The English Are Scholars, Seminar

Totley Hall Training College, Sheffield (England)

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“अंग्रेज विद्वान हैं”
अंग्रेज संगोष्ठी, शेफ़ील्ड (यूके), 21 सितंबर 1985।

जैसा कि मैंने कल कहा, यह क्षेत्र है; वह क्षेत्र जहाँ प्रबोध को आना है। इतने दीपों से क्षेत्र को जगमगाना पड़ता है। और यह क्षेत्र जो प्रबुद्ध है, प्रकृति से भी समृद्ध है। और जब तुम गा रहे थे, तो मुझे लगा कि बादल स्वरों को पकड़ रहे हैं, उन्हें अपने भीतर बुन रहे हैं और जब बारिश होगी, तो बारिश फिर से गीत गाएगी; मानो घाटियाँ इतनी खूबसूरती से गूंज रही हों। और प्रतिध्वनि बहुत कोमल थी और पूरे वातावरण को भर रही थी।

शायद आपको ईश्वरीय सूक्ष्मता के बारे में पता नहीं है कि वह इसे कार्यांवित करने के लिए कितना उत्सुक है । लेकिन हमारे यंत्र हमारी तुरहियां और हमारी बांसुरी और हमारे ढोल ठीक होने चाहिए। तालमेल होना चाहिए, पूरी तरह से तालमेल बिठाना चाहिए-तब माधुर्य सुन्दर ढंग से बजाया जाता है।

बादल केवल शुद्धतम जल, शुद्धतम स्तोत्र वहन कर ले जाते हैं। इसलिए, जब हम संदेश फैला रहे हैं, तो हमें यह समझना होगा कि इसे एक शुद्ध स्रोत से आना चाहिये। शुद्धता बहुत जरूरी है। पवित्रता वाले हिस्से के बारे में मैंने पहले से ही बात की है, जो मूलाधार है, जो आज बहुत महत्वपूर्ण है; आप इसे स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि यह कितना महत्वपूर्ण है। लेकिन यह उसका अंत नहीं है, यह तो बस शुरुआत है – बस शुरुआत है।

लेकिन हमें जो देखना है वह हमारे भीतर बहुत ही सहज निर्मित है। और आज जब हम दिलों के दिल में बैठे हैं यानि शेफ़ील्ड, जहाँ स्टील बनता है – ह्रदय में स्टील, कभी-कभी आपको ह्रदय में भी एक भाग स्टील का आवश्यक होता है – हमें देखना होगा कि हमारे पास कहाँ कमी है, हमारी बुनियादी समस्या क्या है। हमें इसका सामना करना चाहिए।

तो हम अंग्रेज हैं, हमें सोचना होगा कि हमारा दिमाग कैसे काम करता है, दिमाग
किस तरह काम करने का आदी है; परंपरागत रूप से हमें कितनी समस्याओं में लाया गया है। जब हम चारों ओर देखते हैं कि कैसे हमने कुछ ऐसी चीजों को स्वीकार कर लिया है जो बहुत ही बेतुकी और व्यर्थ थीं, जैसे अमेरिका में या फ्रांस और अन्य जगहों पर, जैसे कि हमारा अपना कोई व्यक्तित्व नहीं है।

हमने दूसरों को क्या दिया? लोग अंग्रेजों के बारे में क्या धारणा रखते हैं? हिप्पी? या आप इन दिनों इन्हे क्या कहते हैं ‘आधुनिक ‘? बदमाश? ऐसा क्या है जो हमें देना है? एक सम्माननीय छवि, अंग्रेजों की, अंग्रेजों की एक सम्मानजनक छवि है। हमें सम्मानित रहना होगा। हमें सम्माननीय लोग बनना है। और हमें अपना सम्मान बनाए रखना चाहिए। और अगर हम चालाक लोग हैं तो, सम्मान नहीं आ सकता है या व्यक्त नहीं किया जा सकता है । यह बहुत सतही होगा, कोई भी यह पता लगा सकता है कि क्या हमारे भीतर वह चालाकी है।

अब यह एक ऐसा चरित्र हो गया है जो बहुत चालाक हो सकता है। इसी की मैंने आज सुबह चर्चा की। उस पर सावधान रहें। सचेत रहें। यह अहंकार की चालबाज़ी है। इसका शिकार न बनें। और फिर वह हमारी भाषाओं में भी काम करता है।

अब अंग्रेजी भाषा अब विशेष रूप से सम्मानित भाषा है क्योंकि यह सहज योग की भी भाषा है। बेशक, हम हिंदी, मराठी और फिर अंग्रेजी का उपयोग करते हैं। लेकिन अंग्रेजी वह भाषा है जिसमें मेरे भाषण हैं, इसलिए इसका सम्मान किया जाना चाहिए।

हमारे अंदर सम्मान की भावना होनी चाहिए जो सम्मान करने से आती है। जब आप खुद का सम्मान करते हैं, तो आप दूसरों का सम्मान करते हैं। अगर आप खुद का सम्मान नहीं करते हैं तो आप दूसरों का सम्मान नहीं कर सकते। और यही मैंने पाया है कि, जब लोगों ने संस्कृति-विरोधी और हर तरह की चीजों को अपनाया, तो पहली बात उन्होंने जो की, वह थी किसी भी चीज का सम्मान नहीं करना।

और कल ही मुझे पता चला कि भाषा की गिरावट जो हुई है, वह इसी से आई है। मजाकिया लहजे के साथ बोलना फैशनेबल है। और मैं नकल कर रहा था कि अमेरिकी बत्तख की तरह बोलते हैं – क्वैक, क्वैक, क्वैक लेकिन अंग्रेज कौवे की तरह बोलते हैं – कौवा, कौवा, कौवा। और हमारे पास एक समस्या है असली अंग्रेजी भाषा नही होने की ।

अभी-अभी निक की पत्नी ने मुझसे कहा कि अंग्रेज़ जैसे बोलते हैं वह समझ नहीं पा रही है। मैंने कहा, “मेरे साथ भी वही बात है, मुझे भी समझ नहीं आ रहा है।” यह भाषा के लहज़े की समस्या है। एक सज्जन जो भारत से आए थे, बहुत पढ़े-लिखे सज्जन, उन्होंने अंग्रेजी में एमए किया, वे वापस आए और उन्होंने कहा, “मुझे वहां भाषा में समस्या थी।” मैंने बोला क्यू?” उन्होंने कहा, “वे हर तरह की [कंठबोली] बोलते हैं। वे इसे हर तरह से मोड़ देते हैं और पढ़े-लिखे लोग इस तरह बात करते हैं!” और आश्चर्य हुआ कि यह भी संस्कृति-विरोध से आया है कि इस तरह बोलने का एक फैशन है। और मैं इस काअर्थ नही समझ सका। इसका मतलब है कि यह ईश्वर विरोधी है।
इसलिए आपको अपनी भाषा का सम्मान करना चाहिए। हो सकता है कि आप इसे हिप्पी अवस्था से प्राप्त कर रहे हों या आप इसे कैम्ब्रिज या ऑक्सफोर्ड या पब्लिक स्कूलों से भी प्राप्त कर रहे हों। जो कुछ भी है, स्रोत कुछ भी हो, या तो यह भाषा पर आक्रमण है या भाषा के प्रति कोई सम्मान नहीं है।

इसलिए भाषा में, भाषा बोलने में, सीधी-सादी अंग्रेजी भाषा बोलने का प्रयास करें। क्योंकि हम अंतरराष्ट्रीय लोग हैं। अब हम अंग्रेज नहीं रहे। हम अब वैश्विक लोग बन गए हैं। हमारा एक वैश्विक व्यक्तित्व है और वैश्विक लोगों के रूप में हमें एक ऐसी भाषा बोलनी होगी जिसे हर कोई समझ सके। हम कॉकनीड (स्लैंग) भाषा नहीं बोल सकते। मेरा मतलब है कि भारत में भी हमारे पास बहुत सारे कंठ-स्वर हैं लेकिन सहज योगी उस भाषा को नहीं बोलें। आप किसी भी भारतीय भाषा के विशेषज्ञ होने पर भी उस बकवास भाषा को नहीं समझेंगे जो हम बोलते हैं।

तो, सबसे पहले, आपको किसी भी चीज़ से ज्यादा अपनी भाषा का सम्मान करना चाहिए। यदि आप अपने देश, अपनी भाषा, अपने साहित्य, जो आपकी इमारतें हैं, अपनी उदात्त चीजों का सम्मान नहीं कर सकते, तो आप किसी और चीज का सम्मान कैसे कर सकते हैं? यह आपकी धरती है जिस पर इस तरह हमला नहीं किया जाना चाहिये। इसका मतलब यह नहीं है कि हम राष्ट्रवादी बन जाते हैं। मेरा वह मतलब नहीं था। लेकिन एक पेड़ के रूप में विकसित होने के लिए आपको अपनी मिट्टी को जानना होगा और आपको सम्मान करना होगाऔर सम्मानजनक होना होगा।

कहाँ है वो अंग्रेज़ सम्मान जिसके बारे में मैं सुना करती थी? क्या यह कहीं पतली हवा में खो गया है? सम्माननीय व्यक्ति कभी कर बाकी नहीं रखेगा, अपनी पत्नी के साथ बुरा व्यवहार नहीं करेगा, अपने पति के साथ बुरा व्यवहार नहीं करेगी, उनसे अशिष्टता नहीं करेगा, सम्मानजनक होगा, बच्चों का सम्मान करेगा। पहली बात तो यह है कि वह सबकी आजादी का सम्मान करे। अगर वह मतलबी है तो वह सम्माननीय नहीं है। यदि वह उदार नहीं है तो वह सम्माननीय नहीं है। यदि वह कानून की अवहेलना करता है तो भी वह सम्माननीय नहीं है। हमें कानून की अवहेलना क्यों करनी चाहिए? मैं बस नहीं समझ पाती। वास्तव में, अंग्रेजी कानून देवदूतों पर ही लागु हैं जो मैं आपको बताती हूँ – भयानक! लेकिन इस का फायदा शैतान ही उठाते हैं। कोई बात नहीं, बेशक, कानून बहुत अच्छे हैं। लेकिन हम बेवजह कानूनों को क्यों तोड़ें? यदि आवश्यक हो तो ठीक है। लेकिन हर छोटी बात के लिए अगर आप नियमों को तोड़ना शुरू कर देते हैं तो हम भगवान के नियमों को भी तोड़ना शुरू कर देते हैं।

इसलिए हमें ये सब बातें सीखनी होंगी। आइए हम सम्मानजनक तरीके से रहें, उन चीजों को स्वीकार करें जो अच्छी हैं लेकिन फैशनेबल नहीं हैं। अब ऐसा होना फैशनेबल है; ऐसा होना फैशनेबल है। अब मुझे ऐसा लगता है कि फैशन को वही लोग स्वीकार करते हैं जिनका खुद का कोई व्यक्तित्व नहीं होता।

कल अगर कोई यह कहना शुरू करे कि, “आप अपने सिर पर जैम का एक खाली टिन रख लें,” मान लीजिए कि अगर वे ऐसा कहते हैं: “आप लम्बे दिखेंगे,” या ऐसा ही कुछ। मेरा मतलब है शायद थोड़ा। या, “जैम को अपने चेहरे पर लगा लें!” कोई भी मसखरा बकवास हम इतनी आसानी से स्वीकार कर लेते हैं। यह सब जोकरपना है। और जोकर ही ऐसी नकल करते हैं, क्योंकि उन्हें जोकर बन कर
इस जरिए लोगों का मनोरंजन करना होता है। लेकिन क्या अब हमें जोकर बनना है? तो हमारे चरित्र में इस तरह के अंतर से – कि हम बिना समझे दूसरों की नकल करने की कोशिश करते हैं जैसाकि वे कर रहे हैं – हम जोकर बन रहे हैं। मेरा मतलब है कि आप ऐसे बहुत से लोगों को देख सकते हैं।
तो मसखरापन अब अंग्रेजी चरित्र में से एक है। वे वास्तव में कभी-कभी मुझे जोकरों की तरह दिखाई देते हैं, क्योंकि वे दूसरों की नकल करने की कोशिश करते हैं और जब भी आप दूसरों की नकल करने की कोशिश करते हैं तो आप दूसरे जैसे नहीं बन जाते हैं। जैसे हम नकल करने की कोशिश करें, उदाहरण के लिए, अमेरिकन की – बहुत मुश्किल होगा; क्योंकि वे इतने बचकाने और मूर्ख हैं कि हम वह नकल बहुत अच्छी नहीं कर सकते। मैंने कुछ अमेरिकियों की एक फिल्म देखी है – मुझे आशा है कि यहां कोई अमेरिकी नहीं बैठे हैं – जहां उनके पास लगभग सौ लोग थे, सत्तर या अस्सी वर्ष से अधिक उम्र के अभिनेता और अभिनेत्री सभी कांप रहे थे और वे सभी अजीब कपड़े पहने हुए थे, या आधे गायब, हर तरह की चीजें गायब; सामान्य से कम कपड़े। और वे अज़ीब सा नृत्य कर रहे थे, सभी लाठी पकड़ के चल रहे थे और थरथरा रहे थे; या वे पहले से ही कांप रहे थे।

अब अंग्रेजों के बारे में, वे अपने छाते का उपयोग करना पसंद करते हैं ऐसा मुझे लगता है। चुंकि आप लाठी नहीं रखते, आप छाते रखते हैं,इसलिये वे मसखरे दिखेंगे। इसलिए कुछ ऐसा करने की कोशिश करना जो अमेरिकन है बेवकूफी होगी। जैसे वे बाहर हैं उसकी भी नकल करने की जरूरत नहीं है; फिर जैसे वे अंदर से है उसकी नकल भी क्यों की जाए?

जब आप प्रकृति की तरह एक वैश्विक व्यक्तित्व होते हैं, तो आप देख सकते हैं कि एक आम का पेड़ आम के पेड़ जैसा दिखता है। यह सेब के पेड़ की तरह बनने की कोशिश नहीं करता है? और फिर वह आम जब पक जाता है तो सारी दुनिया में जाता है। जो सबसे अच्छा आम है वह रूस में मिल सकता है, आप इसे अमेरिका में पा सकते हैं, आप इसे हर जगह पा सकते हैं। इस तरह यह एक वैश्विक व्यक्तित्व बन जाता है। लेकिन आम तो आम ही रहता है; यह एक सेब नहीं होता है। कौन भारत से सेब का आयात करेगा? इंग्लैंड में ऐसा करना बेवकूफी होगी।

तो जैसा व्यक्तित्व आप का पहले से हैं – आप एक ब्रिटिश व्यक्तित्व हैं, या अंग्रेज व्यक्तित्व या आयरिश व्यक्तित्व, या आप जो भी व्यक्तित्व हैं – ऐसा होना चाहिए कि यह दूसरों के लिए पोषक, आनंददायी प्रस्तुती योग्य हो। यह कैसे संभव है? आपको उत्कृष्ट, प्रथम श्रेणी, शीर्ष व्यक्तित्व होना चाहिए। इसलिए इस धूर्तता का त्याग करना चाहिए। और यह इंग्लैंड में इतना आ गया है कि मुझे लगता है कि इन बेवकूफी भरी बातों से ह्रदय बिल्कुल दबाव मे है।

लेकिन कुछ बेतुकी बातें हैं जो हमारे भीतर आ गई हैं जिन्हें हमें छोड़ देना चाहिए, जैसा कि मैंने सबसे पहले कहा था – धूर्तता। तब हमारी भाषा में सीधी-सादी अभिव्यक्ति होनी चाहिए। कोई व्यंग्य नहीं। तानेबाज़ी करने में कोई बुद्धिमानी नहीं है। दूसरों को कुछ अच्छा कहना एक महान कला है। क्या हमने दूसरों को कुछ अच्छा कहने की कला विकसित कर ली है? यह कला सहजयोगियों द्वारा विकसित की जानी है: दूसरों को कुछ मीठा और अच्छा कैसे कहें।

यदि आप अच्छी बातें कहने का कोमल तरीका विकसित कर सकते हैं तो बाद में आप देखेंगे कि आप दूसरों के लिए अच्छी चीजें करने में भी सक्षम होंगे – छोटी, छोटी चीजें इधर-उधर। जैसे छोटी बच्ची एक के बाद एक खूबसूरत गुलाबी फूल ला रही हो। आप मेरे प्रतिअच्छे हैं इसमें कोई संदेह नहीं है; लेकिन एक दूसरे के प्रति? और अन्य लोगों के प्रति जो हमारे पास आते हैं? तो अच्छी बातें कैसे कहें, क्या कहें, कब कहें – यह हमें सीखना चाहिए ताकि हम सुसंचार स्थापित कर सकें। आत्म-मुग्धता या पुर्वाग्रह-विचार आपको वह कभी नहीं दे सकता। “मुझे परवाह नहीं है! ठीक है उसे नाराज़ रहने दो। तो मुझे क्या फ़र्क पड़ता है?” यह एक बहुत ही सामान्य अभिव्यक्ति है। लेकिन यदि आप उस व्यक्ति से पुछें कि, “तुम क्रोधित क्यों हो? मुझे इस बात की परवाह है कि तुम गुस्से में हो। समस्या क्या है? क्या मैं वहां आपकी मदद नहीं कर सकता?” – खत्म। वह सोचेगा कि, “अवश्य ही मैं यहाँ किस प्रकार के देवदूत से मिल रहा हूँ?”

