Mental Projection, Guru Puja Evening Talk

Nirmala Palace – Nightingale Lane Ashram, London (England)

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[Translation English to Hindi]

                 

मानसिक कल्पना

सहज योगियों से बातचीत  

निर्मला पैलेस आश्रम, नाईट एंगल लेन

1982-04-07

नोट [कृपया ध्यान दें श्री माताजी उस समय उपस्थित भारतीय नर्तकियों के लिए अनुवाद करती हैं और मैंने इसे कोष्ठक में (भारतीय भाषा में बोलती है) के रूप में चिह्नित किया है।]

श्री माताजी: क्या आप कल सुबह आ सकते हैं, उन्होंने कहा कि शायद यह कल के बाद से बेहतर होगा, ….कुछ न कुछ तर्क संगत, मैंने कहा। ????कृपया बैठ जाइये। अभी वीडियो रिकार्डिंग क्यों कर रहे है आप इसे क्यों रखना चाहते हैं? कुछ अनौपचारिक ढंग खोजें।

योगी: नहीं, हम वीडियो नहीं चाहते हैं

योगी: इन से लोगों को बहुत मदद मिलती हैं माँ।

श्री माताजी: क्या आप ऐसा सोचते हैं?

योगी: हाँ माँ ये अनौपचारिक वार्ताएं हैं जो वास्तव में दुनिया भर के लोगों की मदद करती हैं।

 योगी: लोगों के लिए

योगी: आप इसे रात में देख सकते हैं

श्री माताजी: आप इसे रात में देख सकते हैं

योगी: क्षमा करें?

श्री माताजी: हम्पस्टेड ??

योगी: हां हम इसे रात में देख सकते हैं

योगी: मेरा अनुरोध था कि इन अनौपचारिक बातचीत को फिल्माना संभव होगा क्योंकि ये हैं…।

श्री माताजी: कौन सी?

योगी: अनौपचारिक माँ

श्री माताजी: कब

योगी: अभी

एस एम: यह बहुत ही अनौपचारिक है, मुझे लगता है कि ठीक नहीं है?

श्री माताजी: अब, मुझे आशा है कि आप सब समझ गए होंगे कि मैंने आज सुबह क्या कहा था। मुझे लगता है कि फिर से देखा जाना चाहिए, 

योगी: हाँ

श्री माताजी: आपकी याचिका बहुत ही खूबसूरती से आपस में जुड़ी हुई है, लेकिन बहुत आवश्यक और महत्वपूर्ण बात है। अब मैंने जो कुछ भी कहा है वह मानसिक प्रक्षेपण है, मुख्य बात यह है कि आपको समझना होगा। ग्रेगोइरे कहाँ है? अनुवाद करें, बस अनुवाद करें। मानसिक कल्पना , मानसिक प्रक्षेपण के बारे में, जो मुख्य बात मुझे लगता है कि आप सभी इस से पीड़ित हैं। जैसे, आप देखते हैं कि हमारे पास हमेशा पूछताछ, आध्यात्मिक जीवन के बारे में पूछताछ होती है कि, यह क्या है, वह क्या है? माँ हमें इस बारे में बताएं, माँ हमें उस बारे में बताएं।

डोरबेल बजती है और कोई इसका उत्तर देता है 

योगी: नर्तकिया माँ

श्री माताजी: वे अब आ गए हैं, इसलिए उन्हें बताएं कि हमारे पास ……।कोई भी है? ठीक है? तो आओ, उन्हें बताओ कि हमने बैठक शुरू कर दी है। मेरा मतलब है कि उन्हें पहले आना चाहिए था। किसी को जाकर उन्हें संभालना चाहिए, कि माँ ने शुरू कर दिया है। अगर वे अंदर आ सकते हैं तो उन्हें कहीं अंदर आने दें। यदि वे अंदर आ गए हैं तो वे बैठ सकते हैं।

ग्रेगोइरे: रे आप उन्हें स्वागत कर सकते हैं।

श्री माताजी: उन्हें देर से आने दें और इसलिए हमने पहले ही शुरू नहीं किया है, लेकिन वे अंदर आ सकते हैं ?? उन्हें अंदर आने दो। कोई बात नहीं आओ बैठो |

योगी: उनके लिए कुछ सीटें हैं, माँ

श्री माताजी: हां यह ठीक है, कहते हैं, हां? (भारतीय भाषा में नए लोगों से फिर से बात करती है)

श्री माताजी: आपको सड़क नहीं मिली? कृपया आओ आओ बैठो, बैठो, (भारतीय भाषा) क्या आप बैठ सकते हैं? (भारतीय भाषा में फिर से बात करती है)। कृपया आप सभी आराम से बैठें। बस।

योगी: उनसे कुछ पानी लाने को कहें

श्री माताजी: और यदि संभव हो तो हम सभी के लिए चाय। (भारतीय भाषा में फिर से बात करती है)।

योगी: क्या हम सभी को जितना संभव हो सके सिकुड़ जाएँ ताकि हर कोई यहां आ सके। (भारतीय भाषा बोली जाती है)

श्री माताजी: बच्चों को बाहर निकाला जा सकता है

योगी: माँ ने कहा है कि कृपया बच्चों को बाहर निकाला जाए।

श्री माताजी: थोड़ी देर के लिए, थोड़ी देर के लिए, खराब चीजें, केवल रोने वाले।

योगी: रोने वाले,

श्री माताजी: माँ हँसती हैं, वरना तो सभी बच्चे हैं, यहाँ कोई नहीं बचेगा! श्री माताजी: वारेन सहित!

 योगी: हाँ

योगी: (अश्रव्य)

श्री माताजी: हा! (भारतीय भाषा में)। अब मैं मानसिक कल्पना के बारे में जो कह रही थी, वह यह है कि हम हर समय अपने मानसिक स्तर पर रहते हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगी, मान लीजिए कि आपको पिकनिक पर जाना है, और मानसिक रूप से आप खुद को तैयार करते हैं, आप योजना बनाते हैं, उस योजना के साथ आपको लगता है कि आपने काम कर लिया है और जब आप पिकनिक पर जाते हैं तो आप पाते हैं कि आपने कुछ भी सामान नहीं लिया है क्योंकि तुमने सब कुछ लिखा है। आपने जो कुछ भी योजना बनाई है वह सब व्यर्थ हो गई है, यह एक मानसिक तरीके से किया गया है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हुआ है।

श्री माताजी: इसी तरह हमारे आध्यात्मिक प्रश्न भी एक मानसिक कल्पना है। जैसे कुछ लोग पूछ सकते हैं कि भगवान ने हमें क्यों बनाया है, उन्होंने इस ब्रह्मांड को क्यों बनाया है, दुख क्यों है। हम यह नहीं समझ नहीं पाते की यह प्रश्न उस क्षेत्र से आते है जहाँ अज्ञान है, प्रश्न अज्ञानता से आते है, न कि ज्ञान से, और इसीलिए इन प्रश्नों का अगर उत्तर दिया भी जाए तो यह ऐसा है जैसे अंधकार अंधेरे को उत्तर दे रहा है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, यह कभी भी समस्या का समाधान नहीं कर सकता है। उदाहरण के लिए एक अंधे आदमी को यह बताने का क्या फायदा है कि यह कपड़ा किस रंग का है?  बेहतर चीज यह है कि उसकी दृष्टी खोल दी जाए और फिर वह स्वयं देखे । अन्यथा कुछ सहज योगियों की तरह वह फिर से अपनी आँखें बंद कर सकता है और फिर से सवाल कर सकता है कि यह कपड़ा किस रंग का है?

यह आदत की बात है। मैंने भारत में एक नेत्रहीन व्यक्ति को ठीक किया और बाद में, बहुत सी बातें वह अपनी आँखें बंद करने के बाद ही बता पाता था, अधिकतर इस कारण से कि वह अपनी उंगलियों से महसूस कर सकता था ऐसी उसकी आदत विकसित हो गई, कि वह अपनी आँखों का उपयोग नहीं करेगा।

और सहज योगियों के साथ भी यही होता है कि आत्मसाक्षात्कार के बाद भी, जब आपकी आँखें खुल चुकी हैं और आपने प्रकाश को देखा है, फिर भी आप अपनी मानसिक कल्पना का उपयोग करते हैं और अपनी मानसिक गतिविधि के माध्यम से सब कुछ समझने की कोशिश करते हैं। तो व्यक्ति को पता होना चाहिए कि जो भी प्रश्न होता है वह उस व्यक्ति से आता है जो नहीं जानता है। एक बार आपने जान लिया तो पूछने के लिए क्या है?  कबीर ने कहा है,जब मस्त हुए फिर क्या बोलें,जब आप परमात्मा के साथ एकाकार हो गए हैं तो क्या बात करनी है या क्या पूछना है? लेकिन मानसिक कल्पना एक ऐसी खतरनाक चीज है जो आपको हमेशा वास्तविकता से दूर रखती है। यह एक दुष्चक्र है, और आप इसे नहीं तोड़ सकते। तो सबसे अच्छी बात यह है कि सबसे पहले आपको आत्मसाक्षात्कार होता है। आप एक जागरूक व्यक्ति, प्रबुद्ध व्यक्ति बन जाते हैं और फिर आप स्वयं देखते हैं और इसका अनुभव करते हैं। अब माना कि यदि आप एक प्रश्न पूछना चाहते हैं, तो माना कि, आप मेरे बारे में जानना चाहते हैं, तो आप बस सोचो, चलो हम माँ कुंडलिनी के बारे में सोचें, देखें कि क्या होता है आप निर्विचार हो जाएंगे, बस इसे देखें। निर्विचार। यह शानदार है। हँसी। लेकिन यह केवल इसलिए है क्योंकि आप आत्मसाक्षात्कारी हैं|  यदि आप एक आत्मसाक्षात्कारी नहीं हैं, तब आप इसके बारे में फिर भी प्रश्न करेंगे। यदि आप इस सूक्ष्म तथ्य को समझते हैं तो आप अपने मानसिक प्रश्न से संतुष्ट नहीं होंगे। इन दिनों कुलीन समाज में एक बड़ा फैशन परमात्मा के बारे में बात करने का है। यदि परमात्मा नहीं तो वे कुछ दिव्य और कुछ आध्यात्मिकता के बारे में बात करेंगे विशेष रूप से जब वे नशे में होते हैं जब वे भ्रमित होते हैं, और वे नहीं जानते कि वे किन भावनाओं में बात कर रहे हैं। मुझे लगता है कि सभी अंधे, अंधो से बात कर रहे हैं, और अंधा आपको कहीं भी कैसे ले जा सकता है? इसीलिए कहा जाता है कि ‘बुद्धि’ के उपयोग से आप परमात्मा को प्राप्त नहीं कर सकते। यह एक सीमित चीज है। लेकिन पुनः, इसे आपका जुनून नहीं बनना चाहिए जो एक मानसिक दीवानगी है। जैसे हम कह सकते हैं कि ‘मैं ध्यान कर रहा हूं’। ध्यान करने को ‘है क्या’?, आप ध्यान नहीं कर सकते, आप ध्यान में हैं जैसे फ्रेंच कह सकता है कि मैं ध्यान बनाता हूं, (हंसी) आप ऐसा नहीं कर सकते, आप ध्यान में हैं। जब आप निर्विचार चेतना में होते हैं, जब आप उस अवस्था में होते हैं तब आप ध्यान में होते हैं।अब इस मानसिक कल्पना के धंधे को बहुत सावधानी से संभालना चाहिए क्योंकि यह हमारे भीतर के एक बहुत बड़े दानव से आता है जिसे श्रीमान अहंकार कहा जाता है। इसलिए इससे भयभीत नहीं होना चाहिए और इसे स्पष्ट रूप से देखना महत्वपूर्ण है। क्योंकि अगर आपको प्रति अहंकार है तो फिर ऐसी बात नहीं है की आप दूसरों को परेशान करेंगे, आप स्वयं  परेशान होंगे आपको दुःख होंगे आपको इस बारे में सभी प्रकार की शारीरिक परेशानी महसूस होंगी। लेकिन अगर यह अहंकार है तो अन्य लोग इससे परेशान होंगे।

(बस इसे आगे बढ़ा दें ।)

तो इस प्रकार की सारी व्यर्थ मानसिक गतिविधि को रोकने के लिए, यह समझना होगा कि कुंडलिनी को आपके ब्रह्मरन्ध्र से बाहर की और गतिशील रखा जाना चाहिए। मानसिक कल्पना से आप कुंडलिनी को उत्थान नहीं कर सकते। यह आप जानते हैं, आप उसे वहां स्थित नहीं रख सकते। तो आपको पता है कि आप को कौन सी दिव्य तकनीक का उपयोग करना चाहिए और अपनी कुंडलिनी को ऐसे स्तर पर रखना चाहिए जहां वह आपके सहस्रार से बाहर प्रकट हो रही हो और आपके हाथों को चैतन्य महसूस हो। अब चूँकि मानसिक कल्पना एक बहुत ही कठिन गतिविधि है, इसलिए यह बहुत मंत्र मुग्ध करने वाला लगता है और इस को कर के ज्यादातर व्यक्ति स्वयं को बहुत बहादुर महसूस करते हैं। जब आप अन्य लोगों के साथ बहस करते हैं और वे आपके साथ बहस करते हैं और फिर आप जीत जाते है और उस स्थिति को लाते हैं, तो आपको लगता है कि आपने डेविस कप जीता है।

अब, लेकिन लाभ क्या है? न तो आपको कुछ प्राप्त हुआ है और न ही अन्य व्यक्ति को, जो भी हो आपने कुछ भी प्राप्त नहीं किया है। तो सम्बन्ध ऐसा होना चाहिए कि यह सभी झमेलों को समाप्त कर दे। प्रश्न ऐसा होना चाहिए कि यह सभी प्रश्नों को समाप्त कर दे और यही वह परमात्मा की दिव्य तकनीक है जिसके बारे में आप जानते हैं। इस प्रकृति की सभी जिज्ञासाएँ यदि आप उस परमात्मा से पूछें जो आप निर्विचार हो जाते हैं। जब हम इस तरह के प्रश्न करते हैं तो हम निर्विचार क्यों हो जाते हैं? क्योंकि अवस्था महत्वपूर्ण है, अवस्था महत्वपूर्ण है न कि आपके प्रश्न पूछने की मानसिक समझ। सबसे महत्वपूर्ण वह अवस्था है जिसे आप प्राप्त करते हैं,  फिर से मुद्दा देखें, ‘अवस्था ‘। उदाहरण के लिए बच्चे उस ‘अवस्था ‘ में रहते हैं, वे इस बात की परवाह नहीं करते कि, कुछ पूछताछ करना हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह बेवकूफी है। उनके तौर-तरीके इतने सरल हैं क्योंकि वे सभी फ़ालतू कठिन चीजों में विश्वास नहीं करते हैं। लेकिन शिक्षित, बुद्धिजीवी और जिस तरह के लोग जो यहां हैं, उनके लिए,  उनकी ‘ आदतें ‘ यहाँ हैं। ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, फिर जॉन हॉपकिंस,

ग्रीगोइरे: फ्रेंच में बोलते हैं और फ्रेंच लोग हंसते हैं |

श्री माताजी: मुझे पता है कि उन्होंने क्या कहा |

ग्रीगोइरे अनुवाद: ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज फिर जॉन हॉपकिंस और कुछ अन्य… ..

