Birthday Puja: Overcoming The Six Enemies

Sydney (Australia)

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             जन्मदिन पूजा, “छह दुश्मनों पर काबू पाना

 सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) २१ मार्च १९८३।

आज इस शुभ दिन पर आप लोगों के साथ होना बहुत महत्व का है; आस्ट्रेलियाई लोगों के साथ रहना जो बहुत अच्छे सहज योगी साबित हुए हैं और जिन्होंने अपने आध्यात्मिक जीवन में बहुत तेजी से प्रगति की है। यहां अपने बच्चों के साथ रहकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। जैसा कि आप जानते हैं कि पूरी दुनिया में मेरे बहुत सारे बच्चे हैं,  उन बच्चों के अलावा, जिन्हें मैंने वास्तव में शारीरिक रूप से जन्म दिया है। हमें आज उन सभी के बारे में सोचना होगा जो हमसे हजारों मील दूर हैं, अपने आध्यात्मिक उत्थान के लिए सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं। आध्यात्मिक उत्थान के लिए केवल प्रार्थना करनी है। क्योंकि जैसे-जैसे आप का उत्थान होता जाता हैं शेष सब कुछ आपको मिल जाता है। चूँकि आप उत्थान नहीं करते हैं, आपको वह नहीं मिलता जिसकी आपको आवश्यकता है। इसलिए दिक्कतें हैं। और आज भी मुझे पूजा में आने से पहले कुछ समस्याओं का समाधान करना था। लेकिन अगर आप तय करते हैं कि हमें अपने भीतर आध्यात्मिक रूप से उत्थान करना है, तो आपको जो कुछ भी प्राप्त करना है, वे सभी आशीर्वाद जो ईश्वर आप पर बरसाना चाहते हैं, आपको अपने महान राज्य का नागरिक बनाने के लिए, जहां अब आपका और आकलन नहीं किया जाता हैं, और न फिर ताड़ना दी जाएगी, और परमेश्वर के अनन्त प्रेम और उसकी महिमा में जहां तुम निवास करते हो, वहां तुम्हारी परीक्षा नहीं होगी।

लगभग दस साल पहले मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि दस साल के भीतर मैं यह परिणाम हासिल कर लूंगी। हमें अन्य प्लास्टिक गुरुओं की तुलना में सहज योग की प्रगति का न्याय नहीं करना चाहिए। यहां तक ​​कि एक संत को बनाने के लिए भी हजारों जन्मों की आवश्यकता होगी, और इतने सारे नबी बन गए हैं, यह आपके लिए बहुत बड़ी बात है। आइए हम यह भूल जाएं कि हमारे भीतर कौन सी कमियां हैं। हमें यह जानना होगा कि हम पैगम्बर हैं।

यह धारणा स्थापित करनी होगी कि हम पैगम्बर हैं। यदि आप, जो आप हैं, जो आप बन गए हैं, बस उसे धारण कर सकें तो आप परमेश्वर की महिमा का उत्सर्जन करेंगे!

जैसे फूल जब खिलता है तो उसकी सुगंध स्वतः ही प्रवाहित हो जाती है, लेकिन केवल मनुष्य को ही यह ना मानने, नाटक करने या यह मानने की स्वतंत्रता भी है जोकि वे हैं। भले ही वे नबी बन गए हों, फिर भी वे उसी पर टिके रहते हैं जो वे नहीं हैं, कल्पना में और अभी भी भयभीत हैं, फिर भी अहंकार-उन्मुख हैं, झूठा है, जो तुम्हारा असली स्वभाव नहीं है। यह एक नाटक में अभिनय करने, अभिनेता बनने जैसा है। जैसे कोई शिवाजी की तरह अभिनय कर रहा है, तो वह वैसा ही बन जाता है जैसे वही शिवाजी हो। पूरी जीवन शैली, सब कुछ बदल जाता है – वह शिवाजी जैसा हो जाता है। लेकिन वही व्यक्ति अगर हिटलर की तरह काम कर रहा है, तो वह हिटलर जैसा हो जाता है। दोनों कृत्रिम हैं। लेकिन कृत्रिम वे हो जाते हैं।

अब जब की आप वास्तव में नबी हैं तो आपको वास्तविक व्यक्ति होना मुश्किल लगता है जो कि आप हैं, लेकिन कृत्रिम जो जा चुका है, जो अब नहीं है, सब समाप्त हो गया है। पापी मर गया है, अहंकारी नहीं है, भयभीत सदा के लिए चला गया है, तुम नबी हो। उस व्यक्तित्व की महिमा में जागृत हो। जो लोग नबी नहीं हैं, जो ईश्वरीय नहीं हैं, जो ईश्वर विरोधी गतिविधियाँ कर रहे हैं, वे पैगम्बर पद धारण कर सकते हैं। लेकिन जो वास्तव में पैगम्बर हैं, वे इस स्थिति को नहीं मानना ​​चाहते कि वे हैं।

जैसे ही आप मान लेते हैं, आप वही बन जाते हैं। हमें आज इस तरह के नाटक से बाहर निकलना होगा जो हमारा मन अब तक करता रहा है। सभी असत्य को छोड़ना होगा। बेशक, जैसा कि मैंने कहा, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि दस वर्षों में, मैं इन परिणामों को प्राप्त कर लूंगी, हमारे चारों ओर इतने सारे शैतान आपको लुभाने के लिए। और आप लोगों को भी श्रेय  जाना चाहिए, कि सभी बाधाओं और समस्याओं के बावजूद, आप ने उत्थान किया हैं, अब तक चढ़े हैं, और सुंदर नबी बन गए हैं। आप इतने रूपांतरित हो गए हैं कि थोड़ा और – बस यह मान लेना जो कि आप हैं ही, आपको बहुत प्यारा महसूस कराएगा।

