप इस दुनिया में देखते हैं, तो अधिकांश लोग सम्मान चाहते हैं। यदि आप किसी का सम्मान करते हैं, तो वह व्यक्ति उस सम्मान के लिए कुछ भी देने को तैयार होता है। और एक पिता इसके हकदार हैं, क्योंकि वह आपके पिता हैं और एक बार जब आप स्वीकार करते हैं: “हाँ, पिता, हाँ, हाँ,” और सम्मानजनक तरीके से, आप बस कोशिश करें, और आप देखते हैं कि यह काम करेगा।

देखिये यदि आप कुछ चाहते हैं, ठीक है, आप क्या पायेंगे, बस मांगे , “लेकिन क्या हम इसे उस बिंदु पर रोक सकते हैं? आइए हम कुछ के बारे में बात करते हैं ”, आप केवल सम्मानजनक होकर अपने पिता के चित्त को निर्देशित कर सकते हैं, आप बस अपने माता और पिता के साथ प्रयास करें। आप को उन पर रोब नहीं झाड़ना हैं, यह वास्तविकता है। मैं आपको रहस्य बता रही हूँ। यह किसी कारणवश अथवा, आपको ,आप के तरीकों वगैरह को बदलने के लिए भी नहीं, लेकिन मैं सिर्फ आपको रहस्य बता रही हूं क्योंकि आपने लोगों को जीतने के गुप्त तरीकों और उन्हें समझने और उन्हें प्रबंधित करने की सोच ही खो दिया है, और वास्तव में आपके पास आपका तरीका होगा। केवल उनका सम्मान करना है।

अब आपके पास [अश्राव्य] शुरू करने के लिए कुछ प्रश्न हो सकते हैं।

संगीत

लेकिन बाइबल एक ऐसी पुस्तक है जिसे विभिन्न स्थानों पर विभिन्न लोगों द्वारा विभिन्न चरणों में संकलित किया गया जा रहा है और यह सब उन्हें अचेतन [ Unconscious] द्वारा पता चला था। बाइबल में जो भी ज्ञान आपको मिलता है, वह सब उन्हें  Unconscious अचेतन  से पता चला था और वे वास्तव में इसका पूरा पाठ नहीं समझ पाए थे। उन्होंने जो कुछ भी समझा या इकट्ठा किया, उन्होंने उसे डाल दिया। इसका एक हिस्सा खो गया था क्योंकि यह तुरंत दर्ज नहीं किया गया था और इसलिए भी कि मूल बाइबिल ही खो गई थी। इसलिए सभी स्पष्टीकरण, सभी चीजें पीछे छुट गईं और इस प्रकार से लोगों को बाइबल में स्थित सभी महान शब्दों के बारे में जो कुछ भी वे महसूस करते हैं, उसे वैसा बनाने के लिए एक बहुत अच्छा बचाव है।

उदाहरण के लिए, “शब्द।” शब्द क्या है’? यह logosलोगोस् या कुछ और है? वो क्या है? यह किस प्रकार बना है ,इसमें क्या शामिल है, इसका क्या मतलब है, यह कैसे शुरू होता है, जहां से यह आया है? यह ओम है। ओम तीन शब्दों से आता है: UH, OOH, MUH। अ ऊ म।

अ UH, बाएं बाजू तरफ की पहली रचना के लिए है, जिसे हम महाकाली शक्ति कहते हैं। दुनिया में सबसे पहले प्रति-अहंकार का प्रकटीकरण हुआ, इसलिए हम कह सकते हैं कि ‘अ’ शुरुआत का प्रतीक है, केवल उस अवस्था तक जब जीवन नहीं बनाया गया था।

OOH ‘ऊ’ दूसरे चरण के लिए प्रतीक खड़ा है, जहाँ अब ध्वनि समान है। ध्वनि एक ही है, ध्वनि एक ही है, अभिव्यक्ति अलग है। ध्वनि वही है, मेरी आवाज वही है। उदाहरण के लिए, जो भी मेरी आवाज़ है, आप उसे पहचान सकते हैं जहाँ भी मैं बोलती हूँ, यह माताजी का बोलना है।

शायद ‘अ’,’उ’,’म’UH, OOH, MUH में अभिव्यक्ति अलग है। तो पहले “अ’UH शुरू होता है, फिर ‘उ’OOH आता है, जो महासरस्वती शक्ति है। हम कह सकते हैं कि हमारे पास जो तीन स्वर हैं, मैं अंग्रेजी में नहीं जानती कि आप स्वर को क्या कहते हैं, लेकिन हम कहते हैं, ‘अ’,’उ’,’म’SAH, UH SAH…, मूल तीन नोट। तो दूसरा नोट महासरस्वती का है जिसके द्वारा जीवन, सूर्य जीवन, काम करना शुरू किया।

और तीसरा ‘म’ है जिसके माध्यम से विकास ने अपनी जगह लेनी शुरू कर दी। तो वह महालक्ष्मी चरण है।

तो आपको ये एक साथ कार्यरत तीनों शक्तियां प्राप्त  हैं और यह एक बहुत ही संक्षिप्त रूप में, हम कहते हैं कि यह ॐ है।

लेकिन यह केवल ऐसा नहीं है कि मनुष्य ने कहा है। जब आप ध्यान करते हैं जो में कह रही हूँ ‘ॐ’  आपने देखा है, कि इन तीन शक्तियों में, ये तीन ध्वनियाँ हैं, और इस प्रकार यह शब्द ॐ बना है।

एक आत्मसाक्षात्कारी के लिए, ॐ एक सबसे शक्तिशाली चीज है।

उदाहरण के लिए, यदि आप अपनी सुरक्षा करना चाहते हैं, तो स्वयम  ॐ शब्द ही सुरक्षा कर सकता है; और जब ये तीन शक्तियां ॐ के रूप में संयोजित होती हैं, तो हम कहते हैं कि यह बालक या सूर्य देव अपने शुद्धतम रूप ॐ में प्रतिनिधित्व करता है। यही कारण है कि ईसा-मसीह के जीवन में या कह सकते हैं, ऐसे व्यक्तित्व के जीवन में जिसने ईश्वर के पुत्र का प्रतिनिधित्व किया, ॐ बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वह उस ॐ को अपने भीतर समाहित करता है। ये तीनों शक्तियाँ उसी में हैं और सबसे निर्दोष रूप में हैं।

मैं जो कहना चाह रही हूं, वह इस प्रकार है, इन्हें छोड़कर अब आप किसी अन्य देवता को लें। आप पाएंगे कि उनके पास इस शक्ति का अधिक है, उस शक्ति का।

उदाहरण के लिए यदि आप कहते हैं कि विष्णु जो विकास का प्रतीक है, यदि आप कहते हैं, ब्रह्मदेव, वह सृष्टि के प्रतीक है। यदि आप महेश को लेते हैं, तो वह प्रति-अहंकार पक्ष के प्रतीक  हैं, भले ही आप कृष्ण को लें, वह विकास के प्रतीक  है। लेकिन जब आप यहां उत्थान करते है , तभी आपको पता चलता है कि ये तीनों शक्तियां यहां आज्ञा चक्र में मिलती हैं। आज्ञा तक वे अलग रह चुके हैं। आज्ञा में वे गठबंधन करते हैं।

इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इन तीनों शक्तियों को ईसा-मसीह द्वारा नियंत्रित किया जाता है और यही कारण है कि जहाँ तक सहज योगियों का संबंध है, यीशु मसीह सबसे महत्वपूर्ण देवता हैं , क्योंकि विकास सब ठीक है लेकिन एक मानव का पूर्ण समन्वय और संरक्षण केवल तभी संभव है यदि आपके हाथ में ये तीनों शक्तियां हैं। यह ठीक है की व्यक्ति को विकास प्राप्त हुआ, ठीक है कि,उसे अपना आत्मसाक्षात्कार मिला, लेकिन फिर उसने पाया कि उसका बायां बाजु क्षतिग्रस्त है| लेकिन यह मानते हुए कि बावजूद की वह विकसित हुई है, वह क्या करे यदि बायीं बाजू हावी हो ? केवल ईसा-मसीह ही बचा सकता है।

