Seeking That Which Lies Beyond

Stratford, London (England)

1980-06-13 Seeking That Which Lies Beyond Stratford NITL HD, 30'
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                                    जो परे है उसकी चाहत 

सार्वजनिक कार्यक्रम

 स्ट्रैटफ़ोर्ड, ईस्ट लंदन, लंदन (यूके), १३ जून १९८०

वे झूठे नहीं हो सकते थे। वे हमसे झूठ नहीं बोल सकते थे। उदाहरण के लिए

आइए हम सुकरात का मामला लें। सुकरात ने हमें बताया है कि हमें दूसरे जीवन के लिए शरीर छोड़ना है और जब हम इस दुनिया में रहते हैं, जब हम इस धरती पर इंसान के रूप में रहते हैं, तो हमें खुद को इस तरह रखना होगा कि हम अपने अस्तित्व को खराब न करें, ऐसा है कि हमारे ही भीतर जीवन की एक क्षमता है, एक ऐसा गुण जो हमें मनुष्य बनाता है, जिससे हम मनुष्य कहला सकते हैं।

इंसान और जानवर में क्या अंतर है? जैसा कि औरों ने भी यही कहा है कि हम मनुष्य हैं, चूँकि हम मनुष्य हैं, हमें मूल्यों की एक निश्चित मात्रा का आधार रखना चाहिए।

सुकरात के बाद हमारे पास अब्राहम और मूसा जैसे लोग थे, उन्होंने भी यही बात कही। उन्होंने जो कहा और सुकरात ने जो कहा, उसमें बहुत अंतर नहीं है। सुकरात ने एक और बात कही थी, कि हमारे भीतर देवता हैं और हमें उस 

 देवत्व का ध्यान रखना है, हमें उन्हें प्रसन्न रखना है।

मूसा को जब दस आज्ञाएँ मिलीं, तो वास्तव में उन्होने वे दस विधियाँ खोजीं, जिनके द्वारा वह हमें बता रहे थे कि हम उन दस आज्ञाओं का पालन करके मनुष्य के रूप में अपने अस्तित्व को बनाए रखने में सक्षम हों। गुण-धर्म का अर्थ है जिसे हम अपने भीतर धारण करते हैं। संस्कृत भाषा में इसे धर्मकहते हैं। “धारेति सा धर्म”: वह जो हमारे भीतर रहता है।

उदाहरण के लिए, यदि आप एक कार्बन परमाणु लेते हैं, तो इसकी चार संयोजकताएँ (टेट्रावैलेंट) होती हैं। आप कहीं भी जाएं और किसी भी कार्बन यौगिक में से कोई कार्बन परमाणु खोजें, आप पाएंगे कि इसकी चार संयोजकताएं होंगी। प्रत्येक तत्व के सभी परमाणुओं में समान गुण होते हैं। वही धर्म है।

आप कह सकते हैं कि सोने में क्षमता या धर्म होता है कि यह खराब नहीं होता है। जानवरों को देखें तो उनका भी गुण-धर्म होता है। उदाहरण के लिए, आपने घोड़े को गधे की तरह व्यवहार करते हुए, या शेर को बिच्छू की तरह व्यवहार करते हुए नहीं देखा होगा। यह सिंह की शान से नीचे होगा कि वह बिच्छू और बिच्छू कोई कीड़ा बन जाए। इन लोगों [प्राणियों] के गुण-धर्म को बरकरार रखा गया है क्योंकि उन्हें चुनने की स्वतंत्रता नहीं दी गई है। केवल मानव स्तर पर, ईश्वर ने हमें अपना गुण-धर्म चुनने, मनुष्य के रूप में अपनी क्षमता को स्वीकार करने की स्वतंत्रता दी है। यह आजादी सिर्फ इंसानों को दी गई है।

तो एक इंसान एक बिंदु पर हो सकता है, एक बिच्छू जैसा हो सकता है या एक शेर जैसा हो सकता है। सभी जानवरों को एक साथ रखो ऐसा मनुष्य हो सकता है, आप नहीं जानते, लगभग अप्रत्याशित। आप नहीं जानते कि वे किस तरह से प्रतिक्रिया देंगे! वह भेड़िये की तरह चालाक हो सकता है और वह गाय की तरह विनम्र हो सकता है।