मैंने अपनी बड़ी पोती से बात की, और वह सिर्फ 11 साल की एक छोटी लड़की है, लेकिन उसने अपनी मां से कहा: “अब मैं नानी (दादी) से बात नहीं कर सकती क्योंकि वह देवी है। मैं उससे कैसे बात कर सकती हूँ! मुझे शर्म आती है।” उस उम्र में! जबकि,  वे बता रहे हैं कि,  अपने जीवन में वह सभी कक्षाओं में शीर्ष पर है, उसे मिल गया है, वह अपने स्कूल में एक पत्रिका में संपादक है। वह जबरदस्त है। और वह इतनी विनम्र है कि उसने अपनी माँ से कहा, “मुझे नानी से बात करने में शर्म आती है, वह एक देवी है, मैं उनसे कैसे बात कर सकती हूँ?” और रुस्तम ने मुझे बताया कि वह, उससे चैतन्य बह रहे हैं।

इस तरह आपको बढ़ना है। सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि आप नबी हैं और आपको पता होना चाहिए कि मैं पवित्र आत्मा Holy Ghost हूं। मैं आदि शक्ति हूँ। मैं ही इस धरती पर पहली बार इस रूप में इस विराट कार्य को करने आयी हूं। इसे जितना समझोगे उतना ही अच्छा होगा।

आप में जबरदस्त परिवर्तन आएगा। मुझे पता था कि मुझे एक दिन खुले तौर पर यह कहना होगा और हमने यह कह दिया है। लेकिन अब यह आप लोगों पर है जिन्हें यह साबित करना है कि मैं वह हूं। क्राइस्ट के शिष्य थे जो साक्षात्कारी आत्मा भी नहीं थे और उन्होंने ईसाई धर्म का प्रसार किया – चाहे कुछ भी हो। ऐसी परिस्थितियों में कि ईसा-मसीह को सूली पर चढ़ा दिया गया और वे नि:सहाय रह गए, केवल बारह लोग संघर्ष कर रहे थे लेकिन उन्होंने इसे खड़ा कर दिया। वे बहुत विनम्र लोग थे, उनका गुण अत्यंत विनम्रता था और वे उनमें और ईसा-मसीह और माता के बीच के अंतर को जानते थे। साथ ही वे अपने और दूसरों के बीच के अंतर को जानते थे और उन्होंने ऐसे जीवन को अपनाया जो शुद्ध थे, ईसा-मसीह के नाम से प्रकाशित थे। वे साक्षात्कारी आत्मा नहीं थे। उन्होंने खुद को स्वच्छ किया और अपने जीवन को सुंदर बनाए रखा।

तो सहजयोगी इन छह शत्रुओं का होना बर्दाश्त नहीं कर सकते। सबसे पहले, क्रोध जो वास्तव में शोभनीय नहीं है। करुणा ! क्रोध को हटा कर करुणा में आयें। आज 60वां जन्मदिन है और हमें सिर्फ अपने भीतर छह दुश्मनों से लड़ना है। दूसरा जो आपने किया है, आप में से अधिकांश ने किया है, वह है अपना चित्त विकृति से हटाना। आप में से अधिकांश ने किया है।

आपकी आंखें अब बेहतर हैं, स्थिर हैं। लेकिन फिर भी तुम अहंकारी हो। घमंड। फिर भी लोग ईर्ष्यालु, प्रतिस्पर्धी हैं। आपके पास अभी भी कुछ छुपा हुआ भौतिकतावाद है। एक नई चीज जो आ रही है, आप अपने परिवारों से लिप्त हो रहे हैं।

तो अब हमें इसे बदलना होगा, एक अलग उपयोग में लेना होगा। वही चीज़ परमेश्वर का कार्य करने के लिए उपयोग की जा सकती है। उन्हें सहज योगियों के छह हाथों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

पहला क्रोध है। जब आप गलत काम करते हैं तो आपको खुद पर गुस्सा होना पड़ता है। और गलत काम करने पर दोषी महसूस करने की बजाय खुद पर गुस्सा करें।  इससे कभी भी छुटकारा ना पाने का सबसे अच्छा तरीका है दोषी भाव। यह निजी संग्रह के लिए रखे गए ताला बंद भंडारगृह की तरह है। आपके दोषी भाव के धंधे के कारण मुझे बहुत कष्ट हुआ है।

और वे एक-एक करके बाहर आते हैं।

इसलिए जब आप दोषी महसूस करते हैं तो आपको अपने आप से क्रोधित होना पड़ता है: “मैं दोषी कैसे महसूस कर सकता हूं? मैंने ऐसा क्यों किया? मैं दौबारा ऐसा नहीं करूँगा।” तो, अपना क्रोध खुद के खिलाफ विकसित करें न कि दूसरों के खिलाफ। और क्रोध को युद्ध के दिन के लिए सुरक्षित रखा जा सकता था। नहीं तो जब युद्ध छिड़ जाएगा तो सभी अर्जुन अपने हथियार रख  देंगे और यह कहा जाएगा कि, “अर्जुन एक महान योद्धा था – युद्ध शुरू होने के पहले तक।” इसलिए हम उन चीजों से संघर्ष करने में अपनी ऊर्जा बर्बाद नहीं करने जा रहे हैं जो सिर्फ छाया की तरह हैं। छाया से लड़ने में नहीं।

