Sahasrara Puja, How it was decided

(Italy)

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[Hindi translation from English]

                     सहस्रार पूजा

                                   “यह कैसे तय किया गया”

फ्रीगीन (इटली), 8 मई 1988

 यदि आप वह पहला दिन जिस दिन सहस्रार खोला गया था की भी गणना करते हैं तो, आज उन्नीसवां सहस्रार दिवस है। मुझे आपको सहस्रार दिवस के बारे में कहानी बतानी है, जिसके बारे में यह निर्णय बहुत समय पहले, मेरे अवतार लेने के भी पूर्व 

 लिया गया था। स्वर्ग में उनकी एक बड़ी बैठक हुई, सभी पैंतीस करोड़ देवता वहां तय करने के लिए मौजूद थे कि क्या किया जाना है। यह परम है जो हमें मनुष्यों को करना है, उनके सहस्रार को खोलने के लिए, आत्मा के प्रति उनकी जागरूकता को खोलने के लिए, परमात्मा के वास्तविक ज्ञान के लिए, अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए, और यह अनायास होना था क्योंकि वह परमेश्वर की जीवंत शक्ति  का काम करना था। साथ ही यह बहुत जल्दी होना था।

तो सभी देवताओं ने निवेदन किया कि अब मुझे, आदि शक्ति को जन्म लेना है। उन सभी ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। उन्होंने जो भी संभव था, किया;  उनके द्वारा संत बनाए गए थे, लेकिन बहुत कम। उन्होंने अवतार लिये और लोगों ने उनमें से धर्मों को बनाया जो विकृत थे और उनका नाम ख़राब किया।

उन धर्मों में कोई वास्तविकता नहीं। ये धर्म धन उन्मुख या शक्ति उन्मुख थे।  दैवीय शक्ति कोई काम नहीं कर रही थी, वास्तव में यह सब दैव विरोधी कार्य था।

अब मानव को इन सतही धर्मों, विनाश के इन विकृत रास्तों से दूर कैसे करें? इन सभी स्थापित संगठनों के बारे में उन्हें कैसे बताया जाए? सदियों से वे शासन कर रहे हैं, पैसा कमा रहे हैं, सत्ता बना रहे हैं। यह एक जबरदस्त काम था, इसे बहुत धैर्य और प्रेम के साथ किया जाना था। यह एक बहुत ही नाजुक काम भी था, क्योंकि वे निर्दोष लोग, साधारण लोग उन धर्मों,  पर विश्वास करते थे। उन पर ऐसा धमाका करना कि यह सब बकवास है, ये कोई धर्म नहीं हैं, वे सभी संतों के, सभी नबियों के, अवतारों के खिलाफ हैं। इसलिए सभी वास्तविक संतों को नुकसान उठाना पड़ा। यह एक शक्तिशाली कार्य है जिसे किया जाना था, और इसीलिए आदि शक्ति को इस धरती पर जन्म लेना पड़ा।

यह मई के छठे से पहले होना था क्योंकि उस वर्ष मई का छठा दिन प्रलयकाल था। यह ठीक अंतिम समय में पाँच मई को किया गया था। यह सब पहले से तय किया गया था, और प्रत्येक देवता की जवाबदारी उन सभी को आवंटित की गई थी। बहुत कुशल देवता, बहुत आज्ञाकारी, वे मुझे बहुत अच्छी तरह से जानते थे, पूरी तरह से समर्पित और श्रद्धालु। वे मुझे बहुत अच्छे से जानते थे, मेरे बालों का हर सिरा वे जानते थे। मुझे उन्हें प्रोटोकॉल नहीं सिखाना था, प्रेम ही आपको प्रोटोकॉल देता है, लेकिन जो दिव्य प्रेम है; यह स्वार्थी प्रेम नहीं है। यह वैसा प्रेम नहीं है जैसा की हम प्यार करते हैं, मेरा बच्चा, मेरा पति, मेरा देश, मेरे कपड़े, यह वह प्रेम है जो दिव्य है, जो आपके दिल से, आपकी आत्मा से, ज्ञान के प्रकाश की तरह फैलता है। यह कितना जबरदस्त काम था।