मनुष्य के पास क्षमता है, अपनी स्वतंत्रता के कारण, प्रदर्शित करने के लिए, जिस तरह से वे जीना चाहते हैं। लेकिन सभी इंसानों को एक ही ईश्वर ने एक ही तरीके से, ठीक उसी तरह से बनाया है। लेकिन विविधता जो हम देखते हैं वह सतही है, बिल्कुल बाहरी। हम सब एक ही तरह से हंसते हैं, चाहे हम जापानी हों, अंग्रेज हों या भारतीय। हम वैसे ही रोते हैं। हम जो कुछ भी करते हैं वह मानवीय है। लेकिन अगर कोई कृत्रिम होना चाहता है, तो वह थोड़ा अजीब हो सकता है, लेकिन उसे जोकर कहा जाएगा, वह सामान्य व्यक्ति नहीं होगा।

एक इंसान का सामान्य व्यवहार, चाहे वह अमेरिकी हो या जापानी कोई फर्क नहीं पड़ता। वे सब बस एक जैसे हैं। यह उनके भीतर के गुण-धर्म की अभिव्यक्ति है। हमारे भीतर इस भाग में गुण-धर्म  है जहाँ हरी गोल वस्तु दिखाई गयी है। यहां मानव ने अपनी गुण-धर्म प्राप्त किया है। उन्हें वहां होना है। उन्हें ये काम करने हैं। अगर वे इस तरह काम नहीं करते हैं, तब फिर वे अब इंसान नहीं रहेंगे – यह एक सच्चाई है।

लेकिन आधुनिक समय में लोगों को यह बताना सबसे कठिन है कि आपको इंसान बनना है। आप उन्हें इन्सान के अलावा गधे या बंदर या बाघ या कुछ भी होने के लिए कह सकते हैं। वे गुट बना सकते हैं, समूह बना सकते हैं, झगड़ा कर सकते हैं, लड़ सकते हैं, हर तरह की चीजें कर सकते हैं, लेकिन सामान्य इंसान नहीं बन सकते। यदि आप एक सामान्य मनुष्य बन जाते हैं तो कोई संघर्ष नहीं होगा, कोई समस्या नहीं होगी।

आपको सामान्य करने के लिए, इन सभी महान संतों का जन्म इस धरती पर हुआ था, इस वृहद आदि अस्तित्व के शून्य में। और वे हमारे भीतर मौजूद हैं, हालांकि वे अभी तक जाग्रत नहीं हुए हैं। हमारे पास उनमें से मुख्य रूप से दस हैं। भारत में हम उन्हें बहुत प्राचीन समय से आदि नाथ कह सकते हैं, जो हजारों साल पहले थे। मैंने आपको सुकरात, मूसा, इब्राहीम और फिर राजा जनक बताए हैं। फिर हमारे पास, बाद में, मोहम्मद साहब, फिर नानक थे, फिर उनमें से अंतिम शिरडी साईं नाथ थे। वह एक अन्य आदि गुरू थे, एक महान।

वे समान व्यक्तित्व के भिन्न-भिन्न अवतार हैं। उन्होंने वही बात और वही बात और वही बात कही – खुद को गुण-धर्म में कैसे बनाए रखा जाए। उनका काम आपको आत्मसाक्षात्कार देना नहीं बल्कि आपको आपके गुण-धर्म में बनाए रखना था। आपको अपने बोध की प्राप्ति के लिए सक्षम बनाने के लिए। आपको साक्षात्कारी आत्माओं के रूप में परमेश्वर के आशीर्वाद का उचित प्राप्तकर्ता बनाने के लिए। अगर घड़ा ठीक नहीं है, अगर उसमें सारे छेद हैं, तो उसमें गंगाजल डालने से क्या फायदा? इसलिए उन्होंने सभी छिद्रों को बंद कर दिया और कहा कि “ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।” लेकिन जैसा कि हमने हर बात को गड़बड़ कर दिया है, हमने उन्हें भी गड़बड़ कर दिया है। हम सब! चाहे आप अंग्रेज हों, भारतीय हों या यह बात कोई मायने नहीं रखती। आप ईसाई हैं, मुसलमान हैं या सिख हैं या कुछ भी मायने नहीं रखता। हम सभी ने उनकी अवज्ञा करके ही उन्हें गड़बड़ कर दिया है। हमने वास्तव में उनकी अवज्ञा की है, क्योंकि हमें अवज्ञा करने की स्वतंत्रता है। हमने उन्हें अपनी मनमर्जी मुताबिक ढाल दिया है।

