(श्री दीवाली पूजा, हॅम्पस्टेड (लंदन), 9 नवम्बर 1980)
आपको मालूम होना चाहिये कि आप एक ही परिवार के सदस्य हैं। किसी को भी युद्ध नहीं करना है, किसी को भी एक दूसरे से महान नहीं बनना है, किसी को भी दूसरे में सुधार लाने की आवश्यकता नहीं है, किसी को भी यह नहीं कहना है कि मैं कुछ अनोखा ही व्यक्ति हूं। आप सबको एक साथ मिलकर कार्य करना है और साथ में कार्य करते हुये प्रेम व मित्रता से समस्याओं का समाधान ढूंढ निकालना है। कोई भी जो स्वयं को
अन्य लोगों से अलग कर कुछ और ही बनने का प्रयास करता है वह बाहर (सहज से) चला जाता है और सहज के लिये वह व्यक्ति एकदम किसी काम का नहीं है …. इस तरह का व्यक्ति एकदम बेकार है… जो सहज परिवार से बाहर जाने का प्रयास करता है। आप सबको एक दूसरे का साथ देना है, एक दूसरे की सहायता करनी है, किसी पर चिल्लाना नहीं है और एक दूसरे पर क्रोध भी नहीं करना है…. एक दूसरे पर भरोसा रखना है, उनके दोष नहीं
देखने हैं और एक दूसरे को आदर, प्रेम व सम्मान से देखना है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण चीज है कि सहजयोगी ये नहीं समझते हैं कि आप सब संत है और आपको सबका सम्मान करना है। उदा0 के लिये आपको किसी पर भी संदेह नहीं करना है … बिल्कुल नहीं … सहज में इसकी बिल्कुल भी आज्ञा नहीं है और यह बात बिल्कुल निषिद्ध है। सावधान रहें…. मैं तो ये भी कहूंगी कि यदि कोई आपके गाल पर थप्पड़ मारे तो आप दूसरा गाल
आगे कर दीजिये। सहजयोग में आपको ऐसा ही करना है … किसी की आलोचना नहीं करनी है, किसी को नीचा नहीं दिखाना है। आप सब संत हैं…. आप यह बात क्यों नहीं समझते हैं ? आप परमात्मा के बंदे है … क्या आप ये बात जानते हैं? आप किस प्रकार से यह कह सकते हैं कि ये अच्छे हैं और ये बुरे? यदि आप ये करना प्रारंभ करते हैं तो कोई अन्य इसका फायदा उठा लेगा और आपको नीचे गिरा देगा और आप परेशानी में पड़ जायेंगे।
इस प्रकार के बेकार विचार अपने मन में न लांये कि आप दूसरों से अच्छे हैं और आप उनसे अच्छे हैं। जो कोई भी दूसरों से अच्छा कार्य करना प्रारंभ करता है वह अपनी सबसे बड़ी हानि करता है। सहज में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। प्रतिस्पर्धा के विचार को त्याग दीजिये। आप सब भाई बहन हैं …. आपको एक दूसरे का साथ देना है… सहायता करनी है। यदि किसी का पतन हो रहा है तो इसके लिये कार्य करें। यदि आप
किसी का पतन होते हुये देखें तो उसकी शू-बीटिंग करें। लेकिन जो भी यह सोचता है कि वह बहुत महान है या उसमें ये विशेषता है या वह विशेषता है (अस्पष्ट) या मान लीजिये कोई समझता है कि वह अत्यंत स्वच्छता पसंद व्यक्ति है तो उसे तो किसी पेड़ से लटक जाना चाहिये…कई बार मैं ऐसा ही सोचती हूं क्योंकि इस बिंदु पर कई प्रकार के लड़ाई झगड़े चल रहे हैं। लेकिन यदि कोई समझता है कि उसको मैले कुचैले
रहने का अधिकार मिला है तो उसे भी किसी नजदीक के पेड़ पर जाकर लटक जाना चाहिये और जानना चाहिये कि (अस्पष्ट)। आपको एक दूसरे का सम्मान करना है। यदि आपके बीच आपसी आदर सम्मान नहीं है तो आपके लिये ये भाई या बहन का संबंध बिल्कुल बेकार है। यह बहुत ही मधुर संबंध है जिसका दुर्भाग्यवश आपने अभी आनंद नहीं उठाया है लेकिन भारत में यह अभी बाकी है। यहां हमारे भाई हमारे लिये अपनी जान दे देंगे
और हमारी बहने भाइयों के लिये अपनी जान दे देंगी। हमारे भाइयों को हम पर इतना विश्वास है कि यदि हम उनको कह दें कि तुम ये कार्य न करो तो वो जानते हैं कि ऐसा हम उनकी भलाई के लिये और प्रेमवश ही कर रहे हैं न कि उनको उपदेश देने के लिये या उनको अपनी महानता दर्शाने के लिये। प्रेम को स्थापित किया जाना चाहिये और यदि ये नहीं स्थापित हो सका है तो फिर हम किस चीज का दिखावा करने का प्रयास कर
रहे हैं।