Devi Puja: Steady Yourself

San Diego (United States)

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देवी पूजा.
सैन डिएगो, कैलिफ़ोर्निया (यूएसए), 31 मई 1985
परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।
कृपया बैठ जाएँ। (सिर्फ रिकॉर्ड करने के लिए, हम्म?)
सैन डिएगो के आश्रम में आकर बहुत खुशी हो रही है। और यह इतनी खूबसूरत जगह है, ईश्वर के, परमात्मा के प्यार को इतना व्यक्त करते हुए, जिस तरह से परमात्मा हर कदम पर आपकी मदद करना चाहता है। यदि आप एक आश्रम चाहते हैं, यदि आप एक उचित स्थान चाहते हैं, आप अपने बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल करना चाहते हैं, आप ईश्वरीय काम करना चाहते हैं, हर चीज की देखभाल की जाती है, हर चीज कार्यांवित होनी पड़ती है। अगर यह कार्यांवित ना हो तो आप किस तरहअपना काम करेंगे? तो, यह सब काम करता है। और यह इतना स्पष्ट है, जिस तरह से हमारे पास अलग-अलग आश्रम हैं, बहुत ही उचित धनराशि जो हम खर्च कर सकें में ऐसे आरामदायक स्थान उपलब्ध हैं, कि हम एक साथ खुशी से रह सकते हैं। यह आपके लिए प्यार से बनाया गया घर है।

तो सबसे पहले हमें एक बात याद रखनी होगी कि आपस में पूर्ण प्रेम हो। [मराठी] हमें उन लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए जो हमें बांटने की कोशिश करते हैं, जो हमें गलत विचार देने की कोशिश करते हैं। ऐसे व्यक्ति को पहचानना जो दिल से सहजयोगी हो बहुत आसान है। पहचानना बहुत आसान है। आपको थोड़ा और संवेदनशील होना होगा और आप ऐसे व्यक्ति को बहुत आसानी से खोज लेंगे। जो कोई भी चालाक हो, उसे खोजा जा सकता है। अब कोई परमेश्वर के विरुद्ध कार्य नहीं कर सकता, क्योंकि सब कुछ पहचान लिया जाएगा और खोज लिया जाएगा।

लेकिन हमें अपना पूरा ध्यान अपनी माँ पर रखना है। लेकिन कुछ लोग थोड़े अधिक कट्टर हो जाते हैं क्योंकि वे इतने आसक्त होते हैं, कोई बात नहीं, आप आ जाएंगे। लेकिन संदेह करने से कट्टर होना बेहतर है। तो जो लोग चीज़ें कुछ अति में करते हैं, उन्हें ऐसे जीवन के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए कि वे जो कुछ भी देखें, सहज योग में जो कुछ भी समझें, जो कुछ भी होता है, वे बिना किसी चिंता के इसे स्वीकार करेंगे।

यही वह बिंदु है, जबकि हम सहज योग के बारे में भी अपनी छवियों का निर्माण करते हैं। हम निर्माण नहीं कर सकते – यह जो है वो है। हम अपने ढंग की छवि नहीं बना सकते कि, हम सोचते हैं कि सहज योग ऐसा होना चाहिए, सहज योग ऐसा होना चाहिए – ऐसा नहीं हो सकता। आप समझौता नहीं कर सकते, आप समझौता नहीं कर सकते। जो है वही होना चाहिए। यह ऐसा कुछ भी नहीं हो सकता है जैसा आप चाहते हैं। आप इसे अपने ही ढंग से इसे ढाल नहीं सकते, क्योंकि यह बहुत पहले से तय है। अब यह वही है, और यही कारण है कि यह इतनी अच्छी तरह से, इतनी कुशलता से काम कर रहा है। लेकिन इसे और अधिक कुशल बनाने के लिए आपको इसकी कार्यप्रणाली को स्वीकार करना होगा।

जैसे, कल की समय सारणी, आप देखिये: मुझे पता था कि अवश्य कुछ होना चाहिए, और अभी समय की तैयारी नहीं थी। मैंने यहां जो समय बिताया है, वह उनकी कुंडलिनी को उठाने में व्यर्थ चला गया होता। इसके बजाय, मुझे सिर्फ पांच मिनट लगे, मुझे उन्हें आत्म-साक्षात्कार देने में लगे। तो, ऐसा है, सब कुछ उस प्रकाश में समझना होगा। धीरे-धीरे आप दिव्य नाटक को देखना शुरू कर देंगे, चीजें कैसे कार्यांवित होती हैं, यह आपकी मदद कैसे करती है।

लेकिन मान लीजिए ईश्वर आपके सामने कुछ लेकर आए हैं। डॉ. वर्लीकर ने मुझे इसके बारे में एक अच्छी कहानी सुनाई जो बहुत दिलचस्प है, कि धन की देवी और शिक्षा की देवी के बीच थोड़ा संघर्ष था। आप शिक्षा को सरस्वती कह सकते हैं, जिसे उपेक्षित किया जाए या बहुत अधिक आराधना की जाए तो यह आपको अहंकारी बना सकती है, इस अर्थ में कि यदि आप एक ऐसे व्यक्ति बन जाते हैं जो सीखने, सीखने, सीखने के पीछे है, तो भी आपको दूसरी तरफ फेंक दिया जा सकता है।

तो, यह महिला धन की शक्ति का परीक्षण करना चाहती थी। तो, उसने लक्ष्मी से कहा कि “ठीक है, देखते हैं, इस व्यक्ति पर।” यह व्यक्ति एक भिखारी था, उसे पैसे की जरूरत थी, और बहुत कुछ। तो, लक्ष्मी ने एक बड़े बर्तन में, जिसे हम हांडा कहते हैं, ढेर सारा पैसा डाल दिया और अपने रास्ते में डाल दिया। यह आदमी चल रहा था, तो सरस्वती उसके मन में प्रवेश कर गई। सरस्वती के मन में प्रवेश करते ही वह अहंकारी हो गया और उसने देखा तक नहीं, वह बस चलता चला गया। यह उसकी जरूरत थी, लेकिन वह चला गया।

तो, यह एक बात सुझाता है, कि जब लोग अहंकारी हो जाते हैं, अपनी ही योजनाएँ बनाने लगते हैं, अपने ही सुझाव और छवियां बनाने लगते हैं जो वे बनाते हैं, तो क्या होता है कि ईश्वर, जो आपकी ज़रूरत की,इच्छओं की,आपके समाधान का प्र्यास कर रहे हैं गायब हो जाते हैं। ऐसा होता है, कि हम परमात्मा को अपना खेल खेलने ही नहीं देते। यह केवल भौतिक स्तर पर ही नहीं है; यह भावनात्मक स्तर पर भी सच है, यह हमारे शारीरिक स्तर पर भी सच है, लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि यह आध्यात्मिक स्तर पर भी सच है। इसलिए, हमें इस बिंदु को भुलना नहीं चाहिए। ईश्वर को अपनी भूमिका निभाने दें, और हमें देखते रहने में सक्षम होना चाहिए।

जैसे कृष्ण ने कहा है, “कर्मण्यवाधीकारस्ते” – “कार्य करना हमारा काम है।” अब हमने पूजा की, आरती की। मैंने कहा, “ठीक है, अगर हम यह कर सकते हैं, ठीक है; अगर हम नहीं कर सकते, तो मैं शाम के विमान से जाऊँगी।” मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं सुबह के विमान से जाती हूं या शाम के विमान से कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं बिल्कुल शांत हूं। हमने चर्चा की; कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की जानी थी, कुछ समय बिताना था; जो करना है, वह हमारे जीवन का हिस्सा है। इसलिए, मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि मैं एक बजे के विमान से जाऊं। ठीक है, मैं रात के विमान से जाऊँगी, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।देवी पूजा.
सैन डिएगो, कैलिफ़ोर्निया (यूएसए), 31 मई 1985
परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।
कृपया बैठ जाएँ। (सिर्फ रिकॉर्ड करने के लिए, हम्म?)
सैन डिएगो के आश्रम में आकर बहुत खुशी हो रही है। और यह इतनी खूबसूरत जगह है, ईश्वर के, परमात्मा के प्यार को इतना व्यक्त करते हुए, जिस तरह से परमात्मा हर कदम पर आपकी मदद करना चाहता है। यदि आप एक आश्रम चाहते हैं, यदि आप एक उचित स्थान चाहते हैं, आप अपने बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल करना चाहते हैं, आप ईश्वरीय काम करना चाहते हैं, हर चीज की देखभाल की जाती है, हर चीज कार्यांवित होनी पड़ती है। अगर यह कार्यांवित ना हो तो आप किस तरहअपना काम करेंगे? तो, यह सब काम करता है। और यह इतना स्पष्ट है, जिस तरह से हमारे पास अलग-अलग आश्रम हैं, बहुत ही उचित धनराशि जो हम खर्च कर सकें में ऐसे आरामदायक स्थान उपलब्ध हैं, कि हम एक साथ खुशी से रह सकते हैं। यह आपके लिए प्यार से बनाया गया घर है।

तो सबसे पहले हमें एक बात याद रखनी होगी कि आपस में पूर्ण प्रेम हो। [मराठी] हमें उन लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए जो हमें बांटने की कोशिश करते हैं, जो हमें गलत विचार देने की कोशिश करते हैं। ऐसे व्यक्ति को पहचानना जो दिल से सहजयोगी हो बहुत आसान है। पहचानना बहुत आसान है। आपको थोड़ा और संवेदनशील होना होगा और आप ऐसे व्यक्ति को बहुत आसानी से खोज लेंगे। जो कोई भी चालाक हो, उसे खोजा जा सकता है। अब कोई परमेश्वर के विरुद्ध कार्य नहीं कर सकता, क्योंकि सब कुछ पहचान लिया जाएगा और खोज लिया जाएगा।

लेकिन हमें अपना पूरा ध्यान अपनी माँ पर रखना है। लेकिन कुछ लोग थोड़े अधिक कट्टर हो जाते हैं क्योंकि वे इतने आसक्त होते हैं, कोई बात नहीं, आप आ जाएंगे। लेकिन संदेह करने से कट्टर होना बेहतर है। तो जो लोग चीज़ें कुछ अति में करते हैं, उन्हें ऐसे जीवन के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए कि वे जो कुछ भी देखें, सहज योग में जो कुछ भी समझें, जो कुछ भी होता है, वे बिना किसी चिंता के इसे स्वीकार करेंगे।

यही वह बिंदु है, जबकि हम सहज योग के बारे में भी अपनी छवियों का निर्माण करते हैं। हम निर्माण नहीं कर सकते – यह जो है वो है। हम अपने ढंग की छवि नहीं बना सकते कि, हम सोचते हैं कि सहज योग ऐसा होना चाहिए, सहज योग ऐसा होना चाहिए – ऐसा नहीं हो सकता। आप समझौता नहीं कर सकते, आप समझौता नहीं कर सकते। जो है वही होना चाहिए। यह ऐसा कुछ भी नहीं हो सकता है जैसा आप चाहते हैं। आप इसे अपने ही ढंग से इसे ढाल नहीं सकते, क्योंकि यह बहुत पहले से तय है। अब यह वही है, और यही कारण है कि यह इतनी अच्छी तरह से, इतनी कुशलता से काम कर रहा है। लेकिन इसे और अधिक कुशल बनाने के लिए आपको इसकी कार्यप्रणाली को स्वीकार करना होगा।

जैसे, कल की समय सारणी, आप देखिये: मुझे पता था कि अवश्य कुछ होना चाहिए, और अभी समय की तैयारी नहीं थी। मैंने यहां जो समय बिताया है, वह उनकी कुंडलिनी को उठाने में व्यर्थ चला गया होता। इसके बजाय, मुझे सिर्फ पांच मिनट लगे, मुझे उन्हें आत्म-साक्षात्कार देने में लगे। तो, ऐसा है, सब कुछ उस प्रकाश में समझना होगा। धीरे-धीरे आप दिव्य नाटक को देखना शुरू कर देंगे, चीजें कैसे कार्यांवित होती हैं, यह आपकी मदद कैसे करती है।

लेकिन मान लीजिए ईश्वर आपके सामने कुछ लेकर आए हैं। डॉ. वर्लीकर ने मुझे इसके बारे में एक अच्छी कहानी सुनाई जो बहुत दिलचस्प है, कि धन की देवी और शिक्षा की देवी के बीच थोड़ा संघर्ष था। आप शिक्षा को सरस्वती कह सकते हैं, जिसे उपेक्षित किया जाए या बहुत अधिक आराधना की जाए तो यह आपको अहंकारी बना सकती है, इस अर्थ में कि यदि आप एक ऐसे व्यक्ति बन जाते हैं जो सीखने, सीखने, सीखने के पीछे है, तो भी आपको दूसरी तरफ फेंक दिया जा सकता है।

तो, यह महिला धन की शक्ति का परीक्षण करना चाहती थी। तो, उसने लक्ष्मी से कहा कि “ठीक है, देखते हैं, इस व्यक्ति पर।” यह व्यक्ति एक भिखारी था, उसे पैसे की जरूरत थी, और बहुत कुछ। तो, लक्ष्मी ने एक बड़े बर्तन में, जिसे हम हांडा कहते हैं, ढेर सारा पैसा डाल दिया और अपने रास्ते में डाल दिया। यह आदमी चल रहा था, तो सरस्वती उसके मन में प्रवेश कर गई। सरस्वती के मन में प्रवेश करते ही वह अहंकारी हो गया और उसने देखा तक नहीं, वह बस चलता चला गया। यह उसकी जरूरत थी, लेकिन वह चला गया।

