8th Day of Navaratri, Talk to English Yogis on Style and Content

Butlins Grand Hotel, Margate (England)

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नवरात्रि का 8वां दिन

 मार्गेट, 6 अक्टूबर 1989

अंग्रेज योगियों से बात,

आज देवी पूजा का आठवां दिन है और इस दिन, काली की शक्ति काम करती है और उन्हें संहार काली कहा जाता है, जिसका अर्थ है सभी बुरी शक्तियों को नष्ट करने वाली। तो यह एक बहुत अच्छा दिन है, कि हमारे यहां, इंग्लैंड में, पूजा है। मैं इससे बहुत खुश हूं।

मेरा चश्मा?  मुझे लगता है,मेरे पर्स में है। वौ कहा हॆ? उसके पास यह होगा?

अब, मैं सोच रही थी कि मुझे यू.के. के सहज योगियों से बात करनी चाहिए, क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण है।

अब मैं यूके में अपने सोलह साल के प्रवास को समाप्त कर रही हूं और मुझे वास्तव में आप लोगों का इतना प्यार और इतनी भलाई मिली है। अब अगले साल, मैं यहां नहीं रहूंगी क्योंकि मेरे पति का तबादला होने वाला है और निश्चित रूप से मैं और भी वापस आऊंगी और एक या करीब एक महीने के लिए, मैं आपके साथ रह सकती हूं, शायद मैं पहले से कहीं ज्यादा जितना अब तक रही हूँ उससे ज्यादा करीब रहूंगी।

लेकिन कुछ ऐसा है जोकि मुझे लगता है कि मुझे आप लोगों को चेतावनी देनी चाहिए, क्योंकि अब मुझे गैविन [ब्राउन] के बारे में बहुत सारे पत्र मिल रहे हैं कि, “गैविन ऐसा क्यों हो गया है? उसके साथ क्या गलत हुआ है?” शायद हर कोई इन घटनाओं को,और कुछ अन्य सहज योगियों को भी ऐसा होते देख काफी डरा हुआ लगता है ।

क्योंकि अन्य देशों में, जब सहजयोगी सहज योग से बाहर जाते हैं, तो वे मेरे पीछे नहीं पड़ते, या वे सहज योग या सहज योगियों के पीछे नहीं पड़ते। बल्कि उन्हें लगता है कि उनके साथ कुछ गड़बड़ है और वे बहुत पछताते हैं और बाहर रहते हैं। लेकिन ऐसा क्यों है कि गेविन इतना अड़ियल हो गया है और हमारे खिलाफ इतना अधिक होता जा रहा है? और मुझे बताया गया है कि वह कुछ भयानक संगठनों और इस तरह की चीजों को जानकारी प्रदान कर रहा है।

मेरा मतलब है कि मुझे नहीं पता कि मानव व्यवहार की व्याख्या कैसे करें। यह कठिन है क्योंकि जब आपने कुछ इतना महान पाया है और यदि आप इसे महत्व नहीं दे सकते हैं, तो जो होता है? क्यों?

इसलिए, मुझे लगता है कि अंग्रेज लोगों में बहुत सारे गुण हैं क्योंकि संकट के समय वे हमेशा खड़े रहे हैं। उनकी वजह से हम युद्ध को टाल सके, दूसरा विश्व युद्ध उनकी वजह से टल गया। इतना ही नहीं, बल्कि जब भी आवश्यक हो, वे समय की मांग के अनुसार चीजों को कार्यान्वित करते हैं। और उनकी पूरी शैली बहुत ही शांत है और वे सही समय पर परिणाम दिखाते हैं, यह एक सच्चाई है, इसमें कोई संदेह नहीं है। इसे स्वीकार करना होगा। ये सभी गुण हैं, लेकिन मुझे लगता है कि कुछ अन्य चीजें हैं जो रेंगती रहती हैं और शायद यही एक कारण है जिससे हमें बचना है, अगर आपको सहज योग में रहना है, अगर आपको सहज योग में उन्नति करना है।

तो एक चीज जो मुझे पता चली है कि अंग्रेज (स्टाइलिश) शैलीगत होने में ज्यादा विश्वास करते हैं कि आपका स्टाइल क्या है। कहें, एक कॉकटेल शैली की तरह, आप इसे कह सकते हैं, या एक बांका dandy style शैली फिर एक गुंडा शैली punk style और यह शैली और वह शैली। आपको टेलकोट स्टाइल मिला है। वे कहते हैं, यहाँ सभी प्रकार की शैलियाँ हैं। और क्योंकि [वहाँ] यह बहुत अधिक है, वातावरण में, बहुत अधिक। जैसे ही आप एक घर देखते हैं, वे आपको बताएंगे, “ओह, यह जॉर्जियाई है!” “यह ऐसा और ऐसा है,” और “यह नियो यह और वह है!” तो, आप देखते हैं, इसे उस शैली तक जाना चाहिए, यह वह शैली होनी चाहिए [उनके लिए]। और कोई भी घर जो उस शैली का नहीं है, तो वे कहेंगे, “ओह, यह एक समझौता है!” थोड़ा उधमी (शैली से हट कर )हैं या मुझे नहीं पता कि वे इस तरह की आलोचना करने के लिए कौन से शब्दों का इस्तेमाल करते हैं।

तो यह एक बात है जो हमें समझ जाना है कि शैलियाँ मूल तत्व को प्रतिस्थापित नहीं कर सकती हैं। इस का कोई स्थानापन्न नहीं हो सकता।

शैली इतनी सतही और इतनी भ्रामक है। यह इतना भ्रामक और इतना सतही है कि यह हमें भी धोखा देता है। जैसे, अगर हमें लगता है कि हम एक वर्ग विशेष हैं, या कुछ और हैं, तो वर्ग चेतना भी काफी कुछ है। अगर हम सोचना शुरू करें, कि हम एक सामाजिक वर्ग विशेष हैं। तब मेरा मतलब है, किसी को यह समझ जाना होगा कि यह कुछ बहुत ही मानव निर्मित धारणा है – एक वर्ग विशेष होना। यदि आप कहते हैं, “मैं एक वर्ग विशेष से हूँ।” यानी यह सब मानव निर्मित है। यह तरीका परमात्मा का नहीं है। परमात्मा के पास ऐसे सभी भेदभाव नहीं हैं।

आपका वर्ग है सहजयोगी होना, मतलब आपके के अन्दर ऐसी शक्तियां अंतर्मन में निहित हैं; कि आप प्रसन्नता से खुद का सामना कर सकते हैं और आप खुद का आनंद उठा सकते हैं, और आप खुद को जान सकते हैं।  यही एक वर्ग सहज योग में है, न कि आप कैसे कपड़े पहनते हैं या आप कैसे बात करते हैं कि कैसे आप अपना कांटा और चम्मच पकड़ते हैं – यह तरीका नहीं है। तो यह “शैली” जिसके बारे में हम सोचते रहते हैं वह मूल तत्व का विकल्प नहीं है।