मैं आपको भारतीयों का एक उदाहरण देती हूं। उन्होंने ऐसा किस प्रकार किया है। और फिर ईसाइयों के बारे में। इसे पहचान कर दर्ज़ करना बहुत दिलचस्प है। उदाहरण के लिए मोहम्मद साहब ने मना किया है, शराब पीना बिल्कुल मना है, बिल्कुल! एक सिख को एक पेय को छूना नहीं चाहिए। धूम्रपान को छूना भी नहीं चाहिए। किसी से पूछो। बिल्कुल!! और मैं आपको बताती हूं, इस देश में, मैं चकित थी, वे स्कॉटिश लोगों से भी ज्यादा पीते हैं !! भयंकर! खुले तौर पर! वे एक हेलमेट के लिए लड़ेंगे, निरर्थक बातें (यूके में सिखों को अपनी पगड़ी के ऊपर मोटरबाइक हेलमेट नहीं पहनना पड़ता है!), लेकिन वे उस मुख्य बात को नहीं समझेंगे जो नानक ने बताई है, जो वे कर रहे हैं|

अब ईसाइयों को ले लो, महान! ईसा-मसीह ने मृतात्माओं के साथ कोई भी  व्यवहार  करने की मनाही की है। प्रेतात्माओं का उपयोग नहीं करना। जितने भुत-विद्या बाज आप को सभी पश्चिमी देशों में पायेंगे, उतने आप अफ्रीका में भी नहीं पा सकते हैं! आप जिस भी चर्च में जाते हैं, सभी शवों पर ही कदम रखते हैं!  जीवित लोगों के बीच सभी मृतको को रखने के ये भयानक विचार आपको कहाँ से मिलते हैं? आपके बच्चे इन मरे हुए लोगों पर चलते हैं। बेतुका है! आत्माओं से मदद लेना, ईएसपी। पूरी पश्चिमी विचारधारा बर्बाद हो रही है क्योंकि उन्होंने इन प्रेतात्माओं को अपना लिया है। कुछ समय बाद वे वास्तव में आदिवासी बन जाएंगे, मैं आपको बता सकती हूं कि वे जिस तरह से आगे बढ़ रहे हैं। सभी प्रकार के शैतान उन पर कब्जा कर रहे हैं। इसे अधिक बढाने के लिए उन्होंने ड्रग्स का सहारा लिया है। यह और भी ज्यादा घातक हो सकती है।

लेकिन यह समझना चाहिए कि ये चीजें हमारे अस्तित्व के खिलाफ जाती हैं।

 मोहम्मद साहब वह व्यक्ति है जिसने कहा था, उन दिनों जब बहुत सारी महिलाएं और बहुत कम पुरुष थे, उन्होंने कहा “ठीक है, अगर ऐसा है तो आपको शादी करनी चाहिए। यहां तक ​​कि चार महिलाओं से भी आपको शादी करनी होगी। शादी के बिना कोई संबंध नहीं बनाना चाहिए।” इसलिए उन्होंने ऐसा किया। अब मुसलमान सोचते हैं कि जब तक उनकी चार पत्नियाँ न हों, वे मुसलमान नहीं हैं! लेकिन उसने शराब पीने की भी मनाही कर दी थी, बिल्कुल! मूसा ने भी उन सब को पूरी तरह से मना कर दिया था। लेकिन मुसलमान, वे कितनी शराब पीते हैं, मैं आपको बताती हूं। जब शराब खत्म हो जाएगी तो वे अपना पेट्रोल पी रहे होंगे मुझे विश्वास है! जिस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया था ! आप इस देश में एक भी मुसलमान से नहीं मिल सकते, जो आया हो और जो शराब न पीता हो। असंभव! और जो तब तक पीता है जब तक वह एयरपोर्ट नहीं जाता, अपने देश पहुँचने  तक अपने साथ एक बोतल ले जाता है और हवाई जहाज़ से नीचे उतरने से पहले वह सब खत्म कर देता है। और हवाईअड्डे पर ऐसे व्यक्ति की अगवानी के लिए कभी न जाएं, यदि आप नहीं जानते कि आप का किस से  सामना होने जा रहा हैं!

