Transformation, Morning Advice at Bordi seminar

Bordi (भारत)

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                    रूपांतरण 

 बोर्डी (भारत) सेमिनार में सुबह की सलाह 

 27 जनवरी, 1980

जब सभी यहां आये तब हर कोई बहुत अच्छा महसूस कर रहा था, खुश था और उन्हें लगा, उनके चैतन्य बिल्कुल ठीक थे। लेकिन ऐसा नहीं था।

इसलिए सतर्क रहें, आप देखें – एक-दूसरे से इसे परखने को कहें कि कृपया आप जाँच करें, इसके बारे में विनम्र रहें।

आपको परखते रहना चाहिए। जब तक आप खुद की जांच नहीं करते, तब तक आप कैसे जानेंगे कि आप क्या चीज पकड़ रहे हैं?

दूसरों को आपकी जाँच करने के लिए निवेदन करें और विनम्र रहें, इसके बारे में बहुत विनम्र हों | चीजों को हल्केपन में न लें,  जब तक हम खुद को बदल नहीं देते,सहज योग का आपके लिए कोई मतलब नहीं है।

आप देखें, इस रेडियो, ट्रांजिस्टर या, लाउडस्पीकर की ही तरह सहज योग की अभिव्यक्ति का भी बहुत भौतिक तरीका हो सकता है। हमें यह जानना होगा कि सहज योग हमारे माध्यम से ऊर्जा प्रवाहित करने मात्र के लिए नहीं है, जैसे कि अन्य सभी भौतिक चीजें ऊर्जा पारित कर रही हैं।यह माइक ऊर्जा को प्रसारित कर रहा है, यह ट्रांजिस्टर ऊर्जा को फैला रहा है और इस तरह की अन्य सभी चीजें ऊर्जा को प्रसारित कर रही हैं।उन के अंदर कुछ नहीं जाता।जैसे … एक कलाकार गा रहा है और, उसकी आवाज का रेडियो में से  गुजरना होता है। उसी तरह,चूँकि किसी तरह कुंडलिनी को शक्ति के स्त्रोत्र से जोड़ा गया है, यदि हमारी शक्ति बहने लगती है ; ना तो इसने अपना काम किया, और ना ही आपने अपने साथ कोई न्याय किया है। इसलिए आपको अपने भीतर इस गंगा के प्रवाह को अवशोषित करना होगा और इसे आत्मसात करना होगा और स्वयं को बदलना होगा। गंगा बह रही होगी, लेकिन अगर यह पथरीले क्षेत्र से बह रही है, तो पत्थर गंगा नदी से कुछ भी अवशोषित नहीं करने वाले हैं। लेकिन अगर यह उपजाऊ भूमि से बह रही है, तो हर कोई उस पानी का उपयोग कर रहा होगा। इसलिए आपको खुद को रूपांतरित करके अपनी कुंडलिनी का उपयोग करना होगा। रूपांतरित होने का प्रयास करें।

सुनिश्चित करें कि आप कितना परिवर्तन करते हैं।

अब, कुंडलिनी के बारे में उम्मीद बन जाती है, इतनी सहजता से बन जाती है की, – लोग इसे बहुत ही अजीब अंदाज में कहते हैं – कि लोग सोचते हैं कि कुंडलिनी को खुद ही सब काम करना चाहिए, भले ही हम खुद दोनों तरफ से पत्थर जैसे हों, और कुंडलिनी इसे कार्यान्वित करे, जो बहुत, बहुत गलत विचार है।

अगर गंगा नदी बह रही है, तो भी आपको नदी में जाना होगा। तुम्हें अपने घड़े भरने हैं, तुम्हारे पास सुंदर घड़े होने चाहिए; आपको उन्हें ले जाना होगा; आपको उन्हें अपने घर लाना है और फिर अपने घर के लिए, अपने भोजन के संवर्धन के लिए पानी का उपयोग करना है। उसी तरह, यदि आप स्वयं को परिवर्तित नहीं कर सकते हैं,  यदि आप स्वयं को नहीं बदल सकते हैं, तो यह कुंडलिनी एक पतली रेखा की तरह हो जाएगी और आप हर समय पकड़ में रहेंगे और बहुत प्रगति नहीं होगी। प्रगति बाहर प्रदर्शित होना चाहिए। जो लोग सोचते हैं कि सुबह से शाम तक मंत्र कहने से वे बहुत कुछ हासिल करने जा रहे हैं, दुखद है की वे गलत है ; तब यह सब मशीनी ढंग है, कई लोगों को हर समय मंत्र चिल्लाते रहने की आदत है। यह आदत ठीक नहीं है। 