श्री माताजी: आपने वहां कभी ईश्वर को नहीं पाया, क्या आपने वहाँ भगवान को पाया, क्या आपने अपनी आत्मा को वहां पाया? तो यह एक नया स्कूल है जिसमें आप प्रवेश कर चुके हैं और आपको अपने तौर-तरीकों को बदलना होगा। भारत में, एक सहज योगी का एक सेमिनार था और उनका एक ब्रेन ट्रस्ट था| एक ब्रेन ट्रस्ट और आप उसके एक सदस्य थे, और श्री वारेन और डॉ बर्जोर्जी भी, और मुझे लगता है कि बाला और आप दोनों। मेरे पास इसके खिलाफ कहने के लिए कुछ भी नहीं है, क्योंकि मैं कहूँगी की यह वैसे भी बच्चों का बचकाना खेल है, लेकिन आपका ब्रेन ट्रस्ट नहीं हो सकता। 

योगी: ब्रेन ट्रस्ट?

G: माँ आपका मतलब है यह सेमिनार?

श्री माताजी: नहीं नहीं नहीं, बंबई में हो चुके सेमिनारों में से एक 

G: भारत में?

योगी: बोर्डी?

श्री माताजी: सहज योग की सभी महान विभूतियाँ

G: मैं वहाँ नहीं था

श्री माताजी: हा 

G:??

श्री माताजी: बॉम्बे के सभी दिग्गजों के पास ब्रेन ट्रस्ट का एक विचार था, और वे चकरघिन्नी हो गए। लेकिन जो कुछ भी था, मैं उनके खेल का आनंद ले रही थी, उनकी कलाबाजियों का आनंद ले रही थी। अब आपको मस्तिष्क पर भरोसा नहीं करना है, आपको अपनी आत्मा पर भरोसा करना है, और यह नया आयाम है जिसमें आप आए हैं जिसे एक अलग रोशनी में समझना होगा जिसे आपने पहले नहीं देखा है। एक बार जब आपको इसका एहसास हो जाता है तो आपको पता चल जाएगा कि इतने बड़े पैगम्बर कभी विश्वविद्यालय क्यों नहीं गए। बेशक इसके विपरीत भी सच नहीं है कि जो सभी विश्वविद्यालय नहीं जाते हैं वे सभी आत्मसाक्षात्कारी हैं। न तो यह और न ही वह, दोनों तुम्हें परमात्मा तक नहीं ले जा रहे हैं। आपको परमात्मा के नजदीक जो ले जा सकता है वह है आप की उन के साथ एकाकारिता की इच्छा है। कुंडलिनी ही इच्छा है, वह परमात्मा की इच्छा है, वह आपको परमात्मा के पास ले जाने वाली है। जैसा कि मैंने आपको पहले बताया था कि हमने इसे आत्मसाक्षात्कार पाने के पहले ही नष्ट कर दिया है, और प्राप्ति के बाद भी इसे बनाए नहीं रखने से हम नष्ट हो सकते हैं।

पृष्ठभूमि में कुछ बात कर रहे हैं। (क्या वह कल आ सकता है उसने कहा) तो अब अगर आपके पास कोई प्रश्न है तो कृपया मुझसे सवाल पूछें ठीक है?

 श्री माताजी: ठीक है आप मुझसे पूछ सकते हैं। (भारतीय भाषा में)

श्री माताजी: वह अपने संगठन में एक बड़े कार्यक्रम की व्यवस्था करना चाहता है। (भारतीय बोलते हैं) हां कृपया।

योगी: ?? बस। फ्रेंच में प्रश्न।

G: मुझे क्षमा करें माँ, सवाल यह है कि उन्हें बहुत समझ नहीं है … उन्होंने कहा कि अगर एक विशिष्ट सौंदर्य स्थान पर आज्ञा चक्र को केन्द्रित करते हैं, तो क्या यह चैतन्य को सुधारता है|

योगी: नहीं।

G: मैंने पूछा कि क्या आप माता के पैरों पर एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करते हैं। (बहुत सी अस्पष्ट बातें)

योगी: आप कहाँ करते हैं?

श्री माताजी: उसने क्या कहा?

G: जो अधिक कठिन है माँ

श्री माताजी: ठीक है, चलो। हां, वह क्या कह रहा है?

G: वह पूछता है कि क्या एक जगह पर ध्यान केंद्रित करने से चैतन्य में सुधार हो सकता है, वायब्रेशन में सुधार हो सकता है?

श्री माताजी: आज्ञा से?

G: आज्ञा बिंदु से।|

श्री माताजी: कभी नहीं, देखिये,आप भूतग्रस्त हो सकते है| मैं आपको बताती हूं कि लोग इन तांत्रिकों तक कैसे पहुँचते हैं? वे इन भूतों से कैसे ग्रसित होते हैं, क्या आप जानते हैं कि वे लोग कैसे उनकी रहनुमाई करने लगते हैं?

वे किसी तरह की चीज़ जैसे एक लौ वगैरह पर अपनी आज्ञा के माध्यम से देखते हुए लेकिन बिना आत्मसाक्षात्कार के ध्यान केंद्रित करते हैं| अब उस पर दबाव डालने से क्या होता है चूँकि अधिकतर आज्ञा का चक्र खुला नहीं है, यह बाईं ओर या दाईं ओर धकेला जाता है, और आप सामूहिक अवचेतन या सामूहिक अचेतन में चले जाते हैं। अब, अब आपको इनमें से जो चैतन्य मिलता है, वह कंपकपी के अलावा और कुछ नहीं होता है, लेकिन ऐसा होता है जैसे किसी ने मुझे एक बार बताया कि सहज योगियों में से एक उसे बॉम्बे में मिला था और अचानक उसकी उपस्थिति में वह चुप हो गया। आह तो मैंने कहा की ये बात है | मुझे पता लगाना चाहिए। लेकिन वह एक आज्ञा चक्र पर भूतग्रस्त था और वह यहां लोगों को साईं नाथ दिखाता था और हर तरह की चीजें करता था। मैं कभी नहीं जानती थी। क्योंकि यह एक ऐसी अधीनता है जो अचानक आती है की ,आप चेतना से बाहर हो जाते है और आप बिल्कुल खामोश हो जाते हैं। ज्यादातर गुरुओं के साथ ऐसा होता है, आप देखिये, की वे क्या करते है की चक्र को उस तरह घुमा देते हैं, और इस कारण आप अचानक खामोश हो जाते हैं ,क्योंकि आप वहां नहीं हैं, यह भुत है। लेकिन इन लोगों का अंजाम मिर्गी का दौरा हैं, जो आपने देखा है, या पागल खाने में समाप्त होता है। ऐसे सभी लोग जो इन चीजों को आजमाते हैं, वे अंततः सहज योग में अधिक नहीं बढ़ पाते हैं। अब व्यक्ति को यह भी समझना होगा कि शांति प्राप्त करने के लिए वास्तविकता से दूर नहीं भागना है। वास्तविकता स्वयं शांति है, लेकिन यदि आप किनारे -किनारे पर ही हैं तो, आप शांति महसूस नहीं कर सकते हैं, लेकिन यदि आप धुरी पर हैं तो धुरी ही शांति है। लेकिन माना की,किसी भी संयोग से आप परिधि पर एक शांति पाते है, आप किनारे-किनारे पर खड़े हैं और अचानक आप शांत हो जाते हैं, तो इसका अर्थ है की आप अब परिधि से भी बाहर फेंक दिए गए हो | अतः आज्ञा चक्र को लेकर बहुत सतर्क रहना चाहिए। इन चीजों के बारे में प्रश्न इसलिए शुरू होते है क्योंकि, आज्ञा चक्र आपको एक नया अनुभव देता है, लोग प्रकाश, सेंट पॉल को देखने लगते हैं और उसने बाइबिल के साथ कितना ख़राब किया है। आप सभी प्रकार की चीजें देखते हैं, लेकिन देखने योग्य है क्या ? यदि आप “इससे” अलग हैं तभी तो आप “इसे” देखते हैं कि, आप “इस” के अंदर नहीं हैं। इसलिए इन सभी अनुभवों को त्याग देना चाहिए। एकमात्र अनुभव जो उच्चतम है वह, वह अनुभव है जहाँ आप महसूस करते हैं कि ऊर्जा शीतल लहरों की तरह, जैसे चैतन्य लहरी आप में से, आपके हाथों में जा रही है या आप पर चारों ओर से आ रही है, सहस्रार से और आपके हाथों से, कभी-कभी आप इसे अपने पैरों से प्राप्त करते हैं। और अपनी आँखों को किसी चीज़ पर केंद्रित करने की इन तरकीबों को न आज़माएँ ,निश्चित करें| आप यहाँ और कुछ नहीं तो कम से कम एक आत्मा तो बन सकते है| आपको अपनी कुंडलिनी को सहस्रार तक चढ़ाना होगा, यही एकमात्र तरीका है जिससे आप को विकसित होना चाहिए| यह सिर्फ एक खिड़की है खिड़की से बाहर निकलने की कोशिश न करें, अन्यथा आप खुद को चोट पहुंचाएंगे। तुम भी यहाँ मौजूद दरवाजे से बाहर निकल जाओगे! ठीक है?

योगी: माँ, कई लोगों ने मुझसे पूछा है कि आप कैसे चित्त को आज्ञा चक्र के ऊपर रखते हैं। आप इसे वहां कैसे रखते हैं?

श्री माताजी: आज्ञा चक्र से ऊपर चित्त। देखिये एक संस्कृत कहावत है, जो, नेति नेति है, जब आप किसी विचार को देखते हैं तो आप बस यह कहें कि यह नहीं, यह नहीं, चूँकि आप सिद्ध आत्मा है, आत्मसाक्षात्कार के पहले यह काम नहीं करेगा, लेकिन अब आपकी कुंडलिनी ऊपर चली गई है, केवल अपने विचारों को देखो और वे बस शांत हो जाएंगे।

फिर सवाल हैं? आपको मौलिक प्रश्न पूछना चाहिए। क्या ईश्वर है? प्रश्न पूछें। ऐसे प्रश्न जो परम हैं, जो मौलिक, निरपेक्ष हैं। यदि आप बोध के बाद पूछते हैं, सिर्फ बोध के बाद ही आपका चित्त ऊपर उठता है। आपका चित्त है कहाँ? आप देखिये कि, लोग चैतन्य देखते हैं कि माँ मुझे अपनी बेटी के लिए यह फ्रॉक खरीदनी चाहिए या नहीं – चैतन्य देखते हैं !

माँ मुझे यह नौकरी कब मिलेगी, या नहीं। क्या यह काम मेरे लिए अच्छा है, सभी प्रकार की निरर्थक बातें। आप समझें यह सब महत्वपूर्ण नहीं है। कुछ महान अथवा परम के बारे में पूछें। एक शाश्वत प्रश्न हो। ये बेकार के सवाल क्यों पूछें। आपने कितनी बार शादी की है, पिछले जन्मों में आपने कितनी बार बच्चे पाये हैं। कितनी बार आपने नौकरी पाई और बेरोजगार हुए है, और नौकरी और अपने सारे जन्मों में आपने इस बकवास के अलावा कुछ नहीं किया है। क्या आप आत्मसाक्षात्कार होने के बाद भी इसे दोहराने जा रहे हैं? क्योंकि हमारा चित्त वहाँ है और आप देखते हैं कि हमारा ध्यान कमजोर क्यों है? दुनिया के सभी महानतम प्रश्न पूछें। आपका चित्त सहस्रार से उपर होगा। चित्त आपका दास है जहाँ भी आप इसे रखना चाहते हैं वह वहाँ जाएगा। यदि आप एक गंदी गली में जाना चाहते हैं तो आप जा सकते हैं यदि आप एक उत्तम मंदिर में जाना चाहते हैं तो आप जा सकते हैं। आपको अपने चित्त की सवारी करनी होगी। क्या अब भी सवाल बने हुए है?

G: हाँ मैं अनुवाद करूँगा

योगी: ??

G: उसने पूछा कि क्या वह अब किसी का इलाज कर सकती है और यदि हाँ तो कैसे? 

श्री माताजी: दिखाओ क्या?

G: इलाज माँ

श्री माताजी: हां, हां वह कर सकती है, क्यों नहीं? लेकिन आप ठीक से देखें कि, उन्हें क्या बीमारी है, उदाहरण के लिए कहें कि,आपको चैतन्य महसूस करना चाहिए, और जो भी चक्र प्रभावित हों आपको मंत्रों को कहना चाहिए, और कुंडलिनी को ऊपर उठाना चाहिए। कुंडलिनी पर भी आप देख सकते हैं, आप देखते हैं कि यह उस बिंदु पर धड़कती होगी। अपना हाथ रख कर, इतनी अंग्रेजी वह समझती है, मेलिका क्या ऐसा नहीं है? हां, जब आप इलाज के लिए अपने हाथ मरीज के उस अंग पर रखते हैं, तो अपना बाएं हाथ को रखें , और दाहिने हाथ को तस्वीर की ओर रखें। आप इलाज कर सकते हैं, बहुत सारे तौर- तरीके हैं, आप इलाज कर सकते हैं, बस स्पर्श करें, आप निसंदेह इलाज कर सकते हैं।

योगी: मां क्या हमें मंत्रों का उपयोग नहीं करना चाहिए,क्या हमें आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति से पहले करना चाहिए?

श्री माताजी: इसका कोई अर्थ इसलिए नहीं है क्योंकि आप जुड़े हुए नहीं हैं, मंत्रों को जागृत करना होता है। इसका कोई अर्थ नहीं है, यह जागृत नहीं है,यानि कि कोई प्रकाश नहीं है तो क्या उपयोग है, माना की, आप देखें रहे हैं कि इसमें कोई प्रकाश नहीं है, और मैं इसे अंधेरे में लेती हूं, क्या मैं देख सकुंगी? इस पर आप हँसते हैं, लेकिन हम हमेशा हर समय ऐसा ही करते हैं, हम जो कर रहे हैं, हम कुछ ऐसा कर रहे हैं जो अस्तित्व में ही नहीं है। क्या आप अनुवाद कर सकते हैं?

