The Subtlety Within Caxton Hall, London (England)

                                          आतंरिक कुशाग्रता   कैक्सटन हॉल, लंदन (यूके), 9 जून 1980 एक अन्य दिन आश्रम में, मैं आपको हमारी कुशग्राताओं के बारे में बता रही थी, जो कुशाग्रताएँ हमारे पास पहले से हैं, जिन्हें हम नहीं समझते हैं। हमारे अवचेतन मन से हो सकता है, हमारे अग्र चेतन मन से हो सकती है, कहीं से भी हो सकती है जो हमारे लिए अज्ञात है; लेकिन हमें उन कुशाग्रताओं की परवाह करना चाहिए जो हमें हमारे सार्वभौमिक अस्तित्व की ओर ले जाती हैं। हमने कभी-कभी ऐसे लोगों के बारे में सुना है जिन्हें संकेत मिलता है। जैसे कोई कहता है, “मुझे यह घर खरीदना चाहिए, मुझे एक सुझाव प्राप्त होता कि, मुझे यह खरीद लेना चाहिए।” या कभी-कभी लोग कहते हैं कि, “मैं हमेशा कुछ सुनता हूं, कोई मुझे बताता है कि ऐसा नहीं करना चाहिए।” लेकिन इस तरह के सभी सुझावों के बारे में आकलन किया जाना चाहिए कि वे आपको कुछ परे के बारे में सुझाव देते हैं अथवा कुछ सांसारिक जीवन से सम्बंधित, जैसे की,घर खरीदना। परमात्मा की इस बात में कोई अधिक दिलचस्पी नहीं है कि, आप कौन सा  घर खरीदते हैं, या आप एक दौड़ में कितना पैसा कमाते हैं: उन्हें नहीं है ! क्योंकि यह परमात्मा के लिए महत्वपूर्ण नहीं है। कोई व्यक्ति यह समझ सकता है, क्या ऐसा नहीं है।  यह भी कि ईश्वर आपको किसी के विरुद्ध कान में यह बताने में दिलचस्पी नहीं रखते है कि, “इस आदमी से सावधान रहें, वह एक खतरनाक आदमी है!” क्योकि, अगर कोई आपको शारीरिक रूप से नुकसान Read More …