तो, यह एक बात सुझाता है, कि जब लोग अहंकारी हो जाते हैं, अपनी ही योजनाएँ बनाने लगते हैं, अपने ही सुझाव और छवियां बनाने लगते हैं जो वे बनाते हैं, तो क्या होता है कि ईश्वर, जो आपकी ज़रूरत की,इच्छओं की,आपके समाधान का प्र्यास कर रहे हैं गायब हो जाते हैं। ऐसा होता है, कि हम परमात्मा को अपना खेल खेलने ही नहीं देते। यह केवल भौतिक स्तर पर ही नहीं है; यह भावनात्मक स्तर पर भी सच है, यह हमारे शारीरिक स्तर पर भी सच है, लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि यह आध्यात्मिक स्तर पर भी सच है। इसलिए, हमें इस बिंदु को भुलना नहीं चाहिए। ईश्वर को अपनी भूमिका निभाने दें, और हमें देखते रहने में सक्षम होना चाहिए।

जैसे कृष्ण ने कहा है, “कर्मण्यवाधीकारस्ते” – “कार्य करना हमारा काम है।” अब हमने पूजा की, आरती की। मैंने कहा, “ठीक है, अगर हम यह कर सकते हैं, ठीक है; अगर हम नहीं कर सकते, तो मैं शाम के विमान से जाऊँगी।” मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं सुबह के विमान से जाती हूं या शाम के विमान से कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं बिल्कुल शांत हूं। हमने चर्चा की; कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की जानी थी, कुछ समय बिताना था; जो करना है, वह हमारे जीवन का हिस्सा है। इसलिए, मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि मैं एक बजे के विमान से जाऊं। ठीक है, मैं रात के विमान से जाऊँगी, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।
तो बस एक बहुत ही शांत दिमाग रखने के लिए, यह देखने के लिए कि चीजें कैसे पेशआती हैं। लोग बेवजह- [मराठी]- तो….
अब जब हम समझते हैं कि परमात्मा का अपना पूरा नाटक चल रहा है, उनका अपना काम चल रहा है, तो सब कुछ कार्य हमारे लिए हो रहा है, आपके लिए, सहजयोगियों के लिए काम कर रहा है। एक बार जब आप इसे महसूस कर लेते हैं, तो आप बिल्कुल आराम महसूस करते हैं और आप आनंद में होते हैं। लेकिन जब आप इस तरह शुरू करते हैं कि, “ओह, यह ऐसा होना चाहिए था, ऐसा होना चाहिए था,” तब सब कुछ आनंद के विरुद्ध होता है। जिस भी तरह यह पेश आता है सब ठीक है। एक बार जब आप ऐसा रवैया विकसित कर लेंगे, तो आनंद पूरा हो जाएगा।

मैंने जीवन के भावनात्मक पक्ष में भी आपको देखा है कि अगर लोग बहुत ज्यादा पीड़ित होते हैं। कारण यह है कि हर चीज के लिए आप सोचना शुरू कर देते हैं।
अब भारत में, जिस तरह हम शादी करते हैं, यह बहुत सरल है, आप देखिए। बचपन से हमें सिखाया जाता है कि “तुम्हारी शादी हो जाएगी, इसलिए तुम्हें सीखना चाहिए कि,अपने पति के साथ किस तरह रहना चाहिए,” और एक आदमी को हमेशा बताया जाता है कि अपनी पत्नी के साथ कैसा व्यवहार करना है। लेकिन वे नहीं जानते कि पत्नी और पति कौन हैं। लेकिन पति-पत्नी एक प्रतीक मात्र हैं। वे नहीं जानते कि यह कौन सा है; बस कोई भी हो सकता है। तो, एक बार जब आप उसे एक धर्म के रूप में स्वीकार कर लेते हैं, तो यह आपके लिए एक आश्चर्य के रूप में आता है, और बस आनंद लें। और पूरी चीज एक बिंदु तक बनी है, एक क्षण के लिए जो शुभ भी होनी चाहिए।

बेशक, वे कुंडली देखते हैं, यह एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यदि आप कुंडली से परामर्श नहीं करते हैं, तो यह काफी विनाशकारी हो सकता है। इसलिए, वे कुंडली से परामर्श करते हैं। और अगर इतने अंक हैं – वे कहते हैं कि छब्बीस अंक आदर्श हैं – तो वे शादी कर लेते हैं, अन्यथा नहीं। अब यह जरूरी नहीं कि हम मिले या हम ना मिले। कभी-कभी लोग मिलते हैं, एक-दूसरे से एक साल बात करते हैं, हो सकता है कि उनकी शादियां टाल दी जाएं, शुभ मुहूर्त नहीं है। उन्हें साथ रहने के लिए कुछ समय मिलता है, लेकिन अकेले में कभी नहीं; वे कभी एकांत में नहीं जाते। तो उस क्षण को पवित्र क्षण के रूप में रखा जाता है, जब आप अपने पति या पत्नी से मिलने जा रहे होते हैं – वह एक बहुत ही पवित्र क्षण होता है, इसलिए आप उस बिंदु पर केंद्रित होते हैं। तो अचानक यह तय हो जाता है। अब आप उस क्षण को पवित्र क्षण के रूप में रखना। यहां तक ​​कि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि निर्णय के बाद; आपको बीच में कुछ समय मिलता है, काफी,हो सकता है कि आपको उस व्यक्ति को देखकर, एक भावना के रूप में निरंतरता बनाये रखना पड़े। लेकिन तब आप अपना ध्यान नहीं भटकाते, यह पूरी तरह से एकाग्र प्रयास है। यह सफल होता है, क्योंकि आप इसे स्वीकार करते हैं।

लेकिन यहां लोग तीन साल तक साथ रहते हैं, फिर शादी करते हैं और तलाक ले लेते हैं। मेरा मतलब है कि मैं नहीं समझ पाती, भले ही आप तीन साल साथ रहें हों, सात साल साथ रहें हों, दस साल साथ रहें हों, फिर भी वे वही करते हैं। तो, इतने सालों तक एक-दूसरे को जानने का क्या फायदा, फिर भी आप तलाक ले लेते हैं?

लेकिन यह केवल तभी सफल होता है जब आप समझते हैं कि यह एक एकाग्र प्रयास है जहां आपके पास पुर्ण एकाग्र्ता है, और आप बस उस व्यक्ति से मिलते हैं और उस व्यक्ति को अपने साथी के रूप में स्वीकार करते हैं। हो सकता है कि एक या दो असफल हों, लेकिन यदि आप इसके बारे में निर्विचार होते हैं, तो ज्यादातर यह असफल नहीं होगा। क्योंकि शादी के बाद आप सोचने लगते हैं, “ओह, मुझे यह आशा थी, मुझे इसकी उम्मीद थी। मुझे लगा कि ऐसा होगा; ऐसा नहीं है।” और हमेशा दूसरे में दोष खोजने की कोशिश करना, अपने आप में नहीं – यह इसका सबसे अच्छा हिस्सा है; यह नहीं देखना कि आप उस व्यक्ति के साथ कैसे तालमेल बिठा रहे हैं। एक बार जब आप शादी के बारे में सोचना शुरू करते हैं, तो शादी बर्बाद हो जाती है, पहले ही हो चुकी होती है। जैसे आपके लिए एक बच्चा पैदा होता है, बिना इस विचार के कि किस तरह का बच्चा आने वाला है, आप बच्चे से प्यार करते हैं, उसी तरह से शादी के मामले में आपको उस तरह की एकाग्र भावना विकसित करनी होगी। तभी विवाह सफल होंगे।

लेकिन यहाँ, आप देखिये, जैसे जब आप कुछ खरीदते हैं, ठीक है, तब आप सोचते हैं, “ओह, यह अच्छा नहीं था, मुझे कुछ और खरीदना चाहिए था, बेहतर होता,” यह, वह। तो, आप दूसरी चीज़ के लिये जाते हैं। चीजें अलग हैं; चीजें चीजें हैं। मनुष्य जीवित चीजें हैं, वे मृत चीजें नहीं हैं जिन्हें आप एक से दूसरे में बदल सकते हैं, “मुझे वह एक या वह मिल सकता था।” तुम मनुष्यों के साथ इस तरह नहीं कर सकते – अन्यथा तुम परमात्मा के साथ खिलवाड़ कर रहे हो।

और यही वह मुख्य बिंदु है जहां हमें लगता है कि सहज योगियों को आनंद के साथ, खुशी के साथ स्वीकार करना सीखना है, न कि निरर्थक विचारों को प्रोजेक्ट करना। तभी आप पाएंगे कि आपको पुर्ण आनंद की प्राप्ति हो जाएगी। अन्यथा नहीं होगी।

फिर यदि आप आते हैं, माना कि, शारीरिक पक्ष की ओर: यहाँ की तरह, यदि कोई महिला बहुत पतली है, तो वह चाहती है कि उसके पैर ऐसे हों, हाथ ऐसे हों, शरीर ऐसा। क्यों? मेरा मतलब है, कल्पना कीजिए कि हर किसी को कुछ निश्चित पैटर्न, कमर का अमूक नाप, अन्य अंगों का इतना – यह भयानक होगा। मेरा मतलब है कि आप थके हुए होंगे और इससे तंग आ चुके होंगे। तो, आप ऐसा बनना चाहते हैं।

अब फैशन आता है कि शारीरिक रूप से हमें मिस्टर अमेरिका होना चाहिए या आप इसे जो भी कह सकते हैं। तो हर कोई जॉगिंग कर रहा है, हर कोई पागलों की तरह दौड़ रहा है। लेकिन क्यों? आपका अपना व्यक्तित्व है, इसे बनाए रखें। आप जैसे हैं वैसे ही आपको अपने शरीर के लिए कुछ चीजों की जरूरत होती है। बेशक, अगर आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो आप अपने चक्रों पर प्रयास करें, इसका इलाज करें। लेकिन प्रदर्शन के लिए, यह सोचने के लिए कि “मुझे ऐसा दिखना चाहिए, मुझे ऐसा होना चाहिए,” कोई फर्क नहीं पड़ता।

तो फिर शुरू होता है एक और पागलपन, इसलिए लोग बहुत दुखी हैं। आप देखिए, आप इन तथाकथित कुलीन वर्गों elite class में जाते हैं जहाँ अधिकांश पुरुष बहुत अधिक वेतन पाने वाले, शिक्षित, उच्च वर्ग के लोग हैं, महिलाएं भी शिक्षित हैं, सब कुछ, और वे जो बात करते हैं वह केवल यही है कि: आप कितनी कैलोरी खाते हैं, यह वह है। तुम नहीं समझ पाते, इन लोगों के साथ क्या मामला है? उनका स्तर इतना निचे है। यह एक भद्र बातचीत है, और अगर वे अभद्रता पर आते हैं, तो वे वहां भी किसी भी स्तर पर जा सकते हैं। तो इससे पता चलता है कि उस व्यक्ति में कोई विकास नहीं हुआ है। वे सिर्फ उन विषयों पर सोचते हैं। और इस तरह वे बहुत गंभीर हो जाते हैं, बहुत गंभीरता से वे इस सारी बात पर चर्चा करते हैं। आपको उन पर हंसने का मन करता है, जैसे वे मूर्ख हैं। तो, अमेरिका या किसी अन्य देश वैसे ही देश में इन सभी चीजों को इतना महत्वपूर्ण माना जाता है, यह दर्शाता है कि उनके पास किस तरह के लोग हैं।

मेरा मतलब है, भारत में कोई भी इस आंकड़े के बारे में इतना परेशान नहीं है। कम से कम मेरे दौर में लोग कभी भी बहुत पतली लड़कियों को पसंद नहीं करते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि वे बहुत चिड़चिड़ी, गर्म स्वभाव वाली, हर समय सोचने वाली होंगी। मैं आपको बताती हूं सच में उन्हें बहुत पतली लड़कियां पसंद नहीं थीं; अब भी मेरे पति को पसंद नहीं है। वह कहते है, “देखो, पुरुषों ने स्त्रियों को मूर्ख बनाया है, और इसी कारण स्त्रियां ये सब काम कर रही हैं।” तुम देखो, वह एक साधारण आदमी है, इसलिए वह सोचते है कि पुरुषों ने उन्हें धोखा दिया है। तो, यह ऐसा है, और फिर वे इस तरह की टांगे बनाती हैं या दांत इस तरह या नाक उस तरह और आप प्लास्टिक की नाक लेते हैं, लगाते हैं – क्यों?

तो जब हम सोचना शुरू करते हैं तो शारीरिक असंतुलन भी आ जाता है। क्योंकि जब हम सोचते हैं, हम दूसरे विचार से टकराते हैं, तब हम एक सर्व सामान्य सोच बनाते हैं, तब एक सर्व सामान्य वैचारिक सांचा स्वीकार किया जाता है। जब यह स्वीकार कर लिया जाता है तो लोग कहते हैं, “ठीक है, चलो यह लेते हैं।” पहले तो उनके पास बहुत टाइट कपड़े हुआ करते थे, आप देखिए, और एक लड़की मुझ पर शेखी बघार रही थी कि उसने इसे आठ दिनों तक पहना था और अब वह इसे बाहर नहीं निकाल सकती। मैंने कहा, “कैसे, कैसे मैनेज किया?” उसने कहा, “यह कुछ ऐसा है जिसे आप पहन कर और टब में कूद सकते हैं, और फिर यह सिकुड़ जाता है और आप इसे बाहर नहीं निकाल सकते। आप इसे पहने हुए ही नहा सकते हैं, आप इसे पहने हुए जो चाहें कर सकते हैं।” मैंने कहा, “यह बहुत गंदी है।” “नहीं, नहीं, आप इसे अच्छी तरह धो सकते हैं और पोंछ सकते हैं।” लेकिन मैंने कहा, “क्यों, ऐसा काम क्यों करें जो आपके खून को पूरी तरह से अंदर से जमा देगा?”