यह स्थिति है! जो भी चीज़ आपके लिए अहितकारी बतायी गयी, हमने वही अपनाने का फैसला किया।

अब हिन्दुओं को ही ले लीजिए महान! जो अपने आप को सर्वदा सबसे महान आध्यात्मिक लोगों के रूप में मानते हैं। जहाँ कि कहा जाता है कि हर इंसान में ईश्वर का वास होता है। प्रत्येक हृदय में ईश्वर का वास है -यही हिन्दू धर्म का आधार है। लेकिन उन्होंने जाति व्यवस्था शुरू कर दी है!

जाति व्यवस्था मनोवैज्ञानिक अभिरुचि के अनुसार थी। यदि आप एक साधक हैं तो आप एक ब्राह्मण हैं, यदि आप धन में खोज रहे हैं तो आप वैश्य  हैं, यदि आप सत्ता में खोज रहे हैं तो आप एक क्षत्रिय हैं। सभी राजनेता क्षत्रिय हैं! तो, उन्होंने इसे आपके जन्म के अनुसार बना दिया है। जाति व्यवस्था के अनुसार देश को विभाजित किया और उस देश में भयानक, जड़ता वाली चीज, कट्टरपंथी, अभिशाप काम कर रहा है। ऐसा कैसे हो सकता है जब आप मानते हैं कि हर इंसान में सर्वशक्तिमान ईश्वर निवास करता है? कोई कैसे ऊंचा हो सकता है और कोई नीचा? एक बड़ा छलावा है कि वे ब्राह्मण हैं। ब्राह्मण कैसे हैं? मैं नहीं समझ सकती कि वे ब्राह्मण कैसे हैं जब वे आत्मसाक्षात्कारी नहीं हैं तो वे ब्राह्मण बिलकुल नहीं हो सकते हैं?

वाल्मीकि जैसा व्यक्ति भी जो इस अर्थ में क्षुद्र जाति का था क्यों कि वह चोर की तरह काम कर रहा था और वह सिर्फ एक मछुआरा था, लेकिन वह हमारे पास सबसे महान ब्राह्मणों में से एक है! व्यास, उनकी मां एक मछुआरन थीं और वह एक नाजायज बच्चे थे, वे एक अन्य हैं, जिन्होंने  भगवद् गीता लिखी थी। और ये लोग कह रहे हैं – हम ब्राह्मण हैं, तुम गैर-ब्राह्मण हो, तुम यह हो, तुम वह हो। कृत्रिम विचारों और बेकार की चीजों में रहना। और इन चीजों के बारे में लड़ना जो वास्तविकता के करीब कहीं भी नहीं हैं, ईश्वर के नाम पर! जरा इस बारे में विचार करें।

अगर हम सभी इंसान हैं, तो हम सभी को हमारे पिता ने बनाया है। और हमारे पिता के बारे में सोचो कि वे कैसे सोच रहे होंगे कि उनके पैर, हाथ और आंखें आपस में लड़ रहे हैं और शरीर की हर कोशिका आपस में लड़ रही है। उनकी करुणा और उनके प्रेम के बारे में सोचें, उन्हें कैसा महसूस होना चाहिए। हमने अपने समाज के लिए यही किया है। हमारे पास अपने बारे में अजीब विचार हैं। मेरे लिए यह इतनी मूर्खतापूर्ण बात है और इतनी बेवकूफी है, यह इतनी बेवकूफी है कि मैं समझ नहीं पा रही हूं। मैं इन विचारों से अपनी पहचान नहीं बना सकती, यह असंभव लगता है। तुम देखो, एक सुंदर नक्शा बनाया गया था जहाँ कुछ पेड़ होने थे और कुछ बगीचे होने थे, कुछ नदियाँ भी थीं और कुछ पहाड़ भी थे, उस नक्शे में। आपको अलग-अलग देशों में विभाजित करने और मूर्खों की तरह लड़ने और अपना जेल नंबर, कैदी का नंबर, जिसे आप कहते हैं, पासपोर्ट ले जाने के लिए किसने कहा?