सेक्स, सामान्य से अधिक यौनाचार को, अपने परिवार, अपनी पत्नी की ओर मोड़ना होगा और अब आपको अपनी शुद्धता का सम्मान करना होगा, पूरी बात कुछ और नहीं बल्कि शुद्धता बन जाती है, आप एक पवित्र जीवन जीते हैं। कुत्ते की तरह नहीं, बल्कि इंसान की तरह बनना पसंद करें। वह सारा चित्त पवित्रता बन जाना है जो कि तुम्हारी शक्ति है, जो तुम्हारी सुरक्षा है, जो तुम्हारा परमात्मा के साथ संबंध है। जबरन शुद्धता नहीं बल्कि संतुलन और समझ की शुद्धता। अपने परिवार के साथ, अपनी पत्नी के साथ, बहुत ही पवित्र तरीके से आप जी सकते हैं। ऐसा ही महिलाओं के साथ भी – महिलाओं के लिए ज्यादा है, मैं कहूंगी। कि,  वे उन अन्य पुरुषों के साथ हाथ न मिलाएं जो आपके पतियों के खिलाफ बात करते हैं, या जो आपको आपके पतियों के खिलाफ सिखाते हैं। ऐसे सभी पुरुषों को सहज योग से बाहर कर देना चाहिए, जो महिलाओं को उनके पति के खिलाफ बताने की कोशिश करते हैं। यह एक बहुत ही शुद्ध, पवित्र स्थान है जहां आपको पति के खिलाफ हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। किसी को अधिकार नहीं है। अगर कोई समस्या है तो आपको मुझे बताना चाहिए। यह मूर्खता की निशानी है।

फिर घमंड को गौरवान्वित होने में परिवर्तित करना चाहिए। आपको गर्व होना चाहिए कि आप सहजयोगी हैं, वास्तव में गर्व हो। गर्व से सिर उठाइए कि हम सहजयोगी हैं। गर्व कभी दमनकारी नहीं होता, गर्व करना गौरव की बात है। लेकिन घमंड दमनकारी है। वास्तव में गर्व और कुछ नहीं बल्कि आत्म-सम्मान की अभिव्यक्ति है। भीख माँगना, उधार लेना, मिमिक्री करना, ये सब चीज़ें अपने स्व की कम समझ से ही आती हैं। तो घमंड ही गर्व  बनना चाहिए, और गर्व आत्म-सम्मान की अभिव्यक्ति होना चाहिए। स्वाभिमान अहंकार से बहुत अलग है। एक वास्तविकता है, दूसरी पूर्ण कृत्रिमता है।

पुरुषों को अब पुरुषों की तरह व्यवहार करना चाहिए, ना कि महिलाओं की तरह, दब्बू गायों की तरह, जब उनकी महिलाएं जहाँ चाहें उन्हें रस्सी से बांध दें। उन्हें समाज का नेतृत्व करना है।

भारत में महिलाओं के अधिकारों के लिए महिलाओं ने कभी संघर्ष नहीं किया: पुरुष हैं। वे कभी नहीं लड़ीं; पुरुष हैं ना, क्योंकि पुरुष भी पिता, भाई हैं, और वे महिलाओं की भलाई के बारे में चिंतित हैं।

महिलाओं ने वहां शायद ही कभी लड़ाई लड़ी क्योंकि उन्हें पता था कि एक बार जब वे पुरुषों से संघर्ष की राजनीति शुरू कर देती हैं, तो इसका कोई अंत नहीं होता है। मूल रूप से यह, उन्हें पता था कि,  उन्हें पुरुषों के साथ रहना है, वे उनसे नहीं संघर्षरत नहीं रह सकती। परन्तु खुद पुरुष लड़े; अमेरिका में भी अब्राहम लिंकन ही थे जिन्होंने महिलाओं की मुक्ति के लिए लड़ाई लड़ी, न कि महिलाओं ने।

इसलिए आपको अहंकारी नहीं, बल्कि गौरवान्वित होना चाहिए। गर्व है कि आप सहजयोगी हैं, गर्व है कि आप ऐसे समय में पैदा हुए हैं जब आपको ईश्वर के कार्यों के कर्तव्यों का पालन करना है। कि परमात्मा ने आपको चुना है! ताकि आप उस स्तर तक आ जाएं।

जैसे मैं पाती हूँ कि, कुछ लोगों सहज योग में भी, अचानक पागल वैरागी हो जाते हूँ। उन्हें कभी माफ नहीं किया जाएगा क्योंकि ईश्वर ने आपको बहुत कुछ दिया है। मान लीजिए कोई आपको हीरा देता है। आपको गर्व है, आप इसे पहनते और दिखाते हैं। लेकिन जब आपको आपकी आत्मा दी गई है तो आपको गर्व होना चाहिए और वैरागी की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए। कुछ लोगों को लगता है, “मुझे अब कोई नौकरी नहीं करनी चाहिए। मैं बाहर नहीं जाऊंगा, मैं घर पर बैठकर ध्यान करूंगा। सहज योग में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है। “मैं यह नहीं कर सकता।” शब्द “नहीं कर सकता” उन लोगों के शब्दकोश से दूर जाना चाहिए जिन्हें सहज योगी माना जाता है। आप बस ऐसा नहीं कह सकते कि, “मैं यह नहीं कर सकता।”

तो आत्म-सम्मान आपको उस तरह की गतिशीलता देगा जो सहज योग के लिए आवश्यक है, एक विनम्र गतिशीलता, एक विवेकवान गतिशीलता । मुझे अब आपकी समस्याओं का समाधान नहीं करना पड़ेगा।

प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या की गुणवत्ता को दूसरे ढंग से लाया जाना चाहिए। जैसे आप थे और अब कैसे हैं, आपस में प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। कौन जीतता है? चाहे आपका अतीत हो या वर्तमान? जितना हो सके इस अतीत को पीछे छोड़ते हुए आपका वर्तमान तेज, गतिशील और गतिमान होना चाहिए।