G: माफ करना माँ मैं था …।

श्री माताजी: जो प्रश्न उसने पूछा था, की क्या हमें सिद्धि के पहले हमें मंत्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए इसलिए मैंने कहा कि बिना प्रकाश के मुझे लगता है कि मैं इसे चारों ओर ले जाऊंगी क्या मुझे कुछ दिखाई देगा? यह रोशन होना चाहिए, यह जाग्रत होना चाहिए। और आप यह भी  कैसे जान पाएंगे कि किस मंत्र का उपयोग करना है? क्योंकि आप नहीं जानते कि यह किस केंद्र को पकड़ रहा है।अब कोई और सवाल?

 योगी: अस्पष्ट प्रश्न पूछते हैं| 

श्री माताजी: उसने क्या कहा?

योगी: क्या मैं एक चक्र के बारे में एक प्रश्न पूछ सकती हूं जो मेरे पास एक या दो अलग-अलग रिपोर्टें हैं। मुझे यकीन नहीं है कि मुझे सही नाम भी मिला है। महागणपति यह यहाँ कहीं बैठते है? इसके क्या पहलू हैं और शरीर के किस हिस्से को प्रभावित करता है।

जी: वह महा गणेश के बारे में पूछ रही है कि यह कहां मौजूद है और शरीर के किस अंग पर इसका असर पड़ता है।

श्री माताजी: महा गणपति सहस्रार में विद्यमान हैं यह इस बिंदु पर है कि यह आज्ञा  के विपरीत है और यह निचे स्थित आपके गणपति मूलाधार को नियंत्रित करता है। मुझे कहना चाहिए सभी मानसिक नियंत्रण, आप देखते हैं कि जो कुछ भी चक्रों में है वह सहस्रार में दर्शाया गया है। सहस्रार में इसे’ ‘महा’ कहा जाता है, जबकि चक्रों में इसे साधारण नाम से पुकारा जाता है। ठीक है? चूँकि सहस्रार सार्वभौमिक है, यह सार्वभौमिक अस्तित्व का ही एक अंग, और सहस्त्रार में बोध  है। इसलिए यह ‘महा’ है। उदाहरण के लिए यह विशुद्धि चक्र है, यहाँ यह विराट हो जाता है। यहाँ वह श्री कृष्ण के रूप में मौजूद है, यहाँ विराट के रूप में, ठीक है?

योगी: माँ जब आप लोगों पर काम कर रही होती हैं और आप उनकी हथेली पर गणेश का चिन्ह बनाती हैं, तो वह यह है कि आप बस करती हैं, और अगर यह ऐसा कुछ है जो हम लोगों पर काम करते समय कर सकते हैं, तो हमें कब करना चाहिए?

श्री माताजी: आप कर सकते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप ऐसा क्यों करते हैं?

योगी: वही तो मैं माँ आप से पूछ रही हूँ।

श्री माताजी: यहाँ सहस्त्रार के बाईं ओर यह है कि वहाँ क्या है, मुझे बताओ?

 विभिन्न लोग अहंकार और अन्य बातें कहते हैं

श्री माताजी: अहंकार है, और दाईं ओर है?

विभिन्न लोग प्रति अहंकार कहते हैं

श्री माताजी: तो प्रभाव हीन करने के लिए कि आप समझें?

अब, बाईं ओर को स्वस्तिक का निशान दिया गया है क्योंकि यह बाईं ओर है। ठीक है? और जहां यह क्रॉस है, क्योंकि यह राइट साइड है, क्योंकि लेफ्ट साइड बन जाता है, मेरा मतलब है कि लेफ्ट स्वस्तिक क्रॉस का कार्य करता है, लेकिन यहां यह अहंकार है। तो जो मंत्र बाएं हाथ की तरफ कहा जाता है वह यह है कि ‘कृपया मुझे माफ कर दो’ का मतलब है कि अपने अहंकार पर विजय पाने के लिए आपको कहना पड़ता है की ‘कृपया मुझे माफ कर दो’ और जब आप इसे दाहिने हाथ की तरफ करते हैं तो आप कहते हैं कि ‘मैं क्षमा करता हूँ ‘ एक दोहरा संयोजन है क्योंकि आज्ञा चक्र के पास है, ‘हम’,’क्षम’ ये दो बीज मंत्र हैं। वह ‘मैं हूं’,और ‘मैं क्षमा करता हूं’। तो वे दोनों हैं, एक दोहरा संयोजन आप चित्रित करते हैं, मानसिकता का लेफ्ट साइड स्वस्तिक है, ठीक है? और उस कामना में, क्योंकि अहं वहाँ सहस्त्रार पर हैं, आप कहते हैं , और दाहिने हाथ पर आप क्रॉस चित्रित करते  हैं, क्योंकि वह दाहिने हाथ में क्रॉस बन जाता है, जो दाहिने तरफ, पूर्ण दाईं ओर का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन सहस्रार बिंदु के कारण आप कहते हैं कि “मैं क्षमा करता हूँ”। गतिविधि में भी यह देखें कि गणेश वही है जो वध करते हैं, वह सिर्फ वध करते है, इसलिए आप को कहना होता है कि “मुझे माफ़ करना”, लेकिन ईसा मसीह को आपको यह कहना होगा कि,” मैं “सभी को क्षमा करता हूँ”, क्योंकि वह क्षमा करता है, इसलिए मुझे एक तरह से इसे एक तिहरा संयोजन कहना चाहिए। क्या आप समझे? पहले सहस्त्रार पर बायाँ हाथ है, इसलिए बायाँ हाथ स्थापित करना है, तब फिर बाएँ हाथ पर देवता को होना है, जो बाएँ हाथ का देवता होगा वह गणेश है, क्योंकि वह हन्ता है, मुझे क्षमा करें गणेश वह हन्ता है और क्योंकि वह प्रभावशाली हैं,आप को कहना होगा “मुझे क्षमा करें “,यह एक तिहरा संयोजन है। और दाईं ओर सिर्फ यह देखें कि इसे कैसे जोड़ा गया है, दाहिने हाथ की तरफ ईसा मसीह है जो कहते है कि ‘मैं क्षमा करता हूं’ और वह वह है जो अहंकार को नष्ट करने वाला है। इसलिए, गणेश द्वारा वध महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बिंदु पर यदि आप पर गणेश का प्रभाव नहीं है, तो आप यह नहीं कहेंगे कि ”मुझे माफ कर दो”। जब तक की कोई आपको मारने वाला नहीं है, तब तक आप यह नहीं कहने वाले हैं कि ”मुझे माफ कर दो” , क्या आप कर सकते हैं? इसलिए क्रॉस द्वारा संतुलन किया गया है। सुंदर, कई लोग पूछते हैं कि इसे क्रास क्यों किया जाता है, इसे इस कारण से क्रास किया जाता है। आपके अहंकार को कभी यह कहकर नहीं जीता जा सकता है कि ‘मैं सभी को क्षमा कर देता हूं’ लेकिन अहंकारी व्यक्ति द्वारा ऐसा कहा जाना बेहतर है। अब अगर आप किसी अहंकारी व्यक्ति को कहते हैं कि आप कहो कि, मैं उन सभी को क्षमा कर देता हूं तो निसंदेह उसका अहंकार सिरचढ़ जाएगा, लेकिन ईसा मसीह ने एक तरकीब  निकाली है। यही विद्या है, यही श्री विद्या है, यही युक्ति है। अब जब एक प्रति अहंकार वाले साथी को अगर आप कहते हैं कि आप माफी मांगे तो ऐसा तो पहले से ही उसका स्वभाव है जो हर समय माफी मांगता रहता है इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यदि आप ऐसे व्यक्ति को बताते हैं, यदि आप ऐसे व्यक्ति को कहते हैं कि, आप दूसरों को क्षमा कर दें, तो वह कहेगा ‘ओह,कोई प्रश्न ही नहीं है, मैं तो हमेशा क्षमा करता हूं, मैं तो वह हूं जिसने सभी बुरे काम किए हैं।’आप जानिए की, प्रति अहंकारी व्यक्ति सारे आरोप खुद पर ले लेता है। तो ऐसे आदमी के लिए आपको कहना होगा कि आप क्षमा याचना करें वह बहुत खुश होगा। लेकिन यह कहकर कि आप श्री गणेश को जागृत कर ले । तो पहली दो चीजें वास्तव में जागृति के लिए होती हैं और तीसरी चीज मुर्ख बनाने के लिए होती है। यह लीला है। अन्यथा देखें कि क्या आप सीधे उंगली से घी प्राप्त नहीं कर सकते हैं और बेहतर है की इसे मोड़कर बाहर निकाल सकते हैं। आपको  सुनिश्चित करना है कि किसी तरह कुंडलिनी ऊपर आ जाए, ठीक है? मुझे खुशी है कि आपने प्रश्न पूछा है क्योंकि मैंने इसे कभी आप पर प्रकट नहीं किया।

श्री माताजी: अब क्या है?

योगी: मैं एक दिन किसी पर काम कर रहा था और उनके हाथ बिल्कुल ठंडे हो गए थे, इसका क्या मतलब है और हम इसके बारे में क्या करते हैं?

श्री माताजी: वह कहाँ था?

योगी: चेल्टेनहैम मदर, मैं किसी से मिला, मैंने उन्हें आत्मसाक्षात्कार दिलाया।

श्री माताजी: उसके हाथ बिल्कुल ठंडे हो गए?

योगी: हाँ उसके हाथ बर्फ से ठंडे हो गए।

श्री माताजी: उनका रक्तचाप बहुत कम होना चाहिए यदि वे सुन्न हों वह म्रत्यु की ओर है ।

योगी: उन्होंने ठंडी हवा माँ को महसूस किया।

श्री माताजी: आप देख रहे हैं कि, मैं क्या कह रही हूं, यदि वे स्तब्ध हैं, स्तब्ध हो जाना मृत्यु का संकेत है। मौत आ रही है तो ऐसे लोगों से सावधान रहें।डॉ दाते की तरह वह जानना चाहते थे कि सहज योग क्या है। हमेशा की तरह उन्होंने एक ऐसे मरीज को बुलाया जिसे उन्होंने अभी-अभी हृदय रोगी होना निदान किया था। तो मैंने बताया कि मैं उसे ठीक कर दूंगी लेकिन वह मर जाएगी। मैंने उससे कहा। उसे विश्वास नहीं हो रहा था, जब मैंने उसे ठीक किया तो उसने कहा कि अब वह ठीक है, वह घूम फिर रही है । मैंने कहा कि वह मरने वाली है, वह 2 दिनों के बाद जीवित नहीं रहेगी, यह मेरा दावा है। उन्होंने कहा कि यह कैसे हो सकता है मैंने कहा कि मुझे यकीन है और वह मर गई। उसे शीतल लहरियां सब कुछ मिला, वह घूम-फिर रही थी, लेकिन वह मर गई। लेकिन आपको ऐसी घोषणा करने की आवश्यकता नहीं है। (मराठी भाषा में बात करती है)

योगी: मैं पूछने जा रहा था, क्या आपके जीवन में एक गुरु बनाना आवश्यक है। 

श्री माताजी: अरे हाँ।

योगी: अगर ऐसा है तो मैं रिवाज जानना चाहता हूं, आप कैसे जानते हैं?

श्री माताजी: आप देखते हैं कि, गुरु वह है जो आपको ईश्वर से जोड़ता है| गुरु वही जो साहिब मिलिए, अन्यथा बाकी बकवास बेकार है। ठीक है? आपके पास एक गुरु होना चाहिए क्योंकि केवल एक प्रबुद्ध प्रकाश ही दूसरे को प्रकाशित कर सकता है। जो प्रकाश प्रबुद्ध नहीं है, वह प्रबुद्ध नहीं हो सकता। तो जो व्यक्ति पैसा लेता है वह गुरु नहीं हो सकता। एक व्यक्ति जो आपके दान पर रहता है वह परजीवी है। एक व्यक्ति जिसके पास अनैतिक जीवन है वह गुरु नहीं हो सकता है इसलिए हर किसी को समझना होगा कि गुरु वह है जो कुंडलिनी उठाता है और आपको आत्मसाक्षात्कार दिलाता है अन्यथा वह गुरु नहीं है। यही एकमात्र तरीका है कि आपके पास एक गुरु होना चाहिए, अन्यथा उनके कई ((‘पैम्पर्स’) होते हैं जैसा कि हम उन्हें दुनिया में कहते हैं जो आपके पर्स में रुचि रखते हैं। उनका वर्णन करने के लिए मराठी भाषा सबसे अच्छी है। (मराठी में बोलती हैं) हमारे पास उनमें से बहुत से(? लाड़? )वे सब जो भाग रहे है इस या उस द्वारा सर पर चढ़ाए, जैसे लखनऊ में भूतनाथ,वास्तव में राक्षस है,असली राक्षस|  आप पैसा नहीं ले सकते ,नहीं कर सकते,आप में करुणा और प्रेम होना चाहिए और उन्हें देना चाहिए, एक गुरु इसे कैसे ले सकता है? और फिर अगर वह आपके पैसे पर रहता है तो वह निश्चित रूप से एक परजीवी है, वह आपका गुरु कैसे हो सकता है? लेकिन आपके गुरु तभी होना चाहिए जब आप ईश्वर को चाह रहे हों। अन्यथा आपके पास कोई गुरु नहीं होना चाहिए। क्या ज़रुरत है? आप एक इंसान हैं, लेकिन अगर आप आत्मसाक्षात्कारी बनना चाहते हैं तो ठीक है? फिर आपके पास कोई गुरु होना चाहिए।

अब देखिए मैं स्वाभाविक रूप से उनकी गुरु हूं, मैंने उन्हें बोध दिया है। वे स्वयं गुरु बन गए हैं अब वे भी बोध दे सकते हैं। लेकिन मैं उनकी माँ हूँ यह बहुत मुश्किल स्थिति है माँ एक गुरु बन जाती है जिसकी आप कल्पना कर सकते हैं,कठिन,काफी कठिन काम।

योगी: ऑस्ट्रेलिया में जब हमने शादियां आयोजित की थी। एक भारतीय महिला जो ऑस्ट्रेलिया आई, हमें मिली थी, और उसके पास मुझसे पूछने के लिए ऐसा ही सवाल था, और उसने कहा कि क्या मैं उसी गुरु का अनुसरण करती रहूँ , जिसके आश्रम में मैं बैंगलोर में जाती रही थी, वह बड़ा व्यक्ति नहीं लेकिन कोई छोटा आश्रम, और मैंने कहा कि आपकी कुंडलिनी जागृत हो जाए, पहले चैतन्य महसूस करें और फिर आप अपने लिए निर्णय ले सकते हैं, और उसने ऐसा ही किया और उसे शीतल चैतन्य आये फिर उसने सवाल पूछा, की क्या वह सच्चा गुरु है क्या वह एक सत् गुरु है और उसने सच्चाई को खुद समझ लिया, यह सुंदर हिस्सा है।

