The Subtlety Within

Caxton Hall, London (England)

1980-06-09 The Subtlety Within, Caxton Hall, transcribed, 67' Download subtitles: EN,ZH-HANS (2)View subtitles:
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                                          आतंरिक कुशाग्रता 

 कैक्सटन हॉल, लंदन (यूके), 9 जून 1980

एक अन्य दिन आश्रम में, मैं आपको हमारी कुशग्राताओं के बारे में बता रही थी, जो कुशाग्रताएँ हमारे पास पहले से हैं, जिन्हें हम नहीं समझते हैं। हमारे अवचेतन मन से हो सकता है, हमारे अग्र चेतन मन से हो सकती है, कहीं से भी हो सकती है जो हमारे लिए अज्ञात है; लेकिन हमें उन कुशाग्रताओं की परवाह करना चाहिए जो हमें हमारे सार्वभौमिक अस्तित्व की ओर ले जाती हैं।

हमने कभी-कभी ऐसे लोगों के बारे में सुना है जिन्हें संकेत मिलता है। जैसे कोई कहता है, “मुझे यह घर खरीदना चाहिए, मुझे एक सुझाव प्राप्त होता कि, मुझे यह खरीद लेना चाहिए।” या कभी-कभी लोग कहते हैं कि, “मैं हमेशा कुछ सुनता हूं, कोई मुझे बताता है कि ऐसा नहीं करना चाहिए।” लेकिन इस तरह के सभी सुझावों के बारे में आकलन किया जाना चाहिए कि वे आपको कुछ परे के बारे में सुझाव देते हैं अथवा कुछ सांसारिक जीवन से सम्बंधित, जैसे की,घर खरीदना।

परमात्मा की इस बात में कोई अधिक दिलचस्पी नहीं है कि, आप कौन सा  घर खरीदते हैं, या आप एक दौड़ में कितना पैसा कमाते हैं: उन्हें नहीं है ! क्योंकि यह परमात्मा के लिए महत्वपूर्ण नहीं है। कोई व्यक्ति यह समझ सकता है, क्या ऐसा नहीं है।

 यह भी कि ईश्वर आपको किसी के विरुद्ध कान में यह बताने में दिलचस्पी नहीं रखते है कि, “इस आदमी से सावधान रहें, वह एक खतरनाक आदमी है!” क्योकि, अगर कोई आपको शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने वाला है, शायद किसी हिस्से को, हम कह सकते हैं कि ईश्वर आपके शरीर को संरक्षित करना चाहते हैं; लेकिन यह शरीर भी भगवान के लिए इतना महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि वह इसे फिर से बना सकते हैं! सबसे महत्वपूर्ण बात जो ईश्वर को हमें देनी है, वह है उनका प्यार, उनका हमारे साथ संबंध, उनका साम्राज्य, उनकी शक्तियां।

इसलिए, जो संवेदनाएं हमें वास्तव में अपने भीतर स्वीकार करनी चाहिए, वे इस प्रकार होनी चाहिए जो आपको सामूहिकता के दायरे में, आनंद के दायरे में ले जाती हैं। जैसे अचानक आप सड़क पर एक छोटे बच्चे को रोते हुए देखते हैं और आपको लगता है कि आपका दिल रो रहा है। ऐसा नहीं है कि आप इसके बारे में दोषी महसूस करते हैं, लेकिन आप बच्चे के साथ एकाकारिता महसूस करते हैं और आपको लगता है कि आप रो रहे हैं: तो निश्चित रूप से करुणा की संवेदना जो स्वयं परमात्मा हैं, आपके भीतर महसूस होती है। लेकिन आप इसके बारे में दोषी महसूस नहीं करते हैं, या आप उसके अहंकार का अपमान करने के लिए आप उसे 2 पैसा या अन्य कुछ नहीं देते हैं। आप इसके बारे में बहुत रचनात्मक करते हैं, बहुत रचनात्मक करते हैं, और आप इसे गुप्त रूप से करते हैं; आप इसके बारे में किसी को बताना नहीं चाहेंगे क्योंकि आपको लगता है कि आपकी करुणा के बारे में बात करना अशिष्टता है। आप इसे इतने मीठे तरीके से करते हैं कि दूसरे व्यक्ति को यह पता भी नहीं चलता है। पूरा कार्य ऐसी ही एक सौंदर्यकारी चीज है। आप इसे अख़बार में घोषित नहीं करते हैं और आप इसे “कौन कौन है” “Who’s Who” में प्रकाशित नहीं करते हैं या आप नोबेल पुरस्कार या ऐसा कुछ के लिए नहीं करते हैं। यह सब इस संवेदनशील बात के लिए बहुत अशिष्ट है जिस कि आप अपने भीतर पूजा करते हैं, क्योंकि आपके भीतर का तत्व इन सभी सतही विचारों की तुलना में बहुत ऊँचा है और ऐसा कि आप सिर्फ उस बात कि ही परवाह करते हैं।

जो ईश्वर हैं वो ऐसे ही है। यहाँ तक कि हमारे आत्मसाक्षात्कार के भी पहले, हमारे परमात्मा से योग पाने के भी पहले परमात्मा इसी प्रकार हमारे अंदर प्रकाशित होते हैं| वह कुछ लोगों में उनके आत्मसाक्षात्कार पाने के भी पहले से प्रकाशित है। आप उन्हें देखिए, वे शांत लोग हैं, वे प्रदर्शन नहीं करते हैं, लेकिन वे बहुत ईमानदार हैं, बेहद दयालु हैं। ऐसे लोग जब सहज योग के सामने आते हैं, तो तुरंत उन्हें अपना चैतन्य मिल जाता है। वे ऐसे लोग नहीं हैं जो पैसे के बारे में चिंतित हैं, या वे जीवन की सतही चीजों, या उपलब्धियों के बारे में चिंतित हैं जो बहुत मूर्खतापूर्ण हैं। ऐसे लोग बहुत सामान्य लोगों के रूप में मौजूद हो सकते हैं; आवश्यक नहीं है की वे मामलों के निर्णायक प्रभारी की स्थिति में हों और ज्यादातर वे नहीं होते हैं, क्योंकि वे महत्वाकांक्षी नहीं हैं। वे जीवन में ज्यादा सफलता नहीं चाहते हैं। वे बहुत सफल होने में कोई विशेषता नहीं देखते हैं। वे कुछ बहुत ही साधारण हो सकते हैं। वे कुछ बहुत महत्वपूर्ण कर भी रहे होंगे। लेकिन उनके जीवन में, जो लोग उनके संपर्क में आते हैं, उन्हें याद है कि: “हाँ! एक जीवन था या एक जीवन है। निश्चित रूप से एक चिंगारी है। ”

क्योंकि ऐसा व्यक्ति इतना कुशाग्र होने के कारण मुखर नहीं होता है। ऐसा व्यक्ति बहुत दबंग, मुखर, तर्कशील नहीं हो सकता। ऐसा व्यक्ति शांत होता है: उसका ध्यान सभी झगड़ों और जीवन के सभी झमेलों से हट जाता है। लेकिन ऐसे व्यक्ति का परमेश्वर के क्षेत्र में एक महान स्थान है। आपने देखा है कि सहज योग में कैसे आप को अचानक ऐसे लोगों का पता चलता है जो अपनी दिव्यता को अभिव्यक्त कर रहे हैं| हो सकता है कि ऐसा व्यक्ति सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिजाज़ से बहुत भोला हो। उसे धोखा दिया गया हो सकता है, कुछ भयानक लोगों द्वारा गुमराह किया गया हो, जो उसकी खोज  का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं, लेकिन फिर भी यह बना रहता है।

