Christmas Eve Talk: Purity and Holiness and Evening Program

Ganapatipule (भारत)

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[English to Hindi translation]

शुचिता और पवित्रता

गणपतिपुले (भारत), 24 दिसंबर 1988।

आप सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं। परमात्मा आप को आशिर्वादित करे।

[तालियां]

ईसा मसीह का जन्म पूरे विश्व में मनाया जाता है, और यह अच्छा है कि हम यहां गणपतिपुले में उनके जन्म का उत्सव मना रहे हैं। जैसा कि सहज योग में आप अच्छी तरह से जानते हैं, हमने महसूस किया है कि ईसा मसीह के सिद्धांत श्री गणेश थे। तो यह क्रिसमस मनाने के लिए सही जगह है और ईसा मसीह का जन्म  – आज बिल्कुल मेल खाता है और मुझे बहुत खुशी है कि आपने उसके लिए गणपतिपुले को चुना है।

अब जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि गणेश का सिद्धांत आज्ञा चक्र पर ईसा मसीह का सिद्धांत बन गया।

और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण चक्र है जो हमारे भीतर है जिसने हमें, हमारे व्यक्तित्व को एक नया आयाम दिया है, कि हम अपना पुनरुत्थान कर सकें जैसे कि मसीह ने खुद को पुनर्जीवित किया; इसलिए उनके जीवन का संदेश पुनरुत्थान है।

तो अपने जन्म से उन्होंने अपना पुनरुत्थान करवाया, उसी तरह जब आप अपना पुनरुत्थान प्राप्त करते हैं तो आप फिर से जन्म लेते हैं, या आप सहजयोगी बन जाते हैं। यह उसी सिद्धांत पर काम करता है।

लेकिन उन्हें शारीरिक रूप से सारी तपस्या से गुजरना पड़ा, जैसा कि हम कहते हैं कि वह हमारे लिए, हमारे पापों के लिए मरे; लेकिन अब जैसा कि उन्होंने हमारे लिए किया है, आज्ञा चक्र पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में है, कि हम जब चाहें इसे खोल सकते हैं, अगर हम सहज योगी हैं, और हम उस चक्र को भी प्रबुद्ध कर सकते हैं।

इस चक्र की पकड़ हमेशा उन लोगों को होती है जो ईसा मसीह के बारे में बात करने की कोशिश करते हैं, क्राइस्ट के बारे में बातें करते हैं, या यह दावा करते हैं कि उनकी जेब में क्राइस्ट हैं, जबकि उनका क्राइस्ट से कोई संबंध नहीं है।

अब, इसके लिए ईसा मसीह ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है, कि, “तुम मुझे क्राइस्ट, क्राइस्ट पुकारोगे, और मैं तुम्हें पहचान नहीं पाऊंगा”। इस तरह के बहुत सारे लोग हैं, और इसलिए उनके द्वारा ईसा मसीह के जन्म का जश्न सिर्फ एक त्योहार है, लेकिन इसका कोई गहन महत्व नहीं है।

लेकिन सहज योगियों के लिए यह एक बहुत बड़ी घटना है, क्योंकि उनका जन्म इस धरती पर इतना बड़ा अवतार लेकर आया है और उसके द्वारा हम अपने बोध को प्राप्त कर सके क्योंकि वे द्वार पर हैं।

तो, आज इस धरती पर ईसा-मसीह के आगमन के लिए धन्यवाद का दिन है, और हमें यह सुनिश्चित करना है कि जैसे वह हमारे सबसे बड़े भाई है, हम कह सकते हैं, वह हमारे नेता है, हमें उनके मार्ग पर चलना है; हमारे पुनरुत्थान में, हमें यह साबित करना होगा कि हमने उन गुणों को आत्मसात किया है जो ईसा-मसीह के समान हैं, जो हमारे प्रबुद्ध जीवन से पूरे ब्रह्मांड को रोशन करते हैं।

सहज योगियों पर यह समझने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि जब हम आज ईसा मसीह के जन्म का उत्सव मना रहे हैं, तो हम बहुत ही सुंदर, शुद्ध और गौरवशाली चीज के समर्थन में खड़े हैं।

ईसा मसीह का जीवन एक  – प्रतीकात्मक रूप से शुचिता और पवित्रता का प्रतीक कहा जा सकता है, वह शुचिता और पवित्रता थे। जब हम पवित्रता की बात करते हैं तो हम बाहर की पवित्रता के बारे में सोच सकते हैं, या शायद हमारे लेखन या बातचीत की शुद्धता, या शायद हम बहुत परिष्कृत हैं, या हम बहुत मीठी बातें करते हैं, या हम बहुत दयालु हैं; लेकिन ईसा-मसीह इस अर्थ में शुद्ध थे कि वे अन्य कुछ नहीं बल्कि पवित्रता ही थे।

