Seminar, Mahamaya Shakti, Evening, Improvement of Mooladhara

University of Birmingham, Birmingham (England)

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                                            महामाया शक्ति

बर्मिंघम सेमिनार (यूके), 20 अप्रैल 1985. भाग 2

श्री माताजी: कृपया बैठे रहें।

क्या यह सब ठीक है?

क्या आप ठीक रिकॉर्ड कर रहे हैं?

सहज योगी: हाँ माँ

तो इसी तरह से महामाया के खेल होते हैं | उन्होंने हर चीज की योजना बनाई थी। उनके पास सारी व्यवस्था बनायीं थी और साड़ी गायब थी। ठीक है। तो उन्होंने आकर मुझे बताया कि साड़ी गायब है, तो अब क्या करना है? उनके अनुसार, आप साड़ी के बिना पूजा नहीं कर सकती हैं। तो मैंने कहा, “ठीक है, चलो इंतजार करते हैं ।” यदि यह साडी समय पर आती है तो हम पूजा करेंगे; अन्यथा हम यह बाद में कर सकते हैं। लेकिन मैं बिलकुल भी परेशान नहीं थी,ना अव्यवस्थित । क्योंकि मुझे इसका कोई मानसिक अनुमान नहीं है। लेकिन अगर आपके पास एक मानसिक अवधारणा है की , “ओह, हमने सब कुछ प्रोग्राम किया है, सब कुछ व्यवस्थित किया है। हमने यह कर लिया है और अब यह व्यर्थ जा रहा है। ” कोई बात नहीं कुछ भी  फिजूल नहीं है। [हसना]

लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाते। चूँकि आपने आज मुझसे पूछा था, “महामाया क्या है?”, यही है वो महामाया । [हसना]

आपको अपने मार्ग में जो कुछ भी आता है उसे स्वीकार करना सीखना चाहिए। यह भी एक चीज़ है और चूँकि हम एक मानसिक कल्पना कर लेते हैं इसलिए,यहाँ हम निराश, क्रोधित, परेशान हो कर और अपने आनन्द को बिगाड़ लेते हैं। मानसिक रूप से हम कुछ गणना करते हैं। ऐसा होना ही है। और यह वास्तव में एक तरीके का सूक्ष्म अहंकार है। क्योंकि मैंने सोचा था| “यह तो प्रारब्ध ही है, सब ठीक है। यह हम कल करेंगे। क्या फर्क पड़ता है?”  मैंने श्री श्रीवास्तव से कहा था कि, किसी भी स्थिति में मैं लगभग दो बजे वापस आऊंगी।

उन्होंने कहा, “सुबह क्यों नहीं?”

“मुझे नहीं लगता कि यह संभव होगा।”

तो यह है कि आप कैसे अव्यग्र बन जाते हैं – व्यग्र का अर्थ है चिंतित व्यक्ति – अव्यग्र अर्थात वह व्यक्ति जो चिंतित नहीं है। इसलिए हम दो चीजों के कारण चिंता करते हैं। सबसे पहले, हम चिंता करते हैं कि भविष्य में क्या होगा? भविष्य का कोई अस्तित्व ही नहीं है अगर आपने मन बना लिया है कि भविष्य में ऐसा होना चाहिए, तो आप परेशान हो जाते हैं। यह एक बात है। लेकिन यदि आपने कोई मानसिक चित्र नहीं बनाया है तो, आप देखेंगे कि दृश्य पर क्या आता है। आप जो कुछ भी प्रकट होगा वह देखेंगे। तब आप चिंतित नहीं होंगे, क्योंकि आप वह देखने के लिए उत्सुक हैं जो भी होने वाला है। यह एक तरीका है, जिस कारण से आप आहत महसूस करते हैं, या आप चिंतित हैं।

दूसरी बात यह है कि जब आपने एक कल्पना, उस समय की तस्वीर का निर्माण कर लिया है “ओह, हम अभी पूजा करने जा रहे थे, और अब हम नहीं कर पा रहे हैं।” तो आप परेशान हैं। क्या फर्क पड़ता है? और फिर आप मेरी बात का आज और पूजा कल आनंद नहीं ले सकते। क्योंकि आज आपको लगता है कि यह पूजा होने जा रही थी। हम सब बहुत अच्छे कपड़े पहन कर तैयार हुए हैं। बहुत अच्छा [हंसी]

पूजा के लिए तैयार होने के लिए हम इतना समय देते हैं। सब ठीक है, यह हम कल करेंगे। क्या फर्क पड़ता है? हमने वास्तव में खुद को अच्छी तरह से सजाया है। हम सभी पूजा के लिए तैयार थे, हम यहाँ पूजा के लिए बैठे थे, और अब क्या हुआ!

