मदर्स डे पूजा, बच्चों पर बात
बर्मिंघम, इंग्लैंड 21 अप्रैल 1985।
कृपया बैठ जाएँ। गेविन नहीं आया है? क्या गैविन नहीं है?
बच्चों के साथ महिलाओं को भी पूजा के लिए बैठना चाहिए। वे अभी तक नहीं आए हैं? किसी को जाकर बताना होगा।
योगी: कार वाला कोई व्यक्ति कृपया मुख्य बिंदु तक जाए और लोगों को बताएं कि उन्हें पहुंचना चाहिए। बेहतर हो कोई कार वाले सज्जन।
श्री माताजी: ये क्या कर रहे हैं?
योगिनी: हमें दोपहर बारह से पहले कमरे खाली करने होंगे।
योगी: माँ, हमें अभी-अभी बताया गया है कि हमें अपने कमरे को बारह बजे तक खाली करना होगा, इसलिए इससे थोड़ा भ्रम हुआ है।
श्री माताजी: क्यों?
योगी: क्योंकि अधिकारी बारह बजे तक अपने कमरे वापस चाहते हैं।
श्री माताजी: ओह, मैं समझी हूँ। तो फिर…
योगी: क्या उन्हें अपने कमरे भी जल्दी खाली करने की कोशिश करनी चाहिए?
श्री माताजी: हाँ। लेकिन मैं पूजा को बहुत पहले खत्म कर दूंगी, ग्यारह तीस के करीब। वे तब जा सकते थे। क्योंकि अगर आप देर से शुरू करते हैं, तो फिर से देर हो जाएगी। किसी भी मामले में मुझे पूजा को जल्दी खत्म करना होगा, क्योंकि मैं पहले जा रही हूं।
योगी: क्या कई लोग जिनके पास कार है वास्तव में लोगों को हॉल में वापस आने में मदद कर सकते हैं …?
श्री माताजी: या वे अपने रास्ते पर हो सकते हैं। क्या वे सब एक साथ आ रहे हैं? बस सुनिश्चित करें कि, क्या वे एक साथ आ रहे हैं। जल्दी चलो, साथ चलो। यहां तक कि जो लोग बच्चों के साथ हैं उन्हें यहां आना चाहिए। उन्हें आने को कहें।
योगिनी: क्या मैं श्री सी.पी.को फ़ोन करूँ?
माताजी: जरूरी नहीं। हम ऐसा स्टेशन से करेंगे।
योगिनी: ठीक है, माँ।
माँ: फिर फॉलो-ऑन का क्या? वे यहां आएंगे आपको लगता है कि हॉल पा सकते है। मुझे लगता है, कुछ लोगों को हॉल में रहना चाहिए। ठीक है, आप जो कमरे खाली कर सकते हैं, क्योंकि आप यहां के लोगों को बुलाते हैं।
योगी: [… लेकिन उन्होंने कमरों को बंद कर दिया …]
श्री माताजी: अहा। आप कमरे (जो आपके पास है?) दे सकते हैं।
कृपया बैठ जाएँ। सभी बच्चों को यहाँ, चुपचाप बैठना चाहिए। चलो देखते हैं। बहुत अच्छी लड़कियाँ, बहुत अच्छी, हाँ। साथ आओ, तुम सब बैठ जाओ। कार्यक्रम में बच्चे होने चाहिए। वहाँ कौन है? सभी छोटे बच्चों को यहां होना चाहिए।
आज मैं आपसे बच्चों के बारे में बात करना चाहती हूं क्योंकि कल हमने मूलाधार वाले भाग के बारे में बात की थी। अब हम इतने सामूहिक क्यों नहीं हैं जितना हमें होना चाहिए था; बहुत अधिक सामूहिक? अगर आप देखें तो पश्चिमी जीवन में बचपन से ही हम पर जड़ताएँ होती रही है। हम अपने घरों में बंद हैं; हम दूसरों के साथ संबंध नहीं रखते हैं; हमें बचपन में बेहद संरक्षित रखा जाता है। मुझे लगता है कि माता-पिता को इस देश में डर है कि हम अपने बच्चों को खो देते हैं, क्योंकि वे डोल [1] (बेरोजगारी भत्ता) पाने की शुरुआत के बाद खो जाते हैं
अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता को छोड़कर चले जाते हैं। माता-पिता बेसहारा छोड़ दिए जाते हैं और उन्हें लगता है कि हमारे बच्चे थोड़ी सी भी इज्जत पाने पर हमें छोड़ देंगे। इसलिए वे उन्हें सिखाते हैं कि वे किसी से बात न करें, सभी से दूर रहें और अपने बच्चों को चिपके रहें, अपने बच्चों की देखभाल करें और वे बच्चे को दूसरी महिला से बात करते हुए नहीं देख सकते।
वे जलन महसूस करते हैं और उन्हें लगता है कि बच्चा खो सकता है क्योंकि उन्हें लगता है कि वे पर्याप्त प्यार नहीं दे सकते। अगर कोई भी उस बच्चे को प्यार दे सकता है तो उन्हें लगता है कि बच्चा खो जाएगा। और बच्चा भी एक ऐसा व्यक्तिवादी बच्चा बन जाता है जिससे वह विशेष प्रकार के व्यक्ति को पसंद करने लगता है और फिर कुछ समय बाद वह व्यक्ति उस बच्चे पर हावी होने लगता है और माता-पिता बच्चे को खो देते हैं। यह उस तरह से एक बहुत ही बीमार समाज है। जहां तक बच्चों का सवाल है, यह बहुत बीमार समाज है। यह नहीं जानता कि अपने बच्चों को