Arrival and Virata Puja

Camp Wonposet, Litchfield (United States)

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                                                श्री विराट पूजा।

 कैंप वोनपोसेट, कनेक्टिकट (यूएसए), 11 जून 1989

आज हमने श्री कृष्ण की भूमि में विराट की पूजा करने का निर्णय लिया है।

जैसा कि आप जानते हैं, श्री विष्णु की अभिव्यक्ति के विकास में, वे दस अवतारों में आते हैं और अंततः वे स्वयं को विराट के रूप में प्रकट करते हैं। विराट अस्तित्व का मस्तिष्क है जिसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहा जा सकता है, इसलिए संपूर्ण मध्य तंत्रिका तंत्र श्री कृष्ण द्वारा विष्णु के रूप में काम करता है, फिर ये सभी अवतार, फिर श्री कृष्ण और अंततः विराट के रूप में।

यह हमारे मस्तिष्क का विकास है और जब हम विराट की पूजा कर रहे हैं तो हमें यह जानना होगा कि हमारे भीतर भी विराट की इस शक्ति की अभिव्यक्ति है।  हमारे पास जो अभिव्यक्ति है, हम उसे विराट कह सकते हैं यदि श्री कृष्ण महा विराट हैं।

 आज जितना मैं कह सकती हूँ उससे कहीं अधिक आप सभी विराट के बारे में जानते हैं क्योंकि यह समग्र है, यह समग्रता है। और हर चीज की समग्रता, अगर वह विराट है, तो वह आपके दिमाग में है, लेकिन वास्तविकता आपके हृदय में है।

तो आप जिस समग्रता को देख सकते हैं, जिसके आप साक्षी हो सकते हैं, वास्तविकता उसके पीछे की सूक्ष्मता है।

तो जिस मस्तिष्क पर हृदय का शासन नहीं है, जो हृदय से पोषित नहीं है, वह बहुत खतरनाक चीज है, क्योंकि यह बहिर्मुखता पैदा करता है, और ऐसा व्यक्ति जो बिना हृदय के चीजों को करने की कोशिश करता है, बहुत निर्दयी हो जाता है और बहुत खतरनाक हो सकता है।

हमारे भीतर इसका एक दूसरा तरीका भी हो सकता है; कि अगर हम अपने हृदय को खुद पर शासन करने दें, केवल अपनी भावनाओं के साथ जिएं और अपनी तर्कसंगत बुद्धि का उपयोग न करें, तो वास्तव में हम खुद अपने लिए बहुत खतरनाक लोग बन सकते हैं। इस अर्थ में की, हम सुस्त हो जाते हैं, हम गलत प्रकार की चीजों में लिप्त हो जाते हैं। और आज क्या लगता है कि अमेरिका में दायें बाजू तरफ से ज्यादा बाएं तरफ का दबदबा है।

दाहिनी ओर हमारा चित्त है और चित्त का दाहिना भाग, हम कह सकते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का लिवर है। तो अब जब की हमें समग्रता की बात करनी है, जब हम समग्रता के अभिन्न अंग हैं, और अब हम अपने उस अस्तित्व के प्रति जागृत हो गए हैं, जो संपूर्ण का अंश है, तब हमें संपूर्ण होने की अनुभूति करना होगी। इसके बारे में कुछ करना है। विशेष रूप से श्री कृष्ण की भूमि में हमें सहजयोगियों से विराट बनाने का यह जबरदस्त कार्य करना है।

अमेरिकी सहज योग के विभिन्न अनुभवों से गुजरने के बाद, मैं इस निष्कर्ष पर पहुंची हूं कि हमें पहले की तुलना में चीजों के बारे में अधिक स्पष्ट रूप से बात करनी होगी। इतने सारे साधक होने के बावजूद इस महान देश में सहज योग की इतनी विफलता क्यों है?

मुख्य बात यह है कि हमें इस बात का अहसास नहीं है कि बाएं तरफ सक्रियता इस देश पर बहुत अधिक हावी हो रही हैं। ऐसे लोग हैं जो सक्रिय हैं, लेकिन बहुत अधिक संपन्नता, बहुत अधिक स्वतंत्रता, “किसी भी चीज़ में तो क्या गलत है” के विचार के कारण उनका प्रतिशत बहुत कम है।

लोग बेशर्मी, अनैतिक जीवन, स्वार्थ की ओर जा रहे हैं।  इस आत्म-भोग, और उसकी रक्षा के लिए, लोग हमेशा एक प्रकार का अहंकार विकसित कर लेते हैं जिसमें कोई गतिशीलता नहीं होती है।

तो अब समस्या सहज योगियों के साथ है, सहज योग के साथ नहीं। जब आप देखते हैं कि भूमि इतनी उपजाऊ नहीं है और यहां आपको बहुत मेहनत करनी पड़ती है, तो अमेरिका में सभी सहजयोगियों की जिम्मेदारी गहराई तक जाने की है।

आप देख सकते हैं कि जहां भी भूमि उपजाऊ नहीं है वहां पेड़ बहुत गहराई तक चले जाते हैं, वे धरती माता में बहुत गहराई तक खुदाई करते हैं ताकि रस खींचा जा सके।

और वैसे ही वे बहुत ऊँचे हो जाते हैं, क्योंकि उनके गहराने की ताकत उन्हें इतनी बड़ी ऊँचाई देती है। इसलिए वे बहुत लंबे होते हैं और साथ ही वे बहुत गहरे भी होते हैं।

अमेरिका के सहजयोगियों को भी उसी तरह काम करना होगा क्योंकि यहां इतनी सतहीपन और इतनी तुच्छता है और उनके जीवन का भी कोई मतलब नहीं है। उनका कोई अर्थ नहीं है और वे अपनी भावनाओं और अपने प्यार और उन सभी चीजों के बारे में सभी बेहूदा विचारों के साथ अपने जीवन को बर्बाद कर रहे हैं।

तो आज हमें जिस चीज की जरूरत है, वह है दायें बाजू सक्रिय (राईट साइडेड) सहजयोगी, जो परिणाम देंगे, जो गतिशील होंगे। उन्हें इस बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है कि कोई दायें बाजू सक्रिय (राइट साइडेड) है और वो राइट साइडेड हो जाएगा, दरअसल आज उसी की जरूरत है।

जब तक आपके पास गतिशील लोग नहीं होंगे, हम इसे कार्यान्वित नहीं कर सकते।  इस देश में और साथ ही इंग्लैंड तथा अन्य कई देश जो अन्य लोगों पर हावी हुए में,यह एक प्रतिक्रिया है ।

जैसा कि आप यहाँ देखते हैं, जो जगह वास्तव में मूल रूप से इंडियन की कुछ जनजातियों की थी, और अंग्रेज, स्पेनिश और ये सभी यूरोपीय आए, उन्हें मार डाला और यहां कब्जा कर लिया। यह एक हाईवे डकैती है, बिल्कुल हाईवे डकैती।

उनके अहंकार और उनकी आक्रामकता के कारण, वे यह नहीं देख सके कि वे इतना भयानक काम कर रहे हैं। मेरा मतलब है, हिटलर के किसी भी नाम को क्यों पुकारें, वे हिटलर से भी बदतर हैं, क्योंकि कम से कम हिटलर को दण्डित किया गया था, उसकी निंदा की गई थी और लोग जानते हैं कि यह एक गलती थी।

लेकिन उन लोगों का क्या जो वहां से आए और यहां इतने सारे लोगों को मार डाला और महान अमेरिकियों के रूप में हर जगह बहुत अच्छा समय बिता रहे हैं और अब वे हर जगह दिखावा करने की कोशिश कर रहे हैं।

वास्तव में यह एक ऐसा पाप किया गया है कि,  मेरे विचार से ये सभी मारे गए, वे प्रेतात्माएँ हैं जिन्होंने इन्हें ग्रसित कर रखा है, और अब अमेरिका बाईं ओर है। अमेरिकियों की दाहिनी बाजू (राईट साइड)अब नष्ट हो चुकी है, वे बाईं ओर हैं, दोषी हैं, दोषी महसूस कर रहे हैं, वे भोगों को अपना रहे हैं।

एक बार जब आप दाईं तरफ जाते हैं, तो आप देखते हैं, आप बहुत अनुशासित हैं और आप स्वभाव से बहुत तपस्वी हो जाते हैं, मुझे कहना चाहिए, और आप दूसरों पर हावी होना चाहते हैं और आप कब्जा करना चाहते हैं। लेकिन आज इंग्लैंड और अमेरिका की स्थिति समान ही है। इंग्लैण्ड में सहजयोगियों के साथ भी यही बात मुझे मिलती है – वे सिर्फ लवी-डवी टाइप हैं, आप देखिए, और वे सभी मुझसे प्यार करते हैं और मुझसे प्यार करते हैं और मुझसे प्यार करते हैं। [हँसी] और मुझे समझ में नहीं आता। यह क्या हो रहा है? वे सभी मुझसे प्यार करते हैं और वे मेरे लिए फूल लाएंगे, समाप्त। क्या इस तरह से हम उस इंग्लैंड और इस अमेरिका में सहज योग का अभ्यास करने जा रहे हैं?कि, “माँ, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।”तो क्या?