सहज योग में यह तत्व अचानक प्रज्वलित हो जाता है और,  फिर ऐसे व्यक्ति के लिए उस अस्तित्व को महसूस करना सबसे महत्वपूर्ण बात होती है जिसने कि: उसे हमेशा अन्य सभी विचारधाराओं और ‘महान’ चीजों से दूर रखा और उसे हमेशा शक्ति, आत्मविश्वास और आनंद दिया है। वह सहज योग में स्पष्ट रूप से देखता है। वह उसका पालन करता है। और जब वह इसे पोषित करता है, तो वह चकित हो जाता है कि उसने खुद को पाया है। तब यह उसका जीवन बन जाता है।

हर जगह हजारों और हजारों लोग हैं। मैं कहती हूँ हजारों ’| मैं, लाखों’ नहीं कहती। मुझे खेद है, क्योंकि वे लाखों में नहीं हैं। मैं उसके लिए क्षमा मांगती हूँ। काश वे होते। उन्हें हजारों में गिना जा सकता है: शायद इक्कीस हजार, पूरी तरह से, उस गुणवत्ता के। वहाँ लाखों नहीं होंगे। लेकिन वे लाखों बना रहे होंगे, बाद में। उन्हें कुछ बनना होगा! जैसा कि मैंने कहा, ये विशेष क्षमता वान लोग हैं।

लेकिन यह आवश्यक है कि हर किसी को आत्म-साक्षात्कार दिया जाए, हर बीज को अंकुरित किया जाना चाहिए। लेकिन कितने अंकुरित हो कर पेड़ बन कर फल प्रदान करेंगे यह एक अलग बिंदु है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पहले उन सभी को अंकुरित होने दें। नियत समय में, वे सभी वापस आ जाएंगे। लेकिन कुछ बहुत कम समय में अपनी पूर्ण अभिव्यक्ति में, अपने पूर्ण शबाब पर, फलेंगे-फूलेंगे और यही सबसे अधिक मायने रखता है।

दिव्य अनुपयोगी लोगों में दिलचस्पी नहीं रखता है, यह उस विशेष योग्यता  में रुचि रखता है। जैसा कि मैंने आपको बताया है: ऐसा व्यक्ति बिल्कुल अमीर नहीं भी हो सकता है, बिल्कुल गरीब हो सकता है। इसका यह मतलब  नहीं है कि अमीर ऐसा नहीं हो सकता है! वे बहुत समृद्ध भी हो सकते हैं। बाहरी वेशभूषा और पद-प्रतिष्ठा और ये सभी पदवियों का कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं अंदर के उत्साह की बात कर रही हूं।

उन्हें सरल शब्दों में, सज्जन व्यक्ति कहा जा सकता है, या यदि वह, एक महिला है, उनके व्यक्तित्व से एक शांत गरिमा अभिव्यक्त होती है। कभी-कभी उनके जीवन के साथ ऐसा भी होता है कि, उन्हें पागल दुनिया के मानदंडों के अनुकूल बने रहना बहुत मुश्किल लगता है, और वे कभी-कभी थोड़ा सनकी लग सकते हैं। लेकिन निराशावाद उतना कपटी भी नहीं होता है, लेकिन वे लोगों को थोड़ा सनकी प्रतीत हो सकते हैं। लेकिन उन्हें बहुत ही रमणीय और बेहद हंसमुख व्यक्ति बनना होगा। वे रूखे, उदास अप्रसन्नता फ़ैलाने वाले उबाऊ नहीं हो सकते। यह संभव नहीं हो सकता। वे बेहद सुखद और चुंबकीय और गतिशील होते हैं। वे अपने आप में पूर्ण हैं क्योंकि वे अपनी संवेदनशीलता को महसूस करते हैं, वे उसी पर आधारित जीवन जीते हैं। उनकी खोज अभी भी है, और वे अपने स्वयं के अस्तित्व की सार्थकता को खोजने की कोशिश करते हैं। और वे अपनी संवेदना को किसी सार्वभौमिक चीज से पहचानना चाहते हैं।

जिस किसी भी क्षेत्र में वे हों, उनकी अभिव्यक्ति में, हम सब में स्थित सार्वभौमिकता को आकर्षित करती है| हो सकता है, उन्हें नोबेल पुरस्कार न मिले, लेकिन उनके पास एक ऐसा व्यक्तित्व जो अपील करता है, जो उस तरह के सौहार्दपूर्ण व्यवहार का उत्सर्जन करता है। अब अगर कोई पूर्णत: शैतानी व्यक्तित्व है , तो वह ऐसे व्यक्ति को घृणा करेगा, संभवतः। लेकिन कुशाग्र व्यक्ति को इसकी परवाह नहीं होती है क्योंकि, वह एक स्तर पर है जो स्थूल हमलों से धूमिल नहीं होता है। यही ‘वो’ है जो किसी व्यक्ति को अपने आप में पहचानना है और उस व्यक्ति को बहुत गौरवान्वित और भाग्यशाली महसूस करना चाहिए कि, ‘वो’ हमारे भीतर मौजूद है।

किसी को भी अब अकेला महसूस नहीं करना है, क्योंकि अब हम जैसे एक ही पंथ और एक ही प्रकार के कई हैं। और हम में से बहुत से लोगों ने यह जान लिया हैं कि कारण क्या है, क्या इसे अभिव्यक्त करता है, यह हमारे भीतर क्या अभिव्यक्त करता है, कौन से देवता हैं जो हमारे भीतर इस संवेदनशीलता को नियंत्रित करते हैं: आप आदि छवियाँ किन्हें कह सकते हैं? काल्पनिक नहीं सच्ची आदिरूप छवियाँ हमारे अंदर हैं। और ये सभी खोजें तब आपको ,  इन सभी अस्पष्ट संवेदनाओं के बारे में आश्वस्त महसूस करवाती हैं जिनका आप अब तक आनंद लेते रहे हैं।

बहुत समय पहले, मैंने इस तरह की एक उपमा दी थी कि: एक माँ पक्षी छोटे बच्चे को जिसे बेबी बर्ड कह सकते हैं अपने आप से दूर रखती है। और बच्चा चिड़िया माँ की गर्मजोशी को महसूस करती है, और वह उसे पाना चाहती है कि और वह माँ को पुकार रही है। यह पुकार ही अपने आप में आखिरी चीज है जिसे वह जानता है। बेबी बर्ड के लिए यह सबसे ऊंची चीज है, अन्य कुछ भी मायने नहीं रखता। आप बच्चे पक्षी को कुछ भी दे सकते हैं लेकिन यह खुश नहीं होगा, उसे बस इसी की आवश्यकता है। इसे उस गर्मजोशी, उस प्यार की जरूरत है। और फिर यह अपने छोटे छोटे पंखों को चारों ओर फैलाकर खुद को व्यक्त करता है और फुदक कर इसे व्यक्त करने की कोशिश करता है। और फिर इसके फुदकने की पूरी खुशी में, माँ पक्षी खुद नीचे आती है और, उसे आवश्यक समस्त गर्मजोशी देते हुए,उस बच्चे को पंखों में समा लेती है।

यह हमारे भीतर होने वाली घटना है जो कुंडलिनी के उठने पर होती है। कुंडलिनी हमारे भीतर स्थित उस गर्मजोशी, उस करुणा ,उस सौन्दर्य और,उस इच्छा का ही हिस्सा है| इच्छा…

क्या बात है? दरवाजा खुला है या नहीं। अंदर आओ, अंदर आओ! वे प्रतीक्षा कर रहे हैं क्योंकि वे [परेशान नहीं करना चाहते]

क्या बात है?