जैसे कल ही, वह आदमी बहुत आक्रामक था और उसने मुझसे स्वर्ग और नर्क वगैरह के बारे में प्रश्न किया और मेंने परवाह नही की – वह निष्प्रभावी हो गया।

आपको यह सीखना चाहिए, यह एक कला है जिसे सीखना है। अपनी कठोर जीभ और अपने गर्म स्वभाव पर गर्व न करें। गर्व मत करो। कि, “मैं उससे नाराज़ हूँ, तो क्या?” क्या दूसरों से नाराज़ होना बहुत अच्छी बात है? “मुझे बहुत गुस्सा आया!” बड़े गर्व से वे मुझे बताएंगे। “मुझे इसके लिए बहुत गुस्सा आया!” क्यों? जैसा कि क्राइस्ट ने कहा है, केवल एक क्रोध की अनुमति है: यदि कोई आपकी माता के विरुद्ध कुछ कहता है। कि वह बर्दाश्त नहीं करने वाला है! लेकिन वह भी नियंत्रित। कल बहुत से लोग गुस्से में थे लेकिन यह ठीक था: मुझे पता है कि चीजों को कैसे संभालना है।

इसलिए हमें खुद से यह कहना भी सीखना होगा: आइए हम इतने पुर्वाग्रह ग्रसित न हों। हमें बहुत कुछ सीखना है। देखने के लिए बहुत कुछ है, सीखने के लिए बहुत कुछ है, समझने के लिए बहुत कुछ है; बाहर भी। जैसे अंग्रेज स्वभाव से बिल्कुल एकांगी होते हैं। उनके जैसे एक और लोग जापानी है – समान प्रकार का स्वभाव। जापानी भी ज्यादा बात नहीं करते हैं लेकिन कुछ भी अवशोषित नहीं करते हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि तीन सौ साल अंग्रेज भारत में थे, उन्होंने कुछ नहीं सीखा! आप कल्पना कर सकते हैं? क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं? तीन सौ साल! पीढ़ीयां! सात या आठ पीढ़ियाँ वे भारत में थे। जबकि जब भारतीय यहांआते हैं तो उनका भी कोई व्यक्तित्व नहीं होता। वे तुम्हारे कपड़े सीखते हैं, वे तुम्हारी भाषा सीखते हैं, वे सब कुछ उठाते हैं; वे उसी तरह उच्चारण के साथ बात करते हैं और सौ बार वे इसमें प्रचलित गंदे शब्द कहेंगे और वे कहेंगे, “हाँ यार,” “नहीं यार,” “क्या आदमी?” – एक महिला को भी! ‘उभयलिंगी’। उनके पास बहुत अधिक अवशोषण क्षमता है! वे सब कुछ अवशोषित करते हैं जबकि आप कुछ भी अवशोषित नहीं करते हैं। तो मुझे लगता है कि ये दो मामले हैं अति के।

तो जैसा कि संस्कृत में कहा गया है कि: बगुले, हंस, और सारस में क्या अंतर है? तो बगुले और हंस में क्या अंतर है? तो जब उन्हें पानी और दूध में अंतर करना होगा तो आप पता लगा सकते हैं कि क्रेन कौन है और हंस कौन है। “नीर क्षीर विवेक हेतु”। ‘विवेक’ उचित निर्णय (भेद- क्षमता) है। तो अगर आप हंस के आगे दूध में पानी मिला कर देंगे तो हंस केवल दूध को चूस लेगा और सारस सारा ही चूस लेगा, उसे समझ नहीं पड़ेगा। तो यही है – हम फिर से उसी बिंदु पर आते हैं – विवेक है जिसे हमें विकसित करना है।

तो यह विवेक का हिस्सा है। कि हमें हर जगह से वह सब कुछ प्राप्त करना है जो भला है, जो अच्छा है; और जो बहुत है, इतना बहुत है। जैसा कि मैं बताउंगी, अंग्रेजों के बारे में क्या अच्छा है? आइए देखते हैं।

क्या आप मुझे बता सकते हैं, कौन मुझे यह बताने वाला है?

सहज योगी : उनमें बहुत सहनशीलता है।
श्री माताजी : उन्होंने क्या कहा? सहनशीलता। नहीं, नहीं, बिलकुल नहीं। यह एक सामान्य गुण होना चाहिए, चाहे आप सहज योगी हों या नहीं। सहनशीलता सबसे कम है, यही तो है जिसकी कुछ कमी है।

सहज योगी : वे अच्छे नेता हैं श्री माताजी।

श्री माताजी: आपको ऐसा लगता है? (हँसी)

सहज योगी: निष्पक्ष।

श्री माताजी : निष्पक्ष अभी के बारे में, मैं नहीं जानती। ऐसा हो सकता है। वे भारतीयों के प्रति बहुत निष्पक्ष नहीं रहे थे, क्या वे थे? वे चीनी लोगोंके साथ बहुत निष्पक्ष नहीं थे, कभी नहीं। अभी भी आगे बढ़ो।

सहज योगी: वे मौसम के बारे में बात करने में अच्छे हैं। (हँसी)

श्री माताजी : वह मौसम खराब होगा। (हँसना)

हां, मेरा मतलब सतहीपन से है, लेकिन यह कोईअच्छी बात नहीं है।

सहज योगी : श्री माताजी, वे बहुत तेज दिमाग वाले हैं।

श्री माताजी : तीव्र क्या? तेज दिमाग।

सहज योगी: बुद्धि।

श्री माताजी : तुम करीब-करीब हो, पर पुरे वहां नहीं।

सहज योगिनी: आविष्कारशील।

श्री माताजी : इतने नहीं, अमेरिकी बेहतर हैं।

सहज योगी: सूक्ष्म।

श्री माताजी : सूक्ष्म। मैं ऐसा नहीं कहूंगी। इतना नहीं, इतना नहीं।

सहज योगी: वे दूसरों की मदद करना चाहते हैं।

श्री माताजी : विरले ही! (हँसी)

सहज योगी: जोड़ तोड़

श्री माताजी: यह तो बुरा है।

सहज योगिनी: वफादार, माँ। निष्ठावान।

श्री माताजी: वफादार? वे विश्वासघात, समस्याएं पैदा करते हैं। वे लोगों को लड़ाते हैं।

सहज योगिनी : माँ, एक बार जब उन्हें कुछ अच्छा मिल जाता है तो वे उस पर टिके रहते हैं।

श्री माताजी: काश वे ऐसा कर पाते! काश वे ऐसा कर पाते, लेकिन जिस तरह से वे गायब हुए, हर बार हमारे कार्यक्रम होते थे, उसके बाद, जैसा भी मैंने पाया वह सब कुछ गायब हो गया।

गुणवत्ता पर कायम रहने का गुण गायब है।

अब ठीक है सब ने कह लिया है? काश आपमें वो सारे गुण होते। आप ऐसा कर सकते हैं। क्यों नहीं? तो वांछित सभी गुण व्यक्त किए गए हैं। लेकिन वास्तव में कौन से हैं? क्या मुझे तुम्हें बताना चाहिए?
विद्वत्ता। प्रवृति से छात्र। सहज योग? सब कुछ पढ़ेंगे। सहज योग का अर्थ कुंडलिनी है, इसका अमूक-अमूक अर्थ है कि, पुस्तकालय में जा कर, सब कुछ पता लगाना। बस इसे जानो। विद्वत्ता। यही उनका गुण है। और इसे चारों तरफ फैलाना चाहिये।

क्या आप वहां सहमत हैं?

सहज योग की विद्वता को पूरी दुनिया में फैलाना है। यहां की महिलाएं खासतौर पर पुरुषों से मुकाबला करना चाहती हैं। बहुत मुश्किल, अंग्रेज़ औरतें, आसान नहीं। सभी नहीं, लेकिन कुछ। उन्हें सहज योग का विद्वान बनना चाहिए। मुझेआश्चर्य है कि डेरेक [ली] जैसे लोग या हेस्टा [स्पाइरो] जैसे लोग यह बात नहीं समझ सके।

विद्वत्ता एक चीज है और इसलिए उन्हें हर जगह सम्मानित किया जाता है क्योंकि वे विद्वान हैं। और अब देखो, हृदय विद्वान बनता जा रहा है। यह मस्तिष्क और हृदय का एकीकरण है।

इंग्लैंड में हमारे पास सहज योग के बहुत से विद्वान हैं। हमें एक वहाँ और एक यहाँ-वहाँ मिल सकता है। जैसे हम स्विट्जरलैंड में कह सकते हैं कि आपको ग्रेगोइरे और अर्नेउ मिले हैं, लेकिन विद्वत्ता वाले कितने हैं? और बहुत गहरी विद्वता। और यही आपको और विकसित करना है। खासकर महिलाओं को बहुत कुछ सीखना होगा। यह ज्ञान है। सभी पेचीदगियों, सभी बारीकियों को समझने का, और उस विद्वतापूर्ण तरीके से काम करके, आप वास्तव में सहज योग की सबसे बड़ी सेवा करेंगे।

और विद्वान होना बहुत सम्मानजनक बात है। और एक बार जब आप विद्वान हो जाते हैं, तो यह ज्ञान जो आपके दिमाग में चला जाता है, आपके ह्रदय में भी जाता है। हर विषय मेंअधय्यन-प्रवृत्ति। विद्वान भिन्न होते हैं,आविष्कारशील लोगों से जो बहुत कम जानने के बावज़ूद कुछ आविष्कार कर सकते हैं, यह अलग बात है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तुम जा करऔर विवेकानंद और वह सब पढ़ो! इसका मतलब यह नहीं है! की तुम हर पुस्तकालय, हर जगह जाओ और सत्य की खोज करो। विलियम ब्लेक? एक शोधार्थी! इस देश में कितने विद्वान रहे हैं। उनमें से अधिकांश साक्षात्कारी-आत्माएं थीं। इंग्लैंड में हमारे पास अधिकतम संख्या है, पश्चिम में मैं कह रही हूं, अधिकतम संख्या में विद्वान, जो साक्षात्कारी-आत्मा थे। इतने छोटे, छोटे से देश में।
भारत में निश्चित रूप से हमारे पास ऐसे संत थे जो विद्वान थे, संत जो विद्वान नहीं थे। तो विद्वत्ता वाली भुमिका की जिम्मेदारीआपकी है। और एक विद्वान की तरह आपको बहुत सी चीजों से ऊपर होना होगा। एक विद्वान बेहुदी बातों के लिए नीचे नहीं गिरता है; वह एक सतही बात नहीं अपनाता है। बचकाना व्यवहार करना या सेक्स और इन सभी बेतुके विचारों को अपनाना उसकी गरिमा से निम्न बात है।

लेकिन विद्वत्ता का बुनियादी गुणआपको मिला है जो मुझे बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि ह्रदय का विद्वान हो जाना बहुत बड़ी बात है। यह एक संतुलन है, यह एक वास्तविक संतुलन है, और वह लोहा है, जो इंग्लैंड का लोहा है, विद्वत्ता है। इस तरह से एक नए यरूशलेम का निर्माण किया जाना है। पुराना नहीं जहां वे केवल श्रद्धावान थे, बस गीत और भजन गाते जा रहे थे – और कुछ भी नहीं। लेकिन विद्वता, संपूर्ण ज्ञान। वे कुंडलिनी के बारे में सब कुछ जानते हैं, वे सभी चक्रों के बारे में जानते हैं, वे इसके बारे में सभी विस्तृत विवरण जानते हैं। और यदि आप चाहें, तो आपकी माता ने इंग्लैंड में सबसे अधिक व्याख्यान दिए हैं, क्योंकि वहां विद्वान हैं। तो उसे सुरक्षित रखें, उसका विकास करें, तभी आपके पास अन्य सभी गुण होंगे जिनका आपने अभी-अभी वर्णन किया है।

लेकिन ध्यान रहे कि आप योगी हैं, लेकिन अपने विषय के विद्वान हैं। आप जिस भी विषय पर काम कर रहे हैं, उसे लें – यहां तक ​​कि एक साधारण चीज़ भी हो, हम कह सकते हैं। यदि आप एक बढ़ई हैं तो आपको लकड़ी के बारे में सब कुछ पता होना चाहिए: यह लकड़ी क्या है? यह कहाँ से आती है? यह क्या है? किस लिए इस्तेमाल किया जा सकता है? इस लकड़ी का घनत्व कितना है? रासायनिक संरचना क्या है? इसके बारे में आपको सब कुछ जो भी हो पता होना चाहिए। और यही वह है जो आपको दुनिया के अन्य लोगों को देना है।

एक बार जब आप यह सब करना शुरू कर देंगे, तो आप उन सभी कदाचारों को छोड़ देंगे जो अंग्रेजों ने अपनाए हैं। सबसे पहली, उनकी सबसे बुरी बात है, दो व्यक्तियों के बीच समस्याएं पैदा करना – वे इसमें अधिकअच्छे हैं। जैसे, अब आप देखते हैं कि दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने क्या किया? काले रंग के ही विभीन्न प्रकार वाले लोगों के बीच समस्या पैदा कर दी। बहुत चालाक! अब जब इस विद्वता को विकृत कर दिया गया तो उन्ही लोगों ने ऐसा विचार शुरू किया कि अश्वेत आदिम हैं। वे ही हैं जिन्होंने ऐसी सोच को पेश किया। वही विद्वत्ता बुरे उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती है। ऐसे विचार देने वाले लगभग चार या पाँच लेखक थे जिन्होंने कहा कि वे आदिम थे। बहुत अच्छा! उन्हें आदिम के रूप में ब्रांड करें। क्योंकि विद्वान किसी भी चीज को कुछ भी छाप लगा सकते हैं।

इसलिए अच्छाई लाना हमारे लिए आवश्यक हो जाता है। इस दुनिया का कल्याण लाने के लिए हमें कल्याणकारी बातें लिखनी चाहिए, कुछ आदर्शवादी, कुछ उच्चतर, कुछ आशावान, कुछ ऐसा लिखना चाहिए जो उन्हें समझ का एक नया आयाम दे।

सभी सहजयोगियों को लिखना शुरू कर देना चाहिए। रामदास स्वामी ने कहा है कि, “हर दिन आपको कुछ न कुछ अवश्य लिखना चाहिए।” डायरी लिखें, उपन्यास लिखें, लेख लिखें। आपको जो पसंद है वह करें: कविताएँ, कविताएँ। सभी प्रकार की चीजें आप कर सकते हैं यदि आप बस इतना समझे कि आपको योगी विद्वान बनना है; लेकिन बुद्धिजीवी नहीं। बुद्धिजीवी दूसरों का ज्ञान रखते हैं, लेकिन विद्वान दूसरों के सच्चे ज्ञान पर अपने ज्ञान का निर्माण करते हैं। विद्वान और बुद्धिजीवी में यही अंतर है। एक बुद्धिजीवी के पास अपना कुछ नहीं होता, वह एक भ्रमित व्यक्ति होता है और वह कहना नहीं चाहता, क्योंकि वह इतना डरा हुआ है कि अगर वह कुछ भी कहता है, “मैं यही सोचता हूं,” तो लोग कह सकते हैं कि वह एक दबंग आदमी है या ऐसा ही कुछ। आपको स्नातक होने की आवश्यकता नहीं है, आपको कुछ भी होने की आवश्यकता नहीं है! लेकिन वह गुण तुम्हारे भीतर निर्मित होता है; जो बहुत बड़ी बात है और बहुत जुड़ी हुई है।
अब सहज योग में, जैसा कि आप जानते हैं, कि हृदय सात मुख्य आभाओं से घिरा हुआ है और ये मस्तिष्क से आते हैं जो कि आसन है। अब केंद्र में, ब्रह्मरंध्र में, हमें हृदय चक्र प्राप्त है, ठीक है? हृदय यहीं है और इसके चारों ओर ये सभी प्रभामंडल हैं, यदि आप देखें, तो मस्तिष्क में। उसी तरह वे हृदय को घेरे हुए हैं। तो यदि आप उनके बारे में जानते हैं, तो यह प्रसारित होगा, ज्ञान प्रसारित होगा; लेकिन प्यार से, बिना किसी आक्रामकता के, बिना किसी दिखावे के, बिना किसी चालाकी के, बिना किसी कटाक्ष के, पूर्ण, सीधे, प्रेमपूर्ण तरीके से प्रसारित करें।

