Shri Kartikeya Puja: Woman Is A Woman

Munich (Germany)

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श्री कार्तिकेय पूजा ग्रॉसहार्टपेनिंग, म्यूनिख (जर्मनी), 13 जुलाई 1986

मैं देर से आने के लिए माफी चाहती हूं। मुझे पता नहीं था कि यह कार्यक्रम इस तरह की एक सुंदर जगह पर है और यहाँ आप माइकल एंजेलो की एक खूबसूरत पेंटिंग देख रहे हैं, जो कि आपको बचाने तथा मदद करने की, आपके परम पिता की इच्छा को व्यक्त करती है और अब यह घटित भी हो रहा है ।

जर्मनी में हमारे साथ बहुत आक्रामक घटनाएं हुई हैं और इसने पश्चिमी जीवन पर सब और विनाशकारी प्रभाव डाला। मूल्य प्रणालियां टूट गईं, धर्म का विचार गड़बड़ा गया, महिलाओं ने पुरुषों की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिया और इतने लोग मारे गए। बहुत युवा मर गए, बहुत, बहुत युवा। उनकी सभी इच्छाएँ पूर्ण न हो पाई थी, उनके जीवन ने उन्हें युद्ध के अलावा कुछ नहीं दिया। यह एक तरह से गर्म हवा का झोंका था जो आया और उसने सभी सूक्ष्म चीजों को नष्ट कर दिया। जब प्रकृति राहत चाहती है, या क्रोध करती है, तो यह केवल स्थूल चीजों को नष्ट करती है, लेकिन जब मनुष्य नष्ट करना शुरू करता है, तो वे आपकी मूल्य प्रणाली, आपका चरित्र, आपकी पवित्रता, आपकी अबोधिता, और धैर्य जैसी सूक्ष्म चीजों को भी नष्ट कर देता हैं।

इसलिए अब युद्ध सूक्ष्म स्तर पर है। हमें अब यह समझना होगा कि इन सभी चीजों ने पश्चिमी व्यक्तित्व पर, पश्चिम में इस तरह का तोड़ देने वाला दुष्प्रभाव डाला है। तो पहला प्रयास यह करना है कि इसे ठीक करना है, इसे सीधा करना है, इसे अपने पैरों पर खड़ा करना है। क्योंकि लोगों ने अपना व्यक्तित्व, अपनी परंपरा खो दी, उनका कोई धरातल, कोई जड़ें नहीं थीं। और वे किसी भी उस चीज़ की ओर बढ़ने लगे, जिसे किसी प्रकार के बौद्धिक अनुभव के रूप में लाया गया था। महिलाएं बहुत स्वतंत्र हो गईं और उन्होंने सोचा कि वे अपनी समस्याओं को हल कर सकती हैं – कि उन्हें लगा कि वे पुरुषों की तरह बन सकती हैं। यहां समस्या और भी बदतर तरीके से शुरू हुई। क्योंकि महिला एक महिला है – और उसमे बहुत ही कम पुरुषत्व के गुण होते हैं |जब वह अपने उपलब्ध गुणों को छोड़ कर, उस चीज़ को अपनाने का प्रयास करती है जो वास्तव में उसके पास न के बराबर है तो वह मजाक का पात्र बन कर रह जाती है। लेकिन वह कई मृत पुरुषों द्वारा बाधित हो सकती है। मर्दाना बनने की इच्छा बहुत सारे भूतों को आकर्षित कर सकती है जो महिला के दिमाग में प्रवेश करना चाहते हैं। और जब वे प्रवेश करते हैं तो एक महिला के वेश में शैतान का दिमाग होता है। और महिलाएं इसे नहीं देख पाती हैं, क्योंकि शायद उन शैतानी चीजों के साथ दुनियादारी में वे सफल हो सकती हैं। वे बेहतर संपन्न हो सकती है। हो सकता है कि वे हर किसी पर हावी हो सकती हैं, वे पुरुषों की तरह शातिर हो सकती हैं , बिल्कुल, बिल्कुल साफ-सुथरी, साफ सुथरी, सभी सुंदरता व माधुर्य से रहित। तब ये महिलाएं अंततः पिशाचों जैसी हो जाती हैं|

हालांकि, युद्ध खत्म हो गया है, पर मुझे लगता है जर्मनी की महिलाओं के माध्यम से अब भी यह काम कर रहा है। मैंने सुना है कि ऐसा आघात पहले भी आया था और ऐसी महिलाओं को ‘अमेजोनिक’ कहा जाता था। अब वह इतिहास फिर से खुद को दोहरा रहा है। एक अन्य दिन मेरा एक जर्मन महिला के साथ एक साक्षात्कार था और मैं उसके रवैये पर आश्चर्यचकित थी क्योंकि मुझे लगा कि वह अभी भी उसमें एक नाज़ीपन है, कुछ नाजी भूत उसमे बैठे हैं। वह एक दोहरे व्यक्तित्व की थी , एक तरह से वह मीठी-मीठी बातें कर रही थी , दूसरी तरह वह नाजी और एक फासीवादी थी। बहुत चालाकी से उन के पास तर्क हैं। पहली बात वे यह कह सकते हैं कि, “हम भारतीय जैसे दलित लोगों के साथ हैं। भारतीय आर्य हैं, हम भी आर्य हैं, और हम आर्य लोगों के प्रति सहानुभूति रखने वाले लोग हैं।“ भारतीय आध्यात्मिक लोग हैं और उन्हें भ्रम है कि वे भारतीयों की तरह हैं| सभी चीजों के बारे में जानने के बाद भी , क्या आप इस बात पर विश्वास कर सकते हैं?

यह ठीक है की, जीवन की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए। पुरुषों के गुण महिलाओं की तुलना में अलग है, मैंने आपको कई बार बताया है। और अगर महिलाएं मर्दाना होने की कोशिश करती हैं तो वे कुछ भी भली प्रकार से हासिल नहीं कर सकती हैं। हमारे पास कई ऐसे उदाहरण थे। आपने ‘माओ’ की पत्नी को देखा है। आपने मिसेज ‘चियांग काई शेक’ को देखा है। अब यह नई महिला, कार्लोस-कार्लोस उसका क्या नाम है? हाँ, मार्कोस, मार्कोस। ऐसी कितनी ही स्त्रियाँ है। वे हमेशा चीजों की गड़बड़ कर देती हैं जब भी वे मर्दाना बनने की कोशिश करती हैं। इतिहास में हमारे पास कई महिलाएं हैं। भारत में महिलाओं की तैयारी बहुत ही अच्छी हैं, हमारे पास झांसी की रानी जैसी महिलाएं रही हैं जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। वह एक विधवा थी। उसने अपने बच्चे को अपनी पीठ पर बांधा और अंग्रेजों से लड़ी। वे बताते हैं कि उसका घोड़ा एक किले के बुर्ज से 180 फीट की ऊंचाई से कूद गया था और अंग्रेजों ने लिखा है की ”हालांकि हमें झांसी मिल गया है और जीत हमारी हुई है, लेकिन महिमा झांसी की रानी के हिस्से में जाती है”| हमारे भारत में महान महिलाएं रही हैं। जैसे नूरजहाँ एक और महान महिला थीं, हमारे पास चाँद बीबी, अहिल्याबाई थीं, लेकिन वे सभी महिलाएँ थीं, उनकों पुरुषों जैसा अहंकार नहीं था। जब यह जरूरी हो जाए तो – कोई भी काम कर सकता है वे, पुरुषों के साथ कार्यालयों में काम कर सकती हैं, लेकिन उन्हें मर्द बनने की आवश्यकता नहीं है। मैं आपको स्वयं का एक उदाहरण बताऊंगी| मुझे लखनऊ में अपना घर बनाना था। मैंने इसे एक महिला की वास्तविक शैली में किया था और मैंने एक बहुत अच्छा घर बनाया था, किसी भी आदमी की तुलना में बेहतर एक बहुत ही सस्ते तरीके से बनाया था। जैसे कोई आदमी जाता है, तो सबसे पहले वह एक वास्तुकार को मिलेगा | जाओ और सबसे पहले सब कुछ माप लो, फिर वह सब कुछ पहले से निश्चित करने की कोशिश करेगा। फिर वह अपने अहंकार में किसी महंगी जगह पर जाएगा, खरीदारी करेगा, कुछ महंगा खरीदेगा, उससे धोखा खाएगा। फिर अपने अहंकार में वह जाकर महंगे श्रमिकों से अनुबंध कर सकता है और किसी प्रभारी को नियुक्त करता है, जो सब कुछ संभालेगा।