श्री माताजी: यह ऐसा ही है। सभी वास्तविक लोग एक दूसरे को जानते हैं, कोई विवाद नहीं है, भारत 

 में हमारे पास गगन गढ़ महाराज है अभी। मैं उनसे पहले कभी नहीं मिली थी, मुझे उनके बारे में कभी कोई जानकारी नहीं थी, और एक महिला डॉक्टर मुझे मिलने आईं और उसने कहा कि माँ मैं गगन गढ़ महाराज को मिलने गई थी और उन्होंने कहा अब माँ आ गई है तो तुम मुझे मिलने के लिए सब क्यों आ रहे हो? उसने पुछा की वह कहाँ है? उन्होंने मुझे बताया कि वह बॉम्बे में है, वह ऐसी है और ऐसी है, अब तुम जाकर उन्हें मिल लो। हम सभी एक दूसरे को जानते हैं, आप देखते हैं कि कोई विवाद नहीं है क्योंकि यह सच्चाई है| क्या ऐसा नहीं है? लेकिन वह इतने सख्त व्यक्ति है कि मैं किसी को उनके पास भेजने की हिम्मत नहीं करती क्योंकि वह आपकी गर्दने तोड़ देंगे वह एक तरह के शेर है और वह उनके साथ बहुत कठोर है, अगर आप मेरे खिलाफ कुछ भी कहते हैं तो स्वाभाविक रूप से वह बहुत नाराज हो जाते है। वह बहुत मुश्किल आदमी है। बहुत मुश्किल इंसान है। लेकिन कई वास्तविक गुरु हैं, लेकिन पहले क्यों नहीं तुम स्वयं बन जाते पहले अपना आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त कर के, जो की सबसे अच्छा तरीका है, जैसा उन्होंने बताया |

जी: आप अपने पैरों को सीधे फर्श पर रख सकते हैं।

श्री माताजी: (मराठी भाषा का वाक्य)। बस अपना हाथ मेरी ओर रखो, बस इसी तरह (मराठी भाषा) जो भी तुम्हारा तत्व है, तुम पूर्ण शुद्ध बन जाते हो । अपना हाथ मेरी ओर करो (भारतीय भाषा वाक्य)

श्री माताजी: कल नाच के दौरान हमने उसकी कुंडलिनी उठाई, आह यह अच्छा है। (भारतीय भाषा) उसके स्पंदन देखें (मराठी में फिर से बोलती हैं) 

योगी: राईट हार्ट, राईट स्वाधिष्ठान 

योगी: राइट साइड

श्री माताजी: दायां हृदय, दायें स्वाधिष्ठान 

योगी: बायां हृदय

श्री माताजी: अति परिश्रम, अधिक परिश्रम से

श्री माताजी: उसके बारे में क्या, क्या वह ठीक है, उसकी भी यही बात है, आप क्या कहते हैं?

 योगी: वह लेफ्ट स्वाधिष्ठान है|

श्री माताजी: वह लेफ्ट स्वादिष्ठान है

योगी: थोड़ा सा, चैतन्य अच्छा है।योगी: बहुत मजबूत चैतन्य हैं योगी: बाएं दिल

योगी: राईट विशुद्धि

श्री माताजी: (सर्दी होती है क्या आप को ) राईट विशुद्धी याने सर्दी होती है 

श्री माताजी: आप यहाँ गर्माहट महसूस करने लगेंगे। गरम-गरम आता है हाथ में आ रहा है?यह चक्र आप का दांया विशुद्धि पकड़ा गया चला जायेगा, राईट विशुद्धि 

एस.एम. वह ठीक है, क्या वह है? दाएं से बाएं

योगी: वह अब बहुत बेहतर है

श्री माताजी: अधिक परिश्रम, बहुत अधिक शारीरिक

श्री माताजी: हह अब?वह ठीक है ((क्या आप को ठंडक आ रही है,बच्चों को आ रही है |हमारे तो सारे नाती पार हैं 

श्री माताजी: अब क्या वह बेहतर है? हा यह बात है | मैं आत्मा हूं, बेहतर हूं मैं आत्मा हूँ, मैं शरीर मन, बुद्धि,अहंकार कुछ भी नहीं (भारतीय बोलती है)अब यहां हैं

योगी: बेहतर (भारतीय भाषा)

श्री माताजी: हम्म, ठीक है? दिल पर बेहतर? (मराठी भाषा) बेहतर

योगी: बायां दिल बहुत बेहतर है, दायां दिल अभी भी पकड़ रहा है|

 श्री माताजी: हा, दायां दिल अभी भी पकड़ रहा है …श्री माताजी: (भारतीय में बोलते हैं)श्री माताजी: गणेश (भारतीय में बोलते हैं) सज्जन के लिए कहाँ?आह बेहतर अब।

योगी: महिला का मध्य ह्रदय पकड़ रहा है (भारतीय भाषा में बोलते है)

 श्री माताजी: (बंगाली है आप, हा बंगाली?

योगी:लेफ्ट स्वाधिष्ठान इसीलिए क्यों?

श्री माताजी: वो काली के उपासक हैं|

योगी: और दुर्गा भी

श्री माताजी: और दुर्गा(भारतीय भाषा)

श्री माताजी: अह अब, (भारतीय भाषा) उसका माथा देखो|

योगी: क्या हमें सवाल पूछना चाहिए? अहंकार?

श्री माताजी: ठीक है, आह ठीक है, चलो, उसे दो बार अपने दिल में सवाल पूछना है। श्री माताजी: (मराठी भाषा में बोलती हैं) निर्विचार शिथिल?

योगी: पूछिए माँ क्या आप साक्षात दुर्गा है |

श्री माताजी: आ रहा है ?श्री माताजी: (भारतीय भाषा में बोलती हैं) आज्ञा आ रहा है

श्री माताजी: आज्ञा (भारतीय भाषा बोलती हैं)

योगी: आपको थोडा विश्वास करना होगा

श्री माताजी: कुछ तो है ही नहीं तो सबकी हजारो की कुण्डलिनी तो नहीं उठा सकती माँ ही उठा सकती है पहचानिए शंका नहीं करना सवाल पूछ कर देखीये बहुत बड़ी चीज है आह क्या वह बेहतर है? अब बेहतर है? दांये को बाईं ओर ले जाएं वह ठीक है, बाएं को दाईं ओर ले जाएं। ठीक है, बेहतर है। क्या आप हाथों में कोई ठंडी हवा महसूस कर रहे हैं?

पेशेंट;मुझे हमेशा वैसे ही पसीना आता है 

श्रीमाताजी ; बस। पसीना आपको नहीं आना चाहिए, आपको महसूस नहीं होगा एक बार जब आप को हो जाता है, ठीक है, बस अपने हाथ रखिए हार्ट का चक्र पकड़ा हुआ है |ह्रदय चक्र 

योगी: जब उसने सवाल पूछा “क्या मुझे एक गुरु की आवश्यकता है”यह भड़का|

श्री माताजी: आपको गुरु की आवश्यकता नहीं है, आप स्वयं के गुरु हैं। मम मेरा ह्रदय?

योगी: हाँ अब बहुत बेहतर है।

श्री माताजी: आप को अच्छा लग रहा है? आपके मन में कोई विचार नहीं है? बस अपने विचारों को देखो, अपने का उपयोग करें ??? (भारतीय भाषा में फिर से बोलते हैं)

योगी: आपने क्या कहा? 

श्री माताजी: अपनी आँखें बंद करो, निर्विचारिता आ गयी आप को एक क्षण भी इन्सान निर्विचार नहीं रह सकता ठीक है, समझ गया? उसे यह पहले ही मिल गया है। क्या तुम ठीक हो? बस देखिये, क्या आप ??? बस उसके सिर के ऊपर देखें यह है? हह, ठीक है, तुम ठीक हो जाओगे, तुम ठीक हो जाओगे।

योगी: वह आपको पहचान नहीं सकती है माँ, वह आपको पहचान नहीं सकती, माँ को पहचानना, यह भवसागर है।

श्री माताजी: मैं कह रही थी कि मैं उनसे बात करूंगी कि इस हॉल में हम हफ्ते में एक बार क्लास शुरू कर सकते हैं या बच्चों के लिए कुछ कर सकते हैं, और हम कुछ बच्चों को बाहर से ला सकते हैं। इस जगह के बच्चों को होना चाहिए प्रशिक्षण, कुछ रियायत / मुआवजा ???)

योगी: कुछ बाहरी लोग।

श्री माताजी: हमारे पास कुछ बच्चे हैं,आप सब के लिए और इन सब छोटे-छोटे बच्चों के लिए …। हम यहाँ विज्ञापन दे सकते हैं और शुरू कर सकते हैं और कभी-कभी स्कूल जा सकते हैं।

योगी: और कुछ बाहरी लोगों के लिए भी हम विज्ञापन दे सकते हैं।

श्री माताजी: और अधिक छोटे बच्चों को महीने में एक बार कहना सिखाने के लिए, वह अपनी पत्नी के साथ नीचे आ सकते हैं और यहाँ एक केंद्र शुरू कर सकते हैं।

योगी: हम अपने लोगों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं और बाहर इसका विज्ञापन भी कर सकते हैं

S: हम इसे इस क्षेत्र में कर सकते हैं।

योगी: हाँ यह एक उत्कृष्ट विचार है।

श्री माताजी: लंदन और इन सभी जगहों पर, इस हॉल में हम सप्ताह में एक दिन के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। एक दिन का

योगी: हो सकता है

श्री माताजी: बुधवार सुबह के समय में शायद बच्चों के लिए या शाम के समय में।

योगी: जो भी समय माता आपको सूट करता है|

श्री माताजी: शाम का समय यहाँ सबसे अच्छा है

योगी: सप्ताहांत के लिए दिन बेहतर है

श्री माताजी: शनिवार को

योगी: सप्ताहांत, शनिवार स्कूल और परिवार की समस्याओं के कारण सबसे अच्छा समय है, माता-पिता बच्चों की तरह नहीं …?

श्री माताजी: (मराठी भाषा में बोलते हैं)। इसे बढ़ाना है, इसे विकसित करना है (मराठी भाषा में फिर से बोलते है) श्री माताजी: तो क्या कोई और प्रश्न है?

G: माँ, मैं एक सवाल है कि …।G: आपने बॉम्बे में उल्लेख किया कि एक आश्रम होगा? बच्चों के लिए एक स्कूल के साथ, माँ आपकी मंशा क्या है, क्या आप…।

श्री माताजी: नहीं नहीं, आप देखिए कि किसी ने हमें उस स्कूल के लिए मुफ्त में जमीन दान में दी है जो पहले से ही वहां मौजूद है। यह वहां है, मैं खुद उस स्कूल को शुरू करना चाहती हूं और अब आश्रम के लिए जमीन का यह दान भी परिपक्व हो रहा  है जो एक अन्य जगह है जो कि तुलसी लेक के पास है | जहां उसने हमें एक एकड़ जमीन दी है। । अब यह स्कूल की जमीन लगभग 6/7 एकड़ है और जिसके लिए हम वहां एक स्कूल शुरू कर सकते हैं, एक नियमित स्कूल जहां बच्चों को शिक्षित किया जा सकता है, और हम उनके लिए एक छात्रावास रख सकते हैं और एक उचित स्कूल अब एक है, फिर तीसरी बात यह है कि भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक भूमि की पेशकश की जाती है, इसलिए हमें और भी तीसरा आश्रम मिला है, अब 3 आश्रम हैं। अब हमारे पास बंबई में काम शुरू करने के लिए पर्याप्त धन है, और आप लोगों ने भी बहुत उदारता से दान दिया है, जो कुछ भी पैसा है, वह सब पैसा हम स्कूल और साथ ही आश्रम के निर्माण के लिए उपयोग कर सकते हैं, लेकिन हमें थोड़ी और आवश्यकता है पैसा जो आगे आ जाएगा। अब विदेशी मुद्रा जो आपने मुझे फ्रांस में दी थी और वह सब, 500 फ़्रैंक्स मुझे आपको बताना होगा कि उसके साथ क्या हुआ था, क्या यह है कि हमने इसे फ्रांस में एक विशेष स्थान पर उपयोग किया है क्योंकि उन्होंने कहा है कि यदि आप इसे पौंड में बदल देते हैं। तब भारतीय रुपया में आप बहुत कुछ खो रहे होंगे। लेकिन इसे भारतीय पैसे में परिवर्तित किया जाएगा, जिसका उपयोग यहां पौंड के रूप में किया जा सकता है और हम उन्हें भारत में रुपये में प्राप्त कर सकते हैं। तो मेरा मतलब है कि जो कुछ भी खर्च होता है, उसे आपको पौंड में करना होगा जिसे समायोजित / निवेश किया जा सकता है? लेकिन इसके बारे में कुछ भी गलत नहीं है, कुछ भी गलत नहीं है, कुछ भी गैर कानूनी गलत नहीं है, इसलिए यह वही है, जो कि आपके द्वारा आश्रम के लिए दिया गया अधिकांश धन है, साथ ही मैं ऑस्ट्रेलिया के लोगों से कुछ और धन की उम्मीद कर रही हूं, जो कुछ पैसे देने जा रहे हैं। यह पैसा दोनों के लिए मेरे फैसले के अनुसार पर्याप्त होना चाहिए, लेकिन अगर हमें किसी बड़े के लिए पैसे की जरूरत है, तो मेरा मतलब है कि हमारे पास एक मास्टर प्लान होगा और अगर हमें और पैसे की जरूरत होगी तो हम देखेंगे, लेकिन स्कूल बहुत आसान है। मैं इसके साथ काम करने जा रही हूँ|

शिक्षा मंत्री विदेश से आने वाले बच्चों के लिए एक स्कूल चाहते है, उदाहरण के लिए इंग्लैंड में भारतीय एक स्कूल चाहते हैं, ठीक है, लेकिन एक और बहुत सी जमीन है जो कोई मुझे देने के लिए तैयार है, मुझे दान में, इंग्लैंड में एक स्कूल शुरू करने के लिए भारतीय बच्चों के लिए क्योंकि उन्हें भारतीय जीवन और भारतीय संस्कृति और भारतीय शैली, और भारतीय विषयों और भारतीय दर्शन और अंततः सहज योग की शिक्षा देने के लिए। अभी-अभी हमारे सभी हाथ इतने भरे हुए हैं, हो सकता है कि ट्रस्ट ने मुझे ज़मीन और वह सब दिया हो और उन्होंने कहा कि वास्तव में आज वे कुछ पैसे इकट्ठा करेंगे, वास्तव में उन्होंने मुझे रात के खाने के लिए आमंत्रित किया है, लेकिन मैंने अन्य लोगों को कहा है, राजदूत को इन सज्जन को जाने और मिलने को कहा है, कल शायद मैं उनसे इस योजना के बारे में बात करूंगी, कि हमारे पास लंदन में एक और स्कूल होने जा रहा है, लेकिन सहज योगियों के लिए सबसे अच्छी बात यह होगी कि हम भारत में एक निश्चित स्तर पर स्कूल चाहते हैं। हमारे छोटे बच्चे नहीं बल्कि थोड़े बड़े बच्चे ताकि उनकी देखभाल की जा सके और उन्हें सहज योग की उचित शैली में प्रशिक्षित किया जा सके,तो यह ऐसा है। इसलिए दोनों चीजें जो मैं करना चाहती हूं। लेकिन आश्रम में मेरा स्कूल नहीं होगा।

