Navaratri Celebrations

मुंबई (भारत)

1979-09-28 Kundalini And Kalki Shakti, Mumbai, India, 45' Download subtitles: EN,FI,FR,HU,PL,RU,SK,TR,ZH-HANS,ZH-HANT (10)View subtitles:
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             कुंडलिनी और श्री कल्कि के बीच संबंध

  अंतिम से एक रात पूर्व नवरात्रि

 बॉम्बे (भारत),

28 सितंबर 1979।

आज मैं आपकी इच्छानुसार अंग्रेजी भाषा में आपको संबोधित करने जा रही हूं। कल भी, शायद, हमें इस विदेशी भाषा का प्रयोग करना पड़ सकता है। आज का विषय है, कुंडलिनी और कल्कि के बीच संबंध|

कल्कि शब्द वस्तुत: निष्कलंक का संक्षिप्त रूप है। निष्कलंक का अर्थ, मेरे नाम के समान ही है, अर्थात निर्मला:, तात्पर्य यह बेदाग स्वच्छ है, कुछ ऐसा जो बेदाग हो, निष्कलंक ऐसा स्वच्छ है, जिस पर कोई धब्बा नहीं है। अब इस अवतार का – अनेकों पुराणों में वर्णन किया गया है कि -वे  इस धरती पर सफेद घोड़े पर सवार होकर आएंगे, संभलपुर के एक गांव में, ऐसा वे कहते हैं, संभलपुर।

यह बहुत दिलचस्प है कि किस प्रकार लोग हर चीज को इतने शाब्दिक रूप में ले लेते हैं। सम्भाल शब्द का अर्थ इस प्रकार है…, भाल अर्थात माथा, सम्भाल का अर्थ है उस अवस्था में। अर्थात कल्कि आपके भाल पर स्थित है। भाल मतलब माथा। और यहीं उनका जन्म होने वाला है। संभलपुर शब्द का वास्तविक अर्थ यही है।

ईसा मसीह और उनके विनाशकारी अवतार महाविष्णु जिन्हें कल्कि कहा जाता है, के बीच में एक काल खंड है जिस में मनुष्य को खुद को सुधारने के लिए समय दिया गया है, ताकि वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकें, जिसे बाइबिल में लास्ट जजमेंट कहा जाता है कि, तुम्हारा न्याय किया जाएगा, तुम सब का, इस पृथ्वी पर न्याय किया जाएगा।

वे ऐसा बताते हैं कि, विश्व की जनसंख्या सबसे अधिक है, क्योंकि वे सभी, व्यावहारिक रूप से वे सभी जो परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने की आकांक्षाएँ लिए थे, आधुनिक समय में पैदा हुए हैं और बहुत जल्द पैदा होने जा रहे हैं।

यह सबसे महत्वपूर्ण समय है क्योंकि सहज योग अंतिम न्याय है। यह सुनने में शानदार है, लेकिन यह एक तथ्य है और सच्चाई है। हालाँकि आप समझ सकते हैं कि माँ का प्यार आपके लिए अपने आत्म-बोध तक पहुँचना बहुत आसान बना देता है और ऐसा है कि अंतिम न्याय की पूरी कहानी, जो अत्यंत भयानक अनुभव प्रतीत होती है, को बहुत सुंदर और बहुत कोमल और नाजुक बनाया गया है और आपको परेशान नहीं करती है . लेकिन यह आखरी न्याय है, मैं आपको बताती हूं, और आप सभी को सहज योग के माध्यम से आंका जाएगा, कि आप परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं या नहीं।

अब, सहज योग में, लोग विभिन्न प्रकार के ध्यान, या चित्त के साथ आते हैं। ऐसे लोग हो सकते हैं जिनके बहुत अधिक तामसी कृत्य हो, या जिसे हम जड़ता कहते हैं या अत्यधिक सुस्त या धीमी गति से चलने वाले स्वभाव वाले हो सकते हैं। ये प्रवृत्ति जब अत्यधिक बढ़ कर पेश होती हैं, तो लोग स्पिरिट या शराब या कुछ ऐसी चीजों को अपनाते हैं, जो आपको वास्तविकता से दूर ले जाती हैं और आपको भीतर से सुन्न कर देती हैं।

दूसरा पक्ष है, जैसा कि आप जानते हैं, दाएँ तरफ प्रवृतियों वाले लोग हैं, जिनकी बहुत अधिक महत्वाकांक्षाएँ हैं। वे अत्यंत महत्वाकांक्षी लोग होते हैं; वे पूरी दुनिया को जीतना चाहते हैं, और वे अपने दम पर कुछ स्वतंत्र, घातक, असाध्य और कैंसरयुक्त बनना चाहते हैं। वे संपूर्णता से कोई संबंध  नहीं रखना चाहते हैं।

इस कलियुग में आप देख सकते हैं कि कैसे लोग अति तक चले गए हैं। उनमें से कुछ बहुत अधिक शराब की लत में लिप्त हैं, या आप इसे कुछ ऐसा कह सकते हैं जैसे उनका अपनी जागरूकता से, अपने आप से, सत्य से, सुंदरता से  दूर भागना हो । दूसरे इसे नकार रहे हैं। वे हर उस चीज़ को नकार रहे हैं जो सुंदर है और वे अहंकार-उन्मुख है।

तो हमारे पास ऐसे लोग हैं जो प्रति-अहंकार उन्मुख हैं: बहुत अधिक जड़वादी, और सुस्त, और आलसी, और बिल्कुल आदिम। दूसरा पक्ष यह है कि हमारे पास ऐसे लोग भी होते हैं जो बेहद महत्वाकांक्षी हैं, हावी हैं और अपनी महत्वाकांक्षा और प्रतिस्पर्धा वश एक दूसरे को नष्ट कर रहे हैं।

इन दो प्रकार के अतिवादी लोगों का सहज योग में प्रवेश करना काफी कठिन होता है, लेकिन जो लोग मध्य में होते हैं वे सहज योग में आसानी से समाहित हो जाते हैं। इसके अलावा, जो लोग कम जटिल, सरल हृदय वाले हैं, जैसा कि वे गांवों में हैं, सहज योग द्वारा बहुत आसानी से अवशोषित कर लिए जाते हैं, और वे बिना किसी कठिनाई के इसे अपना लेते हैं। जैसे, शहर में तुम मेरे इतने कार्य का फल देख सकते हो कि आज मुश्किल से दो-तीन सौ लोग यहाँ हैं। लेकिन अगर मैं एक गांव में जाती हूं, तो पूरे गांव, जैसे, पांच से छह हजार लोग घेर लेते हैं, और उन सभी को बिना किसी कठिनाई के आत्मसाक्षात्कार मिल जाता है। चूँकि माना जाता है कि, यहाँ के लोग बहुत व्यस्त होते हैं, उनके पास पहले से ही कई धंधे होते हैं। उनका विचार होता है  कि परमेश्वर प्राप्ति की चाहत और परमेश्वर को खोजने जैसे कामों में अपने समय की बर्बादी की तुलना में अन्य चीजें कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं ।

ऐसी परिस्थितियों में, सहज योग सभी साधकों के हृदय में बहुत ही मधुरता से अपनी जड़ें जमा लेता है। यह बहुत सहजता से काम करता है। आप बिना किसी कठिनाई के, बिना किसी प्रयास के, बिना इसके लिए कोई भुगतान करे, किसी भी प्रकार के कठिन अभ्यास में गए बिना अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर सकते हैं।