मैंने बहुत अलग तरीके से किया। मेरे पास पैसा था, इसलिए गयी और पता किया कि सबसे अच्छे लोग कौन हैं, जिनके पास सबसे अच्छी ईंटें हैं। घर का निर्माण ईंटों से होना था। फिर आपको और क्या चाहिए? देखिये, जैसे कोई स्त्री अपना भोजन पकाएगी, वैसे ही |अब आपको रेत भी चाहिए, ठीक है? फिर आपको सीमेंट की आवश्यकता होती है और आपको लोहे की सलाखों, और श्रमिकों की आवश्यकता होती है। इसलिए मैंने पुरुषों के तरीके से काम को नहीं किया| मैंने उस आदमी का पता किया जो सबसे अच्छी ईंटें बेच रहा था। तो उसने कहा,”मेरे पास पैसा नहीं है क्योंकि मुझे भट्ठा “लगाना होगा और उन्हें ईंटों से भरना होगा और इसके लिए उसको शुरुआती पैसे की आवश्यकता होगी।“ मैंने कहा, “सब ठीक है, मैं तुम से पूरा एक भठ्ठा ख़रीद लुंगी आप मुझसे कितना लेंगे? ” उन्होंने कहा, “पांच हजार रुपये पर्याप्त हैं।” लेकिन ,अगर उन्होंने कहा, “अगर भट्ठा बुझ जाता है, या इसके साथ कुछ गड़बड हो जाए तो यह आपकी जिम्मेदारी है।” मैंने कहा, “कोई बात नहीं। आप मेरे नाम में एक भट्ठा डाल दो। “ तो मैंने उससे एक भट्ठा खरीदा, पूरा। भट्ठा एक ऐसी चीज है जहां वे सभी ईंटें डालते हैं, और फिर इसे कीचड़ से ढंकते हैं और इसे नीचे से आग लगाते हैं। कभी-कभी यह हो सकता है कि पूरी चीज बेकार में जा सकती है, या नीचे गिर सकती है। मैंने कहा, “आप ऐसा कर दो। केवल 5,000।“ जब यह अच्छी तरह से पका दिया जाता है तब इस पुरे की कीमत 50,000 रुपये से कम नहीं होगी। फिर मैं नदी पर गयी और मैंने कहा, “एक क्षेत्र – जैसा कि वे इसे कहते हैं, रेत के एक बड़े क्षेत्र के लिए कितना पैसा ?”। उन्होंने कहा, “इस समय, गर्मियों में यह बहुत कम है, लेकिन सर्दियों में यह काफी ज्यादा होगा।” एक पुरुष जब भी जाता है, वह कहता है, “ठीक है, अब आपको इस चीज़ की जितनी ज़रूरत है, अब इसे खरीदकर लाओ। फिर आपको और अधिक की आवश्यकता होगी, तभी आप इसे लाएंगे। ” लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया, मैंने कहा, “गर्मियां एक अच्छी बात है, आपको सस्ता मिल रहा है, पूरा ही क्यों नहीं खरीद लेते ?” इसलिए मैंने पूरा हिस्सा खरीदा, उस रेत का पूरा इलाका।[ श्री माताजी (हँसते-हँसाते)]

