9th Day of Navaratri Celebrations, Eve of Navaratr, Puja & Havan

मुंबई (भारत)

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Sahajayog Ki Ek Hi Yukti Hai (Navaratri) Date : 30th September 1979 Place Mumbai Туре Seminar & Meeting Speech

[Original transcript, Hindi talk, Scanned from Hindi Chaitanya Lahiri]

आपके अन्दर में परमात्मा की शक्ति ज्यादा बड़ा भारी कार्य एक जमाने में हो गया है जबकि बढ़ती जाएगी। यानि आपका caliber जो है वो wider होते जाएगा और आपके अन्दर ज्यादा शक्ति के अनुचर सताया करते थे। आज भी संसार में बढ़ती जाएगी। अब जब ये ज्यादा शक्ति आपसे बढ़ शैतानों की कमी नहीं है, दुष्टों की कमी नहीं है, रही है तब इस शक्ति को भी उपयोग में लाना चाहिए। अगर शक्ति बढ़ती गई और आपने उसको उपयोग में नहीं लाया तो हो सकता है कि थोड़े दिन बाद ये caliber फिर छोटा हो जाए। अब आपको घर और इसीलिए इनमें से निकलने के लिए भी मनुष्य जाके बैठना है और सोचना है, मनन करना है कि हम किस तरह से सहजयोग को बढा सकते हैं। कितने ही लोगों का Realisation हुआ है और बहुत किस-किस जगह हमारा स्थान है, कौन लोग हमें से लोगों ने इस आत्मज्ञान को पाते वक्त अपने मानते हैं, उनकी लिस्ट बनाइये। कौन-से ऐसे areas हैं जहाँ हम जाकर के इसको प्रस्थापित कर सकते हैं। उसके लिए जो भी आपको जरूरतें हैं, हमारे अलग सेंटर हो गए हैं, आज मैंने कोलाबा में भी एक सेंटर खोल दिया है कफकैसल में। और इस तरह से हर जगह एक-एक सेंटर अब आपके लिए ऐसे मैं भी नहीं सोचती थी और इतने थोड़े समय में हो गया है और आप गर कहीं खोलना चाहते हैं तो वो भी आप देख लीजिए। आपके रिश्तेदार, आपके पहचान वाले, आप जहाँ पे कार्यान्वित हैं वहाँ, कितने लोगों को आप सहजयोग में ला सकते हैं साल भर के अन्दर ही बहुत कुछ काम आप सभी उनको लाकर के और इस संसार का कल्याण करने का है। सारी humanity का अपने को कल्याण करना है और आप जो आज यहाँ बैठे हुए हैं ये योग में पाया है, आप लोग योगी हो गये, आप लोग उसके पाये हैं आपकी जिम्मेदारी बहुत ज्यादा है। अब योगी हैं। आप ordinery लोग नहीं हैं। सर्वसाधारण और मेरे ख्याल से सहजयोगी अपनी जिम्मेदारी नहीं लोग नहीं है। आप योग में आ गये। अब आप योग समझते। 20-25 आदमी गर जिम्मेदारी लेकर के भ्रष्ट नहीं हो सकते। आपको उस योग के अनुसार चलें तो सहजयोग नहीं चल सकता। हर आदमी को चलना चाहिए। माने दो चार आपमें जैसी आदतें हैं चाहिए की अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझें, जरा सा आप Will Power लगायें तो हम शक्ति देने अपने-अपने विचार से ये तय कर लें कि हम के लिए तैयार हैं, आप अपनी आदतें छोड़ दें । बहुत सहजयोग किस तरह से बढ़ाएंगे, कहाँ तक ले ज्यादा बोलना बहुत कम बोलना, ये भी ठीक नहीं जाएंगे इसके लिए आप स्वयं प्रबुद्ध हो गये हैं आपको मुझे बताने की जुरूरत नहीं हैं। आप सिर्फ ये नहीं जाना है। कोई आदमी हर समय पैसे की बैठ कर इस पर विचार करें। आप जानते हैं कि बहुत से लोग कभी भी भाषण नहीं देना जानते थे, सोचता है उसको भी बीच में लाना चाहिए। अपनेवो लोग भाषण देने लग