कैसे पाला जाए, यह भारत में ठीक इसके विपरीत है। मुझे लगता है कि भारतीयों के बहुत तेजी से सामूहिक रूप होने का यह एक कारण है। ऐसा है कि, बचपन में, जब हम छोटे बच्चे होते हैं या लोगों को बच्चे होते हैं तो दूसरों की उपस्थिति में अपने बच्चे को अपने पास रखना अशिष्ट व्यवहार के रूप में माना जाता है। बिल्कुल अशिष्ट व्यवहार। अब जैसे कि, मेरी बेटी है और जब मैं अपने ससुराल गयी तो हम बच्चे को अपनी गोद में नहीं ले सकते थे, सिर्फ दूध के अलावा जो मैं बच्चे को पिला रही थी। तो उनको कहना पड़ता था कि, बेहतर हो कि, अब आप उसे दूध पिलायें, इसलिए मैं वहां थी। मैं कभी यह मांग नहीं करूंगी कि मुझे बच्चा दो, मैं ले जाऊंगी। कभी नहीँ।
यह अशिष्टता माना जाता है और अब मैं देखती हूं कि ऐसा क्यों था। बच्चे को अपनी गोद में लेकर दूसरों की मौजूदगी में ऐसा कहना कि यह मेरा बच्चा है, ऐसा कहना अशिष्टता था। यह कुछ ऐसा कठोर और अशिष्ट माना जाता था जैसे कि, हम कुछ अच्छे परिवार से नहीं हैं जो हम नहीं जानते कि दूसरों के सामने कैसे व्यवहार करें। और यहां तक कि ऐसा कहना कि यह मेरा बच्चा है अवांछित था; अपने बच्चे को पेश कराते समय कहना होगा कि, यह आपका बच्चा है …
यह कुछ आश्चर्यजनक है, अब मुझे एहसास हो रहा है कि हमारे समाज में ऐसा क्यों था। हम कभी ऐसा कहने वाले लोग नहीं हैं कि, यह मेरा अपना बच्चा है। हम कहीं भी जाएँ हमें यह कहना चाहिए कि, आपका बच्चा यहां तक कि अपने घर को हम यह नहीं कहेंगे वह मेरा घर है …
क्या आप अपने घर आएंगे, कृपया?
संपूर्ण, आप देखिये, पूरी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि हमें सामूहिकता प्रदान करती है। अब मैंने पहले भी बताया है कि लोग इतने सेक्स उन्मुख क्यों होते हैं, मेरा मतलब है कि वे किसी अन्य व्यक्ति द्वारा महज स्पर्श करने तक के लिए संवेदनशील हैं। जो कोई भी उन्हें छूता है, उन्हें अजीब सा एहसास मिलता है। कारण यह है कि अन्य संवेदनाएं आपके भीतर विकसित नहीं हुई हैं।
वह भी इसलिए कि आप हमेशा अपने बच्चे को चिपके रहते हैं। बच्चा केवल मां या पिता को जानता है। हर समय बच्चा आपके साथ होता है और इसके परिणामस्वरूप जो बच्चा होता है वह कभी भी दूसरों के साथ अन्य उदात्त रिश्तों को महसूस नहीं करता है। जो कोई दूसरा है वह एक पहचान है जो कुछ अलग है और जब आप बड़े होते हैं तब आप अचानक किसी को छूते हैं तो आप उन उदात्त चीजों को महसूस नहीं कर सकते।
जब तुम निर्दोष होते हो, जब तुम बच्चे होते हो; मेरा मतलब है कि हम अपने माता-पिता के साथ कभी नहीं सोए। मेरा मतलब है कि यह भारत में एक बहुत ही आम बात है। अब माना कि अगर मैं घर में हूँ तो मेरी बेटियाँ अपने बच्चों को मेरे साथ या मेरे पति के साथ, या उनके भाइयों के साथ सोने के लिए देंगी अगर मेरे भाई वहाँ हैं या उनके भाई वहाँ हैं तो वे अपने बच्चों को उनके साथ सोने के लिए देंगी, न कि खुद उनके साथ|
मनोवैज्ञानिक कारण यह था कि, शायद वे समझते थे, यह एक बहुत ही पारंपरिक देश है इसलिए उन्होंने इसे समझा। लेकिन इसके पीछे मनोवैज्ञानिक कारण यह था कि जब बच्चा अबोध होता है, तो उस उदात्त स्थिति में, उस उन्नत चेतना में किसी अन्य पुरुष के पास या किसी एक अन्य महिला के पास ले जाया जाता था। तो मासूमियत का रिश्ता विकसित होता है। किसी को कुछ अजीब नहीं लगता अगर कोई आपको छूता है या कोई करता है।
यही कारण है कि आप देखते हैं कि एक आदमी छोटे लड़के को छूता है, उसे अजीब सी सनसनी होती है, लड़के को एक अजीब सी अनुभूति होती है। यह बिलकुल बेतुका है क्योंकि आपको सामूहिकता के सिद्धांत पर विश्वास करना चाहिए।
अब मैंने देखा है कि लोग इस देश में अपने बच्चों को बहुत ज्यादा चिपटे रहते हैं और बच्चे को हर समय अपनी गोद में ले जाना बहुत ही गलत काम हैं, बच्चे को अपनी … इस चीज पर ले जाते हैं। यह बहुत अधिक है … यदि आप इसकी अति करते हैं तो आप पाएंगे कि वही बच्चे आपसे नफरत करेंगे। क्योंकि बचपन में वे इस अनुभूति को विकसित करते हैं कि वे आपके द्वारा निगरानी की जा रही चीजों की अति कर रहे हैं और वे इसे व्यक्त नहीं कर सकते हैं।