अब यह बात हमारे पास मौजूद इस सतही संस्कृति के साथ बेहतर काम करती है कि आपको अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करना चाहिए। यह एक और बकवास है जो उन्होंने हमें सिखाया है, इस देश में, जो पूरी तरह बकवास है, पूर्ण बकवास है कि – आपको अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करना चाहिए और आपको संतुलित रहना चाहिए। किसी की मृत्यु हुई, हमारी मंडली का एक मित्र, और श्री श्रीवास्तव वहां गए। भगवान का शुक्र है, मेरे पास कोई काली साड़ी नहीं थी इसलिए मैं नहीं गई! लेकिन आपको काली साड़ी, काला ब्लाउज और काला सब कुछ और काली चूड़ियाँ पहननी चाहिए और मैंने कहा, “बाबा, मेरे पास ये सब काली, काली चीजें नहीं हैं, तो क्या करें?” इसलिए मैं नहीं गयी।

मेरा मतलब है कि वहाँ हुआ क्या है? एक व्यक्ति अब मर चुका है, आप देखिये कि, वह आपको नहीं देखता है कि आप काले या लाल रंग में हैं| लेकिन एक बात जरूर है, कि अगर आप कुछ भी पहनते हैं, आप जो भी पहनते हैं, तो आप अपने आतंरिक भाव को, अपने भीतर के भाव को व्यक्त करते हैं, कि आप बहुत उदास और दुखी हैं।

और फिर वह गए और उस अवसर पर एक शैम्पेन थी! मेरा मतलब है, कोई पैदा होता है, आपके पास शैम्पेन होती है, किसी की मृत्यु होती है, आपके पास शैम्पेन होती है। तो इस शैम्पेन का शैली से कोई लेना-देना नहीं है, वे किसी भी समय उसे ले सकते हैं। लेकिन स्टाइल ये था कि, आपको ब्लैक पहनना होगा, सब कुछ ब्लैक। मैंने कहा, “यह बहुत ज्यादा है!” मेरा मतलब है कि ज्यादा से ज्यादा कुछ जाहिर करने के लिए किसी के पास काली पट्टी हो सकती है। लेकिन अगर कोई मर गया है तो क्या दिखावा करना?

मेरा मतलब है कि महसूस आप अंदर करते हैं। और वह बहुत बीमार दिख रहे थे, मेरे पति बहुत बीमार दिख रहे थे, क्योंकि वे वास्तव में इतना उदास महसूस कर रहे थे कि उन्होंने एक दोस्त को खो दिया था। मैं भी रोयी। तो उन लोगों ने कहा, “क्या बात है, क्या तुम ठीक नहीं हो?” वे सब हँस रहे थे, मज़ाक कर रहे थे, और बगल के कमरे में लाश पड़ी थी! तो सी.पी. ने कहा, “नहीं, लेकिन ऐसा दोस्त!” “ओह! शांत रहो! आपको कोई शिष्टता नहीं है, मिस्टर श्रीवास्तव!

और एक महिला भी गई थी, जो हमारी कॉमन फ्रेंड भी है, वह घाना या कहीं और से है, और वह स्वाभाविक रूप से रोने लगी! मैं भी रोयी होती, भगवान का शुक्र है कि मैं नहीं गयी। तो उन सभी ने उसकी आलोचना की, “यह उचित नहीं है, उसे ऐसा सब नहीं करना चाहिए था,” वगैरह।

तो ये सभी विचार, आप देखिए, हर देश की किसी न किसी तरह की कंडीशनिंग होती है और हमें इस बात का अहसास होना चाहिए कि हमारी जड़ता क्या है। तब हम ठीक हैं। क्योंकि हमें,  हर देश में,  अपने सभी संस्कारों को तोड़ना है। सहजयोगियों के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि एक बार सहजयोगी बनने के बाद, वे अपने देश की समस्याओं को देखते हैं। यह हमारे पास सबसे अच्छी चीज है। और वे वहां मौजूद लोगों पर हंसते हैं।

लेकिन फिर भी हमें पता होना चाहिए कि हमारे भीतर भी कुछ सूक्ष्म जड़ता पड़ी हो सकती हैं, क्योंकि गैविन के इस मामले से अब आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। आप देखिए, उनकी एक स्टाइल थी, हमेशा उनके पास हर चीज़ के लिए एक शैली थी: पूजा के लिए उनकी एक शैली होगी, इस चीज़ की उनकी एक शैली होगी, उस चीज़ की उनकी शैली होगी। इसलिए मुझे उस पर थोड़ा शक होता था। मैंने पूछा कि, “वह अपनी शैली के बारे में इतना चिंतित क्यों है?” भले ही वह एक भारतीय पोशाक पहने, वह किसी एक स्टाइल के बारे में सोचेगा, यह कौन सी शैली है। मैंने कहा, “देखिए, हमारे पास कोई स्टाइल नहीं है। यह, हम सदियों से पहनते आये हैं! अब हमारे पास कौन सी शैली हो सकती है? हमारे पास जॉर्जियाई, यह, वह शैली बिल्कुल नहीं है। यह केवल एक ही प्रकार है कि, कुर्ता है – बस इतना ही। तो इस तरह, उसको उस स्टाइल की अधिक परवाह थी जो वह रखने वाला होगा। और यही मैं कह रही हूं कि हमें यह समझना होगा कि शैली आपके मूल तत्व में बदलाव नहीं ला  सकती है। ध्यान रखो|

तो अब, अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं करना,  हंसना नहीं, आपको साधु की तरह बैठना चाहिए, यह सब तरीका – नहीं । हमें यहां भिक्षु नहीं चाहिए, ठीक है? आपको वास्तव में जोर से हंसना होगा और आनंद लेना होगा और अपने आनंद की अभिव्यक्ति करनी होगी। यदि आप खुल कर हंस नहीं सकते, यदि आप नहीं जानते कि अपनी आत्मा का आनंद कैसे लिया जाए, तो आप सहज योगी नहीं हैं, समाप्त! बस इतना ही। अगर आप एक सहज योगी हैं, तो आपको हर चीज का आनंद लेने में सक्षम होना चाहिए, हर छोटी चीज का आपको आनंद लेना चाहिए।

एक बार हम एक मंदिर में दर्शन करने के लिए एक पहाड़ी पर चढ़े। वह एक पुराना मंदिर था, हम उसे देखने गए थे और हमें काफी चढ़ाई चढ़नी थी। मेरे दामाद, मेरी बेटी, वे थके हुए थे, लेकिन मैं हर चीज का आनंद ले रही थी। मुझे कुछ नहीं लगा। मैं ऊपर गयी और फिर हम सब वहीं, मंदिरों के एक बाहरी हिस्से में लेट गए। और उसने (मेरे दामाद) कहा, “मैं इससे थक चुका हूँ,” मेरे दामाद ने कहा, “इस पर चढ़ना बहुत मुश्किल है।” मैंने कहा, “अब इन हाथियों को देखो, देखो ये हाथी कितने अच्छे बने हैं! हर किसी की पूंछ अलग प्रकार की है! उसने कहा, “मम्मी आप कैसे इस समय पूंछ देख पाती हैं जब कि मैं इतना थक गया हूँ?”