गए हैं। इतनी शक्ति आप के अन्दर तब आएगी जब आप दूसरों को देंगे, नहीं निर्विचारिता में आना चाहिए। अपनी निर्विचारिता तो आपकी शक्ति कम हो जाती है। ये सबने जाना को आप धीरे-धीरे बढ़ायें। जितना निर्विचारिता है कि आपकी शक्ति कम हो जाती है गर आप का, विलम्ब का स्थान बढ़ता जाएगा उतने ही दूसरों को शक्ति न दें। मैं ये नहीं कह रही कि आप …अपने भक्तों को संरक्षित किया। ये भक्त लोगों को हर तरह से दुष्ट राक्षस आदि शैतान राक्षसों की कमी नहीं है। और इनके जो राक्षसी विचार हैं और जो इनके गलत तरीके हैं उनसे आज सारा ही संसार ज्यादा ही लिप्त नजर आ रहा है। अधिक प्रयत्न कर रहा है। इस नवरात्रि में न जाने अन्दर की जो कुछ भी तकलीफें थी, जो कि इन राक्षसी आक्रमण की वजह से आ गई थीं, उनसे भी छुटकारा पाया। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि सहजयोग में आप स्वयं भी जागृत हो गये हैं इतने लोगों का जागृत होना कभी भी संभव हो सकता है इतने लोग जागृत हो गये ये बहुत बड़ी एक हम लोगों ने मंजिल पाई हुई है। इस मंजिल से अब जब देखते हैं तो ऐसा लगता है कि बहुत जल्दी इस लोग कर सकते हैं। आज में आपसे इसलिए बात कर रही हैूँ कि आप अब सहजयोगी हैं सब, आपने सब चीज में बीच-बीच में आना है। कोई अति बात सोचता है या हर समय किसी सत्ता की बात मन को बीच में लाना चाहिए, मतलब ये कि

लोगों को बीमारियाँ ठीक करिए। बीमारी के लिए ठीक है। चलो जो भी गलती हो गई माफ, लेकिन आप मेरा फोटो दीजिए। लेकिन औरों से बात करें, उनको सहजयोग में लायें, लिए लायें, फोटो पे बिठा कर के आप Realisation दें। आप, जरूरी नहीं कि आप फोटो से हट के realisation दें। जहाँ तक हो सके फोटो का इस्तेमाल और इसी compulsion को आपको मानना ही पड़ेगा। करें जिससे आप पूरी तरह से संरक्षित रहें। जिससे आपको कोई तकलीफ न हो, कोई आपके अन्दर Ego न आ जाए, कोई गलत चीज न हो जाए, आपकी निर्मलता बनी रहे। लेकिन कितने लोगों को खोल के बात कर रही हूँ। सारे अन्दर विठाकर मैं सहज में लाना है ये बहुत जरूरी है। जितने आप ज्यादा सहजयोगियों को अंदर लाइएगा उतना ही लेना चाहिए और समझ लेना चाहिए। अगर आपमें आपका भी सहजयोग बलवत्तर होएगा। लेकिन इसके बो एकनिष्ठता नहीं रहेगी तो सहजयोग भी नहीं लिए ये एक जरूरी तो है कि आप भी पक्के चलने वाला और आप भी नहीं चलने वाले और सहजयोगी हों, अगर आप ही डावाँडोल हैं तो आपके साथ आये हुए भी बेकार गये। क्योंकि जो आपके साथ आएगें वो आपके साथ ही डूबेंगे, जिसके अन्दर सारे देवी देवता बिठाए हुए हैं और इसलिए आप भी अपने को पक्का कर लीजिए। ऐसा incarmation जो माँ के स्वरूप आया है, अपने को पक्का करना बहुत जरूरी है। अपनी जहाँ आपको समझा रहा है, बात कर रहा है, आपसे community है, अपने जहाँ लोग हैं, बहुत कुछ हो सकता है। अगर आप बैठे कि हमारा यह संघ हैं हमारा ये समाज है, ये यहाँ पर हम इसके मंम्बर हैं, हम उसके मेम्बर हैं या किसी के आप मेम्बर हो जाइए जहाँ ऐसे-ऐसे समाज हैं, और उनसे आप बातचीत करें क्योंकि हमको सारे संसार को बदलना है। बहुत बड़ा काम है। दिखने में हम सर्वसाधारण अभी भी अधमरे हैं बहुत से