सहज योगियों के बीच सम्पति या कब्जे की कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए। कभी-कभी मैंने चिखने, चिल्लाने और दूसरों के प्रति कठोर होने में भी प्रतिस्पर्धा देखी है – एक बड़ी प्रतिस्पर्धा है। करुणा में, नम्रता में, मधुरता में, सुन्दर व्यवहार में हम प्रतिस्पर्धा करें। कौन अधिक सुसंस्कृत है, कौन अधिक सज्जन है, कौन अधिक गहरा है; अपने सामने किसी ऐसे व्यक्ति का आदर्श रखें, जिसे आप एक बहुत ही सज्जन व्यक्ति या एक ऐसी महिला मानते हैं जो वास्तव में एक महिला की तरह हो। लेकिन इसके विपरीत यदि आपका आदर्श एक ऐसी महिला है जो एक पुरुष की तरह व्यवहार करती है, तो यह भी ठीक नहीं है। या एक पुरुष जो, महिला की तरह व्यवहार करता है, वह भी आदर्श नहीं है। या दूसरी तरफ। एक महिला जो यह दिखाने की कोशिश करती है कि महिलाएं पुरुषों से अलग हैं और महिलाओं को यह मिलना चाहिए …

सहज योग में स्त्री और पुरुष में भेद जैसा कुछ भी नहीं है कि स्त्रियों को यह मिलना चाहिए और पुरुषों को वह मिलना चाहिए। क्योंकि तुम आत्मा हो। लेकिन आपके पास जो आवरण है, आपके पास जो शरीर है, आपके पास जो प्रकाश है, आपके पास जो दीपक है, वह अलग-अलग बात है, और प्रकाश को बनाए रखने के लिए एक महिला को एक महिला और पुरुष को एक पुरुष होना चाहिए। .

जैसा कि कल मैंने तुमसे कहा था कि एक सेब को आम बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और आम को सेब बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। सबसे अच्छा सेब होना अच्छा लगता है और सबसे अच्छा आम होना अच्छा लगता है। तो वैरागी, जो कहते हैं, कि तुम्हें इससे बाहर निकलना है, वास्तव में इंसानों की तरह व्यवहार नहीं करते | लेकिन मुझे लगता है – जैसे मुझे नहीं पता कि उस स्थिति में जानवर क्या करते हैं। जैसे जब आप अपने प्रारब्ध का प्राप्त कर लेते हैं तो आप अकर्मण्य नहीं हो सकते, आप नहीं कर सकते।

जहां तक ​​संभव हो मैं अनुदान लेने वाले लोगों को पसंद नहीं करती। अच्छे सहजयोगियों की निशानी नहीं। आप सभी को मेहनती होना चाहिए, आपके पास योग्यता होनी चाहिए, आपको हर चीज में सबसे ऊपर अच्छे लोग होने चाहिए। अच्छे छात्र, अच्छे रसोइए, अच्छी माताएँ, अच्छे पिता, अच्छे प्रशासक – हम इन लोगों को कहाँ से लाएँगे? हम डिशवॉशर नहीं हो सकते, है ना?

इसलिए महिलाओं और पुरुषों के बीच होड़ बंद होनी चाहिए। महिलाओं का अपना स्थान होना चाहिए और पुरुषों का अपना स्थान होना चाहिए। और महिलाओं को पता होना चाहिए कि पुरुष उनके हाथ हैं। यदि आप शक्ति हैं, तो वे मशीन हैं और अपनी मशीनों को उन पर चिखकर, उन पर चिल्लाकर और उन्हें नीचा दिखा कर, उन्हें विचलित करके मारें नहीं। हमारे पास कोई जगह नहीं होगी। हमें उन्हें परमेश्वर का कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। आपको उनका साथ देना है, उनकी देखभाल करनी है, क्योंकि वे मशीन हैं, वे हाथ हैं और आप शक्ति हैं। बेशक अगर ये हाथ शक्ति के खिलाफ जाते हैं तो उन्हें नुकसान होगा। तो बच्चों और आप के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए – मेरे बच्चे और उसके बच्चे, ऐसी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए, अपना मन वहां से हटायें।

पूरी साझेदारी होनी चाहिए। तो प्रतिस्पर्धा का अंत साझा करने में होना चाहिए। हम कितना साझा करते हैं? हम कितना साझा कर सकते हैं? देखिए शराबी अकेले बैठकर शराब नहीं पी सकते। उन्हें साझा करने के लिए कुछ लोगों को रखना पड़ता है। चोरों के पास चोरी करने के लिए दस लोग होने चाहिए। लेकिन जब परमात्मा के प्रेम के अमृत की बात आती है तो हम अकेले कैसे हो सकते हैं? आनंद नहीं ले सकता।

इसमें बिल्कुल भी आनंद नहीं है। तो आइए हम एक दूसरे के साथ कोमल और दयालु बनें। जो लोग अमृत का आनंद लेने जा रहे हैं, उन्हें उस अमृत को बांटने में प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए जिससे उन्हें वह अधिक से अधिक प्राप्त हो। कौन अधिक शेयर करता है? कौन अधिक उदार है? भौतिकवाद को इसके सौंदर्य में ले जाना चाहिए। आप अपने हाथ से एक काम कर सकते हैं। यह पैसे के पीछे दौड़ने, पैसे गिनने से कहीं अधिक सुंदर है, अन्यथा आप वास्तव में अपने मुंह मिया मिटठू बन जाएंगे। जो लोग सुबह से शाम तक अपना पैसा गिनते हैं, वे असली मूर्ख हैं।