लेकिन जब हम कल्कि की बात करते हैं तो हमें यह याद रखना चाहिए कि आत्मसाक्षात्कार पाने और ईश्वर के राज्य में प्रवेश करने के बीच हम बहुत डगमगा सकते हैं। इसे योगभ्रष्ट स्थिति (योग से पतित होने की अवस्था) कहा जाता है। लोग योग को अपनाते हैं, वे योग में आते हैं और फिर भी अपनी प्रवृत्तियों में लिप्त होते हैं। उदाहरण के लिए, एक अहं-उन्मुख व्यक्ति या एक धन-उन्मुख शख्स या एक हावी होने को आतुर शख्स है, वह लोगों का एक समूह बना सकता है, जिस पर वह अपने विचारों से हावी हो सकता है और पतन के लिए अग्रसर हो सकता है, और बाकी लोग भी पतन 

 में चले जाएंगे। खुद सहज योग में ही, बंबई में, ऐसा बहुत बार होता रहा है; यह एक बहुत ही सामान्य बात है जो चलती रही है। लेकिन इसे योगभ्रष्टता कहा जाता है, जहां एक व्यक्ति अपने योग से गिरता है, वह अपने योग से  नीचे गिर जाता है – क्योंकि सहज योग आपको सारी स्वतंत्रता देता है, जैसा आप चाहे गिरना हो या ऊपर आना।

लेकिन यदि आप किसी अन्य गुरु के पास जाते हैं, किसी अन्य प्रकार के योग करते हैं जिसमें शुद्धि होती है और जहां लोगों को बचपन से ही प्रशिक्षित और अनुशासित किया जाता है, तो उन योगों में, एक गुरु किसी न किसी तरह से सुनिश्चित करेगा कि आप आहत हों या आप बुरी तरह पीड़ित हों  कि आपके किसी और से कोई लगाव नहीं हों। यह एक ऑपरेशन की तरह है: वे उस व्यक्तित्व को निकाल फेंकते हैं।

लेकिन यहां (सहज योग में)  समझने की आपकी स्वतंत्रता पर छोड़ दिया गया है कि आपको सर्वव्यापी से जुड़े रहना है, आपको समूह में टिके रहना है, आपको सर्वव्यापी से जुड़े रहना है, न कि यहाँ-वहाँ के किसी एक व्यक्ति से जो बाकी लोगों पर हावी होने की कोशिश कर रहा है। 

सहज योग में, जो कोई भी अधिक ही उभरने की कोशिश करता है वह नीचे आ जाता है क्योंकि आपने देखा है कि प्रकृति में, कुछ भी मर्यादा से बाहर नहीं बढ़ता है। जैसे मनुष्य एक निश्चित ऊंचाई के होते हैं, पेड़ एक निश्चित ऊंचाई के होते हैं… सब कुछ नियंत्रित होता है। सहज योग में आप दिखावा करने की कोशिश नहीं कर सकते, न ही आपको कोई अलग समूह या अलग प्रकार की कोई खास चीज बनाने की कोशिश करनी चाहिए। विशेष रूप से मैंने सहज योग में देखा है कि ऐसे लोग हैं जो ऊभर आते हैं और लोगों से अपने पैर छूने के लिए कहते हैं।  सबसे आश्चर्य की बात यह है कि निश्चित रूप से ऐसे लोग बिना देरी के उजागर हो जाते हैं, और कोई भी जान जाता है कि वे गयी-गुजरी स्थिति में हैं क्योंकि उनके चक्र पकड़े हुए हैं, वे बुरी तरह से ग्रसित हो गए हैं। भले ही उन्हें कुछ समय तक महसूस न हो, उनके वायब्रेशन भी हो सकते हैं, लेकिन वे तब तक नीचे और नीचे होते जाते हैं जब तक कि वे पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाते।

अब, यह योगभ्रष्ट स्थिति सबसे बुरी चीज है जो किसी भी शख्स के साथ हो सकती है। सबसे पहले, आपको अपना योग ही नहीं मिलता है। और अगर आप अपना योग प्राप्त भी करते हैं और फिर इस तरह की स्थिति में कूद जाते हैं … जिसके बारे में श्री कृष्ण ने वर्णन किया है कि आप राक्षस योनी (राक्षस योनी ; अर्थात अगली बार आप एक राक्षस के रूप में जन्म लेंगे)।

सहज योग में आने वालों को पता होना चाहिए कि आपको एक बात पर ठीक से टिके रहना है, अन्यथा कौन सी योनी रह गई है? यदि आप योग के बिना मर जाते हैं, तब हो सकता है कि आप फिर से जन्म लें, हो सकता है – बेशक, यह जीवन बर्बाद हो गया हो – लेकिन अगर आप सहज योग में आने के बाद ऐसी तरकीबें आजमाते हैं और दूसरों को इस तरह प्रभावित करने की कोशिश करते हैं कि आप एक बहुत महान आत्म ज्ञानी आत्मा हैं या आप ने यह हासिल किया है और वह हासिल किया है – वही सब बकवास जो आप आत्मसाक्षात्कार तक पहुंचने से पहले कर रहे हैं – तो एक बहुत गंभीर अपराध है और आपको उसके लिए दंडित किया जाता है। यह कल्कि की शक्ति है, जो गुप्त रूप से सहज योग के पीछे काम कर रही है।

उदाहरण के लिए, एक महिला थी जो मुझ से मिलने आई थी, मेरे बारे में कुछ प्रकाशित करना चाहती थी, और उसे किसी भयानक शख्स द्वारा पैसा दिया गया था। और उसने कुछ बकवास प्रकाशित किया, कुछ ऐसा जैसा  मैं कभी नहीं करती। तो हर कोई बहुत नाराज और क्रोधित था और कहा, “माँ, आपको इसे दंड देना चाहिए, और हमें इसे अदालतों में ले जाना चाहिए, आपको मानहानि करनी चाहिए, वगैरह।” मैंने कहा, “मैं अदालत में नहीं जा रही हूं, बेहतर होगा कि आप इन विचारों को छोड़ दें।” लेकिन कोई नहीं सुनेगा, आप देखिए। हुआ यूं कि वह अखबार साढ़े तीन महीने के लिए बंद हो गया और उन्हें इतना बड़ा झटका लगा। बेशक, यह मेरे द्वारा नहीं किया गया है, मैं कहूंगी, जहां तक माताजी निर्मला देवी का संबंध है, लेकिन कल्कि द्वारा किया जाता है। कल्कि का अर्थ है ग्यारह शक्तियाँ जो सहज योग के सौंदर्य की रखवाली कर रही हैं।

जो कोई भी सहज योग के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश करता है उसे बहुत बुरी तरह नुकसान होता है।

तो आज का दिन आपको परमात्मा से खिलवाड़ करने के खतरों के बारे में बताने का है। अब तक लोग उन्हें हल्के में लेते रहे हैं। उन्होंने क्राइस्ट जैसे लोगों को सताया है, उन्होंने बड़े संतों को सताया है। हर समय मनुष्य अत्याचार करता रहा है। और मैं हर व्याख्यान में व्यावहारिक रूप से चेतावनी देती रही हूं कि आज उस चाल को मत आजमाना, क्योंकि कल्कि पहले से ही कार्यरत है! और जो संत है, जो अच्छा आदमी है, उसे परेशान करने की कोशिश मत करो! इसके बारे में सावधान रहें क्योंकि कल्कि कार्यरत है! और एक बार जब यह शक्ति तुम पर आ गई, तो तुम नहीं समझ पाओगे कि खुद को कैसे छिपाना है!

