Talk After Sahasrara Puja: Unless and until you are conscious you cannot ascend

Alpe Motta (Italy)

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सहस्रार पूजा के बाद भाषण
मेडेसिमो, एल्पे मोट्टा (इटली), 4 मई 1986

ये वे गीत हैं जिन्हे हिमालय में गाया जाता हैं, और यहाँ गाया जाना वास्तव में कुछ उल्लेखनीय है, है ना? आप इसे यहां गाए जाने के लिए लाए हैं।

अब, मुझे लगता है कि मैंने आपको पहले ही एक बहुत, बहुत लंबा व्याख्यान और आपके कथानुसार एक भाषण दिया है, लेकिन कुछ प्रतिक्रियाएं बहुत अच्छी थीं, और कुछ इसे बहुत अच्छी तरह से अवशोषित कर पाये थे। लेकिन कुछ, उन्होंने बताया कि, सो रहे थे। अब ये चीजें नकारात्मकता के कारण होती हैं। आपको अपनी नकारात्मकता से लड़ना होगा, क्योंकि नकारात्मकता ही वह चीज है जो सवाल पूछती है। जब मैं बात कर रही हूं तो मैं सच कह रही हूं, पूर्ण सत्य, लेकिन यह नकारत्मकता सवाल पूछती है और यह प्रतिबिंबित होता है।

जब यह प्रतिबिंबित होने लगती है, तो कुछ भी दिमाग में नहीं जाता है क्योंकि आप पिछले वाक्य के साथ रह जाते हैं, और वर्तमान, आप इसके साथ नहीं होते हैं। तो एक पलायन की तरह, सब कुछ उबल कर नीचे बैठ जाता है, और फिर तुम बच जाते हो और तुम सो जाते हो। मेरा मतलब है, मैंने आज आपको अपने चेतन मन में डालने की पूरी कोशिश की। तुम्हें सचेत रहना है, तुम्हें सजग रहना है; और वह बात ऐसी है कि जब तक आप सचेत नहीं होते तब तक आप उत्थान नहीं कर सकते। कोई भी असामान्य व्यक्ति उत्थान नहीं कर सकता। आपको खुद को सामान्य करना होगा।

आप में से बहुतों में बहुत सी असामान्यताएं थीं जिन्हें बाहर लाया गया और फेंक दिया गया, और बहुतों को शुद्ध कर दिया गया है, लेकिन कुछ लोग अब अगर अभी भी इसके साथ अटके हुए हैं, तो उन्हें इस पर काम करना होगा। वे इसे केवल उचित ठहराते नहीं रह सकते। आम तौर पर नकारात्मक व्यक्ति नकारात्मक व्यक्तित्व को आकर्षित करते हैं। इसलिए अगर आपके अंदर किसी भी तरह की नकारात्मकता है तो आपको कभी भी किसी नकारात्मक व्यक्ति के बगल में नहीं बैठना चाहिए, ऐसे व्यक्ति के पास कभी नहीं जाना चाहिए। दूर रहें, लेकिन सकारात्मक व्यक्ति से चिपके रहें। जैसा मैंने कहा, डटे रहो और अपने नेताओं को बिना किसी सवाल के समर्थन करो।

लेकिन दिक्कत ये है कि आप अपने ही नेता से लड़ने लगते हैं। यदि नेता आपसे कुछ कहता है, तो आप नेता से झगड़ते हैं और आप नेता के साथ बहस करते हैं, तो यह समाप्त हो गया है। मैं नेताओं के माध्यम से बोलती हूं, इसलिए आप इस पर सवाल न करें। सवाल करेंगे तो दिक्कत होगी। आपको अपने नेताओं के साथ रहना होगा, जो सकारात्मक लोग हैं। और अगर तुम उनसे सवाल करना शुरू कर दो, तो तुम कहीं नहीं रहोगे – तुम्हारे और मेरे बीच कोई संबंध नहीं रहेगा।

और यह हर जगह है: मुझे स्विट्जरलैंड में कहा गया था कि यह ऐसा है, फ्रांस में अब बेहतर है लेकिन ऐसा ही हुआ करता था; इटली को छोड़कर हर जगह – मुझे लगता है कि इटली के नतीजे सबसे अच्छे हैं। इसलिए अपने नेताओं से मत लड़ो, उनसे बहस मत करो। सहज योग के बारे में प्रतिक्रिया न करें – आप क्या कह सकते हैं, आप जानते ही क्या है, आप कैसे प्रतिक्रिया कर सकते हैं? आपका ज्ञान क्या है? क्या आप अपने रसायन शास्त्र के शिक्षक से सवाल करते हैं जब वह कहता है कि हाइड्रोजन के दो परमाणु या एक परमाणु होता है? क्या आप ऐसा करते?

और जब आप अपने अहंकार के साथ जोड कर ऐसा करना शुरू करते हैं, तो आपको विकास के दायरे से बाहर निकाल दिया जाता है। तो प्रतिक्रिया मत करो, बस सुनो, और इसे अंदर ले जाने की कोशिश करो। यह सब मन्त्र हैं; उन्हें अंदर ले जाओ।

इसके बजाय आप सवाल करने लगते हैं, अपने नेताओं से बहस करते हैं, उन्हें सलाह देते हैं। कृपया ऐसा न करें – इसे अभी रोकें। यह राजनीति नहीं है, जहां हर कोई सलाह दे सकता है, हर किसी को कुछ न कुछ कहना होता है। ज्यादातर भूत ऐसे होते हैं; भूत ग्र्स्त लोग सलाह देते और अपनी बात रखते चले जाते हैं। और हमेशा वे नेता के खिलाफ जाते हैं।

अब विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए, मैं कहूंगी, क्योंकि आप कभी-कभी नेताओं की तुलना में अधिक उम्रदराज़ हो जाते हैं। तब आपको लगता है कि आपको अपने नेताओं को सुधारने का अधिकार है – ऐसा नहीं है। सहज योग में आधार यह नहीं है कि आप कितने उम्र्दराज़ हैं, बल्कि यह है कि आप कितने विकसित हुए हैं। इसलिए जब आप अपने नेताओं से सवाल करना शुरू करते हैं और उनके व्यवहार या इस तरह की किसी भी चीज़ पर विचार करते हैं, और उन्हें जवाब देते हैं या अपने द्रुष्टिकोण भी देते हैं, तो आप विचलित हो जाते हैं। यह एक कड़ी की तरह है। कहो, चक्रों और कोशिकाओं के बीच एक कड़ी है, इसे ऐसे ही कहो। अब यदि आप चक्रों को नकारते हैं, तो कोई कैसे इसे कार्यांवित कर पायेगा; क्योंकि मैं उनके साथ जुडी हुई हूं, और उनके माध्यम से आप जुड़े हुए हैं।

लेकिन जब आप उनको अस्वीकार करते हैं, तो आप गिर जाते हैं। मैं जानती हूं कि नेताओं के साथ क्या करना है, मैं उन्हें चुनती हूं, मैं उन्हें व्यवस्थित करती हूं, मैं उन्हें संगठीत करती हूं, मैं उन्हें बदलती हूं; क्या करना है यह मुझे पता है। अब तुम लोग उन्हें चुनौती नहीं दो – यह तुम्हारे अहंकार के अलावा और कुछ नहीं है। भारत में ऐसा बिल्कुल नहीं होता है, नहीं होता है। एक बार माता ने किसी को नियुक्त कर दिया तो वह स्वीकार कर लिया जाता है, क्योंकि उनके लिए यही वह सत्य है जिसकी वे तलाश कर रहे हैं। बाकी सब बकवास है, सारा उलझाव हैं; और क्योंकि आप इतने जटिल हैं, आपको अन्य चीजें अच्छी लगती हैं, आपको लगता है कि आप अपने व्यक्तित्व को समर्पित कर रहे हैं -ऐसा बिल्कुल नहीं। विकास करना अर्थात, अपने आप को जीवन के रस, जीवन शक्ति, जीवन की प्राण शक्ति के प्रति समर्पित करना है।

समर्पण करो, अधिक स्वीकार करो, अधिक स्वीकार करो। यह अहंकार कभी भी तुम्हें किसी भी चीज के भीतर ले जाने की अनुमति नहीं दे सकता-उस पर सावधान रहें। यह तुम्हें कभी सोने नहीं देगा, यह तुम्हें कभी चैन नहीं देगा। यह आपको कभी उत्थान करने नहीं देगा, यह आपको कभी अपने लक्ष्य तक नहीं ले जाएगा। तो अपने उस अहंकार को त्याग दो।

तो एक बात मुझे तुमसे कहनी है: लड़ाई मत करो, झगड़ा मत करो, सवाल मत करो, पहली बात अपने नेताओं के बारे में मत सोचो; या अन्यथा आपको छांट दिया जाएगा।

उससे अच्छे व्य्वहार में रहो, उसका समर्थन करने की कोशिश करो। उससे पूछें कि वह क्या चाहता है, उसे क्या मदद चाहिए।जितना अधिक आप उससे जुड़ेंगे, जितना अधिक आप उसके करीब होंगे, उतना ही आप उसे प्राप्त करेंगे।

लेकिन तुम देखो, लोग बहुत फालतू हैं। उन्होंने अपना जीवन ड्रग्स, यह, वह सब बकवास में बर्बाद कर दिया है। और महिलाओं की एक और बुरी आदत है, गपशप करना। वे गपशप करना चाहती हैं: इस व्यक्ति के बारे में गपशप, उस व्यक्ति की आलोचना।

गपशप करना महिलाओं की बहुत बुरी आदत है। मैं गपशप करने वालों पर कभी ध्यान नहीं देती, और मुझे गपशप करने वाला व्यक्ति पसंद नहीं है इसलिए चीजों के बारे में गपशप न करें -हल्केपन से, दूसरों के बारे में बेहूदा बात करना।

यह आवश्यक नहीं है कि आप शिक्षित हों, यह आवश्यक नहीं है कि आप बहुत अच्छे परिवार से हों, कुछ भी आवश्यक नहीं है; जब तक आप सहजयोगी हैं, आप हीरा हो सकते हैं। लेकिन अपने आप को हीरे के रुप में कटने\संवरने दो। ऐसा होने दो!