और वह शुचिता की इस हद तक गए, कि उन्होंने कहा कि, “तुम्हारी आँखें भी व्यभिचारी नहीं होनी चाहिए”, कि तुम्हारी दृष्टि को शुद्ध होना चाहिए।

आँखों तक भी। उन्होने कहा: “तू व्यभिचारी आँखें न रखे”। इसलिए, अगर हमें ईसा-मसीह का अनुसरण करना है, अगर हमें यह समझना है कि वे पवित्रता के अवतार थे, तो हमें अपने व्यक्तित्व से वासना और लालच को हटाना होगा।

आज पवित्रता बहुत महत्वपूर्ण है, जब इस घोर कलियुग में हर तरह की भयानक चीजें हो रही हैं।

यदि आप पवित्रता में, अपनी शुचिता में और अपनी पवित्रता में विश्वास करते हैं, तो आपकी नैतिकता आपके भीतर है, बाहर नहीं। आज लोग ईसा मसीह के बारे में चाहे कुछ भी कहें, लेकिन आप सहज योगियों के रूप में जानते हैं कि वे शुद्ध से शुद्धतम थे।

उसी तरह हमें भी अपनी पवित्रता को सबसे ऊपर रखने की कोशिश करनी चाहिए।

हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम शुद्ध लोग बनें: दिल से शुद्ध, हमारी नैतिकता में शुद्ध, हमारी सोच में शुद्ध और दूसरों के साथ हमारे संबंध में शुद्ध। सिर्फ दिखावा नहीं, सिर्फ बनावटीपन नहीं, बल्कि भीतर से हमें उस एकाकारिता को महसूस करना चाहिए, इस समझ को कि हम सब सहजयोगी हैं, एक माँ से पैदा हुए हैं, और हम सभी को एक दूसरे से प्रेम करना है।

यह सबसे बड़ी शुभकामना है और ईसा-मसीह के लिए सबसे बड़ा आनंद भी जो आप मुझे दे सकते हैं , यह देख सकने के लिए कि आप सभी एक दूसरे के साथ पूरी तरह से एकाकारिता और एकरूपता में हैं।

यह किसी शख्स के लिए समझने की बात है कि उन्होंने अपने शिष्यों से भी कहा था कि, “मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी यह है कि आप सभी को एकरूपता  में देखूं।”

लेकिन अब सामूहिक चेतना आपकी चेतना के भीतर है, आप सामूहिकता को अपने भीतर महसूस कर सकते हैं; इसलिए आपके लिए एक-दूसरे के साथ एक होना, एक-दूसरे को समझना बहुत आसान होना चाहिए, बिल्कुल एक ही अस्तित्व के अंग-प्रत्यंग की तरह।

इसलिए मैं आप सभी को एक बहुत ही शुभ क्रिसमस की शुभकामनाएं देती हूं और आइए हम इस नए साल की शुरुआत इस पूरे विचार के साथ करें कि हमें ईसा-मसीह का समर्पण, ईसा-मसीह की समझ, जिस तरह उन्होंने अपना जीवन जो बहुत छोटा था को इस दुनिया में पवित्रता की स्थापना के लिए समर्पित किया।

यदि सहजयोगियों के पास वैसा व्यक्तित्व नहीं है, तो वे कहीं भी सहज योग स्थापित नहीं कर सकते।

इसलिए सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण चीज जो हमें करनी है वह है पवित्रता, जैसा कि आप अच्छी तरह जानते हैं कि आदि शक्ति ने सबसे पहले श्री गणेश को बनाया जो पवित्रता के प्रतीक हैं। इसलिए आज हमें यह प्रण लेना होगा कि अब से हम पूरी पवित्रता और निर्लिप्तता का जीवन व्यतीत करेंगे।

यदि आप सहज योग को समझते हैं तो यह इतना कठिन नहीं है। यदि आप सहज योगी हैं तो स्वयं को शुद्ध करना बहुत आसान है।

मैं बहुत खुश हूं कि आप सब यहां आ सके। बहुत सारी असुविधाएँ हैं, लेकिन अब आप संत होने के नाते, कुछ भी शिकायत नहीं करते हैं और आप जो कुछ भी है उसका आनंद ले रहे हैं, इस जगह की शुद्ध हवा और प्रकृति की पवित्रता जो हमारे चारों ओर है।