लोग हैं जो बिल्कुल लोग हैं, पर हमारे ही हाथ से ये कार्य करना है तो जिसको मराठी में अर्धवत कहते हैं माने जिनका हम सबको एकत्रित होना है। एक जुट से रहना चाहिए और इसपे पूरी तरह से एकाग्र होना चाहिए। इसके लिए शक्ति तो मैं आपको दे रही हूँ, जितनी चाहिए आप शक्ति ले सकते हैं, और मिल सकती क्योंकि Christ ने कहा था कि ये murmur करते है और आप लोग पाइए और अपनी शक्त को पूरी रहते हैं। ये बड़, बड़, बड़, बड़, करते रहते हैं और तरह से आप बढ़ा लीजिए। लेकिन इसकी जो इनकी बड़, बड़, में कोई अर्थ नहीं होता। बेकार की एकनिष्ठता है और एकाग्रता है वो आपको चीज़ की तरफ़ बहुत लोगों का चित्त जाता है लेकिन लानी पड़ेगी। सबसे बड़ी चीज ये है कि सहजयोग असली चीज की तरफ उनका चित्त नहीं जाता। ये का एक ही बड़ा लोकिंग है, जो आप समझ गए होएंगे। एक ही इसकी युक्ति है, एक ही इसकी चीज़ है कलियुग में जो बहुत सरल भी है कि हमारे सहजयोग में नियम है कि आपको कोई है और बहुत कठिन भी है। वो आज में अपने मुँह भी किसी को भी एक भी पैसा सहजयोग के नाम से आपसे बता रही हैं। आजतक जितने भी अवतरण संसार में हैं उसको आपने नहीं माना। नहीं माना अगर मुझे आपने नहीं माना है कि में एक अवतरण उनको Realisation के हूँ तो आपका सहजयोग नहीं चल सकता, कुछ नहीं। ये एक compulsion है। ये पहले ही से compulsion मेरे लगा करके मैं संसार में आई हूँ अगर आपने माना नहीं तो सहजयोग नहीं चलने वाला, कुछ नहीं चलने वाला। सब देव-देवता मेरे अंदर बैठे हुए हैं। ये आप सहजयोगी हैं इसलिए मैं आई हुई हूँ और आपको उसका पूरा उपयोग कर सारा संसार भी डूबने वाला है। अब ये आखिरी चांस सारे संसार को मिला हुआ है कि एक incarmation बहुत प्रेम से, सहदयता से सब कार्य करा रहा है। ओर बहुत मेहनत कर रहा है। रात दिन आपके साथ लगा हुआ है और आप जानते हैं कि किसी भी तरह से में अपने शरीर को किसी भी तरह से देखती नहीं हूँ सिवाए आपके आराम को देखने के। लेकिन आपके अन्दर ऐसे बहुत से लोग हैं जो दिमाग आधा इधर आधा उधर है और जिसको क्राइस्ट ने कहा था कि these half believers। उस तरह के जो लोग हैं वो बिल्कुल बेकार होते हैं बहुत गलत बात है और इसलिए सहजयोग के जो नियम हैं उनको पालना चाहिए। पहली तो चीज ये point पे लेने का अधिकार नहीं है। जिस प्रकार कोई सा भी काम अनअधिकार करने से आपको नुकसान हुए

होता है उसी तरह से अनुअधिकार एक भी पैसा प्रेम होना चाहिए। आपस में बहुत प्रेम करना चाहिए, आपने लिया है तो आपको नुकसान होगा। ये बिल्कुल सबको समझना चाहिए। बड़ा मज़ा आता है, जरा मैं आपसे बता देती हूँ कि सहजयोग में अपने पर्सनल खर्चे के लिए किसी को भी एक भी पैसा और दुश्मनी करने का, द्वेष करने का, ईष्ष्या करने नहीं लेना चाहिए और आप जानते हैं कि मैं खुद ही अपना घर का पैसा खर्चा करके कितने काम करती आई हूँ। लेकिन दूसरी बात भी इसकी होनी चाहिए नहीं किया, उन्होंने हमको नहीं बताया, वो हमसे कि सहजयोग, ये हालांकि विल्कुल बगैर किसी नहीं बोले, फलाने ने मूल्य के सबको मिलता है लेकिन इसका मतलब नहीं कि ये cheap चीजू है, ये सस्ती चीज नहीं है। ये बहुत मूल्यवान