बच्चे को जितना संभव हो उतना खेलने दें, बच्चे को जब आवश्यक हो तब ले जाएं, दूसरों को बच्चे को ले जाने की अनुमति दें, ना कि आप। हमारे यहां इतना बड़ा सहजयोगी समुदाय है, लेकिन मुझे लगता है कि माताएं हर समय बच्चे को ले जा रही हैं या पिता बच्चे को ले जा रहे हैं। नहीं, इसे अन्य लोगों को दें।
बच्चों को अन्य लोगों के साथ रहने दें, अन्य लोगों के साथ सोने दें, अन्य लोगों के प्यार का आनंद लेने दें और डर ना रखें| वे आपसे और भी अधिक प्यार करेंगे।
और मुझे लगता है कि, इस प्रकार से हमने पहले तो एक प्रकार का कलंक, एक प्रकार की अजीब भावना अंदर बनाई है जो बाद में इन विकृत रिश्तों में विकसित होती है। लेकिन उन्हें लगता है कि किसी और व्यक्ति के साथ होना कुछ अच्छा है। अगर आप इसे बचपन में आजमाते हैं तो ये सभी चीजें बच्चों को बहुत आसान तरीके से दी जा सकती हैं।
एक और बात यह है कि, मुझे अपने पति के कार्यालय में यह देखकर आश्चर्य होता है कि, हर कोई नाम से पुकारता है जैसे कि ‘सर सी.पी.’के डिप्टी को टॉम कहा जाता है यहां तक कि एक ड्राईवर भी उन्हें टॉम कहेगा। लेकिन देखिए हम बहुत ध्यान देते हैं; खासकर मेरे पति बहुत ध्यान देते हैं। वह अपने ड्राइवर के नाम के साथ भी मि. कहकर बुलाते हैं। तो वे वहां अशिष्ट नहीं होते| संबंध बचपन में स्थापित होना चाहिए जैसे मैंने लोगों को उन्हें गमिंग कहते हुए देखा है। छोटे बच्चे भी उसे गमिंग कहते हैं। हम कभी भी इस तरह नहीं पुकारेंगे या फिर भी अगर आप मेरे पोते-पोतियों को देखेंगे तो वे ज्यादा से ज्यादा गमिंग अंकल कहेंगे। यदि यह अधिक औपचारिक संबंध की बात आती है, तो वे मिस्टर ब्राव कहेंगे, लेकिन वे कभी भी गमिंग नहीं कहेंगे। ऐसा उचित नहीं है।
एक मौसी, चाचा को एक संबंध स्थापित करना होगा। आपके लिए पिता और माता ही केवल महत्वपूर्ण नहीं है। लेकिन मैंने आपको अपने बच्चों को दूसरों से छीनते देखा है । आप अपने बच्चों को पकड़ते हैं और उन्हें हर समय झपटते हैं। इसीलिए वे आपसे दूर भागते हैं |आप अति कर रहे हैं| कोई जरूरत नहीं है।
बच्चे बहुत स्वतंत्र होते हैं, वे खुद की देखरेख कर सकते हैं और खुद को व्यवस्थित कर सकते हैं और बस उनको खुश करने के लिए आप उन्हें दुकानों पर ले जाते हैं, उन्हें चीजें खरीदवाते हैं, चीजें दिलवाते हैं और फिर उन्हें इसकी आदत हो जाती है। आप उन्हें इस तरह संतुष्ट करना चाहते हैं। क्या ऐसा नहीं है? आपको पता होना चाहिए कि बच्चा बहुत बुद्धिमान है और आपको सामूहिकता की अपनी समझ के अनुसार बच्चे के दिमाग को मोड़ना होगा। और यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो वे अन्य बच्चों की तरह ही बस आवारा बन जाएंगे ।
मुझे लगता है कि, मैंने आपको बताया है कि, एक बार जब मैं ओक्सटेड से आ रही थी और कुछ बच्चों की उम्र लगभग 8-9 साल थी तो बहुत बड़ी नहीं थी। वे किसी पब्लिक स्कूल के थे, जिनमें कोई अनुशासन नहीं था। उन्होंने मेरे डिब्बे में प्रवेश किया। यह एक प्रथम श्रेणी का कम्पार्टमेंट था और उनके पास कुछ चाकूओं के साथ कुछ तेज चीजें हैं, कुछ रेजर हो सकते हैं और उन्होंने अकारण ही सभी सीटों को फाड़ना शुरू कर दिया और बेशक, मेरे खिलाफ़ कुछ भी नहीं किया और मैं काफी चिंतित थी। मैंने कहा आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? तो उन्होंने कहा चुप रहो।
तो मैं उठी, दूसरे डिब्बे में गयी और उन्होंने कहा था कि, 2 लड़के हैं जो उनके साथ यात्रा कर रहे हैं। वे वहीं दूसरी ओर बैठकर धूम्रपान कर रहे थे। तो मैंने जाकर उन्हें बताया कि ये लड़के ऐसे कर रहे हैं। वे वापस आए और उन्होंने उन्हें अच्छी तरह से थप्पड़ मारा, उन्हें थप्पड़ मारा उन्हें पीटा और वे बिलकुल भी नहीं रोए। और उन्हें अपने स्थानों पर वापस धकेल दिया और फिर स्टेशन आ गया और स्टेशन मास्टर कह रहा था कि, अब क्या करें?