तो समग्र का एक अंग-प्रत्यंग बनने के लिए, एक बूंद को सागर बनना होगा, आपको महान लोग बनना होगा, आपको जिम्मेदार होना होगा। और यह लाड-प्यार व्यवसाय को आपको अपने दिमाग से पूरी तरह से निकाल बाहर करना है, अन्यथा सहज योग इन दोनों देशों में नहीं चल सकता है और आप एक के बाद एक शापित होंगे।

इस देश के साथ-साथ इंग्लैंड में भी झटके के बाद झटके आ रहे हैं. लेकिन लोग उनसे कोई सबक नहीं सीख रहे हैं, फिर भी सब ठीक है; हमें यह बीमारी हुई है, ठीक है; फिर हम उसका गुणगान भी करते हैं। यदि हम पर्यावरण असंतुलन से पीड़ित हैं, तब भी हम गौरवान्वित हैं। यदि आप बहुत अधिक मशीनरी का असंतुलित उपयोग कर रहे हैं, तब भी हम महिमा मंडन कर रहे हैं। क्योंकि लोग सिर्फ आत्म भोग चाहते हैं।

केवल आत्म-भोग के लिए वे इस बात को नहीं देखना चाहते जोकि इस देश के साथ गलत हो रहा है, कि वे जो कुछ भी वास्तविकता है उसे नहीं देखते हैं। और वास्तविकता, हालांकि यह हृदय में है, हालांकि यह हृदय में काम करती है, इसे कार्य करना होता है। इसे कार्य करना होगा और यदि यह कार्य नहीं करता है, तो इस प्रकार का निष्क्रिय व्यवहार आपकी मदद नहीं करेगा।

अब अपनी इस वृद्धावस्था में मैं एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा कर रही हूँ और बहुत कुछ कर रही हूँ। आइए अब इसके बारे में सोचें: हमने सहज योग के लिए क्या किया है? जो लोग आपको देखते हैं, वे आपको कभी-कभी बिखरे बालों वाले हिप्पी के रूप में और कुछ इस तरह की चीज़ के रूप में देखते हैं। मेरे पास यह रिपोर्ट है, आपके केंद्रों पर आए लोगों और ऐसी ही चीजों से। “ओह, वे हिप्पी का एक समूह हैं, आप देखते हैं,” बस ऐसे ही।

तो सबसे पहले एक सहज योगी को अपने व्यक्तित्व को प्रस्तुति योग्य बनाने के लिए कुछ करना होता है, अमेरिका में यह बहुत महत्वपूर्ण है। वे पढ़ रहे हैं, वे नौकरी से बाहर हैं, वे ये-वो कर रहे हैं। उस तरह के लोग सहज योग की बिल्कुल भी मदद नहीं करने वाले हैं, वे सहज योग पर जिम्मेदारी होंगे। अगर आप वास्तव में कुछ करना चाहते हैं तो आपको कुछ बनना होगा। तुम्हें पढ़ना होगा, तुम्हें कुछ बनना होगा, तुम्हारे पास किसी तरह की डिग्री, डिप्लोमा, कुछ जुड़ा हुआ होना चाहिए, तुम्हारा कोई उद्देश्य होना चाहिए। अमेरिका में हिप्पी सहज योग नहीं चला सकते;  भारत में वे बेहतर चल सकते हैं लेकिन यहां नहीं।

तो व्यक्ति को यह महसूस करना होगा कि हमारे साथ जो गलत हुआ है वह यह है कि हम बहुत सूक्ष्म तरीके से अब भी उन्हीं प्रवृत्तियों का अनुसरण कर रहे हैं जो हमने अपना ली हैं।

बोध के बाद … [ किसी अन्य को निर्देश देती हैं-दरवाज़ा खोलो।] बोध के बाद हम सोचते हैं कि हम साक्षात्कारी आत्मा हैं, कि हम अब योगी हो गए हैं, कि हम साक्षात्कारी आत्मा हैं। लेकिन देखना यह चाहिए कि हम आत्मसाक्षात्कारी बन गए हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन जो भी बंधन सहज योग में आने से पहले हमारे पास थे, वे सूक्ष्म हो गए हैं।

उन्होंने स्वयं को ज्योति के रूप में व्यक्त नहीं किया है, बस हम मानते हैं कि हम सहजयोगी हैं। हम मानते हैं कि हमारे पास वायब्रेशन हैं और हम वायब्रेशन को महसूस भी कर सकते हैं। लेकिन फिर भी हम उस स्थिति में नहीं पहुंचे हैं जहां हम समग्रता बन गए हों। हमें अभी भी बढ़ना है। और अगर आप अपने वायब्रेशन के साथ संतुष्ट हो गए हैं और यह सोच रहे हैं कि आप ठीक हैं, तो दुख की बात है की आप गलती पर हैं।

सहज योग में आने से पहले हमारी जो भी कंडीशनिंग थी, मान लीजिए कि आप हिप्पी थे, तो ज्ञानोदय आ गया, लेकिन फिर यह रोमांटिक गतिविधि  का विचार बना हुआ है।

मान लीजिए आप एक व्यवसायी रहे हैं, तो जब आप के पास ज्ञान आ गया है और आप सोचते हैं कि माँ को आपके व्यवसाय में आपकी मदद करनी चाहिए, बस यह ऐसा ही है। मान लीजिए अब आप अविवाहित थे और आपका विवाह सहज योग में हुआ है, तो आप चाहते हैं कि आपका विवाह सहज योग में सफल हो। यदि आपके स्वास्थ्य में कोई समस्या है या ऐसा ही कुछ है, तब आप एक कुशाग्र व्यक्ति बन जाते हैं, आपको लगता है कि, “मैंने उसके लिए माँ से मदद मांगी।” लेकिन हम यह नहीं सोचते कि सहज योग में हमने क्या योगदान दिया है।

हमारे पास कुछ चीजें थीं जिन्हें हम गलत समझते थे – शायद ऐसा, लेकिन सहज योग में हम नहीं देखते कि वे चीजें अब भी हमारे पास हैं, फिर भी हमारे साथ जारी हैं।

विराट बनने के लिए हमें बिना किसी क्रोध, द्वेष या किसी भी चीज के वास्तव में खुद को जांचना होगा, लेकिन खुद को देखना होगा। मैं ऐसे लोगों को जानती हूं जो छोटे मन वाले हैं, जिनमें ईर्ष्या है और उनकी ईर्ष्या जारी है। मान लीजिए कि एक अच्छा संगीतकार है, तो वे इस बात की सराहना नहीं करेंगे कि दूसरा व्यक्ति संगीतकार है। वह सराहना नहीं करेगा, वह उस व्यक्ति को प्रोत्साहित नहीं करेगा कि, “वास्तव में, मैं एक संगीतकार हूं, वह भी एक संगीतकार है, मुझे उसकी मदद करना चाहिए।”

तो पहले जो घटिया सोच थी, वह आज भी महिमामय स्वरुप में बनी रहती है। वह व्यक्ति इस तरह सोचेगा कि “ठीक है, मैं एक संगीतकार हूँ और मैं बहुत अच्छा गाता हूँ और मैं माँ की महिमा गा रहा हूँ।” लेकिन कोई और जो गा रहा है उसकी उस हद तक सराहना नहीं की जाएगी जबकि आपको यह उम्मीद करनी चाहिए कि आप संपूर्ण का एक हिस्सा ही हैं।

इस हाथ को अगर चोट लगती है तो दूसरा हाथ तुरंत उसकी मदद करता है। पूरे शरीर में आप देखते हैं कि सिस्टम पूरी तरह से आपस में जुड़ा हुआ है। खाना खाते ही पाचन तंत्र काम करने लगता है।

लेकिन हमें खुद पर नजर रखनी चाहिए। अगर आपको और गहरा होना है तो हमें खुद को देखना होगा कि हममें कहां कमी है।

अब एक पेड़ कैसे बढ़ता है? मैंने आपको कई बार कहानी सुनाई है कि जड़ के अंत में एक छोटी सी कोशिका होती है और यह जानती है, और यह एक उद्देश्य जानती है: कि इसे एक पेड़ बनना है, इसलिए यह सब तरफ जाती है। यह एक शिलाखंड या कुछ और देखती है, पत्थर, उसके चारों ओर जाती है, उससे संघर्ष नहीं करती है।

क्योंकि आखिरकार हमें जो हासिल करना है वह है वृक्ष बनना, इसलिए हमें इस बात को ध्यान में रखना होगा कि हमें पेड़ बनना है, न कि किसी तरह का छोटा सा मेंढक, जो सहज योग के बारे में इधर-उधर टर्रा रहा हो। नहीं, यह काम नहीं करेगा!

