Adi Shakti Puja: Detachment

Residence of Madhukar Dhumal, Rahuri (भारत)

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आदि शक्ति पूजा, वैराग्य, राहुरी (भारत),11 दिसंबर 1988

पूजा उस समय आरंभ होती है, जब इसे आरंभ होना होता है और मैं प्रतीक्षा और प्रतीक्षा और प्रतीक्षा कर रही हूँ।
फिर मुझे एहसास हुआ कि आज बहुत अच्छा समय है, पंचांग के अनुसार, परंतु यह प्रातः का नहीं है,
तो इसे चंद्रमा का तीसरा दिन होना था
और जैसा कि चंद्रमा दिन के समय में अपनी कलाएँ बदल रहा है, हमें प्रतीक्षा करनी पड़ी जब तक यह आरंभ नहीं हुआ। मुझे लगता है, ये सब चीज़ें हुईं; चोरी की और सब कुछ हुआ, संभवतः पूजा को उस समय तक टालने के लिए जब इसे आरंभ होना चाहिए।
तो सहज योग में हम सभी समय से परे चले जाते हैं
और हमें समय के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती। मात्र जब तक यह एक औपचारिक कार्यक्रम या ऐसा कुछ हो, क्योंकि लोग औपचारिक हैं और वे हमारी शैलियों को नहीं समझते हैं।
इसलिए हमें वहाँ सही समय पर उपस्थित होना होता है,
अन्यथा हमें समय को स्वमार्ग लेने
देना चाहिए और इसे हमें अपनी तरह से जानना चाहिए।
अब हमारी यात्रा और इस दौरे के बारे में हमें यह जानना होगा कि हम यहाँ पाने के लिए आए हैं एक निश्चित ऊँचाई अपनी निर्लिप्तता में, हमें अपनी स्थिति के क्षेत्र में ऊपर उठना है
जबकि आसपास की परिस्थितियाँ,
वे हमें घेरे हुए हैं और वे हमें दुखी नहीं कर सकती
या पक्षपाती, या हमें उन पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए।
इसके विपरीत हमें उनसे ऊपर उठने का प्रयास करना चाहिए। यदि कुछ विकृत घटित न हो तो आप परम की बढ़ती गुणवत्ता को नहीं देख सकते।
यदि परम की बढ़ती गुणवत्ता को देखना है तो हमें रुकावटों को देखना होगा।
उदाहरण के लिए, यदि जल का प्रवाह चल रहा है
और यह सुचारू रूप से चल रहा है,
तो यह कोई घटना नहीं है जैसा कि आप ‘घटना’ कहते हैं,
यह कोई घटना नहीं है, परंतु यदि वहाँ कोई पत्थर हो,
तो जल इसके विरूद्ध छलकता है,
एक सौंदर्य बनाता है और इसे पार करता है,
यही संकेत है परम के उन सभी कठिनाइयों को विजय करने का जो कि वहाँ होनी ही चाहिए।
अब हम पूना जा रहे हैं और जहाँ हम एक उचित सत्र रखेंगे, विवाह इत्यादि के लिए भी,
हमें एक दृढ़ निर्णय लेना होगा,
मुझे आज इसके बारे में अवश्य बोलना चाहिए
कि विवाह के लिए मन की स्थिरता बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपकी कुछ धारणाएँ हैं
और यदि आप अस्थिर हैं, तो बेहतर है कि आप विवाह न करें, क्योंकि यह भारतीय चरित्र में नहीं पाया जाता है,
एक बार वे विवाह के लिए निर्णय कर लें फिर वे सदैव के लिए विवाहित रहते हैं। परंतु यदि मन अभी भी डगमगा रहा है, ऊपर और नीचे जा रहा है,
यह मन की एक चाल है जो दूसरों के साथ चाल खेलना चाहता है और आनंद लेता है, यह अहंकार का एक संकेत है।
पूर्णतया अहंकार का एक संकेत है और फिर आप खेल खेलना आरंभ करते हैं,
आप इसका आनंद लेते हैं, “हाँ, नहीं, हाँ, नहीं”,
आप उन खेलों का आनंद लेते रहते हैं