आपको अभी से अपने बच्चों को अनुशासित करना सीखना चाहिए। वे कार्यक्रम में चुपचाप क्यों नहीं बैठ सकते? उनके साथ क्या समस्या है? शुरुआत से ही उन्हें वायब्रेशन महसूस करने के योग्य बनाया जाना चाहिए। उन्हें अन्य लोगों के साथ बैठने के लिए तैयार इसलिए किया जाना चाहिए क्योंकि वे समझते हैं कि, उनके माता-पिता ही उनके अपने हैं और अन्य लोग नहीं है। इसी प्रकार तो यह नस्लवाद भी विकसित होता है क्योंकि उन्हें लगता है कि अन्य लोग जो गोरे रंग के नहीं हैं वे हमारे अपने नहीं हैं।
तब, वे सभी प्रकार का, बिच्छुओं जैसा स्वभाव या, आप कह सकते हैं सांप जैसा स्वभाव, एकांत प्रिय स्वभाव को विकसित कर सकते हैं | यदि आप उन्हें एकमात्र अपने ही लिए बनाना शुरू करते हैं| इसके विपरीत यदि आप उन्हें खुले दिल से बात करने की इजाजत देते हैं तो हर कोई अपना दिल सबके लिए खोल सकता है।
यहां तक कि जो लोग बड़े हो गए हैं वे दूसरे के बच्चे को छूने से कतराते हैं। उनसे अनुमति मांगेंगे कि क्या मुझे बच्चा लेना चाहिए? क्या नुकसान है? मेरा मतलब है कि भारत में अगर आप किसी भी घर में जाते हैं तो वे सिर्फ बच्चे को उठाएंगे। अब वे कहते हैं कि यह बीमारी से संरक्षण है या वह सब। लेकिन इसके विपरीत बच्चों में अधिक प्रतिरक्षा विकसित होती है। अति संरक्षित बच्चे बहुत खतरे में रहते है क्योंकि उनके पास किसी चीज़ के लिए कोई प्रतिरक्षा नहीं होती| कल्पना कीजिये उस देश में, हमारे पास सभी प्रकार के परजीवी रहते हैं, सभी प्रकार के परजीवी फिर भी हम बेहतर रूप से जीवित मौजूद हैं क्योंकि हमारे पास बहुत सारी चीजों के लिए प्रतिरक्षा है और यही कारण है कि आप लोग स्वास्थ्य की दृष्टी से बेहद कमज़ोर जाते हैं।
कल्पना कीजिए कि मैं ऑस्ट्रेलिया गयी थी, वहां हमारे पास 3-4 भारतीय लड़के हैं। वे यहां वहां की सभी बड़ी चीजों को उठाने के साथ ही रसोई में मेरी मदद करने आए, तो मैंने उनमें से एक से पूछा कि क्यों न इन लड़कों से कुछ करने के लिए कहा जाए। उन्होंने कहा कि माँ वे केवल देखने में बहुत अच्छे हैं, लेकिन उनके पास कोई शक्ति नहीं है। उनके पास कोई ताकत नहीं है। मैंने देखा है कि, यह इंग्लैंड जैसे देश में अधिक होता है, जहां आपके बच्चों को रखने के लिए इतनी खराब जलवायु है। वे बाहर नहीं जाते हैं। आप हर समय अपने बच्चों को बंद करते हैं। वे स्वार्थी हो जाते हैं वे बहुत कमजोर हो जाते हैं और बहुत कमजोर दृष्टिकोण वाले हो जाते हैं। उन्हें अनुमति दे बाहर निकलने की। अब आपके पास एक समुदाय है। आप में समुदाय के प्रति एक विश्वास है। लेकिन आप ऐसा नहीं करते फिर एक हावी होने वाला व्यक्ति आएगा और आपके बच्चे को पकड़ लेगा, उस बच्चे का उपयोग आपको बच्चे के लिए ब्लैकमेल करने के लिए करेगा और सभी प्रकार की चीजें करेगा।
लेकिन अगर आप बच्चे को बस हर किसी के साथ खेलने की अनुमति देते हैं। बीमारियां गायब हो जाएंगी, आप हैरान हो जाएंगे। यह मानकर भी कि आपको कोई समस्या है यहाँ तक की बैक आज्ञा की भी है, अगर अन्य लोग इसे संभाल रहे हैं तो यह गायब हो जाती है क्योंकि किसी के पास बेहतर वायब्रेशन है तो भुत आपको छोड़ देता है। लेकिन अगर आप हर समय बस बच्चों को पकड़े रहते हैं, तो आप वह व्यक्ति हैं जो स्वयं बैक आज्ञा से पीड़ित हैं। चूँकि आप बच्चे को कसकर पकड़ रहे हैं इसलिए बच्चे को नुकसान उठाना पड़ता है।
हम वास्तव में अपने बच्चों को बहुत बचपन में ही अन्य लोगों पर भरोसा करते हुए भेजते हैं और वे बच्चों से प्यार करते हैं। चूँकि यहां लोग भरोसा नहीं करते हैं कि, आप बच्चों को प्यार कर सकते हैं। इसलिए यहां हमें अपने बच्चों के साथ दूसरों पर भरोसा करना होगा और, यही कारण है कि मुझे लगता है कि बच्चे इतने एकांत प्रिय हो जाते हैं कि वे आपसे चिपक जाते हैं और वे किसी के पास नहीं जा सकते।
लेकिन जब आप भारत जाते हैं तो, आप देखते हैं, मुझे नहीं पता कि आपने किसी घर का दौरा किया है या नहीं, वहां पहले आपका स्वागत करने वाले ले बच्चे ही होते हैं, वे कहते हैं कि ठीक है बैठिये । यदि कोई घर में नहीं है, तब वे आपको किसी चीज़ की पेशकश करते हैं। वे आपकी देखभाल करेंगे। वे आपके बारे में वह सब कुछ जानेंगे जो आपने कहा कि आपने जो चाहा था वह सब कुछ था। सब कुछ … इतनी प्यारी तरह से… आप समझो ..प्रत्येक बात दर्ज़ कर लेंगे और उनके पास हर चाचा हर चाची के लिए नाम हैं और वे उन सभी चीजों को जीवन भर के लिए याद रखते हैं|