मैंने पूजा के लिए अपनी साड़ी बिल्कुल नहीं पहनी थी। मुझे पता था कि क्या आ रहा था [हंसी] तो, आप सब का इस अवस्था में दिखना उचित ही है। क्योंकि आम तौर पर पूजा में, मैं आपको कभी भी इस तरह से कपड़े पहने हुए देख नहीं पाती हूँ क्योकि, मैं अपने आप में व्यस्त होती हूं। अब मैं आपको अच्छी तरह से कपड़े पहने देख सकती हूं। मैं इसे लेकर बहुत खुश हूं। और हमें निराश करने के लिए ये मानसिक बातें जिम्मेदार हैं। जैसे मैं आपको पैसे के बारे में बता रही थी। यही होता है। भारत में लोग आते हैं। वे सामान खरीदने के लिए धनराशी निश्चित रखते हैं। आप देखिए, कई बार वे इस तरह से भरे हुए आते हैं जैसे की वे व्यापारी हों। कस्टम विभाग इतने दयालु हैं, मेरा मतलब है कि सहज योगियों के लिए तो एक मुफ्त पास है, चाहे वह भारत में हो, या इंग्लैंड में या कहीं भी। और फिर उनके पास एक काल्पनिक तस्वीर होती है कि, “हम यह खरीदेंगे।” ठीक है? “और देखें कि हम कितना खर्च करेंगे।” और अगर उन्हें कुछ पैसा किसी अन्य उद्द्येश्य पर खर्च करना पड़ता है, तो वे परेशान हो जाते हैं क्योंकि उन्होंने इतना ही खर्च करने का फैसला किया है। तो फिर वे कुछ पैसे खर्च करने जा सकते हैं। यह भी, आप देखते हैं कि महामाया कैसे काम करती हैं, आप देखिए? यह आप सभी के साथ हुआ है। तो वे जाकर कुछ खरीदते हैं।

मैं आपको बताती हूं कि एक बार गेविन ने एक छवि को खरीदा था। मुझे नहीं पता है कि उन्होंने इसका कितना भुगतान किया, मुझे लगता है कि 500 ​​रुपये – नहीं,आपने  कितना भुगतान किया, करीब 4,000 या मुझे नहीं पता। उसके लिए आपने कितने पाउंड का भुगतान किया?

गैविन: चालीस पाउंड।

चालीस पाउंड। उन्होंने उस चीज के लिए चालीस पाउंड का भुगतान किया। मैं उसके लिए पाँच पौंड भी नहीं देती। 

और मैंने कहा, “यह क्या है? आपने कैसे इसे खरीदा? ”

 “ओह, यह एक बहुत अच्छी चीज़ है, माँ। हमें आगरा में मिल गया।”

मैंने कहा, “यह नेपाल से है। अगर आप इसे आगरा में खरीदते हैं, तो मुझे लगता है कि यह बहुत महंगा है और यह इतना बेकार है। ” लेकिन सबसे बुरा था वायब्रेशन बहुत बुरे थे । उन्हें लगा कि उन्होंने कुछ बढ़िया खरीदा है। और उसके चैतन्य बहुत खराब थे और मैंने इसे देखा। 

तो उसने कहा, “ठीक है, माँ। मैं इसे आपके घर में रखूंगा और आप इसके चैतन्य में सुधार करेंगे। ” मैंने कोशिश की। यह काम नहीं किया। 

मैंने कहा, “गाविन, अब क्या करना है? अब आप इसे थेम्स में डुबो दो । मुझे नहीं पता कि क्या है। ” और फिर सौभाग्य से यह हुआ कि,

 सी.पी. ने कहा कि, “मुझे कुछ बुद्ध संबंधी उपहार जापान ले जाना है।”

 मैंने कहा, “ये जापानी प्रदर्शक किसी काम के नहीं हैं। उन्हें कोई भी भूत परेशान करने वाला नहीं है। ” तो उन्होंने कहा, “क्या मैं कुछ खरीद सकता हूं?”

मैंने कहा, “बुद्ध संबंधी चीज़े मतलब की उनका, यहां मिलना आसान नहीं है।” “लेकिन मेरे पास एवलोखीतेश्वर है। क्या आप इसे लेना चाहेंगे? ” 

उन्होंने कहा, “कीमत क्या है?”

मैंने कहा, “चालीस पाउंड।” 

उन्होंने कहा, “सब ठीक है। ठीक है। मैं इसे ले जाऊँगा। और उन्होंने इसे चालीस पाउंड में खरीदा। मैंने कहा, “ठीक है। इसे जापानी साथी को दें। ” वह बहुत ही दुष्ट व्यक्ति था।

मैंने कहा, “उसके लिए अच्छा है।” और देखिये,  चूँकि मुझे पता था कि इसका कहीं न कहीं कोई उद्देश्य होगा, इसलिए मुझे यह मिला।

तो यह है कि हमारी मानसिक काल्पनिक छवियां इतनी कठोर हैं कि हमारी समझ में कोई लचीलापन नहीं है। और अगर आप इसे लचीला बनाना शुरू करते हैं (और यह बहुत प्रारंभिक चरण था जब गेविन भारत गया था, बहुत शुरुआत में | अब वह भिन्न हो गया है।) इसलिए यदि आप लचीले हो जाते हैं, तो जो होता है आप इसका आनंद देखिए। आप देखें कि चीजें कैसे समायोजित होती हैं। लेकिन अगर वह कठोर हो, तो आप स्वयं अपनी कठोरता में ही फंस जाते हैं। और आप इसका कभी आनंद नहीं ले सकते, क्योंकि महामाया शक्ति की कोई गतिविधि नहीं हो पाती है। और तब आप निराश महसूस करते हैं। आप देखिए यह सब आपकी अपनी ही बनायीं हुई रचना है। मानसिक कल्पना आपकी ही रचना है, और विनाश भी आपकी ही रचना है। उसके लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं है। तुम ज़िम्मेदार हो। लेकिन करता कौन है  ‘महामाया ‘, “संकल्प विकल्प करो”, आप जो कुछ तय करते हैं। आप कहते हैं, ” आज मैं बर्मिंघम जाऊँगा। मुझे बर्मिंघम जाना है। मैं ध्यान के लिए नहीं आ सकता मुझे करना होगा….।” कुछ समय बाद आप पाएंगे कि , सहज योग के लिए जो आवश्यक है वह करे बिना अन्य कुछ भी करना असंभव है। क्योंकि जब भी तुम कुछ करने की कोशिश करोगे, तुम पाओगे कि वह तुम्हें कुंठित करेगा, वह तुम्हें परेशान करेगा। यदि नहीं, तो यह आपको एहसास दिलाएगा कि महत्वपूर्ण क्या है, क्या आप चूक गए हैं। कभी-कभी आप रास्ते में खो जाते हैं। आपको लगता है कि, “हे भगवान। हमने रास्ता खो दिया है। क्या करें? अब कहाँ जाना है? ”