और उसके उपरांत आप इसमें इतना खेल लेते हैं कि आपके विवाह कभी भी सुखी या सफल नहीं हो सकते। ,
इसका तात्पर्य है कि आप अभी विवाह के लिए परिपक्व नहीं हुए हैं। विवाह के लिए आपको परिपक्व होना होगा।
परंतु पश्चिम में इसका एक कारण जो मैं पाती हूँ ,
वह यह है कि आपका कोई प्रशिक्षण नहीं हुआ,
माता-पिता ने आपको कभी नहीं बताया कि आपको कैसे आचरण करना चाहिए अपने पति के प्रति, अपनी पत्नी के प्रति, कैसे विवाह को सफल बना सकते हैं,
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना है।
और यह कि हमें अपने आप को विवाह प्रणाली में स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए, इसके बजाय, हम इसका एक अच्छी चाल खेलने के मैदान के रूप में उपयोग करते हैं, हम बात से भटक गए, हारा कौन है?  यदि आप इस प्रकार से खेल खेलते चले जाते हैं और अपने अहंकार के साथ खेलते हैं, तो आप कुछ भी करें,
आप किसी भी प्रकार के विवाह करें, आप कभी भी प्रसन्न नहीं रह सकते। अब पश्चिम में, जैसा कि आप जानते हैं,
मैं एक अलग जीवन भी जीती हूँ और प्रत्येक व्यक्ति जिससे मैं मिली हूँ, प्रत्येक व्यक्ति चाहे किसी भी देश से आया हो,
कोई भी अपने विवाह में प्रसन्न नहीं लगता है, बहुत आश्चर्य की बात है।
ऐसा लगता है कि प्रत्येक पत्नी को पति में कुछ ग़लत लगता है, पति को पत्नी में कुछ ग़लत लगता है और उनके हास्यास्पद दुखी चेहरे होते हैं, वे विवाहित लोगों की तरह नहीं दिखते हैं, परंतु जैसे कि अपराधी हों
या वास्तव में उनके साथ कुछ ग़लत हुआ है।
उनके चेहरे पर कोई मुस्कुराहट नहीं है, वे भयानक दिखते हैं, क्योंकि वे मुख्य बात से चूक गए,
विवाह का आनंद लेना चाहिए, ये आपके आनंद के लिए है। मान लें कि कोई आपको ‘एम्ब्रोसिया’ देता है , जिसे अमृत कहते हैं, और फिर आप इसके साथ चाल खेलना आरंभ कर देते हैं I हारने वाला कौन है?
तो पता होना चाहिए कि हमें उस परिपक्वता को प्राप्त करना है और उस प्रेम का आनंद लेना है। मूल रूप से यदि कुछ बहुत ग़लत है, या यदि वहां यथायोग्य विवाह की कोई संभावना नहीं है, तो सहज योग में हमारे पास व्यवस्था है इसे छोड़ने के लिए। आप अपनी पत्नी को बदल सकते हैं, अपने पति को बदल सकते हैं, कोई समस्या नहीं है, परंतु इसके पीछे कोई कारण होना चाहिए,
बस आनंद के लिए यदि आप अपना जीवन नष्ट करना चाहते हैं। मैं अपने स्तर पर पूरा प्रयास करूंगी आपको बताने का कि अपना और दूसरे व्यक्ति का जीवन नष्ट न करें। परंतु लोग कभी-कभी आनंद लेते हैं किसी के जीवन को बिगाड़ने में, जब अहंकार की बात आ जाती है,
वे स्वयं तो आनंद नहीं ले सकते, चरनी में कुत्ते वाली बात है,चरनी में कुत्ता घास नहीं खा सकता है, परंतु उस बैल पर भौंकता है जो इसे खाने के लिए आता है। यह इस प्रकार है, न तो वे स्वयं आनंद लेंगे और न ही वे दूसरों को आनंद लेने देंगे और जब ऐसे मूर्ख जोड़े होते हैं, तो मुझे हर समय इतना सिरदर्द होता है, उनका झगड़ा सुलझाना, उनसे
बात करना, उनसे पूछना, मेरा तात्पर्य है यह मेरे लिए विवाह का दफ़्तर बन जाता है और कभी-कभी मैं ऐसे निष्कर्ष पर पहुँच जाती हूँ कि सहज योग में अब कोई और विवाह नहीं, बहुत हुआ!