ठीक है। फिर मैं आयरन डीलर्स के पास गयी। मैंने कहा, “अब लोहे के बारे में क्या करें ?” उन्होंने कहा, “आपको ऑर्डर करना होगा, लेकिन अगर आप थोक में ऑर्डर करते हैं तो हम आपको बहुत सस्ता देंगे। और पूरा नकद में आपको इतना ही भुगतान करना होगा। ” मैंने कहा, “सब ठीक है।” मैंने इसको खरीदने का आदेश दिया। तो यह सब तैयार था, ठीक वैसे ही जैसे हम खाना पकाने के लिए करते हैं, आपको वहां तैयार सब कुछ मिलता है। फिर हमें जो चाहिए था वह था लकड़ी। तो उन्होंने कहा, “लकड़ी नेपाल से आएगी।” मैंने कहा, “ठीक है। और कहा से आ सकती है?” उन्होंने कहा, “किसी भी अन्य जंगल से भी यह आ सकती है।” इसलिए मैं भारत के मध्य में एक जंगल में चली गयी जिसे [जबलपुर?] कहा जाता है और वहाँ मैंने आदेश दिया। पूरी लकड़ी को काटा गया, ताज़ा काटा गया और एक नीलामी में मैंने वहाँ से बहुत सारी लकड़ी खरीदी। और मुझे जितना भी उनके पास थी , वह सब मिल गयी इसके अलावा मुझे संगमरमर मिल गया। यह संगमरमर पहले कभी भी, कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया गया था। मैंने कहा, “यह बहुत ही सरल है, मैं हर चीज के लिए इस संगमरमर का उपयोग कर सकती हूं।” तो मुझे उस जगह से एक साथ संगमरमर और लकड़ी मिली। फिर श्रमिक। फिर मैंने अपने दोस्तों से पूछा कि क्या वे किन्ही अच्छे कारीगर को जानते हैं, जो चिनाई के काम में अच्छे हैं। उन्होंने कहा, “हाँ, यह एक अच्छा है, कि वह एक अच्छा है।” इसलिए मैंने उन सभी को बुलाया। मैंने कहा, “देखो, अब तुम मेरे साथ इस घर में रह सकते हो और मैं तुम्हें बहुत अच्छी तरह से खिलाऊंगी और मैं तुम्हें खाना दूंगी और मैं तुम्हारी बहुत अच्छी तरह से देखभाल करूंगी।” इसलिए वे सभी अपने परिवार (हँसी) के साथ आ कर बस गए और मैं उनके लिए खाना बनाती थी। खाना पका कर मैंने उन्हें जीत लिया और वे मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार हो गए । (हँसी) निश्चित रूप से। वे मेरे लिए बहुत दयालु थे, वे नई, नई तकनीक की इजाद करते जो भी उन्हें आता था – वे सीमेंट में से संगमरमर के प्रभाव उत्पन्न कर देते थे । सभी प्रकार की कला जो उन्होंने सीख रखी थी। तो 20 बेडरूम और पांच ड्राइंग रूम, डाइनिंग रूम के साथ इतना बड़ा घर, एक वर्ष के भीतर बनाया गया था। इतना ही नहीं, लेकिन घर की लागत कोई भी विश्वास नहीं कर सकता है, वास्तुकार ले सकता है उसका भी दसवां हिस्सा होगा। लेकिन हिसाब, सब इतनी अच्छी तरह से लिखा गया था, सब कुछ इतनी अच्छी तरह से किया गया था क्योंकि खातों को कैसे लिखना है मुझे नहीं आता था, इसलिए मैं क्या करती थी, हर दिन मैं सोचती थी की, “आज मैं कितना पैसा निकालती हूँ और कितना खर्च हुआ मैंने हर दिन लिखा,” और उसमें एक भी रुपया गायब नहीं हुआ। इसलिए कोई भी मुझ पर आरोप नहीं लगा सका, नहीं तो वहां पर अपना घर बनाने वाले सभी अधिकारियों को बहुत सारी समस्याओं से गुजरना पड़ता था| उनकी आय पर कर लगता था, यह बात – कुछ नहीं, कुछ नहीं हुआ। और मैं इतने कम पैसे में इतना बड़ा घर बना सकी। और ऐसा घर कि लोगों ने कहा कि, “यहां तक कि ताजमहल भी गिर सकता है, यह नहीं गिरेगा।” [हँसी] क्योंकि मैंने एक अच्छी नींव बनाई, सब कुछ, क्योंकि ईंटें इतनी सस्ती थीं। उस पूरे भट्ठे को मैंने बहुत सस्ता ख़रीदा था और उसका आधा हिस्सा मैंने वापस बेच दिया क्योंकि इतना शेष बचा रह गया था | [हँसी]फिर मैंने जो भी रेत खरीदी थी, जिसे लाया गया था , उसका आधा हिस्सा बेच दिया क्योंकि मुझे इसकी जरूरत नहीं थी – इसकी कीमत दोगुनी हो गई, इसलिए मैंने अपनी रेत मुफ्त में पाई । जो लकड़ी हम लाये थे उसको हमने ठीक तरीके से छिल कर और मेरे पास एक छोटा टैंक था जिसमें मैंने इसे डाल दिया था, इसलिए यह पूरी तरह से, जिसे आप ‘वेदर प्रूफ’ कहते हैं वह बन गया। मैंने इसे बाहर निकाला और इसका आधा हिस्सा इस्तेमाल किया, केवल इसका आधा हिस्सा, सौ खिड़कियों और साठ दरवाजों के लिए और बाकी मैंने बेचा। और यहां तक कि इसकी छीलन को जलावन के रूप में बेचा गया था, आप जलाने की लकड़ी को देखते हैं, आप इसे क्या कहते हैं? तो आप कल्पना कर सकते हैं कि कुछ तो इमारती लकड़ी के रूप में बेचा गया था और कुछ को झोपड़ियों के लिए। लेकिन मुझे उनके लिए खाना बनाना पड़ता था, मुझे उनके आराम की देखभाल करनी थी, मैंने उन्हें सोने के लिए अच्छे कंबल और अच्छे बिस्तर दिए और कुछ और यह या वह और इसलिए वे बहुत खुश थे।

यह वह तरीका है जैसे कि एक महिला कोई काम करती है और हर कोई आश्चर्यचकित था कि उन्हें बही-खातों में कोई गलती नहीं मिली , उन्हें किसी भी चीज़ के साथ दोष नहीं मिला, और मैंने अपने पति के सभी दोस्तों से पांच मील दूर रहने को कहा। [हँसी] क्योंकि वह प्रधानमंत्री के साथ काम कर रहे थे, लोग कह सकते थे कि, “सब ठीक है, वह रिश्वत ले रही है,” और इस तरह की चीजें। फिर एक और समस्या यह थी कि – वे आते और मुझसे कहते, “यह अच्छा नहीं है, यह अच्छा नहीं है।” मैंने उन्हें बाहर रखा क्योंकि केवल वे बहस कर सकते हैं, पुरुष केवल बहस कर सकते हैं। (हँसी) महिलाएँ परिणाम उत्पन्न करती हैं। कोई सम्मेलन, कुछ नहीं, मैंने सोचा “ ऐसा कुछ नहीं करना। मुझे खुद काम करने दो। ” बहुत अच्छी तरह से इन सभी लोगों के साथ से मैंने घर बनाया, एक सुंदर घर, ऐसा मुझे लगता है कि उन्होंने एक फिल्म ली है, और आप उस घर को देख सकते हैं जो मैंने वहां बनाया था।

इसलिए जब महिला, जो की एक सहज योगिनी हो, उसे – ये विशेष गुण विकसित करना होगा क्योंकि वह बहुत सहज है, महिला बहुत सहज है। वह कुछ ही समय में हमेशा सही निष्कर्ष पर पहुंच जाती है। यदि वह एक महिला हो| लेकिन अगर उस महिला में, आधा पुरुष और एक थोड़ी सा ही महिलापन है, तो मुझे नहीं पता कि वह किस तरह की चीज है। तो एक महिला को एक महिला होने की कोशिश करनी चाहिए, वह इतनी शक्तिशाली है, वह इस धरती माता की तरह शक्तिशाली है जो हर तरह की चीज को धारण/सहन कर सकती है और जो भी उसके पास है अत्यंत त्याग क्षमा प्रेम, धैर्य आदि, उसमे से उच्चतम दे सकती है।

जब पुरुष महिलाओं जैसी गुणवत्ता विकसित कर लेते हैं तो वे संत बन जाते हैं। लेकिन महिलाओं के पीछे भागने की आदत नहीं। इस तरह की बकवास नहीं। उन्हें “वीर”, [बहादुर, प्रख्यात] बनना होगा, उन्हें शिष्ट और बहादुर बनना होगा। उन्हें बहादुर बनने के साथ ही उन्हें करुणा तथा क्षमा का विकास करना होगा। लेकिन मुझे लगता है कि यह जर्मनी में दूसरा ही ढंग अधिक चल पड़ा है, और मुझे पश्चिमी सहज योगियों के बीच भी ऐसा लगता है कि यह एक बहुत ही आम मामला चल रहा है – कि, महिलाएं भयानक अहंकार विकसित कर लेती हैं। भारत में, महिलाएं काम करती हैं, वे सब कुछ करती हैं। हमारे पास लंबे समय से महान शिक्षक हैं, जो प्रसिद्ध हैं। लेकिन उन्हें अहंकार नहीं है। मेरी मां ‘ऑनर्स’ थीं, उन दिनों जब केवल दो या तीन महिलाएं ऐसी थीं, जिन्होंने इस तरह की डिग्री हासिल की थी, लेकिन मैंने उनके अंदर कभी कोई अहंकार नहीं देखा।