अगर मैं तुम होती, तो मैं कहती, “ठीक है। हमने रास्ता खो दिया है। कुछ और की खोज करने की जरूरत होगी। ” और वहाँ मुझे ऐसा कुछ अन्य मिल रहा है, जिसकी मुझे बहुत दिनों से तलाश थी। मैं वहीं देखती हूं।

इसलिए यदि आप अपनी आत्मा आनंद देने वाली गुणवत्ता पर भरोसा करते हैं, तो आप किसी भी कीमत पर आत्मा की उस गुणवत्ता को खोना नहीं चाहेंगे। तब वह एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है और आप इन सभी सांसारिक, क्षणभंगुर चीजों के लचीलेपन को समझते हैं। वे सभी परिवर्तनशील हैं, केवल आप बदल नहीं सकते क्योंकि आप आत्मा हैं। आज मैं मूलाधार के बारे में बात करना चाहती थी, जो बहुत महत्वपूर्ण विषय है। मुझे लगता है कि मैंने कई बार इसके बारे में बात की है। लेकिन मुझे कहना होगा कि, पश्चिम में  हमारे गलत रवैये और अन्य बहुत हावी लोगों की गलत मानसिक कल्पनाओं की स्वीकार्यता के कारण, हमने अपने मूलाधार को बहुत बर्बाद कर दिया है।

इस तथ्य के बावजूद कि मूलाधार की शक्ति क्षीण थी, कुंडलिनी चढ़ गई है, और स्वयं को टिकाए रखा है, हमें पता होना चाहिए कि हम हमेशा अपने ही द्वारा रचित विभिन्न भेदभाव के जाल में फंस सकते हैं। यह बहुत गंभीर बात है कि  वास्तव में मूलाधार चक्र बिखेर दिया गया है, और यदि हम बहुत सावधान नहीं हैं तो हमने ऐसे तौर-तरीके बना लिए हैं की हमारा चित्त उन मे जा सकता है । अब माना  कि कोई व्यक्ति बेईमान है, या कोई कंजूस व्यक्ति है, या धन को उन्मुख है, यह बहुत ही स्थूल है और आप इसे इतने स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। आप खुद को देखते हैं और आप चौंक जाते हैं कि, “मैंने ऐसा क्यों कहा? मैंने ऐसा क्यों किया? ”

लेकिन जब बात इस बाईं तरफ की बेहूदगी माँ के खिलाफ पाप की आती है, तो यह एक गुप्त कार्य है जो केवल आपके और आपके ही बीच है। आपके दिमाग में क्या चलता है, आपके अलावा यह कोई नहीं जानता। किसी को नहीं पता कि आप अपनी निजता में, जब आप अकेले हों अगले पल क्या करने जा रहे हैं।

आपकी कुण्डलिनी माँ के अलावा कोई भी आप पर गौर नहीं कर सकता। मैं भी केवल तुम्हारे मूलाधार को महसूस करती हूं।

आप को बहुत स्पष्ट बताने के लिए, वही एक चक्र को महसूस करना स्वयं मेरे लिए भी मुश्किल है। कारण है, मेरे पास एक बहुत मजबूत मूलाधार है,  जो इतना संवेदनशील नहीं है। मैं कहूंगी, यह परवाह नहीं करता है। मेरे मूलाधार का चित्त किसी अन्य मूलाधार के पास नहीं जाता है। यह बस वापस आ जाता है, यह क्रिया हर समय चलती है। इसलिए मैं भी, जहाँ तक और जब तक यह बहुत बुरी तरह से बंद नहीं हो जाता है, मेरा मतलब है कि वह व्यक्ति मेरे बहुत करीब है, तो मुझे मूलाधार बहुत जोर से महसूस होता है। लेकिन फिर भी मैं कर सकती हूं। मान लीजिए आप मुझे आपके द्वारा उपयोग की गई कोई वस्तु देते हैं, तो मैं तुरंत इसे महसूस कर सकती हूं। तो मूलाधार का सुधार पूरी तरह आप पर निर्भर करता है। और एक मजबूत मूलाधार के बिना आप ऊंचा नहीं उठ सकते।