तो कुछ लोगों का रिएक्शन बहुत अच्छा था, उन्होंने मेरी बात को आत्मसात कर लिया, उन्होने सब कुछ अंदर समा लिया; लेकिन उनमें से कुछ सो गए। अब, जो उस समय संघर्ष कर रहे थे, वे समझ नहीं पाए होंगे – यह एक कठिन विषय है, मैंने तुमसे कहा, यह बहुत सूक्ष्म विषय है, कोई बात नहीं। लेकिन जो ऐसे रहे हैं, उन्हें खुद की देखरेख करना चाहिए, पता लगाना चाहिए।

मैंने वामपंथी लोगों के साथ एक बात का पता लगाया है: अगर वे अपने बाएं स्वाधिष्ठान के पास थोड़ी दूर एक मोमबत्ती रख सकते हैं, और तस्वीर के सामने एक मोमबत्ती रख सकते हैं, और बाएं हाथ को तस्वीर की ओर और दाहिने हाथ को पृथ्वी माता पर रख सकते हैं। यह काम करता है। और पीछे वाली मोमबत्ती को थोड़ी दूर रख देना चाहिए क्योंकि यह आवाज करती है, इस तरफ उस तरफ जाती है, वैसे ही जलती है।
जो लोग एलएसडी के अलावा अन्य ड्र्ग ले रहे हैं, जो नींद से लथपथ लोग हैं, जिनका दिमाग दवा से नष्ट हो जाता है, उन सभी लोगों को इससे बहुत फायदा हो सकता है। इसे हर दिन करें।

नशीली दवाओं में जाने से आपको कभी नहीं लगा कि आप नशीली दवाओं के प्रति समर्पण कर चुके हैं, ऐसा कभी महसूस नहीं किया – जो कुछ ऐसा था जो आपको पूरी तरह से मारने वाला था। आप जानते हैं कि कितने लोग मारे गए, कितने मर रहे हैं, लेकिन आप ऐसा करना चाहते थे, मुझे नहीं पता, क्योंकि आपके अहंकार ने कहा, “ठीक है, आगे बढ़ो, यह आजमा कर देखो। आप वही होंगे जिसे कुछ नहीं होगा।” अहंकार इसी तरह सुझाव देता है। तो आपने ऐसा किया। ठीक है, कोई बात नहीं। जो कुछ हुआ है, हो चुका है, चलो उसे मिटा डाले , क्योंकि हम साधक हैं।

तो जिन लोगों ने व्याख्यान में वास्तव में बिना किसी प्रश्न के कुछ महसूस किया है, उन्हें समझ जाना चाहिए कि वे अच्छा कर रहे हैं। जो सवाल कर रहे थे, प्रतिक्रिया कर रहे थे, उन्हें पता होना चाहिए कि उनमें अहंकार है, और जिन्हें नींद आ रही थी, उन्हें पता होना चाहिए कि वे लेफ्ट साइडेड हैं। लेफ्ट साइड राइट साइड से भी बदतर है, क्योंकि राइट साइड को आसानी से ठीक किया जा सकता है: यह दिखाता है, यह बाहर दिखाता है। लोग इसे पसंद नहीं करते हैं। ऐसे व्यक्ति की आलोचना की जाती है, हर कोई कहता है कि वह अहंकारी है, वह यह है, वह है। सभी जानते हैं कि ऐसा व्यक्ति हिटलर की तरह अभिव्यक्त करता है।

लेकिन बायीं ओर का व्यक्ति, आप देखते हैं, बहुत दयनीय है और आपको ऐसे व्यक्ति पर बहुत दया आएगी और आप सहानुभूति रखते हैं, और आप उस व्यक्ति के साथ खो जाते हैं। वे अधिक खतरनाक हैं, और उनका ठीक होना मुश्किल है, बहुत मुश्किल है। इसलिए यह कोई आसान काम नहीं है, हमें इस पर काम करना होगा। मैं अपने स्तर पर पूरी कोशिश कर रही हूं। आपको भी मेरी मदद करनी चाहिए।

मैं सोच रही थी कि अगर आप अपने सिर के लिए थोड़ा सा तेल इस्तेमाल करना शुरू कर दें तो एक अच्छा विचार होगा,रात में। सहजयोगियों के रूप में आपको करना चाहिए। मुझे लगता है कि सहज योगियों के लिए केश सज्जा बदलना चाहिए। यह आधुनिक फैशनेबल स्टाइल हमें शोभा नहीं देगा। क्योंकि यह होगा, एक दिन हमारे सभी के सिर गंजे होंगे, मैं आपको बता सकती हूं, और आप यहां सहस्रार को एक बड़े डिंपल के साथ देखेंगे। बेहतर होगा कि आप किसी नारियल के अच्छे तेल का इस्तेमाल करें, रात मे अपने सिर में अच्छी तरह मलें, और सुबह में-आखिरकार, यह ज्यादा नहीं दिखता है- और अपने बालों को सही तरीके से कंघी करें। क्योंकि मुझे भी लगता है, अगर आपके कपड़े भूत की तरह हैं, आपके बाल भूत की तरह हैं, तो भूत यह सोचकर अपने आप आपको ग्रासित कर लेंगे कि, “ओह, यह भूत ही यहाँ बैठा है, बेहतर होगा कि मैं उस भूत को पकड़ लूं।”

तो इस तरह से तैयार हो जाओ – आपके कपाल पर बाल बिल्कुल नहीं होने चाहिए, इसे सीधा रखें, इसे अच्छा बनाएं, और आपके माथे बिल्कुल साफ हों।

हम सहज योगी हैं: हमें अपने कपड़े बदलने होंगे, हमें अपनी शैली बदलनी होगी, हम इन बेवकूफ बदमाशों की तरह फैशनेबल नहीं बन सकते।

तो हम एक विशेष प्र्कार के हैं, हमारे हेयर स्टाइल से लोगों को पता होना चाहिए कि ये सहजयोगी हैं। इसलिए इससे पहले कि आप गंजा होना शुरू करें, बेहतर होगा कि आप अपने सिर में थोड़ा सा तेल लगाएं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है जो सहज योगियों को करनी है। यदि आप चाहें तो वे चैतन्यित तेल ले सकते हैं और मुझे लगता है कि जैतून का तेल अच्छा है, लेकिन मुझे लगता है कि नारियल का तेल जैतून के तेल से बेहतर है, बालों के विकास के लिए बेहतर है।

लेकिन कभी-कभी आप बादाम का तेल भी डाल सकते हैं, आपके लिए बादाम का तेल भी अच्छा है; क्योंकि अगर आपको कोई ऐसी समस्या है जिससे आप थकावट महसूस करते हैं या आपकी नसों पर ध्यान देने की जरूरत है, आप नर्वस किस्म के व्यक्ति हैं, तो बादाम का तेल आपके लिए अच्छा है।

और ऐसे लोगों जिनके दांत उन्हें परेशान कर रहे हैं, उन्हें उनकी देखभाल करनी चाहिए। दंत चिकित्सक के पास जाने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि दंत चिकित्सक समस्याएं पैदा करते हैं। साधारण सी बात है कि जैतून के तेल में थोड़ा सा नमक मिलाकर रोजाना सोने से पहले अपने मसूड़ों पर अच्छी तरह मलें। जिससे आपके दांत ठीक रहेंगे। आपको हैरानी होगी, आज तक मैं दंत चिकित्सक के पास नहीं गई। दंत चिकित्सक के पास कभी नहीं गयी, और मुझे आशा है कि मैं दंत चिकित्सक के पास नहीं जाऊंगी। तो, लेकिन एक बात यह है कि मेरी कुछ बुरी आदतें हैं, उनमें से एक यह है कि मैं अक्सर अपने दाँत ब्रश करती हूँ। लेकिन बिजली के ब्रश वगैरह न करें, लेकिन ब्रश का उपयोग करें या अपनी उंगलियों का उपयोग करें, नमक और तेल से रगड़ना सबसे अच्छा तरीका है, यह आपके लिए बहुत अच्छा है। और फिर पूरी चीज को बाहर आने दें, और फिर धो लें।

फिर तीसरी बात मैं यूरोप में पाती हूं, कि तुम लोग अपना गला और अपनी जीभ साफ नहीं करते, जो कि विशुद्धि के बहुत खिलाफ है। और यही एक कारण होगा कि आपकी विशुद्धि खराब है।

तो, हालांकि यह पश्चिम में फैशन में नहीं है, लेकिन बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि अपनी दो अंगुलियों को मुंह में रखना और अपनी उंगलियों को रगड़ना, चीज नहीं, उंगलियों को रगड़ना – और अपनी जीभ को इस तरह से साफ करना कि सब कुछ बाहर आ जाए सुबह में। ऐसा करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह जमा होता है और फिर सड़ जाता है। तो यह करना होगा। और हो सकता है कि आप सोचें कि ऐसा करने से, आप शोर करते हैं और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम्हें अपना गला साफ करना है; मेरा मतलब है, इस तरह आप अपनी विशुद्धि को बहुत साफ रखेंगे। यह चीजों में से एक है।

और दूसरी बात यह है कि धोने के लिए आपको हमेशा जितना हो सके पानी का उपयोग करना चाहिए: जब आप अपने सुबह के मल त्याग के लिए जाते हैं, तो पानी का उपयोग किया जाना चाहिए। कागज बहुत गंदी और अस्वच्छ आदत है, बहुत गंदी और अस्वच्छ आदत है। लेकिन अगर आप कागज का इस्तेमाल भी करते हैं तो उसके बाद आपको पानी का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हर समय जितना संभव हो सके पानी का उपयोग किया जाना चाहिए; सहजयोगियों के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है।

अब कुछ लोगों के लिए जो यह सोचते है कि वे एक सूक्ष्म स्तर पर हैं जो काफी हद तक पतन के कगार पर हैं, जिस तरह से उन्हें अभी भी वे समस्याएं हैं जो कि, वे अन्य महिलाओं के साथ सोना चाहते हैं और वे ऐसी सभी चीजें करना चाहते हैं: उन्हें सहज योग छोड देना चाहिए। हमें अकेला छोड़ देना ही सबसे अच्छा है।

ऐसे बेकार लोग हमारे साथ नहीं हो सकते। तो उन्हें सहज योग छोड़ देना चाहिए और हमें परेशान नहीं करना चाहिए; क्योंकि हम भारत में हजारों और हजारों प्राप्त कर सकते हैं, हमें कोई समस्या नहीं है। उनके लिए यह मुश्किल नहीं है, वे पहले से ही उस स्थिति मे हैं। तो जो अभी भी ऐसे ही हैं, जो अन्य महिलाओं के साथ संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं और अन्य महिलाओं पर अपनी नजर रखते हैं, और ऐसी सभी महिलाएं, आप देखिये, इस तरह के सभी पागल – मैं उन्हें केवल पागल कहती हूं – उन्हें सहज योग छोड़ देना चाहिए और हमें बख्श देना चाहिए। यह निश्चित रूप से ऐसा ही है।

