Holi Puja New Delhi (भारत)

होली पुजा, २९।३।१९८३ , दिल्ही, इंडिया दिवाली के सुभ अवसर पे (सहजयोगी : होली श्री माताजी ) हा होली ! में यही सोचा कुछ गरबड़ कह दिया। लेकिन  कल दिवाली की बात कही थी ना यही ख्याल बना। फिर  होली के शुभ अवसर पे आज दिवाली मनाई जाएँगी।  होली के दिन आप जानते है की होलिका को जलाया गया। अग्नि का बड़ा भारी दान है कार्य है क्योंकि अग्नि देवता ने होलिका को वरदान दिया था की किसी भी हालत में तुम जल नहीं सकती।  और किसी भी कारण से मृत्यु आ जाए पर तुम जल नहीं सकती। और वरदान दे करके वो फिर बहोत पछताए। क्योकि प्रह्लाद को लेकर वो गोद में बैठी। और अग्नि देवता के सामने प्रश्न पड़ा , धर्मं का प्रश्न, की मैंने उनको वचन दे दिया इनको तो में जलाऊंगा नहीं और इस वचन को अभी में कैसे भंग करू ? और प्रह्लाद तो स्वयं साक्षात् अबोधिता है , स्वयं साक्षात् गणेश का पादुर्भाव है।  और इनको किस तरह से जलाया जाए ।  इनको तो कोई नहीं जला सकता। वो मेरी भी शक्ति से परे है। ये तो मेरी शक्ति से भी बड़े है। तो उन्होंने विचार ये किया की, “ये  अहंकार कैसा है की इतनी बड़ी शक्ति के सामने  में अपनी शक्ति की कौनसी बात कर रहा हूँ ? मेरी ऐसी कोई सी भी शक्ति नहीं है जो इनके आगे चल सके। इनकी शक्ति इतनी महान है । तो इनको तो में जला सकता ही नहीं चाहे जो कुछ भी करुलू । लेकिन इस Read More …