मेरी खुद की बेटियों, उनमें से एक ने आर्किटेक्चर किया है, और आंतरिक सजावट भी, वह अब काम नहीं कर रही है क्योंकि उसके पति काम कर रहें है, सब ठीक है। लेकिन वह दूसरों के लिए घर बनाती है, वह दूसरों के लिए वास्तुकारी करती है, वह दूसरों की स्वतंत्र रूप से मदद करती है। और उसके ऐसे दोस्त हैं। तो एक महिला की उपलब्धि क्या है? उसके आसपास और भी लोग होते हैं। मानव शक्ति। उसके आसपास और भी इंसान हैं। और पुरुषों की क्षमता क्या है? उनके पास घर के सभी भुगतान योग्य बिलों का जिम्मा होता है, उन्हें बीमा का भुगतान करना होगा, (हँसी) कार की मरम्मत। उन्हे फालतू काम करने दो। (श्री माताजी हँसते-हँसते) महिलाएँ बच्चों से, पति से, सभी से प्रेम पत्र प्राप्त करती हैं। उन्हें प्यार किया जाता है। उनकी देखभाल की जाती है। अब चूँकि वे मर्दाना हो गई हैं इसलिए उन्हें ये सभी फायदे नहीं मिल रहे हैं। पहले यदि आप बस में जा रहे होते तो वे एक महिला को अपनी सीट भी दे देते थे। अब ऐसा कोई नहीं करता। एक बार – एक महिला यात्रा कर रही थी, बूढ़ी औरत, और – वहाँ एक युवा साथी बैठा था। मैंने कहा, “आप उसे बैठने को अपनी सीट क्यों नहीं दे देते?” उन्होंने कहा, “मुझे क्यों देना चाहिए? उसने भी पैंट पहनी हुई है, मैंने भी पैंट पहनी हुई है। वह वृद्ध महिला पतलून पहने हुए थी, इसलिए उसने कहा, “मैं उसे सीट क्यों दूँ, वह पतलून पहने हुए है, मैने भी पतलून पहन रखी है , हमारे बीच क्या अंतर है?” [हँसी]

तो, यह सब हमारे वे लाभ और विशेषाधिकार हैं जो हम पुरुष बनकर खो रहे हैं। और हमें क्या हासिल होता है? हमें क्या हासिल होगा? दरअसल, इसके विपरीत, मुझे लगता है कि, पुराने समय के मुकाबले आधुनिक दिनों में महिलाएं पुरुषों की बहुत अधिक ग़ुलाम हैं। वे बहुत परेशान हो जाती हैं। जैसे कि एक सहज योगिनी है अब वह बहुत बुरी तरह से बाधित हो गई है और उसे कुछ समस्याएं हैं। पहली बात जिसके बारे में वह सोचेगी, “हे भगवान, अब मेरे पति मुझे छोड़ देंगे, वह मेरे बच्चों को मुझ से दूर ले जाएगा, मैं कहाँ जाऊँगी?” वह कभी भी सहज योग के बारे में नहीं सोचेगी। लेकिन मैं एक असाधारण महिला से मिली, मुझे कहना होगा कि वह एक सच्ची महिला थी। उसने कहा, “माँ, क्योंकि मैं एक सिजोफ्रेनिया नामक बीमारी से पीड़ित हूँ ,तो मैं सहज योग से बाहर निकलना चाहती हूँ। मैं अपने पति को तलाक दे दूंगी, मैं अपने बच्चों को नहीं देखना चाहती, सहज योग मेरे लिए, मेरे पति और मेरे बच्चों की तुलना में बहुत अधिक महत्वपूर्ण है।“ “एक महिला है,” उसने कहा की, “मैं बचपन से ही सिज़ोफ्रेनिक हूं। लेकिन मैंने इसे अब जाना है और यह अब फिर से हो रहा है।“ लेकिन ज्यादातर महिलाएं खुद के बारे में चिंतित हैं, “हे भगवान, मुझे अपने पति को छोड़ना होगा,” इसका मतलब है कि वे अब तक क्या कर रही थी, अपने पति का शोषण कर रही थी । “मुझे अपने बच्चों को छोड़ना पड़ेगा।” लेकिन सहज योग छोड़ने के बारे में क्या ? अगर आपको लगता है कि सहज योग सबसे महत्वपूर्ण है, तो आप अपनी बीमारी से भी छुटकारा पा सकते हैं। भगवान आपकी मदद क्यों करें? हम सिर्फ आम महिलाओं की तरह सोच रहे हैं, अपने बारे में, केवल अपने बारे में चिंतित हैं। सहज योग के बारे में चिंता नहीं है।

ऐसा ही कुछ पुरुषों के साथ भी है, लेकिन पुरुष इतने भयभीत नहीं होते हैं, क्योंकि वे सोचते है कि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं। और महिलाओं को यह भी पता होना चाहिए कि अब वे सहज योगिनी हैं कि वे सहज योगिनी हैं और माताजी उनकी देखभाल करने वाली हैं। परंतु यदि आप केवल स्वयँ के बारे में चिंतित है, अपने पति, मेरा घर, मेरे बच्चों के बारे में चिंतित हैं, तो आप एक गया गुजरा मामला हैं, अब आप एक स्त्री तक नहीं हैं। यह एक अच्छी महिला होने की निशानी नहीं है। एक स्त्री वह है जो सभी बच्चों से प्यार करती है। उसकी प्यार करने की क्षमता बहुत महान है, लेकिन अगर वह तुच्छ हो जाती है, अगर वह छोटी सोच वाली बन जाती है तो वह एक स्त्री नहीं है। मैंने आपको मेरी नातिन के बारे में बताया, मैंने उससे पूछा, “आप क्या बनना चाहती हो?” वह बहुत छोटी थी। तो उसने कहा, “वह एक नर्स या एयर होस्टेस बनना चाहती हैं।” तो मैंने पूछा, “क्यों? इन नौकरियों में क्या बहुत अच्छा है? उन्होंने कहा, “नानी, केवल इन दो नौकरियों में आप लोगों को खाना खिला सकते हैं।” कोई अन्य नौकरी ऐसी नहीं है जिसमें आप वास्तव में अन्य लोगों को खिला सकें। दूसरों को खिलाने की खुशी कार्यालय में फाइलें लिखने से अधिक है। बिल्कुल – मैं आपको कहती हूं। देखो, कार्यालय में फ़ाइल लिखना एक भयानक काम है, |( श्री माता जी हँसी और हँसी]) कुछ अच्छा खाना पकाना बेहतर काम है, [हँसी] यह सोचना की बहुत से लोग खाने और आनंद लेने जा रहे हैं, इस बकवास काम से बेहतर है । लेकिन महिलाओं ने अपनी बुद्धि खो दी है, वे अब ऊँचे स्तर की नहीं हैं। मुर्ख हो गयी है। अब जर्मनी में आपको बहुत सावधान रहना होगा। ऑस्ट्रिया में आपको बहुत सावधान रहना होगा। ऑस्ट्रियाई महिलाएं महान हैं, लेकिन मैं जर्मन महिलाओं से कहूंगी – कि आप पुरुष बनने की कोशिश ना करें।

