Devi Puja: Individual journey towards God Sydney (Australia)

                                                       देवी पूजा  सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 14 मार्च 1983। अब आप सभी इस समय तक जान गए हैं कि हमारे ही भीतर शांति, सुंदरता, हमारे अस्तित्व का गौरव स्थित है। इन सबका एक सागर है। हम बाहर इसकी खोज़ नहीं कर सकते। हमें भीतर जाना है; जिसे वे ‘ध्यान की अवस्था में’ कहते हैं, आप उसकी तलाश करते हैं, आप उसका आनंद लेते हैं। जैसे, प्यास लगने पर आप किसी नदी पर जाते हैं या क्या आप समुद्र में जाते हैं ? और अपनी प्यास बुझाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सागर भी मीठा पानी नहीं दे सकता, तो जो बाहर फैला हुआ है, वो तुम्हें वह गहरी बात जो तुम्हारे भीतर स्थित है, कैसे दे सकता है? आप इसे बाहर खोजने की कोशिश कर रहे हैं जहां यह है ही नहीं। यह हमारे भीतर है, बिल्कुल हमारे भीतर है। यह इतना आसान है क्योंकि यह आपका अपना है। यह आपकी पहुंच के भीतर है, बस वहीं है। आप जो कुछ भी करते रहे हैं: आनंद, तथाकथित आनंद, तथाकथित खुशी, सांसारिक शक्तियों और सांसारिक संपत्ति की तथाकथित महिमा को खोजने के लिए बाहर जाना, आपको इस पूरी चीज से वापसी करना होगी। आपको अपने भीतर ध्यान देना होगा। यह गलत नहीं था कि आप बाहर गए [लेकिन] यह उचित नहीं था कि आप बाहर गए। आपने अब तक जो किया है उसके लिए आपको खेद नहीं होना चाहिए। जीवन के वास्तविक आनंद, अपने अस्तित्व की वास्तविक महिमा को पाने का यह उचित तरीका नहीं था। इसने इतने लोगों में काम किया है Read More …