लेकिन इसके लिए हमें यह याद रखना होगा कि हमने इंग्लैंड में बहुत सारी एंटीडोट्स विकसित कर ली हैं। जैसा कि मैंने देखा है कि लोग बहुत आम तौर पर ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं कि, “यह बहुत अधिक हो सकता है।” “यह बहुत ज्यादा हो सकता है।” वे डरे हुए हैं। “ज्यादा है ऐसा किसी को कहना नही चाहिए।” बल्कि तुम्हे करना चाहिए! जब आप बहुत अधिक कहते हैं तो कम से कम थोड़ा सा तो उनके दिमाग में चला जाएगा। तो आपको बहुत कुछ कहना होगा। बतायें किआप क्या चाहते हैं। उमंग, आपके विचारों में उमंग होनी चाहिए, ताकि कुछ उनके दिमाग में चला जाए। तो वे जानते हैं कि आप ईमानदार हैं, कि आप इसे ईमानदारी से कह रहे हैं, कि आप अपने भीतर नहीं रख सकते। जोर से आपको बातें कहनी हैं। सभी ने यही किया। वे सभी जो महान अवतार थे, इतनी परवाह के साथ, इतने बल के साथ उन्होंने कहा।

उसी तरह आपको बिना किसी डर के कहना है। ना कि, “ओह, यह बहुत ज्यादा हो सकता है! माँ यह उसके लिए बहुत अधिक था। ” उसे फटने दो! कोई फर्क नहीं पड़ता। जो कुछ कहना है वो पूरे दिल से कहो। लेकिन जब लोग सहज योग में आते हैं, जब वे किसी कार्यशाला या कुछ और के लिए आते हैं, हम वही पार्टीबाज़ लोगों जैसे बनने की कोशिश करते हैं, जैसे पार्टी में आप देखते हैं, “आप क्या लेंगे?” तब वे कहेंगे, “ठीक है, मुझे जरा याद करने दो कि कल मैंने क्या लिया था, तो आज मैं अमूक चीज़ लुंगा।” जैसे यह कोई खरीदारी चल रही हो।

नहीं! आपको ऐसा कहना होगा कि, “हमारे पास यह है और कृपया इसे अभी लें, अन्यथा आप इस से वंचित रह जायेंगे! यही समय है!” उन्हे वह कहने दें जो उन्हें पसंद है। यह महत्वपूर्ण है।

मैं कभी-कभी आपके एसडीपी सम्मेलनों और यह सब देखती हूं! जिस तरह से वे बोलते हैं, वे बसआपको उड़ा देते हैं, मेरा मतलब है आपके सिर पर हथौड़ा। और जब यह सत्य है तो हम क्यों न ऐसा करें? क्यों नहीं हमें उन्हें बताना चाहिए और उनसे इस तरह से बात क्यों नहीं करनी चाहिए? हम कोमल होकर सोचते हैं – ठीक है, नम्रता अलग बात है, लेकिन मेरे कहने का मतलब है कि, जितना दिखाई देता है उससे कम कहना। अंडरस्टेटमेंट विशिष्ट अंग्रेजी कथन है। “यह बहुत ज्यादा हो सकता है।” सहज योग में इतना कुछ है कि कितना उंड़ेलना है? यह कभी भी बहुत ज्यादा नहीं हो सकता है इसलिए उस मामले में सावधान रहें। जब कहनी हो तो बड़े धमाकेदार अंदाज में कहो, कोई बात नहीं। वे क्या करेंगे? इस बार वे मुझे सूली पर नहीं चढ़ा सकते, है ना? उनकी हिम्मत नहीं है। अन्यथा पूरी तरह से ठीक है, मुझे कुछ भी नहीं छू सकता है, और यहां तक ​​​​कि सूली पर चढ़ना भी मुझे नहीं छू सकता है, आप जानते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि आपने जो पाया है उसे बड़े पैमाने पर कहें और उन्हें बड़े ऊंचे तरीके से बताएं। बेशक प्यार और सौम्य तरीके से, लेकिन उन्हें बताएं। हमारी दिलचस्पी इसी बात में होनी चाहिए। ठीक है?

अब यह ऐसा ही है, किसी को समझना होगा कि “थोड़ा बोलो” ऐसा कुछ भी नहीं है। तब वे सोचते हैं, “वह एक कांपता हुआ आदमी है!” लेकिन जब वे माइक (माइक्रोफोन) पर भयानक गाने गाते हैं, माइक खाते हैं – तो मैं इसे ‘माइक खाऊ संगीत’ कहती हूं। वे माइक पर आक्रामक होते चले जाते हैं और लोग इसके साथ दीवाने हो जाते हैं, उन्हें यह अच्छा लगता है। मैं आपको आक्रामक होने को नही कहती, लेकिन कुछ कम भी कम मत कहो। अंडरस्टेटमेंट की जरूरत नहीं है। उसमें कोई संतुलन बिठाने की आवश्यकता नही होना चाहिए।

जिन लोगों की तुष्टि की जायेगी वे अच्छे सहजयोगी नहीं होंगे, वे ईश्वर के राज्य में नहीं आ सकते। हमें उनसे भीख माँगने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन हमें उनका सम्मान करना है, हमें उनका सम्मान करना है, हमें उनके प्रति दयालु होना है। लेकिन जो हमारे पास है वह हमें उन्हें देना होगा। जैसे परिवार में, आप जाते हैं, आप फ्रिज से सब कुछ ले कर उन्हें देते हैं, वे बहुत खुश होंगे – लिजिये आप जो चाहें ले लें। “कितना बढिया सास है!” लेकिन अगर आप दस लोगों के लिए एक छोटी मछली और दो अंडे, एक मिर्च के साथ दें यह कह कर कि कितना बढ़िया यह सहज योग (हँसी) शायद एक नींबू है, तो वे सोचेंगे, “यह यहाँ क्या हो रहा है? छोट-मोटा सामान! ”
अब एक बात यह है। दूसरे ऐसे शब्द हैं जिनका लोग आमतौर पर उपयोग करते हैं जैसे: “यह बहुत झमेला है!” यह आपके डर को दर्शाता है। सहज योग में कुछ भी झमेला नहीं है, कुछ भी उत्पात नही मचाता है। हमेशा ऐसा ही होता है। “यह बहुत उधम मचाता है!” यह है, “यह उधम मचा रहा था!” “यह उधम मचाता है!” यह बात इस हद तक आ रही है कि लोग अब एक भिखारी व्यक्तित्व को पसंद करते हैं! वे भिखारियों की तरह कपड़े पहनना चाहते हैं: असभ्य, बेतुके, फटे-पुराने कपड़े, घिसे-पिटे चेहरे।

मैं दूसरे दिन गेविन से कह रही थी, “आप सभी को रेत का रंग क्यों पसंद है? यहां तो कोई रेत नहीं है। क्या आप में कुछ अरबी अंश है जो आपको हर जगह रेत जैसा रंग पसंद है?” जैसे बाल भुरे हैं, चेहरा रेत जैसा है, कपड़े रेत जैसे हैं! रेत के पहाड़ घूम रहे हैं! (हंसते हुए) रंगीन क्यों नहीं हैं? रंग क्यों नहीं पहनते? सहजयोगियों को रंग धारण करना चाहिए। बेशक आपको छैला नहीं बनना चाहिए! मुझे आपको यह बताना होगा, अन्यथा आप छैला बन जाएंगे; जैसे पुरुषों का चौंकाने वाले पिंक पहनना और उस तरह की चीज। ऐसा मेरा मतलब नहीं है। लेकिन आपको केवल रेत के रंग और भूरे रंग को ही नहीं अपनाना चाहिए। यदि आप कुछ अच्छा पहनना शुरू करते हैं तो वे भी उसका उत्पादन करेंगे।

मैं गेविन के लिए हरे रंग का स्वेटर खरीदना चाहती थी मुझे एक हल्का हरा नहीं मिला। मैंने कहा, “चलो एक लेते है। यह अच्छा लगेगा।” नहीं, उसके लिए एक भी नहीं मिल सका; वे इसे नहीं बनाते – केवल रेत! और मुझे मिल गया। या फिर ग्रे। पहले से ही आसमान ग्रे है, चेहरे ग्रे हैं, कपड़े ग्रे हैं, वे ग्रे सूट पहनते हैं, घोड़े ग्रे हैं, दुनिया ग्रे है – सभी भयानक। और फिर इसके साथ मैच करने के लिए एक ग्रे ड्रेस पहनें!

तो, सहज योग में झमेले जैसा कुछ नहीं है, लेकिन आपको बचकाना, तुच्छ, मूर्ख नहीं होना चाहिए। और दिखावा करते हुए भी मूर्ख मत बनो; जैसे मैंने लोगों को अपनी कार को सोने और उस सब बकवास से रंगते हुए, या बो टाई और डिनर जैकेट पहने और ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट की सड़कों पर इन भयानक ‘हरे राम’ के साथ मेल खाने के लिए, उनके विपरीत बनाने के लिए देखा है। यह जरूरी नहीं है।

इस पर भी आप विद्वान हो सकते हैं। आप ढूंढ सकते हैं।

मैं बच्चों के बारे में बहुत चिंतित हूँ, जब से मैंने इस तीन साल की बच्ची के बारे में सुना है, तब से । और मेरा कहना है कि आपके बच्चे अनमोल हैं, वे अद्भुत हैं। शुरू में उन्होंने आपके कारण कष्ट सहे लेकिन वे इससे बाहर आ गए और वे इतने महान हो गए। लेकिन आपको एक बात सीखनी चाहिए: अपने बच्चों के प्रति बहुत चौकस रहना है। उनकी उपेक्षा मत करो! उन्हें ऐसी आदतें सिखाएं जिनसे वे ऐसी चीजें नहीं सीखें जो उन्हें नष्ट कर दें। जैसे हर बच्चा सब कुछ उठाता है, मुंह में डालता है।

हम भी यहां इंग्लैंड में या पश्चिम में कहीं भी, लोग अपनी उंगलियां मुंह में ऐसे डालते हैं जैसे वे चलते रहेंगे। वे बस कुछ भी करेंगे – मान लीजिए कि वे एक कैन खोल रहे हैं। अब कैन से थोड़ा सा जैम बाहर बिखर सकता है, तो वे इसे उंगलियों से अंदर डाल देते हैं। नहीं! उस जैम में कुछ रोगाणु हो सकते हैं। इसलिए जो कुछ भी मुंह में डालना है उसे धोना चाहिए।

अब सहजयोगियों के लिए यही कानून होना चाहिए, क्योंकि इतने सारे रोगाणु, इतनी सारी चीजें, और विशेष रूप से बच्चों के लिए उन्हें बताया जाना चाहिए, अगर कुछ जमीन पर गिरता है। यह बहुत सांसारिक बात है लेकिन आपको सीखना चाहिए कि हम अपने बच्चों को कैसे बतायें। कुछ भी जमीन पर गिरता है, आप तुरंत उठाकर कहीं फेंक देते हैं और अपने हाथ धोते हैं। हम बस यही कहेंगे, “नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं! नहीं कि।” मुख से भी यदि कुछ गिरे तो उठाना नहीं।

जब तक आप वास्तव में कट्टरता से ऐसा नहीं करते हैं, तब तक आपके बच्चों को आसपास के सभी प्रकार के संक्रमणों से नहीं बचाया जा सकता है। भारत परजीवियों से भरा है और हमारे पास और भी बहुत कुछ है। मेरा मतलब है कि हम ऐसे देश हैं जहां हम उनका प्रजनन करते हैं और उनकी देखभाल करते हैं और उन्हें संजोते हैं, ऐसा मुझे लगता है! हमारे पास जितने भी परजीवी हैं, राजनीतिक रूप से भी हम पर कई परजीवी हैं। लेकिन, जबकि यह सब कुछ कहा और किया जाता है, हम जानते हैं कि उनसे कैसे बचना है और वास्तव में इसी तरह हमें अपने बच्चों को संस्कारित करना है।
दूसरा: कभी भी अपने बच्चे को कहीं भी अकेला न छोड़ें! यह सबक याद करें! आपको किसी भी कीमत पर बच्चे को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। आप इसे किसी ऐसे व्यक्ति के पास छोड़ सकते हैं जो बच्चे की देखभाल कर सकता है, जो शिशुगृह चला सकता है, जो उस तरह का कुछ कर सकता है। लेकिन इस बात पर ध्यान दें कि बच्चे के लिए अकेलापन नहीं होना चाहिए। बच्चे को आपके कमरे में सुलाना चाहिए, शायद दूसरी खाट, शायद पालना। जब थोड़ा बड़ा हो जाए तब भी तुम्हारे साथ रहना चाहिए। अगर कोई बड़ा हो गया है या कोई और बच्चा है, तो आप बना सकते हैं, या कोई चाची या कोई जिसके साथ सो रहा है। लेकिन बच्चों को यह महसूस न कराएं कि वे अकेले हैं। मनोवैज्ञानिक रूप से यह उन्हें प्रभावित करेगा। और शारीरिक रूप से भी कोई समस्या हो सकती है। भारत में हम अपने बच्चों को कभी अकेले नहीं होने देते – क्या आप यह जानते हैं? ।

मेरा मतलब है कि हम खुद हैरान हैं कि बच्चे कैसे बस बाहर चले जाते हैं। अब मान लीजिए कोई जैसे कि बच्चा पांच साल का है,कहता है कि “मैं कैंडी की दुकान पर जा रहा हूं,” -माँ कहेगी, नही ऐसा कुछ नहीं करना। “ठीक है, जब मैं जाऊँगी तो तुम इसे खरीदोगे, कैंडी।” मेरा मतलब है कि जब मेरी बेटियों की शादी नहीं हुई थी, तब तक वे कभी अकेले नहीं जाती थीं। क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं? कभी नहीँ! यहां तक ​​कि स्कूल जा रहे थे तो ड्राइवर के साथ कार में थे। अगर वे कॉलेज जा रहे थे तो ड्राइवर के साथ कार में जा रहे थे। कभी अकेले नहीं। और अगर वे बसों या किसी भी चीज़ से जा रहे थे, बाद में जब वे उच्च शिक्षा के लिए गए, तो वे दोस्तों के साथ जा रहे थे।

इस नकारात्मक माहौल में हर जगह बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखना पड़ता है। हम बहुत अच्छे हैं चुंकि हमारे साथ यह चुनौती हर समय रहती है, इसलिए हम बहुत सावधान रहते हैं। और तुम लोगों को अब अपने बच्चों के प्रति और जागरूक करना होगा। लेकिन उन्हें बिगाड़ो मत! आप अपने बच्चों को बहुत खराब करते हैं। मुझे पता है कि वे बहुत आनंद देने वाले हैं क्योंकि वे साकार-आत्मा हैं । लेकिन उन्हें बताओ, “आप साकार-आत्मा हैं और आप गरिमा विहीन नहीं हो सकते!” लेकिन उसी समय नहीं। मैंने देखा है कि आप अपने बच्चों को तभी सुधारने लगते हैं जब वे दुर्व्यवहार करते हैं “ऐसा मत करो!” वह तरीका नहीं है। तब तुम उनकाअनादर करते हो। तुम उनके साथ बैठो, चर्चा करो। आप उन्हें बताएं कि,”अब हम एक सम्मेलन करेंगे,” । “हम बैठेंगे।” तो उन्हें महसूस करने दें, उन्हें एक सम्मेलन हॉल की तरह अपनी कुर्सियों पर बैठने दें और उनसे कहें, “अब देखो, हम सब सहजयोगी हैं। आप भी सहजयोगी हैं और पूरी दुनिया आपको देख रही है। सम्माननीय बच्चे बनना है। आपको खुद अच्छा व्यवहार करना होगा, आपको ऐसा करना होगा। हमें अपनी चीजें साझा करनी हैं। नहीं तो लोग कहेंगे कि तुम सहजयोगी नहीं हो! आपको गरिमा रखनी होगी। ” आप उनसे बात करें, उनके व्यक्तित्व को इस तरह विकसित करें कि उन्हें पता चले कि उन्हें गरिमामय होना है, उन्हें राजा जैसा होना है। वे दूसरों की तरह घटिया नहीं हो सकते।