अब, हम हमेशा कहते रहे हैं कि जो बहुत नकारात्मक लोग हैं उन्हें सहज योग छोड़ना होगा, और वह दिन आएगा। इसलिए आप सभी के लिए यह बहुत आवश्यक है कि आप स्वयं को साफ करने का प्रयास करें, और कभी भी नकारात्मक व्यक्ति के साथ न बैठें। ऐसे व्यक्ति से कभी दोस्ती न करें जो नकारात्मक हो। सकारात्मक व्यक्ति के लिए अधिक मददगार बनने की कोशिश करें। खुद को स्वच्छ करें, खुद को शुद्ध करें, खुद की देखभाल करें, खुद का सम्मान करें, खुद से प्यार करें। अपनी गरिमा के साथ जियो। सस्ती बात, फालतू की बात, बेकार की बात नहीं करनी चाहिए और अपने अहंकार को चुनौती देनी चाहिए। किसी को आपका अपमान करने दें और देखें कि आप जवाब नहीं देते हैं। गुस्सा ना करना बस इसे सुनिश्चित करे। कोशिश करें कि आपका अहंकार प्रतिक्रिया न करे। यह बहुत आसानी से प्राप्त किया जा सकता है यदि आप आईने में कोशिश करते हैं, खुद को देखे और खुद पर हंसे, खुद का मजाक उड़ाए। तुम अपने आप को क्या समझते हो? तुम कौन हो? तुम्हारे पास क्या है? कुछ नहीं।

अब वास्तव में आज का व्याख्यान, न केवल एक महान व्याख्यान था, बल्कि यह मन्त्रों की तरह था, जो मस्तिष्क के लिए अच्छा था। और मैं कहूंगी कि इस व्याख्यान को बार-बार सुनना चाहिए, और इसे ग्र्हण करना चाहिए, सवाल नहीं करना चाहिए। प्रश्न न करना – ग्रहण करना, लीन होना। मुझे आशा है कि आप यह समझ गए होंगे। अब इस सहस्रार पूजा के बाद मुझे आशा है कि आप लोग उस स्थिति को बनाए रखने की कोशिश करेंगे जिस पर आप पहुंचे हैं।

मैं आप सभी से अपेक्षा करती हूं कि आप अपने नेताओं का साथ दे, उनका महिमामंडन करें और उन्हें किसी भी तरह से बदनाम न करें, उनसे बहस ना करें, उन्हें विचार ना दें। यहां तक ​​कि पत्नियों को जिन्हे मैंने कहा है, उन्हें भी नेताओं से बहस नहीं करनी चाहिए। यह एक दूसरे को खींचने जैसा है।

जैसे उन्होंने कहा कि कुछ अलग-अलग जगहों से बिच्छुओं को जांच के लिए भेजा गया था। और उन्होंने देखा कि एक घड़ा खुला हुआ है, और उन्होंने कहा, “यह क्या है? यह, इस घड़े में से सब बिच्छू बाहर कूद पड़ेंगे।” उन्होंने कहा, “वे नहीं कर सकते, क्योंकि एक ऊपर आता है, दूसरा उसे नीचे खींचता है।”

उसी तरह हम व्यवहार करते हैं। तो अगर कोई नेता है, तो यह अहंकार है जो आपको ईर्ष्या करवाता है, और यह अहंकार कहता है कि आप बेहतर जानते हैं, आप बेहतर सुझाव देते हैं। ऐसा नहीं है कि आप सुझाव नहीं दे सकते – लोग मुझे भी बातें बताते हैं, लेकिन अगर वह नहीं मानता है, तो अच्छा और अच्छा। यह आपके अहंकार के लिए एक चुनौती है। यह बेहतर है कि वह आपको ना कह दे ताकि आप खुद ही देख लें, “क्या यह मेरा अहंकार अभी भी उस स्थिति पर जोर दे रहा है?”

अब, दूसरी बात पर जो मैंने कहा है, कि हमें अपनी परंपरागत सोच से ही कार्यरत नहीं रहना चाहिए।

जैसा कि, परंपरा थी, अब उदाहरण के लिये, इस बार अंग्रेजों को लगा, अंग्रेज नेताओं को लगा – जो एक बड़ी गलती थी – कि अगर वे रुके तो इटालियंस को असुविधा होगी।

इटालियंस बहुत बड़े दिल वाले लोग हैं, जैसे भारतीय हैं, अगर वे यहां रहेंगे तो उन्हें बहुत खुशी होगी। लेकिन यह अंग्रेजी दिमाग है। यह तो अंग्रेज हैं जो किसी एक व्यक्ति के दो दिन रुकने को बर्दाश्त नहीं कर पाते। आपके पहुंचते ही वे आपसे तुरंत पूछेंगे, “आप जा किस समय रहे हैं?”

तो ऐसा उनका मन है जिसने इस तरह से काम किया कि यह असुविधाजनक होगा, क्योंकि उन्हें असुविधा हुई होगी। हालांकि उन्हें बताया गया था कि “आप यहां सोमवार तक रह सकते हैं, कोई समस्या नहीं है, आपको केवल दस पाउंड का भुगतान करना होगा”; लेकिन – “मैंने सोचा” – ऐसे ही।

आप देखिए, यह दूसरों के प्रति अच्छा होने के बारे में एक अंग्रेजी छवि है; क्‍योंकि कोई उनके घर में रुकता है, यही उनके के लिए बहुत हो गया है! वे किसी को घर के अंदर भी नहीं आने देंगे। बर्फ हो या बाहर कुछ भी हो रहा हो, वे बस आपको मिलेंगे और बात करेंगे और फिर वे आपको वापस भेज देंगे।

मैंने ऐसा खुद देखा है। एक दिन हमारे पडोस में, मैं निकली थी; बर्फ़ पड़ रही थी, और मैंने देखा कि एक औरत दरवाजे पर एक बच्चे के बच्चे के साथ बाहर खड़ी थी, और एक छोटा बच्चा था। और दूसरी औरत जो एक बूढ़ी औरत थी जो अंदर से, सिर्फ झरोखे से, इस तरह से बात कर रही थी कि दरवाजा पूरी तरह से खुला भी नहीं था। और जब मैं एक-आध घंटे के बाद वापस आयी, तब भी वह महिला बाहर खड़ी थी और बात कर रही थी। इस महिला को ऐसा कहने की कोई संवेदनाब नहीं थी कि “तुम अंदर आओ।” लेकिन इस औरत को भी इससे ऐतराज नहीं था, क्योंकि वो भी ऐसा ही करती रही होगी!

तो किसी बात मे बड़े दिल रख्नने वाली कोई भी बात को वे समझ नहीं पाते। इसके अलावा कोई समस्या नहीं थी, यह सुझाव दिया गया था कि आप यहां रह सकते हैं और आप यहां रह सकते हैं। अब आज हमें बहुत जल्दी करनी पड़ी, सब कुछ काफी असुविधाजनक था और हमें करना पड़ा, एक छोटी सी गलती के कारण कि, उन्हें मुझसे पूछना चाहिए था।

और मुझे लगा कि आप सभी सोमवार को ठहरे हुए हैं, क्योंकि यह तार्किक है, यह समझदार है। लेकिन इस धारणा के कारण कि “हमें असुविधा नहीं होनी चाहिए”…।

ऐसा यह केवल अंग्रेजो के साथ नहीं है, यह आप में से किसी के साथ भी संभव है। जब आप इस तरह सोचने लगते हैं कि “मैंने सोचा,” आप चले गए हैं। तो कई बातो के बारे में आपके पास जो अवधारणाएं हैं, वे वास्तव में बहुत खतरनाक चीजें हैं। मुझे लोगों की इन बेवकूफी भरी परंपराओं के अनुभव होते रहे हैं। “मैंने सोचा।” वे अच्छा बनने की कोशिश करते हैं, लेकिन अंततः घटिया हो जाते हैं। वे घटिया हैं। तो इसका मतलब है कि कई बातो के बारे में उनके पास मौजूद समझ में निश्चित रूप से कुछ गड़बड़ है। और इसलिए लोग, अगर वे सोचते समय सही होते, तो दुनिया कुछ और होती। लेकिन वे उस स्तर पर सोच रहे हैं, जहां सब कुछ नीचे स्तर की ओर झुक रहा है, और आप नीचे की ओर जा रहे हैं। जैसे ही आप सोचना शुरू करते हैं, आप नीचे की ओर जाते हैं।

यह तुम्हारी सोच का दोष है, क्योंकि यह तुम्हारी परंपराओं के टैग से बंधी है। जब भी आप सोचते हैं, आप देखते हैं, आप अपनी ही धारणओ से बंधे हैं, और आप नीचे जाते हैं।

मैंने आज बहुत से बिंदुओं को नहीं छुआ, जिन्हें मैं छू सकती थी, जैसे कला, मैं कह रही थी: मैं चकित थी, ऐसा उत्साह, फूल की तरह, मुझे एक बगीचे को देखकर बहुत खुशी होती है। लेकिन एक अतिपरिष्कृत दिमाग के लिए बरोक या कुछ अन्य बेतुका होगा। उनके लिए तो, कहीं एक फूल, क्योंकि बाकी क्षेत्र, उनके अहंकार के लिए उसका स्थान होना चाहिए।
इसलिए उनकी सौंदर्य द्रूष्टि नहीं है: “यह बहुत ज्यादा है, बहुत ज्यादा है।” सहज योग में भी: “हमारे लिए बहुत अधिक है।” तुम क्या हो, छोटे बच्चे या क्या? बहुत ज्यादा क्या होता है? तुम देखो, जैसे एक बच्चे जिसेकी एक बोतल देने पर, इतना दूध! इतना दूध !, इसलिए ऐसा कहना कि”सहज योग मेरे लिए अत्यधिक है।” आप बौने हैं या क्या? और इस तरह की बकवास में कोई सार नहीं है।

इसलिए “यह परिष्कृत है,” “यह अच्छा है,” सभी की आलोचना करना। लोग अपने घरों को सजाने से भी इतने डरते हैं, क्योंकि इसकी आलोचना की जाएगी। “बेहतर है कि इसे सादा, सफेद रखें। बस सफेद। ” यहां तक ​​कि जिस नाक को भी वे पसंद नहीं करते हैं, वे नाक, आंखें, सब कुछ काट देना चाहते हैं, बस सादा चाहिए!

और कल्पना कीजिए, यह अहंकार का खेल है जो एक वैयक्तित्वता चाहता है। वे जो करना चाहते हैं, उसके साथ उनका कैसा विरोधाभास है – इसे स्पष्ट रूप से देखें।

यदि आप उनके किसी बगीचे में जाए, आप देखिये, एक कहीं हवा में लटका पेड़ होगा। इसे उनका बगीचा माना जाता है। आप पुछ्ते हैं, “बाग कहाँ है”? “यह – बगीचा।” माइक्रोस्कोपिक: “बगीचा कहाँ है?”। “अरे नहीं, हम एक जगह पर केवल एक ही चीज़ रखते हैं, आप देखिये, इस कारण से यह महत्वपूर्ण हो जाता है।” तो यह यहाँ सिर्फ एक पेड़ है और फिर तुम ऊपर जाओ, एक और छोटी झाड़ी होगी, फिर एक और पेड़। सब कुछ बहुत ज्यादा है, क्यों? क्योंकि अहंकार सिर में बहुत है। इसलिए उनके लिए सब कुछ अत्यधिक है।

इस मूर्खता को अब जाना ही होगा। आपको जो कुछ अच्छा है उसे अपनाना ही होगा, आपको बहुत कुछ अपनाना होगा, और जो कुछ भी आप में अत्यधिक है उसे छोड़ देना चाहिए। इसे समझना होगा। ये सभी बेवकूफी भरे विचार, हर तरह के बेवकूफी भरे विचार – जैसे आप एक घर खरीदना चाहते हैं, तो कोई बात नहीं, आप जाकर एक घर खरीद लेंगे। मैं घूमी, और अधिकांश घर साढ़े सात फीट ऊंचे हैं, लेकिन वे इसे पसंद करते हैं। मैंने कहा क्यों?” “यह बहुत पुराना है।” मैंने कहा, “तो क्या?”