वास्तव में मुझे इससे क्या प्राप्त करना है? यह कोई भी समझने का प्रयास नहीं करता है, मैं आपको प्रसन्न करने का प्रयास कर रही हूँ, आपको अच्छे पति और अच्छी पत्नियों को दिलवाकर, कि आपके अच्छे संबंध हों, आपसे इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाले महान लोग होने चाहिए, जैसे हमारा एक समाज होना चाहिए जो इन सभी निरर्थक समाजों से परे हो,
जो इतना महान हो कि हम एक समरूप परिवार का निर्माण कर सकें, हमारे बीच निर्मलता और पवित्रता हो, तुच्छ निरर्थक चीज़ों के बजाए।
यदि कोई लड़ाई चल रही है, तो व्यक्ति वास्तव में तंग आ जाता है। निःसंदेह किसी को प्रयास करना होगा।
परंतु यदि आप अपनी नाकें काटने पर उतारू हैं, तो मैं उसे  बार बार कैसे  वापस लगा सकती हूँ?
यह एक सनातन समस्या है, उदाहरण के लिए यदि आप विवाह करते हैं, 75 लोगों से, तो आपके पास इसका आनंद है। अब मान लीजिए यह एक सागर है, हिंद महासागर उदाहरण के लिए, परंतु तब आप प्रशांत महासागर को अपने सिर के पीछे पाते हैं, रोने और चीख़ने और चिल्लाने और चिल्लाने के साथ और सभी प्रकार की निरर्थकता के साथ जो चल रही है।
तो मैं फिर से कहती हूँ कि, अब हम पूना जा रहे हैं, 
जहाँ सभी विवाहों की पुष्टि होने वाली है,
यदि आप इसी प्रकार से चलते रहेंगे तो इसका कोई अंत नहीं है और वे लोग भी जो विवाह के लिए आते हैं
और इससे दो बार मना करते हैं, तीसरी बार मैं उनसे नहीं पूछती, क्योंकि यह एक मज़ाक चल रहा है।
आप नहीं जानते कि मैंने लोगों का चयन करने में कितनी रातें व्यतीत की हैं,
वैसे ही आप पच्चीस, तीस देशों से हैं,
कल आपने देखा था। आपकी अलग-
अलग मान्यताएं हैं, अलग-अलग शैलियाँ हैं, हर चीज़ अलग है,
लंबाई अलग है, उम्र अलग है, चेहरे अलग हैं, योग्यताएँ अलग हैं। तो इन सभी चीज़ों को मिलाना बहुत ही कठिन है, कभी-कभी मुझे लगता है कि यदि आप बहुत अधिक पढ़े-लिखे हैं, तो बेहतर है आपको एक साधारण महिला देना ताकि आप पर थोड़ा दबाव कम हो जाए, आप उसके साथ बाँट सकते हैं, परंतु यदि आप समान रूप से शिक्षित लोग हैं, तो दोनों के सिर संभवतः….