अब माना कि दायीं बाजू अति सक्रीय  है। कुछ लोग हैं, जिन्हें आप बहुत अच्छी तरह से जानते हैं ,आप पाते है की कई लोगो का अहंकार जब क्रोधित होता है तब उनकी दायीं बाजू सक्रिय होती है। उनके लिए भी, यह मान भी ले कि वे विकसित हो गए, तो क्या होगा? वे सभी को गोली मार देंगे। लेकिन अगर उन पर अहंकार का हमला होता है तो केवल ईसा-मसीह ही वह व्यक्ति है जो उन्हें संतुलन दे सकते है।

और यदि आप मसीह को देखते हैं, तो मसीह एक पूर्ण संतुलन के अलावा और कुछ नहीं है। यह एक ऊँचे स्थान पर एक पूर्ण संतुलन है। क्या आपने एक तराजू  देखा है, यह कैसा होता है? तराजू को यदि आप देखें उच्च स्थिति में मध्य में संतुलन रखा जाता है । और इस प्रकार, वह संतुलन करता है, और यही कारण है कि वह स्वयम ॐ  कार है, एक ॐ कार का मूर्त रूप | क्योंकि हम जानते हैं कि वह गणेश है और गणेश ॐ कार हैं।

ॐ कार की इस ध्वनि में, संसार की पूर्ण ध्वनियाँ हैं। सभी क्रमपरिवर्तन और संयोजन, इन तीन ध्वनियों के भीतर इन ब्रह्मांडों का पूरा माधुर्य: ‘अ’,’उ’,’म’UH, OOH, MUH। यह ॐ पर आधारित है। जब कुंडलिनी भी चलती है, तो यह तीन तरह से चलती है: ‘अ,’उ’,’म’, क्योंकि निचले हिस्से में यह ‘अ’ है। केंद्र भाग में यह ‘उ ‘है, और यहाँ मध्य में यह ‘म’ है। मतलब कि इंसान के निचले हिस्से में हम वही हैं जो मृत पदार्थ के रूप में बनाया गया था। केंद्र में हम वही सृजनात्मकता या जो सृजन है, और तीसरे में विकासवादी है। तो यहां तक ​​कि हम भी तीन तरीकों से विभाजित हैं, हमारा ऊपरी हिस्सा ‘म’ है, मध्य भाग ‘उ’ है और निचला भाग ‘अ’ है। हम ऐसे है, और जब आप एक उचित तरीके से ओम कहते हैं, तो आप कुंडलिनी का उत्थान पाते हैं।

जहां तक ​​बाइबिल का और सहज योग का संबंध है, जहां तक ​​कुरान का संबंध है और गीता का संबंध है, वहां कोई अंतर नहीं है। बहुत सीमित दृष्टि वाले लोगों को ही  अंतर दिखाई देता है। जिसने इसे आंतरिक रूप से देखा है उसे कोई अंतर दिखाई नहीं देता क्योंकि यह सिर्फ एक जैसे ही है। केवल परिस्थितियों की वजह से, अलग-अलग तरीकों से अभिव्यक्ति की वजह से, आप उनमें थोड़ा अंतर पाते हैं, लेकिन जहां तक ​​भौतिक और पदार्थ का संबंध है, यह बिलकुल एक जैसे ही है। मुझे ऐसा एक भी शब्द नहीं मिलता, जिसे मैं बाइबल या कुरान या गीता में से समझा नहीं सकती।

सब कुछ बहुत स्पष्ट रूप से समझाया जा सकता है, लेकिन लोगों के साथ समस्या यह है कि वे एक एकीकृत तरीके से नहीं सोच सकते हैं, मनुष्य नहीं कर पाता है। उन्हें स्थिरता पाने के लिए कोई ढांचा या किसी प्रकार के समूह को खोजने की  कोशिश करनी चाहिए। वह मानव स्वभाव है। वे हर समय कीड़े बनना चाहते हैं। क्योंकि कभी वे थे, वे फिर से कीड़े और अमीबा बनना चाहते हैं। मुझे लगता है कि अस्तित्व साथ ही वे भी समाप्त हो जाएँगे। मैं नहीं जानती कि मैं क्या कहूं। इसलिए वे एक सार्वभौमिक सत्य जो की उनमें बह रहा है को नहीं देख पाते हैं  और इसी कारण ने सभी धर्मों को मार दिया है, क्योंकि एक बार,  जब आप जान जाते हैं कि एक ध्वनि है जो इन सभी सार्वभौमिक रचना के  फूलों, सुंदर धर्मों से गुजर रही है,  तो कोई समस्या या लड़ाई हो ही नहीं सकती। और सभी धर्मों के लिए इस तरह के विनाश की रचना करके उन्होंने इन भयानक लोगों को मंच पर आने और अब कब्जा करने की अनुमति दी है।

इसलिए आप इसे हमारी सभी शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक समस्याओं को दूर करने के लिए बहुत अच्छा मानते हैं। ॐ विशेष रूप से काम करता है।

अब आप कह सकते हैं कि, “ईसाई धर्म में ॐ शब्द कहां है?” यह आमीन में है। आमीन और कुछ नहीं ॐ है, क्योंकि ‘म’ का मतलब है नाक की ध्वनि और नाक की ध्वनि का अंत और ,न’ का मतलब भी नाक की आवाज ही है क्योंकि अरबी भाषा में इसे एक ‘नि’ की तरह लिखा जाता है, आप देखते हैं, और’नि’ मेरे नाम के साथ कहते हैं। मेरे नाम के साथ ‘न’ शुरू होता है, जिसे बिंदु  के साथ भी लिखा जाता है। इन सभी को एक बिंदु  मिला है। यह एक बिंदु है जो दिखाता है कि यह एक ‘न’ है। और संस्कृत भाषा में,बिंदु ‘डॉट’ का अर्थ है ‘न’। और यही कारण है कि यह ‘म’ और ‘न’ है। आमीन ॐ के समान है।

अब समस्या यह है की विकास के साथ हर चीज़ परिवर्तित होती है और यही कारण है कि ॐ को आमीन के स्तर पर लाया गया। ‘अ’  ‘आ’ बन गया और ‘उ’  ‘म’ बन गया, और ‘म’  ‘न’ बन गया। जैसा कि मैंने आपको बताया कि ईसा-मसीह एक इंसान के रूप में आए थे लेकिन वह गणेश थे। और स्वस्तिक क्रॉस हो गया। उसी तरह, ॐ आमीन है।

इसलिए माना जाता है की हर प्रार्थना के बाद आपको ‘आमीन’ कहना चाहिए। Not आमीन ’क्यों नहीं? इसका क्या मतलब है? अंग्रेजी भाषा में वहां से ॐ शब्द  समाप्त होता है। अगर आप देखें, तो शब्दों में भी, भाषाओं में, सार्वभौमिकता ध्वनित हो रही है, लेकिन हमारे पास सार्वभौमिकता को देखने के लिए कोई दृष्टी नहीं हैं। हम सोचते हैं, “ओह हम ईसाई हैं। हम ईसा-मसीह में विश्वास करते हैं। हम इस सभी बकवास पर विश्वास नहीं करते हैं। क्योंकि अन्य सभी निरर्थक हैं। “