सबसे पहले, इसे रोकने के लिए सबसे अच्छा तरीका बहुत ज्यादा बात नहीं करना है। यदि आप पुरुषों की तरह बात करना शुरू करते हैं तो सभी भूत आप में प्रवेश करेंगे और केवल पुरुषों की तरह बात करना शुरू करेंगे और फिर आप देखेंगे कि पुरुषों को कैसे नियंत्रित किया जाता है – हम भारतीय महिलाएं आप से बेहतर जानती है कि अपने पुरुषों को कैसे नियंत्रित किया जाए। हमारे यहाँ तलाक क्यों नहीं हैं? हमें समस्याएं क्यों नहीं हैं? हम झगड़ा करते हैं – सब ठीक है, कोई बात नहीं है, लेकिन हमारे पुरुष दूसरी महिलाओं के पीछे नही भागते हैं। हम ड्रेस अप नहीं करते हैं, मेरा मतलब है, ज्यादा नहीं है, हम हेयर ड्रेसर के पास नहीं जाते हैं – हमारे पास ये सौंदर्य प्रसाधन नहीं हैं| इसलिए अपना स्वाभिमान विकसित करें। आप शक्ति हैं। आप शक्ति हैं। यदि आप अपने आदमियों को निकम्मा बनाते है तो आप के बच्चे कैसे होंगे? ,”निकम्मे”। उनका सम्मान करें। उन्हें पुरुष बनाएँ, उनकी मर्दानगी का आनंद लें। तब वे आपको कभी नहीं छोड़ेंगे। दोनों के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। आज जर्मनी में मुख्य समस्या यह है कि महिलाओं ने अपनी संवेदना खो दी है| जर्मन महिलाओं के बारे में मैं यह बिल्कुल महसूस करती हूं। संगीत या, कला को देखें । इतना स्कोप है। आज किसको याद किया जाता है? यहाँ देखें, किसको याद किया जाता है? एक संगीतकार – मोज़ार्ट। हर कोई मोज़ार्ट को याद करता है, यहां तक कि चॉकलेट पर भी आपको वहां मोज़ार्ट मिल जाएगा। [हँसी] मुझे नहीं पता, विचित्र बात – क्या ख़ुद उसने कभी कोई चॉकलेट खाया या नहीं? [हँसी]या फिर वे याद करेंगे माइकल एंजेलो या उनके पास लियोनार्डो दा विंची है, या वैसा ही और कोई हो । किसी को याद नहीं है कि उस समय कौन अधिकारी था, जो फाइल को ऊपर-नीचे करके चल रहा था। [हँसी]

इसलिए स्त्री के पास कुछ जीवंत या शाश्वत मूल्य का हो सकता है |जो की उन्हें विकसित करना चाहिए। सबसे बड़ी बात यह है कि स्त्री प्यार कर सकती है, और प्यार और प्यार। लेकिन जब वह स्वार्थी और आत्म-केंद्रित हो जाती है, और केवल अपने ही बारे में चिंता करने लगती है, तब उसके प्यार में कोई सुंदरता नहीं रह जाती है। आज मैंने इस बात को विशेष रूप से लिया क्योंकि आज आप मुझे कार्तिकेय के रूप में पूजा रहे हैं। कार्तिकेय पार्वती (उमा) के पुत्र थे। जो सिर्फ इन दो बच्चों, गणेश और कार्तिकेय की माँ थी। और एक दिन माता-पिता शंकर और पार्वती ने कहा, “तुम दोनों में से, जो भी सबसे पहले धरती का चक्कर लगा कर वापस आएगा उसे विशेष पुरस्कार मिलेगा।” तो कार्तिकेय पुरुष शक्ति थे, बिल्कुल, और उन्होंने कहा, “ठीक है, मैं अपने स्वयं के वाहन पर शुरू करुंगा,” जो की एक मोर था।और गणेश ने स्वयं से कहा, “अब मुझे देखो, मैं एक छोटा लड़का हूं, मैं उसकी तरह नहीं हूं और मेरा वाहन भी छोटा सा चूहा है| मैं कैसे प्रबंध करुंगा? ” लेकिन फिर उसने सोचा, “मेरी माँ पूरे ब्रह्मांड से बड़ी है। यह धरती माता क्या है?” तो यह कार्तिकेय धरती माता की परिक्रमा करते हुए निकले थे। श्री गणेश तीन बार अपनी माता की परिक्रमा कर गए। (हँसी) और उसे पुरस्कार मिला। क्योंकि वह उनके लिए, उनके ममत्वपूर्ण गुण के कारण सदाशिव से भी ऊँची है| लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि सदाशिव को यही पसंद है, कि आप अपनी माँ का सम्मान करते हैं – आप में स्थित मातृत्व। आप में नारीत्व। ‘जहाँ नारी सम्मानजनक और सम्मानित होती है वहाँ देवता निवास करते हैं।’ महिलाएँ बहुत महत्वपूर्ण हैं। निश्चित रूप से मुझे पश्चिमी पुरुषों को भी दोष देना चाहिए, जिस तरह से उन्होंने अपनी महिलाओं के साथ बुरा व्यवहार किया है, धर्म से बाहर रखा है, उन्हें हमेशा नीचे रखा है, मेरा मतलब है कि भारत में भी हमारे यहां मुसलमान ऐसा करते थे, लेकिन वे बहुत ही आक्रामक हमलावर हैं और उन्होंने तो बहुत ही बुरा किया और उन्होंने उन सभी को बहुत ही नीचे कर दिया। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता फिर भी, उन्हें माफ़ कर दो और स्त्री बने रहने की कोशिश करो – बहुत शक्तिशाली। स्त्री की शक्तियाँ प्रेम की हैं, जो की परमात्मा की शक्तियाँ हैं। और तर्कपूर्ण बौद्धिकता या किसी भी दूसरी बकवास का उपयोग करने की बजाय इस शक्ति का उपयोग किया जाना चाहिए । इन चीज़ो के उपर अपनी ऊर्जा बर्बाद मत करो। मैं विशेष रूप से जर्मनी की सहज योगिनियों को अधिक से अधिक स्त्री जैसा बनाना चाहूंगी। इसका मतलब केवल अच्छा खाना बनाना ही नहीं है, बल्कि जीवन के प्रति दृष्टिकोण में भी है। व्यापक रूप से सोचने पर की, संपूर्ण सहज योग हमारी प्रेम क्षमता पर ही निर्भर करता है। हमें अत्यंत प्रेममय, अत्यंत दयालु होना चाहिए, सहज योगियों की देखभाल करना, उन्हें वह सब आनंद देना जो संभव है। अन्यथा इस देश में वे पिशाचिनी की तरह बन सकती हैं। इसलिए बहुत सावधान रहें और पुरुषों के लिए भी मैं कहूंगी कि अगर उस तरह की महिलाएं हैं, तो आपको उनका सम्मान करना चाहिए, आप उन्हें अपने सभी विशेषाधिकार दें, उनकी देखभाल करें। वे बच्चों की देखभाल करती हैं, लेकिन उन्हें वह सारी सहायता दे, आवश्यक पैसा जो उन्हें चाहिए, दें। हिसाब और अन्य चीजों के लिए मत पूछो, उन्हें इस का प्रबंध करने दें। अधिक से अधिक आप दिवालिया हो जाएँगे, है, जैसा कि आप पहले से ही हैं। (हँसी) लेकिन पहले यह देखें कि सहज योग के प्रति उनका दृष्टिकोण क्या है। मैंने उन परिवारों में देखा है जहाँ महिलाएं धन की प्रभारी होती हैं, हमें हमेशा सहज योग कार्यों के लिए उन घरों से ज्यादा पैसा मिलता है, बजाय की जहां पर पुरुष नियंत्रण करते हैं। बहुत आश्चर्य की बात है। जब पुरुष नियंत्रण करते होते हैं तो उन्हें अपनी कार के बारे में सोचना पड़ता है, उन्हें कई बड़ी चीजों के बारे में सोचना पड़ता है, लेकिन जब महिलाएं नियंत्रण कर रही होती हैं तो वे जानती हैं कि पैसे कैसे बचाएँ, जैसा कि मैंने आपको दिखाया है कि मैंने पैसे कैसे बचाए हैं। पुरुष कभी नहीं बचा सकता। वे कभी पैसे नहीं बचा सकते। केवल महिलाएं ही बचत कर सकती हैं, बशर्ते अगर उनकी रुचियाँ उच्च स्तरीय हों । अन्यथा यदि वे स्वयं भोगी हैं तो, वे एक आदमी के लिए एक शर्ट खरीदने के लिए दुकान में जाकर, सभी साड़ियां अपने लिए खरीदेंगी और सारे पैसे खत्म कर देंगी। वे ऐसा कर सकती हैं। लेकिन अगर उनके पास व्यापक हित हैं, अगर उनके पास ऊँची सोच है, तो वे पैसे का उपयोग इतनी चतुराई से कर सकती हैं कि उनके पास हमेशा दूसरों पर खर्च करने के लिए भी पैसा होगा। मैं क्या करती हूँ? मेरे पास जो कुछ भी है – मेरे पति मुझे घर चलाने के लिए देते है – जिसे मुझे कहना चाहिए यह काफी है – लेकिन मैं चीजों पर बचत करती हूं, मैं मुख्य बाजारों में जाती हूं, वहां से चीजें ख़रीद करती हूँ , उस पर पैसे बचाने की कोशिश करती हूं, यहां बचाओ, मेरे कपड़ों पर बचत करती हूँ। मैंने पहली बार एक अच्छी दुकान में अपने स्वेटर ड्राई क्लीनिंग के लिए दिए हैं-। एक महिला कैसे बचत करती है और फिर वह सामान्य भलाई के लिए खर्च करती है। क्योंकि वही उसकी असली संतुष्टि है। यदि हम अपने विवाहित जीवन के बारे में, अपने सामाजिक जीवन के बारे में इस तरह का संतुलित दृष्टिकोण विकसित करते हैं, तो हम इस दुनिया में आदर्श लोग होंगे।स्कूल के बारे में भी, मैंने इसे स्पष्ट रूप से कहा है। अब अगर आप इसके बारे में सुनना चाहते हैं, तो मैं निवेदन करूंगी- क्या आप के पास वह पर्चा है? इसे पढ़ना चाहते थे। उह? नहीं, आपके पास नहीं है। यह बिलकुल पुरुषों की तरह है (हँसी) उन्होंने खुद कहा था कि वे इसे यहाँ पढ़ना चाहेंगे, आप देखें। यदि आप पुरुषों से खाना पकाने के लिए कहेंगे तो सब कुछ ग़ायब हो जाएगा। इसलिए

