Being Bandhamukta – A free personality and Evening Program

Ganapatipule (भारत)

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                गणपतिपुले संगोष्ठी, भारत यात्रा

 गणपतिपुले (भारत), 5 जनवरी 1988।

कल के कार्यक्रम से, और इन सभी दिनों में, आपने महसूस किया होगा कि अपनी कुंडलिनी को कार्यान्वित करने के लिए, उसकी आरोहण सहस्रार की ओर  लाने के लिए और अपनी सुषुम्ना नाडी को चौड़ा करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि आप तीन से पांच घंटे ध्यान के लिए बैठें। बेशक, आपको थोड़े समय के लिए ध्यान करना चाहिए क्योंकि केवल उस दौरान ही  है जहां आप अकेले हैं, अपने ईश्वर के साथ एकाकार हैं। लेकिन अन्यथा सामूहिक में, जब आप इसमें विलीन हो जाते हैं, तो कुंडलिनी समान रूप से उठती है। जो होता है उसे समझने का यह एक बहुत ही विवेकपूर्ण तरीका है। सामूहिकता में जब आप होते हैं, तो आप एक-दूसरे की भरपाई करते हैं, एक-दूसरे के पूरक होते हैं, और ब्रह्मांड का एक सूक्ष्म पक्ष आप में प्रकट होने लगता है। फिर यदि आप वास्तव में घुल सकते हैं तो संस्कृत भाषा में ‘विलय’ शब्द है या मराठी भाषा में ‘रमना’ बहुत अच्छा है। मुझे नहीं लगता कि “आनंद के साथ विलय” लेकिन देखिये, कोई ‘साथ’ नहीं है, आनंद में विलीन हो जाते हैं। तो अगर आप किसी चीज के आनंद में विलीन हो सकते हैं जो कि सहज है तो आप एक ध्यानमय व्यक्तित्व बन सकते हैं, आप अपने भीतर उस ध्यानमय रवैये को प्राप्त कर सकते हैं। उस रवैये के साथ, उस बल के साथ, आपके भीतर नए सूक्ष्म आयाम प्रस्फुटित होने लगते हैं। आपकी अलग-अलग तरह की संस्कारबद्धता जो बेड़ियों की तरह हैं, आपको बांध कर रखती हैं, बस खुल जाती हैं और आप एक स्वतंत्र व्यक्ति बन जाते हैं – बंध मुक्त। उस बल से सब कुछ टूट जाता है: तुम्हारा अहंकार टूट जाता है, तुम्हारी संस्कारबद्धता टूट जाती है और तुम जीवन के आनंद, दिव्य जीवन के साथ एकाकर हो जाते हो।

इसे आप अनुभव कर सकते हैं, लेकिन इसे अपने भीतर बनाए रखना तभी संभव होता है जब आप सहज योग में अपना अभ्यास करते हैं। अपने चित्त को नियंत्रित करने के लिए, उच्च मूल्यों पर, उच्च चीजों पर अपना चित्त रखने के लिए, आइए जाने कि किस प्रकार हम उस निम्न मूल्य प्रणाली में प्रवेश कर जाते हैं, जिसे सामान्यतया बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

सबसे  पहला, आधुनिक समय में, चेतना घड़ी के  मामले में है। जैसे, “क्या टाइम हो रहा है?” “हमें कितने बजे पहुंचना है?” “हे भगवान, हम इसे कब शुरू करने जा रहे हैं?” “हम कितने बजे सोने जा रहे हैं?” अब तुमने अनुभव किया है कि कल हम लगभग छह बजे घर गए थे और हम छह बजे सोये, अगर वाकई हम सोये थे।  मुझे लगता है, आप दो बजे तक काफी थके हुए थे, फिर वह ‘गोंधडी’ व्यवसाय [भजन, “मातेची गोंधडी”] शुरू हुआ और मुझे कहना होगा कि,  आपने फिर से पूरे क्रम को एक बड़े उत्साह के साथ  जीवंत कर दिया, । [हँसी]

तो, उस समय, वे लोग, जिन्होंने अपनी गरिमा को बनाए रखने की कोशिश की और इससे अलग ही रहने की कोशिश की, वे अभी भी अपनी कंडीशनिंग को बना कर रख रहे हैं। मान लीजिए, उदाहरण के लिए: कि कोई व्यक्ति है जो राज्यपाल है,  एक काफी स्वस्थ, युवा वह नृत्य कर सकता है। मेरा मतलब है, बूढ़े लोगों को यह सब करने की ज़रूरत नहीं है लेकिन कम से कम वे कंडीशनिंग की बाधाओं पर बहुत अच्छी तरह से विजय प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन ऐसा व्यक्ति सोचने लगता है, “ये क्या हो रहा है?” और “ओह, यह बकवास है, मैं इसमें कैसे शामिल हो सकता हूं?” यह कभी-कभी बहुत देहाती प्रतीत होता है। कुछ ऐसा दिखता है जो बहुत ही सभ्य, शालीन, वाल्ट्ज की तरह नहीं हो, लेकिन बेहद स्वाभाविक और बच्चों जैसा, मासूम है।