चीजू है। ये अब आप जानते हैं है खास। पर सिर्फ बम्बई वालों की भी खास है। कि हर चीज का खर्चा होता है, इस हाल का खर्चा नहीं तो ये कि मेरे को इसने मारा, मुझे उसने मारा, होता है, उस हाल का खर्चा होता है। हॉल में प्रोग्राम होता है। कल (अभिषेक) के सामने गाना गाया उसका खर्चा होता है, पूजा का खर्चा होता है और प्रतिष्ठा पे खडे हों, आप प्रतिष्ठित हैं, हमने आपको जो लोग पूजा में भी पैसा नहीं देते हैं और फिर प्रतिष्ठित किया है । आप जानते हैं आप कौन हैं। आकर मुझे कहते हैं कि हमारा लक्ष्मीतत्व खराब है, आपको मैंने वो चीज दी है जो गणेश को दी थी! तो होगा ही। कल ही मैने बताया था कि अपना selfrespect होना चाहिए आदमी को! इसका मतलब आप अपने आत्म-सम्मान को बढ़ायें अपने अन्दर आत्मसम्मान होना चाहिए और सोचना चाहिए कि भिखारियों जैसे आप झोली लेकर काहे को घूम रहे हमारे समाज में जो भी कार्य करने पड़ते हैं उसके हैं बाबा? आप राजा के लड़के थे, खो गए थे, फिर लिए पैसा चाहिये। कि माताजी अपना ही पैसा देंगी से आपको राजा बना दिया अभी फिर से वही क्या हमेशा? ये अच्छी बात है क्या कि आपके भिखारी जैसे घूम रहे हैं? अपनी प्रतिष्ठा पे खड़े कल्याण के लिए मैं पैसा दूं? या मैरे पति पैसा दें? होना है। उन्हीं का कल्याण हो रहा है फिर। पैसा तो, उनका ही लक्ष्मी तत्व अच्छा हो रहा है, तुम लोगों का इतना अच्छा नहीं हो रहा है। अपनी भी कुछ लक्ष्मी खर्चनी चाहिए। सब को धर्म से कहना चाहिए कि देके जाना। मैं जाने से पहले देखूंगी और आप सब माँ हम लोग सब अपने ही मन से देना चाहिए। आपको मालूम है- अपना खर्चा कितना है हाल का खर्चा कितता है खाने पीने का खर्चा कितना है, सब चीज़ का खर्चा कितना है। लोग खाने का भी पैसा हैं, क्या मुश्किल है? इसमें जिस जिस को नाम देना देनें को तैयार नहीं। मुफ्त में खाना खाएंगे। ऐसे लोग हमें नहीं चाहिए। मुफ्तखोर लोग सहजयोग में चाहिएं नहीं। ठीक है, सहजयोग एकदम मुफ्त एकदम फ़्री है। पर मुफ्तखोरों के लिए नहीं है। कहाँ से लाएं बताइए। इसका पैसा देने का है तो क्या माताजी दें? प्यार करके तो देखो। प्यार का मजा और होता का, झगड़ा करने का, आते ही साथ मेरे को सबके complaint सुनाई देते हैं- उन्होंने हमको inform ये किया। दूसरा आएगा वो बोलेगा इन्होंने ऐसा किया वैसा किया। मैं कहती हूँ अरे बाप रे बाप। ये अपने हिन्दुस्तानियों की बीमारी मेरी बीबी ने मारा, मेरे लड़के ने मारा, रात दिन रोनी सूरत। आप लोगों को चाहिए कि अपनी आप पूजनीय, संसार के वर्णनीय लोग हैं और आप कर क्या रहे हैं? वो अपनी बुरी आदतें और पहली बाते भूल जाइए। अब आप राजा हो गये हैं अभी भी तीसरी चीज ये है कि आपके अन्दर जो young लोग हैं, 25-30 जो भी हो, अलग-अलग जगह के, जहाँ-जहाँ रहते हैं अपने नाम आज ही अपने-अपने एक एक सेंटर सम्भालिए, organize करिए और उसके इंचाज जितने भी लोग हैं उनको संभालिए। कोई मुश्किल काम नहीं, इतने आदमी है आज ही पूजा के बाद जा करके नाम दे दें। आज ही व्रत कर लें कि हम माँ करके दिखाएंगे काम और हम समझा देगें कि हम इतने लोगों को इक्टूठा कर रहे हैं। सब लोग एक एक जिसको भी जो सोचता है 25 कम से कम नाम होने चाहिएं, ज्यादा भी हो सकते हैं। जो बुजुर्ग लोग हैं उनको सताने की जुरूरत नहीं है, बच्चों को अभी रहने दीजिए। आप है। दूसरी बात ये है कि हमारे organization का भी बड़ा गड़बड़ दिखाई देता है। जब हम एक माँ से पैदा हुए हैं तब हम सब बच्चों में आपस में जो Young लोग हैं वो अपने ऊपर लें। सब, आप

