Sympathetic and Parasympathetic

London (England)

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                  “अनुकंपी और परानुकंपी”

 डॉलिस हिल आश्रम। लंदन (यूके), 24 अप्रैल 1980।

एक्यूपंक्चर वास्तव में उस शक्ति का दोहन है जो पहले से ही हमारे भीतर है। अब उदाहरण के लिए, आपके पेट में एक निश्चित शक्ति है, ठीक है? अब पेट में आपके अन्य अंगों को लगातार इस शक्ति की आपूर्ति की जाती है, तथा अनुकंपी तंत्रिका तंत्र के माध्यम से उसका उपयोग किया जाता है। परानुकम्पी इसे संग्रहीत करता है और अनुकंपी इसका उपयोग करती है।

अब मान लीजिए पेट में कोई बीमारी है। तो अब उसमें जो शक्ति है, उस विशेष केंद्र की प्राणिक ऊर्जा एक प्रकार से समाप्त हो गई है या बहुत कम है। तो आखिर वे करते क्या हैं? उस व्यक्ति को कैसे ठीक किया जाए? वे दूसरे केंद्र से लेते हैं, उसे मोड़ते हैं, और वहां रख देते हैं। और इस तरह वे इसे ठीक करने की कोशिश करते हैं। लेकिन इससे वे असंतुलन पैदा करते हैं, क्योंकि आपके पास सीमित ऊर्जा है; आपके पास एक सीमित, बिल्कुल सीमित, ऊर्जा है। अब मान लीजिए कि आपके पास एक सीमित पेट्रोल और दूसरी कार है जिसका पेट्रोल खत्म हो गया है। अब अगर आप दूसरी कार में पेट्रोल डालते हैं, तो शायद वह कार आधी दूर तक चली जाएगी और आप भी आधे रास्ते जाकर खत्म हो जाएंगे। आप मेरी बात समझते हैं? तो ये दोनों ही आपकी लंबी उम्र को कम करते हैं। तो यह हमारे भीतर स्थित उस सीमित ऊर्जा का निचोड़ है ।

सहज योग बहुत अलग चीज है: सहज योग में आपकी कुंडलिनी उठती है और आपको सर्वव्यापी शक्ति से जोड़ती है। तो हर समय आपको शक्ति मिल रही है, आपके भीतर की महत्वपूर्ण शक्ति प्रवाहित हो रही है, और उस शक्ति की कोई मृत्यु नहीं है। यह हर समय बह रहा है, अनुग्रह।

लेकिन यहां जब आप एक ऊर्जा को दूसरी जगह में लगाते हैं तो कोई उचित समझ नहीं होती की कितना देना है, कितना संतुलन करना है और इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। एक बार जब आप एक साक्षात्कारी -आत्मा हो जाते हैं, मान लीजिए कि किसी को पेट में परेशानी है, तो आपको बस अपना हाथ पेट पर रखना है, समाप्त। उस व्यक्ति का आप इलाज कर सकते हैं। आप कैंसर का इलाज कर सकते हैं, आप कुछ भी ठीक कर सकते हैं क्योंकि आप उस ऊर्जा के स्रोत बन जाते हैं और आपकी ऊर्जा सीमित नहीं है। आपको सर्वव्यापी शक्ति से ऊर्जा मिल रही है, आप उससे जुड़े हुए हैं। तो तुम जो कुछ भी कर रहे हो वह वैसे ही बह रहा है और तुम बस उस शक्ति के साक्षी बन जाते हो जो बह रही है।

तो आपको किसी का भी कुप्रबंधन, लापरवाह देखभाल करने की आवश्यकता नहीं है। आप बस उस हिस्से की देखभाल करते हैं जिसमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है और आप कुंडलिनी को ऊपर उठाते हैं और उस बीमार व्यक्ति को भी बोध देते हैं, ताकि वह भी दूसरे को दे सके। वह ठीक हो जाता है, फिर वह दूसरों को ठीक कर सकता है। यह ऐसा है।

तो इस ऊर्जा का दोहन सबसे पहले चीन में शुरू हुआ जब ज़ेन प्रणाली कार्यरत हुई, ज़ेन। जेन और कुछ नहीं बल्कि सहज योग है, वही चीज है। लेकिन ज़ेन के छह शताब्दियों में केवल छब्बीस कश्यप थे। कश्यप का अर्थ है साक्षात्कारी-आत्मा। छह सदियों में केवल छब्बीस। और अब कोई नहीं हैं।

मैं यहां आए ज़ेन के अध्यक्ष से मिली हूं। वह अध्यक्ष हैं, मैं नहीं जानती कि कैसे वह अध्यक्ष हैं। उसकी कुंडलिनी वहीं जमी हुई है। उसे बोध नहीं हो सकता मैं आपको बताती हूँ! वह बोध से परे है। वह बीमार था इसलिए वे मुझे उसके पास ले गए। और उसने कहा, “हाँ, आपने मुझे निरोगी किया है, ऐसा,वैसा | मुझे अपनी चंगा करने की शक्ति दीजिये।” मैंने कहा, “आपको अपना आत्म-साक्षात्कार लेना होगा!” उन्होंने कहा, “मैं कैसे कश्यप हो सकता हूं? वे इतने ही थे, मैं कश्यप कैसे हो सकता हूँ? मैं अभी भी नहीं हूं…” मैंने कहा, “तुम बन जाओगे। आप इसे क्यों नहीं पा लेते?” लेकिन वह ऐसे ही चल रहा था। वह आत्मसाक्षात्कार नहीं लेंगे। वे अज्ञानता में जीना चाहते हैं। तो, मुख्य बात यह है कि आप पहले अपनी प्राप्ति प्राप्त करें, आप अपनी शक्ति को अपने भीतर प्राप्त करें और फिर इसे दूसरे व्यक्ति में अभिव्यक्त करें।