मैंने कहा, “मैं इसीलिए थकती नहीं हूँ! लेकिन आप पूंछ देख सकते हैं, अलग-अलग, अलग-अलग प्रकार की हैं!” उन्होंने कहा, “अभी मैं यह नहीं कर सकता”।

मैंने कहा, “आप उन्हें देखने लगें तो, आप इस थकान को भूल जाएंगे।” और सच में ऐसा हुआ।

तो एक बात है: हम अब ‘अंग्रेज’ या ‘ब्रिटेन’ के सहज योगी नहीं हैं, हम “ईश्वर के राज्य” के सहज योगी हैं। और सत्य क्या है यह हम जानते हैं । और हम व्यर्थ में अपने आप को दुखी नहीं करने वाले हैं, क्योंकि हमारे कुछ परदादाओं ने हमें इस तरह का व्यवहार करने के लिए कहा है, कि आपको अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करना है।

लेकिन पहले यह इतना बुरा नहीं था, मैं आपको बता दूं कि जब मैं पहली बार आयी, जब मैंने डगलस को आत्मसाक्षात्कार दिया था। यदि आप उसे मिलेंगे, तो वह याद करेगा। तुम देखो, उसने अपना सारा संतुलन खो दिया, उसने बस मुझे उठा लिया और मुझे ऐसे ही खड़ा कर दिया। और मुझे लगा कि अंग्रेजों में बहुत सुधार हुआ है! लेकिन ग्रीगोइरे वहां थे, वह घबरा गए, उन्होंने कहा, “उन्हे नीचे रखो! उन्हे नीचे रखो!”

तो यह इतना सरल, इतना सहज, इतना स्वाभाविक था, आप समझें। हमें यही समझना चाहिए: क्या हम स्वाभाविक हैं? क्या हम सहज हैं? क्या हम बहुत हंसते हैं? क्या हम बहुत खुले तरीके से बात करते हैं? पुरानी मूर्खतापूर्ण परंपराओं के अनुसार आपका खुले दिल का होना गलत है। मैं कहती हूँ यह गलत है, बिल्कुल गलत है!

तो यह उन चीजों में से एक है जिसे हमें छोड़ देना चाहिए| यह कि हमारे पास कोई अन्य शैली नहीं है, बल्कि सहज योग की शैली है,  हंसने की, बात करने की, सबको गले लगाने की और आनंदित रहने की है। इस प्रकार के हम हैं। क्योंकि हम ज्ञान को जानते हैं, हम ज्ञानी हैं, हम ऐसे मूर्ख अंधे लोग नहीं हैं, जो चर्च जाने के लिए अपनी काली टोपी पहनेंगे और वहां स्थित सभी कब्रों पर बैठेंगे। हम इतना कुछ जानते हैं।

तो यह पहली बात है कि हमारा कोई स्टाइल नहीं है, किसी तरह का कोई स्टाइल नहीं है।

अब कुछ सहज योगियों ने विदेश जाकर विवाह किया, यूके से और मुझे उन के बारे में शिकायतें मिली है कि वे सोचते हैं कि वे देवियाँ और लॉर्ड्स बन गए हैं। मैंने कहा, “एह? देवियों और लॉर्ड्स?  यहां उनके पास कोई काम -धाम नहीं है, वे लेडीज कैसे हो गई हैं? उन्होंने कहा, “उनके पास है। अब वे एक विशेष तरह की टोपी पहनना चाहते हैं और वे इस विशिष्ट तरह की चीज़ पहनना चाहते हैं और उनमें से कुछ हिप्पी बन गए हैं! मैंने कहा, “हिप्पी, क्यों? मैं नहीं समझ पाती! “और वे किसी से बात नहीं करना चाहते हैं और उनके ऊपरी होंठ ताने हुए हैं।” सभी अंग्रेज स्टाइल, आप देखिए!

मैंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि वे इस मॉस ब्रदर्स से उधार लिए गए टेलकोट नहीं पहन रहे हैं।” (हँसी)

तो अत्यंत दुखद था कि, वे किसी सामूहिक कार्यक्रम में नहीं जाते थे, वे नहीं जायेंगे, क्योंकि आप जानते हैं, वे अब साहब बन गए, आप देखिए! भारत में उन्हें साहिब कहा जाता है। भारत में, अगर कोई बहुत अधिक स्टाइल दिखाने की कोशिश करता है या यह दिखावे की कोशिश करता है कि वह किसी विशिष्ट वर्ग का है, तो वे कहते हैं, “हा! अब वह साहब बन गया है! वह साहब बन गए हैं! साहिब कहने का अर्थ है, यह उसकी निंदा है। भारत में यह निंदा है। लेकिन है यह वही बात| आया यह अंग्रेजियत से ही है, क्योंकि अंग्रेज इस तरह बात करेगें; कभी-कभी तो यहाँ तक कि भले ही वह कहीं सिर्फ रसोइया ही क्यों न हो, लेकिन अपने बारे में इतनी बड़ी-बड़ी बातें करता। लेकिन वैसे तुम हो नहीं।

और हम सोचते रहे हैं कि ऐसा क्यों, ऐसा क्यों है, कि अंग्रेज अपना हृदय नहीं खोल सकते? आखिरकार, आप पूरे ब्रह्मांड के ह्रदय में रहते हैं! मेरा मतलब है, अगर आप अपना ह्रदय नहीं खोलेंगे तो और कौन अपना दिल खोलेगा? जोशीले होने की जरूरत नहीं है, इस तरह की बात करना, उस तरह की बात करना, इसकी जरूरत नहीं है, ऐसा मैं नहीं कह रही हूं लेकिन, कृपया समझें। लेकिन मैं कह रही हूं, उचित गरिमापूर्ण तरीके से, आपको हंसना है, आपको मजाक करना है, आपको आनंद लेना है।

चूँकि आनंद आपके अन्दर है ही नहीं इसलिए ऐसा है। क्या ऐसा नहीं है? या आनंद है? और अब भी तुम सोचते हो, “यदि मैं बहुत अधिक हँसूँगा, तो लोग क्या कहेंगे?”

तो, यह एक बात समझनी है: कि ये सभी कृत्रिमताएँ सभी मूर्खतापूर्ण कृत्रिमताएँ हैं जो वहाँ थीं। जैसे उस समय जब आप रानी की पार्टियों में से किसी एक में जाते हैं – मुझे आपको इसके बारे में बताना चाहिए क्योंकि मैं इन सब बकवास में जा चुकी हूँ – और ऐसे लोग हैं जो वहाँ आते हैं, निश्चित रूप से यह मॉस ब्रदर्स व्यवसाय फिर से आता है, वे जब प्रवेश करते हैं तब उनके टेलकोट।  कुछ बहुत तंग होते हैं और कुछ बहुत ढीले होते हैं, आप देखिए! (हँसी) तंग वाले ऐसी अजीब सी चाल से चलते हैं, आपको समझ नहीं आता कि क्या करें, आपको हर समय हँसने का मन करता है और वे जोकर की तरह दिखते हैं, मैं आपको बताती हूँ। बड़े अच्छे मर्यादित पुरुष जोकर जैसे लगते हैं। और दूसरे जिनके पास ढीले टेलकोट होते हैं वे चार्ली चैपलिन की तरह चलते हैं। (हँसी) और मैं उन्हें कभी पहचान नहीं पाती, मैं आपको बताती हूँ, मैंने सी.पी. से पूछा, “क्या वह वही है?” “हाँ, वह वही है क्यों?” मैंने कहा, “मैं उसे पहचान नहीं पायी, वह चार्ली चैपलिन की तरह बहुत अलग दिख रहा है!”