क्योंकि हर समय हम कहते रहते हैं, “उसे मत छुओ! ऐसा मत करो!” वे नहीं जानते, वे भ्रमित हैं। उनसे बात करो, बैठ जाओ। उनसे इस सब के बारे में बात करें क्या करना है, हमें कैसा व्यवहार करना है, अच्छी बातें कैसे कहें, दूसरों की मदद कैसे करें, अपनी चीजें कैसे साझा करें, अपने खिलौने कैसे दें, अपनी चीजें कैसे रखें, कैसे स्वच्छ बनें साफ-सुथरा कैसे रहें।

यह एक प्रशिक्षण है, यही आपको करना है। और बच्चे भी आपके अपने व्यवहार से सीखते हैं। अब तुम अपने बच्चों से कहो कि मत पीओ और अगर तुम मछली की तरह पीते हो तो वे तुम्हारी कैसे सुनेंगे? उसी तरह सहजयोग में भी आप ध्यान नहीं करते, आप अनुशासित नहीं हैं, आप बहुत गन्दा रहते हैं, आप बेहद लापरवाह हैं, आप लोगों का सम्मान नहीं करते हैं, आपकी जीभ बहुत ढीली है, या आप बहुत तेज हैं – बच्चे सीख लेते हैं। वे इन चीजों को इतनी जल्दी अवशोषित कर लेते हैं। यह आश्चर्यजनक है कि बच्चे कैसे अवशोषित करते हैं। एक बार मैं एक बच्चे को सर्कस में ले गयी थी – वह एक बहुत अच्छा बच्चा था, एक साकार-आत्मा। हम वहां गए और आप देखिए, जोकर, उसने झूले पर जाते समय अपनी ऊपरी पैंट उतार दी। तो यह एक बड़ी उपलब्धि थी; एक जोकर। तो जब हम घर आ गए, उसने भी अपनी पैंट उतार दी! मैंने बोला क्यू?” उसने कहा, “सर्कस में उसने जैसे किया मैं भी वही करने जा रहा हूँ!” कल्पना करना! बस यही चीज उसने सीखी। मैंने कहा, “लेकिन वह एक जोकर था, तुम जोकर नहीं हो, क्या तुम हो?” “नहीं, मैं नहीं हूँ।” “और बेहतर होगा कि आप अपनी पैंट पहनें।”

इसलिए बच्चे गलत चीजें सीख लेते हैं क्योंकि उन्हें चुननाआसान है; इसलिए कोई भी गलत काम न करें। एक और है कि पति [और] पत्नी को बच्चों की उपस्थिति में कभी झगड़ा नहीं करना चाहिए। अगर तुम झगड़ा करना चाहते हो तो मैं तुम्हें कुछ लाठी भी उधार दे सकती हूं, तुम लड़ सकते हो! अपने शयनकक्षों में लड़ो। करें जो आप को पसंद हो। आप सिर तोड़ सकते हैं या दिल तोड़ सकते हैं या वह कर सकते हैं जो आपको पसंद है लेकिन अपने कमरों के बाहर आप अद्भुत पति-पत्नी हैं। कम से कम अपने बच्चों को पति-पत्नी का आनंद लेने दें। वास्तव में लड़ना बेवकूफी है क्योंकि आपको एक दूसरे का आनंद लेना सीखना चाहिए।

इसलिए हम विद्वत्ता से, बच्चों के बारे में सीख परआते हैं। कुछ लोगों को इसे गंभीरता से लेना होगा। बेशक, एक छोटी सी किताब है जिसे लुइस ने अच्छी तरह से तैयार किया है लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। कुछ तीन, चार लोगों को बैठना होगा – या कुछ महिलाएं किसी डॉक्टर के साथ या कुछ और वहां कर सकती हैं। बच्चों के बारे में सहज योग के विचारों के पूर्ण संकलन के लिये साथ बैठें। शिक्षण कोई दूसरा कर सकता है क्योंकि [अन्यथा] सहज योग आपके लिए उबाऊ होगा। आप क्या करेंगे? बच्चों की शिक्षा को लेकर अभी बहुत कुछ करना बाकी है। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हर बार जब मैं किसी स्थान पर जाती हूं, वहां एक स्कूल शुरू होता है, “हमें स्कूल के लिए क्या करना है? हमें कैसे संचालित करें?” अब,क्यों नही आप लोग कुछ शोध करें और मुझे विचार दें और मैं इसे पूरा कर दूंगी? मुझे लगता है कि आजकल बनाने की तुलना में मैं सुधार करने में बेहतर हूं। क्योंकि मैंने बहुत कुछ बनाया है। मैंने जो कुछ भी बनाया है उसे पुनर्व्यवस्थित और समेकित किया जाना है। इसलिए आप मुझे जो कुछ भी दें, मैं उसे समेकित कर सकती हूं, मैं समेकित कर सकता हूं, मैं सुधार कर सकती हूं, मैं इसे ठीक कर सकती हूं।

इसलिए सबसे अच्छी बात यह है कि अब इसके लिए एक कमेटी बनाई जाए। एक बच्चों के लिए, एक बच्चों पर सहज योग पर किताब के लिए। इसके बारे में माँ का क्या कहना है। आप मेरे उद्धरणों का उपयोग कर सकते हैं। फिर बच्चों की शिक्षा के बारे में एक किताब। तीसरी किताब वैवाहिक जीवन के बारे में होनी चाहिए। इसी तरह आप सामाजिक जीवन के बारे में, राजनीति के बारे में संकलन जारी रख सकते हैं, ऐसी श्रंखला इंग्लैंड से आना है। इंग्लैंड में बहुत कुछ किया जाना है, क्योंकि लोग उसे पढ़ते हैं। इसका अनुवाद हमेशा एक से दूसरी भाषा में किया जा सकता है। यह बहुत आसान है। इसलिए मैं आप सभी से अनुरोध करूंगी कि आप इस पर अपना दिमाग लगाएं, आपकी जो भी रुचि हो, आप उस पर काम करें। और इसे सहज योग की भाषा में कहें। हर प्रकार – खेल, आप बागवानी, या कुछ भी, यहां तक ​​​​कि मशीनरी भी ले सकते हैं – इसे सहज योग के स्तर पर लाएं। जैसे कंप्यूटर,अब सभी विकासशील देश कंप्यूटर विकसित करना चाहते हैं। अब हमें यह पता लगाना होगा कि कंप्यूटरीकरण की समस्याएं क्या हैं, फिर यह सामाजिक रूप से, गहराई से, भविष्य में कैसे प्रभावित होने वाली है, अगर हम सिर्फ कंप्यूटर विकसित करें और दुसरा कुछ नहीं तो क्या हो सकता है; अगर यह एकतरफा आंदोलन हो तो कैसे सभी को परिणाम भुगतना पड़ता है। उसी तरह एक नया आयाम, हर चीज का एक नया सर्वव्यापी समाधान किया जा सकता है। और यह उन लोगों के लिए काफी बड़े स्तर परआंखें खोलने वाला हो सकता है जो वही गलतियां नहीं करना चाहते जो आपने की हैं।

मुझे कहना होगा कि यह ‘एफ्लुएंट सोसाइटी’ और ये सभी किताबें जो [जॉन केनेथ] गैलब्रेथ ने लिखी थीं, कुछ लोगों के लिए बहुत मददगार थीं, और ऐसा ही होना चाहिए।

तो आप उन लोगों का मार्गदर्शन कर सकते हैं जो आपके जैसा बनना चाहते हैं और आप उन लोगों का मार्गदर्शन कर सकते हैं जो आपके जैसे हैं और जिन्हें बदलना है। आपका ऐसा विचार होना चाहिए।

नाटक: हमारे नाटक में क्या गलत है, उसमें क्या गलत है और हम इसे कैसे सुधार सकते हैं। आप में से प्रत्येक ऐसा कुछ योगदान करने में सक्षम है।

तो जो लोग अलग-अलग, विभिन्न प्रकार की चीजों में रुचि रखते हैं, इस संगोष्ठी में, आप तय कर सकते हैं कि एक को क्या पसंद है और कौन सी दूसरी चीज – जैसे नस्लीय भेदभाव भी, हम उस तरह का विषय ले सकते हैं। कोई इसे हल कर सकता है: नस्लीय भेदभाव क्यों आया है, नस्लीय भेदभाव के बुरे प्रभाव क्या हैं? अगर यह अंग्रेजों से आता है, तो वे कहेंगे, “कितने उदार, अच्छे लोग हैं, वे भावनाओं को कैसे समझते हैं और कैसे …” जब यह दूसरी तरफ सेआते हैं तो यह बहुत सुखद होगा।

फिर अब हमारे सामने एक समस्या है कि महिलाएं अपने अधिकारों की मांग कर रही हैं वगैरह जिसे आप नारीवादी आंदोलन कहते हैं: नारीवादी आंदोलन में क्या गलत है, वे कैसे गलत हुए हैं, और वे सभी चीजें।

हर विषय में, यहां तक ​​कि अर्थशास्त्र और हर चीज में आप विद्वतापूर्ण विचारों के साथ आगे बढ़ सकते हैं। आप दूसरे देशों से भी मदद ले सकते हैं। हमारे पास हर जगह विद्वान हैं। लेकिन सबसे ज्यादा विद्वान हमारे यहां इंगलेंड में हैं। और शी-फील्ड की इस भूमि में हमें यही करना है।

परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करें।
क्या हमें लगभग दस मिनट तक ध्यान करना चाहिए? यह एक अच्छा विचार होगा; केवल ध्यान करना और यह पता लगाना कि कौन से चक्र पकड़ रहे हैं, यह पता लगाना कि कौन सा पक्ष कमजोर है।

अब यदि आपका बायां भाग कमजोर है तो अपना बायां हाथ मेरी ओर और दायां हाथ धरती माता की ओर रखें। यदि दाहिनी ओर कमजोर है तो आप अपना दाहिना हाथ मेरी ओर और बायां हाथ ऊपर रखें। अब यदि दोनों ठीक हैं, जब वे सामान्य हो जाते हैं, तो आप उन दोनों को मेरी ओर रखें, ठीक है?

उदाहरण के लिए, अब आप बता सकते हैं क्योंकि आप लंदन के पुर्वी छौर में हैं, पुर्वी छौर की समस्या क्या है – इसका सर्वेक्षण करें। आपको पुर्वी छौर की समस्याओं का पता लगाना चाहिए।

मुझे याद है कि आपने मुझे कुछ सिखों के बारे में बताया था कि वे क्या कर रहे थे, इतना शराब पी रहे थे और ये सब काम कर रहे थे जो नानक साहब के खिलाफ है। और ये सारी बातें अगर आप बतायें, जिस तरह ये लोग गोरी त्वचा के पीछे दौड़ते हैं। हाँ! यह वही है।

तो आमने-सामने आइए देखें कि हमारे साथ क्या गलत है। तुम्हारी क्या दिक्कत है? दूसरों के साथ क्या गलत है? आओ देखते हैं। एक साक्षी के रूप में, किसी भी चीज़ से तादात्म्य नहीं। तो अगर आप उन सभी चीजों को बताते हैं, जो लोगों को इस तरह से बनाती है, तो आप दोनों तरफ से इसमें जाते हैं, और आप वास्तविक अच्छे समाधान दे सकते हैं; आप समाधान दे सकते हैं। उदाहरण के लिए ऐसे डॉक्टर हैं जो दवा से संबंधित दिव्य ज्ञान की एक किताब बना सकते हैं। मनोवैज्ञानिक हैं, वे एक किताब बना सकते हैं – मुझे लगता है कि रुस्तम ने अच्छा काम किया है। मुझें नहीं पता।

अब मैं पूछना चाहती हूँ – रुस्तम की किताब किसके पास है?

तुम्हें मिल गया है?

डेरेक आपके पास है?

डेरेक ली: नहीं, मेरे पास नहीं है, माँ। मैंने इसे नहीं देखा है।

श्री माताजी : किसी के पास जो यहाँ नहीं है उसके पास हो सकती है। और कौन? मॉरीन से पूछो, क्या वह यहाँ है?

योगी: नहीं माँ। वह लंदन में है माँ।

श्री माताजी: मौरीन? वो यहाँ नहीं है? शायद उससे पूछो। क्या आपको लगता है कि मॉरीन के पास हो सकती है?

योगी: मुझे नहीं लगता कि उसके पास है।

श्री माताजी: नहीं? मैं बस नहीं समझ पाती। मुझे लगता है कि बेहतर हो आप तरीके से अपने कार्यालय में देखिये, गेविन। बस एक नजर डालें। नहीं? क्योंकि मैंने इसे किसी को दिया है, क्योंकि यह घर में नहीं है, मैं इसे ढूंढ नही सकी। हमें उसकी किताब मिल गई थी, है न? नहीं।

ठीक है, वह एक विद्वान है, इसमें कोई शक नहीं। और मैं चाहती थी कि डेरेक, आप इसे पढ़ें क्योंकि वास्तव में, यह वास्तव में गतिशील है। उसके लिए उचित शब्द है ‘गतिशील’। यह सभी युन्गीयों और सभी मनोवैज्ञानिकों को एक साथ फोड़ सकता है! मुझे इसका पता लगाना चाहिए। नहीं तो कोई उसे लिखे कि भगवान जाने वह कहां है इसके लिए मां बहुत चिंतित है। मुझे वह पुस्तक प्रकाशित करनी होगी।

तो अब अगर आप को समझदार अच्छी,प्रामाणिक कार्यांवित पुस्तकों के साथ आना हो। आपको एक किताब के लिए काम करना होगा। आप युं ही कुछ भी नहीं लिख सकते। जैसे “विलियम ब्लेक और सहज योग”। सहज योग से संबंधित। अब ध्यान से पहले कोई प्रश्न है, क्या? क्या आपने वहां कोई प्रश्न पूछा? कोई नहीं? कोई प्रश्न? हां वह क्या है?

लुइस गैरिडो: श्री माताजी जब मैं आपके कुछ भाषणों को लिपि बद्ध करता था, तो कभी-कभी मुझे नहीं पता होता था कि कोई पहले से ही उस भाषण को लिपि बद्ध कर रहा है। हम सोच रहे थे कि क्या कोई ऐसा संगठन हो सकता है जिसके द्वारा हम जान सकें कि कुछ भाषण पहले से ही लिखित था या नहीं या कोई पहले से ही कर रहा था।

श्री माताजी: यह इतनी तेज़ी से बोलता है कि यह मेरे लिए पुर्तगाली जैसा है! (लुइस पुर्तगाली है) गेविन, क्या आप मुझे बता सकते हैं?

गेविन ब्राउन: वह कह रहे हैं कि कोई ऐसा संगठन होना चाहिए जिसके द्वारा यह पता चले कि आपका कोई भाषण विशेष रूप से लिखा जा रहा है या नहीं, ताकि कोई दोहराव न हो।

श्री माताजी: नहीं है…?

गेविन ब्राउन: प्रयास का दोहराव। क्योंकि वह चाहता है कि आपके भाषणों को टेप से लिपि बद्धकिया जाए और वह ऐसा नहीं करना चाहता है और यह पहले ही लिपि बद्ध हो चुका है।

श्री माताजी: क्या आप कुछ कर रहे हैं… आप लिपि बद्ध कर रहे हैं।

लुइस गैरिडो: फिलहाल नहीं श्री माताजी। मुझे चिंता होती थी – हर बार जब श्री माताजी बहुत अच्छा भाषण देते हैं तो कभी-कभी मेरा मन करता है कि मैं इसे लिख दूं लेकिन मुझे चिंता थी कि शायद कोई पहले से ही ऐसा कर रहा है।

श्री माताजी: यह क्या है?

गेविन ब्राउन: वह चिंतित है कि अगर वह लिपि बद्ध करता है, तो कोई और भी कर सकता है, इसलिए यह एक व्यर्थ प्रयास होगा।

श्री माताजी: मानती हुं। अब जो प्रतिलेखन कर रहे हैं – वे एक समूह बना लें। आप लिपि बद्ध कर रहे हैं? और कौन?

आप खड़े होंगे? तुम भी लुइस खड़े हो जाओ। अब तुम एक दूसरे को जानते हो न?

डगलस फ्राई: माँ मैं एक सूची लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ क्योंकि मेरे पास एक कंप्यूटर है।

श्री माताजी: यह क्या है?

