Nothing to discuss in Sahaja Yoga Alibag (भारत)
भारत दौरे की पहली पूजा अलीबाग (भारत), 17 दिसंबर 1989। आप सभी का स्वागत है। थोड़ी देर हो गई है लेकिन अभी-अभी उन्होंने मुझे सूचित किया है कि विमान और भी देरी से चल रहा है, इसलिए मैंने सोचा कि अब पूजा करना बेहतर है, हालाँकि अंग्रेजों ने हमें शुरू से ही बताया था कि वे इसमें शुरुआत से ही शामिल होना चाहेंगे। उन्हें हमेशा बहुत अधिक पूजाएँ मिलती हैं, यही कारण हो सकता है। [श्री माताजी हंसती हैं, हंसी] तो अब हम सब यहां आ गए हैं और हम एक साथ तीर्थयात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह यात्रा बहुत ही सूक्ष्म प्रकृति की है और अगर हम यह महसूस करें हम यहां क्यों हैं, तो हम समझेंगे कि यह सारी सृष्टि आप सभी पर नज़र रखे हुए है और यह आपकी मदद करने की कोशिश कर रही है कि आपका उत्थान होना चाहिए और आप अपनी गहनता को महसूस करें और इस तरह अपने स्व का आनंद लें। खुद। यात्रा संभवतः बहुत आरामदायक नहीं रहे। सड़कें स्पीड-ब्रेकर्स तथा हर तरह के अवरोध से बहुत भरी हुई हैं [श्री माताजी हंसती हैं] । हमारे उत्थान की जैसी यात्रा है| मुझे लगा, कि अपनी गति को नीचे लाना है। नि:संदेह पश्चिम में हम बहुत तेज गति वाले हो गए हैं और इस गति को कम करने के लिए हमें ध्यान की प्रक्रिया का उपयोग करना होगा जिससे हम अपने भीतर शांति का अनुभव कर सकें। साथ ही विचार हमारे दिमाग पर बमबारी कर रहे हैं और हम दूसरों पर Read More …