वे हमेशा पैसे खो देते हैं, उनके दिमाग में कुछ गड़बड़ है।

आपको जो आशीर्वाद मिले हैं उनके लिए आभारी हो।  पदार्थ में जीवंतता एवं, सुंदरता देखें। जीवन ने कैसे काम किया है। एक लकड़ी देखें, मैं देखती हूं, मैं जीवन शक्ति द्वारा उस पर रचित सरंचना को देखती हूं, जीवन। लेकिन यह रुखा नहीं है, यह मृत नहीं है, यह नीरस नहीं है, यह अभिव्यक्त हो रहा है। आप कला में देख सकते हैं, जो कुछ भी सुंदर है उसमें आप देख सकते हैं, ईश्वर की रचनात्मक शक्ति का प्रतिबिंब और वह आनंद जो वह आपके आनंद के लिए उत्सर्जित करना चाहता था। जबकि तुम पदार्थ के दास बन जाते हो। वह कभी नहीं चाहता था कि आप ऐसा करें। आप गुरु हैं।

अंत में अपने बच्चों से, अपनी पत्नी से, अपने, अपने, अपने… जो कुछ भी मेरा है, वह ‘मैं’ नहीं हूँ। मेरा घर, वह ‘मैं’ नहीं हूँ। मेरा यह, मेरा, मेरा, मेरा, छोड़ देना चाहिए, ‘ममत्व’ का नाश किया जाना है।

इसके बजाय आपको ‘हम’ कहना चाहिए। ‘हम’ एक अच्छा शब्द है। मैं कई बार ‘हम’ कहती हूं। और फिर लोग सोचने लगते हैं… एक दिन, किसी ने मुझसे पूछा, “माँ, जब आप ‘हम’ कहती हैं, तो आपका क्या मतलब है? आप कैसे महसूस करा सकती हैं, हमें ऐसा होने का कि हम सब एक हैं, जिस तरह से आप ‘हम’ कहती हैं?” मैंने कहा, “क्यों नहीं? आप मेरे शरीर के अभिन्न अंग हैं। क्या हम ‘हम’ नहीं हैं?” क्या मैं अपनी उंगली को अपने दिल से अलग कर दूं? अगर आप मेरे शरीर के अभिन्न अंग हैं तो मुझे ‘हम’ की तरह बात करनी होगी क्योंकि मैं यहां बैठे इस सामूहिक अस्तित्व के प्रति सचेत हूं। इसलिए हमें ‘हम’ की तरह बात करनी है न कि ‘मैं, मेरे’ की तरह। और जब आपको अपने बारे में बात करनी हो तो इसे कर्ता के तीसरे रूप में बोलें।

जैसे आप कह सकते हैं: “यह निर्मला अब लंदन जा रही है।” सच में, सच है, क्योंकि यह शरीर वहां जा रहा है लेकिन मेरा दिल यहां रहने वाला है। तो यह कहना कि मैं जा रही हूँ सच नहीं है – अगर मैं आदि शक्ति हूँ तो मैं कहाँ जा रही हूँ? मैं कहीं नहीं जा रही हूँ, मैं हर जगह हूँ। हम कहां जा सकते हैं? ऐसी कोई जगह नहीं है जहां मैं नहीं रहती और अगर मुझे ऐसी जगह जाना है, तो वह नर्क ही है जहां मैं नहीं जाना चाहता (हंसी)। तो, मैं क्या कहती हूं कि, “यह निर्मला अब जा रही है। ऑस्ट्रेलिया छोड़ रहे हैं।” कल मैं जा रही हूँ। तो क्या होता है? बस इस शरीर को चलना है – बस।

ऐसे ही आप अपने शरीर के बारे में कहने लगते हैं। “यह मेरा मन, यह मिस्टर सो और सो का मन।” अपने आप को मिस्टर या मिसेज या मिस के रूप में संबोधित करना बेहतर है। “तो मिस, क्या आप अभी उठेंगी?” बेहतर है की, आप खुद को इस तरह संबोधित करें। बच्चे ऐसे ही बात करते हैं। किसी तीसरे व्यक्ति की तरह।

आप हैरान रह जाएंगे, पूरी बात के पीछे का मजाक आप देखेंगे। आपको पता चल जाएगा कि खुद पर कैसे हंसना है। “ओह सो मिस्टर, आगे आओ, अब वह ऐसा व्यवहार कर रहा है।” और आप वास्तव में स्वयं के गुरु बन जाएंगे, क्योंकि आप जानते हैं कि इस बच्चे (खुद)को कैसे संभालना है (हँसी)।

यह आपको परिपक्वता की भावना देगा। तो ऐसा कहना कि, “यह मेरा बच्चा है, यह मेरी पत्नी है”; बेशक, आपको अपनी पत्नी और अपने बच्चों की देखभाल करनी होगी क्योंकि वे आपकी ज़िम्मेदारी हैं लेकिन आप अपने बच्चे के लिए जितना करना चाहते हैं उससे अधिक अन्य बच्चों के लिए करते हैं।

(कोई है जो आया है।)

तो यह पूरी पहचान प्रक्रिया, अति सरपरस्त बर्ताव अपने ही बच्चों के प्रति, आपको परेशानी देगी। आपको यह विश्वास करना होगा कि आपका परिवार आपके पिता का परिवार है, और आपकी माता इसकी देखभाल कर रही हैं। अगर आपको लगता है कि आप अपने परिवार की देखभाल खुद ही  कर सकते हैं – तो आगे बढ़ें! इसलिए अति हिफाजती न हों, ज्यादा चिंतित न हों, अपने परिवार को लेकर ज्यादा परेशान न हों।