 जो अभी भी बाधा में हैं आप आसानी से उन लोगों को पहचान सकते हैं। उन्हें “जय माताजी!” ऐसा कहना भी मुश्किल लगता है,  ऐसे लोग आज भी सांसारिक जीवन की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं। तब वे हर समय, घड़ी को देखते हुए, “समय क्या है?” और फिर से सिरदर्द का शिकार होना। इस दौरान यह महसूस करते हुए कि बहुत देर हो चुकी है, कभी भी घड़ी नहीं देखना चाहिए क्योंकि देखते ही सिर में दर्द हो जाएगा!  आप देखिये। और आप कहते हैं, “हे भगवान, चार बजे हैं हम अभी भी यहाँ हैं!” [हँसी]।

इसलिए, हमारे पास कोई घड़ियां न हों यह हम सभी के लिए यह महत्वपूर्ण है और यदि आपके पास हैं भी, तो आप उन्हें न देखें, या यहां तक ​​कि यदि आप उन्हें देखें, तो उन्हें रूक जाना चाहिए! [हँसी]। तो, आप समय से परे चले जाते हैं। आप समय से परे जाते हैं। आप समय को महसूस नहीं करते हैं, आपको समय की थकान महसूस नहीं होती है और आप बस अपने उस  व्यक्तित्व को भूल जाते हैं, जो हर समय घड़ी से बंधा रहता है।

अब। फिर दूसरी बात यह है कि,  हम इतनी बातें करते हैं, “ओह हमारा कोई धर्म नहीं होना चाहिए, कोई जाति नहीं, कोई पाती नहीं।” जैसा कि हम, विशेष रूप से भारतीय लोग कहते हैं, हम सभी, “हमारे पास कोई जाति व्यवस्था नहीं होनी चाहिए,” । “जाति व्यवस्था अभिशाप है।” लोग ऐसे ही बात करेंगे और जब बात अपनी ही बेटियों की शादी की होगी तो वे अपनी जाति से आगे नहीं जाएंगे! “जाति व्यवस्था खराब है।” “आपका धर्म बुरा है, यह बुरा है, वह बुरा है,” लेकिन जब धर्म की वास्तविक समझ की बात आती है तो आप आसानी से उन्हें सतह के नीचे से कुरेद कर पता लगा सकते हैं कि वे कहां से पहचाने जाते हैं।

सबसे बुरी स्थिति तथाकथित धर्मों की है! और इसे पूरी तरह से तोड़ना होगा क्योंकि वे सभी झूठे हैं, लेकिन किसी ठोस चीज पर आधारित हैं। मान लीजिए कि आपके पास एक बहुत ही ठोस नींव है, उस पर आप ताश के पत्तों का एक घर बनाते हैं, जैसा कि वे कहते हैं। यह कब तक चलने वाला है? यदि आप नींव में जायें तो आप पाएंगे कि सभी नींव समान हैं लेकिन ताश का यह पैकेट अलग है। और मनुष्य के लिए यही सबसे बड़ा भ्रम हैं जो हम हर दिन, हर धर्म में, हर देश में, हर जाति में देख रहे हैं। लेकिन फिर भी हम किसी बेतुकी बात से डरते हैं, कुछ ऐतिहासिक या मुझे नहीं पता कि क्या। हम इसे छोड़ना नहीं चाहते हैं।

यह एक और बहुत बड़ी बाध्यकारी शक्ति है जो बहुत घटिया श्रेणी के जीवन के लिए जवाबदार है। मेरा मतलब है, एक  ही जाति के दो लोग जब आपस में मिलते हैं, वही लोग, वे कैसे बात करते हैं? “ओह! तो, तुम उसी जाति के हो?” वह कहता है, “हां मैं हूं।” “तो आप इस आदमी को जानते होंगे,” “हाँ, हाँ। वह मेरे पिता का है, भाई का अमुक -अमुक है, यह बात है, यह बात है।” मराठी में, वे “सखा” कहेंगे। “शाक्यतला शाखा”। “मंजे काई?” [मराठी, “मतलब क्या?”]। उस तरह। “ओह, तो, आप चचेरे भाई की, बहन के, यह बात, वह चीज़, सगे पति हो!” [हँसी]

और इतनी भयानक बातचीत! मुझे नहीं पता, वे कई-कई घंटों चलती हैं। और फिर मुझे नहीं पता कि इसमें क्या संतुष्टि है। फिर अंततः, उन्हें कभी-कभी, या अधिकतर, पता चलता है कि वे दोनों एक डकैत (सशस्त्र चोर) या एक ठग या किसी प्रकार के दिवालिया या किसी प्रकार के भयानक व्यक्ति से संबंधित हैं। और वहाँ वे पीछे हट जाते हैं। फिर वे कोई रिश्ता प्रदर्शित करना नहीं चाहते।

