Public Program New Delhi (भारत)

“1981-02-17 सार्वजनिक कार्यक्रम, शंकर रोड 1981: ब्रह्म तत्त्वों का स्वरुप, दिल्ली” सार्वजनिक प्रवचन – ब्रह्म तत्व का स्वरूप नई दिल्ली, १७ फरवरी १९८१  आदर से और स्नेह के साथ आपने मेरा जो स्वागत किया है यह सब देख करके मेरा हृदय अत्यन्त प्रेम से भर आया। यह भक्ति और परमेश्वर को पाने की महान इच्छा कहाँ देखने को मिलती है ? आजकल के इस कलियुग में इस तरह के लोगों को देख करके हमारे जैसे एक माँ का हृदय कितना आनन्दित हो सकता है आप जान नहीं सकते| आजकल घोर कलियुग है, घोर कलियुग। इससे बड़ा कलियुग कभी भी नहीं आया और न आएगा। कलियुग की विशेषता है कि हर चीज़ के मामले में भ्रान्ति ही भ्रान्ति है इन्सान को। हर चीज़ भ्रान्तिमय है। इन्सान इतना बुरा नहीं है जितनी कि यह भ्रान्ति बुरी है।हर चीज़ में, अंग्रेजी में जिसे अजीब (chaos) कहते हैं, हर चीज़ में जिसे समझ में नहीं आता कि यह बात सही है कि वो बात सही है, कोई कहता है यह करो और कोई कहता है वो करो, कोई कहता है इस रास्ते जाओ भाई, तो कोई कहता है उस रास्ते जाओ। तो कौन से रास्ते जायें? हर मामले में भ्रान्ति है पर सबसे ज़्यादा धर्म के मामले में भ्रान्ति है। पर जो सनातन है, जो अनादि है, वो कभी भी नष्ट नहीं हो सकता, कभी भी नष्ट नहीं हो सकता, क्योंकि वो अनन्त है। वो नष्ट नहीं हो सकता। उसका स्वरूप कोई कुछ बना ले, कोई कुछ बना ले, कोई कुछ ढकोसला बना ले, Read More …