तो मैंने कहा सहस्रार में मुझे महामाया बनना होगा। मुझे महामाया बनना था। मुझे कुछ ऐसा करना पड़ा, ताकि लोग मुझे आसानी से पहचान न सकें। लेकिन देवता? नहीं, इस महामाया को इस धरती पर आना था ना कि अपने शुद्ध रूप में आदि शक्ति को ,जो कि बहुत ज्यादा होता। इसलिए वह इस महामाया से आच्छादित थी।

अब आप देखिए, उन्नीस वर्षों में हमने क्या हासिल किया है। इतने योगी मेरे सामने बैठे हैं। संत और योगी के बीच अंतर यह है कि संत स्वयं धर्मी होते हैं, स्वयं पवित्र होते हैं, लेकिन वे कुंडलिनी के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। लेकिन योगी कुंडलिनी के बारे में जानता है। एक योगी और सहज योगी, के बीच अंतर यह है कि एक सहज योगी के पास शक्तियां हैं, सहज योगिनी के पास दूसरों को बोध देने की शक्तियां हैं। एक योगी खुद को शुद्ध कर सकता है लेकिन वह दूसरों को शुद्ध नहीं कर सकता है, जबकि एक सहज योगी दूसरों को शुद्ध कर सकता है और खुद को भी शुद्ध कर सकता है।

इसलिए मुझे कहना चाहिए, यह सबसे श्रेष्ठ स्थिति है, जिसे आपने अपने बड़े पुण्य के माध्यम से हासिल किया है। आप में से बहुत से लोग पिछले जन्मों में सत्य की खोज करते रहे हैं, और अब यहाँ आपको वह हासिल करना है जो आप खोजते रहे हैं। अब वह सब इतनी खूबसूरती से,हो गया है। तुम्हें पता भी नहीं है कि तुम्हें क्या हो गया है। स्वचालित रूप से, एक क्षण में, अनायास आपको अपने मध्य तंत्रिका तंत्र में शक्तियां प्राप्त हुई है।अब आपका चित्त स्थिर किया गया है।

बेशक अब भी कुछ लोगों के पास नहीं है। अब भी चित्त में डोलता है। लेकिन आप में से कई लोगों ने उस स्थिति को प्राप्त किया है जैसा कि हम कह रहे थे, शिवोहम, शिवोहम, शिवोहम। आपको यह मिल गया। आदि शंकराचार्य ने अपने बारे में जो वर्णन किया है, आप सभी के बारे में ऐसा कहा जा सकता है। मेरे सामने इतने आदि शंकराचार्य बैठे हैं!

लेकिन फिर भी मैं महामाया हूं। मैं सिर्फ आपके जैसा व्यवहार करती हूं, मेरा भी एक परिवार है, मेरे भी बच्चे हैं, जिन्हें मेरा कहा जा सकता है और आप भी मेरे बच्चे हैं। इसलिए जब आप परिपक्व होते हैं तो पहला संकेत यह होता है कि आप विवेकवान होते है।  फिर से,वह दिव्य विवेक प्रेम है। लेकिन मैं लोगों को लड़खड़ाता देखती हूं। वे यह कहते हुए विचार नहीं करते कि, माँ, मेरा आज्ञा चक्र पकड़ रहा है। ’क्यों? आप इसे साफ़ करना जानते हैं। आप जानते हैं कि इसके बारे में क्या करना है। आप इसे साफ़ क्यों नहीं करते? आप  क्यों नहीं इसे ठीक करते? बात क्या है? माया।

पहले परिवार की समस्या शुरू होती है, मेरी पत्नी, मेरी माँ, मेरे भाई, मेरे पति, मेरे बच्चे,  ठीक है! वह माया है। इससे आप डूब जाते हैं। फिर से आपको बाहर लाया जाता है। तब यह माया सूक्ष्म और सूक्ष्मतर बन जाती है।

 सब लोग जानते हैं ;परिवार की स्थिति में सुधार होता है। लेकिन कई लोग लड़खड़ा जाते हैं, कई लोग उनकी एक बुरी पत्नी या एक बुरा पति होने के कारण सहज योग से निकल जाते हैं। तुम्हें उत्थान अकेले ही पाना होगा। आपको दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। और जो तुम्हें उत्थान पाने नहीं देते, उन्हें फेंकना पड़ता है।