मैं ऐसे बच्चों से मिली हूँ, जिनकी मैंने अपने बचपन में देखभाल की थी उनके बचपन में ज्यादातर मैं कहूँगी। उन्हें याद है जो भी मैंने उन्हें बताया था, कहानियां जो मैंने उन्हें सुनाई थी और जिस तरह मैंने उनकी देखभाल की थी| हर छोटी-छोटी बात उन्हें याद रहती है और यह जानना इतना प्यारा है कि वे उन सभी चीजों को जानते हैं।
उनमें से एक अब विश्व बैंक में काम कर रही है। उसे विश्व बैंक में बड़ी नौकरी मिली। उसे पता चला और फिर, वह दूसरे दिन आई और बस मेरी गोद में एक बच्चे की तरह रोने लगी .. आप देखिए। उन्होंने पूछा कि क्या मामला है, वह कहती है, “आंटी जी, मुझे वे दिन याद है जब कि आपने देखभाल की थी” और वह मुझे इतना पसंद करती है कि वह एक बार एक दुकान पर गई और उसने एक साड़ी देखी; काफी बड़ी हो गयी है; उसी तरह की पीले रंग की साड़ी जो मैं पहना करती थी और उसने उस साड़ी को खरीदा और कहा कि वह मेरी आंटी की साड़ी है। उसने कहा कि मेरी चाची की साड़ी है।
काफी बड़ी हो गयी है। ये सभी छोटी छोटी चीजें, बच्चे याद रखते हैं सभी उदात्त चीजों को, सभी महान चीजों को, उन सभी चीज़ों को जो अति पवित्र हैं। लेकिन आप उन्हें उजागर नहीं करते हैं, आप बस बच्चों पर हावी होते हैं, इसकी बहुत अधिकता हैं। और फिर भी बच्चे भी हर समय आपका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करते हैं, उन्हें आपकी आदत होती है, वे 10 प्रश्न पूछेंगे, वे बहुत अधिक बात करेंगे, वे बातें कहेंगे और आप थक जाएंगे।
मुझे पता है कि जब मैं ट्रेन से आ रही थी तो मेरे पास एक महिला थी जो मेरे साथ यात्रा कर रही थी वह क्लाइन की पत्नी थी। उसका नाम क्या है? वह मेरे और उसके बेटे के साथ यात्रा कर रही थी और क्या बात थी कि, वह मेरे साथ बात नहीं करेगी चूँकि उसे उसको कहना है, और उसे कहानियाँ सुनानी पड़ेगी, और उसको यह और वो उसे छोड़ेगी ही नहीं। मैंने कहा आप बस थोड़ी देर के लिए उसकी उपेक्षा करें और बच्चा बेहतर होगा। और यही सलाह मैंने बारबरा को दी है | उसका बेटा बहुत अच्छा है वह वारेन के पास गया जब वह वहाँ था, वह हर व्यक्ति के पास गया | उसने जा कर और सभी को हँसाया था|
वह हॉल में चक्कर लगाते हुए सबको देखता है लेकिन भारत में बच्चे ऐसा करते हैं कि वे हर किसी के बारे में परवाह करते रहते हैं कि वे जाकर वायब्रेशन देखेंगे। इस एकमात्र लिप्तता और अति नियंत्रण के कारण जब बच्चे बड़े होते हैं वास्तव में वे अपनी माँ से घृणा उत्पन्न कर लेते है और अपने पिता से घृणा उत्पन्न कर लेते है, अगर वे बहुत अधिक अंकुश रखते हैं। यह नियंत्रण में रखने की भावना है। और डर है कि हम बच्चे को खो देंगे। वास्तव में आप सचमुच में खो देते हैं यदि आप में इस तरह का डर है और यदि आप अपने बच्चों पर हावी हैं।
यही मैंने देखा है कि जो बच्चे इस कार्यक्रम में आना चाहते हैं। नहीं, सभी महिलायें सजा के रूप में बाहर खड़ी हैं। लेकिन क्यों, बच्चों को बैठाओ। वे सब ठीक रहेंगे। वे शांति से बैठेंगे। वे कोई शोर नहीं करेंगे| लेकिन बच्चे को काबू में रखने के प्रति आपका चित्त, और मैंने यह भी सुना है कि आश्रम में जिन महिलाओं के बच्चे होते हैं, वे कोई काम नहीं करती हैं। वे बस कोई काम नहीं करती हैं। वे अपने बच्चों की देखभाल कर रही हैं बाकी सब ख़त्म। और बाकी काम कोई और करता है।
एक बच्चा पैदा करने में आपको बहुत कुछ नहीं करना पड़ता | सबसे पहले, यह कुछ महान नहीं है कि आपने बच्चा पैदा किया है| वे सहजयोगी हैं और वे मेरे भरोसे हैं और आपके नहीं हैं और उन्हें खराब नहीं करें। किसी भी मां को घर में या कमरों में बच्चे के साथ नहीं बैठना चाहिए, चाहे कुछ भी हो। बच्चे को दूसरों के साथ खेलने दें। ड्राइंग रूम में बैठो। लेकिन वे बच्चे को ले जाएंगी, कमरे में बैठेंगी और बच्चे को खिलाएंगी। उनके पास केवल एक ही काम है बच्चे कि देखभाल बस| मुझे लगता है कि यह भावनात्मक ब्लैकमेल है। कि तुम बस एक बच्चे को अपनी तरफ ले जाओ और वहीं बैठ जाओ और कहो कि मैं बच्चे की देखरेख कर रही हूं तो दूसरा कहता है ओह! यह ठीक है वह एक माँ है… ..