“लेकिन तर्क ऐसा देते है कि, यह एक पुराना घर है, यह है और वह है, और पुराने घर …” “लेकिन यह आपको क्यों पसंद है?”

नए घर आठ फुट के होते हैं, ज्यादा से ज्यादा। तो कोई चारा नहीं है। लेकिन आप ऐसा घर क्यों चाहते हैं जो पुराना घर हो? विक्टोरियन घर जो उन्हें पसंद नहीं हैं। क्यों? क्योंकि वे इतने पारंपरिक नहीं हैं, वे इतने फैशनेबल नहीं हैं। आपको एक ऐसा घर चाहिए होता है जहां आप अपनी गर्दन तुड़वा दें। अजीब तरह के बाथरूम में जाओ, जहा तुम बैठ या खड़े भी नहीं हो सकते; आधे रास्ते में आप हवा में लटके रहते हैं। यह एक विचित्र चरित्र का घर है। और यह एक ऐसा चरित्र है जो आपको विचित्र और अजीब लगता है: उस व्यक्ति का “चरित्र है।” मेरा मतलब है, एक व्यक्ति अगर वह बेतुका है, वह विचित्र है, अजीब है, वह अनोखा है, उसे कह रहे है कि, वह चरित्र का आदमी है। आज यही स्थिति है। जो चरित्र का आदमी है और वह विचित्र है, बिल्कुल बेतुका व्यक्तित्व है। ऐसा कैसे है?

“तुम्हें पता है, वह हाफ पैंट में साइकिल पर आया था।”
मैंने कहा, “सच में?”
“वह ‘चरित्र’ का आदमी है।”
जबकि यहां उसे इसके कारण अर्थराइटिस हो रहा है।

यहां अजीबोगरीब बेवकूफी भरी बातें करना विशेष व्यक्तित्व की बात मानी जाती है। अब सहजयोगियों के रूप में आपको यह अहसास रखना होगा कि आप इतने मूर्ख नहीं हैं। आप को अपने स्व का ताज पहनाया जाता है। अब आप इन बेवकूफ लोगों और उनके फैशन की तरह व्यवहार नहीं करने जा रहे हैं, इसलिए इसे छोड़ दें।

वे आप पर हंसते हैं, आप उन पर हंसे! पागलखाने में अगर तुम जाओगे तो सब पागल कहेंगे, ओह, तो तुम भी यहां हमारे साथ रहने आए हो, है न? वे सभी सोचते हैं कि वे सबसे बुद्धिमान हैं, और आप उनके साथ खो जाते हैं। आप सोचने लगते हैं, “क्या मैं स्वयं एक पागल हूँ?” तो आप सभी, जब आप ऐसे किसी व्यक्ति को देखते हैं तो आपको बस उस पर हंसना चाहिए।

जैसे,एक ऐसी महिला, आप देखिये, बस सोचे, जो कि अपने आप को बहुत फैशनेबल समझती थी, वह अपनी पोशाक में आई थी, आप देखिये, बहुत खुली, उसका शरीर उसकी सभी हड्डियों के साथ दिखता हुआ, और यह और वह। और हम,मैं और मेरे पति, उस घर को देखने गए, । तो, जैसे ही उन्होने उसे देखा, वह वापस आये और उल्टी कर दी। मैंने पुछा, “क्या बात हुई?”
“मैंने उसे देखा – मैंने उल्टी कर दी।”

और हम कार में सवार हो गए, हमने उस घर में प्रवेश भी नहीं किया, चले गए। और उसने सोचा कि वह एक बहुत ही फैशनेबल महिला है, अपनी हड्डियों, अपने पूरे शरीर को प्र्दर्शित कर रही है – भयानक। कल्पना कीजिए, जैसे कोई मृत शरीर आपके सामने खड़ा हो! लेकिन मरे हुए जैसे शरीर को फैशनेबल माना जाता है, इसलिए हर कोई मृत शरीर की तरह व्यवहार करना चाहता है। अब तुम उसमें निहित भाव को देखो, अन्यथा तुम सहजयोगी नहीं हो। आपको जो बकवास चल रही है, उसे समझना चाहिए, और आप एक बेहूदा व्यक्तित्व नहीं हैं।

तो अब ये सब बातें, यदि आप एक नए कोण से देखें – जैसा कि मैंने अब आपको बताया है कि आप एक उच्च व्यक्तित्व हैं, कि आपने अपने चक्रों के बारे में एक नई जागरूकता प्राप्त की है – आप चकित होंगे, आपकी प्रतिक्रियाएँ बहुत, बहुत अलग होंगी। यदि आप ऐसा कुछ देखेंगे: “आह!” आप कहेंगे, “सुंदर!” लेकिन तभी तक जब तक आपके साथ वे भयानक अवधारणाएं हैं, अन्यथा आप ऐसा नहीं कर सकते।

एक घर जो जीर्ण-शीर्ण है, बिल्कुल आपके सिर पर गिरने वाला है, वह है “क्या चरित्रवाला है!” यह सारा किरदार सिर पर गिर जाएगा ! लोगों के पास बेतुके विचार हैं। या फिर वे कुछ ऐसा आधुनिक चाहते हैं जो बिल्कुल अजीब और बेतुका हो। आप देखिए, एक महिला थी, उसने एक घर बनाया – आधुनिक, और हमें उसकी सीढ़ियाँ चढ़नी थीं, और हर कदम उसने छोटे, छोटे टुकड़ों में बाँट दिया। हम इतने चिंतित थे कि हम सब गिर जाएंगे। तुम देखो, हर टप्पा कदम के निशानो की तरह छोटे, छोटे टुकड़ों से बना था, तुम देखो, हर टप्पा कदमों के निशानो की तरह से बना था।
तो जब आप वहां अपना पैर रखते हैं तो आप को पता नहीं होता कि आप अपना पैर कहां रख रहे हैं, आप देखिये। और उसने उस तरह की बेतुकी चीज़ करने में बहुत पैसा खर्च किया होगा; परन्तु उस के लिये, वह यह सबको दिखाती कि, “अब, मेरे साथ चलो, इसे देखो।” मैंने ऊपर जाने से मना कर दिया। मैंने कहा, “मुझे कुछ नही करना है।” मैं वापस चली गयी। हाँ, हाँ, कोई बात नहीं। जिस प्र्कार वे नाराजगी दिखाते हैं, आपको भी रोष दिखाना चाहिए। बेवकूफ! यह मुझे आकर्षित नहीं करता है, और यह कि ऐसी चीज़े मुझे पसंद नहीं आती है।

मैंने देखा है और मुझे ऐसी चीजें पसंद नहीं हैं, जैसे कहीं एक फूल लटका हुआ है, और अगर मैं देखती हूं तो मुझे यह पसंद नहीं है। मुझे खुद इसका बिल्कुल भी आनंद नहीं आता है। और अगर मैं मानदंड हूं, अगर मैं वह हूं जो चीजों का आकलन कर सकता है, तो मैं आपको बताऊंगी कि मुझे यह सब बकवास पसंद नहीं है।

आजकल लोग जिस तरह से कपड़े पहनते हैं, वे मुझे जोकर की तरह दिखते हैं, पागल, जैसे मैं कह सकती हूँ बावले, या आप उन्हें बुला सकते हैं – आप उन्हें क्या कहते हैं? – आवारा। आप उनमे से एक को दूसरे से अलग पहचान नहीं सकते। उनकी घटिया पैंट, आप देखिए, कुछ दादाजी की पैंट जो उन्होंने पहन रखी है, और ऊपर उनकी दादी का ब्लाउज, और सड़क पर घुम रही महिलाएं। देखिए, क्या आपको लगता है कि कुछ अजीब, विचित्र लोग घूम रहे हैं – और उन्हें लगता है कि यह फैशनेबल है! मुझे लगता है कि भारत से हमें सभी पुराने कपड़े यहां लाने चाहिए और उन्हें ऊंचे दाम पर बेचना चाहिए!

यह बहुत ही निराला है। आप जरा इसे देखिए, इस एंगल से देखिए। पहाड़ी की चोटी पर खड़े होकर तुम इन पागलों को देखो, देखो कितने पागल हैं, मूर्ख हैं, कैसा व्यवहार कर रहे हैं, उनका फैशन क्या है। मेरा मतलब है, यदि आप देखे तो पुराने समय में लोग हर तरह की लेस या झालर, हर तरह की चीजों के साथ अच्छे कपड़े पहनते थे, लेकिन उन्हें यह पसंद नहीं है।

परमात्मा ने हमें जो कुछ भी दिया है उसे सजाया और सम्मानित किया जाना चाहिए। मेरा मतलब है, कल जिस तरह आपने हॉल सज़ाया था, मेरा मतलब है आज, जिस तरह से आपने पूरे हॉल को सज़ाया और वह सब, कितना सुंदर लग रहा था, कितना अच्छा लग रहा था। लेकिन कोई कहेगा, “ओह, हमे माताजी के लिए बिल्कुल साधारण सी चीज़ करें: पीछे कोई जर्जर दीवार, जो गिरने वाली है। यही वास्तविक चित्रण होगा।” ऐसे विचार सहज योगियों को कैसे स्वीकार्य हो सकते हैं? यह मुझे समझ में नहीं आता है।

और वे इसके लिए भुगतान करते हैं। वे ऐसी अवधारणा के लिए भुगतान करते हैं और वे इन सभी प्रकार की विषम चीजों के लिए भुगतान करते हैं, वे इसके लिए भुगतान करते हैं। मान लीजिए कि आज आपके बालों को इस तरह से काटने का फैशन है, तो वे इसके लिए भुगतान करेंगे।

फिर आप उन्हें दूसरे तरीके से काटते हैं, वे इसके लिए भुगतान करते हैं। आपको इन सभी कुकर्मों की कीमत भी चुकानी पड़ेगी। फैशन यह है: मान लीजिए कि कोई अपने घर में किसी को आमंत्रित करता है, तो इसके लिए आपके पास एक अलग प्रकार के कांच का प्याला और एक गिलास होना चाहिए, अन्यथा आप ठीक नहीं हैं।