और यही है जो मुझे लगता है –  लोगों के बारे में भी बहुत सच है, जैसे इंग्लैंड के, वही बात। नेता लड़ रहे हैं, नेता सहजयोगियों की गुणवत्ता में सुधार करने की विधि और तरीके खोजने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह सहज योगी हैं जिन्हें यह जानना है कि जिम्मेदारी उनकी है। उन्हें उन्नत होना है, उन्हें विराट बनना है। और यह अमेरिका है, जहां, मैंने तुम्हे बताया कि श्री कृष्ण का स्थान है, जहां श्री कृष्ण विराट हो गए।

जब तक आप स्वयं यह न देख लें कि हमें यह करना है, हमें यह बनना ही है… हम अभी भी अपनी छोटी-छोटी मूर्खतापूर्ण समस्याओं में व्यस्त हैं। यह एक दुष्चक्र है, जैसे ही आप अपनी मूर्खतापूर्ण समस्याओं और, आपकी पुरानी चीजें जो अभी भी सहज योग में महिमा मंडित होती जा रही हैं, के बारे में चिंता करना शुरू करते हैं तो आप पाते हैं कि दुष्चक्र काम करना शुरू कर देता है, इस से कुछ हासिल नहीं होता है, यह आपको अच्छे अवसर नहीं देता है , यह आपको आत्मविश्वास नहीं देता है। यह ऐसी चीज है, यह एक पैकेजिंग की तरह है जैसा कि वे इसे कहते हैं।

लेकिन जैसे ही आप तय करते हैं, “नहीं, मैं इसे करने जा रहा हूँ,” – आप लोग सहजयोगी हैं, आप कुंडलिनी के बारे में सब जानते हैं, आप जागरण के बारे में सब जानते हैं, आप उपलब्धि के उच्च चरणों के बारे में जानते हैं, आप सभी, हर कोई लोगों को आत्मसाक्षात्कार देने में सक्षम है।

आप जानते हैं कि चीज कहां फंस गई है, सब कुछ आप जानते हैं, लेकिन अब जरा इस बारे में सोचिए कि आप में से कितने लोग इसके बारे में कुछ कर पाए हैं? जब लोग आपको देखते हैं तो आपके बारे में उनके विचार बहुत कमज़ोर होते है। उन्हें लगता है कि आप अपनी पत्नियों के साथ उलझे हुए  हैं, चूँकि पत्नी का बहुत दबदबा है, इसलिए ऐसा हो रहा है। अचानक तुम बुझ जाते हो। आप अपने बच्चे को देखते हैं, बच्चे के बारे में चिंतित हो। आप… कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि एक बार उनकी शादी हो जाती है, उनका एक बच्चा होता है, फिर वे बच्चे के माता-पिता के अलावा कुछ नहीं ऐसे बन जाते, समाप्त, सहज योग समाप्त होता है। तब बच्चा महत्वपूर्ण हो जाता है। लेकिन आशीर्वाद बंधन बन जाते हैं! [कुछ हँसी]

तो आपको अपने भीतर देखना होगा कि हम यहां मुक्ति के लिए, पूर्ण स्वतंत्रता के लिए हैं। लेकिन सूक्ष्म तरीके से ये सभी चीजें आपको बांधती चली जाती हैं और आप इससे लिप्त हो जाते हैं और आप नहीं जानते कि कैसे वे अभी भी आपको नीचे खींच रहे हैं, आपको उड़ने की अनुमति नहीं देते हैं, वे आपको मुक्ति नहीं देते हैं जो कि पाने का आपका अपना अधिकार है।

तो अगर मैं हवाई जहाज बना भी लूं, सब कुछ करता हूं, उसमें ईंधन डालता हूं, मैं सब कुछ कहता हूं, लेकिन उड़ना नहीं चाहता। अब ऐसे हवाई जहाज का क्या करें जो उड़ना ही नहीं चाहता?

ऐसी स्थिति है और यह स्थिति तुम्हें इतना सीमित और इतना बौना बनाती है। आप कैसे विकसित होंगे? जब तक आप विकसित नहीं हो जाते और इसे अपने दैनिक जीवन में, आपके व्यक्तित्व में, हर चीज में प्रदर्शित नहीं करते, मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि कोई भी आपसे प्रभावित नहीं होगा।

सहज योग न तो विज्ञापन से चलेगा, न मेरी तस्वीरों से, यह आपके काम से, आपकी जिम्मेदारी से, आपके कंधा लगाने से चलने वाला है, यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप सहज योग का प्रसार करें और इसे स्थापित करें। लेकिन सबसे पहले आपके कंधे मजबूत होने चाहिए। आप अभी भी काम से बाहर हैं, आप अभी भी कुछ ऐसे हैं जैसे, कोई हवा में लटका हुआ है, आप अभी भी ऐसे हैं कि कोई आपकी तरफ देखेगा भी नहीं। फिर आप अपने कंधों पर कैसे ले जा सकते हैं?

तो पहली बात यह है कि अपने आप को अंदर और बाहर से भी बनाना है, लेकिन ऐसा दुष्चक्र मैं आपको बताती हूं। यदि तुम अपने में गहरे नहीं उतरते हो, तो तुम्हें बाहरी वस्तु भी नहीं मिल सकती।

तो यह हाथों हाथ काम करती है, जैसे ही आप अपने आप को अंदर बनाना शुरू करते हैं, आप चकित होंगे कि चीजें कैसे काम करेंगी, आप कैसे गतिशील होंगे, आप कैसे महान बनेंगे।

लेकिन आप उन चीजों में शामिल हो जाते हैं जो बहुत छोटी और काम- चलाऊ होती हैं। इसलिए जैसा कि मैंने आपको पहले बताया था, हम शाश्वत की तलाश कर रहे हैं। इसलिए अस्थायी वस्तुओं का उपयोग केवल बहुत ही सामयिक रूप से किया जाना चाहिए, हमें जो चाहिए वह इतना महत्वपूर्ण नहीं है।

यदि आप इस बात को स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं, कि हम अभी भी स्वतंत्र नहीं हैं, सहज योग से पहले हमारे पास मौजूद सभी चीजों से निर्लिप्त नहीं हैं और वे सूक्ष्म और सूक्ष्मतर और सूक्ष्मतर हो गई हैं। और हम अभी भी सहज योग का उपयोग केवल उस उद्देश्य के लिए कर रहे हैं न कि प्रकाश फैलाने के लिए। तो क्या होने वाला है?

यह बिल्कुल,वास्तव में, पूर्ण रूप से अपने भीतर समझा जाना है। कभी-कभी मेरे व्याख्यान, आप देखते हैं, थोड़े कठोर होते हैं, लोग सोचते हैं कि माँ को ये बातें कहनी थीं, यह भी तुम्हारे लिए मेरे प्यार और इस देश के लिए मेरे प्यार के कारण है। आपको वास्तव में अपने आप को देखना होगा, “हम क्या हैं? हम कहाँ है?”