लेकिन यहां से उठा कर यहां और वहां से उठा कर वहां तेल डालने का कोई फायदा नहीं है। कम से कम एक तेल तो जलने दो: पेट की ही परेशानी होगी। अन्यथा तो पूरा शरीर ढह जाएगा। [वह] जिसे गिरना था – माना कि, पेट की परेशानी है – तो सब ठीक है। आप पेट की परेशानी जारी रख सह सकते हैं; लेकिन अगर आप इसे वहां से अपने सिर से हटा दें, तो पांच दिनों के भीतर सब खत्म हो गया है। इसके अलावा यह दिल पर हमला करता है, यह हृदय पर हमला करता है जो मुख्य बिंदु है।

और एक्यूपंचर एक ऐसी चीज है जिसे मैंने देखा है: जो लोग एक्यूपंचर लेते हैं उन्हें साक्षात्कार मिलना मुश्किल होता है। अगर वे इसे प्राप्त कर भी लेते हैं, तो शरीर में निर्मित असंतुलन के कारण इसे बनाए रखना मुश्किल होता है। हमें स्वयं में कोई असंतुलन पैदा नहीं करना चाहिए। पहले ही हमने इसे बना लिया है। ज्यादा से ज्यादा अगर आपको कुछ करना है तो उसे संतुलित करें। अधिक असंतुलन न पैदा करें। और  अज्ञानता में की गई इन सब बातों के साथ यही हो रहा है। वे आपको यह नहीं बताते कि वास्तव में वे करते क्या हैं, वे आपको कभी नहीं बताते। टी एम की तरह वे आपको नहीं बताते कि यह क्या है। यह बाधा ग्रसित करने के अलावा और कुछ नहीं है। वे तुम पर कब्जा कर रहे हैं, बिल्कुल वे तुम्हें अपने कब्जे में कर रहे हैं। वे आपको मंत्रमुग्ध कर देते हैं। वे तुमसे यह नहीं कहते, “हम सम्मोहित करते हैं और तुम पर बाधा डालते हैं।” अगर वे बता दें तो तुम उस व्यक्ति को पैसा नहीं दोगे। क्या ऐसा नहीं है? तो वे आपको नहीं बताएंगे। वे कहते हैं कि यह “पारलौकिक ध्यान” है। आप ट्रान्स में कैसे जाते हैं? किसी भी भारतीय से पूछो, वह आपको बताएगा। आप केवल सम्मोहन के माध्यम से ट्रांस में जा सकते हैं। मंत्रमुग्धता केवल भूतों के माध्यम से आती है। प्रेतात्माओं द्वारा, जब आप ग्रसित हो जाते हैं, तभी आप मोहावस्था में आते हैं। इसलिए वे ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, इस तरह उछल-कूद कर रहे हैं।

अब लोग दौरे पड़ना और मिर्गी होने के लिए भुगतान कर रहे हैं| इस बर्नार्ड लेविन को देखें: ऐसा शिक्षित व्यक्ति! वह लिखते हैं कि अगर आप रजनीश के पास जाते हैं तो आपको दौरे पड़ते हैं। मेरा मतलब है, वैसे तो और भी कारण है कि आपको नहीं जाना चाहिए! आप दौरे और मिर्गी की बीमारी प्राप्त करने के लिए भुगतान करते हैं?

सबसे पहले तो आप भुगतान नहीं कर सकते, सबसे पहले, अगर यह वास्तविक है, क्योंकि यह बहुत वास्तविक है जिसे खरीदा नहीं जा सकता। ठीक है? सबसे पहले। पहली बात यह है।

और दूसरी बात यह है कि जो कुछ भी आपको मिले उससे आप पूरी तरह से एक खूबसूरत इंसान में परिवर्तित हों। आपके स्वास्थ्य में सुधार होना चाहिए, आपके दिमाग में सुधार होना चाहिए, आपको एक अच्छा इंसान होना चाहिए, आपका स्वभाव बदलना चाहिए, आपकी आदतें बदलनी चाहिए, आपकी प्राथमिकताएं बदलनी चाहिए, आपको एक ऐसा व्यक्ति बन जाना चाहिए जो खुद का मालिक हो।

इस आदमी या उस गुरु के पास जाने का मतलब हुआ कि, आप एक बदतर इंसान बन गए हैं। यही हो रहा है। ऐसे कैसे हो सकता है?