न केवल जो सहजयोगी हैं, बल्कि आज मैं यह पूरे विश्व को कह रही हूँ, कि सावधान! दूसरों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश मत करो! दूसरों का फायदा उठाने की कोशिश मत करो! और अपनी शक्ति दिखाने की कोशिश मत करो! क्योंकि एक बार जब यह विनाश आपके जीवन में शुरू हो जाएगा, तो आप को समझ नहीं आ पाएंगा कि इसे कैसे रोका जाए!

एक बार, मैं गयी थी… मुझे लगता है कि मैंने आपको पहले भी यह बात बताई है कि मैं आंध्र प्रदेश गयी थी, और वहां मैंने लोगों से कहा कि “आपको इस तम्बाकू, तम्बाकू को और नहीं उगाना चाहिए।” और वे मुझ से बहुत खफ़ा थे, क्योंकि वे समझते थे कि यही उनकी जीविका है। वे खूब धन उगाह  रहे थे और सभी प्रकार की चीजों में लिप्त थे, बहुत अधिक धन कमा रहे थे और सभी प्रकार के पाप कर रहे थे।

मैंने कहा, “आप आज इस दुनिया में अपने माथे पर अधिक पाप उत्पन्न करने और अधिक कर्म बांधने के लिए नहीं आए हैं, बल्कि पापों की सफाई करने के लिए आए हैं – पापक्षालना के लिए। तुम यहाँ अपने पापों में बढ़ोतरी करने नहीं आए हो बल्कि उन्हें शुद्ध करने आए हो। यह सफाई का समय है, इसलिए मैं इसे शुद्ध करने के लिए निर्मला के रूप में यहां हूं। जबकि जो आप कर रहे हैं वह अपने पापों को जोड़ने का काम है। इस भयानक तम्बाकू को उगाने से आपको क्या लाभ होने वाला है?” परन्तु उन्होंने मेरी एक न सुनी; और फिर, मेरे तीन व्याख्यानों में – यह टेप पर है, लोग कह रहे हैं – कि मैंने कहा कि “सावधान रहो! समुद्र में स्थित कल्कि आपको मोहलत नहीं देगा! यह आप पर आ जाएगा! और आप जानते हैं कि आंध्र में क्या हुआ।

वैसा ही मोरवी के साथ भी हुआ, मैं आपको बताऊंगी: पिछले साल ही मोरवी से कुछ लोग मुझे  मिले थे, मोरवी के कुछ बहुत बड़े लोग। और वे सभी एक भयानक “संत” में विश्वास करते थे, जो एक भयानक शख्स था और जिसने वास्तव में कई-कई परिवारों को नष्ट कर दिया था। मैंने उनसे कहा, “तुम इस आदमी पर विश्वास क्यों करते हो? वह आपका चित्त भौतिकवादी चीजों की ओर ले जा रहा है। आप उस पर विश्वास क्यों करते हैं? मोरवी के हर घर में इस भयानक “संत” की तस्वीर थी। और जब मैं ने उन से कहा, तब उन्होंने मेरी न सुनी। उन्होंने सोचा कि मैं बस उन्हें इसलिए चेतावनी दे रही थी क्योंकि मैं उस व्यक्ति से ईर्ष्या कर रही थी| और आप जानते ही हैं कि मोरवी के बारे में की क्या हुआ है। यह एक तथ्य है! ये सब बातें अन्य लोगों की उपस्थिति में कही गई हैं, ताकि वे इसे दर्ज कर लें कि किस स्थान पर क्या हुआ है, और माताजी ने कैसे कहा है।

उससे पहले, दिल्ली में भी एक बार मैं वृंदावन के ऐसे कुछ लोगों से मिली थी, जो मुझे पंडों (तीर्थस्थल में अनुष्ठान करने वाले पुजारी, एक नदी की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर, आदि) के बारे में बता रहे थे और ऐसा और वैसा, और मैंने कहा, “आप सभी, अपना पेशा छोड़ दें, आप लोग भयानक हैं! भगवान के नाम पर व्यवसाय करने, पैसे कमाने का आपको क्या अधिकार  है? और वो सारे पंडित और पंडे और ये सारे लोग समाज पर भयानक परजीवी हैं। “तुम अपनी धंधे से बाहर निकलो, या जिस गंगा नदी पर तुम अपना पेट भर रहे हो वह एक दिन तुम्हें पूरी तरह से बर्बाद कर देगी!” और जब यमुना और गंगा में बाढ़ आई, मैं लंदन में थी; मैंने टीवी पर देखा कि ये सभी पण्डे अपने खोमचेऔर सब कुछ लेकर भाग रहे हैं।

बेशक, इन जब आप इन भयानक लोगों के साथ संगति करते हैं, जब आप उनके साथ रहते हैं, तो आप भी पीड़ित होते हैं; निर्दोष पीड़ित हैं। आपको ऐसे लोगों से क्यों प्रभावित होना चाहिए? यही वह चीज है जिसके लिए आपको भुगतना होगा। जब आप प्रभावित होते हैं, तो आप बहुत समझौतावादी हो जाते हैं: “आखिरकार, कोई बात नहीं, हम वहां जा रहे हैं, इसलिए हमें इस बंदे को भी कुछ दे देना चाहिए, यह हमारे पूर्वजों का एक पंडा है, वहाँ बैठकर भीख मांग रहा है, गंगा नदी के सामने बैठ कर। कल्पना कीजिए, प्रेम दाता और आनंद दाता वहां से प्रवाहित हो रहे हैं, और ये लोग नदी की ओर पीठ करके बैठे हैं और ‘आपसे’ पैसे मांग रहे हैं! वे कितने मूर्ख लोग हैं; ऐसे मूर्ख, निकम्मे लोग! और आप उन्हें पैसे देते हैं, और आप सोचते हैं कि आपने उन्हें पैसे दान करके बहुत बड़ा पुण्य किया है!

इस तरह का एक समझौतावादी जीवन हम जी रहे हैं, , यह नहीं समझते कि सत्य क्या है, क्या सत्य नहीं है। एक तरफ इस देश में और पूरी दुनिया में हर तरह की चीज़ों में एक पूर्ण अंधविश्वास चल रहा है, विशेष रूप से इस देश में बहुत अधिक है। हम सीधे-साधे भोले लोग हैं, हमारे भीतर बहुत भावुकता है, यह सच है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें बेवकूफ और मूर्ख होना चाहिए।

उदाहरण के लिए, एक अन्य दिन आवडगाँव नामक स्थान पर एक बैठक में, मैंने कहा कि विठ्ठल के मंदिर (पंढरपुर में विठ्ठल का प्रसिद्ध मंदिर) के इन बडवे (पुजारी जिनका उस मंदिर की आय में पुश्तैनी हिस्सा है) लोगों को अच्छी तरह से दंडित किया जाना चाहिए और उनका कुछ किया जाना चाहिए | जिस तरह से वे कई-कई दिनों तक अपने पैरों पर चल कर वहां जाने वाले इन संतों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं| । और जब मैंने ऐसा कहा तो हर कोई थोड़ा नाराज था, क्योंकि इन गरीबों की दृष्टि में ये बदमाश -( जो की राक्षस  के अवतार हैं) – कुछ महान हैं। वे वहां हजारों मील पैदल चल कर आने वालों के सिर फोड़ देते हैं। वे नारियल की तरह उनका सिर फोड़ देते हैं और उन सभी के सिर में दर्द होता है। वे इन भोले-भाले लोगों पर ऐसी क्रूरता करते हैं! और क्या आपको लगता है कि जब मैं सत्य और धर्म और करुणा के लिए खड़ी हूं तो मुझे उनका समर्थन करना चाहिए? जब मैंने यह कहा, तो आप देखिए, कुछ लोग, जिनका कुछ निहित स्वार्थ था – बडवों के रिश्तेदार होंगे या जो कुछ भी हो – मुझसे नाराज हो गए। लेकिन भगवान का शुक्र है, तीन महीने के भीतर, पूरी चीज ही सरकार ने हस्तगत कर ली थी।