 चूँकि हमारे पास मौजूद सहजयोगी समाज में सामान्य से कमज़ोर लोग थे इस वजह से हमारा अंत नहीं होगा| यदि आप गुरुओं को देखें कि वे अपने आप को कैसे फैलाते हैं, हालांकि वे झूठे हैं, वे बेकार हैं लेकिन हर कोई किसी उभरते हुए के बारे में जानता है। दो महीने के समय में आप पूरी दुनिया में उस व्यक्ति के बारे में सुन सकते हैं। वे क्या करते हैं, जाते हैं और सबसे पहले सफल लोगों को मिलते हैं, जो शहर में प्रमुख हैं।

वे उन लोगों की कभी परवाह नहीं करते जो नशा करते हैं, या जो बीमारियों से पीड़ित हैं, नहीं, कुछ ऐसा नहीं करना हैं! उनका उनसे कोई लेना-देना नहीं है।

वे सिर्फ उन लोगों को लक्ष्य करेंगे जो बहुत सफल हैं, जो बहुत अमीर हैं, क्योंकि वे समाज के शीर्ष पर हैं। तो वे जाकर लोगों से मिलेंगे और उनसे संपर्क करेंगे और उनसे और यह और वह पूछेंगे और फिर वे उन्हें कार्यक्रम के लिए बुलाएंगे, उन्हें सारा महत्व देंगे, सब कुछ, तब लोग सोचने लगते हैं, “हे भगवान! यहाँ उपस्थित होना कितनी बड़ी बात है।”

फिर ऐसा की उनके अहं को थोडा सहला दो,  – इस तरह वे फैलते हैं।

लेकिन इसमें कोई वास्तविकता नहीं है, कुछ भी नहीं है, इसमें कुछ खास नहीं है, यह सब बेकार है, सब कृत्रिम है। लेकिन इस तरह वे खुद को बेचते हैं।

हालांकि हम खुद को बेचना नहीं चाहते हैं, हमें यह जानना होगा कि जब तक हमारे पास कुछ उल्लेखनीय गुण नहीं होंगे, लोग हमारी ओर नहीं देखेंगे, क्योंकि जो कुछ भी घटित हुआ है वह हमारे भीतर है, और किसी को भी प्रकाश दिखाई नहीं देता है, यह एक प्रज्वलित प्रकाश की तरह है, जो पूरी तरह से ढका हुआ हो।

तो ऐसा मैंने देखा है। मैं कोलंबिया गयी थी। कोलंबिया में, आपको आश्चर्य होगा कि लोगों ने मुझे कभी नहीं जाना था, उन्होंने कभी मेरा नाम नहीं सुना था, लेकिन मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन भीड़ इतनी थी कि मैं परिसर में प्रवेश नहीं कर सकी और किसी न किसी तरह से मुझे उसमें धकेल दिया गया। तब हॉल में असंभव जैसा था, लोग लटके हुए थे – मुझे लगा कि वे ऊपर से लटके हुए हैं, बस मुझे देखने के लिए किसी चीज पर बैठे हैं। मैंने इतने सारे लोग हर दिशा में, हर ऊंचाई पर वहां लोग पाए। मुझे नहीं पता था कि उन्हें कैसे व्यवस्थित किया जाए।

लेकिन उन्होंने मेरी बात बहुत ध्यान से सुनी, दो दिन हमारा कार्यक्रम था, दो दिन वहां भीड़ थी। और फिर जब उन्हें फॉलो-अप कार्यक्रम करना था तो वे आए, अगले दिन वे गायब हो गए। ग्रीस में वही बात, तुर्की में वही। तो निश्चित रूप से हमारे साथ कुछ गड़बड़ है।

अब एक पाठ्यक्रम आ रहा है, लोग पाठ्यक्रम का व्यवसाय करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमें पता होना चाहिए कि यह ज्ञान प्रेम के बिना  नहीं है, यह प्यार और ज्ञान है।

तो आप उनसे कैसे बात करते हैं, आप उनके साथ कैसा व्यवहार करते हैं, यह तो है, लेकिन आपकी गतिशीलता उन्हें प्रभावित करने वाली है।

आप देख सकते हैं वह फिल्म जो हमने कल देखी थी जिसमें संगीत था। अब यह क्या था? वहां ऊर्जा गतिशील थी, ऊर्जा गतिशील थी, संगीत और हर चीज के साथ, और वह दिख रही थी। तो, आप देखिए, आप इसमें तल्लीन हो गए। तो उस ऊर्जा की गति, उस ऊर्जा की गतिविधि ने वास्तव में आपको तल्लीन कर दिया।

लेकिन यह डरना कि तुम दायें बाजू तरफा (राईट साइडेड) हो जाओगे, बेमानी है, अब तुम मध्य में हो, तुम दायें बाजू तरफा (राईट साइडेड) कैसे बन सकते हो? इस प्रकार का तर्क केवल आलस्य का समर्थन करने के लिए है, न कि किसी अनुशासन के लिए।

मुझे आश्चर्य हुआ कि शुडी कैंप में, जहां हमने ध्यान के लिए एक स्कूल की स्थापना की है, लोग हर सप्ताह के अंत में केवल वीकेंड मनाने के लिए आते हैं। वे 10 बजे, 11 बजे, 12 बजे उठते हैं, जब भी उनका मन होता है, वे शुडी कैंप में छुट्टियों पर होते हैं। और दो दिन वे वहां बिना किसी ध्यान के, बिना किसी चीज के रहेंगे। हम माँ के घर आए हैं, बस। उनके लिए सारा काम मां को ही करना पड़ता है।

मेरा मतलब है, एक सहज योगी के लिए यह न्यूनतम न्यूनतम है कि वे सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और पूजा के लिए बैठें। यह एक सामान्य बात है, सभी भारतीय ऐसा करते हैं, यह एक प्रथा है। अचानक यह देश या ये देश एक तरह की सुस्त और बेतुकी जिंदगी में चले गए हैं, वरना यह देश भी यही काम करता था।

और सोना भी: इसके लिए जल्दी सोना भी पड़ता है यदि जल्दी उठना चाहो तो, लेकिन सोचना पड़ता है कि हमें अपनी जीवन शैली बदलनी है, हमें अपना नजरिया बदलना है, बहुत सी चीजें, आप देखिए – जैसे मैंने कहा – साधारण चीजें, जैसे मैंने उन्हें कहा कि, “जिस दिन आप अपने बालों को धोना चाहते हैं, अपने बालों में बहुत सारा तेल लगाएं और फिर धो लें, अन्यथा हम गंजे हो जाएंगे।”

कल्पना कीजिए कि सभी गंजे सहजयोगी चल रहे हैं। [हँसी] वे सोचेंगे कि आपकी माँ के इतने बाल हैं और आपके बालों का क्या। [हँसी]

खाने के संबंध में भी, बहुत ज्यादा, जैसे मैं नहीं जानती कि यहां क्या स्थिति है, लेकिन इंग्लैंड में मैं देखती हूं कि वे इतनी चाय लेते हैं, हर समय चाय होती है – केतली तैयार होती है।

मेरा मतलब है कि लोग चकित होते हैं जब लोग भारत में गणपतिपुले भी आते हैं, हम इतनी बार चाय नहीं लेते हैं, मेरा मतलब है कि ज्यादा से ज्यादा दो बार।

वहाँ, दिन भर लोग चाय चाहते हैं, उन्हें समझ नहीं आता कि रात के एक बजे भी वे कैसे चाय पीते जाते हैं। यह ऐसा है जैसे शराब सूक्ष्म हो गई है – चाय [हँसी], अन्यथा आप कैसे इसे समझायेंगे? आप शराब नहीं ले सकते हैं, तो चलो चाय पीते हैं, फिर अच्छी तरह से बैठ जाते हैं, हम कप-ऑफ़-चाय ले रहे हैं, इंग्लैंड में बहुत आम है: अच्छी तरह से बैठो, कप-ऑफ़-चाय।

आपने ऐसा कौन सा काम किया है कि आप ऐसे आराम फरमा रहे हैं? [हँसी]

फिर जब भी वे आएंगे, “हा,” [हँसी] जैसे कि उन्होंने कुछ खोदा है, या उन्होंने अंग्रेजी चैनल पार किया है,[हँसी]  वे आएंगे, यहाँ तक कि टेलीविजन पर भी आप लोगों को देखेंगे, वे आते हैं, “हा।” [हँसी] मुझे समझ नहीं आया।

आप किसी भारतीय को ऐसा करते हुए नहीं पाएंगे, आखिर उस गर्मी में भी, वह कभी भी इस तरह नहीं कहेगा। क्योंकि आप सोचते हैं, सोचते हैं, सोचते हैं, बहुत सोचते हैं, बस सोचते हैं, इसके बारे में आप कुछ करते नहीं हो। [हँसी] जैसे आप फाइल बनाते हैं, आप देखते हैं, फाइल बनाते हैं। कल माँ की पूजा है, ठीक है, हमारे पास यह होगा, यह, यह, यह – इसे दर्ज किये फाइल में। पूजा में अमुक वस्तु नहीं है, क्यों? 

क्यो कि यह फाइल में रह गयी है। [हँसी]

और जो कुछ भी आपके आत्मसाक्षात्कार पाने के पहले का है, जैसे लोगों के पास एक विचार है, जैसे काम से कैसे बचें, आप देखें, श्रम की बचत। श्रम की बचत पश्चिमी लोगों की बहुत बड़ी संपत्ति है। तो श्रम की बचत वे कैसे करेंगे?