मंत्रों द्वारा आपके चक्र खुलना चाहिए, अन्यथा, यह निरर्थक है। उन्हें प्रमुख बिंदुओं पर, बहुत सम्मान के साथ, बड़ी समझदारी के साथ सही तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिए, और फिर उन्हें अपने चक्रों को खोलने की अनुमति दें, जिसके द्वारा आप कुंडलिनी नामक उस महान चीज़ के जल को शोषित करते हैं। उसके प्यार के माध्यम से आप के लिए बड़ा आशीर्वाद आ जाएगा। लेकिन उस तरह नहीं जैसे लोग कर रहे है, वरना कोई परिवर्तन नहीं होगा। यदि आपकी पहचान अपने अहंकार के कारण  हैं और सोचते हैं कि आप ठीक हैं, तो  दुखद है की आप गलत है। आपको अपने भीतर पूरी तरह से बदलना होगा।

कुछ लोगों को अगर उनकी परिस्थिति बदलती हैं तो बहुत अच्छा लगता है और उन्हें लगता है कि ओह, उन्होंने सबसे ज्यादा हासिल किया है।

लेकिन ऐसा नहीं है, केवल परिस्थिति ही बदल गई है, केवल वातावरण जो बदल गया है और जिससे आपको लगता है कि आपने कुछ महान हासिल किया है।

 आपको इसे, जहाँ भी आप हो वहाँ पर ही, हासिल करना होगा। इसे बरकरार रखा जाना चाहिए और होना चाहिए।

लेकिन एक शांत जगह पर आकर, आप अधिक ध्यान दे सकते हैं, इसलिए आप यहाँ आये हैं।

लेकिन यहाँ आकर, अगर आप बस अच्छा महसूस करते हैं और सोचते हैं कि ओह, आपने सब कुछ हासिल कर लिया है, तो यह …  दुखद है की आप गलत है।

आपको इसी माहौल में बढ़ना होगा; आप यहां विकसित होने और बदलने के लिए आए हैं, पूरी तरह से अलग व्यक्ति होने के लिए।

आप की पहचान आप के अहंकार से ना हो और “किसी ऐसी चीज से संतुष्ट ना हों जो आप को अच्छी और बढ़िया महसूस होती है ।”  हालात को देखने का यह तरीका नहीं है। आपको खुद को बदलना होगा और खुद को देखना होगा की : आप कैसे व्यवहार कर रहे हैं? आप चीजों के बारे में कैसा महसूस कर रहे हैं? आप हालातों के बारे में नया नजरिया अपना रहे हैं या नहीं?

अब, अहंकार के तरीके से जो सबसे बुरी चीज आती है, वह है जिद, आप की अपनी ही जिद। जिद्दी लोग अत्यंत ही कठिन होते है और वे अपनी अशिष्टता पर गर्व करते हैं और वे यह कहते भी जाएंगे कि, “हां, मैं अड़ियल हूं।” क्या करें? यदि आप ऐसी सभी निरर्थक बातों पर गर्व करते हैं, तो आप इन पत्थरों का वजन अपने सिर पर उठाते हैं – इस जीवन, अगला जीवन और आने वाले कई जीवन जो आप जीने जा रहे हैं। ऐसे सभी पत्थरों को तुरंत गिरा देना चाहिए और उन्हें ढहा देना चाहिए क्योंकि आपको अपनी सुंदरता को प्राप्त करना है।

आपने देखा है कि कैसे एक फूल जो भी अनावश्यक है उसको गिरा देता है, अपने सिर को बाहर की तरफ भेद कर खिलता है, दूसरों को सुगंध देने के लिए खुलता है।

यदि,आप दूसरों को सुगंध देना चाहते हैं|देखें, आपके भीतर कितनी सुगंध है? क्या तुम्हारे भीतर सुगंध है कि, तुम दूसरों को सुगंध देने जा रहे हो? तो यह वो बात है जो कि हर किसी व्यक्ति को पता लगाना और करना है। सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात: आप दूसरों से कितना प्यार कर सकते हैं? पति, पत्नी, बच्चे, पिता, माँ – के रूप में आप अपने कर्तव्यों में सब कुछ को कहाँ तक पूरा कर सकते हैं?