योगी: सवाल, अगर मैं पूछ सकता हूं कि क्या आप इन बच्चों के लिए लंबी गर्मी का कोर्स की योजना रखते हैं या क्या आप एक साल का पूरा कोर्स की आशा करते हैं, इस मायने में कि अगर हमें अपने बच्चों को दूर भेजना है तो यह पूरा साल का पाठ्यक्रम है। पूरे साल के लिए।

श्री माताजी: यह सब अंतरराष्ट्रीय नियमों पर चलाया जाएगा, इसमें कुछ भी ऐसा नहीं होगा, मेरा मतलब है कि यदि आप उन्हें वहां से निकालना चाहते हैं तो आपके लिए भी यह करना आसान होगा। लेकिन हर समय जीवन शैली बदल जाएगी आप बदल जाएंगे

योगी: मैं ……… सुना न जा सका था     योगी: मानसिक गतिविधि

श्री माताजी: यहां तक कि जॉन एफ? भी वैसा ही है

योगी: ओह माँ, मैं यह नहीं चाहता।

श्री माताजी: राजनयिक? (भारतीय भाषा में फिर से बोलते है)। गणेशवारा कहां है, बाहर गया है, खराब चीजों को बाहर निकाल दिया जाता है। (भारतीय भाषा)।

फिर आप गुरु बन जाते हैं। फिर कोई भी कला सबसे आसान काम है। (भारतीय में फिर से बोलते है) क्या मुश्किल है, तुम कभी नहीं थकते, कुछ भी नहीं। नए विचार आते हैं, फिर सब कुछ अलग हो जाता है। जीवन गतिशील हो जाता है क्योंकि गतिशीलता बहने लगती है।(भारतीय भाषा फिर से) भारतीय नृत्य (भारतीय भाषा) आप वही (भारतीय भाषा) महसूस कर सकते हैं।

योगी: (भारतीय भाषा)

श्री माताजी: तब हम उन लोगों से बात करना चाहते थे जैसे की,फ्रांस या जहाँ भी वे एक कार्यक्रम वगैरह की व्यवस्था करना चाहते हैं , इसलिए मैं कहूंगी कि ऐसे सभी लोग जो इस वर्ष या अगले वर्ष कहीं भी कार्यक्रम की व्यवस्था करना चाहते हैं, उनसे संपर्क करें और उन्हें उसका पता ले जाएं,उसे लिखें और इस साल या अगले साल उससे पता करें और मैं धीरे-धीरे उसे विचार दूंगी कि, कुंडलिनी और उस सब की तर्ज पर कैसे तैयार किया जाए। ताकि आप उनके कार्यक्रम की व्यवस्था कर सकें और उन्हें उनके कार्यक्रम और उस सभी के लिए भुगतान किया जा सके, लेकिन आप ऐसा करके देखते हैं कि आप उन्हें विराट का सार देते हैं, वास्तव में विराट का सार और एस कैसे? आ गए हैं और भीतर क्या बात है (भारतीय में बोलती हैं) ताकि आप देखें कि हम फैला सकते हैं।

योगी: फ्रेंच में बोलते हैं 

श्री माताजी: (भारतीय भाषा)।श्री माताजी: (भारतीय भाषा)। मुझे नहीं पता कि, वह सभी व्यवस्था कर सकता है, लेकिन वह 12 अगस्त को फिर से  हॉलैंड जा रहा है (भारतीय भाषा)

 श्री माताजी: अब एक और बात  इंग्लैंड में बर्मिंघम की तरह ही सहज योग को फैलाने के लिए इन सभी जगहों पर एक तरीके से इसे एक नृत्य नाटक में प्रस्तुत करना है जिसे आप देखते हैं कि यह एक अच्छा विचार है। कुंडलिनी को संपूर्ण धारा, संपूर्ण, कैसे भगवान ने ब्रह्मांड बनाया है, और इन सभी चीजों को प्रस्तुत करने के लिए यदि आप इसे विद्या के रूप में रखते हैं तो यह अधिक मनोरंजक है और यह व्यक्तित्व में भावनात्मक परिवर्तन के माध्यम से बहुत आसानी से दिमाग में चला जाता है यह भी किया जा सकता है। और मैंने कुछ कवियों से भी पूछा है जो बहुत अच्छे गायक हैं जिन्होंने कहा है कि वे इसे करना चाहेंगे। लेकिन उनके साथ केवल समस्या यह है कि भाषा, जो आप देखते हैं। पश्चिमी लोगों, वे नृत्य को समझ सकते हैं,  नाटक को कुछ हद तक लेकिन अन्य चीजों को मुश्किल से,लेकिन समझ सकते हैं, क्योंकि यह एक ऑडियो विजुअल है अन्य चीजें ऐसी सफल चीजें नहीं हैं। इसलिए हम कोशिश करेंगे कि पहले हमें नृत्य के साथ प्रयास करने दें और मैं ऑस्ट्रेलिया, या कहीं भी, बर्मिंघम में भी उनके साथ थीम पर काम करूंगी, यहां तक कि भारतीय भी ऐसी जगह पर आना चाहेंगे, इसलिए हम इसे पूरा कर सकते हैं जिस तरह से हम सहज योग के बारे में प्रचार करने जा रहे हैं, ठीक है?

योगी: कुंडलिनी का विकास

श्री माताजी: कुंडलिनी का विकास। क्या हम उसे बताने जा रहे हैं, मैं उसके साथ बैठूंगी, मैं उसे समझाऊंगी, उससे बात करूंगी, उसे सभी के बारे में बताऊंगी कि सभी अवतारों के सम्बन्ध और वे किस तरह से अवतार लिए हैं। यह एक नया विषय है।यह विद्द्या का आयाम है । मैं उससे बात करूंगी और उसे यह सब बताऊंगी और एक दिन हम बैठेंगे और फिर हम इसे सुलझा लेंगे। अगर इस साल नहीं तो अगले साल और जो भी हो, वह इसे तैयार करेगा। इसका प्रबंध करना आपके लिए मुश्किल नहीं है, यह बहुत आसान है। आप देखते हैं कि युक्ति से इसका प्रबंध करना उसके लिए बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है। यह विषय का हेर-फेर है। लेकिन उसे थीम दी जानी है। उसका मैं प्रबंधन करूंगी लेकिन आप पता लगाये जैसे कैम्ब्रिज या अन्य कहीं पर में|

श्री माताजी: (भारतीय भाषा में बोलते हैं)। वह 12 अगस्त को हॉलैंड जा रहा है, और वह पेरिस या किसी नजदीकी जगह आसानी से जा सकता है

योगी: (भारतीय भाषा और अंग्रेजी में बोलता है) कि हम उपलब्ध हो सकते हैं कि सप्ताहांत १२ वीं को जन्माष्टमी है, गुरुवार, और शनिवार उससे पहले (???) ९ -११ हम उस सप्ताह के अंत में कर सकते हैं।

श्री माताजी: अब देखिए, पेरिस के लोग इसके बारे में सोच सकते हैं। यदि यह संभव है तो आप उसका पता और उसका टेलीफोन नंबर ले सकते हैं, ठीक है? यह विद्या में से एक है जो वास्तव में संवाद करने के लिए बहुत अच्छा होगा।

योगी: हाँ माँ

श्री माताजी: और आपको यह भी चर्चा करनी चाहिए कि हम कितना आयोजन करने जा रहे हैं, हम कितना भुगतान करने जा रहे हैं, जो कुछ भी ऐसा है, आपके और उसके बीच है, मुझे कुछ नहीं करना है।

योगी: मैं जितना भी कर सकता हूं आशीर्वाद के लिए उतना ही करूंगा, जहाँ तक कि वित्त के लिए, लेकिन मैंने इससे भी ज्यादा कहा कि मैं माता के आशीर्वाद की तलाश में हूं।

स: हा, हाहाहा,

योगी: माँ (यह करती है ??) और हमारी प्रतिक्रिया इसे दर्शाती है, लेकिन यह अभी भी खेल के नियमों से संबंधित है जिसे अवश्य सुलझा हुआ होना चाहिए और न्याय पूर्ण  और ठीक होना चाहिए।

श्री माताजी: सहज योग में किसी का भी शोषण नहीं होना चाहिए। कोई शोषण नहीं करना है, इस प्रकार का कुछ भी नहीं क्योंकि आप देखते हैं कि किसी को पैसे की ज़रूरत नहीं है, किसी को ज़रूरत नहीं है। यह एक ऐसी जगह है जिसे ईश्वर ने एक तरह से हमें  मुफ्त (भारतीय भाषा में बोलता है) इसलिए दिया है, लेकिन किसी को भी सहज योग के कारण परेशानी नहीं होना चाहिए यह भी सिद्धांतों में से एक है । इतने सारे सिद्धांत हैं, और उनमें से एक, कुछ भी अवैध नहीं करना चाहिए और कुछ लोगों ने पोस्टर लगाए यह अच्छा है कि उन्होंने जुर्माना अदा किया है।

योगी: माँ एक बार जब उसका उत्पादन शुरू हो जाता है और वह जो बनना चाहता हैं, और वह कुंडलिनी का कुछ व्यक्त करता हैं, तो यह कुछ ऐसा हो सकता है जिसे वीडियो पर लिया जाए और इस आधार पर किसी तरह की वित्तीय व्यवस्था के साथ प्रसारित किया जाए जो एक संभावना भी है।

श्री माताजी: हाँ आप इसे कर सकते हैं 

योगी: आप देखिए ……

श्री माताजी: एक बार जब मैंने पूरी थीम तैयार कर ली तो, उनसे बात कर ली की, तो आप देखिए, मैं उन्हें कुंडलिनी के बारे में सब कुछ बता दूंगी, लेकिन उन्हें पूरी तरह से अपना आत्मसाक्षात्कार लेना चाहिए, और फिर मैं उन्हें सब कुछ समझा दूंगी। (भारतीय भाषा में बोलती है) ठीक है? यह एक सुंदर संयोजन है, वह महाराष्ट्र से है और वह महिला बंगाल से है, देखिए दोनों प्रदेश बहुत सुंदर हैं, दोनों प्रांत कला से अत्यधिक आशिर्वादित हैं, आप देखिये |परन्तु बंगाल एक और कला है और जो प्रदर्शित कला है, वह आप लोगों से है, क्या आप कल्पना कर सकते हैं , यह एक बहुत अच्छा संयोजन है।

योगी: हम बहुत भाग्यशाली रहे हैं कि हम उनसे मिले।

श्री माताजी: यह सब सहज है। मैंने अचानक उसे खोजा कि मैं नहीं जानती कि कैसे, अभी भी मुझे याद नहीं है कि हमने उसे अचानक कैसे खोज लिया। (भारतीय भाषा में बात करती है)

योगी: सहज योग

श्री माताजी: सहज योग। मुझे अभी याद नहीं है कि वास्तव में क्या हुआ था कि वह कैसे वहाँ पहुंचा |

योगी: उसने गेविन को फोन किया, आपने गैविन को फोन किया?

श्री माताजी: लेकिन कैसे (भारतीय भाषा में बोलती है) आपने क्यों फोन किया ?(ब्रैकेट में यह अगला टुकड़ा सुनना मुश्किल था)(नर्तकी योगी: किसी ने मुझे फोन किया और कहा कि होली मदर को आपका आना पसंद होगा और मैंने कहा कि मैं कुछ कहूँगी? मैंने कहा कि हाँ मुझे अवश्य आना चाहिए, और मैंने आपका पता बता दिया? और मैंने उनसे बात की और उन्हें बताया कि क्या कुछ दिया जाये ? मुझे जो भी आएगा उसके लिए मुझे टिकट खरीदना होगा। और मैं यहाँ थी कि इस प्रकार मैं आयी और मैं एक बार प्रदर्शन करूँगी, इस तरह मैं आयी और मैं यहाँ थी)

श्री माताजी: मुझे लगता है कि राजा? ने किसी को बताया, शायद, वह एक और बहुत अच्छी आत्मा है। तो मेरी यात्रा वगैरह के लिए कोई अन्य प्रश्न बाद में हम इसके बारे में चर्चा करेंगे।

योगी: क्या मैं  कुछ पूछ सकता था?

 एस एम “। हाँ हाँ हाँ

योगी: यह प्रश्न वास्तव में मेरी पत्नी पेट्रीसिया की ओर से है, हालांकि वह शायद इसकी इच्छुक नहीं हैं। मुंह में शीतल हवा? क्योंकि जब पैट को उन लोगों पर गुस्सा आता है जो इस पर शक करते हैं और वह उन पर चिल्लाती है और उसे मुंह में ठंडी हवा लगती है

श्री माताजी: वह दिव्य प्रवाह है,

 योगी: ऐसा है?