मान लीजिए, आप कहते हैं, “कृपया, अमुक व्यक्ति को टेलीफोन करें।”

 “माँ, मुझे लगता है कि वह वहाँ नहीं होगा।”

 “लेकिन बाबा, आप फोन करके पता कर लीजिए।”

तो, स्पष्टीकरण मस्तिष्क से आता है, “संभव है ऐसा नहीं हो”। फिर ऐसे में तो कुछ हासिल नहीं हो सकता। तो पहले श्रम की बचत इस प्रकार थी कि, “ओह, यह संस्कृति विरोधी है, हमें होना चाहिए – यह बहुत बुरा है, सब कुछ इतना बुरा है, हमें एक बहुत ही प्राकृतिक जीवन शुरू करना चाहिए, हमें एक बहुत ही स्वाभाविक बात करनी चाहिए और हमें बनना चाहिए आदिम, ”और वह सब। इसलिए।

यदि आप उससे आगे बढ़ते हैं – उस क्षेत्र से यदि आप सहज योग में विकसित होते हैं, तो आप सूक्ष्म हो जाते हैं।

तो वे जिस प्रकार के सूक्ष्म बन जाते हैं वह इस प्रकार है: कि अब जैसा है, आप देखिए, “हमें हर चीज में बहुत अधिक नहीं करना चाहिए, यह बहुत अधिक है, आप देखते हैं, यह बहुत अधिक है।” यदि आप किसी से सहज योग के बारे में बात करते हैं, तो वे कहते हैं, “यह मेरे लिए ज्यादा ही हो गया है।” अरे, तुम्हारे पास दिमाग नहीं है या क्या है? बहुत ज्यादा क्या है? क्या आप झेल नहीं पाते हैं? “ओह, यह बहुत ज्यादा है।” मेरे साथ यह एक बहुत ही सामान्य अनुभव है, कि जब मैं लोगों से बात करती हूं तो वे कहते हैं, “यह बहुत ज्यादा है।” मेरा मतलब है आपका दिमाग, क्या यह एक सीमित मस्तिष्क है या ऐसा क्या है जो आप मुझे सुन नहीं सकते जो मैं आपको बताने की कोशिश कर रही हूं?

और एक बार जब आप इस तरह की मनोवृत्ति विकसित करना शुरू कर देते हैं, तो पोषण आप तक नहीं पहुंच सकता। मान लीजिए कि पेड़ कह दें, “ओह, यह बहुत ज्यादा है,” तो फिर वे क्या करने जा रहे हैं? [हँसी]

कुछ भी ज्यादा नहीं है। “मुझे विकसित होना है, मुझे सब पोषण लेना है, मुझे कुछ बनना है, मुझे इतना कुछ करना है। मैंने किया क्या है?” अब तक कुछ भी तो नहीं। अपने आप से कभी संतुष्ट न हों। मेरा मतलब है, कुछ लोग जिन्होंने मेरा कार्यक्रम देखा, वे सभी चौंक गए कि माँ यह सब कैसे करने जा रही हैं। मैंने कहा, “मुझे पता है कि मैं यह सब करने जा रही हूं, अगर मुझे यह करना है, तो मैं इसे करूंगी।”

तो आपका रवैया ऐसा ही होना चाहिए: जब तुम मुझसे प्यार करते हो तो मैं तुम्हारा आदर्श हूं। आपको यह पता होना चाहिए।

अगर तुम मुझसे प्यार करते हो, तो तुम इसके बारे में क्या कर रहे हो? मैं आपका आदर्श हूं। आपको मेरी शैली तक पहुंचना होगा, अन्यथा सहज योग इन देशों में काम नहीं करेगा, जिन्होंने एक महान संस्कृति के रूप में सुस्ती को अपनाया है।

जैसे मैंने किसी से पूछा, “तुम्हारे नहाने का क्या हुआ, तुमने स्नान क्यों नहीं किया?” उन्होंने कहा, ”इन दिनों नहाना फैशन से बाहर हो गया है.” [हँसी] सब कुछ फैशन से बाहर लगता है, जो कुछ भी फैशन में है वह भयानक है।

“यह बहुत फैशनेबल है,” यह एक और बात है जो अक्सर लोग कहते हैं कि, “यह बहुत फैशनेबल है,” और जो कुछ भी फैशनेबल है वह मुझे बहुत बदसूरत मालूम पड़ता है।

अब अगर आपको सहज संस्कृति को अपनाना है, तो आपको यह जानना होगा कि हमें अपने जीवन में अनुशासन रखना होगा। हमें शिक्षा प्राप्त करनी है, हमें एक स्थान प्राप्त करना है, हमें समाज में एक स्थान रखना है।

क्योंकि हम हिमालय में नहीं बैठे हैं, हिमालय में कहीं खोये बैठे हैं और बस अपनी तपस्या कर रहे हैं।

तपस्या यहाँ है जहाँ तुम रहते हो। अन्यथा यदि आप कहते हैं कि, “ठीक है, हमें हिमालय जाना है और वहाँ हमें ठंडी हवाओं में तपस्या करनी है। ओह, यह बहुत अच्छा है।” क्योंकि यह कुछ ऐसा दिखता है, आप देखिए, आपके पास होगा – शायद एक नाम हो सकता है, या ऐसा कुछ हो सकता है।

लेकिन तपस्या यहां है कि, निर्लिप्तता को यहां कार्यान्वित करना है। आप इन सभी चीजों में इस तरह लिप्त हो जाते हैं कि, कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है, स्थूल रूप में मौजूद चीजों में आपकी जितनी भागीदारी है, वे इतनी तीव्र हो गई हैं और आप अभी भी उनसे बंधे हुए हैं, कोई स्वतंत्रता नहीं है।

और इसलिए जब आप देखते हैं कि कुछ बेतुका हो रहा है,  आप सहज योग में कुछ अजीब हो रहा देखते हैं, यह सिर्फ उस चीज का हमारे भीतर जटिल होने का लक्षण है जो खुद को व्यक्त कर रहा है। जैसे कभी-कभी आपको आग दिखाई नहीं देती लेकिन वह मौजूद होती है और अचानक आपको एक धमाका दिखाई देता है।

तो निश्चित रूप से परिवर्तन का अर्थ है विकास, इसका यह भी अर्थ है कि आपके पास जो भी आधार था, आपको उससे उभर आना होगा। जैसे फूल खिलता है और फिर फल बन जाता है, लेकिन उसे बहुत सी चीजों को छोड़ना पड़ता है। और फिर प्रकृति के साथ देखना होता है – ऐसा सामंजस्य।

प्रकृति में आप देखें, यह पानी शोषित करती है। फिर पानी सूरज से वाष्पित हो जाता है। फिर वह बादल बन जाता है और फिर बादल प्रतीक्षा करता है, क्योंकि पत्ते झड़ जाते हैं।

सर्दियों के समय में वे अपने नाइट्रोजन के साथ पेड़ को पोषण देते हैं; जब समय तैयार हो जाता है, तब ये बादल बरसते हैं और फिर से पोषण करते हैं। ऐसा पूर्ण संतुलन प्रकृति में है। यदि ऐसा नहीं होता, तो मैं आपको बताती हूं कि वे कहते कि, “यहां सभी जमीन गंजे सिर वाली हैं।”

यदि आप किसी भी जंगल, किसी भी जंगल में जाते हैं, तो यह इतना स्वच्छ होता है, आपको कभी भी कहीं भी कोई दुर्गंध नहीं आती है। जानवर हैं, बाघ हैं, ये हैं – आपको कभी गंध नहीं आती है, आपको बाघ की गंध भी नहीं आती है। लेकिन अगर आप बाघ को पिंजरे में बंद कर दें तो उसमे से बदबू आने लगती है। वह प्रकृति में इतना समाया हुआ है, प्रकृति के साथ रहता है, और ऐसे संतुलन में है। यह सभी जानवरों, हर चीज के बीच एक ऐसी समझ है। मुझे नहीं पता कि वे इसे इतना साफ कैसे रखते हैं, लेकिन जैसे ही आपको कुछ गंध आती है, आप पाएंगे कि कहीं कोई इंसान है [हँसी], या कुछ लापरवाही है।

यह इतना व्यवस्थित है कि सूरज की किरणों के अनुसार पत्ते कैसे बढ़ते हैं, वे खुद को कैसे व्यवस्थित करते हैं, कैसे वे खुद को विकसित करते हैं। तो अगर आपको वास्तव में सहज योग की प्रकृति तक पहुंचना है, तो हमें ये सभी आशीर्वाद प्राप्त करने चाहिए जिससे हम समृद्ध हों। मेरा मतलब पैसे और चीजों से नहीं, बल्कि हर तरह से है।

तो यह ऐसे लोगों का समूह नहीं होना चाहिए जो केवल परजीवी हैं।

और मैं चाहती हूं कि आप समझें कि मैं आज क्या कह रही हूं और मैं आपसे, आप सभी से, सतर्क और गतिशील रहने और उस पर काम करने का अनुरोध करती हूं। हर एक व्यक्ति को उन्नत होना होगा। यदि आप कुछ भगवा वस्त्र पहन लें और सड़क पर “हरे राम, हरे कृष्ण” गाते रहें, तो यह काम नहीं करेगा। नहीं, यह काम नहीं करेगा। न ही यह तब काम करेगा यदि आप कहते हैं, “हम सहज योगी हैं, हम ऐसे लोग हैं, और यह और वह।” कुछ भी तो नहीं। आपको कुछ होना होगा। तो एक तरफ, गतिशीलता का उपयोग अपने लिए किया जाना है, और गतिशीलता का उपयोग सहज योग के लिए किया जाना है।

अब आपको दायें तरफा (राईट साइडेड)हो जाने की चिंता करने की जरूरत नहीं है। जो की बहुत आम बात है… ऐसा हुआ: मैंने हॉलैंड में पाया कि उसने कहा कि, मैंने एक लड़की से शादी की, बहुत गतिशील लड़की, किसी से और पति ने कहा, “माँ, वह मेरी मदद नहीं करती है।” 

मैंने बोला क्यूँ?” 