आपके, उच्च और उच्चतर उत्थान से अधिक महत्वपूर्ण अन्य कुछ भी नहीं है, क्योंकि इसका एक बहुत बड़ा, दिव्य उद्देश्य है। अंतिम चरमोत्कर्ष जहाँ आपके प्रयासों से पूरी मानवता को बचाया जाना है। आपको इसे कार्यान्वित करना होगा। और इस स्थिति में हम हजार पंखुड़ियों को देखते हैं। ये तुम्हारे भीतर विराट की शक्तियां हैं। और यहीं पर हम डगमगा जाते हैं – कि सहस्रार का प्रकाश ब्रह्मरंध्र है, जो तुम्हारा हृदय चक्र है।

अब हृदय चक्र को भी बहुत गलत समझा जा सकता है। और आपकी परीक्षा के लिए,  यह गलतफहमी हमेशा  महामाया से आती है। जैसे हमने कहा है कि हमें एक परिवार रखना है। हमारे पास अच्छे परिवार होने चाहिए, हमारे अच्छे बच्चे होंगे। तुरंत महामाया कार्य करती हैं। हम पति की चिंता करने लगते हैं, परिवार की चिंता करने लगते हैं। आपका परिवार “हम” होना चाहिए। संस्कृत में कहावत है “उदार चरितानाम वसुधैव कुटुम्बकम ” – जो संत चरित्र के होते हैं उनके लिए, पूरी दुनिया उनका परिवार होती है।

आप एक व्यक्तिगत परिवार के बारे में चिंता इसलिए करते हैं ताकि सामूहिक परिवार मजबूत हो। व्यक्तिगत परिवारों के बारे में इस तरह से परवाह न करें कि सामूहिकता पीड़ित हो जाए। और अगर कोई ऐसा परिवारिक बंधन है, तो उसे निकाल फेंक देना बेहतर है। आपको त्याग करना होगा। यह कोई बलिदान नहीं है बल्कि, यह केवल बीमारी से छुटकारा दिलाना है। तो हम अपना समय “अपने ” बच्चों के साथ, “अपने “परिवार के साथ बर्बाद करते हैं, जो कि बहुत छोटा है। तब विभिन्न क्षेत्रों में स्थिति बदल जाती है जो दया, प्रेम और स्नेह है।

हम मानते हैं कि हमें सहज योगियों से प्यार करना होगा। मैंने किसी को दूर जाने के लिए कह दिया क्योंकि उसे एक बीमारी थी और उसने मुझ से झूठ कहा था। तो एक नकारात्मक व्यक्ति का ध्यान उस पर अधिक जाएगा और वह अन्य सहज योगियों की तुलना में उस व्यक्ति की अधिक देखभाल करने की कोशिश करेगा।

क्या आप में मुझसे भी ज्यादा दया और प्यार है? लोग जो सहज योग के बाहर हैं उनकी तरफ आप क्यों आकर्षित होते हैं ? आप ऐसे लोगों के प्रति सहानुभूति क्यों रखते हैं। आप यहाँ दलितों, गरीबों, तथाकथित पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए नहीं हैं। नहीं, आप अवतार नहीं हैं। आप यहां उन महिलाओं की मदद करने के लिए नहीं हैं जो हर समय रो रही हैं, और ना ही उन बच्चों की मदद करने के लिए जिन्हें अपने माता-पिता से अलग होना पड़ा। यह एक अस्पताल है जिसमें हम हैं। हम सभी सुधर रहे हैं। क्या आपने कभी सूना है की कोई मरीज जा कर और दूसरे मरीजों की मदद कर सका है? यह तो डॉक्टरों हैं, जिन्हें यह काम करना है।

लेकिन शुरुआत में सहज योगी हमेशा, इस तरह की अपील के शिकार होते थे, जैसे कि एक बुरा सेब है, और कई अच्छे सेब हैं। अच्छे सेब खराब सेब को कैसे सुधार सकते हैं,  क्या वे ऐसा कर सकते हैं? यहां तक ​​कि अगर आप उस खराब सेब के ऊपर बीस हजार अच्छे सेब भी डाल देते हैं, तो भी यह एक ख़राब सेब अन्य सभी को खराब कर देगा। यह आप का कार्य नहीं है, यह भगवान का कार्य है। आप केवल एक चीज कर सकते हैं वह यह है कि, उस व्यक्ति को यह प्रदर्शित कर के सामूहिकता में खींचें कि आप गलत हैं, आप गलत हैं, आप गलत हैं और आपको ठीक होना है। लेकिन, मुझे नहीं पता कि ये विचार कहाँ से रेंग कर घुस आये हैं कि, इस दुनिया में बुराई जैसा कुछ नहीं है। इस दुनिया में बुरा जैसा कुछ नहीं है। ‘