अब वे पीड़ित होने लगे, तो अब उनके पास बिल्कुल ढीले कपड़े हैं, आप देखिए, दुबले-पतले, कैजुअल, यह बात। इसलिए, जब आप इसके बारे में सोचते रहते हैं, नए तरीके ईजाद करने की कोशिश करते हैं, तो वे एक चीज़ से दूसरी पर कूदते रहते हैं।

लेकिन परंपरा अलग बात है। परंपरा यह है कि जब लोग पारंपरिक होते हैं, तो वास्तव में क्या होता है, समझदार लोग ही पारंपरिक बन सकते हैं, क्योंकि वे समझते हैं कि क्या त्यागना है, क्या नहीं छोड़ना है। और वे यह समझने की कोशिश करते हैं कि हम कैसे उत्थान करने जा रहे हैं। एक तरफा नहीं, बल्कि दोनों तरफ से हमें खुद को तौलना और संतुलित करना चाहिए और फिर आगे बढ़ना चाहिए। और जो त्यागना है, त्यागना है, जो अच्छा है, उसे ग्रहण करना है। जैसा कि आप परखना और त्रुटि से सीखना कहते हैं। आप देखिये, आप त्रुटि करते हैं – ठीक है, इसे छोड़ दो; फिर दूसरा ले लो – ठीक है, इसे छोड़ दो। जो कुछ भी अच्छा है, आप उसे रखते हैं और उसके साथ चलते हैं, और इसी तरह आप अन्य लोगों के पालन के लिए एक उचित परंपरा का निर्माण करते हैं।

लेकिन जो लोग हर समय नई चीजों के बारे में सोचते हैं, वे हर समय कुछ नया पाना चाहते हैं, तो वे बहुत गलत हैं, कि जब वे ऐसा करते हैं, जिसे हम एक टोमफूलरी कहते हैं। नई चीजों के साथ वे खुद को भयानक गड़बड़ियों में डाल सकते हैं, और अधिकांश पश्चिमी देशों के साथ ऐसा ही हुआ है, कि वे हर नई चीज़ को अपनाने का प्र्यास करते हैं। अब नया क्रेज है कोकीन – ठीक है, कोकीन लो। मेरा मतलब है, मुझे भी आश्चर्य नहीं होगा अगर प्रिंस फिलिप इस तरह की चीज अपना लेते हैं या कोई इस तरह की चीज सेवन करता है। मेरा मतलब है, हर कोई नई वस्तु का सेवन या प्रयास करना चाहता है, और यदि आप कहें कि आप कोशिश नहीं करना चाहते, तो वे कहते हैं, “क्यों, क्यों नहीं?” यह पाश्चात्य मन की एक बहुत बड़ी समस्या है।

तो, आप सभी लोगों को भी समझना चाहिए, सहज योग में नई चीजों को आजमाएं नहीं। सहज योग एक पारंपरिक रूप से निर्मित चीज है। सहज योग में कुछ भी नया करने की कोशिश न करें। हमारे पास जो कुछ भी है वह पर्याप्त से अधिक है, आप कुछ भी नया करने की कोशिश न करें। जिन लोगों ने नई चीजों की कोशिश की है, वे समस्याओं में कूद गए हैं, इसलिए कुछ नया करने की कोशिश न करें। जैसे किसी ने कहा कि आजकल, आप देखिये, मैंने सुना है कि लंदन में हमारे पास कुछ लोग थे जिन्होंने व्याख्यान देना और सहज योग के नए तरीके देना शुरू कर दिया, अचानक। और वे सब पागल हो गए। मेरा मतलब है, उनके वायब्रेशन पागल जैसे थे, मुझे नहीं पता था कि उनके साथ क्या करना है। मैं काफी हैरान थी, मैंने कहा, “तुमने ऐसा नया तरीका क्यों आजमाया? एक नया तरीका आजमाने की क्या जरूरत थी?” “ओह,” उन्होंने कहा, “अच्छा हमने सोचा, बेहतर यह आज़मायें।” लेकिन मैंने कहा, ‘मैंने तुम्हें पहले ही सारी विधियां बता दी हैं। क्या आपने उन को आज़माया है, क्या आपने खुद को सिद्ध बनाया है? बेहतर हो कि,जो मैंने आपको बताया है उसेआजमाएं, और फिर आप मुझसे पूछ सकते हैं और फिर कुछ नया शुरू कर सकते हैं। लेकिन आपको समझना होगा कि आप क्या कर रहे हैं।”

और साथ ही, मैंने देखा है कि औसत दर्जे के सहज योगी हमेशा ऐसा ही करते हैं, कुछ नये तरीके आजमाते हैं। और वे ऐसी बात के साथ सामने आएंगे कि, “अब मैं आपको बताऊंगा कि अपनी सांस को कैसे प्रसारित किया जाए।” अपनी सांस को क्यों प्रसारित करना हैं? अचानक वे एक नया तरीका निकाल लेते है। यह एक सामान्य बात है, लेकिन ये कभी-कभी बहुत ही मनहूस लोग भी हो सकते हैं, इसलिए सावधान रहें। नए तरीकों को आजमाने की जरूरत नहीं है। अब आप उस जागरूकता पर पहुंच चुके हैं जहां आपको बस स्थिर रहना है। इसलिए इस समय कुछ नया करने की कोशिश न करें। बस अपने आप को स्थिर करो, अपने आप को संतुलन में स्थिर करो – यह बहुत महत्वपूर्ण है।

दूसरी बात यह है कि सभी को सहज योग का ज्ञान होना चाहिए। लेकिन कुछ लोग इतने अज़ीब ढंग के जानकार होते हैं कि मैं कभी-कभी हैरान हो जाती हूं। जैसे कोई साथी था जो समलैंगिक या कुछ बेतुका सा था, और फिर उसने कुछ लोगों से कहा कि “हाँ, आप देखिये, माँ कहती है कि यह एक-आध बार हो तो ठीक है।” मैंने ऐसा कभी नहीं कहा। मैं ऐसा कभी नहीं कह सकती। फिर किसी ने कहा, “पीना-ठीक है, माँ ने कहा है।” मैं कैसे कह सकती थी? कोई समझौता नहीं है। कोई कहता है, “ठीक है, आप कुछ व्यवसाय कर सकते हैं।” मैंने ऐसा कभी नहीं कहा। नहीं, आप नहीं कर सकते, ये चीजें नहीं हैं, ये आपके लिए नहीं हैं। आपको यह बिल्कुल नहीं करना है। ठीक है?

इसलिए, जो कोई भी इस तरह के विचारों के साथ सामने आता है, आप उन्हें बता दिजीये कि,”ऐसा कुछ भी नहीं” हैं। ऐसा कुछ नहीं है, सहज योग में कोई समझौता नहीं है, कोई समझौता नहीं है। हमने जो भी तरीके सीखे हैं, आइए हम खुद को स्थापित करने और दूसरों को स्थापित करने के लिए उनका अभ्यास करें। आपको अपनी मर्यादाओं को, अपनी सीमा तक रखना होगा। उड़ने की कोशिश मत करो। कुछ लोग सोचते हैं कि वे बड़े सहजयोगी हैं और वे ऐसा करेंगे और वे करेंगे। फिर याद रखना, यह गलत है। आपको अपने आप को विनम्र करना होगा, और याद रखना होगा कि जब आप विनम्र होंगे तो आपको पता चलेगा कि केवल विनम्र लोग ही स्थिर लोग होते हैं।

तो पूरी विनम्रता होनी चाहिए। सहज योग के बारे में अधिक ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करें। ऐसे बहुत से तरीके हैं। मैंने अपने सभी टेप पहले ही करवा लिए हैं, हमें ये सभी सहज योग पुस्तकें अभी प्राप्त हैं और आपका “निर्मला योग” भी है – ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप सहज योग को समझ सकते हैं। यदि आप नहीं समझते हैं, तो आप एक-दूसरे से पूछ सकते हैं, जिस तरह से आप समझना चाहते हैं, उसका विश्लेषण करने का प्रयास करें, कि माता जो कह रही हैं, क्या वह यही कह रही हैं। क्योंकि मेरे व्याख्यान बहुत ही सरल भाषा में हैं। जहाँ तक संभव हो मैं सभी साहित्यिक भाषा से परहेज करते हुए अत्यंत सरल भाषा का उपयोग करती हूँ; कभी-कभी मुझे कठिन शब्दों का प्रयोग करना पड़ता है, लेकिन सामान्य तौर पर। तो, लेकिन उससे परे एक बहुत ही सूक्ष्म ज्ञान बह रहा है। इसलिए, यह समझना कभी-कभी मुश्किल हो सकता है, आप इसमें से कुछ और ही अर्थ बनाने की कोशिश कर सकते हैं, किसी चीज़ की व्याख्या करने की कोशिश कर सकते हैं। अगर ऐसी कोई समस्या है, तो बेहतर होगा कि आप किसी ऐसे व्यक्ति से सलाह लें जो आपको सलाह देने में सक्षम हो। लेकिन आपको इसे स्वीकार करना होगा। आपको अपना दृष्टिकोण सामने नहीं रखना चाहिए, और यह बहुत गलत होगा। तब तुम एक पटरी से उतरी रेलगाड़ी की तरह हो जाओगे जो पटरी से उतर जाती है।

सहज योग में हमारा एक ट्रैक है, आपको पता होना चाहिए, चाहेआप इसे पसंद करते हैं या नहीं। यह आजादी का सवाल नहीं है, बल्कि उत्थान का रास्ता है। आप उस रास्ते से बाहर नहीं निकल सकते। अगर आपको लगता है कि आप बस थोड़ा सा इधर-उधर घूम सकते हैं, सारी गंदगी के साथ अच्छा समय बिता सकते हैं और फिर सहज योग में वापस आ सकते हैं, तो आप स्वीकार्य नहीं होंगे। यदि आप ऐसा करते हैं तो मुझे आपको शुद्ध करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, यह करो, वह करो। लेकिन बेहतर होगा कि, अपने आप को साफ बनाए रखने के लिएआप अपने ट्रैक पर बने रहें और इससे बाहर न निकलें। कुछ ऐसा करने की नई चीजें खोजने की कोशिश न करें जो जरूरी नहीं है; क्यो ऐसा करें? मेरा मतलब है, सरल बात यह समझना है कि यह ऊर्जा की बर्बादी है। मैंने इसे आपके लिए पहले ही ढूंढ लिया है, आप इसे फिर से क्यों करना चाहते हैं?

जैसे, इस तरह के ब्लाउज मैं अब पिछले पचास साल या शायद उससे अधिक से आखिरी पहन रही हूं, मुझे लगता है, इस प्रकार का ब्लाउज। अब मेरा दर्जी जानता है कि मैं ऐसे ब्लाउज पहनती हूं, यही है, यह है। उसे मेरा माप मिल गया है। तो, मुझे उसे बस इतना कहना है कि “तुम मुझे इस तरह का एक कपड़ा दिलवाओ, और बस मेरे लिए एक ब्लाउज बनाओ।” वह बनाता है। पिछले इतने सालों से मेरे पास, लगभग पच्चीस साल, मेरे पास एक दर्जी था जो मेरा काम करता था। उसे कोई सिरदर्द नहीं है, मुझे कोई सिरदर्द नहीं है, कोई समस्या नहीं है।

हर दिन अगर मुझे इस पैटर्न को बदलना है, एक नई आस्तीन और एक नए प्रकार का ब्लाउज बनाना है, तो मुझे सिरदर्द होगा, मेरा मतलब है, मैं आपको बताती हूं। तो क्यों, ऐसा क्यों करते हैं? क्या फायदा? कौन देखता है, इससे कौन प्रभावित होता है? तो बेवजह हम इन चीजों पर अपनी ऊर्जा बर्बाद कर रहे हैं। लेकिन मैं यह नहीं कहती कि आप किसी भी तरह से फौजी ढंग सेअनुशासित हो जाएं, लेकिन मेरा मतलब यह है कि जहां भी आप अपनी सोच की ऊर्जा को बचा सकते हैं, आपको करना चाहिए।

छोटी-छोटी चीजों में वैरायटी होने की जरूरत नहीं है, और इस देश में जैसा कि मैंने आपको पहले बताया है कि हर नल भिन्न तरह का होना चाहिए, हर हैंडल भिन्न तरह का होना चाहिए, हर टाइल भिन्न तरह की होनी चाहिए – क्या जरूरत है? जो विशिष्ट होना चाहिए वह है कलात्मक चीजें। साड़ी अलग होनी चाहिए क्योंकि वह कलात्मक है। लेकिन ब्लाउज की सिलाई में क्या है, इसमें कोई कला शामिल नहीं है। तो, जो कुछ भी कलात्मक है वह अलग हो सकता है, लेकिन जो कुछ भी सांसारिक है वह जरूरी नहीं है। मशीनरी में तुम्हारे पास तरह-तरह की चीजें क्यों हों, तुम पागल हो जाओगे। आप एक दुकान में जाते हैं, बीस तरह की चीजें होती हैं, आप नही जानते कौन सी खरीदें, सब कुछ मशीन द्वारा ही बनाया जाता है। यह अच्छा है, यह अच्छा है। फिर एक और साथी, वह आता है, वह कहता है, “अच्छा नहीं।” तब आपको दुख होता है। लेकिन अगर आपके पास सांसारिक चीजें हैं, तो कुछ चीजें बेहतर होती हैं, कि आप अपने ऊपर बहुत अधिक सिरदर्द न लें।

तो इन सभी समस्याओं से बचने के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि अपनी चैतन्य की नई जागरूकता का उपयोग करें। तो, आप अपनी ऊर्जा बचाते हैं। आपकी ऊर्जाओं को बचाया जाना चाहिए, और उन्हें बचाया जा सकता है यदि आप उन चीजों पर चित्त ना दें जो आपकी शैली नहीं हैं, जहां आपको नहीं जाना है। बस वायब्रेशन देखें। अगर मैं खरीदारी के लिए जाती हूं – अब मैं विभिन्न कारणों से खरीदारी करने जाती हूं, जैसा कि आप जानते हैं। एक है मेरे वायब्रेशन को वहां फैलाना; दूसरा उन लोगों पर भी वायब्रेशन डालना है जो बाजार में हैं। तीसरा, सभी चीजों को देखना है, ताकि मेरे स्पंदन उन पर जाएं। चौथा, दूसरों को देने के लिए कुछ खरीदना। लेकिन अगर मुझे कोई चीज पसंद है तो ऐसा वायब्रेशन के माध्यम से ही होता है और मैं इसे किसी तरह खरीदती हूं, क्योंकि यह किसी को देना है या कुछ बाद में उपयोग करना है। मैं इसे अभी खरीदती हूं, रखती हूं, यह बहुत काम आता है।