आपके पास पासपोर्ट क्यों होना चाहिए यह मैं नहीं समझ पाती? अगर हम इंसान हैं, अगर हम एक पिता से पैदा हुए हैं तो हम पूरी दुनिया के मालिक हैं, हमारा है। हम किसी भी चीज़ पर कब्ज़ा कैसे कर सकते हैं? यह सब उसी का है। मेरे स्वभाव के व्यक्ति के लिए यह समझ पाना असंभव है। ऐसे विचार को धारण करना। मैं यह नाटक नहीं कर सकती। जबकि आप यह हैं। आपके अंदर परमात्मा ने ये सभी सुंदर केंद्र बनाए हैं जिन्हें गुरु नानक और कबीर… यहाँ तक की बाइबिल में भी कहा गया है कि “मैं आपके सामने ज्वालाओं की तरह प्रकट होऊंगा”, ये केंद्र हैं। वे आपके भीतर मौजूद हैं। वो वहां थे। और कुंडलिनी जो हमारे भीतर साढ़े तीन कुंडलियों में अवशिष्ट शक्ति है, त्रिकास्थि, त्रिकास्थि कहलाने वाली हड्डी में निष्क्रिय स्थित है। यह वहीं रहती है। जब मैं ऐसा कहती हूं, तो मैं तुम पर जो भी दबाव डालूं, आप को उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए। आपको इसे स्वीकार नहीं कर लेना चाहिए, लेकिन आपको अपनी आंखें भी बंद नहीं करनी हैं, और आपको इनकार भी नहीं करना है। यह मौजूद है। यह हमारे भीतर है। यह आपकी माँ, हर इंसान के भीतर है, चाहे आप वेस्ट हैम के हों या लंदन सेंटर के, चाहे आप एशिया की हों या अमेरिका की हों। हम सभी में यह कुंडलिनी विराजमान है, और वह हमारे भीतर स्थित हमारी माता है। हर किसी की कुण्डलिनी में एक बहुत ही सुंदर माँ विराजमान होती है।

यह माँ उस अवसर की प्रतीक्षा कर रही है जब वह आपको आपका पुनर्जन्म देगी। आप में से सभी को यह पाने का अधिकार है। और यह सहजहै, मतलब आपके साथ पैदा हुआ है, ‘सहका मतलब है साथ, ‘का मतलब है जन्मी। यह स्वतःस्फूर्त है। यह एक जीवंत प्रक्रिया है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो इस मानव उत्क्रांति के बाद एक नए रूप में अभिव्यक्त होने वाली है; जब आप वह व्यक्ति बनने जा रहे हैं जो दैवीय शक्ति के संपर्क में है। यह दैवीय शक्ति आपके भीतर है, इन केंद्रों के माध्यम से प्रकट होती है, छह केंद्र जो शायद हमारे विकास के मील के पत्थर हैं, और इस फॉन्टानेल हड्डी(तालू) को यहां छेदते हैं, जिसे संस्कृत भाषा में ब्रह्मरंध्र कहा जाता है और आपको अपना बोध देता है, और योग स्थापित होता है . ईश्वर से मिलन स्थापित होता है।

यही असली बपतिस्मा है। न तो ये पुजारी जो धर्मशास्त्रीय महाविद्यालयों से आते हैं और न ही ये भयानक ब्राह्मण, तथाकथित, वे आपको यह दूसरा जन्म दे सकते हैं। केवल वही जो ईश्वर द्वारा अधिकृत है, जो एक साक्षात्कारी आत्मा है, वह कर सकता है। हर ऐरा गैरा नत्थू खेरा ऐसा नहीं कर सकता। एक बार जब कुंडलिनी उठ जाती है और आप सर्वव्यापी दिव्य शक्ति के साथ एकाकार हो जाते हैं, तो आप पवित्र आत्मा की शीतल हवा को महसूस करना शुरू कर देते हैं, जिसे हम संस्कृत में आदि शक्तिकहते हैं, हाथ में ठंडी-ठंडी हवा के रूप में बहने लगती है। और एक बार वह बहने लगती है, तो ये सभी उंगलियां, जो हमें इतनी साधारण लगती हैं, प्रबुद्ध हो जाती हैं, और आप पाते हैं कि इन उंगलियों में आपको इन विभिन्न चक्रों का ज्ञान प्राप्त होता है। बाईं ओर की हथेली और दाईं ओर की पर यह पांच चक्र, छह और सात, उसी तरह दाएं और बाएं हैं। और तब तुम स्वयं को देखना शुरू कर सकते हो कि तुम्हारे भीतर कौन से चक्र पीड़ित हैं, और दूसरे लोगों के कौन से चक्र पीड़ित हैं।

आप सामूहिक रूप से जागरूक हो जाते हैं। मुझे तुमको यह बताने की ज़रूरत नहीं है कितुम सब मनुष्य हो, एक बाप की सन्तान हो, आप बस बन जाते हो। वास्तविकता में यह हो जाना है। यह कोई व्याख्यान नहीं है अथवा “ठीक है चले आओ मैं तुम्हें बपतिस्मा दूंगा”, इतना ही नहीं। यह बस एक वास्तविक अनुभव बन जाता है। लेकिन उस वास्तविक अनुभव के बाद, आपको इस पर काम करना होगा।