बुराई है, कुछ बुरा है। और, यदि आपके वायब्रेशन सही हैं, तो आपका विवेक सही है तो, आप जान सकते हैं, इसे आप तुरंत जान जाएंगे। तो अपनी ऊर्जा को आप उन लोगों को सुधार करने में बर्बाद करते हैं जो कभी भी ठीक नहीं हो सकते, और यह भूल जाते हैं कि आपने उस व्यक्ति को ठीक नहीं किया है, इसके विपरीत आप भ्रष्ट हो जाते हैं। इसका मतलब है कि आप अभी तक पर्याप्त परिपक्व नहीं हैं।

सहस्रार को खोलने में मैंने कभी भी कुछ भी बाकी नहीं छोड़ा, यह एक अचूक काम है। आपकी नसों को चोट नहीं पहुंची है। आपका मस्तिष्क आहत नहीं है। ऐसी शक्तिशाली कुंडलिनी उभर आयी है। कितनी मधुरता से, खूबसूरती से, नाजुक रूप से वह भेदती है। केवल एक धागा निकल आता है। और फिर कनेक्शन कैसे स्थापित किया जाता है और अनुकम्पी नाडी पर शिथिलता आना शुरू होने लगती है।

कितनी खूबसूरती से सभी चक्र खुलते हैं और इनमें से अधिक रेशे आ रहे हैं। अब आपको यह भी बताया गया है कि इसे कैसे कार्यान्वित करना है। आप सभी तकनीकी ज्ञान जानते हैं कि कैसे।

लेकिन आप जो नहीं जानते हैं वह यह है कि आप अभी तक एक आदर्श मशीन नहीं हैं। आपको अपने आप को परिपूर्ण करना होगा; इसके अलावा एक महामाया है वह आपको हलके में नहीं लेती है,ये भी एक परेशानी है। वह आपको जानबूझकर प्रलोभनों में डालती है। जानबूझकर वह आपको पद देती है। अब नेता, विश्व नेता, ब्रह्मांड के नेता।  पहले आप एक पूंछ, फिर एक सींग विकसित कर लेते हैं, और फिर सहस्रार से भी कुछ निकलने लगता है। एक विदूषक की तरह दीखते हो | आपको परखने के लिए वह आप की शादी अजीब लोग से भी कर सकती है। ऐसी परीक्षा लेना पड़ती है। यह  महामाया का एक काम है कि, उसे आपको परखना होगा।

सोने का परीक्षण करना पड़ता है। हीरे को परखना पड़ता है। जो कुछ भी मूल्यवान है उसका परीक्षण करना पड़ता है। उसके बिना आप कैसे प्रमाणित कर सकते हैं? यह कोई चर्च में जाने जैसा नहीं है की, कोई आपके सिर पर पानी डाल देता है, बस ठीक है, अब आप का बपतिस्मा हो गया, समाप्त, अब आप चुन लिए गए हैं। कुछ ही समय में पानी वाष्पित हो जाएगा। और जब तुम भगवान के पास जाओगे तो वह कहेगें? ‘तुमने बपतिस्मा कैसे लिया ? ’,’ पानी से’, कहाँ है पानी? मुझे दिखाई नहीं दे रहा।‘ ‘इसलिए इन सभी बातों को सही परिप्रेक्ष्य में समझना चाहिए। वे हमारे उत्थान, हमारी भलाई के लिए हैं । हमारी उच्च अवस्था के लिए। लेकिन, आपको पता होना चाहिए, इसके लिए हमें अपनी पूरी इच्छाशक्ति को ठीक करना होगा। जब लोग चढाई करते हैं जैसे की,  हिमालय। वो क्या करते हैं? वे एक बड़ी कील को एक उच्च बिंदु पर ठोंक देते हैं, फिर एक रस्सी को उस पर बांधते हैं और उस तक चढ़ते हैं। वे नीचे नहीं देखते हैं। फिर वहाँ एक और कील लगाते हैं,फिर उस पर चढ़ते हैं। और इस तरह वे हिमालय पर चढ़ते हैं।