योगी: क्षमा करें, हम देरी से आये हैं, श्री माताजी।

श्री माताजी: नहीं, यह सब ठीक है। अन्दर आइए!

तो परमात्मा की इच्छा हमारे भीतर कुंडलिनी के रूप में रखी गई है। और जब  हमारे भीतर सभी बाहरी इच्छाएं क्षीण हो जाती हैं और सर्वशक्तिमान के साथ एकाकार होने की वास्तविक इच्छा बनी रहती है, तो कुंडलिनी अनायास चढ़ सकती है।

ऐसा बहुत कम लोगों को हुआ है, बहुत कम लोगों को: जैसे आप कह सकते हैं, बुद्ध, महावीर। ये लोग इंसान थे और उन्होंने ईश्वरत्व हासिल किया: अपनी इच्छाओं से छुटकारा पाने के लिए खुद को मजबूर करके नहीं, बल्कि विवेक  के माध्यम से, यह समझते हुए कि, “यह मूर्खता है, यह बेवकूफी है। मेँ कहाँ जा रहा हूँ?” सिर्फ विवेक की क्रियान्वयन। तर्कसंगत समझ नहीं है, बल्कि स्वयं अस्तित्व द्वारा इसे नकार दिया जाना है। ऐसी अवस्था स्वयं की प्रगतिवादी शक्ति के द्वारा हासिल की जाती है| इसके अलावा, ऐसी कई अन्य घटनाएँ हैं, या अन्य आधार हैं, जो कुंडलिनी के इस प्रकार के सहज उत्थान को सामने लाते हैं।

कोई तो भी है जो मुझे आकर मिलना चाहता है क्योंकि, उसने कहा, “माँ आप को कुंडलिनी पर एक प्रभुत्व हैं और कुंडलिनी के बारे में कई किताबें लिखी गई हैं, और मुझे एक टीका लिखनी है: लिखा गया है कि, कुंडलिनी, जब वह उठती है, तो आप कूदना शुरू कर देते हैं और जब वह उठती है तो वह आपको गर्मी देती है, या आप खुद को जला देते हैं या, छत से कूदने लगते हैं या वैसा ही कुछ। ” सभी प्रकार की डरावनी बातें और कोई भी कुंडलिनी के बारे में कुछ भी नहीं सुनना चाहता है। यदि आप उन पुस्तकों को पढ़ते हैं, तो आप वास्तव में भयभीत होंगे। मुझे लगता है कि यह बिल्कुल शैतानी है। और वह कुंडलिनी के ‘प्रामाणिक विवरण’ के बारे में जानना चाहता है। और मैंने उनसे कहा कि, “इन किताबों को, सभी को समुद्र में फेंक देना चाहिए! क्योंकि वे ऐसे लोगों द्वारा लिखे गए हैं, जिन्हें कुंडलिनी का कोई अनुभव नहीं था। ” क्योंकि वे ऐसे लोग थे जो कहीं न कहीं कुछ एक ‘सनसनीखेज़’ कर रहे होंगे। जैसे कुछ लोगों का मानना ​​है कि ईश्वर की खोज करना भी एक और काम है: यदि आपके पास कोई अन्य काम नहीं है, तो बेहतर है कि ईश्वर को खोजे, कम से कम वह आपको जीने में मदद कर सकता है!

कुछ लोग मानते हैं कि बेकार बैठने के बजाय, परमात्मा को खोजने की कोशिश क्यों नहीं की जाती, यह एक अच्छा विचार होगा। और जब ऐसा होता है और वे परमात्मा की खोज में उतरते हैं, तो सबसे पहले, वे पवित्रता के रक्षकों The Guard of Holiness से प्रभावित होते हैं। चूँकि वे हकदार नहीं हैं, वे पवित्र नहीं हैं, उनके पास सर्वशक्तिमान ईश्वर के बारे में कोई प्रोटोकॉल नहीं है, उनका कोई सम्मान नहीं है, वे ऐसा सिर्फ इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे अहं-उन्मुख हैं, वे एक और अहंकार-यात्रा करना चाहते हैं और वे ‘कुंडलिनी’ के महान खोजकर्ता बनना चाहते हैं। लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकते। आपके पास उचित प्रोटोकॉल होना चाहिए।

उनमें कुंडलिनी की सहायता प्राप्ती के लिए पूर्ण विनम्रता, पूर्ण पवित्रता, धार्मिकता और अन्य सभी आवश्यक गुणों का अभाव है। और उन पर प्रथम देवता द्वारा प्रहार किया जाता हैं, जो त्रिकोणीय हड्डी में बैठे हैं, जिन्हें वे कभी-कभी देख भी सकते हैं – उन्होंने उन्हें लाल रंग में,जैसा वे इसे कहते हैं या शायद नारंगी रंग में क्रोधित देखा है।

उसे आने दो, वहां कोई इंतजार कर रहा है।

यह देवता एक बहुत शक्तिशाली देवता है, और यह सबसे बुद्धिमान देवता है, क्योंकि यह देवता है जो हमें विवेक देता है। आपको इन सज्जन के साथ बहस करने की आवश्यकता नहीं है: यह आपको पूर्णत: जानते हैं। यह आपमें से हर किसी को जानता है। यदि आप कुछ कहानी सुनाते हैं, तो यह कहेंगे, “ठीक है, मैंने पहले यह सब कहानी सुनी है, अब आप कृपया अपने आप को ठीक से रखें!” यह समझता है कि आप कितने खरे हैं, आप कितने सच्चे हैं। और यह वो देवता है जिन्होने कुंडलिनी के ऐसे इन साधकों और लेखकों को बुरे अनुभव दिए हैं।

यह एक दुखद बात है कि, एक चोर शहर में आता है और उसे पुलिस ने पकड़ लिया, उसे जेल में डाल दिया, और जब वह गांव वापस जाता है, तो वह उनसे कहता है, “हे भगवान! भयानक! कभी शहर जाना! वे आपको पकड़ लेते हैं, आपको जेल में डाल देते हैं, आपको खाने के लिए भोजन नहीं देते हैं, और फिर आप तीन साल तक किसी से नहीं मिल सकते हैं, और फिर वे आपको वापस भेज देते हैं! ” और इस तरह हर कोई शहर जाने से डरता है। यह ऐसा है।