लेकिन आप ईसा-मसीह से कैसे संबंधित हैं? आप ईसा-मसीह को कितना जानते हैं? यह कोई नहीं जानता, आप देखें। और इस तरह अब सभी धर्मों की सभी समस्याएं आपके सामने आ रही हैं, कि बस लोग किसी भी चीज़ पर विश्वास नहीं करते हैं। वे कहते हैं कि धर्म में विश्वास करना मुर्खता है। यह सब मुर्खता चल रही है। चर्चों के पास इतना पैसा क्यों था? हमारे पास कोई पॉप क्यों होना चाहिए और ईश्वर के नाम पर कोई बड़ा संगठन क्यों होना चाहिए? हमें मंदिर क्यों चाहिए? आपको क्यों? मेरा मतलब है, जैसे कि, यहाँ है , हमारे पास हर जगह ऐसे लोग हैं जो इन सभी तथाकथित लोगों के खिलाफ विद्रोह कर रहे हैं, वे धर्मों को तथाकथित कहते हैं। लेकिन लोगों के दिल की पवित्रता में, जो कुछ भी भगवान के नाम पर, अस्तित्व में आया है, वह स्वयं भगवान से आया है। समस्या केवल यह है, जब यह एक ऐसे इंसान को बताया जाता है जिसे अभी तक आत्मसाक्षात्कार  नहीं हुआ है। यहां तक ​​कि आत्मसाक्षात्कार हुआ, उन्होंने कितना महसूस किया हैं? आपने अब देखा, केविन कितना जानता है और आप कितना जानते है। इसलिए यहां तक ​​कि वे थोड़ा सा एहसास कर भी रहे हैं लेकिन , वे कितना जानना चाहते हैं जो कि वह बताना चाहता है?

और इसीलिए  इंसानों के बीच इस तरह का मूर्खतापूर्ण अलगाव शुरू हुआ और एक बार जब आपने ‘धर्म’ को “धर्मों” के रूप में बिखेर दिया, तो सब समाप्त हो गया। यह धर्म को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका था, क्योंकि उन्होंने तत्व नहीं दिया, तत्व को महत्व नहीं दिया। वे बस कुछ स्थूल को महत्व देने की कोशिश करते हैं जो इतना सतही है और यह सतहीपन भी इन भयावह लोगों द्वारा बनाया गया है जो  ईसा-मसीह को बस अपनी पॉकेटबुक कृष्ण के रूप में उपयोग करना चाहते थे जैसे कि वह उनके घर का है।

इस ॐ का उपयोग पूरी दुनिया में अत्यंत ही सूक्ष्म तरीके से किया गया है, और ‘म’ शब्द का अर्थ मा है, और आप जानते हैं कि एक माँ के लिए हम सभी, मा कहते हैं। आप पूरी दुनिया में कहीं भी जाते हैं, वे मा शब्द को समझते हैं। जहां तक ​​मा शब्द का संबंध है, किसी को भी समस्या नहीं है, क्योंकि यह उसी में लय होता है, इसका मतलब है कि पूरी रचना माता के चरणों में समाप्त होती है। ईसाई धर्म को भी आप समझ सकते हैं कि यह माता है, यहां तक ​​कि प्रेम भी ।

जब वे मोहम्म्द साहब की बात करते हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि उन्हें वहाँ होने के लिए पाँच महिलाओं की मदद लेनी थी। और वे सभी एक दूसरे की तुलना में बेहतर थी , उनमें से सभी ‘अ’,’उ’,’म’ थी, उनके साथ, शक्तियां। वे शक्तियाँ थीं जो उनके पास थीं और इसी प्रकार से उन्हें कई शादियां करनी पड़ी थी। कोई नहीं समझा  कि यह क्या था। उदाहरण के लिए उनकी अपनी पहली पत्नी हादिया और कोई नहीं बल्कि महासरस्वती थीं। उनकी अपनी बेटी कोई और नहीं बल्कि महालक्ष्मी थीं। तो यह उनकी पत्नी या बहन या बेटी के रूप में व्यक्त की गई सभी शक्तियां थीं, जिन्होंने उनकी शक्तियों को बनाए रखते हुए, उनके जीवनकाल में उनकी मदद की।

अब इसी ॐ शब्द का उपयोग नकारात्मक शक्तियों द्वारा भी किया जाता है। वे इसका उपयोग कैसे करते हैं? वे किसी शैतान को यह नाम देंगे। आम तौर पर वे नहीं करते हैं क्योंकि यह सबसे शुद्ध शब्दों में से एक है जिसे दूषित नहीं किया जा सकता है। आम तौर पर वे नहीं करेंगे, आम तौर पर वे नहीं करेंगे। मैं अब तक किसी से नहीं मिली, जिसे ‘ॐ’ नाम के साथ उस पर एक शैतान हावी मिला है और अब तक किसी ने भी यह नाम किसी को नहीं दिया है, लेकिन मैंने लोगों को नाम देते हुए देखा है … ये विभिन्न नाम हैं, अलग: महाकाली के लिए  ‘इमी’, महासरस्वती के लिए ‘ब्री’, महालक्ष्मी के लिए ‘ग्ली’।मुझे खेद है, महाकाली के लिए ‘इमी’, महालक्ष्मी के लिए ‘ब्री’ और महासरस्वती के लिए ‘ग्ली’। इसलिए, जिन्हें मैंने देखा है, वे ये नाम अलग-अलग उन शैतानों को देंगे, जिन्हें वे लगाना चाहते हैं।

उदाहरण के लिए, मैं उन सज्जन का नाम लूंगी, आप उसे जानते हैं, जो खुद को भावातीत  वगैरह कहता है। वह इन नामों का उपयोग करता है। बेशक, उनमें से, पहला ‘इमी’ अब कहीं न कहीं बंधा हुआ है। अब ये  इमी ’’ ब्री ’, ग्ली’ हैं, हालांकि वे देवी के नाम हैं, वह उपयोग कर सकते हैं। लेकिन वह ॐ के नाम का उपयोग नहीं कर सकता है और वह यीशु के नाम का उपयोग नहीं कर सकता है। वह श्री गणेश का नाम नहीं दे सकता। ये नाम उनके परे हैं … आप देखते हैं क्योंकि वे भयानक हैं। एक माँ क्षमा कर सकती है, लेकिन ये लोग हैं, वे बस उन्हें भस्म कर देते हैं, और इसीलिए उन्होंने इन नामों को रखने की हिम्मत नहीं की। आप नहीं पाएंगे, हालांकि वे इसे इस तरह कहेंगे कि, “यीशु के नाम में”, आप देखिये, वे कह सकते हैं। वे  यीशु ’शब्द का उपयोग कर सकते हैं, देखिये, जैसे की“ यीशु के नाम पर मैं आपको यह देता हूँ ”। और वे कहते हैं, “यीशु की तस्वीर” और वह सब। और वे क्रॉस का उपयोग भी कर सकते हैं क्योंकि आप इन लोगों द्वारा बनाए गए क्रॉस को केवल देख सकते हैं। वे उन्हें लगा सकते हैं। लेकिन वे इन शैतानों को यीशु का नाम नहीं दे सकते। वे आपसे कह नहीं सकते, “कहो ‘यीशु’, ‘यीशु’।” वे ऐसा कभी नहीं कहेंगे। लेकिन वे कहते हैं … वे सभी प्रकार के ‘ऊम’ वगैरह कह सकते हैं। लेकिन इन सभी के द्वारा वे किसी पर हमला कर सकते हैं। इस तरह वे कहते हैं, “ओम नमो शिवाय।” यह सब ठीक है, “ओम नमः शिवाय।” अब ‘OM’ जो इसमें रखा है वह बेअसर हो जाता है। वे शायद नहीं जानते कि यह थोड़ा बेअसर है, “ओम नमो शिवाय।”