आइए हम भी ध्यान करें, उत्सर्जित करें, और हमारे अन्दर स्थित उस सुन्दर बात को अभिव्यक्त करें जो कि आत्मा है। और मुझे यकीन है कि यह सारी जगह जल्द ही जीवंत हो जाएगी, क्योंकि जब मैं आयी थी तो मैं बहुत दूर से चैतन्य महसूस कर पा रही थी।

परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करे।

[तालियां]

हिंदी में भाषण(यह हिस्सा अंग्रेजी लेखन में नहीं है)

2:13:48 अब बहुत समय हो गया है इसलिए हमारे ख्याल से आज का प्रोग्राम समाप्त हो जाएगा| लेकिन एक बात देखने की यहाँ पर ३० देश के लोग आये हुए हैं ,और इनकी मातृभाषा ना होते हुए भी और इनको अपने स्वरों का कोई भी ज्ञान नहीं, गणपति का ग भी इनको मालुम नहीं लेकिन, सब एक स्वर में गाना गाते हैं, हमारे यहाँ अगर हम कहें की एक स्वर में हमारे हिन्दुस्तान के चार कोने के लोग जहाँ बैठे हुए हैं एक गाना गायें तो बनने नहीं वाला मामला ,और इस से जो कलेक्टिव कहते हैं उस का जो परिणाम इन लोगों में हैं तो कोई सा भी गाना एक देश में हो जाए तो सारे देशों में उसका निनाद शुरू हो जाता है और हम चाहते हैं की हिन्दुस्तानियों में भी ये एकता का नाद अगर शुरू हो जाए कम से कम एक गाना हम लोग सब मिल कर गा सकें तो बहुत बड़ी बात हो जाए | लेकिन वैसा दिखाई नहीं देता |और ये बड़े आश्चर्य की बात है की इनकी ये भाषा नहीं है| मातृभाषा नहीं है| उस पर भी इन लोगों ने इस तरह से , किस तरह से इन सब गानों गाने जितने भी थे उन को लिख कर के किताबों में उनको बंदिश करके और व्यवस्थित रूप से आप को सुनाया |, तो मैं चाहती हूँ की इन छह दिनों में हमारे जो लीडर लोग हैं वो सब मिल कर के कम से एक गाना ऐसा तैयार करें | पता नहीं हम लोग वन्देमातरम और जनगण मन भी सब लोग मिल कर गा सकते हैं या नहीं |तो बड़ा अच्छा रहेगा मेरा बड़ा मन है की मैं सुनूँ की सब सहज योगी भारतीय लोग, एक तान ता से एक साथ रहा कर के और एक आवाज़ के साथ एक ताल में कोई बड़ा अच्छा गाना गायें | आशा है यह हो जाए | लेकिन देखती यह हूँ की गर एक आदमी अच्छा गाना गायेगा हिन्दुस्तान, में दूसरा सोचेगा की इस से में अच्छा कैसे गा सकता हूँ और वो दूसरा ही गाना बनाएगा | और फिर एक तीसरा , तीसरा ही गाना बनाएगा | इसी तरह से स्वर अलग ही अलग बनते रहेंगे तो गर कोशिश की जाए हम लोग अब हैं यहाँ छह दिन में सब लोग मिल कर के कोई गाना अगर बना सके और सब मिल के उस पे एक मत हो कर एक मत उस गाने को गायें तो बड़ा कमाल हो जाएगा| आशा है वो सुनने को मिलेगा हमें | ये तो गा ही लेंगें आप एक बार सुनाइये सब लोग तो फिर देखिएगा दूसरी बारी ये आप को सुना देंगे ये कुछ मेरी एक बिनती है कम से कम गाना तो एक मत से एक ताल में एक स्वर में हो जाए | बड़ा अच्छा रहेगा वैसे ही हिन्दुस्तानियों के लिया कहा जाता है की दो इंसान साथ नहीं रह सकते तो अब देखना है की सहज योग का असर कितना आया हुआ है हम लोगों में | कोई तो भी इसमें इसकी जिम्मेदारी ले ले और इस पे अमल करे तो बड़ा अच्छा हो जाएगा |

आप सब को अनंत आशीर्वाद है |

सभी विदेशी सहज योगियों के लिए मैंने कुछ अच्छी पेंटिंग प्राप्त करने की व्यवस्था की थी लेकिन अभी तक नहीं आई है और आखिरी मिनट मैंने आपके लिए कुछ क्रिसमस उपहार खरीदने के बारे में सोचा तो मेरे पास कुछ चीज है जो मुझे लगता है कि आप इसे पसंद करेंगे