गेविन ब्राउन: वह कह रहा है कि वह अपने कंप्यूटर पर सूची बना सकता है।

श्री माताजी: हाँ, मुझे लगता है कि इन चारों में से जो प्रतिलेखन कर रहे हैं। ठीक है? आप आपस में निर्णय लें।

वारेन: लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी कई हैं श्री माताजी और सभी केंद्रों को इसकी सलाह दी जानी चाहिए।

श्री माताजी : आप अन्य भाषाओं में देखिये, जिनका अनुवाद हो रहा है।

वारेन: अंग्रेजी में भी श्री माताजी।
श्री माताजी: जैसे, ऑस्ट्रेलिया, मैंने वहां ऑस्ट्रेलिया में जो कुछ भी कहा है, उन्हें उसे लिखना चाहिए। लेकिन इंग्लैंड में मैंने जो कहा है, वो उन्हें करना चाहिए।

हर देश में मैंने जो कुछ भी कहा है, उस देश द्वारा लिपिबद्ध होना चाहिए, इसे व्यवस्थित करना बेहतर है। ठीक है? अब ठीक है?

तो आप में से चार लोग जो कुछ मैंने इंग्लैंड में कहा है, उसे यहाँ लिख देना चाहिए, जो एक कठिन काम होने वाला है! कुछ और लोगों को हाथ उठाना चाहिए जो लिपिबद्ध करना चाहते हैं।

कृपया खड़े हो जाओ।

डेरेक और लुइस, आप उनके नाम लिख लिजिये। उनके नाम उतारो। आप अपना नाम दें। कागज की एक चिट पर लिखें। और अब आप एक ग्रुप बनायें और उन्हें बतायें कि कैसे लिपिबद्ध करना है।

और क्या? सबसे पहले आपको मेरी भारतीय अंग्रेजी समझनी होगी, नहीं तो आप नहीं समझ सकते। या वे इसे किंग्स इंग्लिश कहते हैं, मुझे नहीं पता क्यों लेकिन वे ऐसा कहते हैं।

श्री माताजी: आप कैसे हैं?

योगी : बेहतर हो रहा है आशा करता हूँ माँ।

श्री माताजी : यह अच्छा है कि आप बेहतर दिख रहे हैं। शुक्रिया। ईश्वर आपका भला करे।

अगला क्या है? यह बहुत, बहुत रचनात्मक है।

अब संपादन: एक बार आपने लिपिबद्ध कर लिया तो किसी को उसे संपादित भी करना होगा। भारतीयों की तरह नहीं – जब मैं बोलती हूं तो कभी-कभी कहती हूं, “आप देखिये,” “क्या आप समझते हैं?” जरूरी नहीं कि ये सब चीजें लिखे लेकिन उन्हें लगता है कि मां की बात में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। लेकिन मैं कहूंगी कि कुछ आवश्यक है। मेरा मतलब है, आप इन चीजों को आखिर जोड़ते ही नहीं जा सकते। तो हम इनमें से कुछ चीजों को हटा भी सकते हैं, इस प्रकार के विराम जिनका मैंने उपयोग किया है। क्योंकि बोलना लिखने से अलग है। लेकिन किसी भी मामले में जब आप इसे करते हैं तो हमें उन्हें प्रकाशित करने से पहले मुझे उन्हे देख लेना होगा। लेकिन मेरे इतने सारे व्याख्यानों में डुप्लीकेट, दोहराव हैं।

तो एक बार जब आप लिपिबद्ध कर लेते हैं तो हम उसे देख सकते हैं, हम समायोजन कर सकते हैं। कभी-कभी कुछ बातें एक बार, कभी दो बार और कभी एक सौ आठ बार कहनी होती हैं। उदाहरण के लिए, “मैं दोषी नहीं हूँ।”

ठीक है। तो कोई और बात?

यह बहुत रचनात्मक था मुझे कहना होगा। हाँ?

योगिनी: माँ निर्मला योगों में से एक में एक छोटा सा आरेख है जिसे आपने कुंडलिनी के चक्रों के माध्यम से ऊपर आने और दो मंडलों के चक्कर लगाने और फिर अगले एक तक आने का चित्र बनाया है। मुझे इससे पता नहीं चलता कि कुंडलिनी ऊपर आ रही है और चक्कर लगा रही है और फिर उसी तरफ चल रही है या यह प्रत्येक जंक्शन पर पार कर रही है। मान लीजिए कि मैं दाहिनी ओर कर रहा हूँ, क्या यह ऊपर जाकरऔर चारों ओर घुम रही है और हर बार दाहिनी ओर ऊपर जा रहा है, या क्या यह दाहिनी ओर आता है, दो बार चक्कर लगाती है और बाईं ओर जाती है, घुमती है और ऊपर जाती है।

श्री माताजी : नहीं, यह एक घुमावदार तरीके से जाती है और इसे एक बिंदु पर काटती है, और एक चक्र बनाती है। आप देखिये कि यह एक अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र है जो बायां और दायां है और यह एक सर्पिलकार में जाती है। और यह इसे एक बिंदु पर काटती है चुंकि यह एक सर्पिलकार में जाती है – यही चक्र है।

लेकिन मुझे लगता है कि एक भाषण में हम इसे कर चुके है; यह ऐसा है। एक बार यह लिपिबद्ध हो जाने के बाद यह एक स्रोत होगा। और फिर जो कुछ मैंने कहा है, ये सब बातें, मैंने उसे बहुत विस्तार से कहा है: तुम्हें उसका पता लगाना होगा।

अब और क्या?

लुइस गैरिडो: श्री माताजी। श्री माताजी के चरण धोकर जल का हम क्या करें?

यह क्या है? बस गेविन तुम मुझे बताओ?

गेविन ब्राउन: वह पूछ रहा है कि पूजा में इस्तेमाल होने वाले पानी का क्या किया जाए, बाद में? जब हम पैर धोते हैं तो पानी का क्या उपयोग होता है या उसका निस्तारण कैसे होता है? घर पर कहो जब हम थोड़ी पूजा करते हैं और तस्वीर में सिर्फ आपके पैर धोते हैं, तो इसे निपटाने का सही तरीका क्या है?
श्री माताजी : फोटो या पैर? फोटोग्राफ, जो चैतन्यित जल बन जाता है। आप [इसे] किसी भी उद्देश्य के लिए उपयोग कर सकते हैं, आप इसे पेड़ों के लिए रख सकते हैं, आप इन सभी चीजों को बाहरी उपयोग कर सकते हैं, आप किसी भी चीज़ के लिए उपयोग कर सकते हैं। लेकिन अगर आपने फोटोग्राफ और वह सब साफ कर दिया है और अगर यह एक साफ फोटो है तो आप इसे पीने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं, ठीक है; पीने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। क्योंकि चैतन्य ऐसे होते हैं कि वे सभी कीटाणुओं, हर चीज को मार देते हैं। क्योंकि अब गंगाजल हम यूं ही पीते हैं, कोई बात नहीं। यह कभी खराब नहीं होता। आप इसे महीनों तक लगातर रखकर कभी भी खराब नहीं होता। क्योंकि शिव के मस्तक से गिरा हुआ कभी खराब नहीं होता। यही गंगा नदी की निशानी है।

योगी : व्रत का क्या करें मां?

गेविन ब्राउन: वह पूछ रहा है कि उपवास के बारे में आपकी क्या सलाह है?

श्री माताजी : नहीं, आप उपवास तो कर सकते हैं लेकिन ईश्वर के नाम पर नहीं। यदि आप उपवास करना चाहते हैं, तो आप उपवास कर सकते हैं लेकिन ईश्वरके नाम पर नहीं। ईश्वर नहीं चाहते कि आप उपवास करें। न ही वह चाहता है कि आप पेटू की तरह खाएं, लेकिन वह चाहता है कि आप उस भोजन का आनंद लें, जो उसने आपको दिया है। आपको उस वस्तु पर प्रार्थना करनी चाहिए, अपने भोजन को स्पंदन देना चाहिए और आनंद लेना चाहिए। ईश्वर ने आपको सब कुछ दिया है और आपको वही खाना चाहिए जो आपके लिए जरूरी है। लेकिन आपको भूखा नहीं रहना चाहिए, आपको ईश्वर के नाम पर उपवास नहीं करना चाहिए। ईश्वर के नाम पर खुद को प्रताड़ित न करें। मुझे लगता है कि यह बहुत ही ईश्वर विरोधी गतिविधि है। कल उस बेचारे की तरह विवेकानंद ने उसे प्रताड़ित किया, कल्पना कीजिए? वह चार साल से यह सब कर रहा है! यह तो ज्यादा है। यह वास्तव में मुझे बहुत दुख देता है कि ईश्वर के नाम पर लोगों को प्रताड़ित किया जाता है।

योगी : क्या सभी गीतों वाली एक पत्रिका होनी चाहिए माँ?

श्री माताजी: हाँ, हमारे पास एक पत्रिका है?

योगी: या आप कह रहे हैं, “क्या हमारे पास एक हो सकता है?”

श्री माताजी : गीतों के साथ? केवल एक चीज जो मैं कहूंगी, गीतों को ठीक करने के लिए अभी बहुत कुछ करना है। सहजयोगियों के लिए एक पत्रिका ठीक है, लेकिन अगर आपको इसे बाहर रखना है, तो उन्हें थोड़ा सा ठीक होना चाहिए, इस अर्थ में अद्यतित होना चाहिए कि उन्हें और अधिक संपादित करना होगा, और उन पर काम करना होगा। और कविताओं को पत्रिकाओं के रूप में लाया जाना चाहिए लेकिन उन्हें उचित समझ और चीजों से गुजरना होगा। आप जानते हैं, कभी-कभी लोग अज़ीब, मजाकिया किस्म की कविताएं भी लिखते हैं। जैसे कोई कहेगा, “सहज योग मेरा चावल है और सहज योग मेरी दाल है, और सहज योग मेरा मांस है और सहज योग मेरी मछली है।” और मैंने कहा, “अगला होगा – ‘और माताजी मेरा भोजन है।’!” आप देखिये कि उनका मतलब यह है कि यह (सहज योग) सब कुछ है, लेकिन जिस तरह से वे व्यक्त करते हैं वह कभी-कभी वास्तव में कच्चा होता है। हाँ! ऐसी ही एक कविता थी जो मैं आपको बताती हूं। (हँसी) और मुझे अपनी जान का डर लग गया!

तो, मैं कहूंगी कि थोड़ा सावधान रहना होगा। अभिव्यक्ति में हमेशा दो चीजें होती हैं। पहली रचनात्मकता है, बिल्कुल। आपको एक रचनात्मक व्यक्ति बनना होगा। लेकिन आपके पास तकनीक भी होनी चाहिए। यदि आपके पास तकनीक नहीं है तो यह रचनात्मकता विचित्र लगती है। तो अगर आपके पास विचार हैं, बहुत काव्यात्मक विचार हैं, तो आपके पास इसे लिखने की तकनीक होनी चाहिए। गद्य कविता भी बहुत सुंदर हो सकती है लेकिन आपको तकनीक पता होनी चाहिए, आपको यह पता होना चाहिए कि इसे कैसे प्रस्तुत किया जाए। जैसे आप एक रचनात्मक कलाकार के रूप में एक महान कलाकार हो सकते हैं, लेकिन आपको यह भी पता होना चाहिए कि, तकनीकी रूप से इसे कैसे रखा जाए, । मान लीजिए कि मैं एक महान कलाकार हूं लेकिन मुझे नहीं पता कि ब्रश को कैसे संभालना है, मैं इसे कैसे करूंगी? तो दोनों चीजें होनी चाहिए। और मुझे लगता है कि सहज योग के कारण लोग बहुत रचनात्मक हो रहे हैं और वे उत्साह महसूस कर रहे हैं और वे खुद को व्यक्त करना चाहते हैं लेकिन इसके तकनीकी हिस्से में कमी है, और सूक्ष्मताओं की कमी है।

तो आप जो भी कविताएँ लिख रहे हैं वह बहुत अच्छा विचार है, जैसे उनमें से कुछ बहुत अच्छी हैं, लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि इसमें कोई अशिष्टता नहीं होनी चाहिए, ठीक है? तो, वे सभी जो कविताएँ लिख रहे हैं, जो लिखना चाहते हैं, खड़े हो जाएँ।

इतने सारे कवियों को चारों ओर देखकर बहुत अच्छा लगा! (हँसी)

ठीक है तो अब कौन देखेगा? आप? ठीक है। इतना ही। आप सब उन्हें जानते हैं। उसे अपना नाम दें और अपनी सारी कविताएँ उसे भेजें। ठीक है? इतना ही। बचकाना, सस्ता या ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए।

फिर कला के लिए, वे सभी जो चित्र और पेंटिंग, चित्र बनाना चाहते हैं, कृपया खड़े हों; यहाँ तक कि बच्चे भी। क्रिस, आप ऐसा करने जा रहे हैं? अच्छा, और तुम्हारी पत्नी भी, वह बहुत अच्छी है।

तो चलो क्रिस वहाँ है। क्रिस क्या आप प्रभारी होंगे?

कृपया बैठ जाएँ।

तो बात यह है कि हमारे पास भी दो तरह के लोग होते हैं। हमारे पास ऐसे लोग हैं जो बुद्धिजीवी हैं – ‘आसान कुर्सी’ सहज योगी – जैसे हमारे पास राजनेता हैं। वे ज्ञान, विद्वता में अच्छे हैं, वे सहज योग के बारे में जानते हैं; वे अच्छा लिखते हैं। लेकिन कुछ और भी हैं जो सक्रिय हैं, बहुत सक्रिय हैं – युवा – अत्यंत सक्रिय हैं, वे कड़ी मेहनत कर सकते हैं, वे कुछ भी कर सकते हैं। यह बहुत अच्छी बात है, लेकिन मुझे लगता है कि हमें एक गुण को आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए जो हमारे अंदर कमी है। जैसे कोई बुद्धिजीवी व्यक्ति या विद्वान व्यक्ति को अन्य कार्य भी करने का प्रयास करना चाहिए – जैसे अभी पोस्टर लगाना। तो वे पोस्टर लगाने के लिए नहीं जाएंगे – जो बुद्धिजीवी हैं। यह ठीक नहीं है। या ऐसा कुछ भी। जो पेंटिंग कर रहे हैं, वे पेंट करेंगे लेकिन पोस्टर नहीं लगाएंगे। या वे पते लिखना नहीं चाहेंगे।
हमें सब कुछ करने में सक्षम होना चाहिए क्योंकि हम एकीकृत व्यक्तित्व हैं। मेरा मतलब है कि मैं व्याख्यान दे सकती हूं, मैं खाना बना सकती हूं और मैं बर्तन धो सकती हूं और मैं अपना घर साफ कर सकती हूं। मैं तुम्हारे कपड़े धो सकती हूँ और तुम जो भी कहो। शायद ही कुछ ऐसा हो सकता है जो मैं करने में सक्षम न हो मुझे कहना चाहिए (हँसी); बहुत सी बातें। मैं आपको बहुत सी चीजें बताती हूं जो मैं नहीं कर सकती। आप मेरी कमजोरियों को नहीं जानते, बहुत सी बातें हैं। मैं चेक पर हस्ताक्षर करने में बहुत बुरी हूँ! (हँसी) बैंकों के लिए बेकार। हमेशा बैंकों ने मुझे परेशानी में डाला। मुझे नहीं पता कि वे क्या कर रहे हैं। और भगवान का शुक्र है कि गेविन मेरी कमजोरियों से अच्छी तरह वाकिफ है, इसलिए वह उस हिस्से की देखभाल करता है अन्यथा मैं डूब जाती! पैसे में बुरी, याद रखने में बहुत अच्छी अगर किसी ने मुझसे पैसा लिया है, लेकिन अगर मैंने किसी को कुछ दिया है तो मुझे याद नहीं है, बहुत बुरी। मैं किसी को कुछ देती हूं और फिर मुझे याद नहीं रहता कि मैंने दिया है और मैं इसकी सराहना करती हूं – यह बहुत बुरा भी है। मैं इसे बहुत बार करती हूं। मैं अब बहुत डरी हुई हूँ मैं किसी भी चीज़ की प्रशंसा नहीं करना चाहती क्योंकि ज्यादातर यह मेरे द्वारा दिया गया होता है – यह भयानक है। यह बहुत मज़ेदार लग रहा है ना? (हँसी)

वह एक पक्ष मुझमें पूरी तरह से गायब है। मैं पासपोर्ट और इस तरह की चीजों के बारे में बहुत बुरीहूं और मुझे टिकेटिंग के बारे में भी पता नहीं है – ये सभी चीजें। मैं इन सब चीजों में बहुत खराब हूं।