-ग्रीगोइरे: श्री माताजी, क्या मैं सबसे सम्मानपूर्वक आपसे पूछ सकता हूं, क्या एक आदमी होने में कोई भी फायदा है?

श्री माताजी: [हँसते-हँसते] पुरुष के बिना स्त्री स्वयं को व्यक्त नहीं कर सकती। वह व्यक्त नहीं कर सकती, क्योंकि वह क्षमता है। जबकि, पुरुष गतिज है। यह बिल्कुल सापेक्ष शब्दावली है। पुरुष के बिना स्त्री का अस्तित्व नहीं है, हो नहीं सकता| भले ही आपको, यदि आपको लगता है कि, धरती माँ में सारी खुशबु है, जब तक आपके पास फूल नहीं हैं, तो आपको कैसे पता चलेगा कि माँ धरती में खुशबू है? पुरुष सबसे महत्वपूर्ण हैं अन्यथा वे क्या करेंगी? उनकी सारी ऊर्जा सब सड़ जाएगी। इसलिए अगर महिलाएं धरती माता हैं तो आप फूल हैं। क्या फायदा, क्या? आप वे लोग हैं जो – जिन्हें हर कोई देखता है। [हँसी]

ग्रीगोइरे: कार्तिकेय की तरह इधर उधर भाग रहे हैं।

श्री माताजी:(हँसते-हँसते )हम क्या कर सकते हैं? तुम ऐसे ही हो। [हँसी] आप बैठ नहीं सकते घर पर। आप नहीं कर सकते – ट्रेन में भी नहीं, अगर आप जा रहे हैं, तो आप पाएंगे कि जैसे ही ट्रेन रुकती है, सभी मर्द ट्रेन से बाहर निकल जाएंगे। वे वहां नहीं बैठ सकते [हँसी] जैसे – मैंने अपने पति से कहा, “यह क्या है हमेशा तुम घर से बाहर भागते रहते हो? आप कुछ समय के लिए घर में क्यों नहीं बैठे रह सकते? आपको बैठना होगा|” तो उन्होंने कहा: “नहीं, हमारे तरफ में अगर कोई भी आदमी – घर में बैठता है, उसे वह “घर-घुसना” कहते हैं, जिसका अर्थ है “घर में हर समय”। (हँसी) और मैने कहा की: “जो हर समय घर से भागता रहता है उसे क्या कहते है-”घर भागना” मतलब “भगोड़ा”जो भागता रहता है| कुछ संतुलित यानि की बीच का कुछ होना चाहिए| लेकिन यह सब मर्दाना है| यह सब ठीक है। लेकिन सहज योग के साथ, हम जो कुछ भी कर सकते हैं, वह है दोनों बातों के बीच थोड़ा संतुलित बनाना है। यही सहज योग है, कि यह एक संतुलन देता है। तब आप एक-दूसरे के सामीप्य का आनंद लेना शुरू करते हैं ताकि घर में भी आप आनंद लें, बाहर भी आनंद लें। तो आप घर के अंदर भी साथ हो सकते हैं, और बाहर भी। हित समान हैं, क्योंकि रुचियाँ समान हो जाती है। जैसे धरती पर गिरने वाले फूल धरती माँ को सुगंधित बनाते हैं और फिर हम कह सकते हैं कि धरती माँ सुगंधित है। जितनी की वे खूबसूरत है। ठीक है। इसलिए शिक्षा के लिए मैंने पहले ही निर्देश दे दिए हैं और मैंने पहले ही इस बारे में बात कर ली है कि हम इस मारिया मोंटेसरी प्रकार के स्कूल और इस और उस विषय पर बड़ी बात नहीं करेंगे। हम एक सहज योग विद्यालय बनाने जा रहे है, बाकी सब बकवास है। क्योंकि मैंने उन लोगों को देखा है जो मारिया मॉन्टेसरी शैली में पढ़ा रहे हैं| महिला शिक्षिकाएं भयानक हो गई हैं। उनमें विकसित अहंकार की मात्रा चकित कर रही थी। तो आप सहज योगी शिक्षक बन जाते हैं और यह सहज योग विद्यालय बनने जा रहा है। सिडनी या मेलबोर्न में हमने स्कूल की शुरुआत की| मेलबॉर्न में बहुत अच्छी तरह से की थी और अब वे सिडनी में भी इसे करने जा रहे हैं। और खुले तौर पर यह सहज योग विद्यालय है| इसके बारे में कोई डर नहीं है| खुले तौर पर यह सहज योग विद्यालय है और फिर लोगों ने इससे बहुत कुछ हासिल किया है। हम – हमें उस तरह से कोई आड़ क्यों लेनी चाहिए? हमें यह कहने के लिए बाहर जाना चाहिए, “यह एक सहज योग विद्यालय है।” तो आप, शिक्षक भी सहज योग के विशेषज्ञ बन जाते हैं, इसलिए उन्हें अच्छा सहज योगी, योगिनी या सहज योगी बनना होगा। उन्हें अहंकारी नहीं होना चाहिए, उनमें कोई अहंकार नहीं होना चाहिए, उन्हें पकड़ना नहीं चाहिए, किसी का भी पकड़ना सहज योग के लिए एक अच्छा उदाहरण नहीं है। यह पसंद नहीं है – एक मारिया मोंटेसरी स्कूल की तरह नहीं है – कि रात में शिक्षक पीती है, धूम्रपान करती है और सुबह का समय मारिया मोंटेसरी शिक्षिका है| यहाँ आपको पहले सहज योगिनी बनना है और उसके बाद ही आप सहज योग विद्यालय में पढ़ा सकते हैं। आपके पास वह गुण होना चाहिए, जो बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह महत्वपूर्ण है कि हमें ऐसे छात्र प्राप्त करने चाहिए, जो आत्मसाक्षात्कारी हैं या जिन्हें आत्मसाक्षात्कार मिल सकता है। ठीक है।