और बहुत ही मिलनसार स्वभाव रखें ताकि आपके बच्चे भी आपके जैसे न बनें। उन्हें बताएं कि कैसे साझा करें। अगर एक बच्चा गिर गया है तो दूसरे बच्चों से मदद करने के लिए कहें। ऐसे नाटक की रचना करें जिनमें आपको दिखाना चाहिए कि एक बच्चा जो आ रहा है, जो ठीक से नहीं चल पाता है, दूसरे बच्चे कैसे जाते हैं और कोशिश करते हैं कि कैसे उसे उस परेशानी से बाहर आने में मदद करें। उन्हें नाटकों के माध्यम से, कहानियों के माध्यम से, विभिन्न चीजों के माध्यम से सिखाओ कि अच्छाई क्या है। मदद के विचार के बिना भी आपको मदद करनी चाहिए। यह एक खुशी है, यह एक विशेषाधिकार है। यह बड़े सम्मान की बात है कि आप इसे कर सकते हैं।

हमें अपने विचारों को पूरी तरह बदलना होगा। बहुत से लोगों की आदत होती है कि पहले ‘अपने’ बच्चे की सेवा करते हैं-बिल्कुल अशिष्ट है, खराब पालन पोषण को दर्शाता है। पहले दूसरों की सेवा करनी चाहिए, फिर अपने परिवार की। अपने बच्चों के लिए कुछ पीछे से रखना, अपने बच्चों के लिए कुछ खाना छिपाना – यह सब एक ऐसे व्यक्ति की निशानी है जो ‘कुपमंडुक’ की तरह है, जिसका अर्थ है ‘एक छोटे से कुएं में रहने वाला मेंढक’।

इससे छुटकारा पायें। पुरुष,  पुरुषों का अपना समूह बनाने का प्रयास करें और महिलाओं को महिलाओं का अपना समूह बनाना चाहिए। महिलाओं को पुरुषों की तरफ से निर्देश नहीं आना चाहिए, ज्यादा नहीं। उचित नहीं है। मैंने बहुत सारी मज़ेदार चीज़ें जानी हैं, मैं समझ नहीं पा रही हूँ कि ये चीज़ें कैसे काम करती हैं। लेकिन, ऐसा इसलिए है क्योंकि एक तरफ तो आपको लगता है कि आपका परिवार बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है, आपका पति बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है, आपको बाकी सब से बिल्कुल अलग होना चाहिए, या दूसरी तरफ ऐसा होता है कि आप अपने पति की पूरी तरह से अवहेलना कर देती हैं कि, – वह अच्छा नहीं है , विवाह असफल है, किसी और चीज पर टिक जाती हैं जिसे विनाश का कोई ऊँचा लक्ष्य माना जाता है। इसलिए दोनों चीजें अच्छी नहीं हैं।

आपको अपने पति या पत्नी या अपने बच्चों के लिए खड़ा होना चाहिए, जब यह उचित हो। लेकिन प्रत्यक्ष रूप से आपको ऐसा नहीं करना चाहिए, जाहिर तौर पर आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। आपको अपने बच्चे से कहना चाहिए, “ठीक है, मैं समझता हूँ, लेकिन मैं इसे सार्वजनिक रूप से नहीं करना चाहता।” लोगों को यह भी नहीं पता होना चाहिए कि वह आपका बच्चा है। जिस तरह वह दूसरों के साथ घुले-मिले, दूसरों के साथ रहे, दूसरों के साथ साझा करे, एक सहज योगी वैसा ही होना चाहिए।

तुम तो मेरे बारे में जानते ही हो, अभी तक तो मैंने अपने बच्चों को बोध भी नहीं दिया है। क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं? कुण्डलिनी के ज्ञान की तो बात ही छोड़िए। आप उन्हें पढ़ा सकते हैं। मुझे पता है कि मैं उन्हें जब भी चाहूं उन्हें दे सकती हूं। मैंने उन्हें बिल्कुल भी समय नहीं दिया है, उन्हें समय नहीं दिया है। यदि आप देखें तो,  कितना समय मैं अपनी बेटियों के साथ बिताती हूँ? बहुत कम समय। पूरे साल में, इस साल मैं उनके साथ तीन दिन रही।

तो जो संबंध इस समय सबसे महत्वपूर्ण है, सहज योग और सहजयोगियों का है। मैंने देखा है कि कुछ सहजयोगी अपने माता-पिता को, अपनी माताओं को, अपने भाइयों को अन्य सहज योगियों की तुलना में अधिक लिखते हैं। बहुत अद्भुत है। अपने पिता के लिए लेकिन अन्य सहज योगियों को नहीं।

आपको अन्य सहजयोगियों को लिखना शुरू करना चाहिए। जो लोग लंदन में रह चुके हैं, उनमें से कितने लंदन के लोगों को लिख रहे हैं? क्या उन्होंने कोई दोस्त या कुछ भी बनाया है? – ऐसा कुछ नहीं। वे अपनी समस्याओं में इतने व्यस्त हैं कि प्रेम का बंधन बनाने की उन्हें कोई परवाह नहीं है। मानो उन्हें सहज योग में कोई दिलचस्पी नहीं है। वे लंदन में आश्रम में रहे। आप में से कितने लोग उन्हें पत्र लिख रहे हैं? लंदन के लोगों को। आप कितने पत्र लिखते हैं? अब आप इस कार्यक्रम में उनसे मिले हैं, आप में से कितने लोग उन्हें पत्र लिख रहे हैं और संपर्क में हैं? एक पत्र लिखने में कितना समय लगता है? कुछ नहीं। मुझे आशा है कि आज जैसे ही आप वापस जाएंगे आप सभी को आज के जन्मदिन के बारे में पत्र लिखना चाहिए – यह कैसे मनाया गया, एक सुंदर तरीके से। अपने परिवार के लिए नहीं, अपने लोगों को नहीं, बल्कि दूसरों को। वे सब अब हो चुके हैं, आप जानते हैं कि वे कैसे हैं।