और यह तर्कसंगतता के माध्यम से हासिल नहीं किया जाना है क्योंकि तर्कसंगतता सीमित है। यह मन की एक अवस्था है जिसमें आप कूद पड़ते हैं। यह एक वास्तविकता है; यह आपके साथ घटित होता है। कुछ ऐसा जो वास्तविक है आपके साथ घटित होना चाहिए। आप इसे बैठकर युक्तिसंगत नहीं बना सकते कि, “ओह मैं हूँ मैं भगवान हूँ, मैं ब्रह्मा हूँ!” आप कैसे बनते हैं? मान लीजिए कि यहाँ बैठे हुए, मैं कहती हूँ: “मैं महारानी एलिज़ाबेथ हूँ!” वे मुझे गिरफ्तार कर जेल में डाल देंगे। (हँसी)

आप मेरी बात का आशय देखिये ? तो ये सभी गुरु एक ही काम कर रहे हैं। और अब देखिए आपको इससे परेशानी हो रही है। आप बैठे-बैठे वह देख सकते हैं।  और आपको ये सारी समस्याएँ उसी की वजह से हो रही हैं। अब क्या आप कृपया कुछ वास्तविक (हंसते हुए) लेंगे।

महिला: मुझे क्या करना चाहिए?

श्री माताजी : आपको सहज योग लेना चाहिए! ठीक है??

अब उस एक्यूपंक्चर को थोड़ी देर के लिए छोड़ दें, यह एक भयानक चीज है। यह पाप है, मैं तुमसे कहती हूँ। यह दूसरों की कुंडलिनी को खराब करता है। उनके बोध प्राप्त होने की संभावना कम हो जाती है। आप ऐसा कुछ नहीं करना चाहेंगे। यह बहुत गलत है। यह बहुत गलत है। यह इंसानों के आधार पर हमला करता है। इनमें से कोई भी, इनमें से कोई भी एक ही है।

आप होम्योपैथी सीख सकते हैं। होम्योपैथी बेहतर है; इससे हजार गुना बेहतर। अगर आप लोगों को ठीक करना चाहते हैं तो होम्योपैथी बेहतर है। यह मानव स्वभाव के लिए बहुत अधिक अनुकूल है। आप आयुर्वेदिक सीख सकते हैं आप इनमें से कोई भी एक चीज सीख सकते हैं। लेकिन, मैं इस एक्यूपंक्चर को बिल्कुल भी नहीं समझ सकती। चीनी चीन में इसका इस्तेमाल नहीं करते, क्या आप सोच सकते हैं? चीन में वे नहीं करते हैं।

महिला: मुझे लगता है कि वे करते हैं।

श्री माताजी : नहीं, वे तुमसे झूठ बोल रहे हैं। वे इसे कभी नहीं करते। मैं चीन की मुख्य भूमि पर गयी हूं। वे चीन में ऐसा कभी नहीं करते। सब झूठ बोल रहे हैं।

वे लाओत्से में विश्वास नहीं करते हैं। वे मुख्य भूमि चीन में उन पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते हैं। वे लाओ त्से में विश्वास नहीं करते हैं। उनके पास बस यह नहीं है। उनके पास अन्य चाय और यह और वह हैं और वे कुछ जड़ों का उपयोग करते हैं, एक अधिक आयुर्वेदिक शैली, लेकिन एक्यूपंक्चर नहीं, उनके पास नहीं है। और मैं खुद चीन में रही हूं।

मैंने उनसे इस बारे में पूछा। वे कहते हैं, “लाओ त्से, बेकार व्यक्ति!” इस तरह बोलते हैं। क्योंकि लाओत्से के बाद बहुत कम लोगों को आत्मसाक्षात्कार हुआ। और यह जानना है कि हाथ में कौन से केंद्र हैं, वे कहां हैं। वे सभी गलत बिंदुओं का भी उपयोग कर रहे हैं सभी अनुकंपी sympathetic बिंदुओं का| वे सही बिंदुओं का उपयोग नहीं कर रहे हैं जो कि परानुकम्पी parasympathetic हैं। लेकिन ऐसा कि आपको बोध के साथ यह करने की आवश्यकता ही नहीं है, अब आपको ऐसा क्यों करना चाहिए? सब ठीक है। ठीक है?

यह एक जबरदस्त काम है। एक तरफ कितने लोग बर्बाद हो गए हैं; वे साधक हैं उन्हें खोज करना है। और इतने सारे लोग हर तरह की अज्ञानी चीजों के साथ आ गए हैं। यह बिल्कुल अनाड़ी, बिल्कुल कम समझदारी वाला और खतरनाक है। दूसरा पक्ष यह है कि समाज नीचे जा रहा है: राजनीतिक लोग पागल हैं। अगर आप पूरी दुनिया को देखें, तो मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है। अमेरिका में लोग इतने पागल हैं! दूसरे दिन मैंने एक तस्वीर देखी; मुझे नहीं पता कि आपने बीबीसी की वह चीज़ देखी या नहीं: यह भयानक थी। मेरा मतलब है, मुझे नहीं पता। और फिर साक्षात्कारकर्ताओं में से एक ने यह भी पूछा कि, “क्या आपको नहीं लगता कि यह बहुत अधिक है, आप इस तरह की बड़ी बकवास के साथ बहुत आगे जा रहे हैं? और आपको ऐसा क्यों करना चाहिए? क्या ऐसा नहीं है कि इन सभी पाप पूर्ण कृत्यों के कारण इस क्षेत्र में दबाव बढ़ रहा है और एक बड़ा भूकंप आएगा? उन्होंने कहा, ‘हम इन सब में विश्वास नहीं करते। हम बहुत आनंद में है, ”और यह और वह, और वे भयानक लग रहे थे। मेरा मतलब है कि आप उनके चेहरों से देख सकते हैं कि वे झूठ बोल रहे थे। कोई आनंद नहीं था, कुछ भी नहीं था। आप बीमार लोगों को देख सकते थे, बिल्कुल बीमार, भयानक दिखने वाले। उनके सभी आज्ञा, विशुद्धि और, मूलाधार पकड़े हुए थे। वे किस बारे में खुश हैं ? वे कैसे खुश हो सकते हैं?