तो, इस तरह की बेतुकी बातें, उदाहरण के लिए, यदि महिलाएं मिलती हैं, “ओह,” वे कहेंगी, “आपने यह साड़ी कहाँ से खरीदी?” “मैंने इसे वहां खरीदा था।” “ओह, मैं वहाँ गयी थी। आपने कितना भुगतान किया?” उसने कहा, “यह [बहुत ज्यादा ]” समय की इस तरह की बर्बादी चलती रहती है और आगे और आगे और आगे बढ़ती है। जीवन मूल्य की इतनी घटिया समझ में पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है।

तब फिर वे दूसरों की बुराई करेंगे, ऐसा करना – मेरा मतलब है कि तुम उस पर सारी गंदगी जमा कर सकते हो। यह कुछ ऐसा है जैसे मृत चीज़ों में 

 फंगस का बढ़ना हो।  थोड़ी सी गर्मी के साथ, कवक बढ़ने लगता है, उत्परिवर्तन होता है, और फंगस फिर आक्रामक हो जाता है, कैंसर हो सकता है, यह, वह। उसी तरह, यह सारा  घटिया श्रेणी का जीवन शुरू होता है। तब यह निम्न-श्रेणी का जीवन राजनीति, अर्थशास्त्र, हर जगह जीवन के हर क्षेत्र में फैल सकता है, क्योंकि यह प्लास्टिक की तरह है। प्लास्टिक कपड़े में प्रवेश कर सकता है, पेड़ों में मिल सकता है, हर चीज में मिल सकता है। उसी तरह यह भयानक निम्न-श्रेणी का सोच -विचार इन विभिन्न चीजों में चला जाता है और एक व्यक्ति इस अंतर्निहित प्लास्टिक बंधनों से ऊपर नहीं उठ सकता है।

इस समय जब हमारे पास इस तरह के कार्यक्रम होते हैं, ऐसा सब कुछ टूट कर बिखर जाता है और आप वास्तव में परमात्मा के प्रेम में घुल जाते हैं। और भी बहुत सी सांसारिक चीजें हैं यदि आप देखें कि लोग कैसे बात करते हैं, कैसे मजाक करते हैं और वह सब।आप सोचेंगे कि यह सब गंदगी आपके चारों ओर से जा रही है। धीरे-धीरे आप खुद इससे धीरे-धीरे दूर होते जाएंगे। इस तरह आप इस आनंद को अपने भीतर बनाए रखने के लिए खुद को तैयार करते हैं।

अब हम अपने दौरों के अंत में आ रहे हैं और जब आप अपने देशों में जा रहे होंगे तो आपको खुद देखना होगा कि आसपास क्या हो रहा है और बस हंसें और इससे बाहर निकलें। आपको गणपतिपुले के उन खूबसूरत दिनों को याद करना होगा और आपको उस मनोदशा में आना होगा और जानना होगा कि आप परमात्मा के राज्य के हैं। मुझे पता है कि हमारे पास बात करने के लिए बहुत कम समय था लेकिन संगीत और भी बेहतर था। मैं संगीत के माध्यम से आपसे बेहतर संवाद कर सकी थी। मैं हर समय आप पर काम कर रही हूं लेकिन फिर भी कुछ लोग ऐसे हैं जो फंस गए हैं। मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि जिन नेताओं को पता चले कि उनके समूहों में कोई ग्रसित हुआ है – कृपया उन्हें पूजा के लिए न बुलाएं। अगर आपको लगता है कि वे ठीक नहीं हैं तो उन्हें पीछे रख देना चाहिए। और उन्हें भी बुरा नहीं मानना ​​चाहिए क्योंकि अगर वे पूजा में नहीं आएंगे तो इससे उनकी ज्यादा मदद होगी।

तो, कल हमारी पूजा के लिए बहुत अच्छा दिन होने जा रहा है। मुझे आशा है कि आप सभी के लिए यहां आना और बैठना सुविधाजनक होगा। मुझे लगता है कि कल पूजा में आने से पहले न ज्यादा बात करें और न ही ज्यादा चर्चा करें। मुझे लगता है कि आपने आज पर्याप्त चर्चा की होगी और कुछ निष्कर्ष पर पहुंचे होंगे। मैं जानना चाहूंगी कि क्या कुछ सवालों के जवाब नहीं मिले। अगर कोई है- मैं अभी उनका जवाब देना चाहूंगी और उसके बाद हम अपना कार्यक्रम शुरू करेंगे। लगभग पाँच मिनट के लिए, उत्तर देने के लिए पर्याप्त हैं।

सारे सवालों के जवाब मिल गए? क्या कोई ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर नहीं दिया गया? कृपया खड़े हो जाओ, मैं नहीं देख पा रही कि कोई है या नहीं। ओ ओ! हे सहज! सहज लोगों के पास कोई सवाल नहीं है। उन्हें सिर्फ जवाब देना है।