आप उन्हें इस लिए लिखते हैं क्योंकि आप जानते हैं कि वे इस चीज़ के प्रमुख हैं। जैसे अगर आप ग्रेगोइरे को लिखते हैं या आप इटली में रूथ को लिख सकते हैं, तो आप जिनेवा में जेनेवीव को लिख सकते हैं। आप उन सभी से मिल चुके हैं – आपको लिखना चाहिए! महिलाओं को महिलाओं को लिखना चाहिए और पुरुषों को पुरुषों को लिखना चाहिए। अर्नेउ लॉज़ेन में है: उसे क्यों नहीं लिखा? वह वहाँ है; अब क्या आप जानते हैं कि उनकी पत्नी को डिलीवरी के लिए अमेरिका जाना है? हमें एक-दूसरे के बारे में बहुत अंतरंगता से जानना चाहिए। कितने लोगों के बारे में मैं कितनी बातें जानती हूं, सारी विस्तृत जानकारी। इस तरह से; तुम्हें अपने आप को उस प्रेम से भर देना चाहिए। कल आप अमेरिका जाएं या इनमें से किसी एक स्थान पर जाएं, वहां आपके भाई-बहन पहले से ही स्थापित हैं। उन्हें अपनी माँ के बारे में लिखें, आप क्या सोचते हैं। तुम बस कभी-कभी मुझे ही पत्र लिखते हो लेकिन एक-दूसरे को कभी नहीं। विशेष रूप से मुझे बहुत बड़े पत्र न लिखें। लेकिन अच्छे, मीठे अक्षर, काव्य पत्र लिखिए, वे प्रसन्नता महसूस करेंगे, यह फूल भेजने जैसा है। वहां से विचार लेना बहुत अच्छा विचार होगा। (क्या बात है?)

इस प्रकार इन छ: शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर उन्हें अपना दास बना कर अपने प्रयोजन के लिए उपयोग करेंगे। तब वे महान चीजें बन जाएंगे। तब वे आपके सहायक होंगे, फिर वे आपकी सेना के सेनापति होंगे, वे आपकी अलंकार होंगे। यह सब आपके हाथ में है। विवेक पूर्वक करना है। इस समय, जिस अवस्था में मैं पहुँच गयी हूँ – मैं हमेशा वहीँ थी, वही उम्र, मैं हमेशा ऐसी ही परिपक्व रही हूँ, बच्चे जैसी, एक युवा लड़की और एक बूढ़ी औरत की तरह, सभी को एक साथ रखा जाये, हर साल , हर बार। लेकिन इंसानों को समझने में मैं निश्चित रूप से परिपक्व हो गयी हूं। जहां तक ​​इंसानों के बारे में मेरे ज्ञान का सवाल है, मुझे निश्चित रूप से बेहतर समझ और परिपक्वता मिली है क्योंकि वे हैं … जब मैं पैदा हुई थी तो वे मेरे लिए अजनबी थे – सिर्फ अजनबी। कल्पना कीजिए कि आदि शक्ति ऐसा कहे, लेकिन यह सच है! भले ही मैंने तुम्हें बनाया है, मैं बिल्कुल अजनबी थी। लेकिन अब, मैं बड़ी हो गयी हूं, मैं आपको अच्छी तरह से समझ गयी हूं, मुझे पता है कि आप मेरे बच्चे हैं, मुझे पता है कि आप मुझसे कितना प्यार करते हैं और आप मेरे कितने करीब हैं।

[श्री माताजी : वह इतना क्यों रो रहा है?

योगी: वह शौचालय जाना चाहता है, माँ।

श्री माताजी : उसे ले जाने दो।

योगी: वह चाहता है कि मैं उसके साथ जाऊं लेकिन मैं यह कहने की कोशिश कर रहा हूं कि वह खुद जा सकता है, लेकिन…

श्री माताजी : उसे जाने दो, यह बात है, तुम देखो, ये बच्चे बहुत जिद्दी हैं, मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है।

योगी: हाँ। वह चाहता है कि मैं उसके साथ जाऊं। यही बात है, इसलिए।

श्री माताजी : बस। यह भूतिश है, है ना?

योगी: हाँ, मैं यही कह रहा हूँ।

श्री माताजी : हम सोच सकते हैं – उसे जाने दो। वह नहीं सुनेगा। बेहतर है जाओ। देखो। ठीक है, उसे नीचे ले जाओ।

क्या करें, आप देखिए, वे बहुत जिद्दी हैं। वे भूत हैं। इतना बड़ा लड़का शौचालय नहीं जा सकता?