इसलिए मुझे कई चीज़ों के बारे में सोचना पड़ता है और चैतन्य के बारे में भी, परंतु किसी न किसी प्रकार आप इसकी अवहेलना कर सकते हैं
और आप इसकी अवहेलना करने का प्रयास करते हैं, ठीक है अंतर नहीं पड़ता। परंतु हारने वाला कौन है वह मुख्य बात, आज मुझे इस बारे में आपसे बात करनी थी क्योंकि सहज में हमें वैसा ही मार्ग लेना पड़ता है जैसा हमारे सामने आता है, हमारे रास्ते में जो भी आता है हमें उसे लेना चाहिए।
हमें यह नहीं कहना चाहिए, मुझे प्रेम हो गया है।
कोई भी प्रेम में गिरता नहीं है, सहज योग में वह प्रेम में ऊपर उठता है। यह कुछ हास्यास्पद विचार है कि किसी को प्रेम में गिरना ही चाहिए, क्योंकि आप देखिए इसका अर्थ है आपको कुछ पापमय करना चाहिए,
या कुछ बेतुका। कई लोगों ने मुझसे कहा है,
“माँ मैं उससे प्रेम में नहीं पड़ा”
आप कैसे प्रेम में गिर सकते हैं, आप किसी खाई
में गिर सकते हैं या आप किसी प्रकार की नदी में गिर सकते हैं या ऐसा ही कुछ। मुझे समझ नहीं आया कि आप प्रेम में कैसे गिर सकते हैं, यह एक ठोस चीज़ है।
तो प्रेम में गिरने के इस बेतुके विचार को छोड़ना होगा,
यदि इसका अर्थ है कि आपने प्रेम को महसूस किया है या ये कि आपके पास प्रेम को महसूस करने
की संवेदनशीलता है या कुछ जिसे मैं समझ सकूं, मैं थोड़ी व्याख्यात्मक हूँ, परंतु यह प्रेम में गिरने का कार्य चलता ही जा रहा है। अब मैं आपसे अनुरोध करती हूँ कि सहज योग में हम इस परिभाषा को रद्द कर दें।
तो सहज योग में विवाह की समस्याएं पैदा नहीं होनी चाहिए, आपके पास स्वयं के लिए निर्णय लेने के लिए एक माह का अवसर है और स्वयं से पता लगाने के लिए। थोड़ा सा समायोजन और समझ आपके लिए इतना सुन्दर संसार बना सकती है। यह वहाँ मात्र प्रतीक्षा कर रहा है, परंतु अचानक आप किसी बिन्दु पर कुछ तय करते हैं,
अचानक से आप बिल्कुल ठीक हैं, मुझे लगता है, एक पल में,
आप अचानक कहते हैं “नहीं”, मैं कहती हूँ, “यह क्या है?”
घोड़ा ठीक चल रहा था कि अचानक क्या हुआ?
यह उलटा घूम गया? कोई घोड़े को समझ सकता है, परंतु मैं मनुष्यों को नहीं समझ सकती। तो यह सनकी व्यवहार अचानक से, सहज योग के विकास के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। जब भी मैं इंग्लैंड जाती हूँ,  लोगों की एक सूची होती है, देश भर से। यह विवाह विफल हो गया है, वह विफल हो गया है, वह विफल हो गया है जबकि मैं हर किसी को शेखी बघारती हूँ कि सहज योग विवाह कभी असफल नहीं होते। मुझे पता है कि यह सच नहीं है,
परंतु मैं जो भी कहती हूँ वह एक मंत्र है, अंततः यह सच हो जाता है। तो एक समय आएगा जब कोई भी विवाह विफल नहीं होगा, परंतु आपको मेरे साथ हाथ मिलाना होगा और सहयोग करना होगा और समझना चाहिए कि मैंने कितना परिश्रम किया है, इन कार्यक्रमों को मूर्त रुप देने के लिए और विवाह से आपको प्रसन्न या दुखी नहीं होना चाहिए, क्योंकि विवाह करना जीवन का परम उद्देश्य नहीं है। परंतु ऐसा होता है कि विवाह के बाद लोग खो जाते हैं वे सहज योग में नहीं आते हैं, इसके बाद वे, अपनी मधुयामिनी का आनंद ले रहे हैं पिछले तीन वर्षों से। अद्भुत सहज योगी, जो मुखिया हैं अचानक खो जाते हैं, वह भी संभवतः प्रेम में गिर गए होंगे, मुझे नहीं पता, परंतु इस प्रकार की निरर्थकता, भले ही यह एक या दो हों, यह एक सिरदर्द है। और मैं वास्तव में नहीं जानती कि इन समस्याओं को कैसे हल करना है,
क्योंकि मुझे लगता है कि यहाँ कोई समस्या है ही नहीं,
मात्र एक चीज़ है कि आपने खेल का आनंद नहीं लेने का निर्णय किया है। मान लीजिए आप भोजन का आनंद नहीं लेना चाहते हैं तो आप अपनी जीभ पर कुछ कुनैन रख सकते हैं और फिर कह सकते हैं कि मुझे भोजन पसंद नहीं आया, ऐसा ही कुछ। यह मूर्खतापूर्ण है।
तो इसमें मेरी सहायता करने का प्रयास करें,
नहीं तो मैं इस विवाह के कार्य को छोड़ दूंगी। मैं आपको बता रही हूँ, क्योंकि यह मुझे कोई प्रसन्नता या आनंद नहीं देता है। यहाँ तक कि एक व्यक्ति भी ऐसे करता है तो मुझे समझ नहीं आता और किसी तुक और तर्क के बिना आपको ‘ना’ नहीं कहना चाहिए। सबसे पहले अपने आप को दर्पण में देखना चाहिए। आप क्या हैं?