आपका नजरिया ऐसा ही होना चाहिए। लेकिन इसके विपरीत यदि आप अपनी पत्नी के बारे में, अपनी नौकरी के बारे में, अपनी हर चीज के बारे में, “मुझे यह पसंद है, मुझे यह पसंद नहीं है,” जारी रखते हैं, तो आप अनिश्चित होंगे। अमेरिका में इन दिनों लोग अपनी जॉब को लेकर भी काफी अज़ीब हैं। मुझे इन बिंदुओं को छूना है, क्योंकि आप इस समस्या का सामना करेंगे। आज वे कोइ काम कर रहे हैं फिर कहने लगेंगे, “मुझे यह पसंद नहीं है, मुझे अपने अधिकारी पसंद नहीं है” – एक दुसरी नौकरी। फिर वे दूसरी नौकरी पर जाएंगे, वे उसे बदल देंगे। फिर तीसरा काम, इसे बदल देंगे। वे हमेशा बदलना पसंद करते हैं, आप जानते हैं, – यह पागल करने वाला है, मैं आपको बताती हूं। उनकी पत्नियों को बदलते हैं, अपना घर बदलते हैं, सब कुछ बदलो। क्यों? एक ही पत्नी हो तो अच्छा है। जीवन में ज्यादा से ज्यादा दो नौकरी हों तो बेहतर है। और अधिक से अधिक तीन निवासों में परिवर्तन हो, बेहतर है। लेकिन इससे ज्यादा परिवर्तन एक सिरदर्द है। मेरा मतलब है, मेरे लिए, मैंने अपने पति के स्वभाव के कारण चालीस घर बदले हैं। लेकिन मैं अलग हूं, क्योंकि मैं पूरी तरह से एक ऐसी शख्स हूं जो किसी भी बदलाव की परवाह नहीं करता। लेकिन तुम वैसे नहीं हो, इसलिए अपनी ऊर्जा बर्बाद मत करो। तो, यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है, नौकरी बदलते नहीं जाना, बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह भी एक सनक है, मैं आपको बताती हूं।

मैं आपको डगलस के बारे में बताती हूँ। वह ऐसा करता था। नौकरी बदलने के कारण उन्हें हर बार आर्थिक परेशानी होती थी। तो एक दिन मैंने उसे कह ही दिया। मैंने कहा, “डगलस, अगर आप इस नौकरी को बदलते हैं” – क्योंकि मैंने देखा कि वायब्रेशन ठीक हैं – “यदि आप इस नौकरी को बदलते हैं, तो आप मुझे फिर से नहीं मिल पाएंगे।” और अब आज उसके पास एक घर है, उसके पास एक कार है, उसके पास बैंक में पैसा है, वह अच्छा रह रहा है। तो वह भी मेरे लिए सिरदर्द है, “माँ, मेरे पास कोई काम नहीं है, मेरे पास पैसे नहीं हैं। मुझे क्या करना चाहिये?” हर बार भारत आने वाले लोग होते हैं, वे कहते हैं, “माँ, मेरे पास पैसे नहीं हैं, मुझे खेद है कि मैं आपको भुगतान नहीं कर सका।” ठीक है, कोई बात नहीं। कम से कम, इस बार भी पांच लोग थे। लेकिन इससे पहले मुझे लगता है कि लगभग बीस लोग थे। तो हर बार ऐसा ही होता है। तो अब हमें समझना चाहिए, हमारे पास उचित नौकरियां होनी चाहिए। हमें सम्मानित लोग बनना होगा। कुछ योग्यता रखना चाहिए, यदि संभव हो तो हमें उचित योग्यताएं हासिल करना चाहिए। आप सभी बहुत बुद्धिमान लोग हैं और आप अपनी योग्यता हासिल कर सकते हैं। समाज में आपका सम्मान होना चाहिए। नहीं तो वे सोचेंगे कि यह माता सभी भिखारियों की माता है।

इसलिए अपने आप को अपने कामों में, अपने घरों में स्थिर रखो। खुद को स्थिर रखने के लिए, आपको बदलाव ना करना भी सीखना चाहिए। परिवर्तन आपको अस्थिर बनाता है – क्या आप इस बिंदु देखते हैं? ऐसे में बदलाव का सवाल ही नहीं उठता बल्कि, “मैं इससे गुज़रने जा रहा हूँ।” फिर यदि आवश्यक हो, यदि यह काम करने योग्य नहीं है, तो कोई बदल सकता है। यह हर चीज पर लागू होता है।

अब, गुरु-खरीदारी कुछ और नहीं बल्कि बदलाव है। आपके जितने अधिक गुरु रहे होंगे, मेरा सिरदर्द उतना ही अधिक होगा। यदि आपका केवल एक गुरु हुआ है, माना कि, वह भी भयानक, यह ठीक है, आपको उस से बाहर निकालना आसान है। लेकिन अगर आप बीस के पास गए हैं, तो मैं क्या कर सकती हूं? एक शख्स जो गुरुओं के पास इतना गया है कि मैं उनके व्यक्तित्व को समझ नहीं पायी। मैंने कहा, “इसमें क्या मामाला है?” हर समस्या, आप इस का नाम लें और यह वहीं है। मैंने कहा, “यह कैसा शख्स है?” तो, मैंने कहा, “ठीक है, आप उन सभी गुरुओं के नाम लिखिए, जिनके पास आप गए हैं।” उसने दोनों तरफ तीन फुलस्केप पेपर लिखे। मैंने कहा, “क्षमा करें, महोदय, मैं आपकी सहायता नहीं कर सकती।” उन्होंने कहा, “माँ, आपको करना होगी, क्योंकि एक बहुत ही तत्काल समस्या है।” मैंने कहा, “तत्काल समस्या क्या है?” “कि अब मैं औरत बन रही हूँ।” मैंने कहा, “हाह?” “डॉक्टरों ने कहा है कि अब मैं एक महिला बन रही हूं।” मैंने कहा, “यह वास्तव में एक तात्कालिक समस्या है।” मैंने कहा, “इतना तो मैं रोक ही सकती हूं, लेकिन आपको बहुत सफाई की जरूरत है।” और वह कभी हनुमान जैसा दिखता था, कभी वह पागल जैसा दिखता था, वह कुछ भी दिखता था, क्योंकि उसके अंदर बहुत सारे गुरु काम कर रहे थे। अंतत: उन्होंने स्वयं को शुद्ध किया और उनकी समस्या का समाधान किया, लेकिन अब भी मैं यह नहीं कहूंगी कि वह सहज योगी हैं; हालांकि वह बहुत शिक्षित है, संस्कृत के बारे में बहुत कुछ जानता है क्योंकि वह इतने सारे गुरुओं, हर प्रकार के गुरु के पास रहा हैं। यह परिवर्तन के कारण आया है – “क्या गलत है?” तो, एक बार जब आप सहज योग में आ जाते हैं फिर ठहर जाओ। बाकी सब बंद कर दो।

दूसरा बिंदु जिस पर मैंने जोर दिया, वह यह था कि सहज योग में एक बार आप आ जाएं, पहले खुद को मुझ पर और सहज योग पर केंद्रित करें, और फिर अन्य चीजों पर। जैसे, ईसाइ लोग, जब वे सहज योग में आते हैं, तो वे गणेश को स्वीकार नहीं कर सकते। सहज योग में आने वाले भारतीय ईसा को स्वीकार नहीं कर सकते। सहज योग में आने वाले मुसलमान पूजा में नहीं जा सकते। हर कोई अपने पीछे बोझ लेकर आ रहा है। तो बेहतर होगा कि आओ और उन्हें मेरे चरणों में रख दो, समाप्त। अब तुम उन्हें मेरे प्रिज्म के माध्यम से, मेरे द्वारा देखते हो – इस तरह से समझना बेहतर है। और जिन्होंने मुझे इस प्रकार समझा है, वे सहजयोग को पूर्ण रूप से समझ लेते हैं। न अतीत की कट्टरता है, न सहज योग की। तो, वे समझते हैं कि यह सब माँ की तरह ही है, और एक चीज़ या दूसरी चीज़ से चिपके रहने जैसा कुछ भी नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अगर आप मुझे देवी काली कहते हैं तो आप मेरा अपमान कर रहे हैं, या अगर आप मुझे माताजी निर्मला देवी कहते हैं तो आप मुझे उच्च पदस्थ कर रहे हैं – यह सभी कुछ समाहित है।

तो, यह समझना होगा कि इस सब का रिश्ता हमारे अपने विभाजनों से है। ईश्वर के पास ऐसा कोई विभाजन नहीं है। ऐसा नहीं है कि उनके दिमाग में अलग से अमेरिका मौजूद है, या ऐसा नहीं है कि दिमाग में कुछ अन्य भी मौजूद है। क्या हमारा अस्तित्व इस तरह हैं जैसे कि “अब मैं केवल मेरी विशुद्धि हूं” – क्या हम इस तरह से ही मौजूद हैं? या “मैं केवल मेरी नाक हूँ” – क्या हम ऐसे हैं? हम पूरे शरीर के रूप में मौजूद हैं। तो, ईश्वर मौजूद है – हालांकि उसकी नाक है, उसके कान हैं, जैसेकि, सब कुछ है; लेकिन वह परमात्मा के रूप में मौजूद है। वह अलग से एक नाक की तरह मौजूद नहीं है, केवल अलगअमेरिका की तरह उसकी मौजूदगी नहीं है, लेकिन वह पुर्ण के रूप में मौजूद है, पुर्ण से जुड़ी हर चीज वह है।

और जब हमारे साथ ऐसा कुछ होता है कि अब हम संपूर्ण, आदि अस्तित्व से संबंधित हैं, तो हमें अपने आप को किसी ऐसी चीज से नहीं जोड़ना चाहिए जो हमारे संस्कारों के कारण हमें स्थानीय बना दे। कोई स्थानीयकरण नहीं होना चाहिए, हमें परिसंचरण में होना चाहिए।

मुझे लगता है कि, जो कैथोलिक रहे हैं,उन लोगों के लिए श्री गणेश की पूजा उसी सम्मान के साथ करना मुश्किल होता है । क्योंकि वे बद्ध हैं। इसलिए, इसे थोड़ी देर के लिए छोड़ने की कोशिश करें, ईसामसीह, उन्हे पूरी तरह से अकेला छोड़ दें। सहज योग में आएं, तब आप उन्हें उचित रोशनी में देख पायेंगे। क्योंकि समस्या यह है कि जब तक आप अंदर नहीं आते और स्वयं नहीं देख लेते कि सभी सड़कें इस एक ही चीज पर आ गई हैं, तो वे एक ही हैं, कोई अंतर ही नहीं है।

पहले अंदर आओ। सब कुछ छोड़ दो, अंदर आओ। तब आपको पता चलेगा कि यह सब समान है। और यह बहुत महत्वपूर्ण है, और एक बार जब आप इसे देख लेते हैं, तो यह इतनी सुंदर चीज है कि आपको किसी विशेष पंथ या विशेष गुरु या किसी विशेष चीज से संबंधित किसी भी प्रकार की कोई जटिलता नहीं रहती है। तथाकथित धर्म भी पंथ की तरह हैं, यदि आप इसे देखें, तो वे पंथ की तरह हैं, उनके पास संस्कार हैं। उन्होंने आपको कंडीशनिंग और भ्रम के अलावा कुछ नहीं दिया है। तो, हमें भ्रम के साथ नहीं जीना है, हमें वास्तविकता के साथ जीना है। और वास्तविकता यह है कि, ये सभी तत्व एक हैं, और हमें उनके अंदर रहना होगा ताकि हम उन्हें देख सकें, उन सभी को एक ही होने के रूप में।

यह अमेरिका जैसे देश में भी बहुत महत्वपूर्ण बात है, मुझे लगता है, क्योंकि ऐसे विविध विचार हैं, ऐसे विविध विचार हैं कि मैं, मुझे उन पर आश्चर्य होता है। आप जो कुछ भी नाम दें वह चीज़अमेरिका में है। दूसरे दिन मैंने मॉर्मन, मॉर्मन या कुछ और नामक एक चीज विकसित की। मॉर्मन। इसे नाम दें और यह अमेरिका में है। मुझे नहीं पता कि सभी किस्में यहां कैसे इकट्ठी हुई हैं। हर तरह के गुरु, मेरा मतलब है, आप उन्हें यहां खोजते हैं। इतने नामों के बारे में मैंने कभी नहीं सुना था। जब भी मैं आती हूँ, मुझे एक नया गुरु प्रस्तुत दिखता है। अमेरिका वह जगह क्यों है जहां मशरूम की तरह ये सभी फलते-फूलते हैं, आप देखिये? एक मशरूम उग रहा है, यानी – क्या यह सड़ने वाली चीज है? केवल मशरूम ही कवक के रूप में उगता है। क्या यह सड़ रहा है, यह देश? क्या हो रहा है? क्यों? यह मनुष्य का मन है। चुंकि यहां इंसानों का दिमाग हमेशा एक नई चीज चाहता है और इसलिए एक आपुर्ति होती है। इसके परिणामस्वरूप वे अस्थिर हो जाते हैं। तो, अमेरिकी चरित्र की मुख्य समस्या यह है कि वे बहुत अस्थिर लोग हैं।

