The Power of Brahma New Delhi (भारत)

“The Power of Brahma”, Public Program,  Delhi (India), 11 March 1981. [Hindi translation from English] उस दिन मैंने आपको बताया था कि चैतन्य लहरियाँ ब्रह्मशक्ति के अतिरिक्त कुछ भी नहीं–ब्रह्मा की शक्ति | ब्रह्मा की शक्ति वह शक्ति है जो सृजन करती है, इच्छा करती है, उत्क्रान्ति करती है तथा आपको जीवन्त-शक्ति प्रदान करती है। यही शक्ति हमें जीवन्त शक्ति प्रदान करती है | अब ये समझना सुगम नहीं है की मृत शक्ति क्या है और जीवन्त शक्ति क्या है।.जीवन्त शक्ति को समझना अत्यन्त सुगम है। कोई पशु या हम कह सकते हैं, एक छोटा सा कीड़ा जीवन्त शक्ति है। इच्छानुसार ये अपने को घुमा सकता है, किसी खतरे से अपनी रक्षा कर सकता है | ये जितना चाहे छोटे आकार का हो परन्तु जीवन्त होने के कारण ये अपनी रक्षा कर सकता है। परन्तु कोई भी मृत चीज़ अपने आप हिलडुल नहीं सकती। जहाँ तक ‘स्व’ (self) का प्रश्न है वह तत्व इस में नहीं होता। जीवन्त शक्ति होने के नाते अब हमें यह पता लगाने का प्रयत्न करना चाहिए कि, “क्या हम जीवन्त शक्ति बनने वाले हैं या जीवन- विहीन |” इस विश्व में रहते हुए हम अपनी सुख सुविधाओं के विषय में सोचने लगते हैं कि हमें कहाँ रहना है और क्या करना है। जब हम इन चीजों के विषय में सोचते हैं तो हम मत्त चीज़ों के विषय में सोच रहे होते हैं| परन्तु जीवन्त कार्य करने के लक्ष्य से जब हम कोई स्थान, कोई आश्रम प्राप्त करने के विषय में सोचते हैं तब हम उस Read More …