जो अच्छा लगे वो करें।

अब उन लोगों के लिए जो भारतीय हैं, जिन्होंने अपने मूलाधारों का सम्मान किया है, मूलाधार की शक्ति को बढ़ाने के लिए बहुत सारे विधियाँ और तरीके दिए गए हैं। लेकिन यह पश्चिमी लोगों के साथ काम नहीं करता है, क्योंकि यह एक क्षतिग्रस्त है। यह वह है जो बिखर गया है, और जो मूलाधार के भौतिक पक्ष पर काम नहीं करता है, लेकिन भावनात्मक पक्ष जिसे की हम “मन” कहते हैं, बाईं ओर पर करता है । तो, भले ही आप उस तरीके से बात न करें, लेकिन आपका मन अभी भी उसी दायरे में है। और आप अभी भी उस दायरे में सोचते हैं। मानसिक रूप से भी, आप इसमें हैं। या आप चीजों को देख रहे हैं, ऐसी चीजों को देखना चाहते हैं, ऐसी चीजों का आनंद लेना चाहते हैं। वह मोहक आकर्षण अब भी है। आपका मूलाधार मजबूत नहीं हो सकता। और हमें अहसास करना होगा कि मैं पश्चिमी लोगों से बात कर रही हूं। यही बात मैं भारत के लोगों से इस तरह नहीं कहूंगी।

इसलिए अब हमें ज्यादा मेहनत करनी होगी। अपने आप से निपटने के लिए, चोकस रहना। और यह एक मानसिक गतिविधि है – “मानसिक” जिससे मेरा मतलब है भावनात्मक पक्ष। आपको अपना MIND देखना होगा। अंग्रेजी में, यह एक बहुत ही मजेदार शब्द है “MIND”, लेकिन “मन”, जिसके माध्यम से हम अपनी इच्छाओं, अपने भावनात्मक पक्ष की पूर्ति करते हैं। ये कहां जा रहा है? हमारे मन की यह गति किधर है? यह क्या कर रहा हैं? आपको अपने मन के खिलाफ खड़ा होना होगा, अपनी इच्छाओं के खिलाफ खड़ा होना होगा, या आप इसका सामना कर सकते हैं और खुद देख सकते हैं कि क्या हो रहा है। यह आपको तय करना है कोई भी आपको इस बिंदु पर सुधार करने वाला नहीं है। मुझे पता है कि आप लोग मेरे समक्ष कबूल कर रहे हैं। बहुत स्पष्ट कहूँ तो, मैंने आपके पत्र कभी नहीं पढ़े। आपने जो भी पत्र भेजे, मैं उसे नहीं पढ़ूंगी। आपने जो भी बयान दिए हैं, मैंने उन सभी पत्रों को जला दिया। आपने जो कुछ भी किया था, उसके बारे में मुझे कोई विचार नहीं आया। न ही मैं इसके बारे में जानना चाहती हूं। यह मेरी परवाह का विषय नहीं है। मेरी चिंता यह है कि अब आप उन्ही विचारों पर, उसी स्तर पर, या जो हम कह सकते हैं,किसी भी स्तर पर, ध्यान नहीं देते हैं।

गलत प्रकार के मूलाधार से जो विचार आपको आते हैं उनका मुकाबला आप 

 निर्विचार जागरूकता से कर सकते हैं ।

हो सकता है कि आप में से कुछ लोगों के मूलाधार पर भूत जमा हो। और हमारे पास इस तरह के भूतों के लिए कुछ भौतिक उपचार भी हैं, जो किसी समय मैं गेविन को  बताऊंगी, जो आप पूछ सकते हैं। लेकिन आप हमेशा यह नहीं कह सकते कि, “ मैं तो बिलकुल ठीक हूं,यह तो एक भूत है। मैं भूत से दूर हूं। ” दरअसल तुम नहीं हो। जब भी आप कहते हैं, “मुझे भूत है,” का अर्थ है कि आप भूत का पक्ष ले रहे हैं।

आप एक व्यक्ति को साक्षी के रूप में देखते हैं। इसका मतलब है कि आप उस व्यक्ति को देखते हैं लेकिन आप आनंद को नष्ट करने वाली प्रतिक्रिया नहीं करते है| आप लोग स्वयं अपने मूलाधारों को बहुत अच्छी तरह से महसूस कर सकते हैं। आप इसे अपनी उंगलियों पर भी महसूस कर सकते हैं। और इसके प्रति सतर्क रहें। अगर आप खुद पर दयालु होना चाहते हैं, तो जान लें कि आपको अपना चित्त एक पवित्र विवाहित जीवन की ओर लगाना होगा। लेकिन यह भी बहुत ज्यादा नहीं होना चाहिए। क्योंकि मैंने अब जो जाना है, वह यह है कि पश्चिम में लोगों ने अपना चित्त एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित करने के तरीके विकसित किए हैं। उन्होंने अपने शुद्ध चित्त को नष्ट करने की विभिन्न प्रकार की मानसिक कलाबाजी विकसित की है। इन पर मत खेलो।