और फिर आप जो पाते हैं, इन हिप्पीयो का एक और समूह है और वे सभी आ गए हैं, वे आपको सबसे गंदे संभव मग देंगे जिनमे आप कुछ भी नहीं पी सकते। तो या तो आप इस बकवास को स्वीकार करें या उस बकवास को। यह बिल्कुल बेतुका है! और आप जानते हैं, मैंने भारतीयों को देखा है जब वे इंग्लैंड में होते हैं, वे बस नहीं समझ पाते हैं, वे बस “उन्हें रद्द करें, ठीक है, उन्हें रद्द करें। वे पागल लोग हैं।”

व्यक्तित्व की गुणात्मकता बहुत, बहुत निम्न, बहुत निम्न है, इसे मेरा कथन ही मानो – बहुत निम्न। आपके पास अहंकार हो सकता है, उस अहंकार के साथ रह सकते है, लेकिन यह यहां बहुत निम्न है, इसे स्वीकार करें। मासूमियत गायब है, शुभता गायब है, स्वच्छता गायब है। सरलता का आकर्षण नदारद है-इतना कृत्रिम। सादगी का विचार भी कृत्रिम है। कृत्रिमता के साथ आप मानव जीवन की गुणवत्ता कैसे प्राप्त कर सकते हैं? तुम कैसे कर सकते हो? आप कृत्रिम लोग बन जाते हैं।

इसलिए इन सभी परंपराओं को त्याग दें। मैं यहां भारतीय संस्कृति का प्रचार करने के लिए नहीं हूं, लेकिन मुझे कहना होगा कि अगर संस्कृति कोई है तो वह भारत में है, क्योंकि यह कोई संस्कृति नहीं है। सब बनते-बिगड़ते-चलते मेरा मतलब है कि आप ऐसे दिखते हैं, जब मैं आसपास के लोगों को देखती हूं, तो वे पागलों के झुंड की तरह चलते हैं। आप उन्हें सड़कों पर देखें, एक भी व्यक्ति सामान्य नहीं है। अमेरिका तो और भी बुरा है। वे ऐसा कर रहे होंगे, या यह इस तरह; किसी एक व्यक्ति के पास उचित चेहरा नहीं है।

यह एक सच्चाई है, मैं आपको बताती हूँ! सहज योग से आपके गुण उभरआए है, वह ऊपर आ गया है। तुम अब वह बन गए हो, कितने महान।

इसलिए यहां आपको ऐसा नहीं लगता कि यहां लक्ष्मी है। आपके पास पैसा है, लेकिन लक्ष्मी नहीं। इसमें कोई सुंदरता नहीं है। यह बहुत उजाड़ है, बंजर भूमि की तरह। तुम्हारे अहंकार ने वह सब कुछ फुंक दिया है जो सुंदर था। आप किसी की कला को बर्दाश्त नहीं कर सकते थे, इसलिए आपके घर में कुछ भी कलात्मक चीजें नहीं होंगी। आपके पास बहुत सी चीजें होना बिल्कुलआवश्यक नहीं है, तो आपके पास प्लास्टिक है। खूबसूरती आपकी जिंदगी से भाग चुकी है। जब आप बात करते हैं तो अभिमानी होना फैशनेबल है। कल्पना कीजिए – अहंकारी होना, बहुत शुष्क होना: इसमें कोई सुंदरता नहीं है। सब दिखावे का शो है; इसमें कोई बहादुरी नहीं है, कुछ भी उदात्त नहीं है। सूक्ष्म रूप में आपने इसे खो दिया है, इसलिए स्थूल रूप में आप इसे नहीं देख पाते हैं।

आपने आंतरिक जो कुछ खोया है उसे ही बाहर प्र्दर्शित किया गया है – दिवालियापन, पूर्ण दिवालियापन।

तो जब आप देखते हैं कि दूसरों के साथ – जब मैं “आप” कह रही हूं तो मेरा मतलब दूसरों से है, पश्चिम में,जो अभी तक सहज योगी नहीं हैं – यह समझने की कोशिश करें कि वे आप की तुलना में बहुत निचले स्तर पर हैं, और उनके विचारों और उनके तौर-तरीकों को नाअपनाएं।
बस अपने आप को अलग-थलग रखें। और फिर आप देखेंगे कि वे आपके पीछे-पीछे दौड़ेंगे। अहंकार एक गधे की तरह है: अगर कोई उनसे आगे है, वे जानते हैं कि कोई उनसे आगे है, तो वे उसके प्रतिअपना सिर झुकाते हैं। और अगर वे देखते हैं कि कोई उनके पीछे है, तो वे लात मारते हैं।

तो आपकी अपनी मर्यादा है, आपकी अपनी विशेष शैली है, आप एक विशेष शैली के साथ रहते हैं। उनमें से एक मत बनो। सही तरीके से ड्रेस अप करें। आपके पास केवल दो कमीजें हो सकती हैं, आपके पास केवल तीन कमीजें हो सकती हैं, आपके पास बहुत सी कमीजें होने की जरूरत नहीं है; लेकिन कुछ समझदार, सामान्य, आरामदायक, और वह भी जो दूसरों को परेशान न करे। हम ही हैं जो हमारी कला को प्रोत्साहित करने जा रहे हैं, हम ही हैं जो खोई हुई हर चीज को वापस लाने जा रहे हैं। हमारे पास अब रेम्ब्रांट नहीं हो सकते, हमारे पास लियोनार्डो दा विंची नहीं हो सकते, हमारे पास फिर से माइकल एंजेलो नहीं हो सकते – उन सभी को पूरी तरह से समाप्त कर दिया। लेकिन हर कोई सोचता है कि वे माइकल एंजेलो हैं! कहना चाहीये, हमारे पास नही हो सकते, गोर्की; हमारे पास विलियम ब्लेक नहीं हो सकता, क्या हम – उस साहस के है? हमारे पास अब्राहम लिंकन नहीं हो सकता, क्या हमारे पास हो सकता है? सभी बौने, बेकार लोग। आप उन्हें जरा सा टटोलते हैं और आप पाते हैं कि वे बेकार हैं, बेकार हैं।

अबआप में से इन सभी महान लोगों को प्रकट होना है। और उन जैसी विशेषता, उनका अपना व्यक्तित्व था, और वे किसी भी फैशन या किसी भी चीज़ को रास्ता नहीं देते थे। वे किसी भी सस्ती लोकप्रियता को जगह नहीं देंगे।

आप लोगों में से ही इन सभी महान व्यक्तियों का जन्म होना है। तो आपके लिए और आपकी संतान के लिए आपको सोचना होगा कि वैसे भी हम इतने महान कार्य में क्या कर रहे हैं। यह केवल आपके आनंद के लिए नहीं है कि हमारे पास एक संगोष्ठी है, अच्छा संगीत है, अच्छा खाना है, अच्छी जगह है, हम आते हैं, हम आनंद लेते हैं – नहीं। आनंद सिर्फ एक विज्ञापन विभाग है। आपको आंतरिक रुप से वास्तव में मेहनत करनी है, बाहर नहीं। किसी प्रकार का कोई तर्क नहीं। निकम्मा!

सीधी सी बात है, अगर मैं कहूँ कि मुझे ले जाना है, जैसे, यह डिब्बा, कोई आकर कहने लगेगा, “ठीक है, तो मुझे लगता है कि हमें एक वैन लेना चाहिए।” “नहीं, लेकिन एक वैन बहुत ज्यादा है।” “तो क्या करें?”

वे तब तक बहस करते रहेंगे जब तक कि बक्सा जा चुका होगा, सब कुछ हो गया है, और मैं वापस आकर कहती हूं, “अब, तुम क्या कर रहे हो?” “हम अभी भी चर्चा कर रहे हैं कि बॉक्स को कैसे ले जाया जाए” – यह पहले ही जा चुका है! ऐसी फालतू की आदतों को हमें छोड़ देना चाहिए।

हमारे भीतर नया विवेक होना चाहिए। यह सब पुराना ज्ञान, तुम इसे फेंक दो। जब तक आप ऐसा नहीं करते, तब तक आपका अहंकार दूर नहीं होगा। यह अहंकार आपको तब तक नहीं छोड़ेगा जब तक आप उन सभी विचारों को फेंकने का फैसला नहीं करते हैं जो आपको वास्तविक (वास्तविकता?) प्रतीत होते हैं। आपको बच्चों की तरह बनना है, हर समय कुछ नया सीखते रहने की कोशिश करने वाला; हमें हर समय कुछ नया सीखने के लिए खुले मन का रहना चाहिए। आपको सीखना होगा – आपने इसे खो दिया है। तुम्हारे पास कुछ था जो तुमने खो दिया, बहुत कुछ। आगे बढ़ने के बजाय, आपने इसे गंवा दिया है। तुम ठीक कर रहे थे; अगर आप सही रास्ते पर बने रहते तो आप हासिल कर लेते, क्योंकि आखिरकार, कुछ देश पारंपरिक रूप से बहुत पुराने हैं।

वे भी खो गए – जैसे की ग्रीस, आप कह सकते हैं कि उन्होने गंवा दिया। भयानक ग्रीक त्रासदिया: मेरा मतलब है उनका तरीका कि, तुम बैठ जाओ और बिना कारण रोओ। कुछ नहीं हुआ, सब कुछ सही है; लोग बस जाकर बैठ जाते हैं और रोते हैं। यह ऐसा है जैसे आप किसी से कहते हैं कि “यह मर चुका है। आइए अब महसूस करें कि वह मर चुका है। बैठो, हम सब को रोना चाहिए।” मूर्ख की तरह!

यह सब कृत्रिम रूप से निर्मित समस्याएं और कृत्रिम रूप से निर्मित उदासी है, क्योंकि वास्तव मेंआपके पास कोई उदासी नहीं है, आपके पास कोई वास्तविक समस्या नहीं है। आपके पास खाने के लिए भोजन है, आपके पास सब कुछ है – इसलिए आप अपने लिए समस्याएँ पैदा कर रहे हैं। इसलिए आपको मनोचिकित्सकों की जरूरत है, आपको दवाओं की जरूरत है, आपको इसकी जरूरत है, आपको उसकी जरूरत है; क्योंकि आपको कोई समस्या नहीं है, इसलिए आप चाहते हैं कि कुछ समस्याएं हों – उतनी ही सरल। जिन्हें समस्या है, उन्हें इससे जूझना ही होगा। इन सब बेतुकी बातों के लिए उनके पास समय नहीं है। आपके पास बहुत अधिक समय है। जहां तक ​​भौतिक चीजों का संबंध है, आपकी सभी समस्याएं हल हो चुकी हैं, लेकिन फिर भी आप इसमें बहुत अधिक लिप्त हैं।

तो अब इसका सामना करें, इसका स्पष्ट रूप से सामना करें, कि हम अब हम ऐसे नहीं रहेंगे। हम अलग लोग हैं। हम अब कीचड़ के कीड़े नहीं हैं लेकिन हम कमल हैं, हमारे पास सुगंध है, हमारे पास शक्तियां हैं, हम विशेष रूप से धन्य हैं। हमें विशेष आनंद की अनुभूति होती है। आइए इसका आनंद लें और इसे दूसरों को दें और इसके साथ गौरवान्वित हों, इसकी गरिमा को महसूस करें।

मुझे यकीन है कि इस बार यह कार्यंवित होने वाला है। मैंने अपने स्तर पर सबसे अच्छा किया है, मुझे लगता है, और यह व्याख्यान वास्तव में आप सभी के माध्यम से जाना चाहिए।

ठीक है, कोई सवाल? (कृपया थोड़ा पानी लें।) आपके कोई प्रश्न हैं? (पानी।) वे सोच रहे होंगे कि मैं यहाँ से पीऊँगी! आधुनिक विचार शायद मैं यहीं से पीती हूँ! तो गिलास रखने की कोई जरूरत नहीं है, माँ शायद वहाँ से पीना पसंद कर सकती है!

