Sarvajanik Karyakram मुंबई (भारत)
Sarvajanik Karyakram, HINDI TRANSLATION (Marathi Talk) सत्य की खोज़ में रहने वाले आप सब लोगो को हमारा नमस्कार। आज का विषय है ‘प्रपंच और सहजयोग’। सर्वप्रथम ‘प्रपंच’ यह क्या शब्द है ये देखते हैं । ‘प्रपंच’ पंच माने | हमारे में जो पंच महाभूत हैं, उनके द्वारा निर्मित स्थिति। परन्तु उससे पहले ‘प्र’ आने से उसका अर्थ दूसरा हो जाता है। वह है इन पंचमहाभूतों में जिन्होंने प्रकाश डाला वह ‘प्रपंच’ है। ‘अवघाची संसार सुखाचा करीन’ (समस्त संसार सुखमय बनाऊंगा) ये जो कहा है वह सुख प्रपंच में मिलना चाहिए। प्रपंच छोड़कर अन्यत्र परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती। बहतों की कल्पना है कि ‘योग’ का बतलब है कहीं हिमालय में जाकर बैठना और ठण्डे होकर मर जाना। ये योग नहीं है, ये हठ है। हठ भी नहीं, बल्कि थोड़ी मूर्खता है। ये जो कल्पना योग के बारे में है अत्यन्त गलत है। विशेषकर महाराष्ट्र में जितने भी साधु-सन्त हो गये वे सभी गृहस्थी में रहे। उन्होंने प्रपंच किया है। केवल रामदास स्वामी ने प्रपंच नहीं किया । परन्तु ‘दासबोध’ (श्री रामदासस्वामी विरचित मराठी ग्रन्थ) में हर एक पन्ने पर प्रपंच बह रहा है। प्रपंच छोड़कर आप परमात्मा को प्राप्त नहीं कर सकते। यह बात उन्होंने अनेक बार कही है। प्रपंच छोड़कर परमेश्वर को प्राप्त करना, ये कल्पना अपने देश में बहुत सालों से चली आ रही है। इसका कारण है श्री गौतम बुद्ध ने प्रपंच छोड़ा और जंगल गये और उन्हें वहाँ आत्मसाक्षात्कार हुआ। परन्तु वे अगर संसार में रहते तो भी उन्हें साक्षात्कार होता। समझ लीजिए हमें दादर Read More …