है मिल सकता। सहजयोग में दो तीन रिगंस चलती हैं, आपने नोटिस किया होगा, एक तो Peripheri पे होती है जो जन समुदाय है उसमें ज्यादातर लोग पार सब मिला करें, कभी चाय पर मिलें, कहीं किसी नहीं हैं। उसके अन्दर की रिंग होती है जिसमें लोग पार हो गए हैं। उसके अन्दर की रिंग होती है कि जो आते हैं आधे, आधे नहीं आते। उसमें पार होने पर भी सबलोग आते नहीं, आते हैं आधे, आधे नहीं आते। उसके अंन्दर की रिंग होती है जिसके अन्दर लोग हमेशा आते हैं और उसके अन्दर की रिंग जो ही dedicated हें और हम सब को जानते देखिए हमें लक्ष्मीतत्व की आपको बात मैंने कही। हैं। हमें Certificate देने की जरुरत नहीं, हम हर एक आदमी को जानते हैं। आप इसको समझ कैसे लीजिए। हमें किसी के बारे में कुछ बताने की जुरूरत नहीं है और शिकायत करने की जुरूरत नहीं है। इस तरह से आप लोग समझदारी से रहें क्योंकि ये समझना चाहिए कि आप लोग विशेष लोग हैं। आपको परमात्मा ने विशेष रूप से choose किया हैं। आपके अन्दर अन्दर ये कुण्डलिनी जागरण करा दिया है और आपके ऊपर ये सरताज लगाया है कि आप योगी बन गये हैं, घर में बैठे हुए आपको इसके लिए कुछ नहीं करना पड़ा। अब पुरुषार्थ करना होगा जो पुरुषार्थ करेगा वो बहुत कुछ पा सकता है और जो नहीं करेगा वो नहीं पा सकता। जो चीज आप देते ही नहीं वो आप कैसे पा सकते मजाक करना उनका दोष देखना आदि नहीं करने हैं? अगर आप सरस्वती, आपको कितनी भी सरस्वती है पढ़ता नहीं, कि माँ आएगा, दोस्ती में इतना मज़ा आएगा जिसकी कोई ये पढ़ता नहीं उसको ले आए, उसको हमने first class में पास किया और first ciass में पास होने के बाद भी वो बेवकूफ जैसा घूमता रहा और कुछ भी उसने सरस्वती का कार्य नहीं किया तो उसके पास सरस्वती कितने दिन टिकेगी? आखिर आप यही बताइए कि दीप आप जलाते हैं तो प्रकाश देने के कम से कम पांच दें उससे ज्यादा दें, जैसा दें, पैसा लिए जलाते हैं कि क्या उसको बिठा करके आप देना चाहिए। अब जो आदमी ज्यादा कमाता है अपने आंचल में छिपा लेते हैं? आपके दीप जले हैं इससे अनेक दीप जलने चाहिए। बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आप ही मेरे हाथ हैं और आप ही मेरी आंखें हैं, हो भी ले सकते हैं। आप भी, वहाँ पर हो सकती आपके अपने क्षेत्र में। इस तरह से सब लोग गर अपने अन्दर ऐसा ले लें और आपस में ऐसे लोग मैं तरह से मिलें और एक साल बाद आकर देखना चाहती हूँ कि सहजयोग कितना फैल गया है। एक बड़ी अच्छी बात है कि इस वक्त गुरु सिंहस्थ आने की वजह से सहजयोग बड़ी जोर से बढ़ सकता है, अगर आप लोग जरा प्रयत्न करें तो। तो इस तरह से हमारी जो बातें हैं उसको समझ लेना चाहिए। अब बहुत जो दूसरी बात मैंने कही organisation की ये है सरस्वतीतत्व की। इसमें है सारा organize करना