इसलिए आज की पूजा विशेष रूप से कार्तिकेय के लिए है। कार्तिकेय महान का प्रतिनिधित्व करते हैं, हम सभी गणों के कप्तान या नेता कह सकते हैं – सभी एक सेनापति की तरह। गणेश राजा हैं, लेकिन वे सेनापति है। और क्योंकि यह जर्मन चरित्र है की वे हर चीज़ को अपने नियन्त्रण में रखना चाहते है तो हम आज जो पूजा करने जा रहे है उसमे पुरुष अपने मर्दाना गुणों से अपनी आत्मा का, और स्त्रियाँ अपने स्त्रियोचित गुणों से अपनी आत्मा पर प्रभुत्व करेंगे| नेतृत्व में होना मालिक होने से अलग होता है। मास्टर इसका मालिक है, एक सेनापति इसका मालिक नहीं है। उसका अपना नहीं है। वह भी खो गया है,अधिकार भी खो गया है, हम सिर्फ प्रभुत्व रखते हैं। और यही वह स्थिति है जो हमें जिस में हमें अब आ जाना है, अब गणेश स्थिति से कार्तिकेय स्थिति तक आना है। भिन्न तरीके से ।गणेश अच्छे है, वह राजा है, बहुत अच्छी तरह से सभी शक्तियों के साथ बैठे है, ठीक है? वहाँ अबोधिता है, लेकिन कार्तिकेय जो अबोधिता पर प्रभुत्व रखते है, वह आपको उस प्रभुत्व की शक्ति देता है। वह प्रभुत्व रखता है।

गुरु पूजा के बाद यह बेहतर है कि हमारे पास दूसरों का नेतृत्व करने की शक्ति होनी चाहिए और यह नेतृत्व की भावना उनकी बातों के माध्यम से, उनकी गतिशीलता के माध्यम से, उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों के माध्यम से पुरुषों में आती है; तथा महिलाओं में उनकी प्रेम शक्ति के माध्यम से, उनकी आज्ञाकारीता के माध्यम से, उनके दयालु व्यवहार, क्षमा, करुणा के माध्यम से। तो चलिए आज हम इसे विकसित करते हैं, की हम इस पर प्रभुत्व रख सकते है| इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे पास क्या है, बल्कि एक ऐसी स्थिति में है की हम इस पर प्रभुत्व रख सकते है| मुझे उम्मीद है कि आप समझ गए होंगे कि कार्तिकेय क्या हैं।

भगवान आपको आशिर्वादित करे!

तो आइए हम पूजा शुरू करते हैं।

इसे किसने बनाया? आपने बना दिया – यह गणेश?

इतनी प्यारी चीज। आप बहुत अच्छे हैं, मुझे कहना चाहिए। भगवान आपका भला करे!

एक तरफ: कुछ जर्मन लोगों को भी यह करने के लिए बुला लें ।हम जर्मनी से कुछ और लोग भी बुलाते हैं, औरतों को भी।

सहज योगी: श्री गणेश मंत्र और श्री गणेश अथर्वशीर्ष।

श्री माताजी : आइये हम अन्य महिलाओं को भी लेते हैं। जिसने गणेश को बनाया है – क्या वह भी जर्मन है? उसे भी धोना चाहिए। साथ ही जिन लोगों ने मुझे जर्मनी आने के लिए पत्र लिखा था, वे सब आकर मेरे चरण धोएं। भगवान आपको अशिर्वादित करे! भगवान आपको अशिर्वादित करे! धन्यवाद!

एक तरफ: उस एक को अंदर से बाहर निकालें। अब इसे बाहर निकालो। कोई जरूरत नहीं है।भगवान आपका भला करे!

[संपादक : कई बार ‘bless’ भगवान आपको आशीर्वाद दे! पैर धोने के दौरान, प्रलेखित नहीं किया गया है]

श्री माताजी (एक ओर, एक बच्चे का नाम करण करते हुए): वह(–) एक नाम दिया गया है? उसे? हम उसे कमला, कमला कहते हैं। कमला देवी का नाम है, ठीक है? लक्ष्मी। कमला। भगवान आपको अशिर्वादित करे!

आप का गाना थोड़ा और हो सकता है, क्योंकि दो महिलाएं और भी हैं। और गुइडो को भी अभी करना है, मेरा मतलब ह्यूगो है। ह्यूगो को यह करना है।अच्छा। बस। भगवान आपको अशिर्वादित करे!

(सहज योगी गायन) दूसरी तरफ आना। इस तरफ। अब कौन महिलाएं हैं? कुछ और महिलाएं हैं? ख़त्म हुआ? अच्छा। ज़ोर से रगड़ो। कठोर, कठिन, कठोर, कठोर, कठोर, कठिन को रगड़ो।उसी पानी का उपयोग करें। ज़ोर से रगड़ो। ज़ोर से रगड़ो। ज़ोर से रगड़ो। ज़ोर से रगड़ो। भगवान आपका भला करे। अब तुम दोनों यहाँ आ सकते हो। धन्यवाद। वे उसी पानी का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि पानी पहले से ही बहुत अधिक है।

01:04:38

श्री माताजी [योगियों को जो उनके चरण सुखा रहे हैं]: कठोर, कठोर। देखिए, विशुद्धि को थोड़ा और सुखा देना है। अभी भी और ज़ोर से।

श्री माताजी: अब हम कार्तिकेय के एक हजार नामों को कह सकते हैं।

सहज योगी: एक हजार?

श्री माताजी: नहीं, 108। [श्री माताजी हँसते-हँसते]मैंने सोचा था कि 1000 अच्छा विचार होगा, लेकिन इसे 108 होने दो। आइए देखें कि यह 108 के साथ कैसे कार्य करता है। जोर से कहो।

ग्रीगोइरे: तो, वॉरेन पहले अंग्रेजी में अर्थ पढ़ेंगे, फिर मैं संस्कृत में मंत्र कहूंगा, और कुल मिलाकर, हम कहेंगे: “ओम त्वमेव साक्षात, श्री” उदाहरण के लिए, “स्कंदाय, नमः”।

श्री माताजी: नहीं, इतने बड़े की जरूरत नहीं है।

ग्रीगोइरे: श्री स्कंदाय, नमः।

श्री माताजी: हमम।

ग्रीगोइरे: हाँ

श्री माताजी: “ओम त्वमेव साक्षात्”

ग्रीगोइरे: बहुत लंबा है?