यहाँ मेरे बहुत सारे बच्चे हैं। इस मातृत्व ने आपको ऐसे अजीब विचार नहीं देना चाहिए कि आप इतने महान हैं कि आपको बैठना चाहिए और कुछ नहीं करना चाहिए। मेरा परिवार मैं 11 भाई-बहन थे और मेरी माँ मध्य प्रदेश के नागपुर में कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। वह 5 बार जेल गई और बहुत ही सही महिला वह अपने बच्चों से किसी भी तरह की बेहूदगी बर्दाश्त नहीं करेगी |एक और बात है कि अगर बच्चा किसी के साथ कुछ भी करता है। मैंने सुना है कि बच्चे बहुत अनुशासनहीन हैं, वे दूसरों को मारते हैं वे उनके बालों को खींचते हैं, वे सभी तरह की बेकार बातें कहते हैं और माता-पिता कभी भी उन्हें सुधारते नहीं हैं कि वे सिर्फ उनकी तारीफ़ करते हैं और जब बच्चे बड़े होते हैं तो वे अपने माता-पिता को बाहर फेंक देते हैं। हमने ऐसा होते देखा है।
चूँकि वे आत्मसाक्षात्कारी हैं, वे ऐसी बेहूदगी पसंद नहीं करेंगे। इसलिए उस बारे में सावधान रहें। कल मैंने आपसे मूलाधार के बारे में बात की। बच्चों को स्वस्थ, भरोसेमंद मूलाधार धारण पाने दें। उन्हें दूसरों से मिलने दें, दूसरे के साथ दोस्ताना व्यवहार करें, सभी के साथ खेलें, हर जगह साथ घूमें। उन्हें अनुमति दें। लेकिन अन्यथा वे अपने बच्चों के बारे में बहुत लापरवाही करते हैं। वे करते क्या हैं? वे अपने बच्चों की मालिश भी नहीं करते हैं, वे अपने बच्चों को साफ भी नहीं करते हैं, वे उनके कपड़े भी साफ नहीं रखते हैं, वे उन्हें नियमित रूप से स्नान नहीं करवाते हैं, वे उन्हें खाने के लिए उचित भोजन नहीं देते हैं।
यह एक बात हमें सुनिश्चित करना है कि, हमारे बच्चों को बचपन से ही अपने मूलाधार में बहुत सामूहिक और बहुत शक्तिशाली बनाया जाना चाहिए और मैंने माता-पिता को आ कर मुझे यह कहते हुए देखा है कि हम नहीं जानते कि क्यों? क्यों हमारे बच्चे ने हमें ऐसे छोड़ दिया है जब वह बड़ा हुआ तो? बचपन में सब ठीक था। यह कारण है, वे आप से बोर हो जाते हैं। बहुत खुले दिल से स्वीकार करें, यही एकमात्र उत्तर है। अचानक तुम देखते हो मेरे बेटे ने मुझे अचानक क्यों छोड़ दिया? मेरा मतलब है कि यह सब कल तक ठीक था, फिर वह अब त्रस्त हो गया होगा। इससे भाग निकला। इसलिए उनके अपने दोस्त होना चाहिए। उन्हें घूमना होगा। यह वास्तव में, यदि आप देखें तो तुलनात्मक है कि, बच्चों के पास खुद का विवेक है चूँकि माता-पिता इतने अधिक नियंत्रण करने वाले हैं कि वे किसी अन्य को समझने के लिए बच्चों को उचित तरीके से विकसित होने की अनुमति नहीं देते हैं।
मुझे समझ में नहीं आया कि हमारे साथ क्या हुआ? हम बच्चों के बारे में इस तरह गलत क्यों हो रहे हैं?