ठीक है, कोई सवाल?

निर्विचार जागरूकता में है। अब इसे जारी रखें, इसे बिना सोचे-समझे जागरूकता में रखें – बिल्कुल आप में फुट पडी हैं। इसे जारी रखो। अपने आप को ब्लास्ट रखें। यही अहंकार का धंधा है। थोड़ा सा अभी भी है, अल्पविकसित: इसे बाहर रखो। यह ध्यान है, जहां अब कोई अहंकार नहीं है, तुम निर्विचार जागरूकता में हो, बिल्कुल स्तब्ध हो। नहीं सोच सकता। लेकिन इसे मैंने कार्यंवित किया है, यह ठीक नहीं है – यह तुम्हें करना चाहिए। यही वह बिंदु है जिस पर मैं आ रही हूं। आपका अपना व्यक्तित्व होना चाहिये अगर बदमाश ऐसा व्यवहार कर सकते हैं, तो आप समझदारीपुर्ण व्यवहार क्यों नहीं कर सकते?

और मुझे अपने दैनिक जीवन में हम कैसे व्यवहार करते हैं, इसके बारे में भी मुझे कुछ शब्द कहना है; क्योंकि एक माँ को यह देखना होता है कि वे बच्चे ठीक से पाले गये होना चाहिये। लोगों ऐसा न कहे कि सहज योगी का पोषण ठीक नही हैं, आप देखिए। अब एक ठीक से ना पाले गये बच्चे का पहला संकेत यह है कि वह अपना बिस्तर बिखरा हुया गंदा छोड़ देता है। वह अपना सारा सामान बिखरा हुआ छोड़ देता है।

आते समय मैंने सारे बिस्तर देखे। हम यहां कर क्या रहे हैं? कुछ नहीं। इसलिए अपने आप को एक स्वच्छ जीवन जीने के अनुशासन में रखें। एक माँ के रूप में मुझे आपको यह बताना है। मुश्किल से दस-पंद्रह मिनट लगते हैं, लेकिन बस अपने आप से कहिए कि यही मेडिटेशन है, ध्यान से करें। भारत में हमारी धारणा हैं कि पश्चिमी लोग बेहद साफ-सुथरे हैं। सच में! वे इस पर विश्वास नहीं कर सकते। उन्हें लगता है कि आप दुनिया के शीर्ष पर हैं, आपको अब तक के सबसे साफ-सुथरे लोग होने चाहिए।

वे दस बार “धन्यवाद” कहेंगे, लेकिन एक बार भी आप अपना बिस्तर ठीक नहीं रखेंगे। आपकी चीजें साफ-सुथरी होनी चाहिए। आपको खुद को साफ-सुथरा रखना चाहिए, साफ-सुथरे दिखना चाहिए।

फिर दूसरी बात जो मैंने देखी, उस पर गौर किया, जो बहुत से लोगों ने कहा है जो मैंने भी देखा है, कि तुम किसी के घर जाते हो। फिर एक ठीक से ना पाला गया व्यक्ति बिना पूछे फोन का इस्तेमाल करना शुरू कर देगा। कुछ चीजों को समझना जरूरी है, जैसे किचन में घुसना, सब कुछ खाना। यह बहुत आम बात है कि लोग इस ओर देख रहे हैं, कि आपको खाना मिलता है – जैसे कंगाल, भिखारी की तरह वे घर में आते हैं।

मेरे पास कम से कम इक्कीस बोतल शहद था जो लोगों ने मुझे भेंट के रूप में दिया था, और जब मेरा दामाद आया तो उसे देने के लिए शहद की एक बोतल भी नहीं थी। तो किसने खाया? जितने भी सहजयोगी आये उन्होंने मधु खा लिया।

मेरा मतलब है, ठीक है, लेकिन आपको पूछना चाहिए। आप घर में सब कुछ साफ कर देते हैं। ठीक है, तुम आ गए, अगर तुम्हारे लिए खाना बना है, तो बस अपना खाना खा लो। अगर आप भंडारघर में जाते हैं या आप कहीं भी जाते हैं, तो आप पाते हैं कि सब कुछ गायब है। आप पूरे महीने के लिए खरीदते हैं, आप पाते हैं कि सब कुछ खत्म किया हुआ है।

तो एक ठीक से ना पाला गया व्यक्ति को इस तरह पहचाना जा सकता है। लेकिन आपको आश्चर्य होगा,एक ठीक से पाला गया व्यक्ति, भले ही किसी अन्य व्यक्ति का इतना भी बचा हो, वह व्यक्ति इसे तब तक बचाये रखेगा और तब तक रखेगा जब तक कि यह उसे पारित न हो जाए। मैं आपको अपने पति के बारे में बताती हूँ जो है – उन्हे इस बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन अगर उन्हे पता चले कि हमारे पास किसी और का कुछ है, तो वह उसे ताला और चाबी में रख देंगे और हर बार देखेगा कि वह वहां है, जब तक कि वह उसे लौटा नही देते है। और वही मैं अपने बच्चों के बारे में कह सकती हूं, या किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में जिसे मैं जानती हूं।

लेकिन यह भिखारीपन की बात है कि आप किसी की चीजें लेते हैं, उसका गलत इस्तेमाल करते हैं, जहां मन करता है वहां फेंक देते हैं, सब कुछ तोड़ देते हैं।

परन्‍तु ऐसा मैं ने खुद अपनी वस्‍तुओं से देखा है; इसलिए जब नेता मुझसे शिकायत कर रहे हैं कि “वे हमारे घरों में आते हैं, वे हमारे फ्रिज से सब कुछ खत्म करते हैं” और वह सब, मुझे आश्चर्य नहीं हुआ। सहज योग दुनिया के सभी भिखारियों और कंगालों के लिए एक सहारा बन गया है, क्योंकि यह मुफ़्त है। सभी गरीब लोग सहज योग में आते हैं, और आपको उनका पोषण करना होता है और उनकी देखभाल करनी होती है।

ऐसा नहीं होना चाहिए। आप गरीब हो सकते हैं, लेकिन आपकी गरिमा होनी चाहिए। भारत में नौकर भी बेहतर हैं। वे बिना पूछे आपकी चीजों को नहीं छूते।

उनके पास बहुत बेहतर पालन-पोषण है। एक ठीक से ना पाला गया व्यक्ति वह व्यक्ति होता है जो एक कठोर व्यक्ति, अहंकारी-अभिमानी व्यक्ति होता है। आप एक ही बात को सही तरीके से कह सकते हैं।

एक माँ के रूप में, मुझे वास्तविक रुप से गौरवांवित करने के लिए, लोगों का ऐसा कथन आना चाहिए कि आप बहुत अच्छे से पले हुए बच्चे हैं। एक तरह की व्यवस्था होनी चाहिए। एक संयमित प्रणाली। यह एक संयमित प्रणाली है। यह सब एक प्रकार की घटिया व्यवस्था नहीं है, यह एक संयमित प्रणाली है। आप योगी हैं। साफ-सुथरा, साफ-सुथरा, हर समय थोडी चीजों के ही साथ साफ-सुथरा होना चाहिए। भारत की तरह, लोग काफी हैरान होते हैं: आप,विशेष रूप से महिलाए, यह सभी इतने बड़े, बड़े बैग वगैरह ले जाते हैं- सभी पेंट वगैरह ले जाते है। आप वहां के ग्रामीणों के सामने ये पेंट कहां इस्तेमाल करने वाले हैं? वे नहीं समझ पाते।

ये सब चीजें हमें खुद ही देखनी होंगी। हमें गरिमापूर्ण होना है, हमें एक तरह के व्यक्तित्व वाले व्यक्ति बनना है। मान लीजिए कोई संत है। वह एक गरीब आदमी हो सकता है, लेकिन आप उसे उसकी गरिमा से ही पहचान सकते हैं।

तुकाराम नामक एक संत थे, जिनके बारे में आपने सुना है- यह “अम्ही बी घड़लो” उनके संगीत से आ रहा है। वह गरीब थे और बहुत उदार भी। वह सब कुछ दे देते थे, और हमेशा अपने लिये बहुत कम ही छोड़ते थे। इसलिए शिवाजी महाराज, महान शिवाजी उनके स्थान पर आए, बहुत सारे गहने और चीजें और प्रस्तुतियाँ लाए, और उनकी पत्नी और बच्चों को दे दी। वह बाहर थे। इन सब चीजों को पहनकर वह बहुत खुश हुई क्योंकि उन्होने दिया।

तुकाराम ने कहा, “ऐसा है…”
बेशक, शुरुआत में पत्नी ने भी ऐसा कहा कि यह सब ठीक नहीं है। लेकिन शिवाजी ने कहा, “नहीं, मैं आपका सम्मान करने का प्र्यास कर रहा हूं वगैरह।” और उसने पहन लिया।

तुकाराम आये। उन्होंने कहा, “नहीं, मैं एक संत हूं। आप यह वापस लो। आप एक राजा हैं, और आपको राजा की तरह रहना है। ठीक है, एक राजा के रूप में आप इसे रख सकते हैं। लेकिन नहीं – एक संत के रूप में मुझे इन सभी चीजों की जरूरत नहीं है, मेरी पत्नी को इन सभी चीजों की जरूरत नहीं है। क्योंकि आप एक राजा की तरह जी रहे हैं, आप – शायद आप एक साक्षात्कारी आत्मा हो सकते हैं,परन्तु आप राजा है, सो राजा की तरह रहे।”

लेकिन आपको यह महसूस करना होगा कि सहज योग में आपको एक उज्जड व्यक्तित्व की तरह भी नहीं चलना है। आपको ठीक से तैयार होना चाहिए, ठीक से दिखना चाहिए। आपको भिखारियों की तरह नहीं दिखना चाहिए, बल्कि समाज के प्रतिष्ठित लोगों की तरह दिखना चाहिए।