या ऐसे चोर जो, पिछले दरवाजे से बैंक जाते हैं, या कभी-कभी वे एक सुरंग खोदते हैं या ऐसा कुछ करते हैं: आप जानते हैं, इस दुनिया के ऐसे महान लोग, उनके पास सभी प्रकार की निरर्थक चीजें करने के लिए, सुरंग खोदने के लिए समय है कुछ सोने के टुकड़े, या कुछ और के लिए सीधे जेल जाने के लिए एक और सुरंग खोदें। तो, ये बेवकूफ लोग, जब वे इन सभी सतही चीजों को करने की कोशिश करते हैं, जैसे कि पिछले दरवाजे से बैंक जाना और पकड़े गए; यदि आप जा कर और उनसे उनके अनुभव पूछते हैं, तो वे कहते हैं, “ओह भयानक अनुभव! कभी बैंक के पास मत जाना! आप अपना पैसा वहां नहीं लगायें, नहीं, बिल्कुल नहीं! ” आप उनसे पूछते हैं, “क्यों, क्या बात है?” वे कहते हैं, “नहीं, वे तुम्हें पकड़ते हैं! तुम्हें पता है, उस बैंक में भयानक लोग हैं! “

वे आपको चेतावनी देने के लिए इसके साथ आगे भी जा सकते थे। यदि वे चालाक हैं, तो वे सामने के दरवाजे से भी आ सकते हैं और आपको बता सकते हैं, “क्यों जाओ और बैंक में पैसा डालो, तुम इसे मुझे दे दो: मैं इस की  बेहतर तरीके से देखभाल कर सकता हूं। यह एक बेहतर विचार है! और अगर आप चाहें, तो मैं आपको बैंक से बीस प्रतिशत अधिक दे सकता हूं! ” और अगर आप उनके धूर्त चेहरों पर भरोसा करते हैं, तो आप उन्हें बस पैसे सौंपते हैं और आप खो जाते हैं और बैंक आपसे हार जाता है। और फिर आप कह सकते हैं कि, “यह बैंक क्या है?” बैंक के सामने ऐसे लोग खड़े हैं। आखिर ये धर्म क्या हैं? भगवान के नाम पर ये कौन से गुरु हैं, जो सामने के दरवाजे पर खड़े हैं, दूसरों को लूटने की कोशिश कर रहे हैं? यह किस प्रकार का ईश्वर है? तो आप उन चोरों के लिए बैंक को दोषी ठहराना शुरू करते हैं, जिन्होंने आपको धोखा दिया है। आपको दोनों में भेद करना सीखना होगा। यह विवेक तब भी महत्वपूर्ण है जब आप कुंडलिनी के बारे में जानने की कोशिश करते हैं, कि कुंडलिनी भगवान की इच्छा है कि वह आपको अपने राज्य में सर्वश्रेष्ठ बनाये । राजकुमार को राजा बनना है। और ऐसी सुंदर इच्छा स्थूल नहीं हो सकती, कुरूप नहीं हो सकती, कष्टकारी नहीं हो सकती, दुखदायी नहीं हो सकती, घृणित और जघन्य नहीं हो सकती।

एक बार जब आप यह समझ जाते हैं, तो आप अपनी कुंडलिनी का सम्मान करेंगे। वह आपकी माँ है क्योंकि वह आपको अपना दूसरा जन्म देने जा रही है। और वह युगों से आपके साथ रही है, इतने सारे जन्मो में, बस इस महान समय की प्रतीक्षा कर रही है जब वह आपको अपना बोध देने जा रही है।

मैं आपको यह बता रही हूं क्योंकि मुझे पता है कि, वह कितनी खूबसूरत है। बहुतों ने उसे वास्तव में प्रताड़ित किया है, उसे जमा दिया है, उसे कोस कर उसे पत्थर में तब्दील कर दिया है लेकिन फिर भी वह इस आशा के साथ मंद-मंद सांस ले रही है कि, एक ऐसा दिन आ सकता है जब वह आपको वह देने में सक्षम हो सके जिसके लिए वह जी रही है। यह कुंडलिनी है। यह कुण्डलिनी जागरण है।

हमें कुंडलिनी के बारे में अपनी सतही समझ को छोड़ना होगा। जैसे,  आप सहज योग में देखेंगे जब आप आ रहे होंगे, आपने इसे अपने पूरे जीवन में देखा होगा – और आप इसे और अधिक देखेंगे कि, –  उनमें से बहुत से लोग सिर्फ अपने स्वास्थ्य में सुधार के लिए मेरे पास आए। “मुझे कमर दर्द हो गया है।” “मुझे पेट में तकलीफ हुई है।” “मुझे गठिया हो गया है,” या, “मुझे मधुमेह हो गया है।” ऐसी कोई बीमारी नहीं जो वहाँ ना हो, और “मुझे यकीन है कि आप मुझे ठीक कर देंगी!”

यह काफी अनुचित स्थिति है! क्योंकि ऐसा अनुरोध कि, मुझे आपको ठीक करना चाहिए वह सब ठीक है, लेकिन इस अनुरोध का क्या अधिकार है? आप क्यों चाहते हैं कि दिव्य ने आपको ठीक करना चाहिए? किस लिए? किस कारण के लिए? अगर ईश्वर को केवल लोगों का इलाज करना हो, तो वह बहुत सारे अस्पताल खोलेंगे और कुछ नोबेल पुरस्कार या कुछ और मिलेगा। लेकिन ईश्वरीय इच्छा, लोगों का इलाज करना,  नहीं है। उन लोगों को ठीक करना निरी बेवकूफी होगी जो किसी काम के नहीं हैं, बेकार, बिल्कुल बेकार, पूरी तरह से बर्बाद। उन्हें क्यों ऐसा काम करना चाहिए ? उनमे बुद्धिमत्ता है। उनके पास ज्ञान है। क्या यह उन लोगों को ठीक करने में अपनी ऊर्जा बर्बाद करेगा जो किसी काम के नहीं, बेकार हैं? क्या आप ऐसे दीपक को साफ करेंगे यदि आप इसमें कोई प्रकाश नहीं डाल सकते हैं? यदि आपकी दिव्य अर्थों में कोई उपयोगिता नहीं है, तो ईश्वर को क्यों आपको ठीक करना चाहिए?