आप उनसे पूछें, “आप कैसे हैं?” वो भी कहते हैं…. आपको जो अच्छा लगे वह समझ लें। वे कभी नहीं कहेंगे “आप कैसे हैं?” …. इससे आप क्या समझ पाते हैं? मेरा मतलब है, एक भारतीय व्यक्ति नहीं समझ सकता। अगर कोई ऐसा कहता है, एक भारतीय, आप देखिये, यदि आप उससे पूछते हैं, “आप कैसे हैं?” और यदि वह ऐसा उत्तर दे तो, लोग कहेंगे, “क्या तुम पागल हो?” फिर यदि आप उनसे (अमेरिकन से)पूछें, “क्या आप इसे समझे?” उनका उत्तर होगा “मैं उलझन में हूं।” एक भारतीय ऐसा कभी नहीं कहेगा कि, “मैं भ्रमित हूँ।” वह पक्का होगा। “मैं भ्रमित हूँ” कहने का अर्थ है, क्या आप पागल हैं या क्या हैं? आप असमंजस में क्यों हो? आपके दिमाग में कुछ गड़बड़ है?
तो, आप देखिये, ये सभी विचार हमारी अस्थिरता, तुच्छता, सतहीपन की ओर प्रवृत्त हैं। आप वास्तव में सतहीपन से आक्रांत हैं, आक्रमण के शिकार हैं, मैं यह देख पाती हूं। बिल्कुल हर जगह से, आप देखिये, मीडिया को, इसे, उसे: यह सतहीपन के अलावा और कुछ नहीं है। यह वास्तव में इंसान के अंदर के अंकुर को मार देता है। और आप इसके साथ जीना चाहते हैं, तब आप उसी ढंग से सोचना चाहते हैं, और वास्तव में आप अपने स्व को ही गंवा देते हैं, अपने स्व से खुद के सभी संपर्क गंवा देते हैं।

इन सभी परिस्थितियों में एक सुंदर तथ्य जानना होगा कि इस देश में इतने सारे साधक पैदा हुए हैं। यह अमेरिका है, सबसे पहले मैंने यहीं की यात्रा की थी। और मुझे यकीन है कि सैन डिएगो वह जगह है जहां यह शुरू होगा, मुझे लगता है। [मराठी] तो यह जगह बहुत महत्वपूर्ण है, और मैं अच्छी हूं, मुझे खुशी है कि आपने इस अद्भुत पूजा की व्यवस्था की है, और हमें यह पूजा करनी चाहिए। और मुझे यकीन है कि इसके द्वारा हम एक ऐसा दौर पायेंगे, विशेष रूप से एकअच्छा दौर आ रहा है जहां हमारे पास एक तरफ तोअमेरिकन विकास होगा, दूसरी तरफ मैक्सिकन। इसे हम सैन डिएगो से कार्यांवित कर सकते हैं।

यह एक खूबसूरत दिन है कि आपने इस पूजा के लिए मांग की है। मैं इससे बहुत खुश हूं। आज देवी का दिन है, [मराठी] – त्रयोदशी। त्रयोदशी सबसे उत्तम, तेरहवां दिन है। [मराठी] वायब्रेशन देखें, आपको किसी पूजा की आवश्यकता नहीं है! वास्तव में पूजा करने की कोई जरूरत ही नहीं है, यह(चैतन्य)आज इतना है। चुंकि आज का दिन बहुत अच्छा है, और मुझे खुशी है कि उन्होंने यहां इस पूजा के लिए कहा।

तो, अब शुरुआत करते हैं…. अब यदि आपको कोई समस्या है, कोई प्रश्न है, तो आप मुझे अवश्य बताएं। एक बात, सहजयोगी को चिंताशील व्यक्ति नहीं होना चाहिए, वह एक बात है। सहजयोगी का गंभीर होना शोभा नहीं देता। आपको मुस्कुराना, हंसना, आनंद लेना चाहिए। यदि वह एक विचारमग्न व्यक्ति है तो वह सहज योगी नहीं है। मैं पांच मिनट से ज्यादा, ज्यादा से ज्यादा पांच मिनट तक गंभीर नहीं रह सकती। अगर मुझे किसी को डांटना भी पड़ता है, तो मैं खुद को तैयार करती हूं, फिर नीचे आकर चिल्लाती हूं, और फिर पांच मिनट के बाद अगर मैं नहीं भागी तो तुम मुझे फिर से हंसते हुए पाओगे। मैं ऐसा नहीं कर सकती – यह सब एक मजाक है!

इसलिए, किसी को भी गंभीर नहीं होना चाहिए, यह एक बात है। किसी को गंभीर नहीं होना चाहिए। लोगों को हमेशा मुस्कुराते और खुश रहना चाहिए, क्योंकि आनंदआपके भीतर है। वहां क्या है? केवल यह सोचकर कि “मैं दुखी हूँ, मैं दुखी हूँ,” आप देखिये – यह फ्रेंच शैली है! फ्रेंच, आप जानते हैं, जब मैं पहली बार वहां गयी, तो उन्होंने मुझसे कहा, “माँ, फ्रेंच लोगों के लिहाज़ सेआप बहुत खुश लग रही हैं”।

तो, मैंने कहा, “मैं क्या कर सकती हूं?” कहा, “क्या आप देखिये, वे सभी बहुत, उन्हें लगता है कि वे बहुत दुखी लोग हैं, यह, वह।” तो, मैंने कहा, “ठीक है।” तो मैंने जाकर कहा, “अब देखिए, आप सभी कम दुखी हैं” – आप जानते हैं कि विक्टर ह्यूगो ने इसे “लेस मिजरेबल्स” लिखा है – इसलिए मैंने कहा, “ठीक है, आप कम दुखी हैं। अब मैं एक ऐसी शख्स हूं जो बिल्कुल भी दुखी नहीं है। और तुम किसी भी हाल में दुखी ही होओगे अगर तुम्हारे पास, हर तीसरे घर में एक पब है, हर दसवें घर में तुम्हारे पास एक वेश्या है, तो और क्या होगा? मेरा मतलब है, आप यहां इसी के लिए हैं।” यह ऐसा ही है।

और यहां तक ​​कि योगी महाजन ने भी मुझसे कहा कि “माँ, हमें आपकी ऐसी तस्वीर चाहिए जो बहुत गंभीर है, उसे प्राप्त करना कठिन है, और हमें एक ऐसा चेहरा लगाना चाहिए जो बहुत गंभीर हो।” और अंत में, वह एक ऐसी तस्वीर के साथ समाप्त हुआ जो डरावनी थी। जब उन्होंने मुझसे कहा, “यह एक बहुत अच्छी तस्वीर है, आप बहुत शांत लग रही हैं,” यह, वह और सभी विवरण। जब मैंने तस्वीर देखी तो मैंने कहा, “यह भयानक है!” उन्होंने कहा, “सच में?” मैंने कहा, “ठीक है, मैं आपको बताती हूँ कि यह किसने किया है।” उन्होंने कहा, “कौन?” मैंने उसे नाम बताया और वह चौंक गया। मैंने कहा, “यही वह महिला है जिसने तुम्हें दिया है, और तुम जानते हो कि वह आज कहां है।” वह हैरान था कि मैंने “जेन” नाम कैसे बताया। मैंने कहा, “यह वह तस्वीर है जिसे आप अमेरिकियों को भेज रहे हैं।” लेकिन मुझे पता है कि अमेरिकी उस तस्वीर से आकर्षित होंगे, क्योंकि वे खुद दुखी हैं, आप देखिए। लेकिन उस तरह की तस्वीर के प्रति जो आकर्षित होते हैं ऐसे लोग, कुछ ही समय में बाहर हो जाएंगे, वे चिपके नहीं रहेंगे – आप उस बिंदु को नहीं समझते हैं। वे उस प्रकार के नहीं हैं जो टिके रहें।

जैसे स्कॉटलैंड में, मैं वहां गयी और वहां एक तस्वीर देखी, और मुझे झटका लगा। हम एक रेस्तरां में गए थे जहाँ हमें खाना खाना था, और मैंने अपनी तस्वीर देखी और मैंने कहा, “यह किसने किया है?” उन्होंने कहा, “यह ऑस्ट्रेलियाई में से एक की प्रति है।” मैंने कहा, “लेकिन यह किया किसने? क्योंकि यह अच्छा नहीं है – बहुत बुरा।” तो, उन्होंने कहा, “यह किसी के द्वारा अचानक किया गया है।” मैंने कहा, “मैं उस व्यक्ति का नाम लूंगी,” और मैंने उन्हे बतया कि यह किसने किया है: हिलेरी। यह जानकर वे सभी चकित रह गए।
मैंने कहा, “यह तस्वीर अच्छी नहीं है।” लेकिन अब उन्होंने इसे हर जगह लगा दिया था। मैंने कहा, “रहने दो।” मेरे कार्यक्रम में इतने सारे लोग आए, सभी अज़ीब तरह के, आप जानते हैं। किसी की एक आंख थी, किसी की एक नाक, किसी के साथ कुछ और ही गड़बड़ी थी, सब कुछ गायब था। “हे भगवान,” मैंने कहा, ” तस्वीर की यह बात है।” और एक भी व्यक्ति वापस नहीं आया। कार्यक्रम में हमारे पास कम से कम पांच, छह सौ लोग थे, आप देखिए। [मराठी] और उनमें से कोई भी वापस नहीं आया, एक भी व्यक्ति नहीं। सभी भूत, भूत से आकर्षित; और मैं अपनी तस्वीर में देख सकी थी कि यह सिर्फ उन्हें खदेड़ रही थी।

तो जो मेरी तस्वीर लेते हैं, खुद उनका प्रतिबिम्ब भी तस्वीर में आता हैं। आपने रे की फोटो को बखूबी बाहर आते देखा होगा। मैं नहीं जानती कि यहाँ कौन सा रे है, लेकिन रे की तस्वीरें बहुत अच्छी हुआ करती थीं। और इस बार रे, उसकी एक अज़ीब सी पत्नी है, मुझे लगता है। वह भारत गया, और भारतीयों ने मुझसे कहा, “माँ, मुझे नहीं पता कि यह रे इतना बर्बाद कैसे हो गया।” भारत में ऐसा नहीं होता है। एक बार कोई सहज योगी हो गया, फिर वे सुधर जाते हैं। लेकिन यह आदमी इसके ठीक विपरीत था- अब क्या करें?

उन्होंने कहा, “माँ, वह सब नीचे गिर गया है, क्या करें?” मैंने कहा, “कुछ तो गड़बड़ हुई होगी। क्या करें?” जब मैं वापस आयी, तो आप देखिए, रे मेरी तीन-चार तस्वीरें ले आए। उन्होंने दिखाया तो सभी हैरान रह गए। “ये माँ की तस्वीरें नहीं हैं।” और उन्हें उन तस्वीरों को वापस लेना पड़ा। यही है। इतनी खूबसूरत तस्वीरें बनाने वाले वही रे आजकल भयानक फोटो खिंच रहे थे।

तो, हर चीज़ में जो कुछ भी आप करते हैं, जो कुछ भी आप हासिल करते हैं, उसमें आप पहचान सकते हैं। आप अचानक एक बेहद चाक-चौबंद व्यक्ति बन जाते हैं, एक बार आप एक अच्छे सहज योगी हो गए,आप तफसील से बता सकते हैं। सब कुछ उचित धारा में चलाआता है। आप इसे समझ सकते हैं, ऐसे व्यक्ति के बहुत ही सरल तरीके इतने प्रसन्न और इतने सुखदायक होते हैं।

तो, इन बिंदुओं पर मैंने बहुत सी बातें शामिल की हैं जो मैं कहना चाहती थी, और इसके अंत में मैं कहूंगी कि विशुद्धि के रूप में आपको साक्षी बनना होगा, साक्षी बनना होगा। साक्षी बनना है। और साक्षी बनने के लिए निर्लिप्तता होना आवश्यक है। इसका मतलब यह नहीं है कि किसी भी स्थिति मेआप तंगी में रहते हैं, लेकिन एक नि`र्लिप्त भाव मे रहने की कोशिश करें।

भगवान का शुक्र है कि इस बार अमेरिका के सहजयोगियों का अनुभव इतना बुरा नहीं था। वे बहुत अच्छे लोग थे, उन्होंने खुद को अच्छी तरह से समायोजित किया और उन्होंने इसका आनंद लिया। यह अच्छा था। और मुझे आशा है कि अधिक से अधिक लोग आएंगे और आनंद लेंगे। और जैसा कि आप जानते हैं कि नया कार्यक्रम हुआ है। बेहतर होगा कि आप लोग हमें बताएं कि आप आ रहे हैं या नहीं। लेकिन साथ ही, आखिरी मिनट में बदलाव न करें, यह हमारे लिए, सभी के लिए समस्याएं पैदा करता है। तो कृपया परिवर्तन ना करें; यदि आप नहीं आ रहे हैं, तो ठीक है। आपके पास एक निश्चित तारीख होगी, उस समय तक आप तय कर लेंगे, परिवर्तन ना करें। आप देखते हैं कि यह केवल अमेरिकियों ने किया है, किसी और ने नहीं। जबकि हमने लोगों से कहा, “अब और नहीं आयें, आइए अमेरिकियों को और मौका दें, हमें उन्हें और मौका देना चाहिए; इसलिये नहीं, तुम नहीं आओ।”