तो इस तरह आप उस हिस्से में मेरी देखभाल करते हैं क्योंकि वास्तव में मैं नहीं जानती। मैं घड़ी के मामले में बहुत खराब हूं: अब मुझे नहीं पता कि अब क्या समय है। घड़ी में बहुत खराब, यह हमेशा उल्टा होता है! (हंसी) लेकिन एक बात अच्छी है: कि मैं खुद को बहुत अच्छी तरह से जानती हूं, और मैं खुद पर हंसना जानती हूं इसलिए मैं कभी भी दोषी महसूस नहीं करती। मैं खुद पर हंसना जानती हूं। मैं अभी ये चीजें नहीं सीख सकती। मैंने बहुत सी मानवीय चीजें सीखी हैं लेकिन अब मैं यह नहीं सीख सकती कि चेक पर हस्ताक्षर कैसे करें, कहां हस्ताक्षर करें, क्या हस्ताक्षर करें। मैं बहुत बुरी हूँ। आप मेरे डेथ वारंट पर भी हस्ताक्षर करवा सकते हैं। देखिए मैं ऐसी ही हूं। मुझे नहीं पता कि मैं सिर्फ हस्ताक्षर करती हूं, मुझे भरोसा है और यह काम करता है। अभी तक कुछ भी गलत नहीं हुआ है; अधिकतर! लेकिन यह ऐसा ही है। तो कोई फर्क नहीं पड़ता। कोई मैनेज कर सकता है। और इसी तरह से व्यक्ति को अपने आप को देखना चाहिए। दोषी महसूस करने की बात नहीं लेकिन कुछ चीजें गायब हैं।
लेकिन अगर आप अन्य गुण भी हासिल कर सकते हैं तो यह एक अच्छा विचार होगा। और मुझे लगता है कि सहज योग के प्रति यही दृष्टिकोण होना चाहिए: कि कोई भी काम से हमारी गरिमा कम नहीं होती है। कुछ लोगों के लिए ऐसा अहंकार होता है, “ओह, मैं वहाँ आ रहा हूँ, मेरे पास कमरा क्यों नहीं है?” ऐसे मूर्ख लोगों का सहज योग से कोई लेना-देना नहीं है, मैं आपको बताती हूं। “मेरे पास एक विशेष कमरा होना चाहिए!” “मेरे पास यह क्यों नहीं होना चाहिए?” यह एक मूर्ख शख्स होने का पूर्ण संकेत है; बिल्कुल उस व्यक्ति की निशानी है जिसने कभी नहीं जाना कि आराम क्या है, कभी नहीं जाना कि पैसा क्या है, कभी नहीं जाना कि विलासिता क्या है। यह एक भिखारी की तरह कुछ तुच्छ है जो मांग करना शुरू कर देता है, “मुझे पांच शिलिंग दो!” फिर वह एक सौ शिलिंग और यह और वह मांगता है। ऐसी सब बातें – जो शख्स कुछ मांगता है वह राजा नहीं है। असली राजा वही है जो, जो कुछ भी उनके जीवन मे सामने आता है उसे स्वीकार करता है क्योंकि उसने इसमें महारत हासिल है। यही सही रवैया है। ऐसा ही एक सहज योगी होना चाहिए। वह जो छोटी-छोटी बातों पर कुड़कुड़ाता रहता है, कुड़कुड़ाता रहता है, वह सहजयोगी नहीं है। सहज योगी एक राजा है: वह देता है, साक्षात्कार देता है, परम, सर्वोच्च।

ठीक है?

क्या बात है?

शकुंतला केर्सवेल: (मराठी में बोलती हैं)

श्री माताजी: (उत्तर मराठी में)

वह पूजा के बारे में एक बहुत ही सूक्ष्म बात दे रही है, कि जब हम पूजा कर रहे हैं, कहो कि,तस्वीर की भी, तो हमारे पास कलश जैसी ये सभी चीजें होनी चाहिए वहां हमें केवल उस प्रतिमा की ही पूजा नहीं करनी चाहिए – . तो मैंने कहा है। “तुम यहाँ पूरे रास्ते उन्हें ये बातें बताने के लिए आए हो। वे नहीं जानते।” तो सभी, दीपम और अन्य सभी चीजें वहां होनी चाहिए, ठीक से किया जाना चाहिए; फोटोग्राफ के लिए भी, वह प्रोटोकॉल में है। तो प्रोटोकॉल की कुछ खास बातें… अब गेविन बड़े पंडित बन रहे हैं, आप जानते हैं! उन्हें पूजा के धंधे में विद्वत्ता मिल रही है। (हँसी) तो बेहतर होगा कि आप गेविन से बात करें, जिन्हें पूजा के बारे में समस्या है, बेहतर होगा कि आप गेविन से पूछें।

गेविन ब्राउन: माँ मैं पूछने जा रहा था कि जो पूजा के बारे में कुछ जानते हैं, वे आकर मुझे बताएं।

श्री माताजी: ठीक है, आप में से कुछ लोगों को… उन्हें कुछ कहना हो, बेहतर होगा कि आप जाकर उन्हें भी बताएं। हाँ अच्छा विचार है।

छाया आज नहीं आई? नहीं, उसने बहुत कुछ बताया है। फिर अब वह आई है, शकुंतला यहाँ है तो हमें यह महिला मिली है। हमारे पास बहुत से लोग हैं जो आपको इसके बारे में बता सकते हैं और हम इसे कार्यांवित कर सकते हैं।

अच्छी बात है। तो पूजा की विद्वत्ता। और जो अभी पूजा करना चाहते हैं, वे खड़े हो जाएं। लेकिन यह बहुत ज्यादा है। पूजा के बारे में जानना। ठीक है? अच्छा विचार। आप गेविन से पूछें।

हमें वास्तव में विभिन्न विवाहों के बारे में चर्चा करना चाहिए, हम कैसे कार्य सम्पन्न करते हैं, मंत्र क्या हैं, इसका क्या अर्थ है, वे सभी चीजें: मुझे लगता है कि हमें वास्तव में उस पर एक किताब संकलित करनी चाहिए, अच्छा विचार। आप सभी को सपोर्ट करना चाहिए। अपने विचार दें, ठीक है?

शुक्रिया।

मेरा मतलब इस अर्थ में है कि आप एक प्रश्न पूछे, “क्या किया जाना चाहिए?” “क्या करना है?” “क्या अच्छा है?” ताकि वह उस पर काम करे और हम एक सामान्य बिंदु का पता लगाएं। ठीक है?

परमात्मा आपको आशिर्वादित करें।

बैठो, बैठो। कोई अन्य पहलू। हाँ?
योगी : श्री माताजी, मैं सोच रहा था कि सहज योग में भवन निर्माण का क्या होगा। कुछ समय पहले हमने गोल्डन बिल्डर्स पर चर्चा की थी।

श्री माताजी: आपके पास है। आप एक पंजीकृत सोसायटी हैं, है ना? क्या आपने खुद को “गोल्डन बिल्डर्स” के रूप में पंजीकृत किया है? ठीक है, वे सभी जो इमारतों और सजावट और रखरखाव में रुचि रखते हैं, कृपया खड़े हो जाएं। विकी [हैल्परिन] आप क्या बनाते हैं?

विक्टोरिया हेल्परिन: माँ, सजावट पक्ष, यदि यह उपयुक्त है और इसे भवन, सजावट पक्ष में एकीकृत किया जा सकता है। आपकी अनुमति से।

श्री माताजी: वाक़ई? तो बेहतर होगा कि आप सभी अपना नाम विक्की को दें। चलो इसे ले लो! क्योंकि मैंने भी जॉन को एक अच्छी सलाह दी थी। मैंने उनसे कहा, “मेरे घर की तस्वीरें लें और इसका इस्तेमाल विज्ञापन के लिए करें, यह कहने के लिए कि यह वह घर है जिसे हमने बनाया है। यह हमने किया है।” उदाहरण के लिए, आप अपनी फिल्म दिखा कर ऐसा कर सकते हैं, इस तरह से, “मैंने तस्वीर ली है।” “मैंने यह कर दिया।” वह सब जो आप देखते हैं, और इसे एक विज्ञापन की सामग्री के रूप में उपयोग कर सकते हैं। तो इस तरह आप एल्बम को ले जा सकते हैं और कह सकते हैं कि हम गोल्डन बिल्डर्स के साथ काम कर रहे हैं।

वारेन: एक अन्य क्षेत्र श्री माताजी, संगीत।

श्री माताजी : ठीक है। संगीत के लिए कृपया खड़े हो जाएं। हमारे यहां बर्नार्ड [रैकहम] नहीं है। क्या वह यहाँ है?

बर्नार्ड: हाँ, माँ।

श्री माताजी : ठीक है। क्योंकि मैंने पहले ही उससे एक काम करने को कहा है। तो क्या आप सम्भाल लेंगे?

बर्नार्ड रैकहम: हाँ माँ।

श्री माताजी: ठीक है? क्या आप सभी उससे संपर्क कर सकते हैं। संगीत के बारे में जो कुछ भी करना है। ठीक है?

कृपया बैठ जाएँ।

अब एक और पहलू है फोटोग्राफी, तस्वीरें। इन सब को फाइल नहीं किया जाना चाहिए। याद रखें कि हमने क्या किया है।

गेविन आपको सभी लोगों के नाम प्राप्त करने हैं। जो कुछ आपने कहा है, वह आपकोअपने नेताओं को देना चाहिए। बिना किसी हिचकिचाहट के मैं देखना चाहूंगी।

अब फोटोग्राफी: जो फोटो खिंचते हैं, खड़े हो जाओ! अब और नहीं। तस्वीरों के लिए अधिक लोग, और भी बहुत कुछ।

गेविन ब्राउन: जिन्होंने माँ की अच्छी तस्वीरें ली हैं, वे खड़े हो जाएँ!

श्री माताजी : क्या कह रहे हो?

गेविन ब्राउन: “जिन्होंने माँ की अच्छी तस्वीरें ली हैं, वे खड़े हो जायें!” मैंने सोचा था कि उनमें से और अधिक खड़े होंगे लेकिन इसके बजाय उनमें से कुछ बैठ गए हैं! (हँसी)

श्री माताजी : ठीक है। डॉन कहाँ है?

विक्की हेल्परिन : चाय बना रहे हैं श्री माताजी।

श्री माताजी : वह क्या बना रहा है?

योगी : आपके लिए एक कप चाय माँ।

श्री माताजी : ओह। समझी। तो डॉन भी। [रे] हैरिस उसकी देखभाल करेंगे। रे, आप सभी को रे से संपर्क करना चाहिए। उसे अपने नाम दें। ठीक है?

अब। कानूनी पक्ष बहुत महत्वपूर्ण है। तो, वकीलों और कनेक्ट प्रशासकों, बस खड़े हो जाओ। नहीं हमारे यहाँ है। आप क्या कहते हैं? आप एक कस्टम अधिकारी हैं ना। बेहतर है खड़े हो जाओ। कोई पुलिस अधिकारी? जो सरकार के साथ काम कर रहे हैं।

हाँ अच्छा। ठीक है, आप इसका ख्याल रखें। अच्छा! आप उसे जानते हैं या नहीं? ठीक है।

बिल हेंसल: माँ क्या मैं एक बात का उल्लेख कर सकता हूँ? संभवत: सहज योग के माध्यम से संपत्ति खरीदने और दान के उपयोग से प्राप्त होने वाले लाभों के महत्वपूर्ण पक्ष पर। फिलहाल हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है लेकिन बर्मिंघम में हमने कुछ पूछताछ की है। मुझे पता है [कि] डर्बी से रे, वह स्थानीय सरकार से जुड़ी कई चीजों के कानूनी पक्ष से संबंधित है।

श्री माताजी: क्या आप खड़े हो सकते हैं?

बिल हेंसल: और वह हमारे लिए गिरवी आदि के संदर्भ में हमारे विवरणों को छांटने में सबसे अधिक मददगार रहा है, और कुछ जानकारी के साथ आया है। लेकिन हम यह जानने के लिए भी उत्सुक हैं कि सहजयोगियों को क्या लाभ हो सकते हैं यदि हम ऐसी चीजों को करने के लिए दान का उपयोग कर सकते हैं। ऐसा लगता है कि इसमें कुछ वित्तीय लाभ हो सकते हैं, और अगर हम एक साथ कुछ जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

श्री माताजी : ठीक है। इस भाग के लिए मैं डेविड प्रोले कहूंगी। वह कहाँ है? खड़े हो जाओ! जो लोग संपत्ति और धर्मार्थ चीजें और वह सब खरीदने में रुचि रखते हैं। कौन रुचि रखते हैं? बस खड़े हो जाओ। इयान कहाँ है?

गेविन ब्राउन: माँ, हमें अपने एकाउंटेंट से वाचा के बारे में कुछ जानकारी मिली है।

श्री माताजी: क्या? किस के बारे में विवरण?

गेविन ब्राउन: अनुबंध पर धन प्राप्त करना। यह कर उद्देश्यों के लिए बहुत फायदेमंद है।

श्री माताजी : ठीक है। तो डेविड प्रोले को आपको जो भी जानकारी मिलती है उसके बारे में सूचित किया जाना है। और उससे सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए। और उसके माध्यम से हम संपत्ति की समस्याओं से निपटेंगे। ठीक है?

तो आइए हम एक सामूहिक बात करें। आप सभी उसे अपना नाम दें। और हर कोई जिसे अब प्रभारी व्यक्ति के रूप में नियुक्त किया गया है, हमें एक पूर्ण विचार देना चाहिए। आपकी संपत्तियों की कोई भी समस्या इस समिति के पास जानी चाहिए। ठीक है?
अब, एक और पहलू है जो सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा सिरदर्द है: विवाह है! (हँसी) तो इस मे कोई अंतरराष्ट्रीय होना चाहिए और… आप उस फोटोग्राफ समूह में हैं, ठीक है? तस्वीरों का प्रभारी कौन है? रे हैरिस। ठीक है?

योगिनी: हाँ माँ

श्री माताजी: आप उनसे संपर्क करें। अब कुछ सकारात्मक बनाएं, कुछ योजनाएं सकारात्मक बनाएं, कुछ बनाएं। मुझे बताओ। तस्वीरें और तस्वीरें हैं और आप नहीं जानते कि उन्हें कहां संकलित किया गया है, किसने लिया है, प्रतियां कहां हैं – कुछ भी नहीं। यह सब है, हर जगह। ठीक है?

इसलिए उचित फाइलिंग करनी होगी, उचित समझ करनी होगी। मुझे लगता है कि शादियों के लिए वॉरेन सबसे अच्छा है। (हँसी और तालियाँ)

अब वारेन तुम खड़े हो जाओ! और अब जो लोग विवाह को सफल बनाने में मदद करना चाहते हैं, इस अर्थ में – लोगों को सलाह देने में, उन्हें समझाने में, उनसे बात करने में, और लोगों के विवाह, भविष्य के विवाहों का आयोजन करने में – जैसे कि एक मैरिज ब्यूरो – वे जो करना चाहते हैं मदद करना। इसके लिए कुछ बुजुर्गों को सामनेआना चाहिए। मैं लेना पसंद करूँगी। आपको क्या लगता है मगदा? आप किसी चीज के लिए उठ कर नहीं खड़े हुए हैं। साथ आओ! पैट [को0] । पैट कहाँ है? और कौन? उन्हें एक तरह से खुशी-खुशी शादीशुदा लोग होना चाहिए। हाँ, अच्छा, सारा [सेटचेल]। हाँ अच्छा।

गेविन ब्राउन: हेस्टा [स्पिरो] भी बाहर है।

श्री माताजी : बाहर भी हैं? यह बच्चों के लिए है। वे बच्चों के लिए होंगे। जो बाहर हैं वे बच्चों के लिए होंगे।

ठीक है, तो वे यहाँ हैं। अब कृपया अपने नाम आज ही उन्हें भेजें। इन सभी नामों को आज इस संगोष्ठी में अवश्य दिया जाना चाहिए। ठीक है?

अब बच्चों के लिए, आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण। उन्हें बुलाओ। तुम एक शिक्षक हो, है ना? आप एक स्कूल में पढ़ा रहे हैं?

योगिनी : मैंने सोचा था कि ‘पढ़ना’ सिखाने पर एक किताब ‘माँ’ करूँगी।

श्री माताजी : लेकिन अभी हम हाउंस्लो में एक स्कूल शुरू करने की सोच रहे हैं। लेकिन तुम कहाँ रहती हो?

योगिनी : मैं हैम्पस्टेड मदर में रहती हूं।

श्री माताजी : बहुत दूर है।

योगिनी : रिटायर होने से पहले यह मेरा आखिरी साल है।

श्री माताजी : ठीक है। अब आप में से कितने लोग हैं जिनके बच्चे हैं, छोटे बच्चे हैं, और [हैं] उनमें दिलचस्पी है? आइए देखते हैं। अब उठो! वे सभी माता-पिता जिनके छोटे-छोटे बच्चे हैं। वे सभी माता-पिता जिनके बहुत छोटे बच्चे हैं। कृपया अंदर आएं, अंदर आएं!