इसलिए जो लोग मानते हैं, “हे माँ, आप को लोगों को रोग मुक्त करना चाहिए,” और यह कि आपको लोगों को ठीक करना ही चाहिए, यह जानना चाहिए कि यह सब कुंडलिनी का काम है जब वह उठती है: वह आपका पोषण करती है, वह आपकी सफाई करती है, क्योंकि स्वयं तुम्हारे अस्तित्व में, ईश्वर स्वयं अभिव्यक्त होने वाले हैं, क्योंकि तुम्हारे शरीर के इस मंदिर को साफ करना है, क्योंकि ईश्वर को इसमें प्रवेश करना है। इसीलिए दिव्य आपका सम्मान करता है और आपकी सफाई करता है और आपकी मदद करता है। यह इस हद तक आपकी मदद कर सकता है, कहने का मतलब है कि जैसे एक माँ है और उसका बच्चा बिलकुल ठीक नहीं है, वह चिंतित है, इसलिए दिव्य  बस उस माँ को शांति देने के लिए बच्चे को निरोग कर सकता है, जो परमात्मा की शक्तियों को प्रकट करने जा रही है। क्योंकि परमात्मा की शक्ति सभी शक्तियों की एकीकृत शक्ति है।

आप यहां देख सकते हैं, बाईं ओर: सभी इच्छाएं प्रकट होती हैं; इच्छा की शक्ति। इसका मतलब है कि आपकी सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं और इस शक्ति से धन्य हो सकती हैं। क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं? इसमें आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति है, लेकिन बोध के बाद, इससे पहले नहीं।

और आत्मसाक्षात्कार के बाद, आपकी प्राथमिकताएं बदल जाती हैं और आपकी इच्छाएं अलग हो जाती हैं। तब आप पैसे या बच्चों के लिए, या ऐसा कुछ नहीं मांगते हैं, लेकिन आप बहुत ही जीवंत प्रकार की चीजों की प्रार्थना करना शुरू करते हैं। प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। आप अपनी इच्छा को एक अलग पहलू में देखना शुरू करते हैं क्योंकि अब प्रकाश आ गया है।

उदाहरण के लिए, अंधेरे में जब आप चल रहे होते हैं, आप पाते हैं कि आपके सामने एक बड़ा काला बंधन है, तो आप नहीं चल सकते, इसलिए आप चाहते हैं, “ओह इस रुकावट को हटा दिया जाना चाहिए!” लेकिन जब प्रकाश तुम्हारे भीतर आता है तो आप जान जाते हैं कि, कोई बंधन नहीं है, कुछ भी नहीं! यह सब आपके लिए खुला है तो अब आपकी इच्छा यह है कि आप सब कुछ देखने में सक्षम हों। पूरी प्राथमिकता बदल जाती है।

तो इस लेफ्ट साइड में आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति है। और राइट साइड, जहां आप इस पीले रंग की लाइन को देखते हैं, जो इतना पतला दिखता है, इसमें कार्यशक्ति है,  आपकी सभी इच्छा और, ईश्वरीय इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति है।

यहाँ मैं आपको और सूक्ष्मता में ले जाती हूँ : ये कार्य शक्तियाँ क्या हैं? जबरदस्त! उदाहरण के लिए, यह दायाँ पक्ष सभी पांच तत्वों को प्रकट कर रहा है। सभी पांच तत्व आपके कहने का इंतजार करते हैं। आप इस आग को देखते हैं? आप इस आग से प्रार्थना करते हैं, “मेरी समस्या दूर करो!” कर देता  है। तुमने देखा हुआ है। जल तत्व: आप समुद्र में जाते हैं, और बोध के बाद समुद्र में जाकर खड़े हो जाते हैं। आप पाते हैं कि पूरी चीज को शोषित कर लिया गया है।

धरती माता आपकी सभी समस्याओं को शोषित कर लेती है। यह बहुत शानदार है। मैं कुआलालंपुर में थी, आप उन्हें लिखकर पता कर सकते हैं। वह वहाँ की विधानसभा के अध्यक्ष थे: मैं उनके निवास पर थी, और कम से कम हजार लोग थे। और साठ प्रतिशत बीमार थे, और चालीस उनकी देखभाल में लगे हुए थे। मैं अकेली थी: कोई सहज योगी, कुछ नहीं। सौभाग्य से, उनके पास एक बड़ा बगीचा था और यह काफी गर्म दिन था। मैंने कहा, “ठीक है, चलो बगीचे में चलते हैं!” मैंने उन्हें बगीचे में बैठाया और मैंने धरती माता से कहा : मैंने कहा, “ अब बेहतर हो कि, आप कार्य करें! और मैं नीचे बैठी हूं। और हर कोई बेहतर महसूस करने लगा। एक बात मैंने पहले कभी नहीं देखी थी कि इस पोलियो ठीक हुआ जा रहा है। और एक छोटा लड़का, लगभग आठ साल का बच्चा जमीन पर बैठा था: उसके माता-पिता उसे अपनी पीठ पर लादकर लाये थे। वह बस उठकर चलने लगा! और माता-पिता को अचानक एहसास हुआ कि वह गायब है: “वह कहाँ गया है?” और वह बगीचे में भाग रहा था! यह एक तथ्य है!

कुछ अंधे चीजों को देखने लगे। यह सबसे उल्लेखनीय है। आप उसे लिख सकते हैं, मैं आपको उसका पता दूंगी। यह एक तथ्य है, यह हुआ। और सभी के लिए पूरा चमत्कार इतना सरल था कि उन्होंने इसे हलके में ले लिया ; उन्होंने यह नहीं समझा कि कुछ भी इतना शानदार था: “आखिरकार माँ यहाँ है, इसलिए इसे कार्यान्वित होना ही है!” उन्होंने इसे या किसी भी चीज़ को तर्कबुद्धि पर संगत नहीं बनाया – इसे मान लिया। और आज भी अगर मैं वहां जाती हूं, तो ऐसा हो सकता है।

सभी तत्व आपके आदेशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

तो बाएं बाजु के महान देवदूत दाहिने बाजु के देवदूतों से संवाद करते हैं: दुनिया के सभी देवदूत। हालांकि यह कई लोगों को शानदार लग सकता है, लेकिन वे मौजूद हैं, और आपको बस उनकी मदद की प्रार्थना करनी होगी। यही एक मंत्र है: जागृत पुकार है, या आप कह सकते हैं, ऐसी पुकार जिसका अर्थ है। उदाहरण के लिए: एक पुलिस वाला अपनी सीटी बजाता है, इसका एक अर्थ है, लेकिन यदि कोई भी सीटी बजाना शुरू कर देगा, लोग उसे जेल में डाल देंगे। उसी तरह, मंत्र वह अधिकार है जिसे शब्द के साथ प्रेषित किया जाता है। और इसके साथ ही आप इन सभी शक्तियों को अपने भीतर जगा सकते हैं। वे इतने जबरदस्त हैं कि मुझे इसका वर्णन करने के लिए कम से कम सात व्याख्यान लगेंगे, जिनका मैं किसी अन्य समय में वर्णन करूंगी; , आप में से अधिकांश जिनसे पहले से ही अवगत हैं कि: वे कैसे काम करते हैं और कैसे वे आपकी मदद कैसे करते हैं।

यहां तक ​​कि हम सहज योगी उन्हें बहुत ही सामान्य रूप में लेते हैं, क्योंकि यदि आप अपने जीवन में ध्यान देंगे  तो पता चलेगा कि, एक महान रहस्य है, मुझे नहीं पता कि क्या आप उस रहस्य से अवगत हैं अथवा नहीं : जो कुछ भी हमें शानदार मिलता है, किसी न किसी तरह से, हम इसे इस तरह से प्राप्त करते हैं की हम उसे सामान्य ही समझते हैं। यह बहुत प्यारा है, क्या यह नहीं है? माना की, हर बार हमें झटका लगता है या हम घबरा जाते हैं, और हम कहते हैं, “हे भगवान!” हम विक्षिप्त या मजाकिया लोग बन जायेंगे| लेकिन यह इस तरह से यह हमारे भीतर स्थापित होता है, जैसे पेड़ से एक सूखता हुआ पत्ता गिरता है और बस जमीन को कोमलता से छूता है, और जमीन भी इसे सामान्य रूप से ग्रहण कर लेती है। उसी तरह, यह सब हम मान लेते हैं। उदाहरण के लिए, हमारी आंखें, हमारी नाक, हमारा माथा, वह सब कुछ हम सामान्यत: मिला हुआ मान लेते हैं, हमारा मानवीय अस्तित्व, हर बात को हम बहुत ही सामान्य मान लेते हैं। उसी तरह हम सहज योग को भी हलके-फुल्के में लेते हैं: और यह सबसे अच्छा तरीका है।