उसने कहा, “क्योंकि मुझे डर है कि मैं दायें तरफा (राईट साइडेड) बन जाऊंगी।”

मैंने कहा, “लेकिन मैंने तुम्हारी शादी इस बाएं तरफा (लेफ्ट साइडेड )आदमी से क्यों करवाई ? [हँसी] कि तुम लेफ्ट साइडेड हो जाओ?” लेफ्ट साइडेड बहुत अच्छी बात है, है ना? क्योंकि आपको कुछ करने की ज़रूरत नहीं है, बस आपको कहना है, “मैं राइट साइडेड नहीं बनना चाहता,” बस। [हँसी]

लेकिन राइट साइड होने का मतलब है कि आपको देखना होगा, आपको सतर्क रहना होगा, आपको चतुर होना होगा और आपको सब कुछ जानना होगा। तुम धूप में बैठोगे, भले ही अपनी खाल जलाओ, लेकिन सूरज को देखो। आप सूर्य रेखा पर हैं या चंद्र रेखा पर?

तो सभी पश्चिमी लोगों का रुझान बाईं ओर है। शराब पीना, पब – जैसे 24 घंटे में वे सोते हैं, तकरीबन चौदह घंटे, शायद अठारह घंटे, बाकी समय वे पीते हैं, बस इतना ही।

हमारे बगल में एक घर बनाया जा रहा है, जब हम वहां शिफ्ट हुए, तो उन्होंने कहा, ” व्यावहारिक रूप से इसका काम अब समाप्त ही हो गया है” लेकिन -यह अभी भी खत्म हो ही रहा है और इसमें कम से कम तीन साल और लगेंगे, शायद कभी खत्म न हो।

यह उस गणित की तरह है, आप देखिए, आपके पास यह है कि एक काम था और कोई आया, उसने दसवां भाग ही निपटाया और भाग गया। फिर कोई आया और बीसवां भाग किया फिर भाग गया। फिर कोई आया तो उसने एक चालीसवां हिस्सा किया और भाग गया। काम कब खत्म होगा? यह कभी खत्म नहीं होगा, ऐसे भागे-भागे लोगों के साथ, कभी खत्म नहीं होगा।

ऐसा ही सहज योग के साथ है। यदि आप गणितीय रूप से कहें, तो अमेरिका में सहज योग कभी स्थापित नहीं हो सकता है, यदि आप इस तरह के अधिक से अधिक लोगों को जोड़ते हैं।

इस देश में बहुत कुछ हो रहा है, लेकिन आपको उन लोगों को देखना होगा, आपको उन लोगों से मिलना होगा, जो मामलों के शीर्ष पर हैं, जो मायने रखते हैं, जो विज्ञान सम्मत हैं, जो कुछ संवेदनशील बात कर रहे हैं। आपको उनसे बात करनी है, उनसे मिलना है। हमें सिनेमा अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की जरूरत नहीं है, लेकिन हमें ऐसे लोगों की जरूरत है जो गतिशील हों। और यह काम कर सकता है यदि आप अपना मन इस पर लगाते हैं और हमारे पास उन्हें दिखाने के लिए कुछ हो।

मैं कहूंगा कि ऑस्ट्रिया एक ऐसी जगह है जहां सहज योग ने बहुत अच्छा काम किया है, मिलान एक अन्य जगह है और जहां उनमें से अधिकतर पेशेवर हैं। यह बहुत आश्चर्य की बात है। हम आधुनिक समय में जी रहे हैं। हम उस प्राचीन काल में नहीं रह रहे हैं जहां ऋषि मुनि एक पेड़ के नीचे बैठते थे और राजा आते थे और उनके पैर छूते थे। यह दूसरा ही ढंग है; ऋषि मुनियों को जाकर राजाओं से बात करनी होती है।

इसलिए जब हम मानते हैं कि हम सहजयोगी हैं तो हमें यह जानना होगा कि सूक्ष्म रूप से हम अभी भी जीवन के बारे में अपनी समझ के जाल में फंसे हुए हैं। तो, यह कि हमें बदलना होगा। हमारे लिए जीवन और कुछ नहीं बल्कि सहज योग और सहज योग और कुछ नहीं बल्कि खुद को और दूसरों को प्रबुद्ध करना है।

इसलिए मुझे आशा है कि आप आज मेरा व्याख्यान सुनेंगे, आप टेप घर ले जाएंगे और उन्हें बार-बार सुनेंगे। साथ ही लोगों की ओर से एक चेतावनी भी है कि “माँ, वे क्या करते हैं कि एक केंद्र के लिए एक टेप लेते हैं और हर कोई इसे सुनता है और फिर समाप्त हो जाता है।” मेरा मतलब है, आप सभी के पास एक-एक टेप होना चाहिए। यहाँ तक की लोग ऐसा भी नहीं करते।

इतना ही नहीं, लेकिन अब कुछ समय बाद ऐसा भी हो सकता है कि एक देश में प्रचलित एक टेप ही प्रसारित हो सकता है; जैसे, आज न्यूयॉर्क में, कल बोस्टन में, ऐसे ही। आपको इसे बार-बार सुनना होगा। कागज और पेंसिल लेकर बैठो, खुद देखो कि मैं क्या कह रही हूं।

हर टेप आपके पास होना चाहिए। मेरा मतलब है, इन भयानक गुरुओं के टेप आप उन्हें हर कार में, हर जगह, हर किसी के पास सुन सकते हैं। और सहजयोगियों के पास कोई टेप क्यों नहीं है? आप प्रतियां बना सकते हैं।

लेकिन अगर आप इसे मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं, तो वे इसे लेना चाहेंगे। वह पहली प्रवृति है कि,  हमें क्या मुफ्त में, सस्ते में, आसानी से मिल सकता है। अगर आप पैसे बचाने की कोशिश करते हैं, तो ‘पैसा’ खुद को बचाने की कोशिश करता है [हँसी]। यह एक आपसी समझ है [हँसी, श्री माताजी हँसते हैं]। यह इतना सरल है: मान लीजिए कि आप केवल एक दरवाजा खोलते हैं, कोई हवा नहीं आएगी। दूसरा दरवाजा खोलो, हवा बहने लगेगी। यह एक सर्कुलेशन है।

यह सब तुम्हारा अपना ज्ञान भी हो सकता है, मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है, यह सब तुम्हारे दिमाग में है, केवल अपने आप को खोलो, तुम स्वतंत्र लोग नहीं हो।

यदि आप मेरी तरह मुक्त हों, तो आप इन सभी चीजों को अपने दिमाग से आते हुए देखेंगे।

विशेष रूप से अमेरिका के लिए, वास्तव में, जैसा कि आप जानते हैं, मैं बहुत मेहनत कर रही हूं और मैं इसे कार्यान्वित करना चाहती हूं, क्योंकि अगर अमेरिका ठीक नहीं है, तो मेरी विशुद्धि ठीक नहीं होगी। यह मुझे हर समय परेशान करने वाला है।

इसलिए आपको इसे अपने ऊपर लेना होगा। मैं यह नहीं कहती कि, “क्रॉस लो।” आपको कुछ भी त्याग करने की जरूरत नहीं है, लेकिन आपको बस इस बात की जागरूकता होनी चाहिए कि हम क्या हैं, हम क्या कर रहे हैं, हम कहां हैं।

और उसके ऊपर, सहज योगी सोचते हैं कि वे सहज योग और मुझ पर उपकार कर रहे हैं। यह कुछ है … इसे इस तरह से समझाया जाना चाहिए: मुझे सहज योग की आवश्यकता नहीं है, आपको सहज योग की आवश्यकता है और सभी को सहज योग की आवश्यकता है।

आपके पास इस देश में ऐसे लोग थे, मेरा मतलब है कि आपके पास ऐसे महान, महान लोग थे – मुझे उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है – अब्राहम लिंकन जैसे व्यक्ति जिन्होंने पूरी दुनिया को ऐसे महान विचार दिए। क्यों नहीं तुम लोग महान हों? वह एक आत्मसाक्षात्कारी थे, ठीक है, लेकिन वे इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना के बारे में कुछ नहीं जानते थे। आप उनके जैसे महान क्यों नहीं बन सकते?