(एक पक्ष की समाप्ति) तो किसी का नाम ‘ नमो शिवाय ’है और वह इसमें आता है और इसका अर्थ इतना महान है, इसका मतलब है कि आप शिव को नमन करते हैं, ईश्वर के शाश्वत पहलू को । लेकिन वे कहेंगे कि आप नाम लें , “ओम नमो शिवाय” क्योंकि उसके साथ आप बात देखिये , वह शिव द्वारा प्रबल है और इस तरह वे ‘ॐ’ को उस के साथ जोड़ देंगे, लेकिन वे कभी भी अकेला एक शब्द ‘ॐ’ नहीं देंगे। ‘किसी  … बिंदु पर , क्योंकि कोई भी शैतान उस नाम का मालिक नहीं होगा, यह बहुत बढ़िया है। और ये तरकीबें हैं जिस से कि ये लोग ‘ॐ’ शब्द के साथ खेलते हैं और आपको भी उसी के साथ खेलना चाहिए। जब भी आप जरूरी महसूस करें , आप सिर्फ ॐ ’कहें। कुछ और मत कहो ’ॐ’ कहो। आपके लिए, हर वाक्य का एक अंत है, भले ही आप कहते हैं, “ॐ नमो शिवाय” … लेकिन अगर आप कहते हैं, “ॐ यीशु”, तो यह पर्याप्त है।

अब एक वृत में। यदि आप कहें पूर्ण ब्रह्माण्ड को एक वृत्त  हैं, तो आप उसके तीन भाग बनाते हैं, आपको तीन मेहराब मिलते हैं। एक कहो ‘अ’, है, दूसरा ‘उ’

, तीसरा ‘म’। जब आप उन्हें फिर से संगठित करने की कोशिश करते हैं, तो आपको अ,उ,और म मिलते हैं। तीन मेहराब हैं, आप उनका पुनर्निर्माण करते हैं। पहला मेहराब इस तरह मुड़ा हुआ है, ‘अ’; ‘उ’, उस तरह से दूसरा, और तीसरा एक ‘म’ है। और उस पर बिंदु मध्य बिंदु है। वृत का मध्य बिंदु है, । अब आपने देखा है कि ॐ कैसे लिखा जाता है और यह कैसा है, इस तरह तीनों मेहराबों का वर्णन किया गया है। तो पूरी रचना और मध्य बिंदु, जो स्वयं ईश्वर है, सभी एक साथ मिलकर ॐ  बनाते हैं, और इस तरह इसका नामकरण किया जाता है। मुझे लगता है कि मैंने आपको बता दिया है।

अब जब सबसे पहले सृजन हुआ, तो कैसे सबसे पहले ॐ का गठन हुआ? क्या मैंने आपको पेराबोला [परवलय]के ड्राइंग के साथ बताया था? तो पहली ध्वनि, पहली ध्वनि जो पृथक्करण के कारण शुरू हुई थी, पहला पृथक्करण जब यह दो हस्तियों , ईश्वर और उसकी शक्ति के बीच हुआ था, उस समय ध्वनि शुरू हुई थी और यह ध्वनि और कुछ नहीं बल्कि ॐ थी। यह ध्वनि वहां होगी और तब तक काम करेगी जब तक ये दोनों हस्तियाँ एक नहीं हो जाती। तब कोई सापेक्षता शेष नहीं रहती है और इसलिए कुछ भी नहीं रहता है। इसलिए लोग सोचते हैं कि दुनिया कुछ भी नहीं 

 से प्रकट हुआ है क्योंकि सापेक्षता नहीं है। जब वे दो हो जाते हैं तब कुछ होता है। अन्यथा वे एक और पूर्ण हैं और इसलिए कुछ भी नहीं है। जब ध्वनि विलीन हो जाती है या खत्म हो जाती है या, जैसा कि हम कहते हैं, गायब हो जाती है … (अश्रव्य), यह वह समय होता है जब पूरी सृष्टि एक क्रिया में विलीन हो जाती है। तो यह वह बिंदु है जहां व्यक्ति को जाना है।

अब आपके अपने अस्तित्व में ऐसा होता है। पहले आप ॐ को महसूस करते हैं। कभी-कभी आपको लगता है कि आवाज आती है। कभी-कभी आपको लगता है कि किसी प्रकार की झुनझुनी चल रही है, क्योंकि सात आवाजें हैं जो इस ओम से आसानी से समझ में आती हैं। सरलता से  हालाँकि कई हैं, लेकिन मैं कह रही हूं कि कम से कम सात आप आसानी से पता लगा सकते हैं। यदि आप कभी-कभी बैठते हैं तो आपको किसी प्रकार की घंटी बजती सुनाई देती है, कभी-कभी आप सुनते हैं जैसे कि एक झरना है और कभी-कभी आप सुनते हैं जैसे कि रात में छोटे से छोटे झींगुर गा रहे हैं। तुम देखते हो सब तरह की आवाजें आ रही हैं, तुम देखो। आपको लगता है कि वे वहां हैं, कुछ हो रहा है, रात में, आप देखते हैं, आप महसूस कर रहे हैं। सभी विभिन्न प्रकार की आवाजें हैं, लेकिन सात ध्वनियां आप आसानी से पता लगा सकते हैं और उन सभी को एक साथ लगाकर ॐ बनाते हैं। इसलिए, यदि आप सभी को उचित तरीके से, मधुर तरीके से, सामंजस्यपूर्ण तरीके से बजाते  हैं, तो हम कह सकते हैं की , आप ध्वनि ॐ सुनेंगे।

अब जब कहीं से कोई सुझाव आपके पास आ रहा है, तो आप हमेशा महसूस करेंगे कि आपके कानों में कोई आवाज आ रही है, तो आप को सतर्क किया जाएगा। आप को सतर्क किया जाता हैं और आप बस ध्यान देते हैं की क्या विचार आ रहे हैं और फिर अचानक आपको एक सुझाव मिलता है। इसे नोट कर लें। ये अचेतन से आने वाले विचार हैं। जरा इंतजार करो,  एक आवाज आएगी। और ध्वनि सचेत करेगी कि कोई सुझाव आ रहा है, आप इसे नोट कर लें।

लेकिन शैतान के साथ, ऐसा कभी नहीं होगा। आपको कभी आवाज नहीं मिलेगी। आपको विज्ञापन या ऐसा ही कुछ भी मिलेंगे  … शायद अंशों में क्योंकि वे टुकड़ों में  ले जाते हैं, बस … लेकिन ज्यादातर आपको भयंकर गंध आती है, जले हुए चमड़े की तरह, या कुछ सड़े हुए अंडे की तरह। आपको ऐसे बाधा ग्रस्त लोगों से डरावनी बदबू मिलती है।

तो यह ओम है, एक ध्वनि है जो समझती है, वह बात करती है, जो आयोजित करती है, वह सूचित करती है और वह दिव्य प्रेम की ध्वनि है। यह विद्युत भावना है जो आप अपने हाथों पर पाते हैं। लेकिन यह ध्वनि है।

इसलिए हमें पाँच तत्वों की पाँच सूक्ष्म प्रकार की अभिव्यक्ति भी मिली है और वे हैं ॐ  की यह स्पष्ट  ध्वनि। चैतन्य विद्युतीय हैं।  एक आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति के लिए उस ध्वनि या उर्जित में एक चुंबक होता है,।

जिस व्यक्ति पर भगवान की कृपा होती है, उसके पास एक चुंबकीय शक्ति होती है। वह व्यक्ति आकर्षित करता है। वह व्यक्ति भले ही इसके बारे में न बोले, लेकिन लोग इन बातों के बारे में जानते हैं। वे जानते हैं कि वह एक आदमी आत्मसाक्षात्कारी है , उसके बारे में कुछ खास है। आप तुरंत यह जान सकते हैं कि वह क्या है। यह इस ध्वनि और चुंबक की वजह से है। आपने उस ध्वनि को सुना होगा जब हम पदार्थ में परिवर्तित हुए थे। उसी तरह, ये सभी चीजें परिवर्तित की जाती हैं, ध्वनि एक चुंबक बन जाती है, चुंबक चैतन्य या कंपन बन जाता है, कंपन आत्मा बन सकता है। तो ये सभी परिवर्तनीय और एक ही चीज़ के अंग-प्रत्यंग हैं, वही ऊर्जा जो दिव्य प्रेम है, जो प्रेम है। प्रेम में ध्वनि है और प्रेम में विद्युत  है, उसे चुंबकत्व मिला है और उसे शक्ति मिली है।