श्री माताजी: हाँ अगर उन्हें संदेह है और ये बेहतर हुआ की आप चिल्लाये, क्योंकि ये भूत हैं, जो बात करते हैं। अगर कोई बहुत संवेदनशील व्यक्ति है। मैं दुकान में कुछ कपड़ा खरीदने के लिए गयी थी और जैसे आप जानते हैं कि मेरे पति के पास एक बड़ी कार है और एक शौफर वगैरह है। वह वहां पहले भी जा चुका है, और उस दिन मैं निक के साथ सिर्फ हमारी कार में गयी थी, और वह व्यक्ति, विक्रेता, अचानक, मुझे नहीं पता कि उसके साथ क्या हुआ, उसने निक से पूछा कि यह महिला कौन है? उसने कहा क्यों? मुझे लगता है कि कोई विभूति चल रही है। मेरा मतलब एक दुकान में,तो उसने  जरूर अपनी तेजस्वी रानी की चाल जैसा महसूस किया होगा| मैंने कहा सच में? मैंने कहा कि वह आपसे क्या कह रहा है, उसने कहा, माँ वह तुम्हारे बारे में जानना चाहता है, बहुत जिद कर रहा है, किसी न किसी तरह वह बिल्कुल मंत्रमुग्ध है। मैंने कहा ठीक है तो उसे बताओ। खैर वह अब तक कभी किसी और से प्रभावित नहीं हुआ था, यह एक व्यक्ति की संवेदनशीलता है और अगर कोई व्यक्ति हर समय संदेह कर रहा था तो उन्हें पता होना चाहिए कि कुछ गड़बड़ है। मैंने सहज योगियों को देखा है,जब वे बाहर जाते हैं,  वे ऐसी बातें कहने लगते हैं जो कुछ ऐसी होती हैं, जिन पर मैं विश्वास नहीं कर सकती, इसलिए संदेह उनकी वजह से आता है और कभी-कभी अगर आप चिल्लाते हैं तो शायद इससे मदद मिलेगी, तो ठंडी हवा आने लगती है,  कुंडलिनी, आप देखिये, कुण्डलिनी क्रोधित जाती है, यह प्रचंड हो जाती है?  भाषा, भाषण। पहले यह परा है, आप जानते हैं कि, पराशांति? और इसे जानों, और फिर क्रोधित हो जाती है|जब यह बोलता है इसका अर्थ है कि आप पर परमात्मा की कृपा है, तो सभी देवता आपसे खुश हैं। श्री गणेश विशेष रूप से बहुत खुश हैं और श्री कृष्ण हर तरह से अपने सुदर्शन के साथ हैं। इसका मतलब है कि आपकी विशुद्धि भी अच्छी है, मुंह से ठंडी हवा निकलना बहुत अच्छी बात है। लेकिन आप सहज योग में इतने उचित हैं कि आप जिस तरीके से स्थापित हुए हैं वह उल्लेखनीय रूप से एक महान गुण था, क्या वह नहीं है? 

योगी: हाँ

श्री माताजी: यह एक महान गुण है, मेरा मतलब है कि आप एक अभिनेत्री हैं, आप एक अभिनेत्री रही हैं और एक अभिनेत्री के लिए अचानक इस प्रकार सहज योग को अपनाना कुछ उल्लेखनीय है, मैं सोच भी नहीं सकती। (मार्क डी?) एक अन्य भी है, तुम दोनों। महान उल्लेखनीय, महान गुणवत्ता थी।

योगी: मेरी पत्नी माँ के लिए धन्यवाद

श्री माताजी: बहुत गर्व है, ???? मेरा मतलब है कि उन्हें सहज योग (भारतीय भाषा में भाषण) का एक भयानक अनुभव था

श्री माताजी: हाँ

फेन रॉबर्टसन: माँ श्री गणेश एक रस्सी क्यों रखते हैं माँ और एक अंकुश ?

श्री माताजी: नहीं तो काम कौन करेगा? विशेष रूप से स्कॉटलैंड में (हंसते हुए) जहां वे 12 बजे के बाद से नशे में होते हैं। हा?  श्री गणेश को वह सब उपयोग करना होता है!

फीन रॉबर्टसन: इसके साथ उन्हें पीटने के लिए माँ?

श्री माताजी: हा! (प्रताप पवार से बात करते हुए) (मराठी: वे स्कॉटलैंड के आश्रम से हैं)

योगी: माँ, मेरे पास एक सवाल है माँ, पहले फ्रांसीसी में क्योंकि मेरी अंग्रेजी इतनी खराब है

श्री माताजी: ठीक है मैं आपको उनकी पृष्ठभूमि बता दूंगी। वह एक पत्रकार हैं और आध्यात्मिक क्षेत्र में उनके बहुत प्रश्न है|

G: और इस स्तर पर उसका सवाल, स्विट्जरलैंड से, उसका सवाल, यह नहीं है … उसका सवाल यह है कि वह थोड़ा सा इस तथ्य से संबंधित नहीं हो पा रहा है कि हम बहुत से साकार देवताओं का उपयोग करते हैं, दुर्गा और भैरव राक्षस नहीं हैं। मुझे खेद है कि वह देवताओं के सभी व्यक्तिगत पहलुओं को नहीं समझ रहा है। क्या इस सब के साथ खेलना खतरनाक नहीं है?

श्री माताजी: नहीं नहीं, बिलकुल नहीं, आप देखिए कि पहले आप उन्हें समझें और तब आप जानेगें , लेकिन यह खतरनाक है कि यदि आप उनके प्रोटोकॉल को नहीं जानते हैं कि वे क्या प्रतिनिधित्व करते हैं, तो यह खतरनाक होगा। लेकिन सहज योग में वे जानते हैं कि आप अज्ञानी हैं वे जानते हैं कि आप बच्चे हैं, वे आपको माफ कर देते हैं, वे आपकी देखभाल करते हैं, वे बस कुछ चालें खेलते हैं।

योगी: ??

श्री माताजी: क्या है? आपने इसका उत्तर दिया। अब मैं जो कह रही हूं कि सहज योग में, जैसा कि मैंने आज आपको बताया है कि उन्हें किसी निष्कर्ष पर नहीं चलना चाहिए अगर यह एक परिकल्पना है तो ठीक है उन्हें परिकल्पना करने दें। आओ और स्वयं देखो, कार्यान्वित करो, क्योंकि यह एक नया आयाम है जिसमें आप आ रहे हैं। जैसा कि मैंने बताया है कि यह एक मानसिक कल्पना नहीं है, यह सिर्फ एक अवधारणा नहीं है, यह जो है वो है, इसलिए कृपया अपनी आँखें खुली रखें, अंदर आएँ और स्वयं सब कुछ देखें, इसे सत्यापित करें, और यह एक खतरनाक समय है क्योंकि एक बार जब आप आत्मसाक्षात्कारी हो जाते है फिर आपको संदेह होने लगता है और इस समय आप बाहर निकल जाते है, इसलिए आपको बहुत स्थिर रहना होगा क्योंकि यह अंकुरण का समय है, “अंकुरण का समय “।अब सहज योग में एक केंद्र की ओर जाने वाला बल तथा एक केंद्र से बाहर जाने वाला बल होता है ताकि एक बल द्वारा आप आकर्षित हों और दूसरे द्वारा आपको स्पर्श रेखा( बाहरी रेखा) पर फेंक दिया जाए। तो इसमें स्थित रहकर आप खुद पर ही उपकार करते हैं आप किसी और को उपकृत नहीं करते हैं, यह स्वयं के प्रति आप की एक जिम्मेदारी है, ठीक है? 

योगी: जब आप भावुक मूड में हों तो क्या करें? मुझे लगता है कि एक सवाल है।

 श्री माताजी: उसने क्या कहा?

योगी: जब आप रोमांटिक मूड में हों तो क्या करें? मुझे लगता है कि यह सवाल था।

श्री माताजी: आप उसके लिए बहुत छोटे हैं! आप देखें कि रोमांटिक मूड भी कोई बुरी बात नहीं है, यह बिल्कुल भी बुरी बात नहीं है, आप देखें कि यह खुद परमात्मा के मूड में से एक है, इसमें कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन आप रोमांटिक मूड में हर समय हर किसी के साथ नहीं रह सकते । यह केवल आपकी पत्नी के साथ आप हो सकते है और आपकी कोई पत्नी नहीं है इसलिए मुझे नहीं पता कि आप कैसे हो सकते हैं।आपने देखा कि विकृत रोमांस बिलकुल भी रोमांस नहीं है, रोमांस नहीं विकृती है। अपनी  पत्नी के साथ गोपनीयता में रोमांस सभी पवित्रता में है, इन दिनों इस तरह की जटिलताएं रोमांस से उत्पन्न की गई हैं, लेकिन मैं हैरान हूं। यह एक मनोवैज्ञानिक बात है, वे इस तरह के रोमांस के साथ मनोरोगी बन गए हैं। मेरा मतलब है कि यह आश्चर्यजनक रूप से इतना अजीब है कि मैं बस यह नहीं समझ पाती कि मानव कैसे इस तरह की निरर्थक स्थिति में पहुंच सकता है, मेरा मतलब है कि जब मैं उन लोगों से बात करती हूं जो रोगी हैं? मैं चकित रह जाती हूँ।

क्या कोई क्रिस है?…  क्रिस आपके शोध के बारे में क्या हो रहा है?

 क्रिस:  माँ यह आ रहा है।

श्री माताजी: और क्या?कोई सवाल नहीं? कौन है वहाँ?

इसाबेल: यह इसाबेल है

श्री माताजी: हाँ इसाबेल यह क्या है? इटालियन में नहीं।

योगी: वह जानना चाहेगी कि अब आपकी सबसे प्यारी इच्छा क्या है|

श्री माताजी: मेरी? आप नहीं जानते कि मैं इच्छाहीन हूँ। वास्तव में मैं इच्छा रहित हूं मुझे नहीं पता कि मेरी इच्छा क्या है, मुझे क्षमा करें।

योगी: माँ आप किसी की इच्छा हैं, इसलिए ……

श्री माताजी: हाँ मैं किसी की इच्छा हूँ, इसलिए उस व्यक्ति से पूछें।

 योगी: ?????

श्री माताजी: आप देखिये की जो पूर्ण है ,उसको कोई इच्छा नहीं है | केवल एक चीज मैं सोच सकती हूं कि आप सभी पूर्ण हो जाएंगे। लेकिन यह इच्छा नहीं हो सकती, यह आशीर्वाद हो सकता है। यदि आप आशीर्वाद स्वीकार करते हैं तो आप बन जाएंगे। यह ऐसा ही है। यह आपकी स्वतंत्रता का प्रश्न है कि क्या आप इसे स्वीकार करना चाहते हैं, यदि आप इसे स्वीकार नहीं करना चाहते हैं तो मैं इसे बाध्य नहीं कर सकती, लेकिन मुझसे सबसे बड़ा आशीर्वाद जो आपको मांगना चाहिए वह यह है कि आप पूर्ण हो जाएं। जब आप आनंददायी हो जाते हैं तो आपकी इच्छाएँ कैसे हो सकती हैं, जब आप दाता बन जाते हैं तो आपकी इच्छाएँ कैसे हो सकती हैं। आप बस देते हो आप कुछ भी ले नहीं सकते| तो आप क्या इच्छा कर सकते हैं?

हाँ जॉन यह क्या है?

जॉन: माताजी, क्या हम 3 अगस्त को जन्माष्टमी के लिए पूजा कर सकते हैं?

श्री माताजी: हाँ हाँ, जरूर कोई महान पुजारी बन रहा है!अब, उन्होंने श्री गणेश के हजार नाम और उसके बाद गुरु के हजार नाम (भारतीय भाषा में बोलते हैं) श्री गणेश के हजार नाम और गुरु के हजार नाम उन्होंने मेरे लिए किया है, यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी बात है।

योगी: (भारतीय भाषा में बोलते हैं)

श्री माताजी: (भारतीय भाषा में बोलते हैं)। जो मेरे खिलाफ नहीं हैं वे मेरे साथ हैं। (भारतीय भाषा में फिर से बोलते हैं)आपने कुछ कहा?

योगी: माँ मैंने नहीं किया।

श्री माताजी: नहीं, आपने अपना हाथ ऊपर रखा? नहीं? कोई है यहाँ?

योगी: रिकार्डो

श्री माताजी: रिकार्डो हां

श्री माताजी: आह यह रोड्रिगो है

योगी: आह रोड्रिगो, सॉरी

रॉड्रिगो: मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि, मध्य मार्ग की खामोशी और बाएं हृदय से मिलने वाले प्रेम और भक्ति में क्या अंतर है?

योगी: सुषुम्ना का मौन और बाईं ओर के प्रेम और भक्ति में अंतर क्या है? क्या कनेक्शन है, सॉरी।

योगी: बाएं ह्रदय का प्यार

श्री माताजी: मेरा मतलब है कि बायाँ दिल भावनाओं की बात है जिसे आप कह सकते हैं या हम कह सकते हैं कि यह आत्मा का स्थान है और आत्मा मौन है। यदि आपका मतलब है कि बाएं हृदय का अर्थ है आत्मा, आत्मा मौन है, तो यह धुरी पर है? धुरी पर| आप फ्रेंच में अक्ष को क्या कहते हैं?

योगी: लक्सिस

योगी:  यह पिछले साल मई में लिसल में, आपने कहा था कि हमें नए लोगों पर काम नहीं करना होगा, आपने कहा की हमें केवल अपने चित्त से कार्य करना है। परन्तु न जाने क्यों मुझे लगता की मुझे लोगों पर कार्य करना है |

श्री माताजी: रॉबर्ट, आप ठीक हैं, आपको अपने हाथों से, हर चीज से सब कुछ करना चाहिए| जो कहा गया वह कुछ अन्य लोगों के लिए था। आप कुछ लोगों को देखते हैं जो अभी तक पूर्ण नहीं किए गए हैं, जो अभी तक ठीक नहीं हैं या आधे पके हुए हैं, वे काम करना शुरू कर देते हैं, उन्हें समस्या होगी, वे मुझे समस्याएं देंगे। आप देखते हैं कि यह आपके लिए ठीक है, पूरी तरह से ठीक है, आप वास्तव में महान हैं, आप उस भयानक रजनीश से बाहर आ गए हैं और आपने ऐसा हासिल किया है। मैं, बस मुझे दस बार इसकी बधाई कहना चाहिए। आप एक वास्तविक साधक हैं,  निसंदेह आप एक वास्तविक साधक हैं। यह जबरदस्त है। इसलिए मैं दूसरों से जो कुछ भी कहती हूं वह आपके लिए नहीं है,औसत दर्जे के लोगों के लिए है। आप जो चाहें कर सकते हैं,आप की इच्छानुसार ,हर कोई ऐसा नहीं कर सकता , आपको यदि यह पता नहीं है कि खाना कैसे बनाना है, अगर कोई आपको पकाने के लिए कहता है तो आप कैसा  बनाते हैं। इसलिए मैंने उन्हें चेतावनी दी होगी। मुख्य बहुत ही औसत दर्जे का है, बहुत ही औसत दर्जे का है, हमारे पास एक व्यक्ति है जो बहुत अच्छा है बाकी सब बकवास है|

योगी: क्या आप जानते हैं|

श्री माताजी: कत्य का पति|

रॉबर्ट: गेन्ट में एक कार्यक्रम था और मैंने बात की और यह बहुत अच्छा था और वहाँ लगभग 40 लोगों को आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति हुई।

श्री माताजी: अच्छा। मैं बेल्जियम के लिए एक दिन किसी भी तरह से बनाऊंगी, जब मैं रूस से वापस आऊंगी तब बीच में एक या दो दिन ढूंड लुंगी, ठीक है?

योगी: माँ आपके यॉर्कशायर आने से पहले नहीं।

 श्री माताजी: क्या है?