लोगों का सहज योग को समझने का यह तरीका की, हवा में कहीं भी झूलते रहें और फिर कहें कि, “मैं बिलकुल ठीक हूँ”,बिलकुल नहीं है।

बेशक, मुश्किल लोग और मुश्किल रिश्ते हैं, लेकिन एक सहज योगी के पास पूरे हालात के बारे में बहुत अलग दृष्टिकोण होना चाहिए और उन सभी मौजूद समस्याओं को सुधारने में सक्षम होना चाहिए| जो लोग उनके परिवार और इर्द-गिर्द में सहज नहीं हैं उनके बारे में बहुत मजबूत और दृढ़ दृष्टिकोण रखना चाहिए और उन्हें यह कह देना चाहिए कि, “आप कर क्या रहे हैं? क्या आप लोग अपना पूरा जीवन इसी प्रकार से चलाते रहेंगे और सारा बोझ सर पर रख इसी के साथ मरेंगे …  या आप इससे छुटकारा पाने जा रहे हैं? ” लेकिन सबसे पहले, स्वयं आपको पूरा सही होना चाहिए।

अब हमारे अस्तित्व में, हमारे पास मनस है,जो बाईं ओर से यह दाहिने तरफ आता है और पीछे की ओर जाता है, और हमें अहंकार भी मिला है, जो अहंकार है, वो – दाहिने हाथ की तरफ से आता है … दायीं ओर से बायीं तरफ फिर मस्तिष्क में यह आगे आता है, यह बायीं ओर चलता है।

तो इन दो चीजों के साथ, दोनों – अहंकार और प्रति अहंकार, मनस और अहंकार जो हमें मिला है – इन दोनों के बीच में बुद्धि है, वह बुद्धिमत्ता है। लेकिन यह बुद्धिमत्ता यदि विवेक द्वारा, सुबुद्धि द्वारा संतुलित नहीं है –  – तब यह बहुत खतरनाक हो सकता है, और यह जो आप कर रहे हैं उन सभी का लेखा-जोखा रखता है। यह जानता है कि आप क्या कर रहे हैं। लेकिन अगर आप अपने अहंकार या प्रति अहंकार से पहचाने जाते हैं, तो विवेक बहुत दूर तक सहायक नहीं हो सकता। शुरुआत में, यह आपको बताने की कोशिश कर सकता है कि, “यह गलत है, आपको वहां नहीं जाना चाहिए, आपको ऐसा नहीं करना चाहिए,” लेकिन फिर यह चुप हो जाता है।

इसलिए आपको अपनी बुद्धिमत्ता के बारे में भी बहुत सावधान रहना होगा। तुम्हारी बुद्धि अचानक चुप हो जाती है; यह आपकी मदद नहीं करेगी फिर, अहंकार या फिर प्रति-अहंकार हावी हो जाता है।

फिर आपकी सारी सोच, आपकी सारी समझ… अहंकार के अनुरूप चलती है, और आप इसके साथ आगे बढ़ते हैं, और आप बस यह नहीं जान पाते कि आप कहाँ जा रहे हैं, आप क्या कर रहे हैं।