जब ये सभी सूक्ष्म शक्तियां किसी भी मनुष्य पर उंडेली जाती हैं, तो यह कार्य करता है, यह कार्य करता है और लोग अपने स्वास्थ्य में सुधार करना शुरू करते हैं।

आपने ऐसे प्रयोगों के बारे में सुना होगा जहां लोगों ने कुछ बीमारों लोगों पर संगीत का प्रयोग किया है और वे ठीक हो गए। तो ऐसा होता है कि जिस ध्वनि को हम अभिव्यक्त कर रहे हैं इसके पीछे, सूक्ष्म शक्ति, वह शक्ति जो उसे प्रकट कर रही है, कार्यशील होती है। जो वहां एक बहुत ही छोटी बात है। लेकिन आप लोगों के साथ, जब आप अपना हाथ रखते हैं, तो यह ॐ की ध्वनि होती है जो कम्पायमान है। यह इतना सूक्ष्म, सूक्ष्म तरंग है, जिसे आप एक आवर्धक लेंस के माध्यम से नहीं देख सकते, आप मेरी उंगली की थर- थराहट बिलकुल नहीं देख पायेंगे। आप कहेंगे कि वे बहुत स्थिर हैं, लेकिन वे बहुत सूक्ष्म तरंग हैं। और सूक्ष्म तरंगे, जब वे मनुष्यों के शरीर या किसी भी चीज़ में प्रवेश करती हैं, तो वहाँ वे मनुष्य के शरीर या उनकी उपयोगी चीजों में सुप्त तरंगों को जागृत करती हैं और वे दूसरे चरण की तरंगो को को उत्पन्न करना शुरू करते हैं|…

उदाहरण के लिए, मैं आपको बताती हूं कि कैसे। अब, मैं एक बीमार व्यक्ति पर  अपना हाथ रखती हूँ। अब यहां मैंने इसे रख दिया और वह इस हिस्से में पीड़ित 

 है, उसे थोड़ी परेशानी है। क्या होता है? ये तरंगें, वे वहां से गुजरती हैं और जो तरंगे  आपके भीतर सो रही हैं, उन्हें पुनर्जीवित कर देती हैं। और वे जागृत होने लगती हैं और वे शक्तिशाली होने लगते हैं। अब वे अन्य अभिव्यक्त स्पष्ट तरंगों को उत्पन्न करती हैं, जिससे व्यक्ति ठीक हो जाता है।

उदाहरण के लिए हम इस तरह से रखते हैं। अब यहाँ रक्त का थक्का है, वहाँ कोई रक्त प्रवाह नहीं है। तुम अपनेचैतन्य वहां लगाओ। क्या होता है, कि रक्त का थक्का घुलने लगता है क्योंकि रक्त की घुलनशीलता विटामिन K से है . और विटामिन K उत्तेजित हो जाता है क्योंकि ये चैतन्य उसी से गुजरते हैं। और बाद में भी विटामिन K उन सूक्ष्म तरंगों से उत्साहित होता है जो पुनरावृत्ति कर रही हैं और इस प्रकार यह काम करता है। लेकिन आप यह देख नहींपाते। सिर्फ वे काम करते हैं। वे अदृश्य हैं। लेकिन वे वहां मौजूद हैं। उन्हें दर्ज कर पाना असंभव है। क्योंकि मनुष्य के पास ऐसा कोई साधन नहीं है। अब कम से कम, भगवान का शुक्र है, वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया है कि जो कुछ भी ध्वनि में होता है हमारे कान सब कुछ रिकॉर्ड करने में सक्षम नहीं हैं। तो, उसी तरह, इन सूक्ष्म तरंगों के कंपन को दर्ज करने के लिए उन्हें रिकॉर्ड नहीं मिला। अब, जब आप लोग, आत्मसाक्षात्कारी लोग ॐ कहते हैं, तो लोग महसूस करते हैं, जब आप ॐ कहते हैं, तो ॐ की ध्वनि तरंगें, आप बस एक ऐसे व्यक्ति पर कोशिश करें जो कुछ दर्द से पीड़ित हैं। ठीक है। अब बस अब तुम अपना हाथ वहाँ रखो और ॐ बोलो। कोशिश करो

(संगीत)

मैं सबसे पहले आपको मेरी मुलाकात के बारे में बताना चाहती हूं और गांधी इतना महत्वपूर्ण क्यों है। शायद आपने कभी महसूस नहीं किया होगा, गांधीजी कितने जबरदस्त साधन थे। सात साल की उम्र में उन्होंने मुझे मेरे परिवार से उठाया था और मैं उनके साथ बहुत, बहुत नजदीक, बेहद करीबी के साथ रही, और वे मुझे नेपाली कहकर बुलाते थे। वो मेरा नाम था। और हर कोई मुझे इसी नाम से जानता था। 40 साल बाद, या 45 साल  कि अचानक मैं उनके ही बेटे की शादी में मिली। और मैं उनके पास गयी। मैंने देखा तुरंत उन्होंने मुझे पहचान लिया। उन्होंने कहा, “क्या, नेपाली, तुम यहाँ कैसी हो?” और बस मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। वह गांधीजी थे। वह एक जबरदस्त कठोर गुरु भी थे और मैं हमेशा कहती थी कि, “आप स्वयम कठोर हो सकते हैं लेकिन आप सभी लोगों के साथ कैसे कठोर हो सकते हैं?” वह हमें 4 बजे उठाते थे। मेरे लिए चार पर उठना बहुत आसान था क्योंकि आप देखते हैं, मेरे शरीर में कोई आदत नहीं थी। मैं किसी भी समय उठ सकती हूं और किसी भी समय सो सकती हूं। लेकिन मैं दूसरों के लिए बोलती हूं … चार बजे उठते हैं, और उन्हें अपने मंदिरों की सफाई करनी होती थी, उन्हें यहां तक ​​कि उन्हें कभी-कभी बाथरूम और शौचालय और हर चीज को अपने हाथों से साफ करना पड़ता था।

वह एक जबरदस्त कठोर गुरु लेकिन बेहद प्यार करने वाले और दयालु व्यक्ति थे। वह, जैसा कि अभी-अभी, जैसा कि सभी ने कहा है, वह निश्चित रूप से हमेशा मुझसे इस तरह से बात करते थे जैसे कि मैं एक दादी थी, आप देखते हैं, और वह मेरे साथ चीजों पर चर्चा करते थे, एक तरह से अन्य सभी के लिए आश्चर्य की बात थी, जैसे मैं बड़ी थी और सबके लिए समझदार थी और वह मुझ से पूछते थे । और वे कहते थे कि, बड़े लोगों की तुलना में कुछ बच्चों से बेहतर तरीके से मार्गदर्शन लिया जा सकता है। यहां तक ​​कि जब मैं फिर से गामालाशा (?) गयी, तो मेरे पति ने मुझे वही बात कही, “क्या आपको याद है कि वह ऐसा ही कहते थे।” मैंने कहा, “मुझे वह याद है।”

लेकिन किसी तरह उन्होंने मुझे पहचान लिया था और देखिये, वह मेरे बारे में जानते थे,  … उन्होंने मुझे पहचान लिया था, और किसी भी तरह जो हम नहीं समझ पाते, जिसके द्वारा कुछ लोग थे … (बड़ा हिस्स्सा अश्रवणयी ) … (?) ऐसे लोग थे जो बिल्कुल… (?) के क्षेत्रों में खड़े थे। वे ऐसी कोई भी बात नहीं करेंगे जो स्वयम उनके लिए गलत हो। पहली बात, उन्हें अपने आप को इस तरह रखना था, धर्म में। और गांधीजी वास्तव में… (?) और हमसे पूछते थे… (बड़ा भाग अश्रव्य)।