योगी: यार्कशायर आने से पहले नहीं।

श्री माताजी: मैं वास्तव में यह नहीं जानती कि मुझे किसी भी चीज़ के साथ कैसे रखा जाता है, मुझे फिर से, आपने जो लिखा है इस बात को देखना होगा चूँकि वह बहुत बार बदला है, कई बार बदला है, जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। इसलिए हमें इसको फिर से देखना होगा और इसे सुलझाना होगा, और निश्चित रूप से मैं यॉर्कशायर आ रही हूं, यह वादा किया गया है। अब मैं कहूंगी कि हमें मेरे कार्यक्रम को सुलझाने के लिए मेरे कमरे में बैठना होगा। एक कार्यक्रम के लिए कोई सुझाव जो आपको देना है। आप मुझे बताएं, या क्या मुझे आज एक काम करना चाहिए की आज इसे सुलझा ले फिर  हम उसे नोटिस बोर्ड पर रख दें और फिर आप मुझे बताएं कि आप मुझसे क्या बदलवाना चाहते हैं।

योगी: माँ, मुझे लगता है कि हमारे लिए श्री माताजी आपने समझ लिया हैं| 

योगी: हमें आपके लिए पेशेवर व्यवस्था मिली है माँ, हम इस पर चर्चा कर सकते हैं और इसे पेश कर सकते हैं जबकि लोग अभी भी यहाँ हैं ताकि वे कर सकें…।

श्री माताजी: यही तो मैं कह रही हूं, आज हम इसे करेंगे,  बैठेंगे और हम इसे करेंगे, ठीक है |ग्रीगोइरे?

 G: क्योंकि मैं कल सुबह जल्दी जा रहा हूं इसलिए मैं निश्चित होना चाहूंगा

श्री माताजी: सुबह-सुबह?

जी: हाँ

श्री माताजी: किस समय?

G: मेरी उड़ान 10 बजे है|

श्री माताजी: ओह

G: तो मैं यह सुनिश्चित करना चाहूंगा कि 25 सितंबर|

श्री माताजी: मैं वियना जा रही हूं, यह|

G: ठीक है धन्यवाद।

श्री माताजी: हाँ|

योगी: माँ क्या आप हमसे आदम और हव्वा की कहानी के संकेतों बारे में बात कर सकते हैं।

श्री माताजी: हा हा हा हा हा हा हा। आप हाल ही में पोप का सामना कर रहे हैं, इसके बारे में क्या समस्या है? 

योगी: मुझे लगता है कि इटालियंस को जानने में दिलचस्पी होगी।

श्री माताजी:  मुझे कहानी पता नहीं है,आप मुझे कहो। आप देखिए, कि लोगों द्वारा अचेतन से प्राप्त अंशो से बाइबिल लिखी गई थी। यह एक संपूर्ण पुस्तक नहीं है, आप यह नहीं कह सकते कि ध्यान, अथवा ध्यान के प्रकाश या अभिव्यक्तियों के प्रयासों से आया है। ठीक है? उदाहरण के लिए सेंट पॉल जैसे व्यक्ति को बाईबल में शामिल किया जाना मेरा मतलब है, मुझे नहीं पता कि क्या न्यायोचित है,क्या अधिकृत है | आप इसे कैसे कर सकते हैं। वह एक आत्मसाक्षात्कारी नहीं था, जिसे आप बहुत स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।

योगी: माँ,आदम और ईवा की कहानी में एक बात यह भी है कि शायद मैं सिर्फ इस बात का उल्लेख कर सकता हूं कि सभी पुरुष एक मूल पाप से पीड़ित हैं कि स्वर्ग के बगीचे में एक पेड़ था? (??? क्या यह एक और कुंडलिनी है कि ??? ………)

श्री माताजी: एक अंकाशिता ??

G: एक Ankashtita? सही

योगी: क्या मैं एक और बात कर सकता हूं? ईडन के बगीचे के बारे में, ईडन का उद्यान मूलाधार है, मूलाधार की तरह है, निर्दोषता,

श्री माताजी: ठीक है|

योगी: और यह भी कि जब तक आप पहुँचते नहीं तब तक आप ज्ञान के पेड़ से खा नहीं  सकते हैं? जीवन के वृक्ष का।

श्री माताजी: और क्या?

योगी: कुंडलिनी जीवन का वृक्ष है, ज्ञान का वृक्ष अविद्या के समान है। जब तक आप जीवन के वृक्ष से नहीं खा लेते तब तक आप ज्ञान के पेड़ से नहीं खा सकते। यही कारण है कि यह अविद्या थी

श्री माताजी: यह अविद्या है, इसे होना ही है|(उदय?) आज वह समय है जब आप इसे खा सकते हैं। मैं नहीं समझती यह एक ऐसी प्रतीकात्मक बात है। पूरी बात इस तरह है कि ईसा-मसीह का कथन “मैं आपके सामने आग की लपटों की तरह प्रकट होऊंगा”, मैंने उनसे पूछा कि, यह क्या है? क्या आप इसका वर्णन कर सकेंगे? इस “जीवन का वृक्ष” को भी वे नहीं समझा सकते हैं चूंकि यह पश्चिमी दिमाग के लिए बहुत प्रतीकात्मक है। यह भारतीयों के लिए ठीक है। वे प्रतीकवाद को नहीं समझते क्योंकि वे बहुत प्रत्यक्ष [स्थूल] हैं।

योगी: स्थूल!

श्री माताजी: मैं ऐसा नहीं कहती। अब उदाहरण के लिए आप एक ध्वज की पूजा क्यों करते हैं? क्या यह एक प्रतीक नहीं है? एक झंडे का सम्मान करें, क्यों? यह एक प्रतीक है। लेकिन अब मुख्य बात जो इस मानसिक कल्पना के माध्यम से पश्चिम में हुई है जो एक और भयानक हमला है कि उनमे किसी के लिए चाहे कोई भी हो सम्मान नहीं हैं,  सम्मान नहीं है।

योगी: माँ वहाँ कोई है (अश्रव्य ) थोड़ा … .. अच्छा

योगी: कुछ लोग इसके बारे में चिंतित थे, यह ठीक है।

श्री माताजी: तो देखिए, हमला क्या है, मानसिक रूप से आपने जो किया है, वह सम्मान के आधार पर हमला किया है क्योंकि सम्मान कोई ठोस स्थूल चीज नहीं है। और वे कहते हैं कि यदि आप किसी व्यक्ति का सम्मान करते हैं तो इसका अर्थ है कि आप में कुछ कमजोरियाँ हैं। यह इन्सान के साथ हो सकने वाली सबसे बुरी चीज है। मेरा मतलब है कि अगर उनके पास सम्मान नहीं है तो वे इंसान भी नहीं हैं जो मैं कहूंगी।

श्री माताजी: तो वे किसी भी प्रतीक को कैसे समझेंगे, और बाइबल एक ऐसी चीज है, जो उन लोगों को दी जाती है जो प्रतीकवाद को नहीं समझते हैं। लेकिन फिर भी इसमे से मेरा मतलब है कि उन्होंने बहुत सारे चर्चों, चीजों को निर्माण किया है, मैं नहीं जानती कि वे क्या क्यों कर रहे हैं। मुझे नहीं पता। यह कि पुजारी मुंह में रोटी डालता है और वह कहता है कि यह मसीह का मांस है जिसे आप खाते हैं, यह बहुत ज्यादा है, क्या बहुत ज्यादा नहीं है।

योगी: वे इस पर विश्वास करते हैं|

श्री माताजी: आप उसका मांस खाना चाहते हैं, पहले ही आप उसे क्रूस पर चढ़ा चुके हैं, अब आप उसका मांस खाना चाहते हैं या क्या, बस इसके बारे में विचार करें, यह बेतुका है।क्या मामला है ?

G: वह थोड़ा हिलाता है क्या उसे अपना हाथ बाहर रखना चाहिए माँ |

श्री माताजी: ठीक है, यह ठीक है, आप इधर आइये, आप मेरे पास आये, बायाँ हाथ मेरी ओर, दाहिना हाथ बाहर। हां वह किसी गुरु या किसी व्यक्ति के पास गया है।

योगी: हां, यह जा रहा है।

श्री माताजी: ठीक है,इससे कोई फर्क नहीं पड़ता उसका बायाँ हाथ मेरी ओर तथा दांया हाथ बाहर रखें| (भारतीय भाषा में बात करती है)

योगी: बाएं हाथ को माता की ओर और दाएं हाथ को बाहर रखें

श्री माताजी: : उनकी थोड़ी मदद करें,बस उसकी मदद करो|

योगी: हाँ

योगी: कहो कि माँ वास्तव में कितनी सरल है, क्षमा करें

श्री माताजी: मैं बहुत ही सरल व्यक्ति हूं। क्या मेरे पास दो सींग होने चाहिए है? जो कुछ सामान्य है वह सरल है। मुझे नहीं पता कि किस बात पर गर्व करना है, मुझे यह समझ में नहीं आया कि इसका मतलब यह है कि मैं जो कुछ भी हूं, वो हूँ, उस पर गर्व करने का क्या है? तुम गर्व करोगे क्योंकि तुमने कुछ हासिल किया है, मैंने कुछ भी हासिल नहीं किया है मैंने कुछ भी हासिल नहीं किया है, मैं जो हूं, मैं इस तरह हूं इसलिए गर्व करने के लिए क्या है? आप गर्व कर सकते हैं, ठीक है?

योगी: क्यों माँ

श्री माताजी: क्योंकि आपने प्राप्त किया है आप इस जागरूकता के साथ पैदा नहीं हुए हैं कि आपने कुछ हासिल किया है, आपको गर्व होना चाहिए लेकिन मुझे क्यों होना चाहिए? मुझे बिल्कुल सरल होना है, यह सबसे सरल बात है। (भारतीय भाषा में बात करती है)

श्री माताजी: जो भी कहा जाएगा मैं वही करूंगी। यह थोड़ा जटिल हो जाएगा। आह, लेकिन मैं इतनी सरल नहीं हूं जितना आप सोचते हैं, विशेष रूप से आप जानते हैं कि बहुत अच्छी तरह से। आह (भारतीय भाषा में बोलती हैं)। ठीक है? तो सावधान रहें यह एक छलावरण में है। इतना अच्छा किया|

योगी: हाँ माँ

G: तो माँ अभी भी हम किस बात पर गर्व होना चाहिए, क्योंकि यहां तक कि मौत भी आप की कृपा से आती है।

श्री माताजी: आप देखिये, लेकिन मैं जो कह रही हूं, आप कम से कम यह महसूस कर सकते हैं कि आपने कुछ हासिल किया है, क्या ऐसा नहीं है, कुछ हासिल किया है तो इसका अर्थ ही गौरव है। अगर, मेरा मतलब है कि गौरव आता है क्योंकि आपने जीवन में कुछ हासिल किया है, जो भी हो,यहां मैंने कुछ भी हासिल नहीं किया है।योगी: हाँ मैं समझता हूँ माँ|

श्री माताजी: आप देखते हैं कि क्या मुझे गर्व होना चाहिए कि मुझे अपने सहज योगियों पर गर्व हो सकता है, लेकिन उन्होंने खुद हासिल किया है, इसलिए वे मुझसे  अधिक गर्व कर सकते हैं। मैं उनसे ज्यादा गर्वित कैसे हो सकती हूं? लेकिन गौरव अच्छा है, गौरव और घमंड में अंतर है, गर्व का मतलब है कि आपने वास्तव में कुछ हासिल किया है और आपको इस पर गर्व है, और घमंड का मतलब है कि आपने कुछ हासिल नहीं किया है और आपको गर्व है।

श्री माताजी: (भारतीय भाषा में बोलते हैं)

तुम अभी आए और यहाँ सोए हो? उन्हें जरूरत नहीं है लेकिन जब वे उस स्थिति में होते हैं तो वे इसे महसूस कर सकते हैं, आप देखिये?

योगी: (भारतीय भाषा में बोलते हैं) |

 श्री माताजी: यह बात है। 

योगी: क्या इसे ऐसा नहीं कह सकते कि इस जीवन में आपने अपनी स्थिति कमाई है ? क्या इसे ऐसा नहीं कह सकते कि इस जीवन में आप जो भी हो, वह अर्जित किया है?

श्री माताजी: मैं कुछ नहीं कर रही हूं मैं शून्य हूं, मैं शून्य हूं, मैं शून्य हो जाऊंगी। पूर्ण रूप से|

योगी: मैं दया और दान के बारे में कुछ जानना चाहता हूं, अगर यह उचित हो तो मैं समझना चाहता हूं। आपने किसी से कहा है कि यह आवश्यक नहीं है… .. ???

योगी: वह करुणा और दान के बीच के अंतर को जानना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने सुना है कि आपने सुझाव दिया था कि लोकोपकारी क्रियाएं जरूरी नहीं हैं।

श्री माताजी: आह ह ह। मैंने नहीं कहा कि वे अच्छे नहीं हैं, लेकिन जो मैं कह रही हूं कि जब आप आत्मसाक्षात्कारी हो जाते हैं, जैसेकि अब मैं हूं, कहो कि मैं किसी को ठीक करती हूं, तो माना की तथाकथित, तो मैं क्या करती हूँ की अपना हाथ उस पर रखती हूँ और व्यक्ति ठीक हो जाता है , ठीक है? अब मैंने उसे ठीक नहीं किया, कुछ भी नहीं, जो हुआ उसे देखिए कि वह मेरे अस्तित्व का अंग-प्रत्यंग है, दूसरा कौन है? लेकिन अगर दूसरे होने की कोई भावना नहीं है, तो करुणा है, यह सिर्फ बहती है, यह आपके अंत: स्थल का अंग-प्रत्यंग है जोकि आप किसी को ठीक करते हैं। क्योंकि तुम्हारे भीतर कोई चीज तुम्हें पीड़ित कर रही है बस उसे आप ठीक करते हो। यह आपके लिए है कि आप इसे दूसरों के लिए नहीं करते हैं। कोई दूसरा नहीं है, दूसरा कौन है? यह करुणा है, और दान का आधार ही गलत है क्योंकि कोई दूसरा है। हम सब की तरह, भारत में एक महिला थी जिसने, एक पुरस्कार ? प्राप्त किया है ?? या कुछ और,

योगी: रेड क्रॉस?