हो सकता है, चार्ली चैपलिन इनमें से किसी एक पार्टी में गए हों, मुझे यकीन है, जिस तरह से उन्होंने अपनी ड्रेस बनाई थी। क्योंकि यह बिल्कुल उसी तरह है, मैं आपको बताती हूं। और फिर, उन्हें चाय पीनी पड़ती है, बैठ कर यह, वह बकवास, तुम देखो। मैं जो कह रही हूं वह यह है कि यह सब एक मानव निर्मित निरर्थक सोच-विचार से हम तक पहुंचता है।

हम परमेश्वर के राज्य में बैठे हैं। इसलिए हम लोग ऐसी सब चीजें नहीं करने वाले हैं। हम ऐसी सभी बेतुकी बातों में नहीं पड़ेंगे, क्योंकि यह एक ऐसी कृत्रिम श्रेष्ठता देती है जो आपको बाकी दुनिया से काट देती है।

तो वास्तव में मुझे आपको यह बताना है कि इसमें जो कुछ हुआ है व ऐसा कि जिस तरह की कृत्रिमता का निर्माण किया गया था, सत्य यह बर्दाश्त ना कर सका। यह उस बनावटीपन को और अधिक सहन नहीं कर सकता था, यह बर्दाश्त से बहुत अधिक था।

अब मैंने यह पता लगाने की कोशिश की है कि ऐसा फर्क क्यों जैसे कि, जेरेमी [] और रॉबर्ट [हंटर] वे असली इटालियन बन गए हैं, मैं आपको बताती हूं। तो एक बार, हम खरीददारी के लिए गए थे और फिर हमने कहा, “चलो कुछ आइसक्रीम खाते हैं!” गुइडो मुझे आइसक्रीम की दुकानों पर ले जाने में बहुत अच्छे हैं, क्योंकि अन्यथा मैं कभी नहीं खाती! तो हम वहाँ थे और अचानक हमने एक बड़ी हँसी की आवाज़ सुनी। मैंने कहा, “लगता है कुछ सहज योगी इस तरफ आ रहे हैं।” यह बाबा मामा और ये दोनों उसी दुकान पर चले आ रहे थे, और इतनी जोर से हंस रहे थे, कि यहाँ तक की अन्य इटालियन भी उनकी ओर देख रहे थे कि, “ये बड़े इटालियन कौन हैं जो यहां आए हैं?” तीनों खिलखिलाकर हँसते जा रहे थे! और उन्होंने हमें देखा और डर गए, क्योंकि वे बैठे थे। मैंने कहा, “मैं तुम्हारी हँसी सुनकर बहुत खुश हूँ। आखिर, तुम यहाँ आए और हर कोई तुम्हें देख रहा था। चूँकि वे दोनों इतालवी भाषा जानते हैं, वे दूसरी भाषा जानते हैं।

हमारे साथ एक बात और भी है कि हम कोई दूसरी भाषा नहीं सीखना चाहते। सभी को अच्छी तरह से अंग्रेजी भाषा सीखनी होगी, अन्यथा हम को लगता है कि, वे सभी बेवकूफ़ मूर्ख हैं। और हम उनका मजाक उड़ाते हैं। मैंने यहां बहुत सी फिल्में देखी हैं – वे इतने छोटे, छोटे नाटक दिखाते हैं कभी-कभी किसी प्रकार की श्रृंखला आ रही है – जिसमे एक फ्रेंच को अजीब तरीके से अंग्रेजी बोलते हुए, या एक जर्मन को अजीब तरीके से बोलते हुए दिखाया गया है। और मुझे यह भी लगता है कि अंग्रेज मुझे भी काफी अजीब तरीके से संबोधित कर सकते है! कभी-कभी यह बहुत कठिन असंभव जैसा होता है। जैसे आज ही, टिकट कलेक्टर,  मुझे नहीं पता कि वह कौन सी भाषा बोलता है, लेकिन मैं समझ नहीं पायी कि वह क्या बात कर रहा था, वह अच्छा बनने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मैं उसे देख रहीथी, मैं उससे पूछने वाली थी, “अब, यह कौन सी ऑक्सफोर्ड इंग्लिश है, या यह कैम्ब्रिज इंग्लिश है? मुझे समझ नहीं आया।” कि कैसे।

तो जो मैं कह रही हूं कि,  भाषा सिर्फ संचार के लिए है। लेकिन उस संचार में, अगर कोई प्यार नहीं है, अगर कोई वास्तविकता नहीं है, अगर कोई भावना नहीं है, कोई परवाह नहीं है, तो हम किसी के साथ संवाद ही क्यों करना चाहते हैं? केवल जुबानी जमा खर्च ठीक नहीं है।

तो अब हम न केवल इस दुनिया के अंग-प्रत्यंग हैं बल्कि पूरी समग्र के हैं। और एक बार जब आप इस संकुचित मानसिकता को छोड़ देते हैं तो आपके माध्यम से सब कुछ प्रसारित होता है। लेकिन विशिष्टता\पृथकता की भावना है, चरित्र में, बहुत अधिक विशिष्टता की भावना है, शायद इंग्लैंड के एक द्वीप होने के कारण। सिवाय, जैसा कि मैं आज डेविड [स्पाइरो] को बता रही थी, कि अन्य लोगों पर हमला करने और ऑस्ट्रेलिया तक चीन तक पहुंच जाने के अलावा, अन्यथा वे विशिष्टता\पृथकता की भावना से ग्रसित  हैं!

इसलिए हमें खुद का अवलोकन करना सीखना चाहिए, हमें यह सीखना चाहिए कि हमारे पूर्वजों से हम तक क्या आ रहा है। यह हमें विरासत में मिला है! तो अचानक हम लॉर्ड बन जाते हैं, अचानक हम लेडीज बन जाते हैं, अचानक हम किसी तरह के अंग्रेज ड्यूक बन जाते हैं।

भारत में इनका खूब मजाक उड़ाया गया। आपने ड्यूक की नाक देखी होगी, उन्होंने एक पर्वत श्रेणी को उसका नाम दिया है, इसे वे इस प्रकार कहते हैं कि, “यह एक ड्यूक की नाक है,” क्योंकि कुछ ड्यूक इस प्रकार की नाक के साथ गए होंगे।

इसलिए हमें अपना खुद का मजाक बनाना सीखना चाहिए। तब ये सब चीजें गायब हो जाएंगी, और यह समझना होगा कि हम इस सीमित चीज से बहुत ऊंचे लोग हैं। यह विशिष्टता व्यर्थ है। और अगर हम इन पुराने लोगों का अनुसरण कर रहे हैं तो इसके साथ हम भी भूत बन सकते हैं, क्योंकि वे काफी भूतिया थे, आप उन्हें देख सकते हैं, वे काफी भूत थे, जिस तरह से उन्होंने कुछ चीजें कीं। और अब वे मर चुके हैं और चले गए हैं, हम नए पैदा हुए हैं, खास लोग हैं, हम फूल हैं और हमें सुगंधित होना चाहिए।