अब उदाहरण के लिए, जैसा कि आप जानते हैं कि मैं देवी हूं, और देवी को पहनना होते है, मुझे नहीं पता कि उनके चक्रों को सजाने के लिए कितने आभूषण हैं। मेरा मतलब है, मेरे पास खुद के बहुत सारे गहने हैं। लेकिन मैं केवल पूजा के लिए पहनती हूं, अन्यथा मैं नहीं पहनती: मान्यता है कि,मुझे बहुत सी चीजें पहननी चाहिए। क्यों? क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि सब ठीक ना हो, गरिमामय हो, लेकिन हो सकता है कि उन सभी चीजों को हर समय पहनना उचित न हो। लेकिन मान्यता है कि, मुझे पहनना है।

जैसे मुझे यहाँ हाथ में और भी बहुत सी चीज़ें पहननी होती हैं, पैरों में बिछुडीयाँ, सब कुछ।

हर समय मुझे सोना पहना होता है – आप इसे क्या कहते हैं – आपके पास यहां वह आभूषण नहीं है जिसे हम बेल्ट की तरह बांधते हैं (करधनी)। लेकिन मैं ऐसा नहीं करती। मैं इसे एक सीमांत बिंदु पर रखती हूं; केवल पूजा में मैं इसमें से कुछ चीजें पहनती हूं।

तो आपके पास वह विवेक होना चाहिए: क्या पहनना है, कैसे पहनना है, कितनी दूर जाना है, कैसे गरिमापूर्ण दिखना है, कैसे अच्छी तरह से विकसित होना है, ताकि आप अपनी मां के पालन-पोषण को गौरवांवित करें।

इस बार मुझे उम्मीद है कि जब आप सभी भारत आएंगे तो भारतीयों के बीच इन आप इन सभी बातों पर ध्यान देंगे। आप को वे कभी खाते हुए नहीं दिखते, आप को वे कभी नहाते हुए नहीं दिखते, आप उन्हें कभी सोते हुए नहीं देखेंगे। आप नहीं जान
पाते कि वे कैसे रहते हैं, वे कहाँ रहते हैं, वे कैसे काम करते हैं, सब कुछ। जब भी आप वहां होते हैं वे मौके पर होते ही हैं। क्या यह सच नहीं है? वे स्नान करते हैं, वे सब कुछ समाप्त करते हैं, सुबह जल्दी, लगभग चार बजे या पांच बजे वे बाहर होते हैं – संयमित। और हमेशा साफ-सुथरा: चाहे वह एक ग्रामीण हो, चाहे वह अनुसूचित जाति का हो या ब्राह्मण या कुछ भी, वे सभी बड़े करीने से कपड़े पहने हुए होते हैं, आप उन्हें पहचान नहीं पाते।

साफ सफेद कपड़े वे पहनेंगे, साफ सफेद टोपी उनके पास होगी। उनके पास कभी गंदे कपड़े नहीं होंगे।

तो यह दूसरा पक्ष है, जो इतना गहन नहीं है, बल्कि स्थूल पक्ष है, और इतना सूक्ष्म नहीं है, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है; क्योंकि जो कुछ सूक्ष्म में है वह बाहर प्रकट होता है। आपके सभी व्यवहारों में यह चमकेगा, हीरे के हजार पहलुओं की तरह, क्योंकि आपने अभी सहस्रार दिवस में भाग लिया है – देखते हैं; हम कौन से हजार पहलू प्रदर्शित करते हैं।

एक-दूसरे से प्यार करें, एक-दूसरे का सम्मान करें, खुद का सम्मान करें और हर समय अपने भीतर एक ही मंत्र बोलें, “मैं एक सहज योगी हूं।” यह आपकी जिम्मेदारियों के बारे में सब कुछ कहता है, आपकी आकांक्षाएं क्या हैं, आप क्या हैं। आप एक सहज योगी हैं, जिसका पुनर्जन्म स्वयं आदि शक्ति ने किया है।

आपकी कोई भी व्यक्तिगत समस्या है तो आप मुझे लिखें, और मैं उत्तर देने का प्रयास करूंगी। अगर मैं जवाब नहीं देती, तो सोचिए कि मैं उस जवाब को प्रबंधित कर चुकी हूं। अगर मैं जवाब नहीं देती, तो सोचो कि मैंने जवाब का प्रबंधन कर लिया है; लेकिन अगर कोई सुझाव देना होगा तो मैं निश्चित रूप से आपको सूचित करूंगी। कोई अन्य समस्या।

लेकिन जैसे आज एक महिला आई, वह अपने पति के लिए रो रही थी। ऐसा पहले भी करती थी, आज फिर रो रही है- पागल हो जाएगी। एक सहज योगी को रोना नहीं चाहिए। अपनी समस्या पर काबू पाएं, अपने पति को संभालने की कोशिश करें, सब कुछ संभालने की कोशिश करें। मुझे इसका तलाक वाला हिस्सा बहुत पसंद नहीं है, लेकिन अगर किसी का केस गया-गुजरा हो गया है तो ठीक है। अगर मैं कहती हूं कि यह एकगया-गुजरा मामला है, तो आप तलाक दे सकते हैं। लेकिन अनावश्यक रूप से, सिर्फ इसलिए कि अभी तक उचित समझ उत्पन्न नहीं हुई है, किसी को रोना, चिल्ल्लाना और ये सब काम नहीं करना चाहिए। इसके विपरीत, व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि आपके पास शक्तियाँ हैं।

और आप मुझे लिख सकते हैं। बहुत लंबे पत्र नहीं, लेकिन मैं खो गयी! हा, सच में, मैं खो गयी! सुबह मेरे पास पढ़ने के लिए बहुत सारे पत्र होते हैं, एक से बढ कर एक बेहतर, और मेरे पति को भी एक बड़ा पद मिला है। लेकिन वे कहते हैं, “कोई भी मुझे प्रेम पत्र नहीं लिखता, वे सभी अपने बिलों के भुगतान के बारे में लिखते हैं।” मैंने कहा, “यह भी वैसा ही है!”

(आप इसका अनुवाद कर सकते हैं, ग्रीगोइरे, यदि वे चाहें।)

चिट्ठियाँ…समस्याओं से भरी…

मैंने कहा, “मुझे उनके प्यार के लिए भुगतान करना होगा।” यह वैसा है।

लेकिन बच्चे बहुत मीठे अक्षर लिखते हैं। वे बस कुछ पेंटिंग या कुछ और, या कुछ फूल और कुछ चीजें बनाते हैं, बस। वे दिल बनाएंगे और मुझे वहां रखेंगे, या ऐसा ही कुछ; बहुत प्यारी, मीठी बातें वे करते हैं। और बस आनंद और खुशी, आप देखते हैं, वे इसे व्यक्त करते हैं। उनकी समस्याएं कभी नहीं – उन्हें कोई समस्या नहीं है, बच्चों के पास नहीं है, वे जटिल नहीं हैं। आप समस्याओं को पकड़ लेते हैं, यही समस्या है। उन्हें किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है।

इसलिए आपने, आप में से किसी ने भी मुझे, कुछ भी नहीं बताया है कि, जो आप मुझसे किया हुआ चाहते हैं। अब केवल एक चीज, अंत में मैं चाहती हूं कि आप वारेन को सुनें जो इसे आप के लिये पढ़ेगा, जो कार्यक्रम हम इस गर्मी के समय में करने जा रहे हैं। आगे आओ।

वारेन: तो मुझे लगता है कि शेष इटली के लिए श्री माताजी का कार्यक्रम ज्ञात है। वह यूके लौट रही – क्या आप सोमवार की सुबह लौट रहे हैं, श्री माताजी?

हाँ अब।

वारेन सोमवार की सुबह। फिर वह 17 तारीख को फ्रांस आती है, और 22 तारीख को लौटती है, न कि 24 तारीख को जैसा कि मूल रूप से योजना बनाई गई थी। उस समय स्पेन जाने का मूल प्रस्ताव अब बाद तक के लिए टाल दिया गया है। और अगला कार्यक्रम जून में है, 7 जून को, वह जाती है …

नहीं, नहीं, नहीं, तो मैं ह्यूस्टन जा रही हूं।

वारेन: मुझे क्षमा करें, हाँ, आप तीन दिनों के लिए ह्यूस्टन जाती हैं, हाँ)

हां। मैं अभी लंदन जा रही हूँ, बस इतना ही।

डब्ल्यू: अट्ठाईस, मुझे लगता है …

श्री माताजी: हाँ।

वारेन: आप ह्यूस्टन जाती हैं, और फिर वापस। …. सत्ताईसवें मुझे लगता है, मैं जाता हूँ।

डब्ल्यू: मुझे वह विवरण नहीं मिला है, माँ।

हाँ, सत्ताईसवें के बारे में।

डब्ल्यू: फिर लंदन वापस आती है, फिर स्विट्ज़रलैंड, 7 जून को स्विट्ज़रलैंड और वह 15 तारीख को यूके लौटती है। फिर स्कॉटलैंड में एक कार्यक्रम है, सप्ताहांत के लिए, 21 तारीख को –

यह निश्चित नहीं है, लेकिन हम देखेंगे।

W.: फिर जुलाई में वह 5 तारीख को ऑस्ट्रिया जाती है, गुरु पूजा 13 तारीख को नहीं बल्कि 12 तारीख को, शनिवार 12 तारीख को होनी है। फिर 14 तारीख को वह है या शायद जर्मनी जाती है, लेकिन वैसे भी 14 और 15 तारीख को जर्मनी में कार्यक्रम होने हैं। 15 तारीख को जर्मनी में पूजा होगी और फिर वह 16 तारीख को ब्रिटेन लौट जाएगी। फिर अगस्त में वह बेल्जियम और हॉलैंड जाती है। शनिवार को रविवार को नहीं बल्कि शनिवार को 10…

शाम को।

डब्ल्यू: शाम को… उस दिन पूजा होती है?)

पूजा. यह बेल्जियम और हॉलैंड की पूजा है।

डब्ल्यू: बेल्जियम, या हॉलैंड में आगमन पर, जहाँ भी आप पूजा करने का निर्णय लेती हैं…

नहीं, पूजा उस स्थान पर करना बेहतर है जहां हमारा सोमवार का कार्यक्रम हो।

W: तो यह Gent में होगा, है ना? बेल्जियम में किसी भी तरह से)

बेल्जियम में।

डब्ल्यू: तो 10 तारीख की शाम को बेल्जियम में पूजा होगी। फिर 11, 12 और 13 तारीख को तीन सार्वजनिक कार्यक्रम होंगे, एक जेंट में, एक ब्रुसेल्स में और एक एंटवर्प में। फिर 14 और 15 तारीख को हेग में सार्वजनिक कार्यक्रम होंगे, और फिर शनिवार को, जो वे चाहते थे, एक संगोष्ठी होगी, बेल्जियम और हॉलैंड के सभी लोगों के भाग लेने के लिए एक अनुवर्ती संगोष्ठी होगी। उठो और खुद को स्थापित करो, और फिर श्री माताजी शाम को लंदन लौट आएंगे। हम 19 को यूके में रक्षा बंधन मनाते हैं, और 23 तारीख को वह संयुक्त राज्य के लिए रवाना होती हैं, जो 23 से 14 सितंबर तक चलेगा। 27 अगस्त को कृष्ण पूजा और 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी है। तब श्री माताजी संभवत: यूके लौट आएंगी, और फिर वे एक ऐसे समय पर स्पेन के लिए रवाना होंगी, जिस पर अभी निर्णय नहीं लिया गया है।

नहीं, उसके बाद ही।

डब्ल्यू: तुरंत बाद?