अब इंग्लैंड में हमारे पास दो तरह के लोग हैं जो मैं कहूंगी। बेशक, हमारे पास तीसरा प्रकार भी है। लेकिन एक प्रकार है, वह अहंकार-उन्मुख है। उदाहरण के लिए, यदि कोई गुरु आता है और कहता है, “ठीक है, अगर तुम मुझे 500 रुपये देते हो तो मैं तुम्हें बोध दूंगा,” वे गाएंगे “वह महान है!”, आप देखते हैं, क्योंकि वह आपसे £ 500 लेता है। क्योंकि इससे आपका अहंकार बढ़ता है कि, “आप अपनी बोध प्राप्ति के लिए £500 दे सकते हैं।” और वहाँ एक प्रतियोगिता है, आप देखते हैं, एक रेस हॉर्स की तरह। कोई कहता है “मैंने उसे £500 दिए”, वह कहता है “ओह क्या, केवल £500? मैं जाऊंगा और £700 दूंगा!” ये पहले दर्जे के ठग हैं! कोई भी परजीवी ऐसे गुण का नहीं होगा। ये सबसे खराब किस्म के परजीवी हैं और मुझे इन पर शर्म आती है!

कभी मत सोचो कि तुम ऐसे व्यक्ति को खरीद सकते हो। अपने आप को उस अहंकार के स्तर पर न रखें। आप ऐसे व्यक्ति को केवल प्रेम के द्वारा ही जीत सकते हैं, क्योंकि उस व्यक्ति को प्रेम होना ही है। और कुछ भी अपील करने वाला नहीं है, सभी प्रकार की कृत्रिमता को छोड़ देना चाहिए, और उस व्यक्ति से प्रेम से संपर्क करना चाहिए। और प्रेम कार्य करता है और कुंडलिनी ऊपर उठती है।

यह दिव्य प्रेम इसे पूरा करता है। वैज्ञानिक शब्दावली में आप प्रेम की व्याख्या कैसे करेंगे? तुम नहीं कर सकते। लेकिन उनसे पूछो। इतने सारे प्रश्न हम वैज्ञानिकों से पूछ सकते हैं जिनका वे उत्तर नहीं दे सकते। बस उनसे पूछें कि “यह धरती माता कैसे हमें नीचे रखे हुए है?”

 वे कहेंगे कि गुरुत्वाकर्षण है।

 “यह हम जानते हैं लेकिन कैसे? और क्यों?”

 वे किसी क्योंका जवाब नहीं दे सकते। वे बस यही कहेंगे कि “यह ऐसा है, यह है। एक दीया जल रहा है, एक रोशनी आ रही है।” इसके परे कुछ भी नहीं बता सकते। लेकिन ऐसा क्यों? वे उस प्रश्न का उत्तर इसलिए नहीं दे सकते क्योंकि वे केवल एक तरफा हैं। उनका कोई हृदय नहीं है। दिल वहीं खत्म हो गया। कोई दिल नहीं है।

आपको हृदय और मस्तिष्क और लीवर को मिलाना है, तीन चीजें एक साथ। इन निरपेक्ष प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए आपको एक इंसान को एकीकृत करना होगा जो कि बहुत कठिन है क्योंकि आप इतने खंडित हैं। यह पूरा शरीर खंडित है, उन्हें संपूर्णता का विचार नहीं हो सकता। यह अराजक, भ्रमित करने वाले लोग हैं। लेकिन इस समय ही यह महान कार्य होना था और हो रहा है। धीरे-धीरे लेकिन स्थिर गति से। यह काम करता है। इसे काम करना है। इसके बिना आप को कुछ हासिल नहीं होने वाला हैं। आप कुछ भी ऐसा हासिल नहीं करने जा रहे हैं जो सार्थक हो।

आपको यह जानना होगा कि आप यहां क्यों हैं। आप अमीबा से इस अवस्था तक क्यों बने हैं। आपके जीवन का अर्थ क्या है? क्या आप सिर्फ अपनी वासना और लालच के गुलाम बनने और फिर मरने के लिए पैदा हुए हैं? या इसका कोई बड़ा अर्थ है? हमें इसका पता लगाना होगा। और वह खोज इस महान देश में कितने लोगों ने की है, और इस क्षेत्र में भी यह किया जाना चाहिए। क्यों नहीं? इसलिए मैं सिर्फ आपसे मिलने और इसके बारे में बात करने और आपको अनुभव देने के लिए आयी हूं।