वे झूठ बोलने और मिथक में विश्वास करने और उसके साथ जीने में विश्वास करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनके अहंकार को मदद मिलेगी।

हमें वास्तविकता के लिए प्रार्थना करना चाहिए; हमें इसका सामना करना चाहिए, इसे स्वयं देखना चाहिए, इसे स्वीकार करना चाहिए और इसके साथ एकाकार होना चाहिए। यह बिलकुल एक योद्धा की तरह होगा । नहीं तो हम कायर लोग होंगे।

और आप इसे देख सकते हैं, वास्तविकता: स्पष्ट रूप से आप देख सकते हैं। यह बहुत आसान है। समय आ गया है। यह आप लोगों के लिए है। आप सभी युगों पुराने साधक हैं। यह खोज़ आपके लिए ही की गयी है। ठीक है?

अब आप कैसे हैं? क्या आपको ठंडी हवा मिल रही है? खो दिया? इसके बारे में मत सोचो। अगर आप सोचना शुरू करते हैं तो आप इसे खो देंगे। इसके बारे में मत सोचो। मत सोचो। यदि आप इसके बारे में सोचते हैं, आप इसे खो देंगे। यह सोच से परे है। सोच कर तुम वहाँ नहीं पहुँच सकते। ठीक है? यह फिर से शुरू हो गया है।

दूसरी महिला: मुझे जाना है। अब मुझे जाना होगा। माफ़ कीजियेगा।

श्री माताजी: आप कैसे हैं? अपने बेटे का ख्याल रखना। वह बहुत अच्छा है। वह एक अच्छा लड़का है, बहुत अच्छा लड़का है। अच्छा हुआ तुम उसे ले आए।

वह अब ठीक है ना?

सहज योगिनी : हाँ।

श्री माताजी : तुम जाओ और उनके साथ रहो या दूर रहे?

सहज योगी : मैं फ्रांस जाने तक उनके साथ रह रहा था।

श्री माताजी: आह।

सहज योगी : पत्नी की मृत्यु के बाद से वहीं हूं।

श्री माताजी: नहीं, लेकिन तुम्हें वापस जाना होगा।

सहज योगी: आखिरकार।

श्री माताजी : वह आपको बहुत याद करती हैं।

बहुत खूबसूरत। आपने उसे वह उपहार दिया जो आप उसके लिए लाए थे, वहाँ से।

आपके पिता कैसे हैं?

सहज योगी : अब भी वह गलत व्यवहार कर रहे हैं।

श्री माताजी: सच?

सहज योगी: हाँ।

श्री माताजी : आपको प्रयास करना चाहिए। केवल आप ही आसपास हैं।

वह यहाँ पकड़ा गया है। कल्पना कीजिए! उसकी क्या उम्र है?

(१४:३६ हिन्दी बातचीत १७:४२ तक)

रिकॉर्डिंग में ब्रेक

(हँसी)

श्री माताजी: चालू है या बंद?

सहज योगी : यह अभी चल रहा है। (हँसी)

श्री माताजी : यह बहुत अच्छा प्रश्न है। आप देखो, जब आप ध्यान करते हो; आप विभिन्न चक्रों का ध्यान कैसे करते हो?

मान लीजिए आपको मूलाधार का ध्यान करना है, अब आप मूलाधार की ओर ध्यान दें और श्री गणेश का नाम लें। मंत्र बोलो। आप जानते हैं कि चार पंखुड़ियां होती हैं; इसलिए हर-वह मंत्र हर बार चार बार बोलना चाहिए। चार गुणा चार आप कह सकते हैं। वहां ध्यान दें।

अब शारीरिक रूप से भी जैसे कि, हमारे पास नाभी चक्र है, तो आप में से कई लोग नाभी को पकड़ लेते हैं। अगर आपको लीवर की समस्या है तो आप अपनी नाभी पर थोड़ी सी चीनी मल सकते हैं, अच्छा रहेगा। या अगर आपको नाभी की बायीं ओर की समस्या है, थोड़ा सा तेल या घी या कुछ और रगड़ें तो अच्छा रहेगा। और फिर उस पर ध्यान दें। उस पर ध्यान देने की कोशिश करें, खासकर उन चक्रों पर जो ठीक नहीं हैं। तुम बस उस पर ध्यान दो और उन पर ध्यान करो। इस पर ध्यान देना मुख्य बात है। यदि आप मंत्रों के साथ ध्यान दें, तो आप इस तरह हर चक्र पर ध्यान कर सकते हैं।