अब  सहज योग में हम क्या करते हैं, हम सब से ऊपर से एक कील लेते हैं, इसे नीचे की ओर रखते हैं। पहले दिन जब आपको बोध मिलता है तो अनुभव जबरदस्त होता है। और एक के बाद एक नीचे आते हुए, दूसरे ही तरीके से। लेकिन जैसे ही आपको आत्मसाक्षात्कार होता है, अगर आप काफी समझदार हैं, तो आप तय करते हैं कि  “मुझे अपने आप को कैसे ठीक करना चाहिए।” ’जैसे, इस तरह तय करते हैं, मान लें कि आप दूध के बहुत शौकीन हैं,  अब, आपको कहना चाहिए कि, जब तक मैं एक निश्चित अवस्था में ना पहुँच जाऊं मैं दूध नहीं लेऊँगा। ’लेकिन इसे एक त्याग के रूप में नहीं बल्कि एक आनंद के रूप में लेना चाहिए।

क्या जो लोग हिमालय की चोटी पर चढने के लिए ऊपर की ओर कील ठोंकते हैं, क्या उन्हें लगता है कि वे कुछ त्याग कर रहे हैं? यदि आप यह सोचने लगते हैं कि ‘हे भगवान मैंने दूध का त्याग कर दिया है’, तो सब व्यर्थ हो गया, गति नीचे की ओर हो गयी है। लेकिन अगर आपको कुछ पसंद है तो आपको कहना होगा की, अगर मैं इसे पसंद करता हूं, तो मुझे अपना उत्थान इससे अधिक पसंद है। जब तक मैं उत्थान नहीं पा लूँगा मैं इसे नहीं लूँगा ‘| आप का निश्चय ऐसा ही होना चाहिए  इसके बिना आप कैसे सोच सकते हैं कि आप अज्ञान के भयानक, राक्षसी पहाड़ को पार कर सकते हैं।

दरअसल, आत्मसाक्षात्कार में मैंने तुम्हें पहाड़ की चोटी पर ला दिया है। लेकिन तुम फिसलने लगते हो। तो आपको उस सर्वोच्च बिंदु पर बने रहना होगा। मैं आपको सब कुछ बताती हूं। तुम जाओ और संतों या महान अवतारों में से किसी से भी पूछो, क्या वे कुंडलिनी के बारे में इतना जानते थे? अगर उनके पास होता तो वे इसके बारे में लिखते। उन्होंने कुंडलिनी के बारे में कभी कुछ नहीं लिखा है। यदि लिखा भी है, तो यह बहुत कम है। इस हद तक कि यह आपकी उंगलियों पर कार्य करे। अब हम विज्ञान को वास्तविकता के करीब ले आए हैं, सच्चाई, ईश्वरीय विज्ञान सभी को समझाया गया है। अब विज्ञान हमारे साथ पूरी तरह से एकीकृत हो गया है । सहज योग उन सबसे अधिक वैज्ञानिक, एवं सटीक चीज है जिनके बारे में आप सोच सकते हैं। सबसे बड़ा कंप्यूटर तो आप हैं, लेकिन कंप्यूटर को काम करने योग्य होना चाहिए। और वहां हम असफल रहे हैं। और हम हर दिन असफल हो जाते हैं। कभी-कभी यह विनाशकारी, भयानक होता है।

अब हमें उन्नीस साल हो गए हैं, सहस्रार पाए और अठारह साल मैंने काम किया है। आपको अब अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। हमें मानव को मुक्ति दिलानी है। हम ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहते हैं जिसमे मार्ग से थोड़ा भी भटकाव हो।

अब सहस्रार दिवस पांच तारीख को है लेकिन हमें आज के दिन मनाना पड़ा क्योंकि हर किसी की रविवार की छुट्टी होनी चाहिए। हमारी सुविधाओं के अनुसार हमें हर चीज, काम करना पड़ता है| ठीक है, कोई बात नहीं, इसकी अनुमति है |देवता, वे चौबीस घंटे, सभी महीनों और पूरे वर्ष लगातार काम कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति है, ऐसी उर्जा आपके पास भी हो सकती है।

