Shri Ganesha Puja मुंबई (भारत)

Shri Ganesha Puja 18 sept 1988 Mumbai परमात्माकी सृष्टिकी रचनाकारकी शुरुआत जिस टंकारसे हुई उसीको हम ब्रम्हनाद तथा ओमकार कहते है। इस टंकारसे जो नाद विश्वमे फैला वो नाद पवित्रताका था। सबसे प्रथम परमात्माने इस सृष्टीमे पवित्रताका संचारण किया। सर्व वातावरणको पवित्र कर दिया। पहले उन्होंने पुनीत किया जो चैतन्य स्वरुप आज भी आप लोग जान सकते है। उसे महसूस कर सकते है, उसकी प्रचिती आपको मिल सकती है। वही ओमकार आज चैतन्य स्वरुप आपकोभी पवित्र कर रहा है। श्री गणेश की पूजा हर पूजामे हमलोग करते है और आज तो उन्हीकी पूजा का बड़ा भारी आपलोगोंने आयोजन किया है। लेकिन जब हम किसी भी चीज की पूजा करते है तो उनमे बोहोत सारी विविध स्वरुप की मांगे होती है। कुछ लोग होते है कामार्थी होते है, कुछ लोग पैसा मांगते है, कुछ लोग कहते है हमारा कार्य ठीक से हो जाय, कुछ कहते है की हमारी दुनियामे बड़ी शोहरत हो जाय, सब दूर हमें मान मिले। कोई कहता है की हमारी नौकरी अछेसे चली तो अच्छा है, कोई कहता है हमारा बिज़नस चलना चाहिए , कोई कहता है हमारे मकान बनने चाहिए। ये सब कामार्थी बाते है। और इसी तरहसे मनुष्य की मांगे होते होते वोह गणेश की पूजन करता है। यहाँ पर जो सिद्धि विनायक है उसकी भी जागृति मैंने बहोत साल पहले की थी। सब लोग उस सिद्धिविनायक के पास जा करके हमें ये चीज देदो हमें वो चीज देदो मांगते है। लेकिन ये सिद्धिविनायक है। ये चीज देनेवाला नहीं है , ये वस्तु देनेवाला नहीं है। Read More …