श्री माताजी: रेड क्रॉस,उन्होंने वह सर्वोच्च, नोबेल पुरस्कार या ऐसा ही कुछ है, जिसे मैं नहीं जानती, ठीक है, मैं, आह, हाँ। अब इस महिला को अगर आप देखेंगे तो आप चकित हो जाएंगे, वह मेरे विचार से उद्धार से परे है। वह बहुत गर्म स्वभाव की है, वाह, आप उससे बात नहीं कर सकते, वह इतनी गर्म वायब्रेशन देती है और उसकी कुंडलिनी जमी हुई है, और उसे नोबेल पुरस्कार मिलता है। वह क्या करती है वह लोगों से पैसा इकट्ठा करती है, घर में कुछ गरीब लोगों को लाती है, उन्हें देखभाल देती है इसलिए उनकी देखरेख में मरते हैं। ठीक है, यह भगवान का कार्य नहीं है बल्कि तुम्हारा काम है। यह मानव का काम है, आपने गरीबी पैदा की है, आपने समस्या पैदा की है कि अंग्रेज भारत क्यों गए? अंग्रेज हम पर राज करने क्यों गये? उन्होंने क्यों किया? हम गरीब हो गए हैं अब आपको इसके लिए बेहतर भुगतान करना था। क्या वे जो कुछ भी किया उसे सुधारने के लिए भुगतान करने के लिए तैयार हैं, इसके विपरीत वे यहां तक कि, भारतीयों को यहां आने की अनुमति नहीं देते हैं। आप देखिए कि किसने ऐसा किया है जिसने गरीबी पैदा की है। यह आप इंसान हैं, आप इसे खुद ही ठीक कीजिये। ईश्वर का इससे कोई लेना-देना नहीं है, और फिर आप अहंकार विकसित करते हैं, ओह हमने यह किया है, हमने यह दान किया है,  केवल इस मैडम टेरेसा के इन पूर्वजों ने  इस बंगाल में सब किया है। यही कारण है कि लोग गरीब हैं और अब यह महिला इसका श्रेय ले रही है। उसके पास कुछ भी नहीं है वह बिल्कुल गर्म बर्तन है, आप जानते हैं कि आप उस पर थोड़ा पानी डालें तो वह घुल जाएगी । (भारतीय भाषा में बात करती है)। बहुत ही गर्म स्वभाव की, उसने एक दिन ऐसा उपद्रव किया जब मैं विमान से यात्रा कर रही थी जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते, वह यहाँ से वहाँ जा रही थी,  उसने विमान रोक दिया, उसने सब कुछ किया, वह सबसे आगे की सीट चाहती थी क्योंकि वह मैडम टेरेसा थी, उस समय उनके पास नोबेल पुरस्कार नहीं था और दो या तीन बीमार लोग थे;  जो यात्रा कर रहे थे लेकिन वह नहीं सुनेंगी। मैं उसी विमान में थी, भयानक मैंने कहा कि यह भयानक महिला कौन है, उसने कहा कि मैं मदर टेरेसा हूं। उन्होंने कहा कि आप चाहे जो भी मदर हों लेकिन ये लोग बीमार हैं और आप बेहतर हैं पीछे बैठे क्योंकि यह सीट आरक्षित है। और वह प्लेन को जाने नहीं दे रही , ऐसी अहंकारी महिला थी।

योगी: वह अच्छा काम करती है माँ, वह अच्छे काम करती है|

श्री माताजी: क्या? तथाकथित? पहले आप एक समस्या पैदा करते हैं और फिर यह करते हैं और फिर उसके लिए नोबेल पुरस्कार लेते हैं। ठीक है, और फिर संतुष्ट होते रहें आपने बहुत अच्छा काम किया है|

मैं आपको बताती हूँ की क्योंकि वह एक कैथोलिक है, केवल इसीलिए उसे यह नोबेल पुरस्कार मिला है। यह पूरी तरह से चाकरी का काम है, यह तुच्छ है, यह शूद्र है, यह शूद्र संस्थिता है।

यह एक सामूहिक पाप है, देखिये, यह एक सामूहिक पाप है| सामूहिक पाप, अज्ञान है, उपनिवेशवाद एक सामूहिक पाप है। उपनिवेशवाद एक सामूहिक पाप है, ठीक है? यह सामूहिक पाप है। अब जब आपने कोई पाप किया है और पाप की भरपाई जो भी हो, उसे सुधारने के लिए आप एक और संगठन बनाते हैं, जिसमें से एक व्यक्ति जाता है और उन लोगों को मदद करता है, ठीक,जब आप उनकी मदद करते हैं और फिर वही संगठन उसे नोबेल पुरस्कार देता है बड़ा मजाक चल रहा है। आप इस बात को देखिये?

योगी: सभी उपनिवेश …………

श्री माताजी: किसने उनसे कहा, किसने इन बेतुके लोगों को जाने और इन सभी दक्षिण अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकन को खत्म करने के लिए कहा, मेरा मतलब है, अमेरिकी? अब आप इसे इस तरह का नाटक देखते हैं कि यह ऐसा है जिसे आप एक चरमोत्कर्ष और एक एंटीक्लाइमैक्स कहते हैं, आप इसे इस तरह से देखते हैं, सबसे पहले आपके पास विनाश का चरमोत्कर्ष है और फिर एंटी क्लाइमेक्स| आप समझ सकते हैं। मदद करने के लिए क्या है?

केवल आत्मा की मदद करनी है।यह ईश्वर का कार्य है| मैंने किसी से पूछा कि ईसाई मिशनरी के काम में क्यों लगे? तो उन्होंने मुझे बताया कि जब ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया जाना था, उससे पहले मैरी मैग्डलीन कुछ महंगा तेल लेकर आईं, उस से उनके पैरों का अभिषेक करना चाहती थीं, और यह पीटर द ग्रेट, आप देखो कि, उन्होंने कहा कि क्यों क्या आप उसके पैरों पर इस कीमती तेल को बर्बाद करना चाहती हैं, क्यों नहीं इसे गरीबों को दे देना चाहिए? तो मसीह ने कहा कि ये गरीब हमेशा हमारे साथ हैं, इसका मतलब है कि ये सिरदर्द हमेशा के लिए हैं। ठीक है? लेकिन मैं थोड़े समय के लिए हूं, इसका मतलब है कि आध्यात्मिक जीवन थोड़े समय के लिए है। इसका मतलब यह नहीं है, इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आपको गरीबों को किसी भी तरह का दुःख देना है, इसका किसी भी तरीके से यह मतलब  नहीं है, लेकिन आप गरीबी और असमानता पैदा करते हैं, और आप उन्हें ठीक करने की कोशिश करते हैं, यह आपका अपना लाभ है, मनुष्य का लाभ, परमेश्वर का इससे कोई लेना-देना नहीं है। मेरे कहने का तात्पर्य है की इसका कोई आध्यात्मिक महत्व नहीं है, क्या आप बता सकते हैं। सहज योग मध्य मार्ग के लोगों के लिए काम करने वाला है, न तो पहले से ही अमीर लोगों के लिए, वे पहले से ही हमेशा के लिए बर्बाद हो गए हैं, और न ही बहुत गरीबों के लिए (जो पापी?) जो बाद में बर्बाद हो सकते हैं।

योगी: मध्यम वर्ग

श्री माताजी: देखिये, अंग्रेजी भाषा में यह एक गाली है, भारत में मध्यम वर्ग का अर्थ है वह वर्ग जो गुणों को देखता है, मूल्यों को देखता है, देश की सभी परंपराओं की देखभाल करता है वो मध्यम वर्ग है। भारत में मध्यम वर्ग को सबसे अधिक दुविधा में रखा गया है। लेकिन यह एक विचित्र देश है, मैंने पूछा कि मध्य वर्ग इतना बुरा क्यों है क्योंकि वे अपने करों का भुगतान नहीं करते हैं। भारत में अमीर अपने करों का भुगतान नहीं करते हैं, मध्यम वर्ग  अपने करों के भुगतान से नहीं बच सकते हैं क्यों की उनमें से अधिकांश नौकरशाह हैं और सरकार अपने करों को उनके वेतन से काट लेती है । मुझे नहीं पता कि मध्यम वर्ग का यह विचार यहाँ क्यों मौजूद है। यहाँ राजाओं और रानियों की कोई नैतिकता नहीं थी, कौन उनकी श्रेणी का होना चाहेगा , मुझे समझ में नहीं आता। लेकिन यह ऐसा ही है की उन्होंने, किसीकी मध्यम वर्ग के रूप में निंदा की है और मैं यह नहीं जानती कि उन्होंने निंदा क्यों की, यह गरीब मध्यम वर्ग ही है जो दुनिया की सभी परंपराओं को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। तो यह मध्य मार्ग के लिए है जैसे नदी मध्य में बहती है और जब इसके आकार में वृद्धि होती है तो यह दोनों किनारों को समा लेती है और इसलिए शायद कुछ अमीर राजा की तरह आ सकते हैं? जो अब हमारे साथ जुड़ गए है या उन जैसा कोई, कुछ शायद थोड़े धनवान लोग हो सकते हैं लेकिन यह गरीब ही है ज्यादातर जिन्हें बाद में सहज योग के साथ सबसे अधिक मदद मिलेगी क्योंकि एक बार योग स्थापित होने के बाद उन्हें अपने इलाज के लिए भुगतान नहीं करना पड़ता है,  पैसे की समस्या नहीं होती है क्योंकि क्षमा उस तरह स्थापित होती है। तो कई काम किए जा सकते हैं। मैं आपको मोइरा के पिता का उदाहरण दूंगी? अब वह चले गये है। वह एक गरीब आदमी थे और वह सहज योग में आ गया और उसे आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति हो गई और फिर हर बार वह आया करता थे मेरे लिए एक बहुत अच्छी माला ले कर? हर तरह से जो बंबई से लगभग दस मील दूर है,वहाँ से । तो मैंने उससे कहा कि तुम हर बार एक माला के लिए इतना पैसा क्यों खर्च करते हो, उसने कहा कि तुम्हारी कृपा से माँ मैं अब धनी हूँ, मैं हैरान थी कि उसने मुझे बताया कि उसके पास जमीन का एक प्लाट है जिसे वह खेती के लिए इस्तेमाल कर रहा है और वह सब उसे ज्यादा फायदा नहीं दे रहा था। खैर एक दिन एक अमीर आदमी उसके पास आया और उसने कहा कि चूँकि यह मिट्टी बहुत अच्छी है और अगर आप मुझे इस मिट्टी का उपयोग करने की अनुमति दे सकते हैं तो मैं अच्छी ईंटें बना सकता हूं और उसने मुझे उस मिट्टी के लिए भुगतान करना शुरू कर दिया है।

श्री माताजी: जैसा कि श्री कृष्ण ने कहा है (भारतीय भाषा में बोलते हैं)। इस भव्य स्थान को देखें जो होटल जो आप को मिला, जो आपके पास था, क्या आप इन सभी चीजों को भूल सकते हैं कि आपको कुछ भी नहीं से सब कुछ मिला। आज किसी ने मुझे बताया,  इन राजदूत ने कहा कि,  उनकी बेटी खुद को शिक्षित कर रही है तथा वह वाईएमसीए में रह रही है जहाँ खाना बहुत खराब होता है और कमरा साझा किया जाना है जिस में कोई भी बाथरूम नहीं है, भयानक स्थिति में कुछ बाथरूम हैं और उसे  30 पौंड प्रति सप्ताह देना पड़ता है । 30 पौंड प्रति सप्ताह आप कल्पना कर सकते हैं? एक-एक कर अपने आशीर्वाद गिनें |

परमात्मा आप सबको आशीर्वाद दें।

तो मैं आपकी बिदा ले लूँगी क्योंकि मुझे इन बातों पर चर्चा करनी है और फिर मुझे घर वापस जाना है?

(भारतीय भाषा में बात करती है)। वह इस स्थान से मेरे पास आया, श्रीमान, क्या नाम है उसका ? निक, निकोलस तुम कहाँ हो? अब आपका स्वाधिष्ठान कैसा है?निक: यह बेहतर हो रहा है माँ, थोड़ा सा।

श्री माताजी: बेहतर है, ठीक है।

श्री माताजी: तो आपने उसको पता और सब कुछ उसे दे दिया है। अब उन सभी लोगों को जो मुझे लिखना चाहते हैं, श्री पी के पते को नोटिस बोर्ड से ले लेना चाहिए, और उसे लिखना चाहिए अगर आपको किसी भी कार्यक्रम की व्यवस्था करने का कोई विचार है। इस साल या अगले साल, जो भी हो, ठीक है? तो आप उसका पता ले लीजिए, आप कृपया उसका पता ले लेंगे और उससे संपर्क करेंगे? मैंने उसे यह विचार दिया है कि सप्ताह के किसी दिन वह यहां आ सकता है और इस हॉल में लोगों को नृत्य सिखा सकता है, कोई एक ऐसा दिन ऐसा जब यह आपके लिए और उसके लिए उपयुक्त हो। और हम यहां बाहर के लोगों का रजिस्टर में नाम लिख सकते हैं, हम यहां तक कि विज्ञापन भी कर सकते हैं ताकि एक संपर्क और एक रिकॉर्ड स्थापित हो और वह जैसा चाहे उन्हें चार्ज कर सकता है और वह उन्हें सिखा सकता है। केवल सहज योगियों के लिए वह कुछ रियायत दे सकते हैं और निश्चित रूप से आप नृत्य शुरू नहीं करने वाले हैं। दस से कम उम्र के सभी लोगों को शामिल होना चाहिए अन्यथा हमें परेशानी होगी (भारतीय भाषा में बोलती हैं)। वास्तव में? वह कहता है कि आप सभी नृत्य सीख सकते हैं।

डांस टीचर: मेरे पास एक समय में इसे सीखने वाली तीन पीढ़ियां थीं, दादा और दादी और बेटी और फिर पोती।

श्री माताजी: ठीक है, जो लोग इसमें शामिल होना चाहते हैं, वे यहां भी शामिल हो सकते हैं, उन्हें एक उपयुक्त समय का पता चल जाएगा, इसलिए आप इसे लिख लें, उनसे टेलीफोन से पता करें और फिर हम अन्य लोगों के यहां आने के लिए बाहर भी विज्ञापन कर सकते हैं, ठीक है? और जो भी उनकी फ़ीस हैं हम उन्हें अदा करने जा रहे हैं जैसा कि सहज योगियों की परंपरा है। जो सीखना चाहते हैं। क्या आप सोच रहे हैं ??

योगी: एक तिकड़ी मा, हम एक तिकड़ी के बारे में भी सोच रहे हैं, और ग्रीगोइर भी।

श्री माताजी: हा हा हा (भारतीय भाषा में बोलते हैं)ठीक है, यह जो कुछ भी है, वह इसे करने के लिए तैयार है, और एक श्री एम है? यदि आप चाहें तो आपको तबला सिखा  सकता है, हम उसे तबला सिखाने के लिए भी कह सकते हैं और वहाँ एक और है जो मुझे मिला (भारतीय में बोलते हैं)

योगी: अरशद?

श्री माताजी: अरशद? जो वायलिन बजा रहा था, वह आपको कुछ सिखा सकता है। अरशद? जो वायलिन बजा रहा था, हम उससे भी संपर्क कर सकते हैं, वह एक अच्छा युवा है (भारतीय भाषा में बोलती है)। उस तरह, ताकि आप उनसे भी सीख सकें, ठीक है?

परमात्मा आप को आशिर्वादित करें |