इसलिए जब हम इस जगह पर  हैं, तो हमने … सहज योग का एक बहुत अच्छा सत्र तय किया हैं, जब हम यहां से जाएंगे, तो हम सभी के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि, हम कितने परिवर्तित होने जा रहे हैं। वरना तो ,  यह हर बार है कि, वहाँ एक पूजा है, वहाँ एक हवन है, … और अपने भीतर क्या प्रगति है ?- हमें देखना चाहिए। क्या यह उतना ही है जितना एक चींटी एक मिनट में चलती है या यह कुछ ज्यादा है? चूँकि हम खुद को बदलना नहीं चाहते हैं इसलिए प्रगति धीमी है। हर पल यह सुनिश्चित करने की कोशिश करें कि आप अपने आप को रूपांतरित कर रहे हैं। मैंने ऐसे लोगों को देखा है जो हिप्पोपोटेमस की तरह रह रहे हैं – हिप्पोपोटामस की तरह रह रहे हैं। जो लोग लकडबग्घा(चालाक) की तरह रह रहे हैं वे लकडबग्घा जैसे रह जाएँगे। वे अपनी खुद की पहचान के साथ बने रहते हैं, और इसके बारे में बहुत खुशी महसूस करते हैं, जो कि बहुत गलत बात है। तुम्हें खिलना है, फूल की तरह खिलना है। खुद को बदलो, खुद को परिवर्तित करो! यह परिवर्तन आपकी सहायता करने वाला है। यह जीवन के नए आयाम में प्रवेश करने जैसा है। जब तक यह शुरुआत दिखाई नहीं देती, तब तक आपके जीवन का कोई अर्थ नहीं है, सहज योग का आपके लिए कोई अर्थ नहीं है। इसलिए इस परिवर्तन को शुरू करने के लिए अपने स्तर पर जीवन के हर मिनट पूरी कोशिश करें – फिर आप जीवन की समृद्धि से आश्चर्यचकित हो जाएँगे।

मुझे लगता है की, अभी-अभी मैंने, आप को, जो भी मैं कोशिश कर सकती हूं, काफी स्पष्ट कर दिया। मैंने आपको ऊपर-नीचे स्पष्ट कर दिया है – काफी, क्या ऐसा नहीं है?  लेकिन इसके बावजूद, अब इसे बनाये रखना आप पर है।

सबसे पहले, आपका चित्त, मुझे नहीं लगता, यह सब ठीक है। यही कारण है कि आप राईट नाभि और लीवर पर पकड़ते हैं।

चित्त एक तरफ होना चाहिए, लेकिन अगर आप अपना सिर घुमाते हुए, अपना चित्त हिलाते हैं, तो आप निर्विचार नहीं हो सकते।

तो निर्विचार पर टिके रहने के लिए, आपको पहले अपना चित्त स्थिर रखना होगा, और एक बार जब यह दृढ़ता प्राप्त हो जाती है, तो आपको बस यह सुनिश्चित करना होगा कि आप निर्विचार हैं। अपने सभी विचारों को निर्विचार की धारा में रखें और यह आपकी समस्या का समाधान करेगा।

लेकिन निश्चित रूप से परिवर्तन ही एक सकारात्मक कदम है, जहां आप खुद को देखते हैं।

तुम देखते हो, तुम अपने को देखते हो; आप खुद को पुकारते हो, जैसे मान लो , आप खुद को निर्मला कहते हो। फिर आप कहेंगे, “ओह, निर्मला, हालात को देखने का क्या अब यही तरीका है?”

दृष्टा के रूप में स्वयं को पहचानना रूपांतरण है। ताकि, एक बार जब आप उस स्वयं को उस व्यक्तित्व के रूप में पहचानना शुरू कर दें और इस स्व को जो निर्मला है, कुछ व्यक्त करें, तो आप अलग हो जाते हैं; तब रूपांतरण होता है।

क्योंकि पहले, आपको देखना चाहिए और फिर आपकी उस दृष्टा रूप से पहचान होना चाहिए, तब आपके भीतर एक रूपांतरण है।

अन्यथा, आप अपने भीतर केवल कुछ ऊर्जा लिए रहेंगे, जिसके माध्यम से आप कुछ चमत्कार कर सकते हैं – आप कुंडलिनीयां उठा सकते हैं।

लेकिन आपका क्या ? आप जहाँ थे वहीं रह जाओगे। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जब हम ऐसे किसी स्थान पर आते हैं, तो हमें सहज योग के लिए बहुत ही बाहरी और निरर्थक बातों में बह नहीं जाना चाहिए। अब बाद के दिनों में,  मैं आपको बताऊंगी कि आप अपनी विभिन्न शक्तियों को कैसे बढ़ाएँ, लेकिन मुझे लगता है कि, अभी हमें तय करना होगा की,  हम यहाँ से बिल्कुल परिवर्तित, नए व्यक्तित्व में जाएँगे।

परमात्मा आपको आशिर्वादित करें।