अठारह साल के उत्थान की तुलना में, अपने विकास को आपने बहुत कम महत्व दिया है।  पश्चिमी देशों में, अठारह वर्षों के बाद आप वयस्कों के रूप में माने जाते हैं, यह आप जानते हैं, तो अब आप कोई बच्चे नहीं हैं, अब आप सभी वयस्क हो गए हैं। वयस्क, सब ठीक है, लेकिन मुझे नहीं पता कि आप कितने विकसित हुए हैं। मैं वास्तव में नहीं जानती, आप अभी भी बड़े बच्चे हैं या आपने वास्तव में वयस्कता की स्थिति प्राप्त कर ली है। और वहां, उस समय, आपको बहुत सारी रियायतें और स्वतंत्रताएं और अधिकार दिए जाते हैं।

आपके पास पहले से ही सभी अधिकार हैं। यदि आप स्वर्ग जाना चाहते हैं तो आप जा सकते हैं, यदि आप नरक जाना चाहते हैं तो आप जा सकते हैं, सभी स्वतंत्रता, उस पर कोई समस्या नहीं है।

वयस्क वे हैं जिनके पास विवेक है, जो जानते हैं कि उनके जीवन का उद्देश्य क्या है, जो उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, जिनके पास लड़ने और समझने की शक्तियां हैं। जबकि मुझे ऐसे लोग मिलते हैं जो सहज योग में विकसित हो कर भी ऐसा व्यवहार करते हैं कि आप आश्चर्यचकित हो जाते हैं, आप  सतही लोगों से, दिखावे से किस तरह प्रभावित हो जाते हैं।

अगर कोई बातें करने में बहुत मीठा है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह व्यक्ति अच्छा है, या वह व्यक्ति दिव्य है, क्या ऐसा है ? इसके विपरीत एक दिव्य व्यक्ति कभी भी इतना मीठा नहीं होता है कि आप उस मिठास से बीमार हो जायें। इसमें दोनों लगाम हाथों में रखनी होती है। हाँ, स्वतंत्रता, सब ठीक है, एक्सिल्ररेटर भी ठीक है, लेकिन ब्रेक भी चाहिए।

लेकिन आप हमेशा एक ऐसे व्यक्ति को पसंद करते हैं जो आपके अहंकार को सहलाता है, कुछ बहुत मीठा बोलता है। कुछ मीठा कहने में क्या लगता है, इन दिनों लोग उन्हें उस तरह की कृत्रिमता में प्रशिक्षित कर रहे हैं।

आपको किसी व्यक्ति का आकलन उसके वायब्रेशन पर करना चाहिए। लेकिन जैसा कि यह है, चूँकि आप खुद ही सतही हैं आप वायब्रेशन महसूस नहीं कर सकते। आप ऐसे लोगों पर ध्यान देते हैं जो निरर्थक हैं। अब उस बिंदु पर एक बात स्वीकार करें कि आपको अभी भी परिपक्व होना है। जिसे आप स्वीकार नहीं करते हैं, फिर आपका अहंकार सामने आता है, हे भगवान, या आप दोषी महसूस करते हैं। फिर आप कैसे प्रगति करेंगे? केवल एक चीज जो आपको करनी है, वह है, पूरी तरह से नाव में सवार होना। लेकिन यहां आप अपना पैर मगरमच्छ के मुंह में डाल देते हैं, ठीक है। यदि आप इसे वहां से निकालते हैं, तो शार्क के मुंह में डाल देते हैं, और नाव आपको खींच रही है; आप किस रास्ते पर खड़े हैं?

लेकिन सबसे खराब मानव रूपी शार्क और मगरमच्छ हैं क्योंकि वे आपको कभी अपने दांत नहीं दिखाएंगे। वे कभी भी आपको अपनी आँखें नहीं दिखाएंगे। वे खुद को इस तरह के कपटी,दगाबाज़ दिखावे, के साथ कवर करते हैं कि आप उन्हें तब तक नहीं देख पाते जब तक कि आप आत्मसाक्षात्कारी ना हों।

तो अब यहाँ हम अपने वयस्कता में आगे बढ़ते हैं। और एक महिला जिसे ठीक से पाला जाता है, वह अपनी वयस्कता में उसकी लज्जा, उसकी शर्म, उसकी शुद्धता की भावना विकसित करती है। एक बच्चे के रूप में वह यह सब नहीं जानती। लेकिन यहाँ दूसरा ही ढंग है, जैसे ही वे वयस्क हो जाती हैं वे उन्मत्त हो जाती हैं, लड़के आवारा हो जाते हैं, और यह वयस्कता है! ऐसा जानवरों के साथ कभी नहीं होता है। मुझे नहीं पता कि यह क्या है