लेकिन क्या हम इसे उस तरह से सामान्य रूप से लेते हैं, जैसा कि हम अपने अस्तित्व के प्रति लेते हैं? यह प्रश्न है।

उदाहरण के लिए, हम अपने हाथ को बहुत सामान्य में लेते हैं:  इसलिए अगर मुझे अपना पर्स उठाना है, तो मैं अपना हाथ ऐसे उठाती हूं। जब हम सहज योग को अपनाते हैं, तो क्या हम सामान्यतया हर चीज के लिए अपने स्पंदन का उपयोग करते हैं? क्योंकि अब हमारी वायब्रेशन संबंधी सजगता में, अगर हमने इसे सामान्यतया ग्रहण कर लिया है, तो हमें इसमें पूरी तरह से खड़े होकर काम करना चाहिए। मेरा मतलब है, मैं इसी तरह से करती हूं।

मेरे लिए हर बात वायब्रेशन के अलावा और कुछ नहीं है। मैं जो कुछ भी करती हूं वह वायब्रेशन के अलावा और कुछ नहीं है। मेरी सभी गतिविधि और सब कुछ वायब्रेशन के अलावा कुछ भी नहीं है।

मैं खुद को बहुत अच्छी तरह से सामान्यतया स्वीकार करती हूं। काश, जो कुछ भी आपके भीतर है, आप वह सब सामान्यतया स्वीकार कर सकें,  जिस तरह से हम अन्य चीजें स्वीकार करते हैं। जैसे, मैं आपको एक टेलीविजन देती हूं और आप इसे लेते हैं और आप इसे मुख्य तार से जोड़ते हैं  और आप इसे देखते हैं। तुम कूद कर ऐसा नहीं कहते हो, “हे भगवान, चमत्कार देखो! कल्पना कीजिए!” कुछ नहीं, तुम बस इसे सामान्यतया मान लेते हो | कुछ भी: कंप्यूटर या कोई भी अद्भुत चीज जिसे आप देखते हैं – आप इसे सामान्यतया स्वीकार करते हैं।

उसी तरह, शायद शुरुआत में कोई व्यक्ति ऐसा महसूस करता है, “यह कैसे संभव है?” कुछ देर के लिए कोई ऐसा सोचना शुरू कर सकता हैं। बहुत ज्यादा सोचना भी ठीक नहीं है, क्योंकि तब आप इसे सामान्यतया स्वीकार नहीं करते हैं। लेकिन बाद में, आपको इसका अच्छी तरह उपयोग करना होगा! कोशिश करो! आप सशक्त हैं। अब आपका टेलीविजन खुला है। इसने काम करना शुरू कर दिया है। आप एक शानदार उपकरण हैं जिसे इस तरह की देखभाल के साथ हजारों वर्षों में बनाया गया है। आप नहीं जानते कि किन शक्तियों का उपयोग किया गया है: कितनी नाजुक और कितनी गतिशील। आपको इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि इस खूबसूरत अस्तित्व जो इंसानी व्यक्तित्व है को बनाने के लिए सभी सितारों और सभी स्वर्गों को किस तरह से ऊपर और नीचे चलाया जाता है। तुम्हें इसका कोई पता नहीं है। और अब, जब सहज-योग होता है, तो आपको यह भी पता होना चाहिए कि सहज योग का काम बहुत बहु-आयामी तरीके से किया गया है।

जबरदस्त सूक्ष्म शक्तियां  हैं जो इसे कार्यान्वित कर रही हैं। आप अपनी कुंडलिनी को बिना कुछ विशेष किए वहाँ स्पंदित नहीं कर सकते। बस एक रिमोट कंट्रोल के बारे में सोचें जो आपकी कुंडलिनी को कार्यशील करता है! बस इस बारे में जरा विचार करें ! एक जबरदस्त तंत्र होना चाहिए!

मैं ऐसा क्यों कहती हूं कि, इसे सामान्यतया स्वीकार करो क्योंकि अगर आप पहले अपने सभी रिमोट कंट्रोल खोल कर खुद देखने की कोशिश करते हैं तो आप उन सभी को तोड़ बैठेंगे | आप अपना टेलीविजन शुरू करते हैं, तो आप पाएंगे कि पूरी चीज ख़राब हो गई है और आपके लिए शेष है बस एक सिरदर्द, और आप कुछ भी देखना नहीं चाहते हैं। सहज योगियों के साथ  ऐसा ही होता है, विशेष रूप से पश्चिम में, क्योंकि जैसे ही उन्हें अपना बोध  होता है वे घर जाते हैं और इसके बारे में सोच-सोच कर उसकी बढ़िया बखिया उधेड़ते हैं। विचारों के माध्यम से उन्होंने यह आत्मसाक्षात्कार नहीं पाया ! यह एक साधारण बात है! और फिर वापस चले जाते हैं। और फिर सात महीने के बाद वे वापस आते हैं और कहते हैं, “माँ, मैं सात महीने पहले आपके पास आया था, अब मुझे लगता है कि मैं गलत था।” तो मैं कहती हूं: वे सात महीने क्यों गंवाते हैं?

आज मुझे उम्मीद है कि आप हमारी सभी संवेदनशीलता को पल्लवित होता  महसूस करेंगे। आइए हम अपने आप को उन सूक्ष्म बिंदुओं पर ले जाएं जिनका हमने सम्मान किया और कुंडलिनी इसे पोषण देगी – चित्त।

जहां भी आपका चित्त जाता है, यह चित्त प्रबुद्ध चित्त है।

आज मुझे ऑस्ट्रेलिया से एक पत्र मिला है, किसी ने लिखा है, “माँ, हमने आपको किसी का, पति और पत्नी का चित्र भेजा था, और वे बेहतर हैं क्योंकि आपने उन्हें बंधन दिया है।” और वे बहुत गंभीर मरीज थे। और वे वास्तव में बेहतर हैं। लेकिन मैंने कुछ नहीं किया! वास्तव में मैं कुछ नहीं करती। मैंने सिर्फ फोटोग्राफ देखा, बस इतना ही सब कुछ है। यहाँ तक कि, आप जानते हैं, बहुत स्पष्ट होना चाहिए, मैंने बंधन भी नहीं दिया। मैंने बस इसे देखा, बस इतना ही है।

वास्तव में मैं कुछ नहीं करती! आप लोग मुझे बिना किसी बात के धन्यवाद देते हैं, आप जानते हैं। जब आप कुछ नहीं करते हैं और लोग आपको धन्यवाद देते हैं, तो आप नहीं जानते कि क्या कहना है इसलिए आप यह कहते रहें कि “सब ठीक है, धन्यवाद के लिए धन्यवाद!” (हँसी)

तो फिर, यहाँ होने के लिए धन्यवाद। और हम थोड़ा ध्यान में जायेंगे। मुझे आशा है कि हम अपने भीतर कुछ गहरे स्‍तर को छू लेंगे।

परमात्मा आप सब को आशीर्वादित करें!