योगी : हां…

श्री माताजी : बस उन्हें परेशान करने के लिए, बस।

परमात्मा आप को आशिर्वादित करे।

उसे अब सचमुच थप्पड़ मारना चाहिए, अगर तुम अभी दो थप्पड़ मारोगे, तो उसका भूत चला जाएगा। दो थप्पड़ की आवश्यकता है। अगली बार वह ऐसा नहीं करेगा। आप देखिए इस समय आपको थप्पड़ मारना चाहिए, बहुत जोर से नहीं, लेकिन उसे बताएं कि आपको यह पसंद नहीं है।

कभी-कभी थप्पड़ मारने से ही भूत दूर हो सकते हैं। मैंने देखा है खासकर बच्चों के साथ ऐसा होता है। चेहरे पर दो थप्पड़ और वे ठीक हैं। क्योंकि वे भूत हैं, आप देखते हैं, और उन्हें दूर जाना है।]

अब कल जो कुछ मैं ने तुम से बच्चों के बारे में कहा है, सावधान रहना। आपको अपने बच्चों को सहज योग की संपत्ति बनाना है, बोझ नहीं। इसलिए उन्हें ठीक से प्रशिक्षित करने का प्रयास करें। उनका उत्थान व पोषण करो, वे इस लायक हैं कि, उनकी अच्छी देखभाल की जाये।

शुरुआत में आपको बहुत अनुशासनात्मक होना होगा और अगर वे कुछ भी गलत करते हैं तो उन्हें दंडित करें, ताकि वे जान सकें कि क्या सही है, क्या गलत है। और एक बार जब वे बड़े हो जाएंगे तो आपको आश्चर्य होगा कि वे कितने अनमोल हैं। उनमें से कुछ बहुत अच्छे बच्चे हैं, लेकिन अगर बुरे बच्चों का प्रभाव बहुत अधिक आता है, तो वे अच्छे बच्चों को भी खराब कर सकते हैं। तो बेहतर है ऐसे बच्चों को जो अच्छे हैं, जो बहुत मधुर रहे हैं, प्रोत्साहित करें, 

इसलिए मैं मेरी छोटी उम्र, मेरे बचपन और सपने के बारे में सोचती हूं कि, यह कैसे सच हुआ है। मैंने जो कुछ भी सपने देखे, वह मेरी कल्पना से परे है। यह अब हो गया है, जहां तक ​​मेरा संबंध है, आपको मेरी अधिक आवश्यकता नहीं है, ज्यादा नहीं। आपको परामर्श के लिए जो कुछ भी आवश्यक था, मैंने आपको बता दिया है। मैंने तुम्हें अन्य लोगों की मुक्ति और उन्हें सुगति देने के तरीके सिखाए हैं। आप सब कुछ जानते हैं। अब बस इस कला में महारत हासिल करो। अपने अतीत को भूल जाना। आप सभी महान लोग हैं, आप सभी। तो, अगले साल भी, मुझे आप इस आसन पर बैठे हुए दिखें, न कि मेरी गोद में (हंसी)।

अपने दम पर, अपने बच्चों को सिखाना। अब दूसरी पीढ़ी शुरू करें। पहली पीढ़ी तैयार है, अब दूसरी पीढ़ी को आना है और आपको दूसरी पीढ़ी की देखभाल करनी है। मैं बहुत ही पोते-पोतियों की असली दादी बनना चाहती हूं, यह एक विशेष विशेषाधिकार और वास्तविक पदोन्नति और परिपक्वता है। इसे देखो (बारिश हो रही है)। वह आपके परामट्टा (सिडनी में नदी) (हँसी) में बाढ़ लाने जा रहा है।

क्योंकि मैंने अभी कहा है कि मैं पवित्र आत्मा (होली घोस्ट )हूँ, हर कोई अति-खुश और हर्षित प्रतीत होता है। तो मुझे यहां रखने के लिए और दुनिया भर के सभी सहज योगियों के बारे में सोचने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आज मुझे लगता है कि हमें कुछ तार भेजने चाहिए, यदि संभव हो तो लगभग बारह तार, सभी केंद्रों पर, यह कहते हुए कि माँ का 60 वां जन्मदिन बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। वह आशीर्वाद भेजती है, इस प्रकार से| वे बहुत खुश होंगे। लेकिन भारतीय पद्धति के अनुसार यह 61वां है क्योंकि जिस दिन मेरा जन्म हुआ, वह भी जन्मदिन था। वह एक वास्तविक जन्मदिन था।

इसलिए वे इसे 61 कहते हैं, और हम भारत में भी एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रहे हैं।

आप विशेष रूप से कृपा पात्र लोग हैं, और मुझे आशा है कि आप मुझे भी विशेष रूप से अनुगृहित करेंगे। मुझे उम्मीद है कि इस साल आप सभी एक नई भूमिका और जीवन की एक नई शैली अपनाने जा रहे हैं, जहां आप विनम्र पुरुष, दब्बू लोग नहीं अपितु विनम्र पुरुष और विनीत महिलाएं बनें। महिलाओं को अधिक विनम्र, घरेलू होना चाहिए। वे अच्छे लगेंगे। वे कोमल हो जाएंगे, वे बेहतर मुस्कुराएंगे, वे इतना आनंद पैदा करेंगे। हम यहां आनंद पैदा करने के लिए हैं न कि मज़ा पैदा करने के लिए, किन्ही कृत्रिम अधिकारों का लाभ लेने के लिए। हम कितना आनंद पैदा करते हैं? हम दूसरों को कितना आनंद देते हैं? तो आज इस महान अवसर पर हमें अपने आनंद को अपने दिल में महसूस करना है। हमारे भीतर बहुत गहराई में वह आनंद का स्रोत है। तो हमें अपने भीतर गहराई में जाना होगा और आपकी इस साठ वर्षीय मां के आनंद को महसूस करना होगा, जो मेरे भीतर है। अंदर गहरे जाओ, यह वहाँ है, इसका आनंद लो और फिर इसे दूसरों को दो। आनंद के स्त्रोत्र की तरह आपको देना चाहिए।

परमात्मा आप को आशिर्वादित करे।

अब सभी राष्ट्रों में घोषणा करें कि,  मैं पवित्र आत्मा (होली घोस्ट) हूँ और मैं इस विशेष समय के लिए आई हूं, जो कि पुनरुत्थान का समय है।