ऐसी कई अन्य चीजें हैं जिनके द्वारा हम व्यक्त करते हैं कि हम अभी भी एक ख़राब मूलाधार के जाल में हैं। अन्य लोगों को प्रभावित करने के लिए जिस तरह से आप कपड़े पहनते हैं, जिस तरह से आप चलते हैं, जिस तरह से आप बैठते हैं, जिस तरह से आप बात करते हैं, जिस तरह से आप व्यवहार करते हैं। मुझे सहज योग में अन्य लोगों से प्रभावित होना है। एकमात्र प्रभाव जिसे वास्तव में काम करना चाहिए वह उस उत्थान की ऊंचाई है जो दूसरों ने हासिल की है। तुम कर सकते हो; यह कठिन नहीं है। जब कुंडलिनी ऐसे सभी टूटे हुए मूलाधारों के बावजूद उठ सकती है, तो मुझे यकीन है कि आप अपने मूलाधार को पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं। लेकिन आपका सवाल सबसे पहले मूलाधार को मजबूत करना है, जिसके लिए मुझे लगता है कि आप सभी को एक तरह की तपस्या में जाना होगा।

इसीलिए मैं कभी-कभी कहती हूं कि पश्चिमी लोगों को मांस कम लेना चाहिए, खासकर लाल मांस और गाय का मांस, और घोड़े, और कुत्ते – और मुझे नहीं पता कि आप और क्या खाते हैं। [LAUGHS] शाकाहारी भोजन अधिक लें। मैं केवल शाकाहार नहीं कह रही हूं, आप इसे समझते हैं। उन चीजों का अधिक सेवन करें जो आपको शरीर में इतनी गर्मी न दें। यहां तक ​​कि मछली बहुत कष्टकारी है। इसलिए एक ऐसे जीवन में ले जाएं जो एक तरह से तपस्वी हो, लेकिन इन भयानक स्वास्थ्य खाद्य पदार्थों को भी न लें। मैं उन्हें सहन नहीं कर पाती  मैं आपको बताती हूं। वे इंसानों के लिए नहीं, बल्कि मेरे विचार से जानवरों के लिए हैं। वे आपके पेट को पूरी तरह से काटते हैं, और यह भयानक है। इस कंट्री स्टोर की चीज़ जो मैंने एक बार ली और मैंने कहा, “यह बहुत हो गया !” कंट्री स्टोर – पूरा देश मेरे पेट में चला गया। [हंसते हुए]

तो आप लोगों के लिए, कहाँ जाना है?

जो लोग मूलाधार की समस्या से पीड़ित हैं उन्हें पता होना चाहिए कि भोजन मूलाधार की शक्तियों को प्रभावित करता है। तो अगर आपको इसे ठीक करना है, तो सबसे पहले आपको इसे शांत करना होगा, यह अति-उत्तेजित, अति-उत्साहित है। आप जिस किसी भी पुरुष को छूते हैं, आप जिस किसी भी महिला को छूते हैं, आप जिस किसी भी महिला को देखते हैं … मैं इसे बस समझ नहीं पाती, यह बंदरों से भी बदतर है। भयानक। आपको इसे शांत करना होगा, इसे ठंडा करना होगा, ताकि गणेश आपके मूलाधार पर अपना आशीर्वाद प्रदान करें। कोई गरिमा नहीं है। लेकिन यह इतना बाहर नहीं है कि मैं यह कह सकूं कि, “आपको खुद का सम्मान करना चाहिए।” मुझे मालुम है कि,यह केवल उन शब्दों के साथ कार्यान्वित नहीं हो सकता। आपको बैठना है, ध्यान करना है और इसे शांत करने का प्रयास करना है। मैं गैविन के साथ चर्चा करूंगी और मैं उसे बताऊंगी कि इसके बारे में क्या किया जा सकता है, चूँकि मैं आपको इस तरह से यहाँ खुले में नहीं बता सकती। लेकिन फिर भी यह सब शारीरिक है। मानसिक रूप से आपको यह देखने के लिए चौकस होना चाहिए कि यह मन कहाँ जाता है – गंदी चीजों के लिए। यह हमेशा इस सनसनी की तरफ क्यों जाता है? पक्षियों को देखें, फूलों को देखें, प्रकृति को देखें, सुंदर लोगों को देखें, बस उन्हें देखें।

पश्चिम में एक और भयानक बात यह है कि पुरुषों को उत्तेजित करने के लिए महिलाओं को अपने शरीर को उघाड़ना चाहिए।  मुझे लगता है कि,पुरुष भी ऐसा ही करते हैं। वे हमेशा एक-दूसरे को उत्तेजित करने और मूर्खतापूर्ण उत्तेजना में रहने की कोशिश करते हैं। आपको सुंदर चीजों को उजागर करना होगा, जैसे फूल, सुंदर गहने। ठीक है? लेकिन तुम एक वस्तु नहीं हो! यह शरीर आपकी निजी संपत्ति है आप अपना सारा सोना सड़कों पर नहीं डालते हैं, क्या आप ऐसा करते हैं ? बेहतर है कि कभी कोशिश कर के देखें । लोगों को अपना सोना लूटते देख आपको बुरा लगेगा, लेकिन आप अपनी पवित्रता को लुटते देख बुरा नहीं मानते। हर कोई आपको गंदी निगाहों से देख रहा है। आप अपमान महसूस नहीं करते। चूँकि अहंकार एक भद्दा क्रिया-कलाप है। यह बुरा नहीं मानता ,उसे खुशी महसूस होती है कि लोग आपको देख रहे हैं। वे तुम्हें लूट रहे हैं। वे आपकी पवित्रता को लूट रहे हैं। लेकिन सहज योगी ऐसे नहीं हैं। लेकिन फिर भी मुझे कहना होगा कि आपको अपने दिल को साफ करना चाहिए, अपने मन को साफ करना चाहिए, अपने आप को इससे बाहर निकालना चाहिए।