वह एक जबरदस्त व्यक्तित्व थे। और जो चीज मैंने उससे सीखी है, मुझे कहना चाहिए, वह उन चीजों में से एक थी जिसे अन्यथा मैं कभी नहीं समझ सकती थी, वह है जनता के पैसे के प्रति समझदारी । वास्तव में मुझे पैसे की कोई समझ नहीं है, मैं ऐसी हूं … (?)। मुझे नहीं पता कि बैंक क्या है, मुझे नहीं पता है कि चेक कैसे नकद करना है। पता है, मुझे अभी भी , मेरा मतलब है, मेरे पास बहुत सारे चेक हैं, लेकिन मुझे नहीं पता कि यह कैसे नगद भुनाना है। आज भी अगर आप मुझे सिखाना चाहते हैं तो मैं नहीं सीख सकती हूँ । मैं उसमें अच्छी नहीं हूं। लेकिन मैंने गांधीजी की सार्वजनिक धन के प्रति भावना को देखा है। वह इतने तेज, इतने सूक्ष्म इतने कुशाग्र थे कि, जो कोई भी उसके साथ रहा है , मैं नहीं समझ पाती कि कैसे वे इस तरह से जनता के पैसे को घटिया व्यवहार में ले सकते हैं।

एक बार हमारे यहाँ जब सभी बड़े नेताओं की एक बैठक हुई और वे नंदी आश्रम आए, जहाँ हम सभी लड़कियाँ ठहरी थीं और कुछ लड़के वहाँ थे जो, उनकी देखभाल कर रहे थे, उन्हें पम्फलेट और चीजें दे रहे थे, और अचानक गांधीजी को एहसास हुआ कि यह बहुत देर हो चुकी है और उन्हें चाहिए की दोपहर का भोजन आश्रम में ही करें। तो उन्होंने कहा कि, “क्यों नहीं आप दोपहर का भोजन यहीं करते ?” उन्होंने कहा, “सब ठीक है, अगर आपको लगता है आप लोग लेंगे, सब ठीक है।” तो वह उठ गये, उनके  पास हमेशा चाबियाँ रहती थी| क्योंकि … वहाँ की अन्य कार्यकर्ता नहीं था। इसलिए वह नीचे आये और उन्होंने हमसे कहा, “हमें उनके लिए भोजन तौलना और बाहर ले जाना है।” इसलिए तब हमें वहां मौजूद लोगों की संख्या के हिसाब से तौल करना था। उन्होंने कहा, “मैं एक, भक्त पाव्या ‘हूं आपको उचित रूप से सब कुछ तौलना चाहिए और इसे बाहर निकालना चाहिए। ” और फिर उन्हें यह सब करने में लगभग 15 मिनट लगे। फिर से उन्होंने टुकड़ा लिया, उसे वापस रखा और अपने काम पर चला गया।

मुझे लगता है कि यह मौलाना आज़ाद या कोई ऐसा व्यक्ति था जिसने कहा था, “बापु मैं कभी नहीं करता, हमारा यह मतलब नहीं था कि आपको हमारी खातिर इतनी परेशानी में डाला जाए। हम थोड़ी देर बाद वापस जा सकते थे और… ” उन्होंने  कहा, “तकलीफ क्या तकलीफ ? नहीं।” “जिस तरह से आप उठे और सब कुछ करना पड़ा ?), आप इसके बारे में बहुत सतर्क और सावधान हैं।” आपको पता है कि उन्होंने  कहा था कि आप जानते हैं, “यह मेरे लोगों का खून है। मैं इसे बर्बाद या किसी भी तरह से व्यर्थ करने की अनुमति नहीं दे सकता। ”

जरा सोचिए उन्होंने कहा, “निभानी दानी मीरा दरोगा ” मेरा मतलब है कि मैं उनकी समझ को नहीं भूल सकती। और यहां तक ​​कि मैंने श्री शास्त्री को भी ऐसा करते देखा है। मेरा मतलब है, डबल स्टैंडर्ड जैसा कुछ नहीं था। इसके विपरीत, आप उनके जितना करीब आते हैं, आप उनका अधिक सम्मान करते हैं, क्योंकि वे बहुत साफ और इतने साफ हैं, और उन्होंने सोचा कि वे उस स्वच्छता और उस मानक को बनाए रखते हैं। हम वास्तव में बहुत भाग्यशाली हैं कि हमारे देश में ऐसे महान लोग पैदा हुए हैं। केवल परेशानी यह है कि हम भूल गए हैं कि उन्होंने क्या महान योगदान दिया है, कि गांधीजी ही थे जो इस धरती पर आए थे ताकि हमें इस प्रभुत्व से बचाया जा सके। ऐसे अनूठे तरीके से उन्होंने सहज योग के लिए आधार बनाया। वास्तव में हर तरीके से उन्होंने बनाया। उदाहरण के लिए यदि आप उनके विचारों, आर्थिक विचारों को देखते हैं, तो पूरी तरह सहज के अनुरूप हैं।

अब औद्योगिक क्रांति और औद्योगिक क्रांति के बाद जैसा कि वे इसे पश्चिम में कहते हैं, लोग आक्रामक अर्थव्यवस्था बनाने में इतने आगे बढ़ गए हैं कि वे उस ढंग से चकित हैं जिस तरह कि अब उन देशों में चीजें काम कर रही हैं। उद्योग, मशीनरी के साथ शुरू हुई आक्रामकता का रुख अब खुद मानव की ओर है। इंग्लैंड जो अन्य सभी जगहों में सबसे शांत देश है में, आप आश्चर्यचकित होंगे, इंग्लैंड में, हर हफ्ते दो बच्चों को उनके माता-पिता द्वारा मार दिया जाता है। क्या तुम कल्पना कर सकती हो? अच्छे बच्चे। वे नाजायज बच्चे नहीं हैं। इस आक्रामकता से कोई भी परिवार सुरक्षित नहीं है|

आक्रामकता का रुख अब स्वयं की ओर है, बिल्कुल आत्म-विनाशकारी है। मशीनरी, जिस बच्चे ने चीजों को बनाना शुरू किया, उसने इंसानों को भी मशीन बना दिया, और इन मशीनों के भीतर कोई भावना नहीं थी और भावनाएं सूखने लगीं और इस हद तक सूखने लगीं कि इंसान भावन विहीन हो गया। उनमें कोई भावनाएं नहीं बची है।

मुझे नहीं पता कि क्या गांधीजी इसे इस हद तक समझ सकते थे क्योंकि आप जानते हैं, एक संत के लिए बुरी शक्तियों को देख पाना मुश्किल है की, वे कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह बहुत कठिन बात है। उन्होंने इसके बारे में कुछ देखा, इसलिए वह चेतावनी दे रहे थे कि, “भारी उद्योगों की तरफ मत जाओ। भारी उद्योग बहुत खतरनाक हैं। ” और उन्होंने बाहर फेंक दिया … जिसने उद्योगों में जगह रखने की कोशिश की।

पश्चिम में यह सब उन्नति के साथ, आपको आश्चर्य होगा कि हालत ऐसी है कि आपको कुछ भी ताज़ा नहीं मिल सकता है। आपको जो भोजन मिलता है वह बिलकुल भी ताज़ा नहीं है। लेकिन भगवान जानते हैं कि उन्होंने किस तरह की केमिस्ट्री को अपनाया है, कि हर समय आपको लगता है कि आप रसायन खा रहे हैं। आपको नहीं लगता कि आप कोई खाना खा रहे हैं।