मुझे लगता है कि डेविड इसके लिए सर्वश्रेष्ठ हैं। डेविड, क्या आप पदभार संभालेंगे? डेविड को इसे संभालने दें। आप सभी को इसके बारे में डेविड से संपर्क करना चाहिए। अब तुम सब बैठ जाओ, और केवल डेविड खड़ा रहे, जिस से वे जान लें।

आपको समस्याग्रस्त बच्चों से भी निपटना होगा। समस्याग्रस्त बच्चे हैं। लेकिन हमें कुछ ऐसा खोजना होगा जहां हम समस्याग्रस्त बच्चों की समस्या से निपट सकें। और उसके बारे में मैं आपसे बात करूंगी। जिनको बच्चों की समस्या है कृपया उठ जाइए।

वह बेहतर है, अब बहुत बेहतर है। लेकिन आपका क्या चल रहा है?

श्री नागराज: क्या बहरेपन को एक समस्या के रूप में गिना जाता है?

श्री माताजी : एक तरह से, एक तरह से है, क्योंकि इसका इलाज करना है। ठीक है? इसलिए जिन लोगों को समस्या है बच्चों से भी निपटा जाना चाहिए। तो आपके पास दो चीजें हो सकती हैं: जहां समस्या ग्रस्त बच्चे हैंऔर जहां नहीं हैं। यदि वे पकड़ रहे हैं, यदि वे अभी भी जीवन का आनंद नहीं ले रहे हैं, यदि उन्हें उनके साथ छोटी समस्याएं हैं, या यदि वे माता-पिता से पकड़ रहे हैं, तो इन सभी चीजों से निपटा जाना चाहिए।

तो इस बिंदु पर मुझे एक बात कहनी है: जब हमें बच्चों की समस्या होती है तो कभी-कभी माता-पिता की भी गलती होती है या उनमें कोई दोष हो सकता है, या किसी प्रकार की गलत बात हो सकती है। अब, इन परिस्थितियों में, हमें यह समझना होगा कि माता-पिता का सही दृष्टिकोण ही बच्चों को ठीक होने में मदद कर सकता है। तो उन्हें जो कुछ भी सुझाव दिया जाता है और उन्हें बताया जाता है, उन्हें इसके बारे में बुरा महसूस नहीं करना चाहिए, बल्कि इसे स्वीकार करना और अपने तौर-तरीके को सही करना और चीजें काम करेंगी। ठीक है? तो यह एक वादा है। किसी को भी इसके बारे में बुरा नहीं लगेगा [लेकिन] इसे एक बहुत अच्छी सलाह के रूप में लेने जा रहे हैं, जो कुछ भी हमें उन्हें बताना है, इसलिए हमें इस पर विशेष ध्यान देना होगा। खासकर महिलाओं के साथ मैंने देखा है- अगर आप उन्हें कुछ भी कहते हैं, तो वे रोने लगती हैं। यह एक जल शक्ति है जिसे मैं दूर नहीं कर सकती। (हँसी) मैं इतना नहीं रोती क्या मैं? मुझे नहीं पता कि लोग इतना क्यों रोते हैं और सभी को परेशान करते हैं। तो ऐसे लोगों को रोने नहीं दिया जाएगा! अगर उन्हें अपने बच्चों को सुधारना है, तो पहली बात यह है कि उन्हें रोना-धोना नहीं है। तभी हम समस्या का समाधान कर सकते हैं। ठीक है? तो तय है। यह भी तय किया जाता है।

ठीक है, बच्चों को बाहर जाने दो। क्योंकि बच्चे अभी भी शांत नहीं हैं। हम देख सकते हैं कि। वे बहुत शोर कर रहे हैं। वे सामान्य नहीं हैं। तो आप बच्चों को बाहर ले जा सकते हैं। मुझे लगता है कि उनमें से ज्यादातर समस्याग्रस्त वाले बच्चे हैं। क्योंकि वे वायब्रेशन महसूस नहीं कर सकते!

आप महसूस कर सकते हैं, आप देख सकते हैं। क्या आपने महसूस किया कि जब वे अंदर आए, तो भारीपन? वह बहुत दुखद था। जिन्हें महान कार्य करने थे, वे अब बीमार हैं। वह माता-पिता की वजह से है। मुझे लगता है अब मैं जा सकती हूँ? या अगला कार्यक्रम क्या है?

गेविन ब्राउन: माँ, आज शाम हम कुछ गाना चाहते थे इसलिए हम गाने की किताबें लाए।

श्री माताजी: वह क्या है? क्या आप इसे मुझे सौंप सकते हैं।

योगिनी : कुछ लंच करना चाहोगे माँ? हमने आपके लिए कुछ तैयार किया है।

श्री माताजी : दोपहर का भोजन?

योगिनी : कुछ पनीर।

श्री माताजी: मुझे नहीं पता। क्या मुझे दोपहर का भोजन करना चाहिए? (हँसी) यह एक और बात याद आ रही है। मैंने अब तक दोपहर का भोजन नहीं किया है, मुझे ऐसा लगता है। ठीक है?

तो गेविन कौन सा गाना है? क्यों नहीं लेते “मैं आपका राखी भाई हूँ” ?

वारेन: टेपिंग पर काफी बड़ा काम किया जाना है।

श्री माताजी: एह?

वारेन: आपके सभी टेपों को स्थायी टेप में स्थानांतरित करने के लिए बहुत बड़ा काम किया जाना है। क्या आप इसमें किसी को जमाल की मदद करने के लिए नियुक्त करना चाहती थी?

श्री माताजी : जमील कहाँ है? मैंने उसे नहीं देखा।

वारेन: वह दोपहर में आ रहा है। हमें ऐसे लोगों की ज़रूरत है जो तकनीकी रूप से… ठीक है, जो आपके कई पुराने टेपों की प्रतिलिपि बनाने के लिए हर हफ्ते समय निकाल सकें।

श्री माताजी : जो लोग मेरे पुराने टेप को कॉपी करके मदद करना चाहते हैं, कृपया खड़े हो जाइए! कौन इसे करने के तकनीकी तरीके जानता है। लेकिन हमारे पास एक ही मशीन है। क्या हम दूसरी खरीद सकते हैं?

वारेन: मशीनरी पर्याप्त है, माँ। उनके पास अब पर्याप्त मशीनरी है।

श्री माताजी : केवल एक।

योगी: जमील नकल के लिए तैयार है। यह वे लोग हैं जिनकी हमें आवश्यकता है।

श्री माताजी : आपको आना है, आपस में बांटना है और (शकुंतला को) मराठी ची तुझे कारा! और यहाँ कोई हिंदी भाषी लोग नहीं हैं? छाया हिंदी कर सकती है। वे वहां आश्रम जा सकते हैं और कर सकते हैं।

तो, यहां स्थायी रूप से इयान नहीं बल्कि जमील रहने वाला है। आपको जमील से संपर्क करना चाहिए, उसे अपनी सेवाएं प्रदान करनी चाहिए और उसे बताना चाहिए कि आप ऐसा करना चाहते हैं।

कितने हैं, कौन वक्त निकाल सकता है? डेरेक तुम भी उठ गए। क्या आप कभी-कभी आश्रम आ सकते हैं?

डेरेक ली: मुझे कैम्ब्रिज में कॉपी करने की सुविधा मिली है, माँ। वे मुझे सिंगल टेप भेजते हैं और मैं एक बार में बीस या चालीस कॉपी कर सकता हूं।

श्री माताजी : ठीक है। कुछ लोग जो एक दिन निकाल सकते हैं।

वॉरेन: हर हफ्ते एक दिन। चलो, लंदन में, चेल्शम रोड पर बहुत सारे लोग होने चाहिए जो ऐसा कर सकते हैं।

श्री माताजी: क्या आप अपना नाम जमील को देंगे? कुछ और लोगों को आगे आना चाहिए। यह एक जबरदस्त काम है, आप देखिए।

वारेन: सभी 1974 में वापस चले जाते हैं। वे सभी बिगड़ रहे हैं और अगर हम इसे जल्दी नहीं करते हैं तो माता के टेप खो जाएंगे। हमें डिजिटल रिकॉर्डर को स्थायी बनाने के लिए उस पर पैसा खर्च करने की भी जरूरत है।

श्री माताजी : यह अच्छा है। यह बहुत ज़रूरी है।

वॉरेन: ठीक है तो कोई नाम ले लो। इयान तुम करोगे?

बच्चों की हालत खराब है लेफ्ट नाभी पकड़ रही है: माताओं के साथ कुछ गड़बड़ है।
ठीक है। अब मैं जो कह रही हूं, वह मेरे जाने के बाद करना है। आप सभी अपना नाम अवश्य दें। याद है! मुझे आशा है कि आपको याद होगा। क्‍योंकि तुम उठकर बैठ गए, उठकर बैठ गए, पर अब स्मरण रखना कि तुम किस बात पर कब खड़े हुए थे, तुम देखो। कोई भूल सकता है।

योगी : श्री माताजी, क्या मैं एक सुझाव दूं। वे सभी लोग जिन्हें लगता है कि वे किसी पत्रिका या समाचार पत्र में लेख लिख सकते हैं: हम लेखों को प्रकाशित करने के प्रयास में एक पूर्ण अभियान शुरू कर सकते हैं।

श्री माताजी: यह कौन है?

गेविन ब्राउन: वह कह रहे हैं कि कुछ लोग होंगे जो सहज योग के बारे में पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशन के लिए लेख लिखने के लिए तैयार होंगे, और हमें उस दिशा में प्रयास करना चाहिए।

श्री माताजी : हाँ। इसका एक पक्ष यह है। अखबारों की कटिंग और अब चीजें। मैं जॉन नॉयस के बारे में सोच रही थी अगर वह यहाँ है। मुझें नहीं पता। क्या आप? वह ही है जिसे प्रभारी होना चाहिए,जॉन नॉयस। आप खड़े होंगे? अब क्या आप उन सभी को खड़ा करेंगे जो ऐसा करना चाहते हैं। दुनिया भर से सभी समाचार पत्रों की कटिंग का संकलन कर रहा है, उन सभी लेखों का संकलन जो प्रकाशित होने वाले हैं। आपका कहने का मतलब पत्रिकाओं में ? उसने क्या कहा?

योगी: एक संपादकीय टीम जो विशेष रूप से उन सभी लेखों को फ़िल्टर करती है जो लोग लिख रहे हैं और फिर उन्हें विभिन्न पत्रिकाओं और प्रकाशनों पर केंद्रित करते हैं।

श्री माताजी : उन्होंने क्या कहा?

गेविन ब्राउन: वह कह रहे हैं कि लोगों को प्रकाशन के लिए अभी से लिखना शुरू कर देना चाहिए और यह कि सभी को संपादित करके भेजा जाना चाहिए।

श्री माताजी : हाँ। ऐसा ही। लेकिन हमारे पास हर जगह अखबारों की कटिंग भी हैं जिन्हें एक फाइल में रखा जाना है और अध्ययन और चिह्नित किया जाना है। हाँ।

वारेन: यह एक ऐसा काम है जिसे करना जॉन के लिए बहुत अच्छा है। वह इसमें बहुत अच्छा है।

श्री माताजी : हाँ, मैंने यही कहा था।

वॉरेन: और शायद डेविड के साथ एक और टीम।
श्री माताजी: अब। डेविड [प्रोले] संपत्ति के लिए है और जो कुछ हमने उसे एक काम दिया है, वही उसे खत्म करने के लिए पर्याप्त है! एक काम के साथ ही। लेकिन आप इसमें शामिल हो सकते हैं, मेरा मतलब है कि आप उस पार्टी के साथ भी हो सकते हैं। तो अब वो सभी जो साक्षात्कार, सभी समाचार पत्रों, हर कटिंग और अपने स्वयं के योगदान को संकलित करना चाहते हैं, कृपया खड़े हो जाएं। यह केवल लेखन ही नहीं संकलन है। अच्छी बात है। वैलेरी, अच्छा है।

उदाहरण के लिए, हम भी यह कह सकते हैं कि हम क्या कर सकते हैं, हमारे पैम्फलेट और ब्रोशर कैसे हों और ये कैसे किए जाने हैं; उस बिंदु तक। ठीक है? यही है।

तो हम एक और बहुत ही नाजुक चीज पर आते हैं – संपर्क। टेलीविजन और अन्य प्रचार चीजों के साथ संपर्क। अब जो कुछ भी हमारा अपना प्रचार है वह जॉन नॉयस द्वारा किया जाना चाहिए लेकिन दूसरों से संपर्क करने के लिए और वह सब? वैलेरी?

रे हैरिस: क्या मैं इसके लिए जॉन ग्लोवर को नामांकित कर सकता हूं?

श्री माताजी : ओह, जॉन ग्लोवर कहाँ है?

रे हैरिस: माँ, मुझे लगता है कि वह रास्ते में है। उसे अपनी कार से कुछ परेशानी थी।

श्री माताजी : नहीं, वह किसी और काम में है। लेकिन मैं सोच रही थी कि वैलेरी इसके लिए बेहतर है। क्या आप पदभार ग्रहण करेंगे? तुम खड़े हो जाओ।

अब जो लोग कार्यक्रमों में जाना चाहते हैं, अगर हम किसी तरह के नाटक की व्यवस्था करते हैं या हम अन्य एजेंसियों के माध्यम से टेलीविजन या प्रचार के लिए कहीं और व्यवस्था करते हैं, तो कृपया खड़े हो जाएं।

अच्छा।

योगी: इसके अलावा बोगदान, श्री बोगदान।

श्री माताजी: बोगदान। और जॉन नॉयस। मैंने बोगडान को नहीं देखा, वह कहाँ है?

गेविन ब्राउन: मुझे नहीं लगता कि वह अभी आया है माँ।

श्री माताजी : ठीक है। तो आप उनके साथ पार्टियों में से एक हो। लेकिन नेता वैलेरी है। ठीक है? कृपया बैठ जाएँ।

परन्तु यह स्मरण रखना कि आपने मेरी उपस्थिति में इन सब बातों का वचन दिया है।

व्यावहारिक रूप से हमने बहुत सी चीजों को कवर किया है। देखते हैं हम कितना हासिल करते हैं। तो पॉल विंटर आप किस चीज़ के प्रभारी हैं? हर चीज का कम्प्यूटरीकरण?

पॉल विंटर: फिलहाल नहीं, मां।

श्री माताजी : ठीक है। आप इसके लिए खड़े हों। अब यहाँ पॉल है।

पॉल विंटर: मैं कहना चाहता हूं, मां, हम जो उपकरण बनाते हैं, वह भारत में बहुत अच्छी तरह से बिक रहा है। हम मराठी, गुजराती, बंगाली, तमिल सिस्टम, सब कुछ बेच रहे हैं।

श्री माताजी : तो सभी प्रकार की टाइपिंग, कम्प्यूटरीकरण, पॉल के प्रभार में हैं। अब जो लोग उसमें मदद करना चाहते हैं, जो कम्प्यूटरीकरण में अच्छे हैं, उस पर विचार दे रहे हैं, कृपया खड़े हो जाएं। ठीक है। और कौन? जमील, जमील भी।

अच्छा। तो अब कृपया उन सभी के नाम एक पेपर में लिख लें।

गेविन ब्राउन: क्या वॉरेन न्यूजीलैंड में ब्रायन के कार्यक्रम के बारे में बता सकते हैं?

श्री माताजी : जो आप बाद में बता सकते हैं। ठीक है? ब्रायन ने अच्छा काम किया है। साधकों की एक श्रंखला है और वास्तव में एक कार्यक्रम में एक लड़के को मेरी तस्वीर के सामने साक्षात्कार हो जाता है और वे टेलीविजन पर मेरी तस्वीर दिखाते हैं! परंतु वह ऑकलैंड में है, वह न्‍यूजीलैंड में है जहां हमारे पास एक महान गतिशील प्रधान मंत्री (डेविड लैंग) हैं। मुझे लगता है कि सादात के बाद, मुझे लगता है, वह एक और व्यक्ति है जो एक साक्षात्कारी-आत्मा है। (मिस्र के राष्ट्रपति अनवर अल सादात)।

मुझे आशा है कि यहां के प्रधान मंत्री को भी साक्षात्कार होगा या हमें कोई ऐसा व्यक्ति मिलेगा जो एक साकार-आत्मा है, दो में से एक। मुझे आशा है कि वह मिल जाएगी। (हँसी) इसके लिए प्रार्थना करो।

तो क्या हम अभी जा सकते हैं? दोपहर के भोजन कि क्या व्यवस्था है?

योगी: वे चाहते हैं कि हम वास्तव में अभी दोपहर का भोजन करें।

गेविन ब्राउन: आपका लंच अभी आ रहा है, श्री माताजी।

श्री माताजी: यहाँ? और अब कोई खाने वाला नहीं है। मैं अकेली व्यक्ति हूँ जो खाने वाला है?