श्री माताजी: धारुत [?]

ग्रीगोइरे: तो

वारेन: पराक्रमी दुश्मनों पर जीत

ग्रीगोइरे: स्कन्दाय

श्री माताजी: ज़ोर से, जोर से, यह स्पष्ट नहीं है।

ग्रीगोइरे: ओम श्री स्कंदाय नमः।

वारेन: पराक्रमी भगवान की स्तुति करो।

श्री माताजी: नहीं, अभी नहीं। उसे एक और एक [माइक] प्रदान करें। उसे एक और दो, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से कहा जाना चाहिए, अन्यथा इसका कोई अर्थ नहीं है।

वारेन: पराक्रमी भगवान की स्तुति करो। वह सच्चे भक्तों के दिलों में बसता है।

ग्रीगोइरे: ‘गुहाये’ ओम श्री गुहाये नमः

[ऑडियो में कट]

वारेन: स्तुति आसुरी शक्तियों पर विजेता की |

ग्रीगोइरे: रक्षोपाला विमर्धन्ये “ओम श्री रक्षोपाला विमर्धन्ये नमः” [वे कहते हैं “श्री—”]

01:06:43

01:28:55

इस 108 नामों में, यदि आपने ग़ौर किया है, तो उन्होंने दिखाया है कि कार्तिकेय अबोधिता हैं जो दाहिनी हाथ की ओर कार्य कर रहे हैं – पिंगला में। और यह भी है की – यह प्राण से बहुत संबंधित है। यह आपको प्राण देता है। प्राण वह महत्वपूर्ण श्वास है जो की हम लेते हैं – श्वास लेते हैं और श्वास छोड़ते हैं। तो यह दाईं ओर से संबंधित है। फिर यह भी अनंत काल, अनन्तरी से संबंधित है। अनंत [ अर्थात श्वास; जीवन] है|

सर्प, शेषनाग, जो विष्णु के भाई है। तो यह वह है जिसे यहां कार्तिकेय के रूप में दर्शाया गया है। उसे अनंत कहा जाता है। तो वह अग्नि है। वह वह है जो आपके भीतर उपभोग करने की क्षमता, बल – प्रज्वलित करता है| लोगों पर प्रभुत्व रखने और प्रतिभा से भरे व्यक्ति होने की क्षमता भी प्रदान करता है। तुम देखो, एक अबोध व्यक्ति बहुत प्रतिभाशाली हो सकता है। ये सभी क्षमताएँ कार्तिकेय के स्वरूप और अवस्था में व्यक्त की जाती हैं। आज, कार्तिकेय की पूजा करके, हमें यह जानना होगा कि कार्तिकेय अब हमारे भीतर जागृत हैं। और उस क्षमता से हमें लड़ना होगा।अंतत: वह निष्कलंक है। वे, वही है जो अंतिम है: इसलिए गणेश से ईसा मसीह तक निष्कलंक। ये वे, तीन चरण हैं, जिसमें अबोधिता, गणेश से कार्तिकेय, और अब ईसा मसीह और ईसा से निष्कलंक तक गई है ।निष्कलंक के रूप में वह निर्दोष है, इसलिए कोई कलंक नहीं है – उनके उपर कोई दाग नहीं है, कुछ भी नहीं। वह बिल्कुल साफ है, बेदाग है। इसके अलावा वह उग्र है, साथ ही उनके पास एकादश रुद्र के सभी गुण हैं, जिसका अर्थ है शिव के ग्यारह गुण या शक्तियाँ, जो विनाश कर सकता है। इसलिए वह बुराई को मारने और नष्ट करने की क्षमता रखता है और अपने अनुयायियों को आशीर्वाद और साहस देता है। यह अंतिम अवतार है, जिसे कल्की कहा जाता है, सामान्य शब्दों में आप इसे कल्की कहते हैं, वास्तव में निष्कलंक, है सफेद घोड़े पर। तो यह कार्तिकेय है जो सफेद घोड़े पर बैठता है। तो अब आपके भीतर कितनी अबोधिता पनप रही है, कार्तिकेय के स्तर की| यह आज इस भूमि पर किया गया है, जैसा कि आप इसे कहते हैं, Deutschland, जहां की कार्तिकेय को आपके भीतर उत्पन्न,जागृत होना है। भगवान आपको अशिर्वादित करें|

01:32:23

ग्रीगोइरे: बोलो श्री कार्तिकेय निर्मला साक्षात श्री आदि शक्ति माताजी श्री निर्मला देवी की – जय! श्री निर्मला देवी की – जय! श्री निर्मला देवी की – जय!

श्री माताजी: अब आप चाहें तो कुछ गाने गा सकते हैं या आप चाहे तो कह सकते हैं, “या देवी सर्व भूतेषु” कह सकते हैं। मैं चाहूंगी कि यहां महिलाएं, सात विवाहित महिलाएं जो सिर्फ मेरी मदद करें। पहले हमारी छोटी लड़कियाँ हैं, अगर यहाँ हैं तो छोटी लड़कियों को आना होगा।

श्री माताजी एक युवा लड़के से: थोड़ी देर बाद, जब तुम मुझे माला पहनाओगे – ठीक है?

अब लड़कियों को आना है, लड़कियों को। लडकियां कहाँ हैं? सभी लड़कियों को सामने आना होगा। अन्य सभी लड़कियां कौन हैं जो यहां हैं? ठीक है, चलो। ठीक है, साथ आओ। तुम भी साथ आओ, तुम दोनों। ठीक है। तुम भी आओ, तुम दोनों। बैठो, बैठो।अगर कोई अविवाहित लड़की, बड़ी अविवाहित लड़की है, तो कृपया आइए। कोई है जिसकी अभी शादी नहीं हुई है। कोई भी । हाँ आओ। यह एक निकालें, मुझे लगता है। इसे हटाने के लिए किसी से कहें। इन तौलिए को भी हटा दें।

अब, वह शर्मिंदा कहां गया? या एवलीन, कोई भी। मैगी?

[श्री माताजी कुमकुम के बारे में बात करती हैं]

ग्रीगोइरे: तो हम पुस्तिका लेते हैं, यह नीला, पृष्ठ 8।

[पानी के बारे में श्री माताजी बोलती हैं] साथ चलो। यहाँ बैठ जाओ। उसे खेलने दो।

ग्रीगोइरे: श्री माताजी, हम देवी की स्तुति गाते हैं, इससे पहले हम आपको प्रभु की प्रार्थना का संशोधित संस्करण पढ़ना चाहते हैं :

अवर मदर हु आर्ट इन अवर हार्ट्स

हैलोड बी दाय नेम

दाई किंगडम कम

दाई विल बी डन

ऑन अर्थ एज इट इज इन हेवन

गिव उस दिस डे

दाय डिवाईन वाईब्रेशनस

एंड फारगीव अस अवर ट्रेसपासेस

एस वी फारगीव दोज

हु ट्रेसपास अगेनस्ट अस

एंड लीड आस नॉट इनटू माया

बट डिलीवर अस फ्रॉम एव्हिल

फॉर दाइन इज दी फादर

द चिल्ड्रन एंड दी ग्लोरी

फॉर एवर एंड एवर

आमीन।

श्री माताजी: बहुत मीठा।[हँसी]

श्री माताजी निर्मला देवी|