हमारे यहां यह इतना सामान्य है कि हम खुली आंखों से देखते हैं कि क्या हो रहा है, फिर भी हम मंदिरों में वही करते रहेंगे। भगवान के नाम पर भी हम पाप पर पाप कर रहे हैं। हम अपने पापों में पाप जोड़ रहे हैं, और इसे साफ करने और इसे अपने विकसित मस्तिष्क के माध्यम से समझने के बजाय, हम इसमे बढ़ोतरी करते जा रहे हैं। यह मैं उन लोगों को कहती हूं जो तामसी (अज्ञानी, मानसिक अंधकार में हैं), जो अपने दिमाग का उपयोग नहीं करते हैं; वे मूढ़ बुद्धि हैं (अल्पविकसित बुद्धि के)। वे बस किसी का अनुसरण करते हैं क्योंकि वहां किसी प्रकार का सम्मोहन प्रभाव या किसी प्रकार का करिश्माई आंदोलन चल रहा है। पश्चिम में आप देख सकते हैं कि ये करिश्माई लोग उनसे हजारों रुपये ले लेंगे, हजारों रुपये! और वे उन्हें मिर्गी, गैंग्रीन देंगे; यदि नहीं, तो पागलपन, उन्माद – हर तरह की चीजें। परन्तु लोग पागलों की भाँति इन सब आन्दोलनों के पीछे भाग रहे हैं और अपने पापों को साफ करने में कुछ समय व्यतीत करने के स्थान पर अपने पापों के ढेर को, अपने पापों के ढेर में और बढ़ा रहे हैं।

इस बार,  हमें जो मिला है वह सबसे कीमती समय है, और खुद को लेकर बहुत सावधान और सतर्क रहना होगा। इसमें मदद के लिए किसी अन्य व्यक्ति पर निर्भर नहीं होना चाहिए, बल्कि स्वयं को ईश्वर के राज्य में पूरी तरह से समाहित करने का प्रयास करना चाहिए और सर्वशक्तिमान ईश्वर के हृदय में सर्वोच्च आसन हासिल करना चाहिए। क्योंकि जब कल्कि आएंगे तो वे बिना किसी करुणा के इन सभी लोगों का वध कर देंगे! वह किसी भी करुणा से रहित है! उनमें ग्यारह रुद्र हैं, इसका मतलब है कि ग्यारह विनाशकारी शक्तियाँ उनमें पूरी तरह से शक्तिशाली रूप से बसी हुई हैं, और जब मैं वह सब देखती हूँ – क्योंकि मैं वह सब देख सकती हूँ – यह आपातकाल मुझमें बढ़ता है और मैं तुमसे कहती हूँ: इससे सावधान रहो! इसके साथ मूर्खतापूर्ण खेल मत करो! इसे हल्के में न लें और बेहूदा लोगों से समझौता न करें! सत्य पर टिके रहें! नहीं तो वह दिन बहुत निकट है जब कल्कि आने वाले हैं!

दूसरे प्रकार के लोग ऐसे हैं जो सोचते हैं कि उनकी बुद्धिमत्ता का कोई अंत नहीं है। उन्होंने ईश्वर को नकारा है। वे कहते हैं, “ईश्वर कहाँ है? वहां कोई भगवान नहीं है। हम भगवान में विश्वास नहीं करते हैं। यह सब बकवास है, विज्ञान ही सब कुछ है।” विज्ञान ने अब तक क्या किया है? आइए देखते हैं। विज्ञान ने हमारे लिए क्या किया है? विज्ञान ने अभी तक कुछ भी नहीं किया है, उसने केवल मृत कार्य किए हैं। बस इसने आपको अहंकारी बना दिया है। सारा पश्चिम अहंकारी है, वे पाप करने के सब उपाय खोज रहे हैं। सबसे बुरे पाप कैसे करें इसके वे तरीके खोज रहे हैं, और भारत में कुछ गुरु हैं जो ज्ञान की आपूर्ति भी कर रहे हैं कि कैसे और भी बुरे और अधिक बुरे पाप किए जाएं, ताकि वे आसानी से दो दौड़ते छलांग से नरक में जा सकें।

जो गलत है वह गलत है, चाहे वह आज हो, कल हुआ हो, कल हो या हजारों साल पहले हो। आपके धर्म के लिए, आपके पोषण के लिए जो गलत है, वह गलत है! नया मुहावरा है कि “इसमें गलत क्या है? इसमें गलत क्या है?” उस सवाल का जवाब कल्कि ही देंगे।

मैं तुमसे सिर्फ इतना कह रही हूं कि यह गलत है, और यह अत्यंत गलत है, यह तुम्हारे उत्थान के विरुद्ध है, यह तुम्हारे अस्तित्व के विरुद्ध है। और तब आपके पास पश्चाताप करने और यह प्रश्न पूछने का समय नहीं होगा, “क्या हुआ?” आपको काट दिया जाएगा।

यही कल्कि अवतार है। जैसा कि वे कहते हैं, वह एक सफेद घोड़े पर आने वाला है। यह एक जबरदस्त चीज है जो कार्यान्वित होने जा रही है! हर इंसान को छांटा जा रहा है, और फिर कोई भी दावा नहीं कर सकता है!

देखिए, हर चीज का विज्ञापन किया जा रहा है। सब प्रकाशित हो रही है। यहां तक कि यह यंत्र (माइक्रोफ़ोन )जो विज्ञान द्वारा बनाया गया है, हम सहज योग के प्रसार के लिए उपयोग कर सकते हैं। आप जानते हैं कि अगर मैं इसे अपने चक्रों पर रखती हूं, तो आपको चैतन्य प्राप्त होता है और आपको आत्मसाक्षात्कार मिलता है। सारा विज्ञान सहज योग के अधीन है!

जैसे, उस दिन कुछ टीवी वाले आए और उन्होंने कहा, “माँ, हम आपका टीवी  करवाना चाहते हैं।” मैंने कहा, “आप इसे करने से पहले सावधान रहें। मुझे कोई पब्लिसिटी नहीं चाहिए। लेकिन तुम जो भी करो, ठीक से करो। टीवी के माध्यम से हम सहज योग दे सकते हैं। मान लीजिए कि मैं वहां टीवी स्क्रीन पर हूं; मैं लोगों से इस तरह अपने हाथ रखने के लिए कह सकती हूं, और हो सकता है ऐसे हजारों लोग जो केवल टीवी पर देखकर आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर सकते हैं। यह तथ्य है कि यह मेरे अस्तित्व से उत्सर्जित हो रहा है, यह एक तथ्य है! आपको इसके बारे में गुस्सा क्यों होना चाहिए? आप क्यों नहीं आते और इसका परीक्षण करते हैं? आपको क्यों चोट लगनी चाहिए? अगर मैं ऐसी हूं तो तुम्हारा अहंकार तुम्हें क्यों चोट पहुंचाए? यदि आप भिन्न हैं, तो इससे मुझे बिल्कुल भी कष्ट नहीं होता है। यदि आप कोई एक कार्य को करना जानते हैं, मान लीजिए, यह या वह आयोजित करना, तो मुझे बुरा नहीं लगता। यदि कोई दैवीय व्यक्तित्व है तो आपको बुरा क्यों लगना चाहिए? आपको बुरा क्यों लगा कि ईसा-मसीह एक दिव्य व्यक्तित्व थे? तुमने उनकी हत्या क्यों की? तुमने उन्हें क्यों मारा? आपने उन सभी लोगों पर अत्याचार क्यों किया जो इतने संत लोग थे? तुम बहुत समझदार और प्यारे थे, है ना? आप बहुत दयालु और अच्छे लोग रहे हैं, हर तरह के गलत प्रकार के बेकार, गुमराह करने वाले लोगों के पीछे भागते रहते हैं।

अब बहुत सारे हैं जो आपको गुमराह करने आए हैं। वे आपको गुमराह करने के लिए आपसे पैसे ले रहे हैं। वे तुम्हें पाप देने के बदले पैसे ले रहे हैं। वे आपको नरक की यात्रा के लिए अच्छी तरह से बुक कर रहे हैं, वे खुद वहां अच्छी तरह से बुक हैं। और जब मैं उनके बारे में कहती हूं तो लोगों को बहुत तकलीफ होती है कि “माताजी इन गुरुओं के खिलाफ क्यों बोलें?” वे गुरु नहीं हैं, वे राक्षस हैं!