और अगर दो लोग इसे कर सकते हैं, तो यह एक बेहतर विचार है। है, तुम देखो, तुम्हारी पीठ में, तुम्हारी पीठ पर; यदि आप रीढ़ की हड्डी दिखाते हैं, तो आप देख सकते हैं कि कौन से चक्र उभरे हुए हैं। दूसरा व्यक्ति आपको बता सकता है कि ये वे हिस्से हैं जो उभरे हुए हैं। तो आप ध्यान देते हुए उस चक्र के मंत्रों को कहते चले जाते हैं और दूसरा व्यक्ति आपको बता सकता है कि यह ठीक है या नहीं। हर चक्र के लिए एक मंत्र होता है, जिसे आप जानते हैं। मंत्र के अलावा आपको पता होना चाहिए कि किन चीजों का प्रयोग करना चाहिए, किस चक्र के लिए कौन से तत्व का प्रयोग करना चाहिए।

उदाहरण के लिए, मूलाधार चक्र का उपयोग करने के लिए: मूलाधार चक्र को साफ करने का सबसे अच्छा तरीका जमीन पर बैठना है; यह सबसे अच्छा तरीका है। जमीन पर सीधे बैठने के लिए व्यायाम कैसे करें, यह मैंने आपको बताया है। धरती माता से अपने मूलाधार को साफ करने के लिए प्रार्थना करना एक बहुत अच्छा विचार है।

उदाहरण के लिए, यदि आपको अपनी नाभी को साफ करना है: नाभी जल तत्व से बनी है और इसलिए आपको जल तत्व से आपकी मदद करने के लिए प्रार्थना करनी होगी। और नाभी के लिए जल तत्व सर्वोत्तम है। यदि आप अपनी नाभी को साफ करने के लिए जल तत्व का उपयोग कर सकते हैं तो यह एक बहुत अच्छा विचार होगा।

उसी प्रकार प्रत्येक चक्र किसी न किसी तत्व से ही बना है।

स्वाधिष्ठान पृथ्वी और जल से बना है; अतः स्वाधिष्ठान के लिए समुद्र सर्वोत्तम है। यदि आप समुद्र में जा सकते हैं और स्वाधिष्ठान पर कार्य कर सकते हैं तो यह आपके लिए सबसे अच्छा होगा; कोई सागर। या आप स्वाधिष्ठान के लिए नमक और पानी का उपयोग कर सकते हैं, बहुत अच्छा रहेगा।

तब हम कह सकते हैं कि हृदय चक्र के लिए: हृदय चक्र है, यह हवा से बना है। हवा को कहते हैं… हिंदी में क्या है? वायु! वायु! वायु! वायु! हवा है। वायु या आप इसे वायु कहते हैं, एक तत्व के रूप में आप वायु शब्द को कहते हैं? या आकाश? फर्मामेंट अंग्रेजी में ईथर है, है ना? तो हवा, आप हवा कह सकते हैं। वायु तत्व हृदय चक्र के लिए है।

तो उसके लिए मैंने आपको सांस लेने का तरीका बताया है। सांस लेना सबसे अच्छा तरीका है: तस्वीर के सामने अपनी सांस रोकना। या आप सांस को अंदर ले सकते हैं, गहरी सांस ले सकते हैं, और इसे लंबी अवधि के लिए छोड़ सकते हैं; इसे साफ करना। ये सभी अभ्यास हैं। तब तुम देखो मंत्र रक्षा का है, रक्षा है, रक्षा मांगना, सब कुछ हवा के साथ है। ठीक है?

फिर हम इस पर आते हैं, अंग्रेजी में शब्द क्या हो गया है? (हिंदी: ‘अंग्रेजी शब्द क्या है?’) तेज, वायु, आकाश … आकाश को क्या शब्द है, अंग्रेजी में? (हिंदी: आकाश को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?) फर्ममेंट होना चाहिए। फर्मामेंट को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

योगी: ईथर।

श्री माताजी: आकाश? फर्ममेंट ईथर है? ठीक है, तो यह तो फर्मामेंट है। मैंने एक अनुवाद पढ़ा है लेकिन मुझे यकीन नहीं था। यह (विशुद्धि) आकाश है, आकाश है। यह आकाश है, यहाँ। ठीक है? यह आकाश, आकाश से बना है। और यह (आज्ञा) प्रकाश से बनी है।

फर्ममेंट आकाश है, है ना?

योगी: हाँ।

श्री माताजी : तो यह आकाश है। यही कारण है कि यह चीज़ विराट है। और यह आज्ञा तुम्हारा प्रकाश है।

तो आज्ञा चक्र के लिए आपको प्रकाश का उपयोग करना होगा।

इसके लिए [विशुद्धि] आपको आकाश का उपयोग करना होगा। अगर आप इस तरह से हाथ ऊपर करते हैं, अगर कहते हैं, “अल्लाह हू अकबर” [और] दोनों हाथों को आसमान की तरफ ऐसे ही रख दें। आकाश का उपयोग करने कई तरीके हैं, आकाश को देखना, आकाश को निहारना।

और इसके लिए [आज्ञा] सूर्य और प्रकाश का उपयोग करना है।

अब मान लीजिए कि आप लेफ्ट साइड की समस्या से पीड़ित हैं, यदि आप बाधा ग्रस्त या कुछ और है, तो आप सूर्य का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि सूर्य आपको संतुलन देगा।

लेकिन अगर आपको दाहिनी ओर की समस्या है, जैसे अहंकार और वह सब, तो आपको चंद्रमा का उपयोग करना चाहिए, बाएं हाथ को चंद्रमा की ओर रखना चाहिए।