और गैविन के साथ ऐसा ही हुआ है कि,  वह बहुत नीचे चला गया है। और यह वैलेरी [ब्राउन] एक और भयानक चरित्र है। मुझे नहीं पता कि उसके बारे में क्या कहूं – जितना कम कहा जाए उतना अच्छा है। मेरा मतलब है कि मैंने कभी ऐसे व्यक्ति को इतनी भयानक बात लिखते हुए नहीं देखा, मैंने कभी नहीं सुना कि ऐसी किताबें सामान्यतया पढ़ने के लिए लिखी जाती हैं। मेरा मतलब भारत में यह सोच से भी बाहर है! इस तरह के एक वाक्य की भी अनुमति नहीं दी जाएगी। कुछ ऐसा जो उबकाई देने वाला हो, बिल्कुल उबकाई देने वाला। मैं निश्चित रूप से पढ़ नहीं सकी, ऐसा कहते हुए मुझे खेद है। लेकिन मैंने इसके बारे में जो कुछ भी सुना है। और कुछ पंक्तियाँ थीं, उन्होंने उसे पढ़ा और मैंने कहा, “बाबा! इसे रोक! इसे रोक! इसे रोक! मैं उल्टी नहीं करना चाहती!

तो केवल एक स्टाइल वगैरह, यह सब ठीक नहीं है। हम आत्मा हैं और आत्मा प्रकाश है, हमारे चारों ओर प्रकाश है, हमारे आभामंडल के चारों ओर। हम एक खास तरह का ब्यक्तित्व लेकर चलने वाले लोग हैं, हमें स्टाइल की क्या जरूरत? हमसे बेहतर स्टाइल किसके पास है? हम अपनी शैली बनाते हैं, हम शैलियों के निर्माता हैं।

तो किसी तरह के निरर्थक विचार के अनुरूप बनना और खुद को विशिष्ट  करना, खुद को अलग करना, खुद को सामूहिक से अलग करना, बकवास है।

अब इस बार, जो लोग भारत जा रहे हैं उनसे, मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूं कि आप लोगों से घुल-मिल जाएं। हम ऐसा कोई शिविर नहीं लगाएंगे जिसमें केवल अंग्रेज हों या कोई विशेष होगा। और यह एक बहुत ही सामान्य कमी है, हमें इसका सामना करना चाहिए। यह एक बहुत ही सामान्य कमजोरी है। चूँकि अब, मैं इंग्लैंड में हूँ, इसलिए मैं भी अंग्रेज़ हूँ, लेकिन मुझमें यह कमी नहीं है। लेकिन मैंने भारतीयों को देखा है, जब वे यहां रहते हैं तो वे भी ऐसे ही हो जाते हैं।

मैं अर्जेंटीना में मार डेल प्लाटा नामक स्थान पर गयी। यह बहुत खूबसूरत जगह है, लोगों की बहुत खूबसूरत कॉलोनी है। तो मैंने कहा, “ये लोग यहाँ कौन रह रहे हैं?” उन्होंने कहा; “सभी स्पेनिश, इटालियंस, यह, वह।”

 “और अंग्रेज?” 

वे बोले, “नहीं! अंग्रेजों की अपनी अलग कॉलोनी है। लेकिन मुझे आश्चर्य नहीं होगा कि कल हमारे पास अंग्रेज भारतीयों की अलग कॉलोनी हो; हो सकता है।

वे संस्कृत में कहते हैं, “संगति संग दोषेना,” का अर्थ है, यदि आप किसी के साथ रहते हैं, तो आप भी उसी तरह के बन जाते हैं। इसलिए हमारे पास भारतीय समुदाय में कुछ ड्यूक और डचेस भी हो सकते हैं, संभवत: कल भी अगर वे यहां रहते हैं – बहुत संभव है।  “हम कुछ खास हैं।” इस तरह का माहौल इतना तीव्र है और जब वे दूसरे देश के साथ ऐसा करते हैं तो यह बहुत स्पष्ट रूप से दिखाता है, यह समस्याएं पैदा करता है। वे लोगों के साथ घुल-मिल नहीं सकते, वे दूसरों से बात नहीं कर सकते, हर समय उन्हें लगता है कि वे कोई मीडिया के लोगों की तरह हैं, जो आलोचना करने की कोशिश कर रहे हैं।

पूरा रवैया इस प्रकार होना चाहिए कि,  हमें सहज योगियों के पूरे सागर में घुलना-मिलना है। इसके बजाय अगर आप इस तरह का व्यवहार करते हैं तो लोग सोचते हैं कि वे हमारी आलोचना कर रहे हैं। इसलिए मैंने कई बार कहा है कि हम “मुझे पसंद है” या “मुझे विश्वास है” ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। नहीं, इन शब्दों का उपयोग नहीं करना है। क्योंकि इसी तरह आप दूसरों का तिरस्कार करते हैं “मुझे यह पसंद नहीं है, मुझे वह पसंद नहीं है।” हो सकता है कि आपके घर में इसका आधा भी न हो, लेकिन फिर भी वे इस तरह ही कहेंगे। खुद आपके घर में भले ही खाने के लिए खाना न हो लेकिन किसी के घर जाते हैं तो कहते हैं, “मुझे यह खाना पसंद नहीं है।” हम यह नहीं खाते हैं। ये सारी बातें मैंने उनमें (गेविन ब्राउन) देखी हैं और यही मैं आपको बता रही हूं।

बेशक पढ़ने के लिए कई किताबें हैं और हम पढ़ सकते हैं। अंग्रेजों का एक अच्छा गुण यह है कि वे विद्वान हैं, उनके पास विद्वता है। वे बहुत पढ़ते हैं, वे बहुत कुछ जानते हैं। साधारण व्यक्ति को भी पता होगा। साथ ही, यह एक बहुत छोटा देश होने के नाते, वे छोटी-छोटी जगहों के बारे में जानते हैं। आप कहीं भी जाएँ उन्हें जानकारी होती हैं जैसे कि, “यह ग्लास डार्लिंगटन से है, अमुक वस्तु यहां से है, यह वहां से है।” भारतीयों को कुछ पता नहीं रहता! और यदि तुम उनसे पूछो, “यह साड़ी कहाँ से आती है?” विशेष रूप से पुरुषों को, महिलाएं आपको बता सकती हैं। औरतें कहेंगी, “पता नहीं, भारत की ही होगी न? या यह केन्या से है?

उन्हें पक्षियों के बारे में जानकारी हैं, वे कहाँ से आते हैं। लेकिन यह सब बातें, आप देखिए, यह ज्ञान कभी-कभी हमें अति राष्ट्रवादी बना सकता है: “हम अंग्रेज!” इस तरह की भावना आ सकती है। उस बिंदु पर सावधान रहें, ऐसा कहते समय कि, “हम ब्रिटिश हैं।” हम नहीं हैं! हम भारतीय नहीं हैं, हम ब्रिटिश नहीं हैं, हम कुछ भी नहीं हैं। हम ज्ञानी हैं। हम वो है जो जानते हैं। हम योगी हैं। चूँकि यह हमारे दिमाग में एक ऐसा कृत्रिम अहंकार है और इसने लोगों को हमसे घृणा करने के लिए मजबूर कर दिया है, जबकि हम यहां पूरी दुनिया को प्यार करने के लिए हैं।

इसलिए हमारी खूबसूरती इस बात में है कि हम दूसरों से कितना प्यार करते हैं। हमें खुद की तरफ दृष्टिपात करना चाहिए कि: “हम दूसरों से कितना प्यार करते हैं? हम दूसरों की कितनी परवाह करते हैं? हम दूसरों का कितना आनंद लेते हैं? जब मैं दूसरे सहज योगी के सामने होता हूँ तो मुझे कैसा लगता है?”