लोगों को कैसे बुलाना किस तरह से उनको चालना देना, उनको समझना, उनको जोड़ लेना। हर एक सेन्टर में, हर एक मोहल्ले में, एक एक लीडर बन सकता है, और बहुत अच्छे से organise कर सकता है। अब लंदन बगैरा में जैसा कर रहे हैं या जैसे पूना के लोगों ने किया उस तरह से करना चाहिए। एक आदमी है वो पच्चीस आदमियों को जोड़े रखता है। आपस में मिलना जुलना, भई तुम कैसे हो, तुम केसे हो, तुम्हारा क्या चल रहा है, कैसे, सब आपस में प्यार से बातचीत करें। दोष नहीं देखने का, उनमें ऐसा है, नहीं तो उनका कंस का। आपलोग सब आपस में देख लें, इतना मज़ा का हम ज्ञान दे, एक लड़का हृद नहीं। जैसा भी जहाँ हो सकता है जिसको भी आप ले सकते हैं उनको लेकर के और आप इसको workout करें। और मैं जो जो लोग हैं उनसे पूछूगी next year कि क्या किया इन्होंने। तो आप लोग इसकी गर कोशिश करें और Per Month सव लोग उसको पांच देने में कोई sense ही नहीं है। दूसरी बात ये है कि पूजा में हमेशा ऐसे लोगों को बुलाना चाहिए जो हमेशा आते हैं पूजा में और जिनका सहजयोग में कोई स्थान है। ऐसे लोगों को नहीं बुलाना चाहिए जो कभी भी चले आए, आ गए। सहजयोग में ऐसे आधे-अधूरे लोग नहीं चल सकते। कम-से-कम पूजा का वरदान उनको नहीं नहीं हो सकता। पर समझदारी से रहना चाहिए और आप ही मेरा सबकुछ हैं। आपक ही through सकता है। अगर मेरे से बनता तो मैं क्यों आपके मामने गिडगिडाकर कहती कि बेटे ये चीज़ को करो। तुम लोग मेरे हाथ हो, हाथ के बगैर कोई काम

अपने अंदर अहंकार आदि झूठी चीजें नहीं लानी के तरीके न बदलें तो फिर से वैसे के वैसे हो चाहिए। और मुझे कुछ नहीं चाहिए, मैं सिर्फ ये चाहती हूँ कि ये आप लोगों का जो जीवन है, पूजा में आए हैं तो उस मान को रखना और अगले योगियों का जीवन, ये अत्यन्त सुन्दर जीवन बने साल में आने पर जितने भी लोग यहाँ पर आए और आपके साथ अनेक आपके कारण कल्याण के मार्ग में आएं और परमात्मा के साम्राज्य में स्थित हो जाएं। ये आखिरी काम है हमारा, ओर इसमें थोड़ा हमारी मदद कर दीजिए। सब काम हो जाएगा। हम आपसे कहते हैं कि आश्चर्य की बात है कि इंग्लैण्ड के लड़के जो हैं हमारी पास में हालां सब west से हैं, उनके मुकाबले में उत्तरना मुश्किल है। जैसी वो लोग मेहनत करते हैं और जिस तरह से हालांकि आज का दिन आपके लिए भी और मेरे ध्यान- धारणा करते हैं और जितनी एकनिष्ठा उनमें है आप लोगों में आना चाहिए। उनमें पैसा और ये संसार में आज नवरात्रि का अंतम दिन, बड़े से चीजें वो सोचते भी नहीं हैं और न ही किसी प्रकार से भी वो आलस्य करते हैं । इतनी मेहनत वो लोग कि इतने बच्चे सामने बैठे हों तो माँ का जी जिस करते हैं। उनको मैंने कहा कि आपको सिगरेट छोड़ना पड़ेगा, तो सिगरेट तो क्या उन्होंने सिगरेट का से मेरा हाल बहुत खराब है। और आप लोगों को भी कभी दुकान ही नहीं देखा। इतनी एकनिष्ठा और बहुत तकलीफ होती है सब चीजों से। ये तो है । इतना उनमें मेहनत करने की ये है कि आपके लेकिन तो भी ये सोचना चाहिए कि माँ के और भी सामने वाकई एक मिसाल के तौर पे ये लोग हैं कि बच्चे वहाँ हैं और ये सोच के कि वहाँ जब माँ जो इस कदर अनभिज्ञ हैं अपने