परमात्मा आप सब को आशिर्वादित करें 

मैं उनसे अनुरोध करूंगी कि वह संगीतकारों को बड़ा और महिलाओं को और अन्य लोगों को जो गा नहीं रहे हैं छोटा वितरित करें यानी आप गा रहे हैं लेकिन संगीतकार नहीं माने जाते हैं। हमारे पास इनमें से सौ हैं और तीन सौ छोटे हैं, इसके लिए थोड़ी ताकत की आवश्यकता है, यह एक इकलौता नग मैं इसे विडो के लिए दूंगी और (दुसरा दो) इसे महिलाओं और अन्य लोगों के लिए|.

[Hindi transcription at 2:13:48]

अब बहुत समय हो गया है इसलिए हमारे ख्याल से आज का प्रोग्राम समाप्त हो जाएगा| लेकिन एक बात देखने की यहाँ पर ३० देश के लोग आये हुए हैं ,और इनकी मातृभाषा ना होते हुए भी और इनको अपने स्वरों का कोई भी ज्ञान नहीं, गणपति का ग भी इनको मालुम नहीं लेकिन, सब एक स्वर में गाना गाते हैं, हमारे यहाँ अगर हम कहें की एक स्वर में हमारे हिन्दुस्तान के चार कोने के लोग जहाँ बैठे हुए हैं एक गाना गायें तो बनने नहीं वाला मामला ,और इस से जो कलेक्टिव कहते हैं उस का जो परिणाम इन लोगों में हैं तो कोई सा भी गाना एक देश में हो जाए तो सारे देशों में उसका निनाद शुरू हो जाता है और हम चाहते हैं की हिन्दुस्तानियों में भी ये एकता का नाद अगर शुरू हो जाए कम से कम एक गाना हम लोग सब मिल कर गा सकें तो बहुत बड़ी बात हो जाए | लेकिन वैसा दिखाई नहीं देता |और ये बड़े आश्चर्य की बात है की इनकी ये भाषा नहीं है| मातृभाषा नहीं है| उस पर भी इन लोगों ने इस तरह से , किस तरह से इन सब गानों गाने जितने भी थे उन को लिख कर के किताबों में उनको बंदिश करके और व्यवस्थित रूप से आप को सुनाया |, तो मैं चाहती हूँ की इन छह दिनों में हमारे जो लीडर लोग हैं वो सब मिल कर के कम से एक गाना ऐसा तैयार करें | पता नहीं हम लोग वन्देमातरम और जनगण मन भी सब लोग मिल कर गा सकते हैं या नहीं |तो बड़ा अच्छा रहेगा मेरा बड़ा मन है की मैं सुनूँ की सब सहज योगी भारतीय लोग, एक तान ता से एक साथ रहा कर के और एक आवाज़ के साथ एक ताल में कोई बड़ा अच्छा गाना गायें | आशा है यह हो जाए | लेकिन देखती यह हूँ की गर एक आदमी अच्छा गाना गायेगा हिन्दुस्तान, में दूसरा सोचेगा की इस से में अच्छा कैसे गा सकता हूँ और वो दूसरा ही गाना बनाएगा | और फिर एक तीसरा , तीसरा ही गाना बनाएगा | इसी तरह से स्वर अलग ही अलग बनते रहेंगे तो गर कोशिश की जाए हम लोग अब हैं यहाँ छह दिन में सब लोग मिल कर के कोई गाना अगर बना सके और सब मिल के उस पे एक मत हो कर एक मत उस गाने को गायें तो बड़ा कमाल हो जाएगा| आशा है वो सुनने को मिलेगा हमें | ये तो गा ही लेंगें आप एक बार सुनाइये सब लोग तो फिर देखिएगा दूसरी बारी ये आप को सुना देंगे ये कुछ मेरी एक बिनती है कम से कम गाना तो एक मत से एक ताल में एक स्वर में हो जाए | बड़ा अच्छा रहेगा वैसे ही हिन्दुस्तानियों के लिया कहा जाता है की दो इंसान साथ नहीं रह सकते तो अब देखना है की सहज योग का असर कितना आया हुआ है हम लोगों में | कोई तो भी इसमें इसकी जिम्मेदारी ले ले और इस पे अमल करे तो बड़ा अच्छा हो जाएगा |

आप सब को अनंत आशीर्वाद है |