तो दीन बातें, वे दस दिन, पांच दिन के लिए आए, क्योंकि हम उनकी व्यवस्था नहीं कर सके। इसलिए आपको अपने विचार नहीं बदलने चाहिए। यदि आप आ रहे हैं तो आप एक बिंदु तक तय कर सकते हैं कि आप आ रहे हैं या नहीं। यदि आप नहीं आ रहे हैं तो आप केवल ऐसा बता दें कि, “हाँ, हम नहीं आ रहे हैं,” या यदि आप आ रहे हैं तो आप केवल यह कहें कि, “हाँ, हम आ रहे हैं,” और आप ऐसा करें। कम से कम इतना बदलाव तो नही करना चाहिए। तो फिर, मैं आपसे अपने शेड्यूल और चीजों को बनाए रखने का अनुरोध करती हूं, क्योंकि यह वास्तव में पूरी व्यवस्था को परेशान करता है। चुंकि अब हम परमात्मा की लय पर काम कर रहे हैं, और लय को भंग करना हमारे लिये उचित काम नहीं है। आप अमेरिकी हो सकते हैं, लेकिन जैसा कि आप सहज योग में जानते हैं, अमेरिकियों को बहुत ऊपर नहीं रखा गया है। आप यह अच्छी तरह जानते हैं। और हमें लगता है कि इटालियंस बहुत बेहतर हैं; जैसे मछली पानी में रह्ती है, वैसे ही वे सहज योग को अपना लेते हैं। इसलिए अमेरिकियों को थोड़ी अधिक मेहनत करनी होगी, उस समायोजन को प्राप्त करने के लिए उन्हें थोड़ा और प्र्यास करना होगा।

क्या करें? इतना महान देश, इतने सारे साधक, लेकिन वे पहले ही बर्बाद हो चुके हैं – मैं क्या करूँ? हम अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। आप सभी को मदद करनी चाहिए और कठिनाइयों को समझना चाहिए, और आपको नवागंतुकों के प्रति दयालु होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपने उन्हें उचित सुधार किया है। इसलिए, हमें सैन डिएगो से अपने विकास के बारे में सोचना होगा, और इस कोने से हम पूरे अमेरिका को प्रबुद्ध करने जा रहे हैं।

व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए मैंने तय किया है कि डॉ वर्लीकर पूर्वी हिस्से [मराठी] – पश्चिमी हिस्से में प्रभारी होना चाहिए। हमारे लिए, न्यूयॉर्क पहले से ही पश्चिमी है, ठीक है; और पूर्वी भाग है, न्यूयॉर्क की ओर उसके द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है। क्योंकि वहाँ एक, दो देशों की तरह, दो देश, दो अलग-अलग प्रकार की चीज़ें हैं। तो इसे ऐसे ही मैनेज करना है।

धन का मामला: धन के मामलों को आपको उसकी सहमति से ही निपटाना चाहिए। तो, मैंने उसे बताया कि मैं यह कैसे करती हूं कि पैसा बैंक में पंजीकृत नाम के तहत या किसी भी तरह से रखा जाता है, और उनके पास चेक बुक है, लेकिन मुझे हस्ताक्षर करना है। तो, आप चेक बुक रखते हैं लेकिन उसे हस्ताक्षर करना होता है, इसलिए वह देखते है कि आप क्या खर्च कर रहे हैं। तो, वहाँ चेक है। या आप वहां भी ऐसा ही करें, देखिए, ताकि वह चेक बुक रखे लेकिन साइन आप कर दें, ताकि आपको पता चल सके कि कितना खर्च हो रहा है। तो, एक चेक है। बेशक, जहां तक ​​आप लोगों का सवाल है, मुझे पता है कि यह ठीक है, लेकिन फिर भी….

मैं इतनी सारी बातें क्यों करती हूं, बस आपको समझाने के लिए। जैसे अगर आप मुझे पूजा के पैसे देते हैं तो मैं उसका एक पैकेट रखती हूं। इसका हिसाब रखती हूं। कोई ज़रूरत नहीं है: मुझसे कौन पूछेगा कि मैंने पूजा के पैसे का क्या किया? लेकिन मैं करती हूं, मैं इसे रखती हूं। और फिर मैं पूजा के पैसे का क्या करूं कि मैं इसे आपकी पूजा सामग्री, पूजा की चीजों, उपहारों और चीजों के लिए उपयोग करना चाहती हूं। तो रखती हूँ। मुझे ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है, वह मेरा पैसा है, कम से कम इतना मेरा है, लेकिन मेरी खुशी इसी में है। तो इस तरह किसी शख्स
को पता होना चाहिए कि अगर माँ इतनी सख्त हैं तो हम क्यों नहीं?
बेशक,आपको पूजा में पैसा देना होगा, क्योंकि यह आवश्यक है। सबसे पहले, हम एक “पी” लेते थे। (शायद श्री माताजी का अर्थ है ‘पाउंड’) फिर मैं दो “प” पर गयी, फिर पांच “पी”, दस “पी” – यह उतना ही बढ़ गया है। और इन पूजाओं के लिए, मुख्य पूजा जो हम करने जा रहे हैं, एक न्यू यॉर्क में, उन्होंने एक निश्चित राशि तय की है। यह तुम्हारा फैसला है, मैंने कभी कुछ नहीं कहा, क्योंकि केवल एक पौंड तक मैं थी, मैं वहां थी। फिर मुझे नहीं पता, मैं इन लोगों के साथ खो गयी। तो वे जो भी निर्णय लेते हैं, वह है, पूजा के नाम से जो धन इकट्ठा होता है, जो मुझे नाभि चक्र के लिए लेना होता है। आपको इसे दिल से करना है, बिल्कुल शबरी की शैली की तरह, और हर चीज़ उचित स्थानों पर चली जाएगी।

तो, कोई कह सकता है कि सहज योग कोई अति वादिता नहीं है। हम पैसे देते हैं; केवल सहज योगी ही धन दान कर सकते हैं। जैसा कि, यहां खाने के लिए आपको भुगतान करना होगा, घर के लिए आपको भुगतान करना होगा। आप भुगतान करते हैं, आप यहां परजीवियों की तरह नहीं रहते हैं। हम अपने आसपास परजीवी नहीं चाहते हैं। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि आप एक सहज योगी को पूरी तरह से लूट लें और उसे कंगाल बना दें, और अपनी खुद की Rolls Royces बना लें!

तो, यह दूसरा तरीका भी नहीं हो, कि तुम लोग मुझे लूट लो। इसलिए व्यक्ति को यह समझना होगा कि सहज योग में एक निश्चित निश्चित तरीके से देना और लेना है, और इसे उचित रूप से गरिमा के साथ, समझ के साथ, एक सुंदर भावना के साथ किया जाना चाहिए कि हम सभी संपूर्ण के अभिन्न अंग हैं। और जिसके लिए अमेरिका जिम्मेदार है, क्योंकि अमेरिका को विराट बनना है। विशुद्धि को विराट बनना है। कितना जिम्मेदारी भरा है! इसलिए आपस में झगड़ा न करें, पति-पत्नी में झगड़ा न करें। पूरी तरह से एक होने की कोशिश करें, एक दूसरे का आनंद लें। यह बहुत महत्वपूर्ण है। ठीक है।

तो परमात्मा आपको आशिर्वादित करे। [मराठी: यह विराट का स्थान है] अभी भी दायीं विशुद्धि पकड़ रही है। ठीक है।

[मराठी – पूजा के लिए निर्देश]

अब मैं चाहती हूं कि जिन लोगों ने अब तक मेरे पैर नहीं धोए हैं, वे आगे आएं। एक-एक कर। [मराठी] उन्हें स्थिति को संभालने दें। डैनी यह कर सकता है। डैनी, तुम भी यहाँ आओ। अब, एक समय में दो व्यक्ति इसे करेंगे। [मराठी] यह बहुत ठंडा पानी है। [मराठी] बहुत अच्छा, बहुत अच्छा। बहुत बहुत अच्छे। इसे रगड़ो। मेरे पैर रगड़े।

अब बस अपने वायब्रेशन देखें। ठीक है? अच्छा?
परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।
अब साथ आओ। (गर्म होना चाहिए।) [मराठी] साथ आओ, तुम दोनों।
परमात्मा आपको आशिर्वादित करे
इसे रगड़ो। इस पर लगाएं। इसे रगड़ो। [मराठी] हो गया! अब, साथ आएं – अपने चैतन्य देखें। अब ऐसे ही मुस्कुराते रहो, सब ठीक है, सब ठीक है- साड़ी को सुखाया जा सकता है। परमात्मा आपको आशिर्वादित करे
। आंखों और सिर पर पोंछ लें। साथ आओ। बहुत अच्छा। परमात्मा आपको आशिर्वादित करे। इसे एक हाथ से कस कर पकड़ें और दूसरे हाथ से जोर से रगड़ें। आह अच्छा। आप चैतन्य को अच्छी तरह महसूस कर सकते हैं। आपका दाहिना, बायां ह्रदय, इसे रगड़ें – आखिरी उंगली, इसे बाहर निकालें। आखिरी उंगली, इसे बाहर खींचो। यह मिल गया है। अब, अपने चैतन्य देखें। परमात्मा आपको आशिर्वादित करे। आंखों और सिर पर। साथ आओ। इससे आपका चेहरा बदल गया है! ठीक है? अच्छा। परमात्मा आपको आशिर्वादित करे। उत्तम।

[मराठी] बस इतना ही। साथ आओ। वह बेहतर है। ठीक है, अब इसे कस कर पकड़ लो। अपना पूरा हाथ रगड़ें। तुम देखो, हाथ, तुम्हारा हाथ रगड़ना है, मेरे पैर नहीं। इसे बाहर खींचो। कस कर खींचो।

[मराठी] मम, अच्छा। मुझे लगता है कि हम सब ठीक हैं। अब बस बैठो, इस तरफ। ठीक है? आप इसे नहीं रख सकते। इसे अपने सिर पर रखो। अपने सिर पर, और फिर अपनी आँखें भी पोंछ लें। परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।

मुझे लगता है कि तुम उसके साथ आओ, यह ठीक है। सब ठीक है। थोड़ा सा जल। अब, वे मेरे पैरों को करने के लिए उसी पानी का उपयोग कर सकते हैं। साथ आओ। परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।

अब… रुको। इसे जोर से रगड़ें। इसे जोर से रगड़ें। [मराठी] अब देखिए। अब। ठीक है? बाईं ओर देखें – थोड़ा सा। ठीक है। बैठते समय केवल बायाँ हाथ मेरी ओर, दाहिना हाथ धरती माता पर रखें। अच्छा? परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।

[मराठी] अच्छा। अब, बस अपने आप को देखें। क्या हाल है? ठीक है? अभी नहीं, लग रहा है? अच्छा। बहुत अच्छा। परमात्मा आपको आशिर्वादित करे। [मराठी] अपना बायां हाथ यहां रखो। इसे रगड़ो।

ठीक है। अब आप खुद ही देख लीजिए। ठीक है?परमात्मा आपको आशिर्वादित करे। [मराठी] बस इसे पहले अपने सिर पर लगाएं, और फिर अपनी आंखों पर। ठीक है अच्छा। अच्छा महसूस करना? चमकदार, आह? थोड़ा सा तुम इस तरफ से उठा सकते हो, यह वाला; इस तरफ, हाँ। यह सब ठीक है। [मराठी] हो गया! अब खुद देखिए। परमात्मा आपको आशिर्वादित करे। क्या आपने धोया है? उसका पति? उसने मेरे पैर धोए हैं? (1981 में)। तुम दोनों ने?
दोनों धो चुके हैं? ठीक है। तो, क्या आप फिर से धोना चाहते हैं? हां ठीक है। अब आओ। क्या तुम ठीक हो, येशू? बेहतर। ठीक है।

उसे पानी से खेलने दो। उसके हाथ बंद करो। उसे पानी से खेलने के लिए कहें, तो बेहतर होगा। पानी में। उसे अपने पैर पानी में डुबाने के लिए कहें। इसे मेरे पैर पर रगड़ें। मेरे पैर धो लो। अच्छा अच्छा अच्छा। फिर मेरे चरण स्पर्श करो। अब उसका हाथ मेरे ऊपर रखो। अच्छा। नमस्ते! ठीक है।

तो परमात्मा आप सभी का भला करे। वह अभी ठीक है। तुमने धोया है, तुम दोनों ने धोया है। [मराठी]

अभी और पानी डालें। वह सब डालो, मुझे लगता है। और भी बहुत कुछ चाहिए। ये बेहतर है। [मराठी]

या देवी सर्व भूतेशु।

सौ आठ नाम। आपने कहा कि आपको सौ-आठ नाम मिल गए हैं। एक सौ आठ नाम। आपने मुझे अपने हजार नाम दिखाए। ये हैं … एक सौ-आठ। ये हैं एक सौ-आठ नाम? …. महाकाली के। ओह, सौ नाम लो। इसकी शुरुआत श्री माता से होती है? उसे बाहर निकालो, ठीक है? …. सहस्रनाम। हाँ, हमारे पास श्री ललिता हैं। [मराठी]

यह स्तुति है, देवी द्वारा शुंभ, निशुंभ नामक दो राक्षसों को मारने के बाद। वे सब फिर से सीट पर वापस आ गए हैं। तो अब देवताओं की स्तुति, वही स्तुति करनी है। अब, हम शुरू करेंगे – आप जानते हैं कि एक बिंदु तक वह इसे पढ़ेगा, और फिर वह आपको बताएगा कि आपको इसे “या देवी सर्व भूतेशु” रखना है – वह आपको “बुद्धि” कहेगा, इसलिए आपको रखना चाहिए यह, “या देवी सर्व भूतेशु बुद्धि रूपेण संस्थिता।” आप जानते हैं कि – “नमस तसयै नमः तसयै नमः तस्यै नमोह नमः।” [मराठी] पहले वह इसकी शुरुआत कहेंगे। इस प्रकार, आप देखते हैं, देवताओं ने देवी की स्तुति की, जब उन्होंने शुंभ, निशुंभ का वध किया। इसलिए …। सबसे पहले आपको घी देना है – जिसे आप कहते हैं – घी। लेकिन चम्मच नहीं है। घी के लिए आपके पास कम से कम कोई चम्मच होना चाहिये। [मराठी]
साथ ही चंद्रमा। वह चाँद की तरह है। चेहरा चाँद जैसा है…. बस पानी।