चौदहवें के बारे में मैं वापस आता हूँ?

W: आप 14 तारीख को वापस आएं।

तो वह क्या है, शनिवार या रविवार?

डब्ल्यू: निश्चित नहीं, श्री माताजी। 14 सितंबर।

स्पेनिश लोग अभी भी यहाँ हैं? या वे चले गए हैं?

डब्ल्यू: दो यहाँ। इसलिए 14 तारीख रविवार है।

तो, वे चाहते हैं कि मैं वहाँ सप्ताहांत के लिए, या कार्यदिवसों के लिए रहूँ? यह तय करने की बात है।

डब्ल्यू: मत भूलो कि हमें एक दिन मोंटपेलियर भी जाना है। एक या दो दिन।

एक दिन। तो, क्या है – स्पेनिश लोग, क्या वे सप्ताहांत या सप्ताह के दिनों में अधिक उपलब्ध हैं? कार्यदिवस, कार्यदिवस।

तो मैं मंगलवार को कह सकती हूं, उड़ सकती हूं। सोमवार को मैं उड़ सकती हूं, और मंगलवार को हमारा कार्यक्रम हो सकता है: मंगलवार, बुधवार, गुरुवार – तीन दिन, ठीक है? हां। और फिर मैं कर सकती हूं – हमें पूजा करनी है, इसलिए शुक्रवार को। या मैं सोमवार को जाना बेहतर होगा: सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार। और शुक्रवार को मैं जा सकती हूँ

डब्ल्यू: मोंटपेलियर। आप देखिए, श्री माताजी को स्पेन से फ्रांस के दक्षिण में मोंटपेलियर जाना है।

मैं रविवार की शाम आ सकती हूँ, और सोमवार की सुबह तुम पूजा करो, यह बेहतर है। और पूजा के बाद हमारे कार्यक्रम होते हैं; बाद में कार्यक्रम करना बहुत बेहतर है। तब मेरे चैतन्य भी प्रसारीत होते हैं। इसलिए सोमवार सुबह हम पूजा करेंगे।

डब्ल्यू: तो वह मंगलवार है .. दिन क्या है?)

क्या आपने उन्हें साड़ी और वैसी ही चीज़ें दी हैं?

डब्ल्यू: हाँ, श्री माताजी। 16 सितंबर श्री माताजी मैड्रिड के लिए उड़ान भरेंगे….

नहीं, नहीं। नहीं नहीं नहीं।

डब्ल्यू: रविवार 14 तारीख है।

रविवार मैं वापस आ रही हूँ।

डब्ल्यू: आप कब जाना चाहते थे…
नहीं, तो अगला रविवार क्या है?

डब्ल्यू: आह, निम्नलिखित, मैं देख रहा हूँ।

अगला रविवार क्या है?

डब्ल्यू: अगले रविवार चार… इक्कीसवां है।

आह, इक्कीसवीं।

डब्ल्यू: मैं देखता हूँ। तो इक्कीसवें आप मैड्रिड के लिए उड़ान भर रहे हैं। सोमवार को पूजा ?

सोमवार। पूजा, सोमवार की सुबह।

डब्ल्यू: कार्यक्रम: मंगलवार, बुधवार…

या आप चाहें तो इसे रविवार की रात भी ले सकते हैं, पूजा, जो बेहतर होगा – रविवार की रात। पूजा के लिए रविवार की रात बेहतर रहेगी। तो रविवार की सुबह मैं जाऊँगा।

इक्कीसवें रविवार की सुबह मैं आती हूँ, ठीक है? ठीक है। फिर रविवार को हमारे पास पूजा है, सोमवार, मंगलवार, बुधवार मैं वहां हो सकती थी। गुरुवार को मैं मोंटपेलियर जाऊंगी, और मैं वहां से लंदन लौट सकती हूं। कितने दिन? तीन दिन पर्याप्त हैं? तीन।

डब्ल्यू: आप कितने चाहते हैं, वह कह रही है?

अब चार रख दो। तो मैं रविवार को वहाँ पहुँच जाऊँगी; सोमवार, मंगलवार, बुधवार – ठीक है, चार दिन।

डब्ल्यू: इक्कीसवीं गुरुवार तक, फिर वह मोंटपेलियर जाती है …

गुरुवार की सुबह मैं मोंटपेलियर जाऊँगी। गुरुवार शाम हमारा वहां कार्यक्रम होगा, और फिर…

डब्ल्यू: मॉन्टपेलियर के लिए पच्चीसवां। फिर 27 तारीख को मॉन्टपेलियर से वापस लंदन के लिए।

क्या कोई सीधी उड़ान है?

डब्ल्यू: मैड्रिड से मोंटपेलियर के लिए कोई उड़ान? पता लगाना।

लेकिन क्या वहां से लंदन के लिए कोई फ्लाइट है? यह काफी हटकर चीज है।

डब्ल्यू: मुझे बताया गया है कि मोंटपेलियर से लंदन के लिए एक उड़ान है, हाँ, माँ।

है?

डब्ल्यू: हाँ।

तो पहले मोंटपेलियर क्यों नहीं…?

डब्ल्यू: क्षमा करें, पैट्रिक ने मुझे बताया कि मोंटपेलियर से लंदन के लिए एक उड़ान है।

तो क्यों न पहले मोंटपेलियर करें, और फिर स्पेन जाएं?

डब्ल्यू: क्या यहां फ्रांस से कोई है जो जानता है, पुष्टि करें … लेकिन पैट्रिक ने मुझे बताया कि मोंटपेलियर से लंदन के लिए एक उड़ान थी।

लेकिन मोंटपेलियर से स्पेन के लिए कोई उड़ान है या नहीं? कि आप सबसे पहले पता करें। लेकिन तुम इसे उस समय, उस समय के बारे में रखना; निश्चित रूप से हम आपको बता देंगे, एक बार जब हम मोंटपेलियर के साथ कर लेंगे। …. कोई उड़ान नहीं?

डब्ल्यू: जुआन एंटोनियो पता लगाएंगे और संपर्क में रहेंगे, हम आपको बताएंगे। क्योंकि यह अब मोंटपेलियर से आने-जाने वाली उड़ानों पर निर्भर करता है।

लेकिन किसी भी हाल में आप यह प्रोग्राम उनके पास ही रखें। अन्यथा मैं इसे पहले या बाद में करूँगी, चाहे कुछ भी हो। सबसे पहले इस कार्यक्रम को पक्का रखें। देखिए, मोंटपेलियर भले ही मैं न करूं, फ्रांस है, यह ठीक है। मैं इसे बाद में कर सकती हूं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन यह मुझे करना है, स्पेन, ठीक से। ठीक है? बल्कि अजीब, मुझे लगता है, वहाँ से जाना है, है ना? कोई उड़ान नहीं है।

यह मेरे लिए बहुत ज्यादा है। फिर मुझे वापस यात्रा करनी है, तुम्हें पता है; मैं पूरे रास्ते अमेरिका से आ रही हूं। तो मोंटपेलियर के बारे में भूल जाओ। किसी न किसी तरह उन्हें यह बताने की कोशिश करें कि चलो इसके बारे में भूल जाते हैं। देखिए, मुझे भी सोचना चाहिए कि मैं कितनी दूर जा सकती हूं। फिर मुझे वापस भारत जाना है…

डब्ल्यू: छठे पर…

श्री माताजी : छठा, पांचवा या छठा, तो मेरे लिए जाने की तैयारी के लिए शायद ही कोई समय हो। साथ ही इसे ऐसे ही रखना बेहतर है। बस उन्हें बताओ कि यह संभव नहीं हो सकता है; इसलिए मैं शुक्रवार को वापस आ जाती हूं, यह बेहतर होगा।

मैं शनिवार की रात आ सकती हूं, और रविवार की सुबह हम पूजा कर सकते हैं, यदि आप चाहें तो। और शनिवार आएं, रविवार पूजा, सोमवार, मंगलवार, बुधवार। और गुरुवार की सुबह मैं वापस लंदन जाती हूं। क्योंकि, आप देखिए, मेरे पास भारत जाने के लिए मुश्किल से दो हफ्ते बचे हैं। यह बहुत अधिक तनाव है। इसलिए मैं इस बार ऐसा नहीं कर पाऊंगी। वे सभी फ्रांस आ सकते हैं। वे पेरिस आ सकते हैं। हां। उन्हें सभी लोगों को लाना चाहिए। और हमारे पास वहां लोगों के रहने के लिए जगह है। उस दौरान कोई दिक्कत नहीं है। फ्रांस, मैं कब जा रहहा हूँ? सत्रहवाँ?

डब्ल्यू: सत्रहवां।

क्या अब ठंड होगी? ऐसा नहीं।

योगी: नहीं, बिलकुल नहीं।

कुछ समय बाद ऐसा होगा कि मैं एक जगह बस जाऊँगी, और तुम सबको वहाँ आना होगा। क्योंकि मैं इतना सफर नहीं कर पाऊंगी, इतना बता सकती हूं। फिलहाल यह सब ठीक है। यह भी समझना होगा कि अब मोहम्मद पहाड़ों पर चले गए हैं। अब पहाड़ों को मोहम्मद के पास आना है।

ठीक है। इसलिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। आपने मुझे अपनी कोई भी समस्या नहीं बताई, इसलिए मुझे लगता है कि कोई समस्या नहीं है!

कल सुबह हो सकता है कि मैं आपसे न मिल पाऊं, इसलिए,
परमात्मा आप सभी को आशीर्वादित करे।
अब अपने आप को एक बंधन दे दो, तुम सब, ठीक से, पूरे ध्यान के साथ, पूरी गरिमा के साथ, पूरी गति के साथ। देखो, भरा हुआ। कोई भी काम सस्ते ढ्न्ग से नहीं करना चाहिए।

मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं है, लेकिन सिर्फ आप सभी को खुश करने के लिए कर रही हूं।

भारत में उन्होंने एक प्रश्न पूछा कि यदि वह देवी हैं, तो वह सभी को नमस्कार क्यों कहती हैं? वे देवी को नमस्कार कहते हुए समझ नही पाते!

गुइडो: मिलानो मे एक सार्वजनीक प्रोग्राम 6बज़े (…) दस…

श्री माताजी : ठीक है। नौ या दस।