तुम दोनों पहली बार आए हो? आप पहले भी एक बार जा चुके हैं? आप के बारे में क्या?

लेडी: यह मेरी पहली बार है।

श्री माताजी: पहली बार? अच्छा। क्या आप ठंडी हवा महसूस कर रहे हैं?

साधक: हाँ।

श्री माताजी: सब ठीक है, तो आपने इसे गंवाया नहीं !

और तुम्हारे बारे में क्या, आप हाथ में शीतल हवा महसूस कर रहे हैं?

साधक: नहीं

श्री माताजी: अभी तक नहीं? सब ठीक है, यह काम करेगा, यह काम करेगा। आप क्या? क्या आप ठंडी हवा महसूस कर रहे हैं? नहीं न?

आप कैसे हैं?

योगी: ठंडी हवा महसूस हो रही है माँ।

श्री माताजी: अच्छा! अच्छा! अच्छा!

क्या तुम ठीक हो? बढ़िया अपने बारे में बताओ?

लेडी: मुझे आज महसूस नहीं हुआ।

श्री माताजी: आप सोच रहे हैं! अब कृपया! कृपया!

आप देखते हैं, सोच इसे रोक देती है। कैसे? दो विचारों के बीच – उदाहरण के लिए, एक विचार उत्पन्न होता है और गिर जाता है, और दूसरा विचार उठता है और गिर जाता है – इन दो विचारों के बीच थोड़ा अंतराल है, उस अंतराल का विस्तार हो गया है। उदाहरण के लिए, जो विचार था, वह अतीत है और जो आने वाला है वह भविष्य है। बीच के अंतराल को विलम्ब कहा जाता है। और जब आप इसके बारे में सोचना शुरू करते हैं तो आप इन विचारों के पुंज पर कूद पड़ते हैं। आप विचार से परे हैं। एक भारतीय इसे तेजी से समझेगा, क्योंकि इसे निर्विचार समाधि कहा जाता है: वह अवस्था है जहां आप निर्विचार रूप से जागरूक हो जाते हैं। वे जानते हैं कि यह क्या है। आप इसके बारे में सोच भी नहीं सकते, क्योंकि तर्कसंगतता एक सीमित चीज है। तो आपको अंतरिक्ष में कूदना होगा। जब आप अंतरिक्ष में होते हैं तब आप कैप्सूल में नहीं होते हैं। लेकिन अगर आप कैप्सूल में हैं तो आप अंतरिक्ष में नहीं हैं।

अब बेहतर है?

लेडी: हाँ।

श्री माताजी: देखिए यह कैसे काम करता है। यहां तक ​​कि आपकी समस्यायें, मेरा मतलब है, मैंने इस पर बड़े व्याख्यान दिए हैं, आपकी समस्याओं को कैसे हल किया जाए, आपकी निर्विचार जागरूकता में। यह मुँह, वह मुहाना  है जहाँ आपको समस्या डालनी है और यह आपकी निर्विचार जागरूकता में काम करता है। यह सबसे कीमती चीज है, इसे बनाए रखना है

क्या अब तुम्हे ठंडी हवा प्राप्त हो रही है?

सही बात।

तुम्हारे बारे में क्या, अभी तक नहीं? अब यहाँ मेरी तरफ देखो। क्या आप अभी भी सोच रहे हैं?  ठीक है, तुम मुझे बिना विचार के बस देखो। यह एक अन्य तरीका है जिससे कि आप इसे कर सकते हैं मेरा चेहरा इतनी मज़ेदार है कि अगर आप इसे लंबे समय तक देखते हैं, तो आपके पास कोई विचार नहीं होगा! बस यह कुछ बहुत ही मज़ेदार बात है, जो आप जानते हैं! आज ऐसा हो गया: मैं दर्जी के पास गयी और उसने बस मेरी तरफ देखा और वह नहीं जानता था कि वह क्या करने की कोशिश कर रहा है। और मेरे पति ने कहा, “क्या वह स्तब्ध है या क्या हुआ?” (हँसी)

अब मुझे बिना विचार किये देखो!

बेहतर है! देखो! यह चेहरा है! इसकी जरूरत है। मुझे क्या करना है? मेरा मतलब है, मेरे साथ यही समस्या है। मुझे नहीं पता कि मैं अपने बारे में कैसे समझाऊँ!

आप का आ रहा है ठन्डा? ठीक है।

अब आप कैसे हैं? बेहतर है? हर दिन आप बेहतर और बेहतर और बेहतर होंगे।

आप कैसे हैं?

लेडी: थोड़ा बेहतर। कल जैसा अच्छा नहीं। मैंने कल बहुत ठंडी हवा महसूस की लेकिन आज इतनी नहीं।

श्री माताजी: तो, इसका मतलब है कि आप थोड़ा नीचे जा रहे हैं। ठीक है? इसलिए अब इसे बनाए रखें।

आप देखिए, यह वॉशिंग मशीन की तरह है, मैं कह सकती हूं। यह सफाई के लिए गोल-गोल, थोड़ा-थोड़ा करके जाता है। ठीक है?

वे इसे महामाया कहते हैं। वे इसे “महान भ्रम” कहते हैं। माँ एक महान भ्रांती है, क्योंकि वह हमें भ्रम में डालती है। मैं नहीं! हम परमात्मा से कहते हैं, “हमें प्रलोभन में न ले जाएँ।” अब वह आपको प्रलोभन में क्यों ले जाएगा? लेकिन तुम जाते हो। तो आप भगवान से कहते हैं कि, “आप हमें उससे दूर रखिए!” आप बस यह परमात्मा से निवेदन करते हैं: कि, “आप हमें विचारों से दूर रखें!” और इस प्रकार यह बेहतर काम करता है।

तुरंत ही आपका चेहरा अलग दिखने लगता है। इसे बनाये रखें!

अब सब ठीक है। अच्छा, एक बार यह जागृत हो जाता है ! लेकिन आपको हर सोमवार को आना चाहिए। देखिए लोग कैसे उन्नत हुए हैं! कितने ही लोग हैं जो की आत्मसाक्षात्कार दिला रहे हैं? ठीक है?

आपको अवश्य आना चाहिए, यह सबसे सुखद बात है! आप नहीं जानते |थोड़ा ऐसा है की, आपको स्वाद विकसित करना होगा। क्योंकि आप स्थूल चीजों के आदी हैं, आप देखिए। जैसे कि मदिरा का आदी उसे छोड़ नहीं पाता है। लेकिन एक बार जब आतंरिक मदिरा उमड़ने लगती है, तो फिर आप बस बाहरी शराब पसंद नहीं करते हैं!

बेहतर है।

 मुझे विश्वास है, कोई आया है।

हम्म्म! वह अब बेहतर है। ठीक है?