“सर्व” सार है। सर्व करिणी: वह वह है जो हर चीज की शासक है। अति सौम्य, अति रुद्र है: अत्यंत कोमल, और अत्यंत कठोर। (…) हम बुद्धि हैं। वह हर इंसान में स्थित बुद्धि वही हैं। हर इंसान में बुद्धि, शुद्ध बुद्धि के रूप में उन्ही की अभिव्यक्ति होती है। ….
तो आप बस शब्द “श्रद्धा” कहें। और अब आप एक साथ दोहराते हैं। आप कहिये ‘श्रद्धा’ – अब कहो। निद्रा।
चीनी और फिर पानी होना चाहिए।

अब अविवाहित लड़कियां। [मराठी] अविवाहित। [मराठी] बॉम्बे में वह हमेशा करती थी। [मराठी] आप भी इसी तरह करें। [मराठी] अब। [मराठी] आपको कहना चाहिए, “साक्षात श्री माताजी श्री निर्मला देवी नमोह नमः। श्री माता साक्षात श्री…” – आप क्या कहते हैं? केवल “ओम त्वतमेव साक्षात श्री माता” कहें, बस इतना ही – “नमोह नमः।” हाँ, बस इतना ही। बस इतना ही।

[योगी: ये “श्री ललिता सहस्रनाम” में दिए गए महादेवी के हजार नामों में से एक सौ आठ हैं।]

पहला है “श्री माता।” तो अब कहो। [मराठी]

“पातक नाशिनी” – सभी पापों की नाशक। इसलिए मैंने कहा, दोषी मत समझो। वह सभी पापों की नाशक है। महा-पात: सबसे महान – महा-पातक नाशिनी।

“निस्तुला” – का अर्थ है “अतुलनीय।” [मराठी]

आपको सबसे पहले यहां पर छुना चाहिए। प्रथम। [मराठी] जाओ और हाथ धो लो। अविवाहित महिलाएं। अविवाहित।

[मराठी] पराशक्ति के साथ, जो भी काम वह देखती है वह सब होता है।

“योगदा।” [मराठी] मैंने तुम्हें योग दिया है, तुम देखो,संयोजन्।

“लब्धा। पुण्य-लाभ” – पुण्यों द्वारा। आप देखिए, अगर आपके पास कोई पुण्य नहीं है, तो आपको कुछ भी नहीं मिल सकता है। इसलिए यदि बहुत से लोग खो गए हैं, तो आपको चिंता नहीं करनी चाहिए; उनके पास कोई पुण्य नहीं है। आप क्या कर सकते हैं? “पुण्य-लब्धा।”

“शोभना-सुलभ-गति” – “शोभना” का अर्थ है “गरिमामयी”, “सुलभ” का अर्थ है “आसान” और उसके द्वारा, “गति” … “आंदोलन।” आप “शोभना-सुलभ-गति” के माध्यम से अपना आत्मबोध प्राप्त करते हैं। कोई लज्जाजनक व्यवहार नहीं है, या यह बहुत ही खूबसूरती से किया गया है, और “सुलभ” भी “आसान” है।

“शुभा-कारिणी” – शुभता की दाता। [मराठी]

लाल नहीं। नहीं, लाल नहीं। अब, दो। [मराठी] अविवाहित महिलाएं। [मराठी]

एक, एक व्यक्ति। ठीक है, आप सब! आप सभी को इसे हाथ में पकड़ना है। अब, इसे अपने हाथ में पकड़ो, तुम सब, यहाँ। अब ऊपर से। हाँ, बस इसे पकड़ो, दाहिना हाथ। इसे दाहिनी ओर से पकड़ें। यहां, कोई इसे पकड़ सकता है। अब, डाल दो। तो, आपका धन्यवाद।

“पाश-हंत्री, पाश-हंत्री” – [मराठी] आप देखिए, वे बंधन में हैं। वह वह है जो सभी बंधनों को समाप्त करती है, पाश।

परमात्मा आपका भला करे।

पावना कृतिह (मराठी)

“वंदारू-जन-वत्सला” – जो उन्हें नमन करते हैं, वह है … वह एक माँ की तरह उन पर कृपा करती है। वह उन्हें मातृत्व. जो उसे प्रणाम करते हैं, वह उन्हें मातृत्व देती है।

परमात्मा आपका भला करे। [मराठी]
माफ़ करना। मैं आपको बताती हूँ कि यह कैसे करना है, आप देखिए।

अब ठीक है? आपको आगे से पीछे की ओर जाना है, नहीं तो बाल आगे आने लगते हैं। क्या आप लोगों के लिए यह सब ठीक है? बस इसे पकड़ो। यह काफी बड़ा है, आप देखिए, बस – बस एक मिनट, मैं इसे लूंगी। इसे पकड़ो, एह? मैं इसे ठीक कर दूंगी। बस इसे पकड़ो।

कृष्ण में – यह कृष्ण का देश है, आप देखिए, और इस सब कुछ उल्टा होना चाहिए। ठीक है।

बड़ी समस्या! अब मुझे देखने दो। अब यह बेहतर है। हाँ, यह बेहतर विचार है। इसे इस तरह रखो। मैं एक रेड-इंडियन महिला की तरह दिखती हूं; इंका, इंका-शैली। ठीक है? दोनों हाथ।

किसी को पूरी तस्वीर लेनी चाहिए। मुझे आशा है कि आपको कुछ चमत्कारी तस्वीरें मिलेंगी।

आरती…

[मराठी] बस वहां एक बंधन दें। कुंडलिनी का बिल्कुल स्पष्ट। नहीं, घड़ी की विपरीत दिशा में। नहीं, नहीं, वहाँ, पर….

बस झुक जाओ। आइए देखते हैं। झुके रहो। हम आपकी कुंडलिनी देखना चाहते हैं। सब ठीक है। अब तुम उस पर कोशिश करो। बस इसे हिलायें। स्वाधिष्ठान। मध्य ह्रदय। तो इसे कस कर पकड़ो, पकड़ो। वह ठीक है। आप उनकी कुंडलिनी को नाभि पर देखें।

बस झुक जाओ। क्या वह ठीक है? बायां स्वाधिष्ठान और नाभि। तुम अभी आओ। वहीं बंधन दो। अब तुम ठीक हो। आप बिल्कुल ठीक हैं। हर कोई। आइए सभी को देखें। इसे देखना बेहतर है।

तुम बस एक मिनट साथ आओ। मैं सबकी कुंडलिनी देखना चाहती हूं। अब यह अच्छा है। अब डौग, तुम ठीक हो। आप बिल्कुल ठीक हैं।

लेकिन विशुद्धि में, कंठ, थोड़ा सा। ठीक है, अब एक-एक करके देखते हैं। अब बस दोनों हाथों को आगे की ओर रखें। जरा देखिए, उसकी कुंडलिनी। साथ आओ। देखिए, उसके वायब्रेशन। आह। ठीक है? नहीं, बाएँ – ठीक नहीं। हम देखेंगे, अभी। माइकल। अपनी सांस रोके। अपनी सांस रोके। हम्म। इसे छोड़ो। इसे छोड़ो। आह। नाभि। ठीक है? क्या तुम ठीक हो? आइए देखते हैं। अब शुरू हुआ। आप पूर्णतावादी हैं, आप सब! वह खुद एक परफेक्शनिस्ट हैं। हृदय।

पूर्ण! कुछ ज्यादा ही चिंतित हो गए। चिंता करने की कोई बात नहीं है। यह अब हो गया, ठीक है? वह ठीक है, अब। वह ठीक है। क्या तुम ठीक हो? क्यों? इसे पकड़ो, इसे वहीं पकड़ो। एक मिनट के लिए अपनी सांस रोककर रखें। अब छोड़ो….

तुम इधर आओ। यह महिला। हाँ, तुम यहाँ आओ। वह मध्य ह्रदय पर पकड़ रही है। अब, इसे पकड़ो। … बैठो, बैठो। अब, झुको। हा! इसे छोड़ो। सेंटर हार्ट …भवसागर … वह कुछ गुरुओं के पास गई है? आप थे? …. मुझे नहीं पता कि यह क्या है …. यह क्या है? (लेडी: इसे एडिटम का बिल्डर्स कहा जाता है)। के निर्माता? (एडिटम)। परमाणु? (मुझे लगता है कि यह एक ग्रीक शब्द है)…. सेंटर हार्ट आप पकड़ रहे हैं। कृपया अपनी सांस रोकें।

आप इसे छोड़ दें। फिर से अपनी सांस रोकें। हा! इसे छोड़ो। फिर से अपनी सांस रोकें। क्या अब आप बेहतर हैं? हा! इसे छोड़ो। क्या हाल है?

बायीं आज्ञा। आप सब सही हैं। क्या वह ठीक है? उसके वायब्रेशन देखें। उसे अपनी बाईं ओर काम करना है। लेफ्ट की समस्या है, मुझे लगता है। सेंटर हार्ट [मराठी] आह! अब यह अच्छा है … अब। ठीक है। क्या आपके पास ऐसा कोई है? छोटा वाला?

… क्या अब आप ठीक हैं? आप दूसरों के साथ फंस गए हैं। चिंता मत करो। चिंता करने की कोई बात नहीं है। प्रथम श्रेणी! अपना दाहिना हाथ उस ओर रखें। ठीक बात है। और बायाँ हाथ मेरी ओर। अब। तुम इतनी बातें क्यों सुनते हो? अभी ले लो…बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया। उसे बताएं कि यह कैसे करना है। इस तरफ थोड़ा। तुम उसे बताओ, इस तरफ थोड़ा। रखो, हा….बायीं नाभि।

वह कैसा है? …. बायां स्वाधिष्ठान। बेहतर? आपने ऐसा कितने दिनों में किया? लंबे समय तक नहीं? लगभग कितने वर्ष? इसे प्रकाश के बगल में रखो। उपर। वहां लाइट ठीक करना।

इसी बीच-बीच में आपको अपनी सांस रोककर रखनी है।

मराठी] आह! अच्छा। आप अभी ठीक हैं। ठीक है? वैंकूवर में क्या होता है? नियमित रूप से ध्यान करना चाहिए, यही वास्तविक तरीका है। अब देखते हैं…. पेट्रीसिया।

वह बहुत सख्त आश्रम से है – बाला महान के यहां से! तुम बिलकुल ठीक हो। आप बिल्कुल ठीक हैं। कोई बात नहीं।

हनुमान की तरह बहुत जल्द बाला यहांअमेरिका आ रहे हैं। लेकिन तुम देखो, जब वह सब ठीक करना शुरू कर देता है और वह सब ठीक है, लेकिन फिर कभी-कभी वह इतना थक जाता है, तो वह एक मुख्य शिकायत कर्ता बन जाता है, आप जानते हैं – है ना? तो मैंने उससे कहा है कि अगली बार जब तुम मुझसे किसी के बारे में शिकायत मत करो, नहीं तो वह मिल जाएगा….

… पूरा हो गया है। ठीक है, वह कर चुका है। उत्कृष्ट! तुम सही हो, ठीक है, साथ आओ। तुम बिलकुल ठीक हो। हाँ, अब साथ आओ। अगर आप चाहते हैं कि मैं आपको फिर से देखूं…। तुम बिलकुल ठीक हो। बहुत अच्छा। व्यापार के लिए (?) अब आपको अपनी नौकरी पर टिके रहना है, ठीक है? यह दाएं से बाएं, दाएं से बाएं जाता है – यह अच्छा नहीं है, है ना? बस मेरे बताये तरीके की कोशिश करो! ईश्वर आपका भला करे। मुझे लगता है, तुम ठीक हो जाओगे। लेकिन आप देखिए, आपका ह्रदय पकड़ा है, यह सब इसलिए है, क्योंकि अगर आप नौकरीयां बदलना शुरू करते हैं, तो यह आप पर काम करता है – अपने हाथ मेरी ओर रखो।

आप ठीक हैं, जेम्स, और सांताक्रूज के बावजूद! ईश्वर आपका भला करे। मैं वास्तव में इससे बहुत खुश हूं। मुझे नहीं पता था कि आपने सांताक्रूज में वहां काम किया है। ऐसा कुछ है जिसके बारे में मैं बहुत चिंतित हूं। परमात्मा आपका भला करे। मुझे बहुत खुशी है कि आप वहां हैं। कुछ काम हो रहा है। यह अच्छा है। तुम बहुत अच्छे हो। सांताक्रूज अन्यथा हो सकता है – [योगी: मुझे सांताक्रूज में रहना चाहिए?] हां, मुझे ऐसा लगता है, आप कर सकते हैं। बहुत कम लोग बिना पकड़े जा सकते हैं, इसलिए बेहतर होगा कि आप वहीं रहें। तो परमात्मा आप्को आशिर्वादित करे।

अब और कौन? तो सब हो गए? (मराठी) बहुत अच्छा
बहुत बढ़िया।… अब। अगर आप कर सकते हैं तो बेहतर होगा इसे निकाल लें। यह मेरा है, ठीक है, इसे बाहर निकालो, कोई बात नहीं। बेहतर? इस तरह आप लोगों के साथ व्यवहार कर सकते हैं, आप देखते हैं? आह, अब। बायीं … बायीं नाभि। आप बिल्कुल ठीक हैं। हाहा, अब, बेहतर? बेहतर।

[योगिनी: क्या मुझे अन्य अंगूठियां नहीं पहननी चाहिए?]

बेहतर होगा नहीं, क्योंकि कई बार आपके चक्र ठीक नहीं होते हैं। वो दबाव देते हैं…. क्या? हां, इसीकी जरूरत है। और कौन? साथ आओ, आओ। नाभि … स्वाधिष्ठान … कलात्मक? हा! सब ठीक है। रेस्टोरेंट में काम कर रहे हैं, तो हो सकता है…! वह ठीक है। अब साथ आओ, और कौन? आह, बेहतर, है ना?