जब मैं तुम्हें देखती हूं, तो खुशी की लहर मेरे लिए तूफ़ान के समान हो जाती है। मेरा मतलब है, मुझे नहीं पता होता कि मैं कहां खड़ी हूं। और कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं खुद को स्वर्ग तक उठा सकती हूँ! वह हमारी आत्मा अन्तर्निहित संतुष्टि है। ना की ये सब बनावटी चीजें, ये हमें कभी खुशी नहीं दे सकतीं। वे किसी और को खुशी नहीं दे सकते।

हमें बहुत सरल लोग होना है। साधारण का मतलब यह नहीं है कि आप बस थोड़े से कपड़े पहन लें, इसका मतलब यह नहीं है। सरल, मतलब अपने दिल से। छोटी-छोटी बातों के लिए आपको खुश होना चाहिए। आपको साधारण चीजों से ख़ुशी होना चाहिए। और इसी तरह हम एक दूसरे के करीब आएंगे।

क्योंकि इस दुनिया को एक होना है। अब जब यह एक यूरोप होगा, तो अंग्रेजों का क्या होगा, मुझे नहीं पता। मुझे लगता है कि उन्हें समुद्र में कूदना होगा क्योंकि जिस तरह से इन सभी लोगों द्वारा उनका अतिक्रमण किया जाएगा क्योंकि वे,  एक तरह से अंग्रेजी ढंग से आक्रामक लोग हैं, क्योंकि अगर कोई इतालवी है, तो वह बस आपके घर में प्रवेश करते ही कहेगा, “आज शाम के खाने के लिए आपके पास क्या है?” काफी संभव है! और तुम कहोगे, “यह क्या है? मेरे घर में इस तरह चले आना बहुत ही अशोभनीय है!

आपको घर क्यों मिला है? जब कि उस घर में कोई चूहा भी नहीं घुस सकता। आप अपने पीतल को पॉलिश कर चमकाते हैं, आप अपनी सारी सफाई, झाडू लगाते हैं – किसके लिए? घर में एक चूहा भी नहीं आता है जो आकर इसे देखे। यह सब करने का क्या फायदा? हो सकता है तो सूअरों की तरह ही रहें, बेहतर है, ताकि आपकी ऊर्जा बर्बाद न हो। क्योंकि कोई सुअर भी यहाँ आपसे मिलने आने वाला नहीं!

ठीक है, जलवायु ऐसी है कि हम दरवाजे खुले नहीं छोड़ सकते, ठीक है, लेकिन दिल तो खुले हो सकते हैं। मुझे खुद इसके बहुत सारे अनुभव हुए हैं। लेकिन सहज योग में, अगर ऐसी प्रवृति रेंगती है, तो मुझे नहीं लगता कि हमारा सहज योग समृद्ध हो सकता है, या लोगों के पास वह संतुष्टि हो सकती है।

सहज योग का गुण हमारे भीतर होना चाहिए: हम कितने लोगों को आत्मसाक्षात्कार देते हैं? हम कितने लोगों से बात कर सकते हैं? हम सहज योग के बारे में कितना जानते हैं? हमने इसमें कितना महारत हासिल की है, हम कितने लोगों को सहज योग में लाते हैं? हम क्या क्या कर सकते हैं?

यह हृदय का परिसंचरण है जो महत्वपूर्ण है। और यदि आप प्रसारित नहीं कर सकते तो आप हृदय पर क्यों जी रहे हैं? यह देश ह्रदय का देश है जहां शिव रहते हैं, जहां वे हर चीज में स्पंदित होते हैं- हर चीज में स्पंदित होते हैं- और जब आप वहां हैं, तो आपको क्या करना चाहिए?

सर्कुलेशन: आप कितना परिसंचरण कर सकते हैं, लोगों के साथ साझा कर सकते हैं, तालमेल, समझ। हर जगह आनंद है, हर जगह समझ है। लोगों के पास ऐसे गहराई के ऐसे समुद्र हैं, लेकिन हमें पता होना चाहिए कि उनमें कैसे प्रवेश किया जाए। लेकिन अगर आप मोती पाना चाहते हैं, तो आपको नीचे गोता लगाना होगा। लेकिन अगर तुम तिनके के साथ जीना चाहते हो तो वह वहीं सतह पर लटका हुआ है – उसके साथ जियो!

हम सहज योग में महान व्यक्ति बनने के लिए आये हैं। हम अंग्रेज हो गए, ठीक है अब खत्म, हो गया! लेकिन अब हमारा दूसरा जन्म हुआ है, हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर चुके हैं, अब हम यहां महान लोग, महान सम्राट बनने के लिए हैं।

और ये स्टाइल बाज़ी और यह सब तथाकथित राजा और महाराजाओं से आई हैं और जो भयानक लोग थे ! क्या आप यह जानते हैं ? उन्होंने मुझे बताया कि महारानी एलिज़ाबेथ, I st, को शरीर पर यहाँ एक तरह का अजीब निशान था, वे नहीं जानते कि वो एक पुरुष थी या एक महिला, या जो कुछ भी थी, वह जो कुछ भी थी, पुरुष या महिला, या एक व्यक्ति, बात ऐसी थी की, उसके शरीर पर यहाँ एक धब्बा था। इसलिए उसने अपने लिए विशेष  तरह का कालर बनाया जो यहां से खड़ा रहता था। और सभी को वह पहनना पड़ता था! और उन्होंने विक्टोरिया के बारे में भी बताया  – मैं उनके खिलाफ कुछ नहीं कहना चाहती क्योंकि मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है – लेकिन वे कहते हैं कि उनकी पीठ पर एक कूबड़ विकसित हो गया था  इसलिए उन्होंने ये विक्टोरियन स्कर्ट चलन में लायी हैं।

तो आप यह भी देख सकते हैं कि हिप्पीवाद इंग्लैंड में शुरू हुआ, पंकवाद इंग्लैंड में शुरू हुआ।  कल्पना करो गुंडे (पंक)! वे पागल हैं! और जब मैं रोम में एक प्रदर्शनी में गयी, तो वह सुंदर प्रदर्शनी थी, हम एक देश से दूसरे देश के स्टाल पर जा रहे थे, और वहाँ, मैंने इंग्लैंड के बारे में सोचा, क्योंकि जैसा मैंने तुमसे कहा था, मैं अंग्रेज बन गयी हूँ। उन्होंने कहा, “यूके कहां है?” उसने बताया, “यह वहाँ है!” और लगभग छह सात लड़के ज्यादातर इटली से थे, और तीन, चार लड़कियाँ हँस रही थीं, “हा! हा!” मैंने कहा, “वहाँ क्या हो रहा है? क्या बात, क्या बात है? जब अंग्रेज सब पर हंसते हैं, तो वे अंग्रेजों पर क्यों हंस रहे हैं? और आप जानते हैं कि वह क्या था? यह एक (पंक शॉप)गुंडा दुकान थी – प्रदर्शनी के लिए उनके पास केवल यही एक चीज थी, मेरा विश्वास करो।