मन बहुत मजेदार तरीके से लगाए गए हैं, और इसीलिए सबसे बड़ी जटिलताएं लोगों के दिमाग में हैं। वे बहुत भ्रमित हैं, बहुत भ्रमित लोग हैं। क्योंकि इस तरह के जीवन में कोई विवेक नहीं है। आप सिर्फ एक सेक्स-उन्मुख व्यक्तित्व बन जाते हैं। यह वास्तव में सिर्फ दूसरा ही तरीका है। यदि आप धन-उन्मुख हैं, तो आप धन को संरक्षित करना चाहते हैं। यदि आप संपत्ति-उन्मुख हैं तो आप इसे संरक्षित करना चाहते हैं। यदि आपको एक छोटा सा एंटीक टुकड़ा मिलता है तो आप उसे संरक्षित करना चाहते हैं। तो क्यों नहीं आपकी यह संपत्ति जो सबसे उच्चतम है, संरक्षित की जाने योग्य है, पूजा की जाने योग्य है?

मैं उस बिंदु पर काफी चिंतित हूं कि गुप्त रूप से लोग ऐसी चीजों में लिप्त हैं। और वे कभी-कभी पाखंडी होते हैं, वे इसके बारे में पाखंडी होने को बुरा नहीं मानते हैं। वे सहज योगी हैं, सब ठीक है, लेकिन इस मामले में उन्हें लगता है कि वे जैसा चाहते हैं, वैसा कर सकते हैं। और कभी-कभी उनमें से कुछ कहते हैं कि “माँ ने कहा है कि यह सब ठीक है।” मैंने ऐसा कभी नहीं कहा! एक बात यह है कि मैं समझौता नहीं कर सकती। आपका खुद के प्रति, अपने जीवन के प्रति, अपने अस्तित्व और व्यक्तित्व के प्रति,  एक पवित्र दृष्टिकोण होना चाहिए। आप संत लोग हैं। और अगर किसी संत का चरित्र अच्छा नहीं है – मैं इसे चरित्र कहती हूं,  चरित्र का सार – तो वह संत नहीं है।

इसलिए इस पवित्रता को बनाए रखना होगा। उस पर कोई समझौता नहीं हो सकता। आप हर चीज की जड़ों पर प्रहार नहीं कर सकते। अगर यह सामूहिक रूप से काम करता है, तो कोई भी अपने आप को धोखा नहीं देता है, कोई भी अपने आप को धोखा नहीं देता है और मन को उत्थान के सही मार्ग पर रखता है। उत्थान के बारे में सोचते हुए कि, आप कैसे विकसित होने वाले हैं, उन क्षणों के बारे में सोचकर जब आप आनंदित थे, उस दिन के बारे में सोचकर जब आप मुझसे पहली बार मिले थे, अन्य सभी सुंदर और पवित्र चीजों के बारे में सोचते हुए, आपका मन साफ ​​हो सकता है। और जब भी ऐसा कोई विचार आता है, तो आपको कहना होगा, “यह नहीं, यह नहीं, यह नहीं।” यह शारीरिक से अधिक मानसिक है, मैं आपको बताती हूं। मुझे पता है कि यह मुश्किल है, लेकिन अगर आपको यह आत्मसाक्षात्कार हो सकता है तो यह भी क्यों नहीं?

आप सभी को यह समझना होगा कि इस पर कोई समझौता नहीं है। और एक दिन आ सकता है, अगर आप इसे जारी रखते हैं, तो आपको पूरी तरह से फेंक दिया जाएगा, जैसे किसी अन्य शैतान को निकाल बाहर किया जाता है। इसलिए कोई समझौता नहीं है। अपने आप से कहो कि, अपने आप को धोखा मत दो, अपने आप को धोखा मत दो। अगर आपके भीतर कोई भी खींचने वाली चीज है तो आप का उत्थान नहीं हो सकता । आपको नीचे खींच लिया जाएगा, क्योंकि आपकी कमजोरी है, और आप कमजोर हो जाएंगे, और कमजोर और अधिक कमजोर हो जाएंगे।

केवल सवाल “आपका चित्त कहाँ है?” डाइवर्ट। अपना चित्त हटाओ। पहले आपको कुछ व्यायाम, कुछ प्रयास की आवश्यकता होगी, और बाद में यह स्वचालित रूप से आ जाएगा। आपको प्रयास नहीं करना होगा, आपको चिंता नहीं करनी होगी। बल्कि,इसके विपरीत, इसके अलावा कैसे रहे वैसा होना असंभव हो जाएगा। इतनी जड़ताएं [आदतें] है। हम इन आदतों [कंडीशनिंग] के वश में हो कर जिये हैं, हमने खुद को बर्बाद कर दिया है। ये आदतें [कंडीशनिंग] सब से सूक्ष्मतम है, और सब से बुरी है। सहज योग में इनसे मुकाबला करना असंभव है, जहाँ तक और जब तक आप व्यक्तिगत रूप से  जिम्मेदारीपूर्वक देख-भाल नहीं करते हैं।