मैं कह रही हूं कि तुम उसके लिए एक पति खोजो; क्योंकि तुम्हारे वाले की मैंने कुछ ही समय में खोज की थी! यह इतनी तीव्र्ता से हुई थी, इतनी तीव्र्ता से, है ना? जो लोग इसे बांधते हैं, वे अपने हाथ इस तरह रखें।

वाह, वाह, वाह, वाह, वाह! मुझे लगता है कि आप बस एक तस्वीर लिजिये। तो, एलेक्स, हर किसी को मिल गया? आगे आना। आइए देखते हैं। क्या अब आप ठीक हैं? बेहतर? अब बेहतर। इसे काम करने दें। यह सब ठीक है। हा, अब, क्या वह है? बाएं। दाईं ओर बाईं ओर। दाईं ओर से बाईं ओर। आह, बस। हा! …. हा! पूर्ण!

ठीक है? वह कैसा है? ले आओ उसे। दूसरा बच्चा कहाँ है? वह कहाँ है? शॉन. शॉन, यहाँ आओ। मैं चाहती थी कि तुम आओ और मुझे यह पहनाओ। आपको बनाना है – अच्छा, आप अभी ठीक हैं। ईश्वर भला करे – अब, अब, शॉन, तुम्हें इसे मेरे गले में डालना होगा; वह लज्जा महसूस कर रही है, आप देखिए। अब यह वाल, शर्म महसूस नहीं कर रहा है। अब, मुझे यह लेने दें। यह शर्मीला नहीं लगता। ओहोहो! यह शर्मीला नहीं लगता।

ओह! तुम रो रहे हो, तो वह भी रो रहा है! वो भी… अब देखिए, उन्होंने पूजा की है, उन्होंने मेरे लिए सब कुछ किया है, आपने कुछ नहीं किया है! शॉन, तुम्हें कुछ डालना है – ठीक है, चलो – उसे परेशान मत करो, वे सब सो रहे हैं।

[योगिनी अपने बच्चे को पहले दिए गए नाम के बारे में पूछती है]

आपने इसे “नरसिम्हा” रखा, उसे यह नाम किसने दिया? (योगिनी: आपने दिया) वह कहाँ था? (योगिनी: पिछले साल न्यूयॉर्क में कृष्ण पूजा में)। नरसिंहिनी। मैंने तुम्हें नाम दिया!

वह पैदा हुई थी – वह कब पैदा हुई थी? [योगिनी: पांचवीं जुलाई को।] आह, इसलिए, क्योंकि वह सिंह है। आप उसे एक और नाम भी दे सकते हैं, एक साधारण सा। यह देवी की शक्ति है, आप जानते हैं। ओह! कोई आ रहा है! आह!

आप उसे केसर कह सकते हैं। केसर। “केसर” का अर्थ है “शेर की शक्ति।” केसर। “केसरी” शेर है, और “केसर” शेर की शक्ति है; नरसिंह के समान ही। यह आसान है, केसर। वह क्या चाहती है? के-ई-एस-ए-आर। केसर। ठीक है। वह कुछ और पाना चाहता है। तुम जो चाहते हो, शॉन, तुम क्या चाहते हो? शॉन, तुम क्या लेना चाहते हो? आप यह पाना चाहते हैं? आप कौन सा खाना चाहते हैं? आपको कौन सा पसंद है? तुम भूखे हो। जो भी हो, ले लो। सब हो गए हैं? हेलो। साथ आओ, साथ आओ। आप क्या चाहते हैं? ठीक है ठीक है। उसे वहाँ कुछ करने दो। वे सभी अंगूर पसंद करते हैं। वहां।

तो चलिए मिलते हैं। झुकना पड़ेगा। आप – उसे अभी भी आना है, हाँ। आप क्या कहते हैं? आपके पास है, मैं देखता हूं। कितना प्यारा। वह शर्मीला है, बस इतना ही। वह उत्कृष्ट है, शॉन उत्कृष्ट है! बहुत सुंदर, अति उत्तम, अभी देखें! अब धीरे-धीरे आंखें खोलें। वह थोड़ा शर्मीला है।

[योगी: मक्खन।] आपने इसे बनाया? आपने इसे यहाँ बनाया है? सचमुच? यह बहुत अच्छा है! अब, इसे ले लो, यह ठीक है। अच्छा। परमात्मा आप्को आशिर्वादित करे।

चलो, अब मुझे देखने दो। क्या अब आप ठीक हैं? अभी नहीं? मुझे लगता है कि आप अधिक आराम से बैठते हैं।

तुम बहुत तंग हो। सहज रहें, यह महत्वपूर्ण है। और अब देखते हैं। क्या बात है? उसका बायाँ पक्ष आज इतना कड़ा है। वाम आज्ञा अभी भी है। और दायां स्वाधिष्ठान, हृदय…चक्र।

अब साथ आओ। डेविड, तू उसकी पीठ पर यह प्रकाश डाल। यहां। और अब तुम अपने दोनों हाथ मेरी ओर इस प्रकार रखो। आप दीप कोअपने हाथ में लिजीये, वह एक, वह एक। जो आपके सामने है। अब, वह ठीक है। वह ठीक है। आप सब सही हैं। ईश्वर आपका भला करे। आप बिल्कुल ठीक हैं। अब और कौन बचा? मराठी में भी हम कहते हैं कि “मैं” “मैं”, “मैं” है। बेहतर? अब – यह काम करेगा। [योगी: श्री ललिता।] यह पकड़ रहा है। धरती माता पर दाहिना हाथ रखो।

हा! वह ठीक है। आप बिल्कुल ठीक हैं। ईश्वर आपका भला करे। आइए। अब तुम जल्दी बड़े हो जाओ; आपको लोगों को आत्मबोध देना होगा! हा! ठीक है। वह ठीक है। आप बिल्कुल ठीक हैं। तुम अब साथ आओ। आप थे। आप सभी? अब ठीक। हृदय। दायां स्वाधिष्ठान। बायां स्वाधिष्ठान। हृदय। दोनों पक्षों। हृदय। संयोजन मज़ेदार है – बाएँ, दाएँ स्वाधिष्ठान और हृदय; मध्यह्रदय अब। [मराठी] हा! अपनी सांस रोके। ऐसा करो, वैसा करो। हा! बेहतर? अब बेहतर। अब बेहतर। बेहतर है, लेकिन उसे काम करना होगा। नमस्ते! इस पर काम करें, क्योंकि एक अजीब संयोजन: बाएं स्वाधिष्ठान, दायां स्वाधिष्ठान, हृदय और सहस्रार। अहंकार। इतना सरल है।

मेरा पैर रगड़ें, है ना? फिर भी। अब, तुम ऐसा करो कि अपना दाहिना हाथ मेरी ओर, बायां हाथ ऊपर करो। आइए देखते हैं, एक-एक करके। क्या अब आप बेहतर हैं? लेफ्ट अभी भी पकड़ रहा है।

तुम दोनों को कुछ नींबू और मिर्च क्यों नहीं मिलते? एक अच्छा विचार होगा।

आप क्या करते रहे हो? क्या आप गए हैं – मुझे नहीं पता कि आप क्या करते रहे हैं। मैं बस यह नहीं समझ पाती। आपको राइट साइड था, लेकिन आप्को इस बाएं पक्ष की पकड़ नहीं थी। बायीं नाभि। बहुत जल्दबाज़ जिगर। उस दृष्टी से आप काफी बेहतर हैं। बायीं नाभि तो ठीक है, लेकिन बायां स्वाधिष्ठान। वह आपकी मनोवृति है। क्या आप ध्यान करते हैं?

आप देखिए, मैंने अभी सोचा था कि राइट साइडेडनेस ऐसी जगह कम हो सकती है जहां शांती हो, ताकि आपकी स्पीड कम से कम सबसे पहले नीचे आ जाए। और फिर सब ठीक हो जाएगा। बस अपनी गति कम करो। आपको कहना चाहिए,”मैं कुछ नहीं करता”। ठीक है? सब कुछ परमात्मा के हाथ में सौंप दो। अभी तक वहीँ? अब बेहतर। यह बहुत आश्चर्य की बात है। वह क्या है? एक उपहार? यह सब ठीक है। शुक्रिया। यह क्या है – दो? दो चीजों की अनुमति नहीं है! वह क्या है? मैंने उपहार नहीं देखा! वह उसकी चाल है, मैं तुमसे कहती हूं: मैं इसे खरीद रही थी, और उसने इसे खरीदा! ओह, यह सुंदर है। इसलिए हम काफी देर तक झगड़ते रहे। श्री डैनी से जीतना आसान नहीं है!

लेकिन यह एक तरकीब है जिसे आपने खेला है। यह एक है, यह नहीं है। यह मुश्किल था। अन्य दो के लिए ठीक है, लेकिन यह मुश्किल था। यह एक सुंदर टुकड़ा है, है ना? ये मैग्नेट हैं?

सुंदर। बहुत अच्छा। हमें एक सूटकेस मिलना चाहिए जहां आप इन सभी चीजों को कई बक्सों में रख सकें। आप देखिए, इसमें अगर आप इसे डालते हैं….

नहीं, वह कह रहा था, डॉक्टर कह रहा था कि उसके पास एक बक्सा है जिसे वह खाली कर देगा। लेकिन अभी तक उन्होंने इन लोगों को फोन नहीं किया है। आह, वह उस बात पर चिंतित है। सब ठीक है अब। बेहतर? क्या तुम पहले से ठीक हो? मुझे लगता है कि पहले वित्तीय स्थिति में सुधार होना चाहिए, फिर आप ठीक हो जाएंगे। मुझे लगता है कि अगर आप वास्तव में मेक्सिको जाते हैं, तो इससे कुछ पैसे भी मिलेंगे। और वह बहुत चतुर भी है।

परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।

लेकिन स्थापित करने के लिए, वे इसे अचानक कैसे करेंगे? उन्हें यहां की सरकार से उन्हें रोजगार देने के लिए कहना है, या कुछ और। लेकिन वहां नौकरी की कोई समस्या नहीं है। ठीक है। वह एक अच्छा विचार है। ईश्वर आपका भला करे। मुझे नहीं पता कि उसका बॉस भी कैसा है। हो सकता है कि वह अपने बॉस, या कुछ और के साथ ग्रसित हुआ हो। वह कैसा है? [योगी: भयानक, माँ।] आह, बस। [योगी: गरम के चाचा।]

क्योंकि तुम इतने बुरे नहीं हो। मैं जानती हूँ। मैंने सुना। होना चाहिए, वह होना चाहिए। तो बेहतर है उसे अभी बदलो। जैसा कि वे कहते हैं, वे आपके लिए कुछ खोज सकते हैं। बेहतर हो प्रयास करें। क्योंकि इससे उसकी गति भी कम होगी, मुझे लगता है, क्योंकि आपका देश बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहा है, हाँ। यह बहुत तेज़ जगह भी है; अमेरिका का बेहद तेज। जिनके पास गति नहीं है वे यहां आ सकते हैं, लेकिन जिनके पास गति है उन्हें यहां से निकल जाना चाहिए।

पहले तो मैंने सोचा कि अगर आप न्यूयॉर्क जाते हैं तो अच्छा होगा, लेकिन न्यूयॉर्क भी कम नहीं है, और यह शोभा नहीं देगा। तो अगर इसे मेक्सिको में व्यवस्थित किया जा सके तो इसके जैसा, तो कुछ भी नहीं।

एक बार जब वे ठीक हो जाते हैं तो कोई समस्या नहीं होती, एक बार जब वे संतुलित हो जाते हैं; लेकिन दोनों ग्रसित हो गए हैं। और वे वहां के अच्छे लोग हैं, वे अच्छे हैं, वे उस देश के भयानक लोग नहीं हैं। सिवाय इस काले जादू के जो वे करते हैं, जिसे ठीक किया जा सकता है। धीरे-धीरे वे ठीक हो जाएंगे। वहां चीजें इतनी सस्ती हैं, इतनी सस्ती…. हस्तनिर्मित, हाँ, यह भी मशीनरी की तुलना में एक अच्छी बात है।

तो ठीक है, बहुत-बहुत धन्यवाद। ईश्वर आपका भला करे। पर्स के लिए धन्यवाद। परमात्मा आपका भला करे। अब जैसे तुमने मुझे पर्स दिया है, तुम्हारे पास यहाँ बहुत पैसा होना चाहिए! इस आश्रम में आपको ढेर सारा पैसा मिलना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अब तक किसी ने मुझे पर्स नहीं दिया. यह पहली बार है।

[योगी: शुभता के लिए हमें एक डॉलर डालना चाहिए था।]

आह, यह एक अच्छा विचार है – फिर एक डॉलर। पांच डॉलर बहुत ज्यादा है। एक डॉलर। नहीं नहीं नहीं नहीं। ये है पूजा का पैसा? तो आप इसे वहां सामान्य पूजा में देते हैं, जब उनके पास यह होता है, एह? अब मेरे पास यह पर्स है, बस। आपके पास एक डॉलर नहीं है, है ना? ठीक है। लेकिन वह अब इक्कीस दे चुका है। वह एक और कठिन व्यक्ति है! ठीक है। अब मैं क्या कह रही हूँ कि यह पूजा का जो पैसा तुम्हारे पास है, तुम उसे गिनकर एक पैकेट में रख दो, सामान्य पूजा के पैसे मुझे दे दो, लेकिन तुम्हारी तरफ से – ठीक है? तो असली पूजा के लिए यह वहाँ होने जा रहा है। यह निश्चित रूप से एक वास्तविक पूजा भी है, आज, यह एक महान पूजा थी, लेकिन कृष्ण पूजा हम वहां करने जा रहे हैं। तो आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, यह मेरे लिए काफी स्मार्ट है। बहुत अच्छा। इस बार, आप जानते हैं, सौभाग्य से मुझे चार बल/पर्स (?) मिल गए हैं।

हमें उस सज्जन को बंधन देना चाहिए।