Public Program कोलकाता (भारत)
1986-10-12 Calcutta Public Program (Hindi) और आप सबसे मेरी विनती है, कि जो लोग परमात्मा की खोज में भटक रहे हैं, उन्हें भी पहले संगीत का आश्रय लेना पड़ेगा – उसके बगैर काम नहीं बनने वाला। क्योंकि अपने भारतीय संगीत की विशेषता यह है कि यह अत्यंत तपस्विता से और मेहनत से ही मिलती है। उसकी गंभीरता, उसकी उड़ान, उसका फैलाव, उसकी गहराई, उसकी नज़ाकत, सब चीज़ों में परमात्मा के दर्शन मनुष्य को हो सकते हैं। और सारा ही संगीत उस ओम(ॐ) से निकला है, जिसे लोग रूह के नाम से जानते हैं। इसलिए, जब इस संगीत से मनुष्य तल्लीन हो जाता है, उसके लिए आसान है कि वो परमात्मा को पाए। शायद आपको मेरी बात कुछ काव्यमय लगे और कुछ यथार्थ से दूर प्रतीत हो, शायद ऐसा अहसास हो कि मैं कोई बात को इस तरह से कह रही हूँ, जैसे कि संगीत कलाकारों को आनंद आये, किन्तु यह बात सच नहीं है। अपने अंदर भी सात चक्र हैं और सब मिला कर के बारह चक्र हैं, उसी प्रकार संगीत में भी सात स्वर और पांच और स्वर मिला कर के पूरा एक स्केल बन जाता है। हमारे चक्रों में जब कुण्डलिनी गति करती है, और जो स्वर उठाती है, वही स्वर हमारे संगीत में माने गए हैं। हमारा भारतीय संगीत बड़े दृष्टों ने, ऋषियों ने, मुनियों ने पाया हुआ है। वह चाहे किसी भी धर्म के रहे हों, वह किसी भी देश के हिस्से में पैदा हुए हों, उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम वह कहीं भी उनका जन्म हुआ Read More …