Public Program, Satya मुंबई (भारत)

1986-01-21 Public Program: Satya, Mumbai (Hindi) सत्य का स्वरूप, मुंबई 21/01/1986 बंबई शहर के सत्यशोधकों को हमारा प्रणिपात। सत्य की खोज के बारे में अनादि काल से इस देश में अनेक ग्रंथ लिखे गए हैं। इसकी वजह यह है, कि इस भारत वर्ष की जो भूमि है, इस भूमि में बहुत से आशीर्वाद छिपे हुए हैं, जिसके बारे में हम जानते नहीं। यहां की आबोहवा इतनी अच्छी है, कि आप जब घर से निकलते हैं, आपको जैसे लंदन में लबादे लबादे लादने पड़ते हैं और निकलने से पहले 15 मिनट तैयार होना पड़ता हैं, ऐसी कोई आफत नहीं। बाहर आते ही प्रच्छन्न ऐसी सुंदर प्रच्छन्न हवा बहती रहती है। यहां एक इंसान जंगलों में भी, पहाड़ी में भी, झरनों के पार, नदियों के किनारे, बड़े आराम से अपना जीवन बिता सकता है। यह हालत किसी भी देश में इतनी अच्छी नहीं है। या तो देश बहुत ज्यादा गर्म है, या बहुत ज्यादा ठंडे हैं। अतिशय्ता की प्रकृति होने की वजह से वहां पर लोगों को हर समय प्रकृति से झगड़ना पड़ता है, और ये संग्राम करते करते लोगों की वृत्ति आक्रमक; आक्रमण करने वाली हो जाती है। आप आक्रमणकारी हो जाते हैं। जब पहली मर्तबा मैं लंदन गई थी, तो मैं सोचती थी कि यहां कोई प्रकोप है परमात्मा का कि श्राप है, कि आप बाहर एक मिनट भी खड़े नहीं हो सकते। शुद्ध हवा आप एक मिनट भी नहीं ले सकते। घर से निकलीये तो बंद, मोटर में बैठिए दौड़ कर और फिर जहां भी जाइए वहां से दौड़कर Read More …