छेददार पैंट, छेददार, H O L E Y ! होली पैंट और उनके पास ये थे – आप उन्हें क्या कहते हैं, आप क्या कहते हैं मुझे नहीं पता? हम तो हिंदी भाषा में उसे तुर्रा इस तरह की चीज कहते हैं – और वह सब, वे वहां बेच रहे थे। और उन्होंने कहा, “यह सब असली, वास्तविक, इंग्लैंड से असली है।” और ये सभी इटालियन हंस रहे थे। तो मैंने फ्लाविया से पूछा, “वे इन अंग्रेजों पर क्यों हंस रहे हैं?” उसने कहा, “माँ, हमारे पास ठिठोली का भाव है, हमारे पास ठिठोली का बड़ा भाव है।” जबकि ये लोग सोच रहे थे कि, “तो क्या? इसमे क्या गलत? अगर मैं अपनी नाक काट लूं तो इसमे गलत क्या है?”

तो अंततः हम इस तरह की मूर्खता में समाप्त हो जाते हैं, जैसा कि आप जानते हैं, कि जिस व्यक्ति में इस प्रकार का अहंकार होता है वह मूर्ख बन जाता है। और ऐसी कई चीजें हैं जो आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि कैसे, कैसे हमने सोचा कि हम कुछ महान हैं और कैसे लोगों ने हमें मूर्ख बनाया।

हिंदी भाषा के एक महान लेखक हैं जिन्हें प्रेमचंद कहा जाता है। मुझे आपको उनकी लिखी कहानी बतानी चाहिए यह बहुत दिलचस्प है। भारत में अंग्रेज थे और हम जानते थे कि उन्हें कैसे बेवकूफ बनाना है, मैं आपको साफ-साफ बता दूं। और बनारस की एक गली में दो अंग्रेज जा रहे थे। और बनारस में ज्यादातर, उनके डब्ल्यूसी खुले में ऊपर की मंजिल पर होते हैं। वे वहीं बैठते हैं। और हम अपना पात्र, लोटा लेकर चलते हैं, वे इसे पानी का लोटा कहते हैं। लोटे को किसी ने वहीं रख दिया और अचानक किसी कारण से लोटा नीचे गिर गया। और बस यह नीचे गिरा – क्या आप मुझे रिकॉर्ड कर रहे हैं? सुनो? अब इसे रिकॉर्ड मत करो। आप इसे रिकॉर्ड करना चाहते हैं? केवल अंग्रेजों के लिए ठीक है। लेकिन इसे किसी अन्य को मत बताना ! (हँसी)

इतने में लोटा नीचे गिर गया। और वह वर्णन करता है, “जहाँ कई भारतीय जाते हैं और वहाँ सिर रखते हैं, उनके पैरों पर गिर गया।” तो मैंने कहा, “वह क्या होना चाहिए?” वे दो अंग्रेजों के पैर थे। और तब अंग्रेज नाराज हो गए, क्योंकि उनके देश के कानून के अनुसार किसी को चोट नहीं पहुंचाई जा सकती है। और उन्होंने लोटा ले लिया और बोले, “हम तुम्हें अभी पुलिस के पास ले जा रहे हैं। इससे हमें बहुत चोट लगी है!” इतने में जो आदमी ऊपर था दौड़ता हुआ आया, बोला, “सॉरी, सॉरी!” उन्होंने कहा, “कुछ नहीं सुनना, हम आपको पुलिस के पास ले जा रहे हैं! इस लोटे ने हमें चोट पहुंचाई है। तुम्हें वहाँ एक लोटा इस तरह से रखना नहीं था कि वह हमारे पैरों पर गिर पड़े।”

भारत में कोई मुआवजा नहीं देता। लेकिन अगर कोई अंग्रेज आये और कहे, ठीक है, तो वे कहेंगे, “बाबा, अब ठीक है, क्या करें?”

तो एक आदमी था जिसने एक तरकीब सोची। वह अंग्रेजी जानता था। उन्होंने कहा, “देखिए, आप उन्हें पुलिस के पास ले जा सकते हैं। अधिक से अधिक पुलिस उन्हें थोड़ा जुर्माना करेगी। लेकिन क्या आप जानते है, इस लोटे के बारे में ?” उसने कहा, “क्या?” “यह लोटा अकबर का था। अकबर अपने साथ इस लोटे को ले जाता था, इसलिए उन्हें पुलिस तक ले जाने के बजाय अगर आप इस लोटे को मांग लेते हैं तो आप देखिये, यह एक प्राचीन वस्तु है। आपके लिए अच्छा होगा, अकबर महान इसे ले जाते थे!

और उसने उन्हें हिंदी भाषा में कहा कि, “मैंने उन्हें धोखा दिया है और मैंने कहा है कि यह अकबर का है और आप बस इतना कह दें कि ‘हम यह लोटा नहीं देना चाहते हैं और आप हमें पुलिस में ले जा सकते हैं!’ 

अंग्रेजों ने कहा, “अब, ठीक है। यदि आप हमें यह लोटा दे देंगे, तो हम आपको क्षमा कर देंगे!” तो इन लोगों ने कहा, “नहीं हमें यह लोटा नहीं देना है।” “क्यों?” “क्योंकि यह अकबर का था! हम यह लोटा कैसे दे सकते हैं? वह हमारे पूर्वज थे। हम आपको अपना लोटा नहीं दे सकते!”

तो फिर अंग्रेज ने कहा, “ठीक है, फिर क्या तुम पुलिस के पास आने को तैयार हो?” 

“हाँ, हाँ, हम पुलिस के पास जाने को तैयार हैं लेकिन हम आपको यह लोटा नहीं दे सकते!” तो उन्होंने उस लोटे के लिए बहुत पैसे दिए और उसे खरीद लिया। (हँसी) और वे बहुत गौरवान्वित थे, आप देखिए। और उन्होंने उस लोटे को ले लिया और उन्होंने इसे किसी फ्रेम में रखा होगा यह कहने के लिए कि यह वही लोटा है जिसे अकबर उपयोग करता था।

तो यह ऐसा है। इसलिए सबसे पहले हम में अन्य संस्कृतियों, अन्य चीजों और अन्य लोगों और अन्य देशों के प्रति सम्मान होना चाहिए और यह देखने की कोशिश करनी चाहिए कि उनमें क्या अच्छाई है। अन्यथा कुछ भी आपके भीतर प्रवेश नहीं करेगा और आप जीवन भर अलग-थलग रह जाएंगे।

इस दुनिया में बहुत सी अच्छी चीजें हैं। मान लीजिए कि आप इटली जाते हैं — देखें कि वे कितना सुंदर काम करते हैं, वे जो फर्नीचर बनाते हैं, वे चीज़ें बनाते हैं। एक बार जब वे इंग्लैंड आ गए तो मुझे नहीं पता कि हमारे साथ क्या होने वाला है। हमारे पास बहुत सारी सुंदर कलाएँ थीं और हमारे पास प्रतिभाएँ थीं, लेकिन अब सब खत्म हो गया है, किसी के पास नहीं है। और जब वे यहां आएंगे तो क्या होगा?

