Shri Saraswati Puja, The basis of all creativity is love Dhule (भारत)
Shri Saraswati Puja, Dhulia (India), Sankranti day, 14 January 1983. English to Hindi translation HINDI TRANSLATION (English Talk) Scanned from Hindi Chaitanya Lahari प्रेम से सभी प्रकार की सृजनात्मक गतिविधि जो नहीं सुहाते वे सब लुप्त हो जाते हैं। यद्यपि ऐसा घटित होती है। आप देखिए कि किस प्रकार राऊल बाई मुझे प्रेम करती हैं और यहाँ आप सब लोगों को भी एक सुन्दर चीज़ के सृजन करने का नया विचार को प्रभावित नहीं करते, तो तुरन्त ये पदार्थ लुप्त प्राप्त हुआ है! ज्यों-ज्यों प्रेम बढ़ेगा आपकी होने लगते हैं (नष्ट होने लगते हैं)। होने में समय लगता है, नि:सन्देह इसमें समय लगता है- ज्यों ही आपको लगता है कि ये जनता सृजनात्मकता विकसित होगी। तो प्रेम ही श्री सरस्वती की सृजनात्मकता का आधार है। यदि प्रेम न होता तो अब जिस प्रेम की हम बात करते हैं, हम सृजनात्मकता न होती। इसका अर्थ और भी गहन है, आप देखिए वैज्ञानिक चीजों का सृजन करने वाले लोगों ने भी ये चीजें जनता से प्रेम के कारण बनाई हैं, केवल अपने लिए नहीं। किसी ने भी केवल अपने लिए किसी भी चीज़ की रचना नहीं की। अपने लिए भी यदि वे कोई चीज बनाते तो भी वह सबके उपयोग के लिए हो जाती, अन्यथा इसका कोई अर्थ ही नहीं है। यदि आप ऐटॅम बम तथा विज्ञान द्वारा बनाई गई अन्य सभी चीज़ों की बात करें तो भी ये अत्यन्त सुरक्षात्मक हैं। यदि उन्होंने इन चीज़ों का सृजन न किया होता तो लोगों के मस्तिष्क युद्ध से न हटते। अब कोई भी Read More …