लेकिन हमेशा लोग उल्टा करते हैं: ये नाटकीय मेलोड्रामैटिक लोग, ये सभी चंद्र पक्ष में जाएंगे: उन्हें चांदनी पसंद है। और जो अहंकारी हैं वे धूप में जाकर खुद को जला लेंगे। तो यह इसके विपरीत तरह से होना चाहिए। इस तरह यदि आप इसका इस्तेमाल करते हैं, तो आप इसे कार्यान्वित कर सकते हैं। ठीक है? आप ही इसे मैनेज कर सकते हैं।

तो ये अलग-अलग केंद्र हैं जिन्हें शुद्ध करके और उन पर ध्यान करना चाहिए, या उन्हें उनके ही तत्वों में विसर्जित कर देना चाहिए। मेरा मतलब है, यदि आप उन्हें अपने ही तत्व में विलीन कर देते हैं, तो आपको उस विशेष चक्र में और अधिक ताकत मिलती है। यह इस प्रकार है।

सहज योगी: क्या आप हमें सूर्यास्त के बारे में कुछ बता सकती हैं। क्या हमें सूर्यास्त को नहीं देखना है?

श्री माताजी : सूर्यास्त बहुत अच्छा नहीं है। सूर्योदय बेहतर है। सूर्यास्त अच्छा नहीं है। उस समय सूर्य इस पृथ्वी से सारी ऊर्जा ले रहा है, इसलिए यह देखने का इतना अच्छा समय नहीं है। लेकिन यह [आपके स्वभाव] पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, अहंकार-उन्मुख लोग यदि वे सूर्यास्त को देखते हैं तो मुझे लगता है कि बेहतर होगा। उनके अहंकार का थोड़ा सा हिस्सा निकाला जा सकता है। लेकिन जिन लोगों को लेफ्ट साइड की समस्या है उन्हें सूर्योदय देखना चाहिए, अच्छा रहेगा। यह केवल विपरीत ढंग से कार्यान्वित करना है। आप अब देखना? अच्छा प्रश्न! अब कोई और सवाल?

ग्रेज़िना अन्स्लोव: जब कुंडलिनी उठती है तो क्या आप प्रत्येक चक्र में कुंडलिनी को महसूस कर सकते हैं, मेरा मतलब निचले चक्रों से है, या यह एक ही बार में तीसरे चक्र तक चढ़ सकती है?

श्री माताजी : वास्तव में यदि आपका यंत्र उत्तम है तो आप इसे कहीं भी महसूस नहीं करते हैं, यह बस गुज़र जाती है, और आप बस अपने सिर से ठंडी हवा महसूस करते हैं और आप कुंडलिनी के फव्वारे को ठंडी हवा के रूप में बाहर आते हुए महसूस कर सकते हैं।

लेकिन अगर आपके चक्र बंद हैं या कोई समस्या है या वे खराब हैं या बीमार हैं या कुछ भी है, तो कुंडलिनी वहां जाकर टकराती है। जैसे, विशेष रूप से भवसागर में, यदि आपको यह पकड़ भवसागर की है तो, आप इसे किसी व्यक्ति के पीछे स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। यदि भवसागर पकड़ में आ जाता है, तो आप देख सकते हैं कि, भवसागर के सिरे पर, यहां यह इसी तरह धकेला जाना दिखेगा । और अगर सुषुम्ना, केंद्रीय मार्ग, बिल्कुल स्वच्छ है, एक व्यक्ति बिल्कुल मध्य में है, तो कुंडलिनी ठीक सरलता से चलती चली जाती है और उन्हें बाद में  भी कभी कोई समस्या नहीं होती है।

ग्रेज़िना अन्स्लोव: उस गर्मी के बारे में क्या जो हम अपने चक्रों में महसूस करते हैं?

श्री माताजी: गर्मी? अगर आपको लीवर की समस्या है या राइट साइड की समस्या है तो गर्मी आती है।

दाहिनी ओर बहुत अधिक गर्मी है। बाईं ओर बहुत अधिक ठंडा है।

कुछ लोगों को बहुत ठंड लगती है और उन्हें पसीना आता है और यह और वह। अगर आपको लेफ्ट साइड की समस्या है तो आपको पसीना आता है, खासकर हृदय से। या कुछ लोग जिनका रक्तचाप बहुत कम है या जिन्हें बायीं ओर की समस्या है, उन्हें भी बहुत ठंड लग सकती है।

गर्मी मुख्य रूप से लीवर के कारण आती है। जिन लोगों में सूर्य तत्व ज्यादा होता है, उनमें गर्मी आने लगती है। साथ ही गर्मी एक व्यक्ति में अति सक्रियता का संकेत है, एक व्यक्ति अति सक्रिय है। मैंने देखा है कि कैंसर बहुत अधिक गर्मी देता है। कैंसर भी बहुत ज्यादा गर्मी देता है। यह इतनी गर्मी देता है कि एक कैंसर रोगी वास्तव में पूरे घर को गर्म कर सकता है। यदि आप कुंडलिनी को ऊपर उठाना जानते हैं तो आपको कैंसर रोगी के साथ किसी हीटर की आवश्यकता नहीं है। और बाईं ओर है… (हँसी) यह एक सामान्य अनुभव है। यह बहुत दिलचस्प है आप जानते हैं। सहज योग बहुत ही रोचक है। यहां तक ​​​​कि कैंसर भी आपको हंसाता है, जिस तरह से चीजें हैं।

लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, आपको आश्चर्य होगा कि, मैं अब तक एक भी कैंसर रोगी से नहीं मिली, जो बस दाहिनी पक्ष का हो: हमेशा वह बाईं ओर समाप्त होता है,  इसका मतलब है कि उसे किसी प्रकार की समस्या हुई होगी एक काला जादू या कोई बुरा गुरु, या किसी प्रकार की कोई चीज़ जो परमेश्वर के विरुद्ध है, अनधिकृत है; ऐसा कुछ।

कैंसर हमेशा , मैंने हमेशा ऐसा देखा है: ल्यूकेमिया, [मैंने] पेरिटोनियम के कैंसर का इलाज किया है, गुर्दे का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर: उन सभी में यह था। इसका मतलब है कि कहीं कोई गुरु या कोई व्यक्ति या कोई काला जादू या अध्यात्मवादी या ऐसा ही किसी ने व्यक्तित्व के साथ हस्तक्षेप किया है, और तब आपको यह कैंसर मिलता है। यह एक उल्लेखनीय बात है।

ग्रेज़िना अन्स्लोव: क्या गर्मी हमेशा कैंसर की समस्या का संकेत देती है?

श्री माताजी : केंसर? नहीं नहीं नहीं नहीं। नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं। गर्मी लीवर को इंगित करती है, मुख्य रूप से लिवर । ठीक है? और कैंसर तब भी होता है जब कोशिकाएं अहंकार-उन्मुख हो जाती हैं। जो व्यक्ति अहंकारी होता है, वह बहुत ज्यादा सोचता है, वह बहुत मेहनत करता है तो उसे लीवर समस्या मिलती है। क्योंकि एक चक्र को काम करना होता है लीवर, अग्न्याशय, प्लीहा, गुर्दे और गर्भाशय पर – कल्पना कीजिए! और उसी को मस्तिष्क के लिए कोशिकाएं बनाना होता है, उसकी देखभाल करनी होती है, उसी चक्र, स्वाधिष्ठान को। जब उसे दोनों चीजें पर काम करना हों, स्वाभाविक रूप से, अगर आप बहुत ज्यादा सोचने लगते हैं, तो क्या होता है कि ये दुसरे अंग उपेक्षित हो जाते हैं। तो आप लीवर समस्या विकसित करते हैं, आप गुर्दे की समस्या विकसित करते हैं; आपको मधुमेह हो जाता है, आपको गर्भाशय संबंधी परेशानी होती है, ये सब चीजें आती हैं। इसके अलावा, यह और भी आगे जाता है: उस समय तक, जब आप इसे ज़्यादा करते हैं तो आपका बायाँ हिस्सा जमने (फ्रीजिंग होने)लगता है।

(रिकॉर्डिंग में ब्रेक)

किसी भी समाज का अहंकार उन्मुखता आपको ज्यादा हार्ट अटैक देगा। लेकिन जब एक समाज में अहंकार बहुत अधिक विकसित हो जाता है तो लोग उसे देखने लगते हैं; तब वे अहंकार से भयभीत हो जाते हैं, फिर उन्हें अवश्य शराब पीने को चाहिए। क्योंकि सिर्फ अहंकार से दूर भागने के लिए कि वे खुद को वह अहंकारी होना सहन नहीं कर सकते, इसलिए वे पीते हैं, वे ड्रग्स लेते हैं, इन चीजों को, भागने के लिए क्योंकि बस वे लोगों के अहंकार को सहन नहीं कर सकते। वे वास्तव में अपने आसपास पागल मूर्ख घूमते हुए देखते हैं । चूँकि वे उनके जैसा नहीं बनना चाहते; इसलिए वे इसका दूसरा पक्ष अपना लेते हैं।

जब वे दूसरी तरफ जाते हैं तो वे बाईं ओर जाते हैं। अब जब बाईं ओर जाने पर दोनों चीजों में बहुत संघर्ष होता हैं, तो आपके दिमाग में एक हलचल चल रही होती है। इससे आप में ये सभी समस्या विकसित होती है।

लेकिन अगर आप केवल बाएं तरफा हैं तो आप पूरी तरह से केवल लॉर्ड बायरन पढ़ रहे होंगे और आप पागलखाने में पहुँच सकते हैं। आप ऐसा कर सकते हैं। मैंने ऐसा एक व्यक्ति देखा है। केवल लॉर्ड बायरन को पढ़ना ही संभव हो सका। क्योंकि वह सिर्फ आपको दुखी करता है। वह, स्वयं, एक बहुत ही अजीब आदमी था, लेकिन वह चाहता है कि हर कोई दुखी हो। और वह हमेशा ऐसे रोने के गीत गाते हैं। मेरा मतलब है, ऐसा आदमी, मुझे नहीं पता कि उसने इस तरह की नाटकीय सामग्री कैसे विकसित किया। लेकिन मैं उन लोगों को जानती हूं जो मेरे पास आए थे जो इस लॉर्ड बायरन को पढ़कर रो रहे थे। खुद लार्ड बायरन ने जीवन का बहुत अच्छा आनंद लिया!