तो विराट पूजा पर हमें यह तय करना होगा कि हम सभी उस अवधारणा को व्यक्त करने जा रहे हैं जो कभी विराट हमारे जीवन में वास्तविकता थी। यही हमें अपने दिल से प्रार्थना करनी है।

और आज ऐसा करने का एक बहुत अच्छा अवसर है, क्योंकि हम एक ऐसी जगह पर बैठे हैं जहां इतने सारे आदिवासी लोग थे, आप उन्हें कुछ भी कहते हैं। वे इतने संवेदनशील थे, जैसा कि अमेरिका में आप कहते हैं पीतल की कील, आप देखिए। वे इस सिद्धांत को जानते थे कि वास्तविक आध्यात्मिक जीवन कैसे व्यतीत किया जाए। वे बहुत मुक्त व्यक्ति थे, अत्यंत स्वतंत्र और इतने निर्लिप्त।

इसलिए यदि आप अपने आप को ठीक नहीं करते हैं, तो सामूहिकता पर समस्या होगी। यदि सामूहिकता में कोई समस्या है, तो वह आप पर प्रतिबिंबित होगी, क्योंकि आप संपूर्ण के अभिन्न अंग हैं।

अगर सम्पूर्ण अस्तित्व में कोई समस्या है, तो आपके लिए एक समस्या है। और अगर एक हिस्से में कोई समस्या है, तो पूरे अस्तित्व के लिए एक समस्या है। यहाँ तक की रूजवेल्ट, जो आपके राष्ट्रपति थे, ने भी एक बार कहा था कि, “गरीबी कहीं भी, हर जगह समृद्धि के लिए खतरा है।” वह इस बिंदु को इतनी स्पष्ट रूप से देख सका था।

आप देखिए, ये सभी बातें हमें बताती हैं कि यह विराट का देश है, जहां वे सामूहिकता की बात करते हैं, उनके पास सभी संचार हैं जो महत्वपूर्ण हैं। हर तरह का संचार महत्वपूर्ण है, लेकिन सहजयोगियों के लिए यह बहुत सूक्ष्म, बहुत गतिशील, बहुत सुंदर, बहुत प्यार करने वाला, बहुत प्रभावशाली, चुंबकीय होना चाहिए।

तभी संचार काम करेगा। बहुत अच्छे कपड़े पहनने में कोई बुराई नहीं है। पहनने में कोई बुराई नहीं है – अच्छा का मतलब महंगा नहीं है, बल्कि इसका मतलब है जो समझदारी पूर्ण, गरिमापूर्ण है। हमें अपने व्यक्तित्व का निर्माण करना है, लोगों को यह महसूस करना चाहिए कि “ओह, यह कुछ है, एह?”

और आपके बच्चे भी आपसे सीखेंगे। यह महसूस करने का कोई सवाल ही नहीं है कि आपको अहंकार या किसी भी चीज़ में धकेल दिया जाएगा। वह अब समाप्त हो गया, यहाँ अहंकार समाप्त हो गया, कोई अहंकार नहीं है।

यहाँ जो कुछ मैं पाती हूँ वह कुछ न करने की सफाई देना है कि हम कुछ नहीं करना चाहते क्योंकि हमारा अहंकार ऊपर आ जाएगा। बहुत चालाक। [हँसी]

तो इन सबके साथ यह जानना होगा कि हम चुने हुए लोग हैं, हम परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं। उसने हमें किसी न किसी उद्देश्य से चुना होगा, नहीं तो इस देश में इतने सारे लोग हैं। आप नींव हैं और नींव बनने के लिए आपको ठोस व्यक्ति बनना होगा। हमारी अपना गौरव, हमारी अपनी विशेषता जाननी चाहिए कि सभी लोगों में से हम ही क्यों चुने गए हैं, हम यहाँ क्यों हैं। फिर| इस बारे में हम क्या कर रहे हैं?

सामान्य जीवन में आप इस तरह देखते हैं, जैसे अगर किसी को किसी पद या किसी चीज़ के लिए चुना जाता है, कई लोगों में, तो वह सोचता है, “ओह अवश्य ही मेरे बारे में कुछ होना चाहिए, मुझे अपनी कीमत दिखाना चाहिए, मुझे अपना वैल्यू दिखाना चाहिए, मुझे मेरा काम दिखाना चाहिए,” तुम देखो; और वह यह साबित करने के लिए कड़ी मेहनत करता है कि चयन अच्छा था। लेकिन सहज योग इसके विपरीत है, आप इसे हल्के में लेते हैं, “ओह, हम कुछ महान हैं।” तो अब अपने साथ स्थिर हो जाओ – एक कप चाय पी लो। [हँसी]

मुझे उम्मीद है कि यह समझ में आ गया है कि मैं ऐसा क्यों कह रही हूं, क्योंकि मुझे वास्तव में अमेरिका के संबंध में परवाह है। इतनी सारी नकारात्मक शक्तियां यहां काम कर रही हैं और हमें सुधार करना होगा। इतनी सारी चीजें, इतनी बड़ी जिम्मेदारी, इतना बड़ा देश, इतना विशाल देश, इतनी विकृति, इतनी बेतुकी विचारधारा, मेरा मतलब है, अंतहीन! अगर आपको पंद्रह गोर्बाचेव मिल भी जाएं तो भी आप इस देश को नहीं बदल सकते। यह आपे से बाहर हो गया है। हर कोई एक अकेला व्यक्ति है, यह पागल जगह। एक गोर्बाचेव उस देश को बदल सकता है जिसकी आबादी बहुत अधिक है। लेकिन इस देश को तब तक कोई नहीं बदल सकता जब तक आप लोग इसके बारे में कुछ करने का फैसला नहीं कर लेते।

तो मुझे बताया गया है कि कुछ लोग निराश हैं क्योंकि इतने सहजयोगी नहीं आ रहे हैं, लेकिन हो सकता है आपके साथ कुछ गलत हो।

हो सकता है कि आप काफी गहरे नहीं हैं और आप इतने प्रभावशाली नहीं हैं। आपको अपनी जीवनशैली बदलनी होगी, आपको स्मार्ट और संयमी लोग बनना होगा।

मुझे आशा है, मैं बार-बार आशा करती हूं कि इस विराट पूजा के बाद आप सभी महान विराट के रूप में मंच पर आएंगे।

परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करें।

जो अलग-अलग देशों विभिन्न जगह से सेंटर के नेता हैं वे आ सकते हैं – अलग-अलग जगहों से। आपको साड़ी बनाना किसने सिखाया है…? लेस्ली? यहाँ एक महाराष्ट्रीयन महिला है, उसे बुलाओ। देखिये, यह इतनी बड़ी चीज है ? लेकिन मुझे लगता है कि मुझे आपको यह सिखाना होगा कि यह कैसे करना है।

अब, पूजा में चौकस रहो, बहुत चौकस रहो: क्योंकि मैंने जो कुछ भी कहा है, मैं उसे कार्यान्वित करने जा रही हूं। और आपको बस इसे बरकरार रखना है, बस इतना ही।

अब केन्द्रों के लोग कहां हैं, बस आ जाओ। वाह वाह: इतना खाना!