अब जो दूसरा बिंदु है, जो किसी को सुनिश्चित करना चाहिए वह आश्रम के बारे में है, जो मैंने पहले नहीं कहा था, लेकिन अब मैं कहती हूं कि हमें जिम्मेदार लोग बनना होगा। ऐसा भी यहाँ बचपन से होता है, अगर आप जिम्मेदारी की भावना बचपन से नहीं रखते हैं तो आप इसे बाद में कभी विकसित नहीं कर सकते। जैसे बिजली का बिल पहाड़ की तरह बढ़तार जाता है क्योंकि लोग कभी अपनी लाइट बंद नहीं करते हैं। मेरा मतलब है कि एक स्विच है जिसे बंद करना होता है और चालू भी कर सकते है। यह केवल चालू करने के लिए ही नहीं है। एक बार आश्रम में रहने लगने पर गैस, बिजली जैसी छोटी चीजों की वे परवाह नहीं करते हैं। यह आपका आश्रम है। फिर भोजन है। भोजन की जो मात्रा फेंक दी जाती है वह कुछ आश्चर्य की बात है। भोजन की कोई कद्र नहीं है!
कोई समझ नहीं है कि कैसे बंदोबस्त करें क्योंकि कोई गृहलक्ष्मी नहीं है। गृहिणियों का कोई गुण नहीं है क्योंकि वे अब बच्चे के साथ बैठी हैं और कुछ नहीं कर रही हैं। मान लीजिए आपका अपना घर होता आप खरीददारी कर रही होंगी, आप खाना बना रही होंगी, आप अपने बच्चे की देखरेख कर रही होंगी, आप अपने घर की सफाई कर रही होंगी, बर्तन साफ कर रही थी, सब कुछ खुद ला सकती थी। लेकिन आश्रम में उन्हें लगता है कि ओह, हमारे पास एक बच्चा है, इसलिए उसकी देखभाल करो और वहां बैठ जाओ। मुझे हर समय बच्चों के साथ खेलना अच्छा लगेगा। मेरा आपसे कोई लेना-देना नहीं है। तो क्या मैं ऐसा कर सकती हूं?
क्या मै ऐसा कर सकती हूं? मैं नहीं कर सकती!
उसी तरह हमें समझना चाहिए कि हमें भोजन बर्बाद नहीं करना चाहिए। इस दुनिया में बहुत से लोग हैं जो भूखे मर रहे हैं। हमारे पास भोजन बर्बाद करने का कोई काम नहीं है। मेरा मतलब है कि मुझे आश्चर्य होगा कि भारत में सबसे अमीर व्यक्ति भी थाली में कुछ नहीं छोड़ेंगे। अमीर से भी अमीर। गांधीजी जब अपने आश्रम में थे तब यहाँ तक कि मौलाना आज़ाद, जवाहरलाल नेहरू को भी अपनी-अपनी प्लेटें साफ करनी होती थीं। आप समझ सकते हैं। इसलिए उन्हें अधिक नहीं लेना चाहिए और यदि वे अधिक लेते हैं तो उन्हें इस तरह से कुछ भी नहीं छोड़ना चाहिए कि कोई अन्य नहीं खा सके। किसी भी चीज़ को बिना सोचे समझे बिजली की बर्बादी, भोजन की बर्बादी, या अन्य ऊर्जाओं की हो इसका अर्थ है पैसे की बर्बादी। इसलिए आपके पास कभी पैसा नहीं होता है। व्यक्ति के पास एक उचित नियोजन होना चाहिए कि आप क्या पकाने जा रहे हैं, आप क्या लेने वाले है, कितनी चीज़ का उपयोग किया जा रहा है, कुछ भी बर्बाद नहीं होना चाहिए।
मैंने इस प्रवृत्ति को देखा है, मैंने स्वयं इस प्रवृत्ति को बहुत आम देखा है। न भोजन का सम्मान है, भोजन का सम्मान नहीं है। यही कारण है कि बच्चों में भी भोजन के लिए कोई सम्मान नहीं है। भोजन परोसे जाने से पहले आपको इस विचार के साथ बैठना चाहिए कि अब आप भोजन करने जा रहे हैं। यह एक यज्ञ है। और आपको उस भोजन को कुछ प्रार्थना के साथ खाना है, उस भोजन के लिए कृतज्ञता मानना चाहिए । भगवान का शुक्र है कि आपको खाना मिल गया। यह प्रभु की एक प्रार्थना है। और तब संतुष्टि बेहतर होती है और आपको समझ में आता है कि हमें इस तरह अपना पैसा या भोजन बर्बाद नहीं करना चाहिए।
बच्चों के बारे में जानने के लिए बहुत सी अन्य चीजें हैं कि आपको उनके स्पंदनों के बारे में जानना चाहिए। आपको उनके चैतन्य के बारे में सतर्क रहना चाहिए। यह पता लगाने की कोशिश करें कि उनके साथ क्या गलत है? वे करते क्या हैं? अब उदाहरण के लिए यदि आप पाते हैं कि बच्चा दुर्व्यवहार कर रहा है। हर समय चल कर भीतर मत जाओ, बच्चे को बुलाओ, एक बार बच्चे को बिठाओ और बच्चे से बात करो कि आपको इस तरह से नहीं करना चाहिए। जब आप माँ के साथ होते हैं तो उन की तरफ चित्त दें। यह आप ही हैं जो इन नए बच्चों को ढालने जा रहे हैं जो आपको विशेष रूप से इसलिए दिए गए हैं क्योंकि आप सहजयोगी हैं और उनके जीवन को बर्बाद करने के लिए नहीं।