बेशक, एक व्याख्यान में इतने बड़े विषय को शामिल नहीं किया जा सकता है। मुझे लगता है कि मैंने पूरे देश में कम से कम 200 बार बात की होगी और हमारे पास इसके बारे में एक किताब भी है, लेकिन पढ़ने से आपको अनुभव नहीं मिल सकता है मुख्य बात अनुभव की है जिसमें शायद ही कोई समय लगता है। शुरू करने के लिए आपको अनुभव प्राप्त करना होगा। एक बार जब आप अनुभव प्राप्त कर लेते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि वह शक्ति क्या है। तो आपको इसका इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।

जैसे, एक सज्जन मुझसे मिलने आए, वे बड़े लेखक हैं। उसने कहा “हाँ माँ, मैं आपके पास आया, मेरे हाथ में ठंडी हवा थी। मैंने बेहतर महसूस किया, मैंने आराम महसूस किया”, लेकिन आगे कुछ भी नहीं! “मैं घर गया, मैं इसके बारे में सोचने लगा, मैंने अपनी ठंडी हवा खो दी।” बस इतना ही! कोई परिवर्तन नहीं! मैंने कहा “ऐसा लगता है कि, मैंने तुम्हें एक हीरा दिया है और तुम नहीं जानते कि हीरा क्या है! तुम जाते हो और इसे कहीं रख देते हो। इसे किसी चीज से ढक दिया। कोई रोशनी नहीं आ रही है।” आपको जाकर दूसरों से पूछना होगा। आपको इसका परीक्षण करना होगा। आपको कुंडलिनी को समझना होगा, आपको इसे दूसरों में उठाना होगा। आपको इसका परीक्षण करके इसे महत्व देना होगा।

आपको इसमें विकसित होना है और आप देख सकते हैं कि यहां बहुत से लोग हैं जो इसे प्राप्त कर चुके हैं और उन्होंने इसे न केवल प्राप्त किया है, बल्कि उन्होंने इसे बहुत बड़े पैमाने पर प्राप्त किया है। इसे पाना आपका अधिकार है, आपको इसे प्राप्त करना ही होगा। नतीजतन, सबसे पहले, आपके स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह वह चॉकलेट है जिसे पेश करना है, एक उप-उत्पाद है। यह कैंसर जैसी बीमारियों को भी दूर करता है। यह कई बीमारियों को ठीक करता है। मुझे लगता है कि यह 90% बीमारियों को ठीक कर देता है। इसके बाद आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है। यह आपको मानसिक शांति देता है, बहुत से पागल लोग ठीक हो चुके हैं। कई शराबी और नशा करने वाले बिल्कुल खुश हैं कि अब उन्हें किसी चीज की जरूरत नहीं है। क्योंकि असली शराब तुम्हारे भीतर बहने लगती है और तुम उसका आनंद लेने लगते हो! तुम्हारी सम्पूर्णता तुम में पैदा होती है, तुम्हारी प्राथमिकताएं बदल जाती हैं और तुम साक्षी बन जाते हो। यह पूरी बात आपको ड्रामा महसूस होने लगती है। आपका चित्त प्रबुद्ध हो जाता है, आपके चक्र प्रबुद्ध हो जाते हैं। यहां बैठकर आप अपनी शक्तियों को अभिव्यक्त करने लगते हैं। आप समझ सकते हैं कि दूसरे लोगों के साथ क्या गलत है। आप समझ सकते हैं कि आपके साथ क्या गलत है। जैसे-जैसे आप इस नई जागरूकता में बढ़ते हैं, जिसे हम चैतन्यमयी जागरूकता कहते हैं, आप दूसरों की कुंडलिनी को ऊपर उठाने और इस तरह साक्षात्कार देने की शक्ति से सशक्त हो जाते हैं।

आप अपनी खुली आंखों से देख सकते हैं, कुंडलिनी का स्पंदन, कुंडलिनी का उठना, कुंडलिनी का गिरना| ये सब चीजें देखी जा सकती हैं। छोटे बच्चे भी, जो साक्षात्कारी आत्मा हैं, बता सकते हैं कि आपकी कुंडलिनी कहाँ है।