आपकी शिक्षा क्या है? आपका ज्ञान क्या है? आप अन्य व्यक्ति से क्या आशा करते हैं? आपके पास कितना धन है? दूसरे व्यक्ति के पास कितना धन है? आप जो भी देखना चाहते हैं, वह आप स्वयं में देखें,
सबसे पहले, फिर तुलना करें। परंतु सबसे बड़ी बात तो आपको यह सोचना है कि आपके पास कितना चैतन्य है? दूसरा कितना सहज योग जानता है? आप अपने उत्थान के लिए विवाह कर रहे हैं। यदि दूसरे व्यक्ति के पास आपकी तुलना में बहुत अधिक चैतन्य है, तो आपको अनावश्यक गर्व नहीं करना चाहिए, सभी निरर्थक चीज़ों के लिए। वह व्यक्ति अधिक सूक्ष्म है, अपने आप को वैसा बनाइए, चाहे वह महिला हो या पुरुष मैं नहीं कहती, परंतु मैं मात्र इतना कहती हूँ कि अपने आप को देखें, आप कहाँ हैं? विशेष रूप से नए लोगों के लिए जो सहज योग में शुरूआत कर रहे हैं, किसी परिपक्व सहज योगी से विवाह करना बेहतर है
ताकि वे बहुत अच्छी प्रकार से, बहुत शीघ्रता से प्रगति कर सकें और यह भी कि यदि दूसरा  पक्ष इतना अच्छा नहीं है, हो सकता है, हमें कार्य करना है, हमें उस व्यक्ति को बचाना है, अंततः, वे अभी परिपक्व नहीं हुए हैं, परंतु वे सहज योगी हैं, वे ऐसा करना चाहते हैं, इसलिए इसे उस प्रकार से कार्यान्वित करने का प्रयास करें। मुझे लगता है कि आप गंभीरता को समझेंगे, यह सबसे महत्वपूर्ण कार्य है जो आज तक इस पृथ्वी पर हुआ है, आपके विवाह बहुत महत्वपूर्ण हैं और आपने तस्वीरें देखी हैं जिसमें स्वयं देवताओं ने आपको आशीर्वाद दिया है। मेरी सहमति के कारण, मेरे चयन के कारण, वे सभी आपके विवाह में उपस्थित थे और वे कैसे आपको सम्मान दे रहे थे और कैसे वे दुल्हन पर फूल डाल रहे थे, आपने तस्वीरें देखी हैं। यदि आपने नहीं देखीं तो मैं आपको दिखाऊंगी। परंतु यदि आप एक साधक नहीं हैं और यदि आप उत्थान नहीं खोज रहे हैं तो आप निरर्थक बातों और निरर्थक विचारों में चले जाते हैं । इसलिए बेहतर होगा कि ऐसा कोई कार्य न करें, अपने आपको बहुत ऊँचा न समझें, सावधानी की एक और बात, कि आप देखें जिस प्रकार से भारतीय उनके दामादों को सिर चढ़ा लेते हैं, तो गुस्सा न हों। साथ ही वे अपनी बहुओं को भी बहुत सिर चढ़ा लेते हैं।
यह भारत में अच्छे सबंध बनाने के लिए किया जाता है,
क्योंकि हमारे यहाँ अहंकार का गुब्बारा अधिक नहीं है।
परंतु यहाँ जैसे ही कोई आपकी ओर ध्यान देता है, आप फैल जाते हैं, इसलिए अच्छा होगा कि आप सावधान रहें। यहाँ यह प्रथा है दामाद की देखभाल करना, बेटी की देखभाल करना , यह एक प्रथा है।
अब यह युगों से ज़ड जमाए हुए है, इसका तात्पर्य यह नहीं है कि आप परमात्मा हैं या आप कुछ उच्चतम स्थिति में हैं। यह मात्र इतना है कि वे इस प्रकार से लाड़ प्यार करते हैं,
सामान्यतः बहू और दामाद की देखभाल करते हैं और आपको इन विचारों को अन्यथा नहीं लेना चाहिए,