लेकिन हम सहज योगी हैं, और हमारी सहज संस्कृति है। हम अपनी संस्कृति के साथ रहते हैं, इस पर गर्व करते हैं, और यही हमारा धर्म है। हमारा अपना शुद्ध धर्म है जिस पर हम पनपे हैं; हम बदलने नहीं जा रहे हैं हम खुद से पूरी दुनिया को बदलने जा रहे हैं। हमारी अपनी संस्कृति है और हमारा व्यवहार पूरी दुनिया को बदलने वाला है। यह हमारी जिम्मेदारी है। आपको इस काम के लिए चुना गया है। आप असली चुने हुए हैं। आप असली शुद्ध हैं। आप वे हैं जिन्होंने सिख धर्म के अनुसार खालिस्तान (Land of the pure ’) की स्थापना की है।

अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग रहें। अपनी शक्तियों से अवगत रहें। आपके पास जो सबसे बड़ी शक्ति है, वह ईश्वरीय प्रेम की है, न कि आप को अँधा बनाने वाले उस मूर्खतापूर्ण प्रेम की जिसमे आप प्यार में पड़ जाते हैं, बल्कि आप उस प्यार में बढ़ जाते हैं।

जिस तरह से हम बात करते हैं, जिस तरह से हम चलते हैं, जिस तरह से हम जीते हैं, जिस तरह से हम व्यवहार करते हैं, वह सब कुछ सहज होना चाहिए। और यह दुनिया में सुंदर लोगों की ऐसी वास्तविक, जीवंत संस्कृति है। जानवरों में हम देखते हैं, पक्षियों में हम देखते हैं, जैसा एक हंस का वर्णन किया गया है, जानवरों में हाथी, जिसके पास ज्ञान है, वह हंस जो जानता है कि दूध से पानी कैसे अलग करना है। फिर, आज, इस आधुनिक समय में, इंसानों में, सहज योगी,मुझे लगता है कि जब तक इक्कीस साल होंगे, तब तक हम सभी बहुत अच्छी तरह से स्थापित, परिपक्व, अद्भुत सहज योगी होंगे, जो इस पागल दुनिया को इस अज्ञान और माया से बाहर निकालेगें|

आप प्रेम के, समझ के, विवेक के और विनम्रता के शक्तिशाली लोग होंगे। मैं अपने जीवनकाल में ऐसे  दिनों को देखना चाहूंगी। मुझे आशा है कि आप मुझे पूरी सहायता देंगे।

आपको यह जानना होगा कि देवों की इस बैठक में केवल एक बिंदु तय किया गया था और जिसे मैं अनदेखा नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि चूँकि वे अज्ञानता से आ रहे हैं इसलिए,हम किसी भी गलती को बर्दाश्त कर लेंगे लेकिन कोई भी जो आपको प्यार नहीं करता है, जो कोई भी आपका अपमान करता है, जो कोई भी आपका फायदा उठाता है, कोई भी व्यक्ति जो आपका शोषण करता है, जो कोई भी प्रोटोकॉल की कमी दिखाता है, जो कोई भी आपको पहचानता नहीं है, हम उन्हें कड़ा दंड देंगे, और यह अनुमति आपको हमें देनी चाहिए, अन्यथा हम इस काम के लिए राज़ी नहीं हैं। उन्होंने मेरे खिलाफ एक संघ का गठन किया। और मुझे देना पड़ा। और बहुत सावधानी से, मैं आपको बताती हूं, मुझे स्पर्श न करें, सावधान रहें। कुछ लोग सिर्फ मेरी साड़ी को ठीक करने की कोशिश करते हैं। आप ऐसा नहीं करें, ऐसा नहीं करना है। मेरे पैसे से मत खेलो, मेरा आतिथ्य मत लो, सावधान रहो।