क्या हुआ गैविन?

मैं इसे इतना स्पष्ट देख रही हूँ ! क्यों? तुम क्या छुट्टी मना रहे ठे या अन्य कुछ ? यह भयानक है, बिल्कुल! बहुत बुरी तरह से पकड़ा! क्या बात है? तुमको बहुत बुरी सर्दी थी ? यहाँ आओ! मैंने तुम्हे कभी इतना बुरी तरह पकड़ा हुआ नहीं देखा। तुमने खुद अपने आप को उजागर किया है मुझे लगता है कि यह धूप तापना था या क्या हुआ था? भयानक!

बेहतर है?

सावधान रहे! आप देखते हैं, इन दिनों यह बहुत धूप है, गरम प्रतीत होता है, लेकिन हो सकता है … आपको खुद की देखभाल करनी होगी| यह देश इस समस्या से भरा है।

अब बेहतर।

यह क्या है? विशुद्धि। यह विशुद्धि से यहाँ तक बढ़ आता है। हा! अब बेहतर है। तुम बैठो या थोड़ी देर में और यह कार्यान्वित होगा  … आप देखो, इसे विशुद्धि से उगता हुआ । मुझे लगता है कि सर्दी ने आपको बहुत बुरी तरह से पकड़ा। क्या हुआ?

गेविन ब्राउन: मुझे नहीं पता।

श्री माताजी: मुझे लगता है कि आप अपना हाथ यहाँ रखें । बैठ जाओ! सावधान रहे।

हम्म! बेहतर है। सर्दी से पीड़ित कोई व्यक्ति अवश्य ही आया होगा या वैसा ही कुछ तुम देखो, या घास का बुखार hay fever है।

गेविन ब्राउन: ऐसा हो सकता है।

श्री माताजी: दाईं नाभी से; समस्या दायीं बाजु पर है |

आप कैसे हैं? अच्छा!

अब आंखें बंद करो, बंद करो।

आपने विशुद्धि पर काम करने के लिए अपना हाथ यहाँ रखे , दायाँ,  और बायां वहाँ । दायीं नाभी भी। क्या आपका लिवर आ रहा है या क्या?

गेविन ब्राउन: मुझे ऐसा नहीं लगता।

श्री माताजी: बहुत एह?

गेविन ब्राउन: हम्म।

श्री माताजी: सब ठीक है, बाईं ओर से अधिक  बाईं ओर चलो। अपनी आँखें बंद रखें और अपने आप का आनंद लें, अपने आप का आनंद लें। बस बिलकुल मत सोचो। बिलकुल मत सोचो। बस अपने आप का आनंद लें। मत सोचो। मत सोचो।

हम्म! बेहतर है।

 मार्क यह कहाँ है? पूरा बायाँ?

अब बेहतर है? सुधार हो रहा है? हृदय?

बेहतर है। अपनी आँखें बंद रखो! आनंद लें। आप सभी अपने स्व में उतरते जा रहे हैं। बस इसे होने दें। शांत हो, शांत हो। आराम करो। बस शांत हो जाओ , किसी चीज़ के बारे में मत सोचो बस शांत।

आप इसे कार्यान्वित कर रहे हैं। अब बस शांत हों। विचार मत करो।

अब बेहतर है। जबरदस्त! हा? बाहर निकल दे रहे।

बेहतर है। अब, अब बेहतर है?

अब आप महसूस कर पा रहे हैं? बेहतर है? फिर से गवां रहे हैं ? आप फिर से गवां रहे हैं? क्या? आओ, इधर आओ। बैठ जाओ। बैठ जाओ। देखो, तुम्हारा लिवर फिर से उभर आया है : अभी भी अपने लिवर के रोगियों का इलाज कर रहा है? आगे आओ, आगे आओ। मुझे अपना पैर आपके लिवर पर रखना होगा। अब ज़रा देखिए कि यह कैसा पत्थर की तरह बन गया है। अब देखें, आप गर्मी के अलावा और किस बात की उम्मीद करते हैं?

 देख? यह वही है। अब बेहतर?

किसी ने बैक आज्ञा पकड़ा है।

हम्म!

गेविन ब्राउन: यह चल रहा है अब चल रहा है।

श्री माताजी: बेहतर है? अब काफ़ी बेहतर। क्षमा करें मुझे अपने पैरों का उपयोग करना पड़ता है लेकिन वे बहुत शक्तिशाली हैं जो आप जानते हैं। शारीरिक समस्याओं के लिए वे मेरे हाथों से बेहतर हैं। खराब चीजें, वे सुबह से शाम तक काम करते हैं!

इसे जोर से दबाओ! बेहतर है!

अब भी आप लिवर के रोगियों के साथ काम कर रहे हैं वे हैं?

डॉक्टर: हम्म।

श्री माताजी: आप उनके बारे में क्या करते हैं? अस्पतालों में लिवर के रोगियों के लिए आप क्या उपचार देते हैं?

डॉक्टर: विशेष दवाएं।

श्री माताजी: क्या ड्रग्स?

डॉक्टर: यह इस बात पर निर्भर करता है कि लिवर में क्या समस्या है।

श्री माताजी: लेकिन फिर भी आप सामान्य रूप से किन दवाओं का उपयोग करते हैं?

डॉक्टर: मुख्यत: वे चीजें जो उन के लिए हैं, जो शराबी हैं और उनका खून बहना शुरू होता हैं।

श्री माताजी: शराब?

डॉक्टर: उन्हें अल्कोहलिक सिरोसिस है और उन्हें खून आता है और वे खून की उल्टी करते हैं।

श्री माताजी: वाक़ई? इतना वह गंभीर है?

डॉक्टर: तो हमारे पास इसे रोकने में मदद करने के लिए विशेष दवाएं हैं।

श्री माताजी: जरा यह देखो! उसके बावजूद, कोई भी इन चीजों को प्रकाशित नहीं करता है। आप जानते हैं, एक अन्य दिन एक बहुत ही महत्वपूर्ण डिनर टेबल पर, एक बड़ी बहस थी कि, फ्रांस में, पब हर समय खुले रहते हैं, जबकि यहाँ वे बहुत देर से खुलते हैं, इसलिए लोग बहुत दुखी है कि आप पर्याप्त रूप से शराबी नहीं हैं! एक बड़ी चर्चा जारी है। उन्हें ये तस्वीरें देखने दो! उन्हें क्यों नहीं दिखाते कि कैसे लोग खून की उल्टी करते हैं और कैसे लोग ऐसा करते हैं। यह एक अच्छा विचार होगा।

और जो खाना वे खाते हैं क्या वे करते हैं?

डॉक्टर: ठीक है, लिवर को लेकर बहुत सारी समस्याएं हैं। जैसे कि,यदि वे शराबी हैं तो उनके पास अंतःशिरा intravenous चिकित्सा है।

श्री माताजी: वे खाना नहीं खा सकते? वे उल्टी करते हैं?

डॉक्टर: तो वे उन्हें उल्टी रोकने के लिए विशेष ट्यूब डालते हैं, और फिर चूँकि वे इतना खून गवां रहे हैं, वे उन्हें खून चढाते हैं।