एक बार, क्राइस्ट खड़े हुए और कहा, “इन शैतानों और शैतान के बच्चों को नरक में जाना होगा!” तब लोग उनके पीछे पड़ गए; उन्होंने कहा, “तुम उनके विरुद्ध ऐसी बातें क्यों कहते हो? वे एक-दूसरे के खिलाफ कुछ भी नहीं कहते हैं।” तब ईसा-मसीह ने कहा, “शैतान अपने ही घराने के विरुद्ध नहीं बोलेगा।” उनका आपस में बहुत दोस्ताना हैं। उनमें आपस में कोई दिक्कत नहीं है। वे एक-दूसरे के प्रति बहुत दयालु हैं। अब सारे शिष्यों का बंटवारा हो रहा हैं: “तू इतने ले, मैं इतने ले; और हम सब सीधे नर्क में जाएँगे!” यह ठीक से व्यवस्थित है! जैसे एक ट्रेन पहले जा रही है, फिर दूसरी ट्रेन जाएगी, फिर तीसरी ट्रेन जाएगी।

इस तरह की महत्वकांक्षा और जिस तरह की अहं-उन्मुखता और धन-उन्मुखता हमारे पास है, उसका दूसरा पहलू है: हर समय हम इसी धन में लगे रहते हैं! मैं इसे भ्रम कहती हूं, मतिभ्रम कहती हूं। आप लोगों के साथ यह बहुत बड़ा भ्रम है कि आप पैसे के पीछे भाग रहे हैं। यह एक और मतिभ्रम है कि आप प्रेतात्माओं (मृत आत्माओं) और मृत शरीरों के पीछे भाग रहे हैं। ये दो मृगतृष्णाएं हैं जिनके पीछे तुम दौड़ रहे हो।

आप इस पैसे से क्या प्राप्त करने जा रहे हैं? जाओ और किसी ऐसे व्यक्ति को देखो जो बहुत ही धनी व्यक्ति माना जाता है। बस जाओ और देखो: क्या वह एक खुश आदमी है? उनके जीवन का विश्लेषण क्या है? तथाकथित सफल लोग, तुम जरा जाकर उन्हें देखो, उनकी सफलता क्या है? कौन करता है उनका सम्मान? जब वे पीठ फेरते हैं, तो लोग कहते हैं, “हे भगवान, मैंने किसका चेहरा देखा है! मुझे जा कर अपना मुँह धोने दो!”

क्या आप शुभ हैं? यदि कोई आपको देखता है, तो क्या आपके अंदर से कुछ भला निकलता है, उस व्यक्ति का कुछ शुभ होता है? क्या कल्याणमय हो? मंगलमय हो? आप किस प्रकार के व्यक्तित्व हैं? बस अपने आप का आकलन करो; और वह निर्णय यहाँ सहज योग में हो सकता है।

हमारे पास एक रोगी था जो सहज योग में आया था, और उसने मुझसे कहा, “माँ, मैं एक छोटा लड़का हूँ, लेकिन मुझे नहीं पता कि मुझे क्या हो गया है कि मैं अशुभ हो गया हूँ।” मैंने कहा, “तुम्हें कैसे पता?” उन्होंने कहा, “मैं जहां भी जाता हूं वहां पति-पत्नी के बीच झगड़ा होता है; बच्चों के साथ कुछ गलत होता है; बच्चे रोने और चिल्लाने और चीखने लगते हैं। और अब हर कोई मुझसे नफरत करता है; हर कोई कहता है, ‘तुम्हारे साथ कुछ गड़बड़ है।’” मैंने उसके बारे में पता किया कि मामला क्या है। उसका इलाज़ हो गया। अब वह सुंदर चैतन्य प्रसारित कर रहा है।

आपके अंदर से बहुत नकारात्मक स्पंदन निकल सकते हैं। हो सकता है कि आप अपनी जानकारी के बिना पाप कर रहे हों, और आप कहेंगे, “ओह, माँ, मुझे सारे वायब्रेशन मिल रहे हैं, मैं बहुत अच्छा हूँ।” ऐसे लोग हमेशा खुद को और दूसरों को धोखा देते हैं। इस काम में वे बहुत अच्छे है। “ओह, मेरे साथ कुछ भी गलत नहीं है, मैं प्रथम श्रेणी की स्थिति में हूँ, मेरे वायब्रेशन सबसे अच्छे हैं!” और वह “मैं बहुत अच्छा कर रहा हूँ!”

आपका आकलन कौन करेगा ?यह आपके कर्म। आपने दूसरों का क्या भला किया है? हाल ही में हमारे साथ ऐसा हादसा हुआ था। और मैंने उन सभी लोगों को जिन्हें उस सज्जन ने छुआ था देखा, उन सबका बायाँ स्वाधिष्ठान बहुत बुरी तरह से पकड़ा हुआ था। और जब मैंने उनसे कहा कि, इस आदमी को इतना महत्वपूर्ण बनाना यह एक गलत काम है, तो वे सब मेरे जीवन के पीछे पड़ गए।

एक डॉक्टर थे जो मुझे मिलने आए थे, जो सहजयोगी हैं। उनका पुत्र मुझे मिलने आया; वह आठ साल का है और एक बहुत अच्छा लड़का है, उसे आत्मसाक्षात्कार हुआ था, लेकिन उसका स्वाधिष्ठान बहुत खराब था। इसलिए मैंने उससे पूछा, “क्या यह व्यक्ति तुम्हारे घर आता है?” वह बोला, “हाँ, माँ, वह बहुत बार आता है।” मेरी चेतावनी के बावजूद वह उनके घर जाता और वे उस सज्जन की आवभगत करते। उसे यह कहने के बजाय कि “तुम माँ के पास जाओ और अपने आप को साफ़ कर लो!” आप देखिए, वे ऐसे व्यक्ति द्वारा मोहित और सम्मोहित हैं। मैंने उससे पूछा, मैंने कहा, “क्या यह आदमी तुम्हारे घर आया है?” “हाँ,” उन्होंने जवाब दिया। मैंने कहा, “ठीक है, जाओ और उसे जूतों से मारो, जैसा कि हम अपने सहज योग में करते हैं।” और लड़का निरंजित हो गया।

क्या आप अपने परिवार, अपने बच्चों, हर किसी को बर्बाद करना चाहते हैं सिर्फ इसलिए क्योंकि आप किसी सम्मोहक साथी का पालन कर रहे हैं? कम से कम उन के बारे में तो कुछ विचार करें ! ऐसे बहुत हैं। लेकिन सहज योग में बहक जाना बहुत आसान है, और लंदन में भी मुझे पता है कि कौन कहाँ जा रहा है, क्या कर रहा है। मैं उन्हें लिखती हूं, मैं उनसे कहती हूं, “ऐसा मत करो! बस यह मत करो, ऐसा कुछ नहीं करना है!” आपको तुरंत यह समझ लेना चाहिए कि हमारी माता, जो इन बातों को जानती हैं… वह जानती हैं, और यदि उन्होंने हमें बताया है, तो यही करना है; बहस नहीं की जानी चाहिए। क्या आपको अपना चैतन्य तर्कों से प्राप्त हुआ? लेकिन फिर भी सहज योग में भी लोग लड़खड़ाते हैं, और यह सबसे बुरी चीज है जो वे करेंगे क्योंकि योगभ्रष्टा की सबसे अधिक निंदा की जाती है। वे कहाँ जाएंगे?