यह समय सबसे अराजक और भ्रमित करने वाला है। भ्रम तो होना ही है, अन्यथा तुम खोजोगे नहीं। भ्रम के कारण तुम्हें उसे खोजना होगा, और समय आ गया है, कई फूलों के खिलने का समय आ गया है। यह काम करना है। यह सभी साधारण समस्याओं, स्थूल समस्याओं, भौतिक समस्याओं, पारिवारिक समस्याओं, सामाजिक समस्याओं, राजनीतिक समस्याओं, नस्लीय समस्याओं को हल करने वाला है, क्योंकि आपने निरपेक्षता का पता लगा लिया है।

आपकी सारी समस्याएं इसलिए हैं क्योंकि आप एक सापेक्ष दुनिया में रहते हैं। यदि आप अपना निरपेक्ष पा जाते हैं, तो आप जान जाते हैं कि क्या सही है और क्या गलत, क्योंकि अब आप मुख्य स्त्रोत्र से जुड़े हुए हैं और तालमेल शुरू हो गया है। आप कोई भी मूलभूत प्रश्न पूछ सकते हैं और आपको उत्तर मिल जाएगा। मान लीजिए आप प्रश्न पूछते हैं “क्या ईश्वर है?” एक प्रश्न पूछें, आप पाएंगे कि आपके अंदर एक ठंडी हवा आ रही है। लेकिन अगर आप कुछ और पूछते हैं जो गलत बात है, तो कोई हवा नहीं होगी। तो आप अपनी समझ में इस तरह कूद पड़ते हैं कि यह एक निरपेक्ष मूल्य बन जाता है। आपकी मूल्य प्रणाली बदल जाती है।

यह वही है जिस की तुम्हें चाहत थी, तुम चाहोगे, तुम्हें चाहना ही होगा। और यही है जो आपको पाना चाहिए। पायें, क्योंकि अंतिम निर्णय शुरू हो गया है और आपका न्याय आपके कुंडलिनी जागरण के माध्यम से होने जा रहा हैं। यह सबसे आश्चर्य की बात है कि, इस न्याय में, आपको एकमुश्त आपकी सजा नहीं दी गई है। आपको वह सब दिया जाता है जिसकी आवश्यकता होती है। सभी सहायता, सभी सुधार जिसकी आपको आवश्यकता हो, सभी परिवर्तन जो आपको आवश्यक हो और सभी जानकारी जो आपको चाहिए। और एक बार जब आप अपनी स्वतंत्रता में इस महानता को स्वीकार कर लेते हैं, तो आपको ईश्वर के राज्य के नागरिक के रूप में स्वीकार कर लिया जाता है और आप वहां शासन करने के लिए एक राजकुमार के रूप में प्रवेश करते हैं!

यह कठिन है क्योंकि लोग इतने सतही हैं, वे गहराई नहीं चाहते।

एक दूसरे दिन एक महिला ने मुझे बताया कि वह हठ योग कर रही है। मैंने कहा “यह बहुत गलत है, क्योंकि विभिन्न रोगों और विभिन्न समस्याओं के लिए विभिन्न हठ योग आसन हैं, लेकिन यदि आप सभी हठ योग आसन करते हैं तो आपके शरीर के लिए यह सारी ही दवा ले लेने जैसा है। यह गलत बात है और ऐसा कि आप को इसकी सुझबूझ होना चाहिए। आपको इसके वैज्ञानिक पक्ष के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, लेकिन आप ऐसा कर रहे हैं।” उसने कहा, “लेकिन आप चकित होंगे, लोग ध्यान के लिए नहीं आते हैं क्योंकि वे ऐसा नहीं करना चाहते हैं।” फिर मैंने कहा, “वे कब आयेंगे, अगले जन्म में?” कब वे खुद को पाना चाहेंगे, वे समय क्यों बचा रहे हैं? बस खुद को पाने के लिए। हमें स्वयँ को पाने की चाहत करना है, अन्य कोई रास्ता नहीं है। आप तब तक आनंद में नहीं होंगे जब तक कि आप स्वयं को नहीं खोज लेते। यदि आप समय लेते हैं, तो भी आप इस पर वापस आ जाएंगे। मैं यह जानती हूं और मैं विशेष रूप से यहां इस देश में हूं क्योंकि आप इसके लायक थे और आप इसे चाहते थे।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद। परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।