[श्री गणेश को चार बार मंत्र]।

श्री माताजी : परमात्मा आप सबको आशीर्वादित करें।

ग्रेगोइरे: हम भूमि माता को नमन करते हैं, जिनकी इन इंडियन द्वारा, अमेरिकी इंडियन द्वारा जीवन के जल के दाता के रूप में पूजा की गई है। हम मोक्ष प्रदयिनी को नमन करते हैं, और हम इस भूमि के संतुलन को बहाल करने के लिए प्रार्थना करते हैं, कि हमारी जाति के पाप और परिणामी कर्म परम पावन श्री आदि शक्ति भगवती माताजी श्री निर्मला देवी की करुणा की शक्ति से धुल जाएँ। . और अब हम इस पूजा में एक विशेष प्रार्थना करने जा रहे हैं, और हम अब एक साथ उत्तर अमेरिकी इंडियन  जनजातियों के 108 नाम लेने जा रहे हैं, और प्रार्थना निम्नलिखित है: श्री काओलान सिर्फ जनजाति का नाम कहेंगे और हम कहेंगे एक साथ: श्री माताजी, कायुओं की आत्माएं – उदाहरण के लिए – आपकी करुणा से मुक्त हों। और हम असंतुष्ट आत्माओं से तप्त भूमि को साफ करने के लिए इसे दोहराएंगे, जिसे पिछली शताब्दियों के नरसंहार ने अमेरिका पर एक अभिशाप के रूप में बनाया है। और हम इसे अत्यंत सम्मान और श्रद्धा के साथ करते हैं, और यह याद रखने की कोशिश करते हैं कि हम यह प्रार्थना किसको निर्देशित कर रहे हैं।

योगिनी: कायूस।

योगियों: श्री माताजी, कायुओं की आत्माओं को आपकी करुणा से मुक्ति मिले।

योगिनी : नश्कपी।

योगियों: श्री माताजी, नशकापी की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: क्री।

योगियों: श्री माताजी, क्री की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: मॉन्टैग्निस।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में मोंटागनिस की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: निपमुच।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में निपमुच की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: अबनाकी।

योगियों: श्री माताजी, अबनाकी की आत्माओं को आपकी करुणा से मुक्ति मिले।

योगिनी: मोहिकन।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में मोहिकों की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: मैसाचुसेट्स।

योगियों: श्री माताजी, मैसाचुसेट की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: वैम्पनोग।

योगियों: श्री माताजी, वैम्पनोग की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: नरगांसेट।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में नरगंसेट की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: पेक्वॉट।

योगियों: श्री माताजी, पेक्वॉट की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: वैपिंगर।

योगियों: श्री माताजी, वैपिंगर की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: मोंटौक।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में मोंटौक की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: डेलावेयर।

योगियों: श्री माताजी, डेलावेयर की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: नान्टीकोक।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में नान्टीकोक की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: कैनई।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में कैनाई की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: टस्करोरा।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में टस्करोरा की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी : पोवतन।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में पोवतन की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: टोंकावा।

योगियों: श्री माताजी, टोंकावा की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: कटावबा।

योगियों: श्री माताजी, कटावबा की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: सेमिनोल।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में सेमिनोल की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: मोहॉक।

योगियों: श्री माताजी, मोहॉक की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: वनिडा।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में वनिडा की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: ओनोंडागा।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में ओणोंदगा की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी : कयुगा.

योगियों: श्री माताजी, कयुगा की आत्माओं को आपकी करुणा से मुक्ति मिले।

योगिनी: सेनेका.

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में सेनेका की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: कोनेस्टोगा।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में कोनेस्तोगा की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: मोनाचे।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में मोनाचे की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: चेरोकी।

योगियों: श्री माताजी, चेरोकी की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: ह्यूरोन।

योगियों: श्री माताजी, ह्यूरोन की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: इर।

योगियों: श्री माताजी, इर की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: चिनूक।

योगियों: श्री माताजी, चिनूक की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: कोयूर डी’लेन।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में कोयूर डी’लेन की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: पोटावाटोमी।

योगियों: श्री माताजी, पोटावाटोमी की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: ओटावा।

योगियों: श्री माताजी, ओटावा की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: मेनोमिनी। (उच्चारण। मेनोमिनी)

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में मेनोमिनी की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: सैक।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में सैक की आत्मा की मुक्ति हो सकती है।

योगिनी: फॉक्स।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में फॉक्स की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: वाइनबागो।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में वाइनबागो की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: किकापू (उच्चारण। किकापू)।

योगियों: श्री माताजी, किकापू की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: मियामी।

योगियों: श्री माताजी, मियामी की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: इलिनॉय।

योगियों: श्री माताजी, इलिनॉय की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: शॉनी।

योगियों: श्री माताजी, शॉनी की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: चिकसॉ।

योगियों: श्री माताजी, चिकासॉ की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: बिलोक्सी।

योगियों: श्री माताजी, बिलोक्सी की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: नटचेज़।

योगियों: श्री माताजी, नटचेज़ की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: क्री।

योगियों: श्री माताजी, क्री की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: ओजिब्वा।

योगियों: श्री माताजी, ओजिब्वा की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: असिनिबाइन।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में असिनबोइन की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: सियोक्स।

योगियों: श्री माताजी, सिओक्स की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: ओमाहा।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में ओमाहा की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: आयोवा।

योगियों: श्री माताजी, आयोवा की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: मिसौरी.

योगी: श्री माताजी, आपकी करुणा में मिसौरी की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: कंस।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में कंस की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: ओसेज।

योगियों: श्री माताजी, ओसेज की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: क्वापा।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में क्वापा की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: ब्लड।

योगियों: श्री माताजी, ब्लड की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: ब्लैकफुट।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में ब्लैकफुट की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: पीगन।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में पिगन की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: फ्लैट हैट ।

योगियों: श्री माताजी, फ्लैट हैट की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: बन्नॉक।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में बन्नॉक की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: क्रो।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में क्रो की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी : टीलामूक।

योगियों: श्री माताजी, टीलामूक की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: चिनूक।

योगियों: श्री माताजी, चिनूक की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: चेहलिस।

योगियों: श्री माताजी, चेहलिस की आत्माओं को आपकी दया से मुक्ति मिले।

योगिनी: चेयेने।

योगियों: श्री माताजी, चेयेने की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: अराफाओ।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में अराफाओ की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: पावनी।

योगियों: श्री माताजी, पावनी की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: किओवा।

योगियों: श्री माताजी, किओवा की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: केरेसन।

योगियों: श्री माताजी, केरेसन की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: कोमांचे।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में कॉमंच की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी : कद्दो।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में कद्दो की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: टोंकावा।

योगियों: श्री माताजी, टोंकावा की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: करंकवा।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में करंकवा की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: ज़ूनी।

योगियों: श्री माताजी, ज़ूनी की आत्माओं को आपकी करुणा से मुक्त किया जाए।

योगिनी: अपाचे।

योगियों: श्री माताजी, अपाचे की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: याकी।

योगियों: श्री माताजी, याकी की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: पिमा।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में पीमा की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: बोरजेनो।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में बोरजेनो की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: यवपई।

योगियों: श्री माताजी, यवपाई की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: नवहो।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में नवहो की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: होपी।

योगियों: श्री माताजी, होपी की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: सदर्न पाइयूट।

योगियों: श्री माताजी, सदर्न पाइयूट की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: उटेस।

योगियों: श्री माताजी, उटेस की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: शोशोन।

योगियों: श्री माताजी, शोसोने की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: मोनो।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में मोनो की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी : चुमाश।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में चुमाश की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: सालिनन।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में सेलिनन की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: पोमो।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में पोमो की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: मिवोक।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में मिवोक की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: हूपा।

योगियों: श्री माताजी, हूपा की आत्माओं को आपकी करुणा से मुक्त किया जाए।

योगिनी: पिट रिवर ।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में पिट रिवर की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: युरोक।

योगियों: श्री माताजी, युरोक की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: मोदोक।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में मोदोक की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: शास्ता।

योगियों: श्री माताजी, शास्ता की आत्माओं को आपकी करुणा से मुक्त किया जाए।

योगिनी: कलामथ।

योगियों: श्री माताजी, कलमाथ की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: याकिमा।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में याकिमा की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: याकिना।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में याकिना की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: हैडा।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में हैडा की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: स्क्विमिश।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में स्क्वामिश की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी : नटका

योगियों: श्री माताजी, नटका की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: सोंगिश ।

योगियों: श्री माताजी, सोंगिश की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी: क्विलट।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में क्विल्ट की आत्माओं को मुक्ति मिले।

योगिनी: ओकानागन।

योगियों: श्री माताजी, ओकानागन की आत्माओं को आपकी करुणा में मुक्ति मिले।

योगिनी : निस्कलिस।

योगियों: श्री माताजी, निस्कलिस की आत्माओं को आपकी करुणा से मुक्ति मिले।

योगिनी: कुतेने।

योगियों: श्री माताजी, आपकी करुणा में कुटेने की आत्माओं को मुक्ति मिले।

ग्रेगोइरे : आइए श्री मोक्ष प्रदयिनी का मंत्र लें। विराट। श्री विष्णु। [सेगुओनो आई नोमी दी श्री विष्णु]

श्री माताजी: अब। आप देवी के गीत, 108 नाम जानते हैं?

[ सहज योगी तेरे ही गुण गाते है…..]