यदि आप लोगों से बात करते हैं, तो आपको लगता है कि वे चकराए हुए या स्तब्ध हैं, वे एक दूसरे से हैरान और भयभीत हैं। कोई प्रेम नहीं है, कोई भरोसा नहीं है, कोई लेना-देना नहीं है। यह एक हास्यास्पद रूप से बेतुका समाज बनाया गया है,  हम तथाकथित विकासशील देशों के लिए यह देखना महत्वपूर्ण है कि, जहां तक वे गिर गए हैं, यह देखना कि वे किस खाई में चले गए हैं और अपने आप को देखें और देखें कि आप क्या उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं |विज्ञान और इन देशों की इन औद्योगिक उपलब्धियों का उपयोग हमारी उन्नति के उपकरण के रूप में करने की कोशिश करते  हैं, आपको पता होना चाहिए कि वे हमें पूरी तरह से नष्ट कर सकते हैं क्योंकि इसने उन लोगों को भी नष्ट कर दिया है।

विनाश बाहर से इतना नहीं है। बेशक यह एक तरह से है, जिस तरह से हमने हिरोशिमा और वह सब बनाया है, लेकिन विनाश भीतर से है और यह विनाश इतने बड़े तरीके से हो रहा है कि अब इसे रोकना असंभव है। केवल एक ही तरीका है कि पूरी चीज़ को एक नए आयाम में बदल दिया जाए, जिससे आप इसे नियंत्रित कर सकें और यह केवल सहज योग के माध्यम से संभव है। भगवान का शुक्र है, मेरे पति चुने गए और मैं लंदन चली गई, कि अब हमारे पास एक आधार है।

बज़ नबी[?) आप चकित होंगे, यह सब एक के बाद एक, विभिन्न चक्रों पर आधारित है। वह सब बज़ नबी एक के बाद दूसरे पर शुरू होगा। यह वैसा ही है जैसे हम अपनी कुंडलिनी जागरण के लिए करते हैं। यह एक के बाद एक, एक चक्र से दूसरे चक्र तक, दूसरे चक्र से दूसरे चक्र तक पर आधारित है, हालांकि उन्होंने किसी और चीज का उल्लेख नहीं किया है। इसके अलावा, हम सहज योग में, हमें सभी अवतारों का, सभी नबियों का, सभी महान आदि गुरुओं का ध्यान रखना है, जो इस धरती पर आए थे और कुंडलिनी की विभिन्न गतिविधिओं के अनुसार समायोजित होते हैं। क्योंकि सहज योग के अनुसार ये सभी अवतार हमारे भीतर हैं और वे हमारी मदद करते हैं और हमें उन्हें जगाना होगा।

गांधीजी ने जो कुछ किया है, हमें बताया है कि हमें चारों ओर देखना है, हमें बाइबल को जानना है, हमें गीता को जानना है, हमें इन सभी महान शास्त्रों और महान लोगों को जानना और एकीकृत करना है।

बेशक, वह भूमिका मेरे लिए बची हुई है, जो वह करना चाहते थे, उसको धरातल पर लाना। हालांकि उन्होंने निश्चित रूप से आर्थिक रूप से, फिर राजनीतिक आधार भी, तैयार किया उन्होंने कभी आक्रामकता में विश्वास नहीं किया। कभी नहीँ। और उन्होंने कहा कि भागीदारी को लाया जाना चाहिए। उनका हमेशा मानना ​​था कि पूंजीवाद को भी आत्मज्ञान के माध्यम से जीतना चाहिए।

हालांकि वे पूरे देश को बचाने के इस आपातकालीन काम में इतने व्यस्त थे, कि वह सहज योग के सूक्ष्म पक्ष पर ज्यादा ध्यान नहीं दे सके, जिसे मैं ‘कुंडलिनी का जागरण’ या ‘आत्म बोध’ कहती हूं। लेकिन उन्होंने हमेशा बात की, उन्होंने हमेशा इसके बारे में कहा। सबसे अधिक आश्चर्य की बात यह है कि मैंने अभी तक केवल उन्ही को देखा है जो आत्म-बोध नहीं कर रहे थे, लेकिन वह इसके बहुत करीब थे और यह स्पष्ट रूप से देख सकते थे कि आत्म-बोध ही मनुष्य की मुक्ति का एकमात्र तरीका है। उनके मूल्य और उनकी शैलियाँ इतनी सही थीं।

एक माँ के रूप में भी, मैं एक बच्ची थी लेकिन मैं हर समय एक माँ थी और मैं हमेशा महसूस करूँगी कि गांधीजी थोड़े अधिक सख्त थे और मैं यह कहा करती थी कि, “आप बहुत सख्त हैं, मैं इसे सहन नहीं कर सकती” और मेरी आँखों में आँसू आ जाया करते थे। मैंने कहा, “यह थोड़ा अधिक ही है।” उन्होंने कहा “नहीं”। हम आपातकाल में हैं। हमें अनुशासित रहना होगा। हमें अनुशासित होना होगा और हमें उन्हें कहना होगा। ”

इसलिए एक बार मैंने उनसे कहा, “बापु, अगर आप लोगों को अनुशासित करना चाहते हैं, तो उन्हें भीतर से अनुशासन क्यों न दें?” उन्होंने कहा, “हम उनके स्थान को कैसे प्राप्त करें?” मैंने कहा, “यह बहुत आसान है। आप कर सकते हो।” उन्होंने कहा, “अभी नहीं। अभी नहीं। सबसे पहले, हमें स्वतंत्र होना चाहिए। यदि आप स्वतंत्र नहीं हैं, तो हम क्या आनंद ले सकते हैं? हम इसके बारे में बात नहीं कर सकते। लोग कहेंगे कि हम आजाद भी नहीं हैं। हम आत्मा की स्वतंत्रता की बात कैसे कर सकते हैं? हमें विदेशी प्रभुत्व से मुक्त होना चाहिए। ”

मैं कहूँगी की, आपातकालीन स्थिति में हम पार करने के लिए नाव का उपयोग करते हैं, फिर हम नाव को अपने सिर पर नहीं ले जाते हैं लेकिन हम अपने पार करने के अनुभवों को ले जाते हैं और वे अनुभव बहुत शानदार हैं। और गांधीजी के बारे में महानता यह थी कि उन्होंने केवल अपने व्यक्तिगत चरित्र और अपने गतिशील, बिल्कुल गतिशील नेतृत्व द्वारा महान रचना की|और जिस क्षेत्र में ऐसा हुआ है, मैंने उन लोगों को देखा है कि वे बिल्कुल नैतिक उच्च आचरण के थे। आप विश्वास नहीं कर सकते कि वे कितने बलिदान थे। मैंने अपने पिता को देखा है, तो आज मुझे लगता है कि वह एक महान व्यक्ति थे, अगर मैं आपको बताऊं कि वह कितने महान थे। मेरा मतलब है, हर तरह से, मैं एक नेता के रूप में उनके जीवन में एक भी दोष नहीं पा सकती हूं।

लेकिन आज यह बहुत अलग और बहुत दुखद है कि जो लोग गांधीजी के अनुयायी माने जाते थे, उनके अनुयायी … एक अन्य दिन मैंने किसी से बात की कि, “हम बुनियादी शिक्षा से क्यों न शुरू करें क्योंकि हम शहरों में नहीं रहते हैं। हमें यह शिक्षा क्यों पानी चाहिए? यह गांवों में अनुकूल नहीं है। ” तो उन्होंने कहा, “वह बहुत अलग है, यह बहुत अलग है” और वह सब। मैं आश्चर्यचकित थी, वह एक गाँधी वादी था, वह कैसे ऐसी बात कर सकता है?