योगिनी : लंच तैयार है अब हम सब के लिए माँ।

श्री माताजी: हम सब? तब यह ठीक है। वह गेविन क्या है? (माँ एक बड़े उपहार में लिपटे बॉक्स की ओर देख रही है)

गेविन ब्राउन: यह शेफील्ड से कुछ है जो हम आपके लिये लाये है। यह सिर्फ एक स्मारिका है।

श्री माताजी: बस? (हँसी) बहुत-बहुत धन्यवाद। यह काफी भारी है। क्यों? परमात्मा आपका भला करे। आप इसे खोलकर दिखा सकते हैं। यही है हो वे यहां बनाते हैं। और मेरा मतलब है कि इसकि कोई जरूरत नहीं थी लेकिन उन्होंने कहा [कि] मुझे यादगिरी के लिये रखना है। मैं किसी भी स्थिति में याद रखूंगी। लेकिन अब यह ऐसा उनका विचार है, मैं क्या करूँ? कुछ ऐसा जो वे यहां बनाते हैं। इतना ही।

(गेविन उपहार को खोल देता है जो शेफील्ड चांदी के शेफील्ड में बना एक चायदानी और कप है।) देखो? ओह क्या सुंदर रचना है। शेफ़ील्ड में बना है?

योगी: हाँ, यह शेफ़ील्ड में बना है।

श्री माताजी : यह एक सुंदर रचना है, है न? आपने मुझे जो दिखाया वह उससे बेहतर है। (हँसी) (गेविन दूध का जग खोलता है) वह तीसरा है। अब हम इसे यहाँ रखते हैं। यह खूबसूरत है! और यह मैं रोज सुबह देखूंगी। यह खूबसूरत है। अवश्य कहूँगी, बहुत सुंदर रचना । आप जानते हैं कि हमने इसे नकल किया है, हमें यह डिज़ाइन मिला है, हम इसे कलकत्ता में इस्तेमाल करते हैं। सचमुच! मुझ पर विश्वास करो! यह खूबसूरत है। मैं कहती हूँ, क्या ख़ूबसूरती है। आपके द्वारा खरीदे गए चार नग? यह खूबसूरत है। उसे देखो। (तालियाँ)

आपका बहुत बहुत धन्यवाद। शुक्रिया।
मैं इस तरह के एक सुंदर उपहार के लिए सभी शेफ़ील्ड सहज योगियों को धन्यवाद देती हूं और यह मेरे पास हर दिन रहेगा।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद। परमात्मा आपका भला करे।

मुझे लगता है कि, बेहतर होगा कि आप इसे वापस उस बॉक्स में ठीक से रखें। यह सुंदर है, है ना? आप सब देख सकते हैं। उन्हें देखने दो। रचना बहुत ही सुन्दर और नाजुक है। इसे कौन लाया है? वॉरेन, तुमने किया?

वॉरेन: वे लाये हैं।

श्री माताजी: वाक़ई?

योगी: माँ, यह मुझे आज सुबह जो के साथ मिला।

श्री माताजी : नहीं, यह मैंने नहीं देखा! जो मैंने देखा वह था, इसमें वह डिज़ाइन है जिसे आप जानते हैं। जिसका कोई डिजाइन नहीं था।

वारेन: वे वह नहीं पा सके जो आप चाहती थी इसलिए यह उसकी जगह लिया गया है। लेकिन ये सस्ता है.

श्री माताजी: वाक़ई? सहज! उसी दुकान से है!

यह इतनी खूबसूरत चीज है। और यह भी बहुत समझदारी से आकार दिया गया है आप देखिये। वह वाला एक जंबो था। ठीक है।

तो क्या हमें कुछ संगीत करना चाहिए? और, गेविन अगर तुम चाहो तो मैं खा लूंगी, अन्यथा तो मैं जाऊं। मैं आप लोगों को परेशान नहीं करना चाहती क्योंकि मैंने खाना खा लिया था।

वॉरेन: यह आ रहा है।

गेविन: यह माँ के लिए आ रहा है।

श्री माताजी : नहीं, क्यों परेशान करना?

गेविन: यदि आप चाहती हैं कि मैं पूछूं कि क्या यह तैयार है, क्योंकि यह नहीं है, लेकिन यह आ जाएगा।

श्री माताजी : ठीक है। तो चलिए इसे (भजन) करते हैं। लेकिन कितनीअच्छी चीज़ है एह? मैं डिजाइन देखना चाहती हूं।

योगी: क्या हर कोई ‘राखी भाई’ [गीत] जानता है और एक कोने में खड़ा हो सकता है।

योगी : वारेन ने बस मुझे याद दिलाया, मुझे तुमसे कहना चाहिए था, कि मैं, तीन साल तक,ऐसी कंपनी के लिए काम करता था जो की चांदी बनाती है! मैं करता था, लेकिन अब मैं नहीं करता।

श्री माताजी: वह क्या है?

योगी: मैं कंपनी के लिए काम करता था। यह पार्किन के सिल्वरस्मिथ हैं। यह वहां नहीं कहता है, लेकिन इसे पार्किंस नामक कंपनी द्वारा बनाया गया है।

श्री माताजी : लेकिन यहाँ क्या लिखा है?

योगी: ‘चांदी मढ़वाया हुआ। शेफ़ील्ड, इंग्लैंड’।

श्री माताजी: यह शेफील्ड है? यह खूबसूरत है। यह बहुत ही खूबसूरती से किया गया है। आप वहां काम कर रहे थे? इसलिए!

योगी: तीन साल के लिए।

श्री माताजी : यह एक अच्छा विचार है। ठीक है।

(योगी गीत गाना शुरू करते हैं)

श्री माताजी : सुंदर!

अब, आपके सुझाव [गाने के लिए]।

योगी: माँ इस समय हमारे पास कोई वाद्य यंत्र नहीं है, वे सभी बाहर कारों में हैं।

श्री माताजी: क्या आप ला सकते हैं? ठीक है।

योगी : या आज शाम तक के लिए टालना चाहते हो माँ ?

श्री माताजी: क्या आप कृपया जाकर ला सकते हैं? हाँ, हाँ यह बहुत अच्छा है। बस जाओ। जिनके पास साधन हैं, उन्हें जाकर ले आना चाहिए।

मुझे लगता है पैट आ गया है? वह बाहर बैठा है? क्या बात है? आप वहाँ क्या कर रहे हैं?

पैट Anslow: माँ, मुझे देर हो गयी थी।

श्री माताजी: नहीं! बेहतर होगा कि आप हमारे साथ जुड़ें। उसे बिल्डरों केसमूह में ले जाएं (पैट एंस्लो एक प्लंबर था)।

हाँ, हाँ।अंदर आओ तुम बाहर क्यों बैठी हो?) आपकी पत्नी कहाँ है?

योगी: अभी वह बाहर है।

श्री माताजी:उसे बुलाओ

कृपया अपने संगीत वाद्ययंत्र ले आयें यदि वे बाहर हैं।

सहज योगियों के चेहरे कितने अलग हैं, आप जानते हैं! वे बहुत अलग दिखते हैं। मुझे लगता है कि हर एक शख्स कला का एक नमूना है। बहुत खूबसूरत! वह क्या कह रही है?

गेविन: शेफ़ील्ड से डायने द्वारा लिखा गया एक नया गीत है।

श्री माताजी: वाक़ई? महान। आइए सुनते हैं। खैर साथ ले आओ। हाँ क्यों नहीं? शेफ़ील्ड से हमारे पास होना चाहिए।

(शकुंतला केर्सवेल एक कविता लेकर आई हैं जो उन्होंने माँ के लिए लिखी है)

उन्होंने मराठी में एक कविता लिखी है। इसलिए मैं इसका आपको अनुवाद करूंगी। वह कहती है कि, “मेरी बच्ची जो सहजयोगी है, ज्ञान प्रकट कर रही है। मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं – वह मैं हूं – आप सभी से अनुरोध है कि मैं इस बच्चे की मां हूं, और आप उस पर ध्यान दें।”

यह एक ठेठ भारतीय है आप देखिये, जिसे हम एक कौतुक कहते हैं, वह वह है जहां आप बच्चे को प्यार से संभालते हैं, आप बच्चे के लिए प्यार व्यक्त करते हैं। अब वह मेरे बच्चे के प्रति लगाव का वर्णन कर रही है। मेरा छोटा बच्चा ‘सोनुला’ वे इसे कहते हैं, सुनहरा बच्चा है। मेरा सुनहरा बच्चा इतना स्नेह से बोलता है, मीठा, बच्चे की बात। हम कह सकते हैं – एक बच्चे की खूबसूरत बात। आप यहां ‘बच्चे’ का अर्थ ‘मासूमियत’ देखते हैं। वह आपसे मासूमियत से बात करता है। और उसकी बात सुनकर आपका ध्यान भीतर प्रवेश करेगा। वह जो कुछ बाहर है उसे छोड़कर भीतर प्रवेश करेगा।
और बताने के लिए… मराठी शब्द ‘निरुपण’ की व्याख्या कैसे करें?) निरुपण। ‘निरुपण’ ‘ईश्वर की व्याख्या’ है। लेकिन यह मेरे शब्द ‘नीरू’ के साथ जाता है। मेरा नाम नीरू है। तो यह ‘नीरू-पण’ शब्द पर एक श्लोक है। ‘पण’ का अर्थ है नीरू का सार। इसके बारे में बात करने के लिए। तो एक शब्द है। निरुपण का दोहरा शब्द है: इसका अर्थ ‘माँ के सार की व्याख्या करना’ भी है; और ‘निरुपण’ का अर्थ ‘दिव्य की व्याख्या’ भी है।

“हे भगवान, उसे आशीर्वाद दो, मैं कहता हूं। वह भी इस संसार में एक साधारण गृहस्थ की तरह रह रहे हैं, साथ ही उन्होंने सहज समाधि प्राप्त की है।”
उन्होंने सहज ‘समाधि’, हासिल किया है। जो कि आप जानते हैं, प्रबुद्ध जागरूकता है। लेकिन वह दुनिया में रहता है। उसने कुछ भी नहीं छोड़ा है।

“उन लोगों के लिए जो अज्ञानी हैं, उन्होंने चैतन्य का सहारा लिया है।” वह है.अंग्रेजी अर्थ इस प्रकार है); वैसे यह अंग्रेजी से परे है। ठीक है मैं कोशिश करती हूँ।

“जिंकिता अमृताजे जिन्किता पयज्ज्या ग्यवे निर्मला ची बोल।” (मां इस प्रकार अनुवाद करती हैं) “आप एक के बाद चुनौती को जीतते चले जाते हैं, माता की बातों के अमृत की दिशा में। उनका नाम लो और तुम यह कर सकते हो।”

बहुत काव्यात्मक है।

“न्याना दीपा दोलियात्ज़े ते ज़्यालिता ते जोवाना” “आंखों में प्रकाश है, प्रबुद्ध है, और इसके साथ ही सभी दीप प्रबुद्ध हो जाते हैं, और सिद्धपुरुष, जिन्होंने सिद्धता प्राप्त कर ली है, जो बहुत महान, उच्च आत्माएं हैं, अब इस धरती पर आई हैं महायोग देखने के लिए। वे देख रहे हैं। उनकी आत्माएं मेरे बच्चों के इस महायोग को देख रही हैं। ठीक है? यह इस बारे में है। अब मैंअनुवाद करने में इतनी अच्छी नहीं हूँ, मुझे कहना होगा। हमें बैठना होगा। लेकिन मराठी भाषा बहुत गहरी है। इसे सतह पर लाना बहुत मुश्किल है लेकिन मैंने कोशिश की है।

बस इसे उसके लिए थोड़ा सा लगाओ।

शकुंतला: (सभी के लिये मराठी कविता गाती है)

श्री माताजी : अब आखिरी हिस्सा में मैं बस बात चूक गयी। “न्याना दीपा डोलिया” – “मेरे बच्चों की आँखों में आँखें जल उठीं, वहाँ आँखों में तेरी आँखों में एक चमक है। तुम्हारी आँखों में जो प्रकाश है वह ज्ञान का है, और जब यह प्रकाश करता है..’तेजोगना’ ‘तेजोगना’ का अंग्रेजी में क्या अर्थ है?)

वे क्या कहलाते हैं? स्वर्ग में रोशनी के समूहों को क्या कहा जाता है? आप उन्हें क्या कहते हैं? नक्षत्र? हाँ, हाँ, नक्षत्र, हाँ। और जब इन ज्योतियों को प्रकाशित किया जाता है, तो नक्षत्र, महान विकसित आत्माओं के रूप में, इस पृथ्वी पर नक्षत्रों के रूप में आए हैं। क्योंकि उनकी आंखों में जो टिमटिमाती है और वे सभी इस धरती पर आए हैं उस महायोग को देखने के लिए जो आप लोगों के माध्यम से काम कर रहा है। यह अच्छा है। बहुत सुन्दर। शुक्रिया। (तालियाँ)

आप इसे वहां से पढ़ते हैं, पर…यह बेहतर है इसलिए आपको टेप कर दिया जाता है!

योगिनी: यह गीत मूल रूप से मेरे द्वारा लिखा गया है लेकिन मुझे शेफ़ील्ड में भाई सहज योगियों से बहुत मदद मिली और मुझे गिटार पर गैरेथ रेनॉल्ड्स की वास्तव में आवश्यकता है।

श्री माताजी : क्या आप इसे (माइक्रोफ़ोन) यहाँ रख सकते हैं क्योंकि अन्यथा मुझे प्रकाश में देखना होता है या यदि आप प्रकाश को दूसरी ओर मोड़ दें। दोनों में से एक।

वॉरेन: माइक्रोफ़ोन ले जाएँ।

श्री माताजी : मुझे वहाँ चेहरा नहीं दिख रहा है। इसे इस तरफ रख दें तो बेहतर होगा। हाँ, यह बहुत मेहरबानीन है। हाँ अच्छा। हाँ यह बेहतर है।

(शेफील्ड की योगिनी गाती है कि तुम सागर हो।)

श्री माताजी : अच्छा किया। (तालियाँ) यह अच्छा है। बहुत सुन्दर। बहुत अच्छा वाला। बहुत अच्छी तरह से रचित और बहुत अच्छी तरह से किया गया है और यह वास्तव में, मुझे कहना होगा, संगीत की दृष्टि से भी, यह बहुत अच्छी तरह से रचित है।

परमात्मा आपको आशिर्वादित करे। सुंदर। यही हुनर है।

यह खूबसूरत है। ऐसा शेफ़ील्ड है। (तालियाँ)

क्या आप गाने जा रहे हैं? (हँसी)

वारेन : कैटरिंग स्टाफ बिल्कुल आग्रह कर रहा है कि अब हम खा लें,श्रीमाताजी।

श्री माताजी : अच्छा,तब फिर अब खाओ। बेहतर होगा कि तुम जाओ और खाओ, और अगर तुम चाहो तो मैं भी खा सकती हूं। ठीक है। तो संगीत का समापन होता है। मुझे खेद है, क्योंकि उन्हें खाना है और मुझे वापस लंदन जाना है। मुझे आशा है कि आपसे फिर कभी मुलाकात होगी, मुझे आशा है कि भारत जाने से पहले, मुझे नहीं पता कि मामला क्या है।

लेकिन गेविन कहीं न कहीं एक बड़े कार्यक्रम की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहा है, इस उम्मीद में कि लंदन में हम बेहतर करेंगे और कुछ लोगों के साथ कुछ चिपका हुआ मलहम होगा! (हँसी) तो देखते हैं।

परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।

जिन लोगों को खाना है कृपया जायें और शुरू करें अन्यथा कैटरर्स आपको भूखा मार देंगे!

(माँ चाँदी के चायदानी उपहार की प्रशंसा कर रही है)

आपने कितनी शानदार चीज़ पायी है, मुझे कहना चाहिए। वह कंपनी वही है जो हमने देखी थी, है ना? वही शैली, क्या यह वही शैली है? एक जैसा। आह। लेकिन उनके पास कोई गारंटी नहीं थी, कुछ भी नहीं और कोई डिजाइन नहीं था। इसकी गारंटी है? यह है। कितने वर्षों के लिए?

(*प्रतिमा का अर्थ है मूर्ति, और महाराष्ट्र में सहज योगी इस शब्द का उपयोग श्री माताजी की तस्वीर के लिए करते हैं। श्री माताजी ने भी कुछ मराठी वाक्यों में उनकी तस्वीर का जिक्र करते हुए उस शब्द का इस्तेमाल किया, जो उन्होंने 1:43:34 से पहले बोला था।)