मुझे यहां मौजूद सभी सहजयोगियों को चेतावनी देनी है, क्योंकि सहज योग अंतिम न्याय है। न केवल यह कि आपको आंका जाएगा कि आप परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर रहे हैं, कि आप परमेश्वर के नागरिक बन गए हैं, ठीक है परन्तु, इसके अलावा, क्या आप वहां बने रहने के लायक हैं; क्या आपके पास पूर्ण समर्पण और दैवीय कानूनों की समझ है। भले ही आप भारत के हैं, माना की, भारत के नागरिक हैं, लेकिन अगर आप गलतियां करते हैं और यदि आप क़ानूनन आपराधिक कृत्य करते हैं, तब भी आपको दंडित किया जाएगा। इसलिए, भले ही आप परमेश्वर के नागरिक बन जाते हैं, आपको इसके बारे में बहुत सावधान रहना होगा।

दूसरी बात जो मैं आपको बताना चाहती हूं वह कल्कि की विनाशकारी शक्तियों के बारे में है। आज का व्याख्यान आपके लिए बहुत तीखा होने वाला है क्योंकि आपने जिस अवतार पर बोलने के लिए कहा है वह बहुत तीखा है, सबसे तीक्ष्ण है।

हमारे पास, कहने को, कृष्ण का अवतार था, जब उनके पास हनन शक्ति (मारने की शक्ति) थी। उन्होंने कंस (उसके दुष्ट मामा) को मार डाला है, उन्होंने इतने सारे राक्षसों को मार डाला ; आप जानते हैं की , बच्चे के रूप में भी, उन्होंने पूतना (एक राक्षसी जिसने कृष्ण को जहरीला दूध पिलाकर मारने की कोशिश की थी) को मार डाला है … और इतने सारे लोग। लेकिन उनके पास लीला (चंचलता) भी थी। उनके पास प्रेम था, और उन्होंने लोगों को छूट भी दीं, उन्होंने लोगों को क्षमा भी किया।

लेकिन ईसा-मसीह, जो क्षमा का अवतार है – ईसा-मसीह की क्षमा कुछ भी नहीं वरन,  उनके भीतर पालन की शक्ति है – यदि वह विस्फोट करते हैं, तो पूरी क्षमा हम पर एक बड़ी आपदा के रूप में आ सकती है यदि हम उनकी क्षमा का मूल्य समझने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि “मेरे खिलाफ कहा हुआ कुछ भी बर्दाश्त किया जाएगा, लेकिन होली घोस्ट के खिलाफ एक शब्द भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा!” यह उन्होंने साफ कह दिया है! और अब आपको यह समझना होगा कि होली घोस्ट आदि शक्ति है।

व्यक्ति को यह समझना होगा कि ऐसा अवतार आसन्न है। और उन्हें कृष्ण की वो शक्तियाँ दी गई हैं, जो केवल हनन शक्ति हैं। ब्रह्मदेव की शक्तियाँ, जो केवल हनन शक्ति हैं, उन्हें दी गई हैं। शिव की शक्तियाँ, जो केवल हनन शक्ति हैं, उसका एक हिस्सा जो तांडव (विनाश का नृत्य) है, उन्हें दिया जाता है। फिर, भैरव की शक्ति, वह भी है … आप जानते हैं कि भैरव को संहार के प्रतीक के रूप में क्या मिला है, यह एक बड़ी तलवार जैसी चीज है। और गणेश का परशा (युद्ध-कुठार); और साथ ही हनुमान की सभी नवसिद्धियाँ (नौ अलौकिक क्षमताएँ), जो नष्ट करने वाली हैं, उन्हें दी गई हैं। सारी बुद्ध की क्षमा और महावीर की अहिंसा पलट कर आने वाली है।

जब सहज योग का कार्य पूर्ण हो चूका होगा, जब हमारी छंटनी की जा चुकी होगी तब ये सभी ग्यारह शक्तियाँ हमारे ऊपर आने वाली हैं; और अन्तिम वध उसी के द्वारा किया जाएगा। काश यह सिर्फ एक वध होता! यह कोई साधारण हनन नहीं होगा जैसा कि देवी ने भी किया है। क्योंकि देवी ने हजारों साल पहले इन सभी राक्षसों को मार डाला था, लेकिन वे फिर से वापस अपने आसन पर आ गए हैं, ये सभी राक्षस।

अब, वर्तमान समय में समस्या बहुत भिन्न है, जिसे आपको समझने का प्रयास करना चाहिए। कि, पुराने दिनों में, कृष्ण के समय तक, जब वे कहते थे कि “यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवती भारत… विनाशाय च दुष्कृतं परित्राणाय च साधुर्नाम” (“जब भी धार्मिकता का ह्रास हो रहा हो… बुराई करने वालों की समाप्ति के लिए, सद्गुणों की रक्षा,” भगवद गीता, अध्याय IV, श्लोक 7-8) – इन दो शब्दों को आपको समझना चाहिए: दुष्कृतम् को नष्ट करने के लिए, जिसका अर्थ क्रूर लोगों या नकारात्मक शक्तियों से है, और संतों को बचाने के लिए – “संभवामि युगे युगे, मैं बार-बार आने वाला हूं।

लेकिन कलियुग की समस्या यह है कि कोई भी व्यक्ति साधु (पुण्य व्यक्ति, संत) या राक्षस के रूप में शुद्ध और सरल व्यक्ति नहीं है। इतने सारे राक्षस तुम्हारे मस्तिष्क में प्रवेश कर चुके हैं। आप इतने सारे लोगों का साथ देते हैं जो गलत हैं, जो गलत कर रहे हैं, जो राजनीति के नाम पर, धर्म के नाम पर, प्रगति और शिक्षा के नाम पर और हर तरह के गलत काम कर रहे हैं। एक बार आपने उनका साथ दे दिया, तो वे आपके मस्तिष्क में हैं, वे आपके भीतर हैं। और जब वे तुम्हारे भीतर हैं, तो दुष्टात्माओं  को कैसे नष्ट किया जाए? वे तुम्हारे भीतर हैं! आप एक अच्छे व्यक्ति हो सकते हैं, लेकिन उन्हें अपने मस्तिष्क में रखने के कारण आप नष्ट हो सकते हैं। इसलिए यह बताने के लिए कोई ठीक-ठीक स्पष्ट नियम नहीं है कि कौन वास्तविक नकारात्मक है और कौन वास्तविक सकारात्मक है।