मूलाधार सबसे नाजुक और सबसे शक्तिशाली चक्र में से एक है। इसमें कई तह हैं और इसके कई आयाम हैं। यदि आपका मूलाधार ठीक नहीं है, तो आपकी स्मृति विफल हो जाएगी। यदि आपका मूलाधार ठीक नहीं है, तो शुरूआत में, आपकी बुद्धि विफल हो जाएगी। आपको दिशा का कोई बोध नहीं होगा। चालीस साल की उम्र से पहले अमेरिका में जो पागलपन अब आ रहा है, क्योंकि उनके मूलाधार खराब हैं। ज्यादातर शारीरिक पक्ष की बीमारियां जो लाइलाज हैं, कमजोर मूलाधार की वजह से होती हैं। मानसिक तौर पर, हमने वहां जो भी मानसिक समस्याएं देखीं, उनमें से ज्यादातर, मैं कहूंगी कि नब्बे प्रतिशत, कमजोर मूलाधार के कारण हैं। यदि किसी व्यक्ति के पास एक मजबूत मूलाधार, शक्तिशाली मूलाधार है, तो यह मुश्किल में नहीं पड़ता है। क्योंकि आपको पता है कि वहाँ पीछे मूलाधार की बहुत मजबूत पकड़ है। [श्री माताजी सर के पीछे हाथ रखती हैं ]।

और जब आपका मन बिगड़ जाता है, तो आप मस्तिष्क को दोष देते हैं। यह मस्तिष्क नहीं है, ज्यादातर यह मूलाधार है। इसलिए शारीरिक सुरक्षा के लिए और अपनी भावनात्मक सुरक्षा के लिए भी आपको मूलाधार के प्रति एक संवेदनशील रवैया रखना होगा। इसलिए मुझे बहुत परवाह है कि आप सभी को शादी कर लेनी चाहिए, और शादी के बाद, कुछ दिनों के बाद, आप पाते हैं कि आपका चित्त विवाहित जीवन की अन्य समस्याओं की तरफ मुड़ना शुरू कर देता है| लेकिन अगर आप सहज योगी नहीं हैं तो ऐसा नहीं होता है, क्योंकि सनसनीखेज आधुनिक जीवन का मुख्य विषय बन गया है। और आप को,  लोगों के इन सभी सोची समझी कार्यवाही के क्षुब्ध समुद्र में उछाला जाता है। मीडिया, किताबें, विचार, सब कुछ, आपके भीतर इस भयानक उत्तेजक स्वभाव को बनाता है।

ऐसे व्यक्ति के पास कोई धैर्य नहीं है, कोई संतुलन नहीं है। वास्तव में वह पाखंडी है, और उसे बहुत बिगड़ी हुई बायीं विशुद्धि है। इसको लेकर इतनी जटिलताएं होती हैं। आत्मसाक्षात्कार से पहले, अतीत को भूल जाओ। जो भी तुमने किया है, उसे भूल जाओ। बस चिंता मत करो। लेकिन एक बात याद रखें, कि आपने अपने मूलाधार को नुकसान पहुंचाया है। इसलिए आपको इसकी देखभाल करनी होगी, आपको इसे शांत करना होगा, आपको इसे सामान्य स्थिति में लाना होगा। आपको इसे एक स्वस्थ, संतुलित केंद्र बनाना होगा, ताकि श्री गणेश इस पर शासन कर सकें।

श्री गणेश के बारे में बात करते हुए, आप जानते हैं कि मेरे लिए बहुत अधिक चैतन्य हो गया है।

हम अबोधिता की बात करते हैं, लेकिन अपने भीतर की मासूमियत को जगाने के लिए हमें अपने मन के बारे में पूरी सतर्कता पर, पूरी नजर रखनी चाहिए। यह क्या सोच रहा है? ये कहां जा रहा है? यह चोर कहाँ जा रहा है? क्या वह कुछ चालबाजी के करने की कोशिश कर रहा है? क्या वह कुछ तरकीबें लगा रहा है? ठीक है! आपको सतर्क, बहुत सतर्क रहना होगा।

मैं लंबे समय से इसके बारे में बात करने की सोच रही थी। लेकिन अब मुझे आपको एक बात बतानी है कि, आप उजागर हो जायेंगे ,यह महामाया का एक अन्य गुण है कि, वह आपको उजागर करेगी।  यदि आप मेरे साथ चालें चलाने का प्रयास करते हैं, फिर आप उजागर होंगे। “मेरे साथ” का अर्थ है आपकी कुंडलिनी के साथ। यदि आप अपनी कुंडलिनी के साथ चालें खेलने की कोशिश करते हैं, तो आप उजागर होंगे। और आप खुद पर शर्मिंदा होंगे। तो कृपया सावधान रहें, इसके बारे में बहुत सावधान रहें कि, आप फिर से अपने मूलाधार को बहुत स्वस्थ और शक्तिशाली बनायें।

परमात्मा आपको आशिर्वादित करे!