भारत में गांधीजी के तरीकों को अपनाना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है। जैसा कि ग्रीगोइरे ने आपको बताया, मैं चीन गयी हूं और माओ ने निश्चित रूप से गांधीजी का अनुसरण किया है। उन्होंने गांधीजी ने जो कुछ भी किया है, उसकी नकल की है। मैं अचंभित थी क्योंकि जब मैं वहां थी तो मैंने भी देखा था ………… उसके द्वारा अभ्यास किया जा रहा था। गांधीजी ने जो कुछ भी सोचा था, वह सब उन्होंने किया है और उन्होंने चीन को बेहतर बनाया है। और आज चीन बाघ की तरह है। लोग डरते हैं। आप देखिए, यह बाघ अब जाग गया है। अब यह क्या करने जा रहा है? इसे अपनी शक्ति मिल गई है। और यही गांधीजी ने सपना देखा था। कल्पना कीजिए कि माओ ने इसका इस्तेमाल किया तो हमारे लोगों को क्यों नहीं करना चाहिए? मुझे नहीं पता की मुझे नौकरशाहों या कांग्रेसियों या उन राजनेताओं को दोष देना चाहिए जिन्होंने कभी नहीं समझा कि गांधीजी सबसे व्यावहारिक व्यक्ति थे और अब सहज योग मुझे यकीन है कि उनके तरीकों को फिर से स्थापित करेगा। निश्चित तौर पर इसे स्थापित किया जाना है। बहुत अधिक मांगना, बहुत अधिक विस्तार, बहुत अधिक भौतिकवाद आपको भोतिकता का दास बनाता है।

आप आश्चर्यचकित होंगे, हमें गरीब लोग माना जाता है लेकिन हम नहीं हैं लंदन या अमेरिका में, अमेरिकी लोग ऐसे कंजूस लोग हैं कि मैं बिल्कुल हैरान हूं। बिल्कुल आश्चर्यजनक रूप से कंजूस । य्सदी कोई हमारे घर आता है तो उस पर हमारे लिए पाँच रुपये खर्च करना कुछ भी नहीं है, लेकिन अमेरिकी ऐसे कंजूस लोग हैं, भले ही उन्हें एक रुपया खर्च करना पड़े, लेकिन वे दस बार सोचते हैं। इंग्लैंड में भी मुझे यही  लगता है। और अन्य स्थानों पर भी ऐसा ही है। बुरी तरह से कंजूस , मितव्ययी लोग।

मैं ऐसे लोगों को जानती हूँ , अगर आप उनके घर जाते हैं तो वे सिर गिनते हैं और आपको उसी हिसाब से सैंडविच देते हैं। भयंकर! और वे इस तरह से हास्यास्पद व्यवहार करते हैं। हर समय वे पैसे के बारे में सोच रहे हैं, इस पैसे को कैसे बनाया जाए, उस पैसे को कैसे बनाया जाए, इसे कैसे रखा जाए। आप कल्पना नहीं कर सकते, इस संपन्नता ने उन्हें इतना कंगाल बना दिया है। बिलकुल बेतुका।

मैंने हमेशा ऐसा सोचा कि इन भौतिक लाभों के माध्यम से वे संतुष्ट लोगों की तरह बन सकते हैं और  भौतिकवाद को कम अपनाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं है। इसके ठीक विपरीत है। लोगों ने भौतिकवाद को एक धर्म के रूप में ले लिया है और यह बहुत ही भयावह है, यह इतना पागल कर देने वाला है की आप इसे नहीं अपना सकते। उनके पास भौतिकवादी विचार हैं,आपके पास  मूल्य हैं। यह ऐसी पागल दुनिया है कि अगर आप वहां रहते हैं, तभी यह एहसास होता है कि वे कितने पागल हैं।

परिणाम स्वरूप यहाँ के लोग,आप देखिये, वे विद्रोह करते हैं। वे इसे और सहन नहीं कर सकते थे। वे कहते हैं, “हम इससे बाहर निकल जाएंगे।”

लेकिन फिर भी भौतिकवाद के चंगुल इतने महान हैं कि उन्हें उनके साथ रहना पड़ता है और उन्हें यह बहुत मुश्किल लगता है। सहज योग के माध्यम से ही वे अपने आप को स्थापित कर पाए हैं और खुद को स्थिर कर पाए हैं। मैं कहूंगी कि ये महान अग्रणी हैं जो पूरे पश्चिम को बदल देंगे। वे कल के सुंदर पश्चिम की नींव हैं, अन्यथा पश्चिम अब एक बंजर भूमि है, मैं आपको बता सकती हूँ कि एक बंजर भूमि के अलावा कुछ भी नहीं है। मुझे उम्मीद है कि ये लोग सही तत्परता से सहज योग को पायेंगे और सहज योग का संदेश फैलाएंगे और उस माहौल को अभी बनाएंगे जैसा कि डॉ। ………। कह रहे थे, इन सभी पश्चिमी देशों में सौंदर्यीकरण, परिवर्तित वातावरण के बारे में काम करते हैं, इसे बाहर निकालते हैं और एक नई दुनिया की सुबह लाते हैं जिसमें हम सभी एक साथ मनुष्य और वास्तविक भाई-बहन के रूप में रहते हैं।

सहज योग ने मानवता के लिए एक महान सेवा की है और इसने आपको अपने भीतर अंतर योग दिया है। इसने आपको सहज योगियों के बीच में अंतर योग दिया है। और यह इतना महान है कि इनमें से कुछ लोग कई बार भारत में रहे हैं। वे कभी भी भारतीयों के करीब नहीं आ पाए क्योंकि जिनसे वे मिले थे, उन भारतीयों का पश्चिमीकरण हो चूका था …. उनके पास वैसे ही विचार, दर्शन, वही सब कुछ था, और वे पश्चिम से आसक्त थे और वे सिर्फ पश्चिमी संस्कृति और पश्चिमी तरीके की प्रशंसा कर रहे थे। लेकिन पहली बार, अब जब वे आये हैं,  वे कहते हैं,तो वे भारतीय धार्मिक लोगों में गए और जिस तरह से वे आए हैं और इन सभी ग्रामीणों को गले लगाया और जिस तरह से उन्होंने एक साथ नृत्य किया और जिस तरह से उन्होंने आनंद लिया, यही असली अंतर योग है, उन सभी के बीच वास्तविक प्यार, वास्तविक आनंद और वास्तविक खुशी जो कोई एक महसूस करता है। यह सिर्फ आदर्श चीजों की बात या कहानी नहीं है कि, “हम भाई-बहन हैं” और आप सुन रहे हैं कि आप सभी भाई-बहन हैं, बल्कि आप, जो आप बन गए हैं, उसका यह अहसास प्रत्यक्ष है | आप इसे किसी अन्य व्यक्ति की मदद करने से नहीं रोक सकते।

उदाहरण के लिए, अगर मैं यहां बैठी हूं और अगर मैं कहती हूं कि मैंने इलाज कर दिया है, तो मैं ठीक नहीं कह रही हूं। मैं यह आप में से किसी के लिए नहीं कर रही हूं, मैं यह इसलिए कर रही हूं क्योंकि आप सम्पूर्ण में मेरे अंग-प्रत्यंग हैं। अगर मुझे सब ठीक महसूस करना है तो मुझे अच्छी तरह से इलाज करना ही होगा। मैं तुम्हें अपने भीतर महसूस कर सकती हूं। यह सामूहिक चेतना का बोध है। और एक बार ऐसा होने के बाद, आप सिर्फ एकाकारिता को महसूस करना शुरू करते हैं।

और आज मैं सहज योग के माध्यम से आपसे सामूहिक चेतना के बारे में बात करने जा रही हूँ। हम इसे कैसे प्राप्त करते हैं, यह एक बोध है, ब्रेनवाश या व्याख्यान नहीं। यह फर्क है जिस तरह से लोग बाते करते रहे हैं ,घटित होने के पहले हम बात करते हैं| के बात करने के तरीके में अंतर है, हम ऐसा घटित होने से पहले बात करते हैं। लेकिन अब समय आ गया है, यह होना ही है।