जो मुझे आपको बताना होगा, क्योंकि यह पश्चिम में नहीं होता है, मैंने देखा है, वे परवाह नहीं करते हैं। एक बार वे विवाहित हो गए तो, उनका कार्य समाप्त, यह ऐसा नहीं है, इसलिए कृपया सावधान रहें जब आप भारतीयों से विवाह कर रहे हों, आप पाएंगे कि माता-पिता
आपको बहुत लाड़-प्यार करेंगे, आपकी देखभाल करेंगे। वे आपको अपने घर बुलाएंगे, ऐसा करेंगे, आपको पैसे देंगे, आपको गहने देंगे, वे सभी प्रकार के कार्य करेंगे। परंतु फिर भी आपको यह समझना होगा कि यह मात्र एक प्रथा है और इससे बिगड़ना नहीं चाहिए, इसके विपरीत इसके बारे में आनंदित महसूस करना चाहिए। परंतु जब यह हो जाता है तो मैंने देखा है अचानक से वे बिगड़ जाते हैं और स्वयं का कोई अंत नहीं समझते। उनकी मूल्य प्रणाली बिगड़ जाती है।
ऐसा इसलिए है, क्योंकि अभी तक हमारे पास कोई शिक्षा नहीं है न ही कोई प्रशिक्षण विवाह के बारे में।
मुझे खेद है कि मुझे कई भारतीयों की उपस्थिति में यह कहना पड़ रहा है। परंतु भारतीय भी, आप देखिए, आपसे अपेक्षा करते हैं कि आप उनके रीति-रिवाजों को समझें, कभी-कभी थोड़ा अधिक। उदाहरण के लिए कल मालाएं दी गई थीं, उस समय जब मालाएं दी गई थीं,
आपको स्वयं को माला नहीं पहनाना था, परंतु आपमें से कुछ लोगों ने माला ली और स्वयं पहन ली।
इसे पूर्ण रूप से असभ्य माना जाता है, परंतु ऐसा है, इसलिए जब हम भारत में होते हैं तो हमें भारतीयों को समझना होता है, परंतु जब हम पश्चिम में होते हैं तो हमें पश्चिमी लोगों को समझना पड़ता है।
उदाहरण के लिए पश्चिम में आप कहते चले जाते हैं, धन्यवाद, धन्यवाद, धन्यवाद, क्षमा करें, क्षमा करें, क्षमा करें, क्षमा करें क्षमा करें, यह कभी-कभी बहुत भ्रामक होता है। हमें कई लोगों के साथ हाथ मिलाते जाना पड़ता है, मेरा मतलब है, मैं कभी-कभी एक समय में नौ सौ लोगों के साथ हाथ मिलाती हूँ और जब वे वापस जाते हैं तो फिर से नौ सौ लोगों के साथ।
तो मुझे लगता है कि नमस्ते एक बेहतर विचार है।
आप देखें हर प्रकार के व्यक्ति से हाथ मिलाना, आप हर एक से पकड़ लेंगे, परंतु एक प्रथा है, यह प्रथा है इसलिए हमें यह समझना होगा कि यह एक प्रथा है
और जिसका बुरा नहीं मानना है, ऐसी कोई बुरी प्रथा नहीं है। इसमें कुछ ग़लत नहीं है और कदाचित कोई भी तर्क नहीं है। उदाहरण के लिए अपने आप को माला पहनाना वहाँ थोड़ा तर्क है, आप अपने आप को माला नहीं पहनाते हैं, कोई और आपको पहनाता है
और महिलाएं अपने आपको माला नहीं पहनाती हैं,
आप देखिए, क्योंकि कोई भी पुरुष किसी भी महिला को माला नहीं पहना सकता है क्योंकि यह मात्र पति का अधिकार है ,
इसलिए कोई भी माला नहीं पहना सकता,