इसलिए हमारी प्रार्थना होनी चाहिए कि “हमारे मूलाधार को स्वस्थ और मजबूत होने दें।” बस इतना ही। आओ प्रार्थना करते हैं।

मूलाधार के लिए कुछ अभ्यास हैं। मैं गेविन को समझाऊंगी जो कि इंग्लैंड में आपका नेता है। फिर वह आप को बताएगा। इसे मौखिक रूप से किया जाना चाहिए। इसे  लिखा नहीं जाना चाहिए। आश्रमों और अन्य स्थानों के नेताओं को हर महीने कभी-कभार आकर उनसे मिलना चाहिए, और इन बातों पर बात करनी चाहिए। क्योंकि यह एक रहस्य है, जिस पर खुलकर चर्चा नहीं की जानी चाहिए। यह आप और आपके अंदर का एक रहस्य है। इसे कहीं भी लिखा नहीं जाना चाहिए। इसका उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन आप सभी के द्वारा इस तरह से काम किया जाना चाहिए, ताकि आप श्री गणेश के आशीर्वाद का आनंद ले सकें। मैं कहूंगी, पुरुषों की तुलना में यह ज्यादा महिलाओं के लिए है। क्योंकि यह समस्या पुरुषों को महिलाओं की तुलना में बहुत अधिक होती है। और इसीलिए महिलाओं को बहुत सावधान रहना चाहिए। अपने भाइयों के साथ बहुत अच्छे संबंध विकसित करें। जहाँ तक और जब तक आप वास्तव में अपने उच्च चरित्र को स्थापित नहीं करेंगी, तब तक पुरुषों में सुधार नहीं किया जा सकता है।

आपने भारत में महिलाओं को देखा है, अगर कोई उन्हें देखने की या उन्हें छूने की कोशिश करता है, तो उन्हें यह पसंद नहीं है। वे इसे पसंद नहीं करती | महिलाओं ने खुद को मार डाला, खुद को जला दिया, उनमें से हजारों ने, क्योंकि उन्होंने सोचा कि कुछ अन्य लोग आ सकते हैं और उनके शरीर को छू सकते हैं। यह आपकी आत्मा से, आपकी आत्मा से संबंधित है। मानो वह शरीर है, निर्दोषता आपकी आत्मा का शरीर है। आप सभी हो सकती हैं, क्योंकि आप अब योगिनी बन गई हैं। वे योगिनियां नहीं थीं, लेकिन वे एक बात जानती थीं – उनकी पवित्रता की शक्ति। यहाँ महिलाओं के लिए यह ज्यादा प्रासंगिक है कि,  वे अपने चारों ओर पवित्रता की, कुलीनता की उस भावना को उत्पन्न करने का प्रयास करें, ताकि पुरुष स्वयं उनका सम्मान करें और अपने भीतर उस भावना को विकसित करें।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

ऐसे वायब्रेशन हैं। मानो कोई पूजा हो गई हो।

[योगिनी ने श्री माताजी की आज्ञा से श्री माताजी के बेक आज्ञा चक्र अथवा मूलाधार से चैतन्य प्रसारित किया।]

किसी को उदासी या बायीं विशुद्धि [दोषी भाव ]महसूस नहीं करना चाहिए, बल्कि इसका सामना करना चाहिए।

मुझे लगता है कि हम सभी को इस समय में ध्यान करना चाहिए। अपनी आँखें बंद करें।

जबरदस्त।

[योगिनी ने माताजी के कहने पर उसके हाथ माताजी की विशुद्धि की तरफ किये 

बिलकुल दोषी मत समझो।

[योगिनी माताजी के कहने से उनके हृदय की तरफ हाथ बढ़ाये है]

क्षमा मांगें कि सभी को दिल पर पकड़ है , लेकिन दोषी महसूस न करें। यह साफ़ हो जाएगा, आज प्रवाह काफी है।

[योगिनी ने माताजी के कहने पर उनके दायें हृदय की तरफ हाथ बढ़ाया ]

दिल पर हाथ रखो। इसे जोर से दबाएं। हृदय। इसे अपने मूलाधार द्वारा दबाएं। इसे अपने मूलाधार से दबाएं,  हृदय।

यह जोरदार  है।

[ASIDE: बायाँ मूलाधार ही बिंदु है , बहुत ज्यादा कुछ।]

 अगर आप महसूस कर सकें हृदय में ऐसा दर्द होता है। इसे अपने मूलाधार द्वारा  दबाएं, अपने मूलाधार के साथ इसे जोर से दबाएं। यह भाग। [हथेली के मूलाधार वाले हिस्से की तरफ संकेत किया ] इसे जम कर दबाएं।

क्या बच्चे दर्द महसूस कर रहे हैं?

[ASIDE: योगिनी: माँ, दिल में दर्द आपके आने से पहले ही शुरू हो गया था|}

श्री माताजी: देखिए। कृपया दोषी न महसूस करें।

अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं? बेहतर। वायब्रेशन देखें। मुझे निर्विचार में  देखिए। [SHRI MATAJI HOLDS A LIT LAMP BEFORE HER AGNYA] अपने चैतन्य देखें। अपने हाथ मेरे तरफ रखो और अपने स्पंदन को देखो। उन्हें [हाथ] थोड़ा ऊपर रखो। क्या आप अब स्पष्ट महसूस कर रहे हैं? वायब्रेशन अधिक हैं, बहुत अधिक हैं, क्या ऐसा नहीं हैं? बढ़िया| निर्विचार मन से अपने दिमाग को देखो। [SHRI MATAJI MEDITATES]। मैं आपके दिमाग को सुधारने की कोशिश कर रही हूं। अब बेहतर है। वायब्रेशन बेहतर हैं। निर्विचार मन से अपने दिमाग को देखो।