निष्क्रिय ध्यान के लिए सलाह
लंदन (यूके), 1 जनवरी 1980।
जीवन में उसी तरह से चैतन्य, वायब्रेशन आ रहे हैं, वे प्रसारित हैं। आपको जो करना है, वह खुद को उसके सामने खुला छोड़ देना है। सबसे अच्छा तरीका है की कोई प्रयास नहीं करें। आपको क्या समस्या है इस पर चिंता न करें। जैसे, ध्यान के दौरान कई लोग, मैंने देखा है कि अगर उन्हें कहीं रुकावट हैं तो वे उसकी देखभाल करते रहते हैं। आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप बस इसे होने दें और यह अपने आप काम करेगा। यह बहुत आसान है।इसलिए आपको कोई भी प्रयास नहीं लगाना पड़ेगा। यही ध्यान है। ध्यान का अर्थ है स्वयं को ईश्वर की कृपा के सामने उघाड़ देना । अब कृपा ही जानती है कि तुम्हें कैसे ठीक करना है। यह जानता है कि आपको किस तरह से सुधारना है, कैसे स्वयं को तुम्हारे अस्तित्व में बसाना है, आपकी आत्मा को चमकाना है। यह सब कुछ जानता है। इसलिए आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है कि आपको क्या करना है या आपको क्या नाम लेना है, आपको कौन से मंत्र करने हैं। ध्यान में आपको बिल्कुल प्रयास रहित होना है, खुद को पूरी तरह से उजागर करना है और आपको उस समय बिल्कुल निर्विचार होना है।
माना की कोई संभावना है, आप शायद निर्विचार नहीं भी हो पायें। उस समय आपको केवल अपने विचारों को देखना है, लेकिन उनमें शामिल न हों। आप पाएंगे की जैसे क्रमशः सूर्य उदय होता है, अंधेरा दूर हो जाता है और सूरज की किरणें हर दरार और हर हिस्से में पहुँच जाती हैं और पूरी जगह को रोशन कर देती हैं। उसी तरह से आपका अस्तित्व पूरी तरह से प्रकाशित हो जाएगा, लेकिन अगर आप उस समय में प्रयास करते हैं या अपने भीतर कुछ रोकने की कोशिश करते हैं या इसे एक बंधन देने की कोशिश करते हैं तो यह नहीं होगा।
प्रयास हीनता ही ध्यान करने का एकमात्र तरीका है, लेकिन आपको इसके बारे में सुस्त नहीं होना चाहिए – सतर्क होना चाहिए और इसे देखना चाहिए। दूसरा पहलू की लोग सिर्फ ऊँघने लग सकते हैं। नहीं! आपको सचेत रहना होगा। यदि आप की आँख लग जाती हैं, तो कुछ भी काम नहीं करेगा। इसका दूसरा पहलू यह है कि यदि आप इसके बारे में आलसी हैं, तो कुछ भी काम नहीं करेगा। आपको सतर्क और खुला होना होगा, बिल्कुल जागरूक, पूरी तरह से बिना कोशिश के – बिल्कुल प्रयास रहित। यदि आप बिल्कुल सहज हैं, तो ध्यान सबसे अच्छा काम करेगा।
अपनी समस्याओं के बारे में बिल्कुल न सोचें, आपके जो भी चक्र हैं, कुछ भी। बस खुद को बेनकाब करो। देखें कि जब सूर्य चमकता है तो सारी प्रकृति सूर्य के सामने प्रकट हो जाती हैं और अनायास सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त कर लेती हैं। यह कोई भी प्रयास नहीं करती है, जब इसे सूर्य की किरणें प्राप्त होती हैं,यह केवल अपने आप ग्रहण करती है, फिर सूरज की किरण कार्य करना और करवाना शुरू करती है।