या एक बेटा माँ को माला पहना सकता है, परंतु कोई भी पुरुष किसी भी छोटी उम्र की महिला को माला नहीं पहना सकता या जो अभी विवाहित न हो और यदि विवाहित हो भी, उसे एक बड़ी उम्र की महिला होना होगा मेरे जैसी, तब तो यह ठीक है, इसलिए, तो यह सब प्रथाएँ अत्यंत स्थायी और यह उत्तम या तर्कपूर्ण हैं
यह है कि आप अपने आप को माला पहनाकर सड़क पर नहीं चल सकते हैं, यहाँ तक कि नेता भी यहाँ माल्यर्पण के तुरंत बाद माला उतार देते हैं, देवताओं के अलावा। मेरा तात्पर्य है मैं अपनी माला पहन कर रख सकती हूँ, परंतु मैं भी इसे उतार देती हूँ। इसलिए ये कुछ ऐसे रीति-रिवाज हैं जिन्हें समझना चाहिए
और इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है, कुछ तर्क है,
जो कुछ भी तर्क हीन है हम उसे छोड़ सकते हैं,
जो भी तार्किक हो हमें उसे स्वीकार करना होगा और समझना होगा। तो मैं आपको मात्र इतना बता रही थी कि कल वे सब हंसने लगे, बच्चे भी हंसने लगे, क्योंकि उन्हें लगा कि ये स्वयं को माला पहना रहे हैं।
यह अपने आप की आरती करने के समान है, आप जानते हैं, उसके बराबर है। 

  • तो आप समझ सकते हैं कि वे क्यों हंस रहे थे। वे आपको किसी भी प्रकार से चोट नहीं पहुंचाना चाहते थे, परंतु यह प्रणाली है।
    अब सहज योग की बात करते हुए, कल बाईं विशुद्धि बहुत अधिक थी। कदाचित् सुबह मैंने कहा कि आप सब अधिक देर से आए थे, औपचारिक कार्यक्रम के लिए, मुझे नहीं पता, जो कुछ भी मैं कहती हूँ उसे बस सुनना है, मात्र इतना ही। मात्र यह कि अगली बार हम देर न करें किसी भी औपचारिक कार्यक्रम में, परंतु ऐसा लगा था
    कि बाईं विशुद्धि थी, मुझे यहाँ एक गांठ हो गई
    और मुझे पता था कि वह क्या है।
    तो माँ आपसे जो बातें कहती हैं उससे आपको किसी भी प्रकार से आहत नहीं होना चाहिए और आपको इसे इतनी गंभीरता से नहीं लेना चाहिए, परंतु यह समझना चाहिए कि
    अगली बार हमें ऐसा नहीं करना है, अन्यथा
    आप सभी अद्भुत लोग हैं, आप उत्कृष्ट लोग हैं,
    मैं आपसे प्रेम करती हूँ।, मैं आपको चाहती हूँ, इतना ही नहीं, बल्कि मुझे आप पर बहुत गर्व है। मुझे आप पर अत्यधिक गर्व है, परंतु मुझे आपसे कभी-कभी कुछ कहना पड़ता है। परंतु यदि मैं आपको थोड़ा सा भी कह देती हूँ और यदि आप परेशान हो जाते हैं, तो
    मुझे नहीं पता कि मुझे क्या करना चाहिए।
    इसलिए इन बातों को इतनी गंभीरता से न लें।
    इतना कुछ ग़लत भी नहीं है। सामान्य तौर पर मुझे आपको ऐसी चीज़ें बतानी होती हैं, जो आपको समझनी चाहिए कि यह हमारी भलाई के लिए है, हमारे आनंद के लिए है,
    सब कुछ आपके आनंद को बढ़ाने के लिए है।
    यहाँ तक कि सहज योग में आपकी प्रगति भी आपके आनंद को बढ़ाने के लिए है। आपकी आनंद के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाने और अधिक से अधिक  बढ़ाने के लिए है।