धर्म से और अपने जाएंगी तो कैसे खुश होएंगे वे और उनके भी दिल तरीकों से, उन्होंने मास्टरी कर ली है और उसका आप देख सकते हैं कि Advent जैसी किताब लिखाई लोगों को जीत लेना चाहिए और सोचना चाहिए कि है? और ऐसी कम से कम चार पाँच किताबें अभी मां जायें! जैसा सुख हमें दिया वैसे उनको भी सुख आएंगी, बहुत जल्दी। कम से कम इस Advent का ही कोई traslation अपने ऊपर ले ले तो एक अच्छे वो भी सुखी हो जाएं तो तुम्हारा भी दिल शांत हो हिन्दी भाषा में हो जाए और एक मराठी भाषा में हो जाए तो भी बड़ा अच्छा हो जाए। यही मेरी पूजा है, कैंसे होगा, ये सब छूट जाएगा। हर एक चीज के यही मेरा सब कुछ है। बाकी सब पूजा में क्या अर्थ बारे में सबको पता है। अगर एक चीज का problem है? ऐसे तो सब मंदिरों में हो ही रही है मेरी पूजा, हो जाए, समझ लीजिए आपको कोई problem हो उससे क्या पाने का है? मेरी पूजा तभी होगी जब तुम अनेक लोगों को जागृत करोगे, हजारों लोगों को जागृत करोगे। जब में देखूंगी की ये शक्ति सारे संसार में बह रही है वही मेरी पूजा असल में होगी, करें, जैसा भी चाहें आप कर सकते हैं लेकिन बाकी सब मेरी पूजा आता। उससे थोड़ा बहुत आपको फायदा हो रहा है। है जाएगा। इसलिए बड़ा मान है आपका कि आप लोग हैं आज मुझे वचन दें हर एक आदमी कम से कम दस आदमियों को पार करायेगा। हर एक आदमी आज मुझे वचन दे और में आपको शक्ति देती हूँ। और हर एक आदमी इसमें पूरी तरह से, हमेशा जहाँ भी ध्यान होता है वहाँ आया करेगा और ध्यान कराएगा। ये हर एक आदमी को आज मुझे वचन देना चाहिए तभी मैं आपको पूर्ण शक्ति दूंगी। लिए भी बड़ा समारोह है, बड़ी भारी चीज़ है, सारे माना जाता है। लेकिन दुख की भी बात लगती है तरह से खिंचता है वो आप देख ही रहे हैं कि कल कितने बड़े हो जाएंगे और अपने दुख को आप दें और उनको भी ये आनन्द मिले और हमारे जैसे जाएगा और जो ये परेशानी है कि माँ कब आओगे, जाए कि भई क्या करें, इसमें कैसा solution है, क्या है तो आपस में पूछ लीजिए। आप लोग अपना पैसा इकटठा करें, जो कुछ आप कार्यक्रम करना चाहें याद रखना कि वो भी पैसा, एक-एक पैंसा, ये Public का पैसा जो होता है उसका बड़ा भारी में आने से आपके चक्र ठीक हो जाते अर्थ होता है। Public का पैसा आपको उड़ाना नहीं चाहिए। कभी भी एक पैसा भी नहीं, एक में कोई मुझे अर्थ नजर नहीं जुरूर पूजा हैं। पर गर आप इसको इस्तेमाल नहीं करें उसका उपयोग नहीं करें, उसको आगे न बढ़ायें, उसकी बूंद भी नहीं, आप लोग गलत चीज के लिए प्रतिष्ठा न रखें, उसपे महनत न करें, अपने जीवन खर्चा करें। नहीं तो हमने बीड़ी पी उसका पैसा

बाहर से आए हैं वो तो हमारे Guest हैं, पर जो यहाँ के हैं उनको तो अपना भी देना चाहिए और दूसरो का भी देना चाहिए। इतना भी एक साल में आप एक मर्तबा नहीं दे सकते हैं तो ऐसे भिखारियों को हमने चाय पी उसका पैसा, ये नहीं। हाँ अगर आपको बहुत ही कहीं जाना हो, कुछ खर्चा हो गया हो तो दूसरी बात है। पर अधिकतर आप अपने बस से जाइए, अपनी जैसी औकात से रहते हैं उसी से रहिए। अगर जो आदमी बस से चलता है- मैं टैक्सी आप बाहर करें । ऐसे भिखारी अपने को नहीं चाहिएं। से गया