मैं आपको जितना हो सकता है, उतना बताती हूं और यह ऐसा ही है। एक पक्ष महामाया है, दूसरा पक्ष देवताओं का है, और बीच में गरीब सहज योगी हैं। मुझे आपसे सहानुभूति है, मुझे पता है, लेकिन आप बेहतर है कि,सावधान रहें। बेशक, यह एक तलवार की धार की बढ़त है, ऐसा मुझे लगता है, लेकिन निश्चित रूप से यह अद्भुत है।

यदि ये दो बातें, यदि आप जानते हैं कि यह महामाया है और अब देवता यहाँ चारों और बैठे हैं, वे सभी, आप में शामिल हैं, वे सभी आपका आकलन करते हुए, वहाँ एक बड़ी बैठक करते हुए कि, कौन क्या है। इन सज्जन का ध्यान किधर है। वह कहां देख रहा है वह क्या कर रहा है।’

सभी यहां बैठे हैं। लेकिन साथ ही उनके पास फूल, दिव्य फूल, दिव्य आशीर्वाद और सभी स्वर्गदूत बस चक्कर लगा रहे हैं, मैं उन्हें देख सकती हूं। आपके कैमरे उन्हें पकड़ सकते हैं। आपको ऐसी तस्वीरें मिली हैं, जो उन सभी को बैठा हुआ दिखाएंगी।

यह पहले ही भविष्यवाणी हो चुकी है कि पूरी दुनिया आपकी माँ के चरण कमलों में आएगी, और आप इस दुनिया का भविष्य तय करेंगे। यह पहले से ही लिखा है, चौदह हजार साल पहले, और एक अन्य भी है जो यही भविष्यवाणी कर रहा है।

इसलिए आपको जागरूक होना पड़ेगा। आपका ध्यान कहाँ है? तुम किस बारे में चिंतित हो? आप अपना समय कहाँ बिता रहे हैं अपने बच्चों की चिंता मुझ पर छोड़ दो। अपने परिवारों को मुझ पर छोड़ दो। आप केवल अपना पर्स रख सकते हैं, लेकिन बाकी सभी, आप अपना सारा सिरदर्द मुझ पर छोड़ सकते हैं।

लेकिन मेरे साथ चाल मत चलाओ। महामाया आपके सभी टोटके, हर चीज़ का अंदर और बाहर जानती है। अगर मैं जानना चाहूं, तो मैं प्रत्येक और आपके बारे में सब कुछ जान सकती हूं। मैं जानना नहीं चाहती इन परिस्थितियों में हमें सहायता दि जाती है, देखभाल की जाती है, प्रबंधित किया जाता है, वास्तविकता को इतनी आसानी से लिया जाता है, इतनी सावधानी से। तुम मुझे बताते हो ‘माँ, अचानक मैं वहाँ गया और मुझे क्या दिखा, सहज योगी वहाँ बैठे थे। और हम किसी को मिलना चाहते थे। वह वहीं था। ऐसा यह कैसे है?’

आपकी सहायता की जाती है। यहां इन प्रधानमंत्रियों के पास केवल पाँच, छह अंगरक्षक हैं, आपके पास लाखों और लाखों, आप में से प्रत्येक के पास है। आपके अलावा कोई भी आपको  छू नहीं सकता है, केवल आप खुद ही अपने आप को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कोई अन्य आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकता।

तो आज, फिर से एक महान संकल्प और एक प्रतिज्ञा लेना कि हमारे लिए, हमारा उत्थान ही एकमात्र चिंता है, केवल विचार है, और कुछ नहीं है, और यह काम करेगा। बाकी सभी का ध्यान रखा जाएगा। आपके पास ऐसा करने के लिए सभी मेकेनिक  हैं, लेकिन पहले मेकेनिक को यह काम करने को तो दो ,वे सभी इसे क्षणिक में तुरंत करेंगे।

साफ़ करें, अपने चक्रों को साफ़ करें। यह मत कहो कि: ‘मुझे यह है, मुझे वो है बस साफ़ करो । ‘ मेरी इन सभी समस्याओं की हिम्मत कैसे हुई? कैसे अभी भी मेरे ये सभी चक्र उलझ रहे हैं ? ’स्वच्छ करो, सुबह, शाम। साफ़ करो।

मुझे यकीन है कि यह कार्यान्वित होगा |मुझे उम्मीद है कि अगले साल मेरे पास कुछ अच्छी खबरें होंगी।

परमात्मा आपको आशिर्वादित करे।