तो जीवन के प्रति एक बहुत ही बुद्धिमान और समझदार रवैया अपनाना होगा: कि आप शाश्वत जीवन हैं, कि आप शाश्वत प्राणी हैं और आप इस धरती पर आए हैं उन सभी आशीर्वादों का आनंद लेने के लिए जो भगवान ने आपके लिए बनाए हैं, ना की रोने और धोने और दोषी महसूस करने के लिए। यह तुम्हारा काम नहीं है। पहली बात यह है। यह विवेक है। और आप जीवन की छोटी-छोटी बातों से दुखियारे भी नहीं होने जा रहे हो।

जैसे, एक अन्य दिन,  मैंने एक बहुत ही दिलचस्प कहानी देखी कि एक पति और पत्नी का झगड़ा तलाक में बदल गया और गरीब पति के पास कोई घर नहीं था इसलिए वह अपने भाई के पास गया। भाई की पत्नी हर चीज को लेकर बहुत नुक्ताचीनी वाली थी। उसके पास तीन पालतू जानवर थे, इसलिए वह बक्सा कहीं नहीं रख सकता था क्योंकि वह कहती थी। “नहीं, कोई नहीं, बिल्कुल नहीं! इस जगह एक और पालतू जानवर है!” उसके जैसा। फिर, बेचारा बॉक्स रखता, फिर, “नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, वहाँ नहीं! एक और पालतू जानवर है।” फिर वहाँ एक और,इस तरह से । ऐसे ही जीवन की छोटी-छोटी छोटी-छोटी बातों को लेकर हमेशा चिंतित रहना। साथ ही यह अहंकार-उन्मुखता की समस्या पैदा कर सकता है। बेहद बेफिक्र तरीके से जिएं। यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है।

लेकिन इसका मतलब आलस्य नहीं है। मुझे आपको बताना होगा कि इसका मतलब आ-ल-सी -पन नहीं है! इसे बड़े अक्षरों में लिखें, आप सभी! किसी भी तरह से इसका मतलब यह नहीं है! इसका मतलब है कड़ी मेहनत। लेकिन इसका आनंद लेने के लिए और उन चीजों में शामिल न हों जिनका कोई महत्व नहीं है, बेकार चीजें।

यहाँ आपके लिए खुशियाँ फैली हुई हैं तो आप इन बातों की चिंता क्यों करते हैं? वे आपके लिए नहीं बने हैं। है ना? हा!

हा! डेविड, भगवान का शुक्र है कि आपने मुझे इसके बारे में बताया क्योंकि मैंने पाया, मुझे याद आया, कि दिल्ली में हमारे स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव खुद मुझसे मिलने आए थे। वह तीन घंटे के लिए वहां थे क्योंकि हमारे राष्ट्रपति ने उन्हें बताया है कि माताजी ने उन्हें ठीक कर दिया है, और वे इसे सत्यापित करने के लिए बहुत उत्सुक हैं, कि विशेष ध्वनि कहने मात्र से जैसे, विशुद्धि के लिए, जैसे सोलह (बीज मंत्र) हैं: अ, आ, ई , ई, उ, ऊ ए ऐ,ऍ, ऑ, ओ, औ, ऋ ळ ओह्म अ:  – सोलह। अब ये सभी सोलह ध्वनियाँ सोलह पंखुड़ियों के लिए हैं। लेकिन आपको यह सब करने की जरूरत नहीं है। अगर आप सिर्फ यह कहें कि अंतरतम चीज विराट है। आवाज या कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। बस आप ‘विराट’ कहते हैं, यह खुल जाता है।

जानने का कोई फायदा नहीं, अनावश्यक, क्योंकि हम मध्यतम हिस्से जिसे ब्रह्म नाड़ी कहते है तक जा चुके हैं। अगर आपको पत्ते से जड़ तक जाना है, तो आपको पूरा रास्ता जानना होगा। लेकिन अगर तुम जड़ से, जड़ के भीतर से आ रहे हो, तो क्या जरूरत है? जब वे उस तरफ चले गए, तभी उन्हें ये सब बातें पता चलीं।

जैसे, इस घर में, या किसी भी इमारत में, आपके पास मध्य में एक लिफ्ट है और आपको ऊपर की ओर ले जाना है, आपको जानने की जरूरत नहीं है, आप बस चढ़ते हैं। लेकिन, अगर आपको हर बार, हर चक्र में बाहर से आना पड़े, तो आप कभी भी लिफ्ट के अंदर प्रवेश नहीं कर पाएंगे। लेकिन आप सब कुछ कर रहे होंगे, आपको उस विशेष चक्र के बारे में सब कुछ बाहर से पता चल जाएगा। लेकिन अनुकंपी (सिम्पैथेटिक ) गतिविधि के साथ कभी भी अंदर प्रवेश नहीं कर पाएंगे। तो जानने की जरूरत नहीं है।

इस तरह मैं तुमसे कह रही थी, यह मध्य है और यह बायां है और यह दायां है। आप बाईं ओर से आ सकते हैं और वापस बाईं ओर जा सकते हैं या आप बाईं ओर से आ सकते हैं और दाईं ओर जा सकते हैं। लेकिन, आप अंदर नहीं आ सकते। और यह अंदर प्रवेश करने की बात है। इस तरह आप इसे करते हैं। ठीक है?

तो करने की कोई जरूरत नहीं है। यह सब फिर से घुम रहा है।

अब बेहतर है? वह बेहतर है। तुम क्या सोचते हो? क्या वह बेहतर है?