आप जानते हैं कि कुछ बच्चे इस तरह से पागल हो गए हैं जैसे कि दत्ता जो यहाँ थी और हर कोई देखता है … वह खुद इतना लापरवाह थी कि आप उसकी लापरवाही के बारे में कल्पना भी नहीं कर सकते थे जब मैंने उसकी लापरवाही के बारे में सुना और उसके साथ ऐसी गंदगी के साथ उसने बच्चे की देखभाल की। मैं आश्चर्यचकित थी कि लिंडा इस तरह से कैसे कर सकती है और आपको दूसरी लिंडा नहीं बनना चाहिए; उस बच्चे के स्वास्थ्य को खराब करने के लिए, हर बात पर कुछ दिमाग लगाओ यदि आपके पास एक साफ सुथरी जगह और उचित प्लेटें हो, बच्चे वहां खाना पसंद करेंगे। लेकिन किसी भी मां को बच्चे के साथ एक कमरे में नहीं बैठना चाहिए। वह कानून है।
ड्राइंग रूम में आप अपने बच्चे के साथ बैठ सकते हैं। और यदि बच्चा सो रहा है तो उसे कमरे में ले जाना चाहिए अन्यथा बच्चे को ड्राइंग रूम में रखें। आप देखेंगे कि बच्चा खुश हो जाएगा क्योंकि सामूहिक होना स्वाभाविक है। बच्चे के लिए दूसरों से बात करने के लिए दूसरों के साथ घुलना-मिलना स्वाभाविक है। यह कुदरती हैं। अबोधिता ऐसी ही होती है। मासूमियत पूरी दुनिया को जानना चाहती है। उस समय यदि आप बच्चे को जानने की अनुमति नहीं देते हैं तो वह विकृत हो जाता है। उसकी समस्याएं हैं। इसलिए उन्हें एक बेहतर जीवन बेहतर स्थिति बेहतर शिक्षा बेहतर अनुशासन दें क्योंकि आप सुसज्जित हैं। उनको वह मत दो जैसा आपको मिला था| तब यह वास्तविक प्रेम है, अन्यथा यह नियंत्रण करने की भावना है।
मैं इस बारे में बात करना चाहती थी क्योंकि कल मैंने आपसे मूलाधार के बारे में बात की थी और मैं देख रही थी, मैंने ध्यान दिया कि, आपके बच्चों के साथ क्या हो रहा है और मुझे पता चला कि उनके पास जितना भी अनुशासन है, वह आप से आ रहा है और आप कितने अनुशासित हैं और ऐसा करने से आप उनके हाथों में खेलते हैं। वे जानते हैं कि वे आप को वश में रख सकते हैं जैसे वे चाहें । उन्हें पता है कि आप उन पर निर्भर हैं। आप उनके बिना जी नहीं सकते। उनको यह समझ है। इसलिए वे आपकी बात नहीं मानते। लेकिन अगर वे जान जाएँ कि यदि वे ठीक व्यवहार नहीं करते हैं तो वे आपका प्यार खो देंगे तब, वे सब ठीक हो जाएंगे। वे बहुत बुद्धिमान हैं। इसलिए आपको अपनी भूमिका को ठीक ढंग से निभाना चाहिए और देखना चाहिए कि आपके बच्चों को उचित समझ के दायरे में लाया जाए क्योंकि वे भिन्न बच्चे हैं, विशेष बच्चे जिन्हें आप को एक भरोसे के साथ सोंपा गया है। वे आपके बच्चे नहीं हैं, वे मेरे बच्चे हैं। इतना अधिक नियंत्रण और दुलार और यह और वह आवश्यक नहीं है।
मेरा मतलब है कि कभी-कभी आप उनकी हड्डियों तोड़ते हैं जिस तरह से आप करते हैं। यह तो बहुत ज्यादा है।
दूसरों के बच्चों पर इसका प्रयास करें। चलो अपने बच्चों पर ऐसा नहीं करें | अपने बच्चों को बाहर रखें और दूसरे बच्चों से प्यार करने की कोशिश करें। मैं नहीं जानती कि आप लोग किस तरह का मनोविज्ञान पढ़ते हैं। लेकिन यह सरल बात है जिसे हमें समझना चाहिए कि हम सहजयोगी हैं और बच्चों को सामूहिक होना था अन्यथा मुझे उन्हें सामूहिक बनाने के लिए फिर से मेहनत करना होगी। उन्हें स्वाभाविक रूप से सामूहिक होना चाहिए।
सब ठीक है, गमिंग, चलो पूजा करें।
मुझे लगता है कि आज का भाषण लिखा जाना चाहिए और सभी केंद्रों को भेजना चाहिए। महत्वपूर्ण है। मैं ऐसा सब पश्चिमी देशों में पाती हूँ। यदि उनके पास अचानक एक बच्चा हो जाए तो वे एक सम्राट से अधिक हो जाते हैं और पत्नी स्वयं सम्राट से अधिक बन जाती है, न केवल साम्राज्ञी बल्कि एक सम्राट से भी अधिक। जबकि मैंने आपको बताया था कि राजा और रानी कभी भी अपने बच्चों की देखभाल नहीं करते थे। यह एक दूसरी अति है।
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[१] डॉल्स = डोल इंग्लैंड (यूके) में वह धन जो अनौपचारिक रूप से सरकार बेरोजगार युवा लोगों को देती है | डोल प्राप्त करने वाले अक्सर ऊब जाते हैं और निराश हो जाते हैं। यदि मुझे एक महीने के भीतर कोई काम नहीं मिलता है, तो मुझे डोल पर जाना होगा।