केवल सहज योग आपको शुद्ध करने जा रहा है और आपको पूरी तरह से सकारात्मक, सकारात्मक रूप से अच्छे लोग और धार्मिक व्यक्ति बनाने जा रहा है। यह एकमात्र तरीका है क्योंकि आपका अंकुर, जब यह आपको आत्मसाक्षात्कार देना शुरू करता है, तो आप अपने आप को महसूस करते हैं; आप स्वयं को महसूस करते हैं, और उस स्व के साथ आप जानते हैं कि आप स्व हैं ना की यह मृगतृष्णा। आप उस स्व का आनंद लेने लगते हैं। एक बार जब आप इसका आनंद लेना शुरू कर देते हैं, तो आप उन सभी चीजों को छोड़ देते हैं जो आपको समझौता करने के लिए मजबूर करती हैं और आपको एक भयानक तरह का मिश्रित व्यक्ति बनाती हैं। यह सारा भ्रम दूर हो सकता है।

इसलिए यह जरूरी है कि हम सहज योग को सर्वाधिक समर्पित तरीके से अपनाएं और खुद को अपने सभी गलत कामों से और दूसरों से भी जिन्हें हम जानते हैं, मुक्त करें; और यही एक ऐसी चीज है जो हम अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और अपने आसपास की दुनिया को दे सकते हैं।

लोग दूसरों को रात्रिभोज के लिए आमंत्रित करते हैं, पीते हैं, यह, वह। आप उन्हें क्या देते हैं? कुछ नहीं। वे जन्मदिन पर उपहार देंगे, वे घूमेंगे और माला देंगे और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करेंगे और सब कुछ … लंदन में, जब क्रिसमस का दिन होता है, तो कार्ड का इस हद तक ढेर हो जाते हैं कि कोई अन्य पात्र क्रिसमस से दस दिन पहले नहीं भेजा जा सकता है। और ईसा-मसीह कहाँ है? जिस दिन क्राइस्ट का जन्म होगा, वे शैम्पेन के लिए जाएंगे। ऐसे मूर्ख लोग! यहां तक कि किसी की मृत्यु भी हो जाती है, वे शैम्पेन लेंगे। अब उनका धर्म शैम्पेन धर्म है, और व्हिस्की उनकी कुंडलिनी है। वे परमात्मा को नहीं समझ सकते। वे कैसे समझ सकते हैं जब उन्होंने ईश्वर को झूठ की अपनी अवधारणा के अनुसार बनाया है?

एक माँ के रूप में, मुझे आपको चेतावनी देनी है: सावधान रहें। अपने स्व के साथ मत खेलो। नीचे मत जाओ बल्कि ऊपर उठो, उत्थान करो और ऊपर आओ। मैं यहां आपकी मदद के लिए हूं। मैं यहां आपके लिए दिन-रात काम करने के लिए हूं; आप जानते हैं कि मैं आपके लिए बहुत मेहनत करती हूं। मैं आपकी मदद करने में कोई कसर नहीं छोडूंगी और अंतिम न्याय की इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए आपको ठीक करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगी। लेकिन आपको मेरे साथ सहयोग करना होगा, और आपको इसके बारे में उद्देश्यपूर्ण ढंग से आगे बढ़ना होगा और अपना अधिकांश समय सहज योग के लिए समर्पित करना होगा तथा जो उच्च और महान है उसे आत्मसात करना होगा।

कल्कि एक बहुत बड़ा विषय है और यदि आप कल्कि पुराण को देखें तो यह काफ़ी बड़ा ग्रंथ है। बेशक, वहां बहुत सारा कचरा भी पड़ा है। लेकिन “वह समय कब आ रहा है?” अगर लोग ऐसा कहते हैं, तो हम कहेंगे कि यह एक जीवंत प्रक्रिया है। जब काम पूरा हो जाएगा, जब हम देख लेंगे कि इस क्रम में और लोगों के होने की कोई संभावना नहीं है, तो कल्कि नीचे आ जाएंगे। देखते हैं कितने आते हैं। लेकिन उसकी भी एक सीमा होती है।

इसलिए, मैं आपसे अनुरोध करूंगी कि आप प्रयास करें: अपने दोस्तों को बुलाएं, अपने रिश्तेदारों को बुलाएं, अपने पड़ोसियों को बुलाएं, उन सभी को।

कल यहां नवरात्रि के मेरे कार्यक्रम का आखिरी दिन है, जहां हम मां की ओर थोड़ा सा सत्कार करने जा रहे हैं। मेरे लिए, सबसे बड़ा अभिनन्दन तब होगा जब मैं इस बंबई में अधिक लोगों को सहज योग को गंभीरता से लेते हुए महसूस करूंगी। और सहज योग में आने के बाद चुगली और ओछी बातों में नहीं पड़ना चाहिए और एक दूसरे पर गुस्सा नहीं करना चाहिए बल्कि समझदार और विवेकपूर्ण होना चाहिए।

यह सबसे आश्चर्य की बात है: जिन लोगों को राष्ट्र का श्रेष्ठ  माना जाता है, सबसे परिष्कृत लोग, वे कितने तुच्छ और बेकार हैं!

मुझे ये बातें उस तत्काल आपात स्थिति के कारण आप लोगों को बतानी पड़ रही हैं जो मेरे सामने आ रही है। और मैं बस यही प्रार्थना कर रही हूं कि इसकी शुरुआत बंबई में न हो।

बंबई कगार पर चला गया था, तुम्हें याद है, जिस दिन राजेश शाह ने मुझे फोन किया था कि “माँ, बारिश का क्या? बारिश के बारे में क्या? बारिश के बारे में क्या? मैं उसे तब तक जवाब नहीं दूंगी, जब तक उसने यह नहीं कहां कि, “माँ, मुझे पता है कि आप बॉम्बे के लोगों से नाराज़ हो, लेकिन फिर भी एक बार फिर उन्हें माफ कर दो!” और यही वह रात है जब आप को इतनी बारिश मिली।

अगली आपदा, इससे सावधान! मुझे सभी बंबई के लोगों को बताना है: हर बार जब मैं वापस आती हूं, तो मुझे इन सहज योगियों के बारे में इस तरह की बकवास मिलती है कि वे एक आदमी के पीछे कहीं फँस जाते हैं और खो जाते हैं।

और दूसरी बात यह है कि बंबई के लोग अभी भी सबसे ज्यादा अनजान हैं कि उनमें क्या गिरने वाला है। अधिकांश इस बात से अनभिज्ञ हैं कि वे अमीबा से इस अवस्था तक कैसे बने हैं, परमेश्वर ने उनके लिए क्या किया है, और उन्हें परमेश्वर के लिए क्या करना है। यह बहुत ही दुखद मामला है। पूरे देश के लिए बेहद दुखद है क्योंकि लोग इस बंबई का अनुसरण करने की कोशिश करते हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो परमात्मा का अनुसरण करने के बजाय एक अभिनेता और एक अभिनेत्री का अनुसरण करना पसंद करते हैं। यह हमारे सतही स्वभाव की परेशानी है।

मुझे यह बताना है कि कल हमारा बहुत अच्छा कार्यक्रम है। और साथ ही, एक पुस्तक लिखी गई है, “द एडवेंट” ग्रेगोइरे डी लेम्बरमेटन द्वारा, जो एक बैरन के पुत्र और एक स्विस लड़के है। और जब वे मेरे पास आए तो मैं स्पष्ट देख पायी थी कि वे एक साधक हैं, हालांकि वे एक बिगड़े हुए मामले थे, वे एक स्किज़ोफ्रेनिक (मानसिक रोगी)व्यक्ति की तरह थे। उनका मामला बिल्कुल बिगड़ा हुआ था। लेकिन मैं उसमें देख पाती थी कि उसके भीतर एक बहुत बड़ा साधक है, और उसे सामान्य चेतना में लाने के लिए मुझे उसके साथ एक साल तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी। लेकिन जब आपके भीतर कोई खोज़ ही नहीं रह जाती और जब आप रास्ते से उतने भटक जाते हैं, तो आपका क्या होगा, मैं नहीं जानती।

