Joy

Dhule (भारत)

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[Hindi translation from English]                      

 आनंद

 धुले, भारत 1980-01-28

… और उनकी खुशी। इसलिए, वास्तविक अर्थों में आत्मा के साथ कोई तालमेल, जो सिर्फ एक आनंद देने वाला गुण है स्थापित नहीं किया जा सकता है,। तो इस प्रकार आत्मा की आनंद प्रदान करने वाली गुणवत्ता को इतना कम कर दिया गया है, इतना कम कर दिया गया है, कि बुद्धिजीवियों का आनंदित हो पाना असंभव है। आपको यह प्रमाणित करना होगा कि, “अब खुश रहो!” आप समझ सकते हैं। भले ही आप प्रमाणित करें, भले ही पूरी दुनिया प्रमाणित करे, कि यह हर्षित होने का तरीका है, वे स्वीकार नहीं करेंगे। और वे सोचते हैं कि ऐसा स्वीकार कर लेने का अर्थ है, जैसे कि वे स्वर्ग छोड़ रहे हैं, वे अपनी सभी जायदाद को छोड़ रहे हैं, वे अपना सब कुछ छोड़ रहे हैं! वे इस हद तक उस पर टिके रहेंगे! मेरा मतलब है, अगर आपको तैराकी सीखनी है, और अगर आपको तैराकी का आनंद लेना है, तो आपको उस बाहर की रिंग पर जो आप की पकड़ है उसको छोड़ना होगा। लेकिन आप रिंग को पकड़ेंगे, और कहेंगे, “नहीं, यह रिंग है, मैं नहीं छोड़ सकता!

“इसलिए बुद्धिजीवियों का इस तरह का रवैया उनकी खुशी को मार देता है, और इसीलिए वे हर्षोल्लास का आनंद नहीं उठा पाते हैं। और इसी वजह से सब कुछ किसी न किसी बहाने, या किसी तरह का डर, या शायद किसी तरह के वर्चस्व से कार्यान्वित होती है। तो पूरी चीज को इतने कृत्रिम रूप से प्रबंधित किया जाता है की, सब कुछ आनंद के दायरे से बिल्कुल बाहर रहता है। वह सब जो आनंद के दायरे से बाहर है। जबकि दायरे अंदर है, आप सिर्फ किसी कृत्रिम के लिए बाहर लड़ रहे हैं। आपको अंदर आना होगा! और मुझे नहीं पता कि क्या करना है, लेकिन कभी-कभी मुझे उन्हें इस तरह से धक्का देना पड़ता है। उन्हें अंदर खींचना होता है, उन्हें अंदर धकेलना पड़ता है और उन्हें दबाव पूर्वक अंदर करना पड़ता है। एक छोटे बच्चे की तरह, जो बोतल चूसना नहीं जानता है: आपको बोतल की स्थिति में सुधार करना होगा ताकि बच्चा बोतल चूसने के मज़े को समझने लगे।यह आश्चर्यजनक है कि कैसे, लोग सहज योग में कई साल रहते हैं, फिर भी वे आनंद महसूस नहीं करते हैं, इस प्रकार की कंडीशनिंग  होने के कारण। बस अपने आप को अकेला छोड़ दो! आप देखिए, भले ही वे कभी-कभी बाहर जाते हैं, वे निराशा में, गुस्से में, घृणास्पद तरीकों से जाते हैं।मैंने किसी भी सहज योगी को सिर्फ चीजों का आनंद लेने के लिए बाहर जाते नहीं देखा है – “चलो बस आनंद लेने के लिए बाहर जाएँ!” यदि वे ऐसा करते हैं, तो वे करेंगे! लेकिन आम तौर पर, अगर वे किसी से नाराज हैं, तो वे एक बगीचे में जाएंगे। मेरा मतलब है, उस समय आपको नहीं जाना चाहिए, आपको घर पर बैठना चाहिए। आपको केवल तभी बाहर जाना चाहिए जब आप एक मज़े की स्थिति में हों। केवल तभी आप हर जगह आनंद देख सकते हैं। और हर समय अस्थिर चित्त के कारण, आप देखिए। इसके अलावा चित्त का ऐसा तरीका इस पर गौर करना, उस पर गौर करना, इस वाले पर गौर करना है, हर चीज की आलोचना करना है, हर चीज का विश्लेषण कर रहे है। मेरा मतलब है, पूरी मशीनरी एक ऐसे खडखडिया कार की तरह हो जाती है जिसके सभी हिस्से आवाज करते हों चकनाचूर हो जाते हैं, और अगर आप उसमें बैठते हैं और आप बहुत असहज और दुखी महसूस करेंगे।