तो, उसी तरह, सर्वव्यापी शक्ति काम करना शुरू कर देता है। आप को इसका का प्रबंधन नहीं करना पड़ता हैं। आप को इसके बारे में कुछ नहीं करना हैं। बस सहज हो, बिलकुल प्रयास रहित। कोई भी नाम न लें। अगर आपका आज्ञा पकड़ रहा है, या कोई अन्य रुकावट है, तो चिंता न करें। यह काम कर रहा है। यह तब तक काम करेगा जब तक कर सकेगा और यह चमत्कार करेगा जो इसे करना है। आपको इसके बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। यह अपना काम जानता है। लेकिन जब आप एक प्रयास डालते हैं तो आप वास्तव में इसके लिए एक रुकावट पैदा करते हैं। तो किसी भी प्रयास की आवश्यकता नहीं है, बिल्कुल सहज रहें और कहें कि इसे होने दो, इसे जाने दो ’- यह सब है।
किसी भी मंत्र का जाप नहीं करना है, अगर आपको यह असंभव लगता है – तो आप मेरा नाम ले सकते हैं, लेकिन इसकी भी कोई आवश्यकता नहीं है। जब आप अपना हाथ मेरी ओर रखते हैं तो यही मंत्र, पर्याप्त है , यह मुद्रा स्वयं ही मंत्र है। आप देखिये हैं कि इसे और अधिक कहने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन दिमाग में विचार,और भावना यह होनी चाहिए कि हमें अपने हाथ उस ओर फैलाने होंगे और यह कार्यान्वित होना चाहिए। जब ऐसी भावना पूर्ण रूप से होती है, तो किसी भी मंत्र को कहने की आवश्यकता नहीं होती है, और आप इससे परे चले जाते हैं। तो, व्यक्ति को बिलकुल प्रयास रहित होना है, बिलकुल सहज। यह जो है, ऐसा ही है।ध्यान आपके स्वयं के विकास के लिए है, आपके स्वयं के असल लाभ के लिए है जो आप को पाना है। लेकिन एक बार जब आप इसमें शामिल हो जाते हैं, तो आप को अपनी शक्तियों भी प्राप्त हो जाती हैं। जैसे, आप गवर्नर बनते हैं फिर आपको गवर्नर की शक्तियाँ मिलती हैं। इस समय आपको किसी और के बारे में नहीं सोचना होगा। आप अपना ध्यान किसी और पर नहीं लगाते हैं बल्कि इसे प्राप्त करते हैं, बस इसे प्राप्त करते हैं। किसी भी अन्य समस्या के बारे में मत सोचो, लेकिन यह, कि आपको प्रयास रहित, बिल्कुल सरल होना होगा।
यह उन लोगों पर सबसे अच्छा काम करेगा जो केवल इसे ग्रहण कर रहे हैं। आपको समस्याएँ हैं – इसीलिए तो आप यहाँ हैं, लेकिन आप उन्हें हल नहीं कर सकते, उन्हें ईश्वरीय शक्ति द्वारा हल किया जाना है। इसे पूरी तरह से समझा लेना चाहिए की , हम अपनी समस्याओं को हल नही कर सकते। हमारी समस्याओं का समाधान कर पाना हमारे लिए संभव नहीं है | इसलिए इसे ईश्वरीय शक्ति के हाथों में छोड़ दें और अपने आप को निष्क्रियता से उजागर करें, बिल्कुल अनायास।
आराम से बैठें, और जमीन पर दोनों पैरों के साथ ठीक से, दोनों हाथों इस तरह आराम से खुले रखें। आराम से रहें, आपको बिल्कुल भी परेशान नहीं रहना चाहिए। बहुत आराम से रहें क्योंकि यदि आप कुछ समय के लिए बैठते हैं और आप अपना ध्यान मेरी तरफ लगाने की कोशिश करते हैं, अपने आप में ,यदि आप कर सकते हैं तो मेरी कुंडलिनी पर। आप मेरी कुंडलिनी में आ सकते हैं और यह अनायास ही हो जाएगा, हाथों को इस तरह होना चाहिए, जैसे संग्रह कर रहे हों ।
तो निष्क्रियता मुख्य शब्द है, बिलकुल प्रयास हीन, चाहे आप मेरे सामने ध्यान कर रहे हों, या मेरी तस्वीर के सामने |