इसलिए सावधान रहें, बहुत सावधान रहें। आज का दिन आपको चेतावनी देने का दिन है, क्योंकि आपने मुझसे कल्कि के बारे में बात करने के लिए कहा है।

उन्हें हमारे माथे पर बिठाया गया है। जब कल्कि की पकड़ होती है – कल्कि का चक्र पकड़ा जाता है – शीर्ष पर पूरा मूर्धा (सिर) बिगड़ जाता है। कुंडलिनी जागरण में, हम पाते हैं कि मूर्धा पूरी तरह से क्रम से बाहर है; यह नहीं उठ पाती है। पूरा सिर नाकाबंदी बन जाता है। ऐसे लोग कुंडलिनी को हंसा चक्र से ऊपर नहीं उठने देते… । ज्यादा से ज्यादा वे आज्ञा तक उठाने की कोशिश करते हैं, लेकिन कुंडलिनी नीचे गिर जाती है।

बेशक, इसका एक कारण, जैसा कि मैंने कहा, यह है कि अगर आप गलत गुरुओं के सामने भी अपना माथा रखते हैं, तो आप पीड़ित होते हैं। लेकिन बहुत ज्यादा सोचना भी यहां दाहिनी ओर समस्या खड़ी कर देता है और कल्कि का एक पहलू बिगड़ जाता है और इस तरफ असंतुलन पैदा हो जाता है।

पूरा माथा, अगर यह बहुत सारे गुमडों से भरा है, तो किसी को पता होना चाहिए कि कल्कि चक्र ग्रसित है। यदि कल्कि चक्र ग्रसित है, तो व्यक्ति किसी प्रकार की बहुत बुरी विपत्ति में जाने वाला है; यह एक ऐसे व्यक्ति के बारे में संकेत है जो इसे प्राप्त करने जा रहा है। जब कल्कि चक्र पकड़ा जाता है तो आपकी सभी उंगलियां जलने लगती हैं। हाथ और हथेली पर कभी-कभी तो शरीर में भी भयानक जलन हो जाती है। किसी व्यक्ति का कल्कि चक्र पकड़ने का मतलब है कि वह कैंसर जैसी भयानक बीमारी से ग्रस्त हो सकता है, शायद कुष्ठ रोग, शायद ऐसी कोई बीमारी, या हो सकता है कि वह किसी प्रकार की आपदा में नष्ट होने वाला हो।

इसलिए कल्कि चक्र को बिल्कुल ठीक संतुलन में रखना चाहिए। कल्कि चक्र के कम से कम ग्यारह उपचक्र हैं। और उनमें से,  कम से कम उनमें से कुछ को जीवित रखने की कोशिश करें ताकि दूसरों को बचाया जा सके। लेकिन अगर सारे चक्र खराब हो गए हैं, तो आपको आत्मसाक्षात्कार देना बहुत मुश्किल है।

अपनी कल्कि को ठीक रखने के लिए क्या करना चाहिए? अपने कल्कि को ठीक रखने के लिए, आपके अंदर ईश्वर के प्रति भय मिश्रित श्रद्धा होनी चाहिए। यदि आपके पास ईश्वर के लिए भय नहीं है, यदि आप ईश्वर से नहीं डरते हैं, यदि आप को डर नहीं हैं कि यदि आप ने गलती की तो वह अपने क्रोध के साथ हैं और वह एक क्रोध पूर्ण ईश्वर है और वह हमारे लिए विष से भरे है; अगर हम कुछ गलत करने की कोशिश करते हैं, अगर उसका कोई डर नहीं है – ऐसा नहीं है कि यह मुझसे या किसी और से छिपाना है लेकिन नहीं … आप खुद जानते हैं कि आप गलत कर रहे हैं – अगर आप कुछ गलत कर रहे हैं और आप जानते हैं अपने दिलो-दिमाग में कि “मैं कुछ गलत कर रहा हूँ,” कृपया इसे मत करो! नहीं तो तुम्हारा कल्कि ग्रसित हो जाएगा।

जब आपके पास ईश्वर के प्रति वह भय युक्त श्रद्धा है और आप जानते हैं कि ईश्वर सर्वव्यापी है, वह सर्व-शक्तिमान है, उसके पास हमें इस अस्तिटी की इस उच्च अवस्था तक उठाने की शक्ति है, और उसके पास सभी आशीर्वाद प्रदान करने की शक्ति भी है जो उसके पास है, वह सबसे दयालु भगवान हैं, या, हम कह सकते हैं, सबसे दयालु पिता जिसके बारे में कोई सोच सकता है – लेकिन उसी तरह उनके पास क्रोध भी है। और वह क्रोध, जब वह तुम पर उतरे, बहुत सावधान रहना!

एक माँ के रूप में, मुझे आपको चेतावनी देनी है: अपने पिता के क्रोध से सावधान रहें! क्योंकि अगर वह आप पर उस क्रोध के साथ आते हैं, तो उन्हें कोई नहीं रोक सकता! इसे कोई नहीं रोक सकता और माँ की करूणा भी नहीं सुनी जाएगी, क्योंकि वह कह सकते हैं कि “आपने अपने बच्चों को हद से ज्यादा ढील दे करके बिगाड़ा है!”

इसलिए मुझे आपको बताना है कि कृपया ऐसा कुछ भी न करें जो गलत हो और मुझे इसके बारे में बुरा महसूस न कराएं। क्योंकि एक मां के लिए ये बातें बता पाना बहुत मुश्किल होता है। एक माँ के लिए, जिसके पास एक कोमल हृदय और आपके लिए एक करूणामय हृदय है, यह सब बातें कहना बहुत कठिन है। लेकिन मेरी आपसे विनती है कि खिलवाड़ न करें, क्योंकि आपके पिता में क्रोध भरा हुआ हैं और यदि आप कुछ भी गलत करते हैं तो वे आपको दंड दे सकते हैं। लेकिन अगर आप उनके लिए या अपने अस्तित्व के लिए, अपने आत्म-साक्षात्कार के लिए कुछ भी करते हैं, तो आप को उच्चतम अवस्था प्रदान की जायेगी|

आज आप सबसे बड़े करोड़पति हो सकते हैं, आप सबसे अमीर आदमी हो सकते हैं, आप सबसे बड़े राजनीतिक नेता हो सकते हैं, आप प्रधान मंत्री हो सकते हैं, और यह सब बकवास – ईश्वर की उपस्थिति में, परमात्मा को जो प्रिय हैं, उन्हें उच्चतम अवस्था पर रखा जाएगा, ना की यह सभी सांसारिक चीजें जो आपको इतनी दिलचस्प और करामाती लगती हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात – जहाँ तक ईश्वर का संबंध है, आप कहाँ हैं। सहज योग के माध्यम से सबसे पहले अपने स्व को, अपनी आत्मा को खोज़ कर,  और फिर स्वयं का उस से नाता जोड़ के, उस संबंध को आपको अवश्य स्थापित करना होगा।

परमात्मा आप सब को आशिर्वादित करें!

अब हमारा सहज योग का एक सत्र होगा ताकि आप ठीक हो सकें, और मैं चाहूंगी कि वे लोग जो पहले यहां नहीं आए हैं, अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करने के लिए आगे आएं, और सभी सहज योगी आज मेरी मदद करें, क्योंकि, आज कल्कि का दिन होने से वायब्रेशन कुछ अधिक ही रहे है।