मशीनरी में, जब जर्मन यहां आएंगे, तो वे हमें खत्म कर देंगे।

इसलिए हमें यह समझना होगा कि ये सतही चीजें और यह सोच कि हम कुछ महान हैं, इसमे कोई महानता नहीं है। महानता आपके भीतर है, आपके हृदय के भीतर है। और यह इतना अधिक, इतना स्पष्ट, इतना स्पष्ट है कि यह वास्तव में चौंकाने वाला है। उन सभी औपचारिकताओं वगैरह की प्रतिक्रिया के रूप में, लोगों ने बहुत ही चलताऊ पोशाकें अपना ली होंगी, ठीक है। लेकिन यह तरीका नहीं है, अपितु इसे अंदर से चले जाना होगा।

इन सब विचारों को पूरी तरह से धो देना है, साफ कर देना है। और हमें जानना है कि ये हम ही हैं, जिन्हें पूरे विश्व को आत्मा का प्रकाश देना है। और हम इन सभी अजीबोगरीब विचारों से खुद को कैसे आच्छादित कर सकते और ढक सकते हैं ?

और इसीलिए आप में से कई लोगों ने मुझसे गेविन के बारे में सवाल पूछे हैं। मुझे बस इतना ही कहना है कि इस हद तक केवल एक अंग्रेज ही जा सकता है क्योंकि वही खुद को माफ कर सकता है। इस हद तक कोई अन्य नहीं जा सकता। ऐसा किसी ने नहीं किया है। ऐसा किसी ने नहीं किया है। हमने सहज योग से बहुत से लोगों को निकाला था, यह आप अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन जिस तरह से वह गिरे और पिछले चौदह साल से जिस तरह से हमारे साथ थे, यह हैरान करने वाला है। और मैं समझती हूं कि लोग मुझसे सवाल पूछते हैं, मैं समझती हूं कि ऐसा क्यों हो रहा है.

लेकिन अब सावधान! आइए हम अपने इन मूर्खतापूर्ण बेवकूफ विचारों के साथ खो न जाएं। और हम कुछ महान बनें। आइए हम अपने ही भीतर रहें, स्वयं को देखें।

कितना भी अहंकार, कितनी भी कृत्रिमता हमें कोई विशेष व्यक्तित्व नहीं दे सकती, सिवाय इसके कि हमें यह बोध हो कि हम क्या हैं। और जब हम जानते हैं कि हम क्या हैं, तो हम स्वयं का आनंद लेते हैं, हम कभी ऊबते नहीं, हम स्वयं का आनंद लेते हैं – कभी ऊबते नहीं।

इसलिए कार्यक्रम की शुरुआत में मुझे कहना है कि मैंने सहज योगियों को देखा है अगर वे अच्छा बनना चाहते हैं तो वे वास्तव में बहुत अच्छे लोग हो सकते हैं, इंग्लैंड में, क्योंकि बुद्धि की गुणवत्ता बहुत बेहतर है, शायद उनकी विद्वता भी बहुत अच्छी है। लेकिन जब ये गिरते हैं तो बहुत तेजी से गिरते भी हैं और बहुत ज्यादा नीचे चले जाते हैं। तो हमें किस पर निर्भर रहना है अपने कदमों पर कि हम कहां खड़े हैं और हम आगे क्या कदम उठाने जा रहे हैं।

उदाहरण के लिए ध्यान करना: डॉ. ब्रायन वेल्स ने मुझे बताया कि लोग आश्रम में ध्यान नहीं करना चाहते हैं। अब ध्यान बहुत महत्वपूर्ण है, यही एक तरीका है जिससे हम विकसित हो सकते हैं।

अब ठीक है, पहले लोग उठते थे, मान लीजिए पहले दस बजे थे। पर अबतुम नशा नहीं करते, दस बजे क्यों उठे? आपको सुबह उठना है। आपको अपना ख्याल रखना है: इसका मतलब है कि आपको अपनी आत्मा की देखभाल करनी है! और यही हमें हासिल करना है। और मुझे पता है कि अगर आप सब ठान लें तो आप इसे बहुत अच्छे से कर सकते हैं। आपस में एक बेहतर समझ है लेकिन जब दूसरों की बात आती है तो ऐसा लगता है कि किसी तरह का कम्युनिकेशन गैप है जैसा की होना नहीं चाहिए।

अगर जर्मन इतने कोमल और इतने प्यारे हो सकते हैं। आपने जर्मन सहज योगी लोगों को देखा है – एक फूल को छूना भी एक जर्मन को छूने की तुलना में आसान है, मैं आपको बताती हूं कि वे इतने कोमल हो गए हैं, क्योंकि उन्होंने एक सबक सीख लिया है। और मैंने एक जर्मन से पूछा, “अंग्रेजों के साथ क्या मामला है? उन्होंने सबक क्यों नहीं सीखा?” उसने मुझे वापस उत्तर दिया, जो जानना बहुत महत्वपूर्ण बात है, “उन्होंने कभी युद्ध नहीं हारा  है माँ। उन्हें एक युद्ध हारना होगा, वे सब ठीक हो जाएंगे।”

तो ऐसी सज्जनता, जो बाहरी नहीं है, जो सिर्फ जुबानी जमा खर्च नहीं है, बल्कि आतंरिक है: “वे किसी को कैसे चोट पहुँचा सकते हैं?”

मेरा मतलब है, आपसे इस तरह बात करने के लिए मुझे खुद को एक मानसिक स्थिति में रखना पड़ा। और मुझे नहीं पता की कितने फूल अपने शब्दों में बुनूँ कि वे तुम्हें चोट न पहुँचाएँ। और फिर भी मेरे दिमाग में पीछे से, एक तरह का दुख है, क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं और यह दिखाता है कि मैं ज्यादातर समय तुम्हारे साथ रही हूं। आप विशेष रूप से विशेषाधिकार प्राप्त हैं। लेकिन इससे आपको अधिक विनम्रता प्राप्त होना चाहिए। क्योंकि मेरे जो भी गुण हैं वे आप में बहुत अधिक होने चाहिए और लोगों में प्रदर्शित होने चाहिए कि वे कहें कि, “ओह, अंग्रेज, हम पहचान सकते हैं, वे देखने में माँ की तरह हैं। उनका आचरण माता के समान हैं। वे बिल्कुल माँ की तरह हैं। मुझे ऐसा सुनने दो। ठीक है?

तो यह मेरे प्रति आपका यह एक वादा है – क्या यह सब ठीक है? – अष्टमी के दिन। आइए हम इन सभी नकारात्मकताओं को खत्म करें और हम उस विशेष प्रकार के व्यक्ति बनें जिनकी हर जगह पूजा की जाती है। ठीक है?

परमात्मा आप को आशिर्वादित करे।