उसका पैसा, ये सब खर्चा नहीं करना। थोड़ा सबको मिलना जुलना चाहिए। एक बार के खाने का सा पैसा आपको भी खर्चा करना चाहिए। इस तरह से भी लोग करते हैं कि बड़े-बड़े खर्चे बता करके, ये सहजयोग में नहीं चल सकता। आप अगर ये करेंगे तो मैं फिर उसकी सजा निकालती हूँ। आप इसलिए बड़ा भारी drawback है। पर ये बम्बई में जानते हैं ये चल नहीं सकता सहजयोग में। सहजयोग सबसे ज्यादा है। इसका मतलब वम्बई में कुछ न में आपको बहुत Public के money के लिए, बहुत कुछ गड़बड़ है। अगर आपको अपना लक्ष्मीतत्व ख्याल रखना है। ये कोई Politics नहीं है कि आपने जागृत करना है तो पैसों के मामले में जरा ढील पैसा मार लिया और जिसको जैसा कर लिया। ये छोड़ दें और दूसरा ये कि ईमानदारी रखें। दोनों चीज परमात्मा का साम्राज्य है और इसके कायदें बहुत होनी चाहिए। दानी भी होना चाहिए और ईमानदार कड़क होते हैं। इसलिए इसमें पैसा-वैसा की गड़बड़ एक कौड़ी की नहीं होनी चाहिए। कायदे से आप रखिए, कायदे से रहें और अपने को जूते मारा करें, सुबह से शाम तक, गर दिमाग में ऐसा कोई भी बढ़िया हुआ कि Next time दादर में तो एक बड़ा ख्याल आए, तो सब ठीक हो जाएगा। आपको ये ही जोर का सेन्टर बन जाएगा। वस दादर से बहुत सब चीजों का किसी का अधिकार नहीं है। जब तक ये अधिकार प्राप्त नहीं होता अनाधिकार चेष्टा नहीं करनी। और सब चीज बहुत Gracefully करे। सब चीज में Grace होनी होना चाहिए, दुलार होना चाहिए। आपस में मिलो, वच्चे किस तरह से मेरे बढ़ रहे हैं और इसका कितनी खुशी की बात है कि देखिए कहाँ कहाँ से, आज ही यहाँ पर देखिए कहाँ-कहाँ से लोग आए हैं। सब जाति, सब धर्म के लोग आज बैठे हुए हैं, प्रोग्राम हों और बड़ा अच्छे से सफलता मिले, ये कितने आनन्द की बात है। एक दूसरे की पूरी तरह से मदद करो, कोई बीमार हो तो दौड़ के जाओ, देखो क्या तकलीफ है। कितनी अच्छी बात है। आपस में मेलजोल होना चाहिए। इसीलिए मैंने कहा कि आज यहाँ पर dinner, लंच करो तो अच्छा है। अभी लंच में पैसा नहीं देंगे, बहुत से लोग ऐसे हैं, हम लंच में पैसा नहीं देंगे। मैंने कहा ठीक है कोई पैसा नहीं दे सकते हम? ऐसे गये वीते लोग हैं क्या? एक सहजयोग में बहुत बड़ा drawback हो गया है क्योंकि हम इसमें पैसा ही नहीं लेते हैं भी होना चाहिए। इससे सब ठीक हो जाएगा अगले वक्त में आऊ, मुझे इस वक्त बड़ी खुशी हुई कि दादर का प्रोग्राम इतना जबरदस्त हुआ और इतना खुश हो गई हूँ मैं और आपको अनेक आशीर्वाद हैं। इस दादर में जगह ऐसे ही बड़े बड़े प्रोग्राम हों और बड़ी खुशी की बात है। इससे इतनी खुशी होती है कि देखिए जिस तरह से प्रोग्राम हुआ है हरेक चाहिए, आपस में प्यार importance समझ रहे हैं। इसको बढ़ाएं, आगे चलाएं जैसे दादर में प्रोग्राम हुए, ऐसे हर एक जगह आपके सबको आपको अनेक आशीर्वाद मैं देती हूँ। मेरे हृदय से मैं आपको अनेक आशीर्वाद देती हूँ, आप समृद्ध हों, आप समर्थ हों और आपके अन्दर से अनेक शक्तियाँ बह करके संसार का भला करें और कल्याण करें। और माँ की एक ही इच्छा है कि सारा संसार जो है वो में आ जाए, आनन्द में सुख आ जाए। वो तो आप लोग पूर्ण करें। (मूल आडियो के अनुरूप)