Makar Sankranti Puja (भारत)
Makar Sankranti Puja 14th January 1987 Date: Place Rahuri Type Puja [Hindi translation from Marathi talk] आज का दिन बहुत शुभ है और इस दिन हम लोगों को तिल-गुड़ देकर मीठा-मीठा बोलने को कहते हैं। हम दूसरों को तो कह देते हैं, पर खुद को भी कहें तो अच्छा होगा। क्योंकि दूसरों को कहना बहुत आसान होता है। यह प्रतीत होता है कि – आप तो मीठा बोलें और हम कड़वा – इस तरह की प्रवृत्ति से कोई भी मीठा नहीं बोलता। कहीं भी जाओ , वहाँ चिल्लाने का कोई कारण न होने पर भी, चिल्लाने के अलावा लोगों को बात करना आता ही नहीं है। उसका कारण यह है कि हमने खुद के बारे में कुछ कल्पना की हुई है। हमें परमात्मा के आशीर्वाद की तनिक भी कल्पना नहीं है। इस देश में परमात्मा ने हमें कितना बडा आशीर्वाद दिया है। देखो, इस देश में स्वच्छता का कोई विचार ही नहीं है। इस देश में तरह-तरह के कीटाणु, तरह पैरासाइटस् अपने देश में हैं। जो कही भी नहीं मिलेगा वह अपने देश में हैं। दूसरे देशों में यहाँ के कुछ पैरासाइटस् जाएं तो वे मर जाते हैं। वहाँ की ठंड में वो रह ही नहीं सकते। सूर्य की कृपा से इतने पैरासाइटस् इस देश में है और उनको मात देकर हम कैसे जिंदा हैं । एक वैज्ञानिक ने मुझसे पूछा कि, ‘अपने इंडिया में लोग जीवित कैसे रहते हैं? मैंने कहा, जीवित ही नहीं रहते, हँसते- खेलते भी रहते हैं, आनंद में रहते हैं, सुख में रहते हैं । Read More …