Devi Puja: In 10 years we can change the whole world & Weddings Announcements

Brahmapuri (भारत)

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मुझे खेद है जो भी कल हुआ, लेकिन मुझे लगता है कि बुराई और अच्छाई के बीच युद्ध शुरू हो गया है, और आखिरकार अच्छाई की जीत होती है। आधुनिक युग में अच्छाई पर बुराई हावी रहती थी लेकिन अब इस कृत युग में बुराई पर अच्छाई की पूरी तरह से जीत होगी, इतना ही नहीं, अच्छाई हर जगह फैलेगी। बुराई में अति तक जाने और फिर उत्क्रांती की प्रक्रिया से पूरी तरह बाहर हो जाने की क्षमता है। चूँकि वे अंधे हैं वे अच्छे को नहीं देख सकते हैं इसलिए वे बुरे हैं। यदि वे अच्छाई देख पाते तो वे अपनी बुराई छोड़ देते।

हमारे देश में जो योग का देश है, विशेष रूप से महाराष्ट्र जो संतों का देश है, मैं यह सुनकर चकित रह गयी जो कि लोग क्या कर रहे हैं। इस बकवास के वास्तविक स्रोत में से एक रजनीश, भयानक आदमी लगता है, क्योंकि उसने यहां एक प्रदर्शनी लगाई है जिसमें सभी देवताओं की पूरी तरह से निंदा की गई है और सभी प्रकार की गंदी बातें कही गई हैं, और मुझे लगता है कि यहां के मुख्यमंत्री भी इसमें शामिल हैं।  वे सभी यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोई ईश्वर नहीं है, कोई आध्यात्मिकता नहीं है। वे यह स्थापित करना चाहते हैं कि विज्ञान ही सब कुछ है। भारत में हमारे पास विज्ञान की कोई विरासत नहीं है, हमारे पास अध्यात्म की विरासत है। मेरा मतलब है कि इस देश में इतने बड़े वैज्ञानिक के रूप में कोई भी विख्यात नहीं है। किसी ने कोई विशेष आविष्कार नहीं किया है और विज्ञान के नाम पर जिस तरह से लोग इसे आयोजित कर रहे हैं, शायद ही कोई ऐसा हो जिसने विज्ञान के बारे में कुछ किया हो। तो, यह वह बुराई है जिसने विज्ञान के बारे में बात करने और परमेश्वर की निंदा करने का यह नया रूप ले लिया है।

बेशक, पश्चिम में भी काफी हद तक ऐसा ही हुआ है, लेकिन उस हद तक नहीं। उन्होंने वह सब कुछ त्यागा नहीं है जो आध्यात्मिक था। लेकिन यहां वे सिर के बल चले हैं, वे थोड़े से आध्यात्मिक लोग हैं जो वहां हैं, बहुत कम हैं, लेकिन वे वहां हैं। तो इस देश में यह बहुत खराब विकास हुआ है, यह बना नहीं रहेगा मुझे पता है, इसका अस्तित्व नहीं रह सकता क्योंकि यह देश आध्यात्मिकता से भरा हुआ है। पश्चिम में, चूँकि लोगों ने विज्ञान को अपना लिया है, उन्होंने समाज की सारी संस्कृति खो दी है। समाज की कोई संस्कृति नहीं है। शिष्टाचार छुरी-कांटा या आप एक दूसरे को कैसे चाहते हैं तक सीमित हैं। कोई दूसरी संस्कृति नहीं है। यह बहुत सतही है, वास्तव में कुछ भी गहन नहीं है। क्योंकि उन्होंने पूरी तरह से आधुनिकता को अपना लिया है या हम कह सकते हैं कि यह लोगों का औद्योगिक विकास है, उन्होंने वह सब अपना लिया है और वास्तविकता से उनका संपर्क टूट गया है।

किसी भी देश की संस्कृति अध्यात्म पर ही जीवित रह सकती है। विज्ञान इस बारे में बात नहीं कर सकता और इसकी इतनी सीमाएँ हैं कि यह उनके सम्मुख प्रस्तुत कुछ सरल प्रश्नों का उत्तर भी नहीं दे सकता है। इन सबसे ऊपर उन्हें पता नहीं है कि प्रेम क्या है, उन्हें पता नहीं है कि सर्वव्यापी शक्ति क्या है। अब आप सभी ने इसे महसूस किया है, और आप जानते हैं कि यह क्या है, और आप जानते हैं कि इसका उपयोग कैसे करना है।

तो, इन परिस्थितियों में मैंने पाया कि जो लोग सहज योग में औसत दर्जे के हैं वे अच्छाई स्थापित करने में ज्यादा मदद नहीं कर सकते। आपको अपने भीतर बहुत स्वच्छ होना होगा, आपको अपने भीतर बहुत शक्तिशाली होना होगा और आपको अत्यंत संवेदनशील होना होगा।

इसलिए, हमें अपनी ऊर्जा, अपना ध्यान सतही और निरर्थक चीजों पर बर्बाद नहीं करना है। हमें इससे बाहर निकलना होगा और हमें ऐसे लोग बनना होगा जो भिन्न हैं, किसी भी ऐसी चीज से अलग हैं जो समस्याएं पैदा करती हैं। यदि आप हर चीज के प्रति अनासक्त दृष्टिकोण रखते हैं तो आपके पास एक ऐसा जीवन होगा जो आपके उस समाज का पोषण करेगा जो अभी बीमार है, एक बीमार समाज है, एक पतनशील समाज है। और उस पतनशील समाज के लिए आपको ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो नैतिक रूप से अत्यंत मजबूत हों, जो अत्यधिक शुद्ध हों और जो सहज योग के बारे में सब कुछ जानते हों।

 सामान्यता पश्चिम में सहज योग में औसत दर्जे का होना बहुत आम है, बहुत आम है। और अपनी व्यक्तिगत समस्याओं में इतना उलझे हुए है कि समझ नहीं आता कि वे इस निरर्थक, व्यक्तिगत दृष्टिकोण से कैसे ऊपर उठेंगे। तो यह समझना होगा कि औद्योगिक क्रांति के कारण, जो पूरा वृक्ष बाहर तौर पर इतना विशाल हो गया है, उसे अपना पोषण अध्यात्म से लेना होगा जो भारत में है। इसमें कोई शक नहीं। विकास के बिना अध्यात्म का कोई अर्थ नहीं है। आध्यात्मिकता का विकास बाहर होना चाहिए अन्यथा यह धरती माता में खो जाता है। इसे अंकुरित होना है और इसके परिणाम दिखाने हैं, जो हम निस्संदेह दिखा रहे हैं। इतने सारे तरीकों से भारतीय सहज योगी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, हालांकि वे उस बिंदु के बारे में धीमे हैं। तो, यह कुछ अजीब बात है कि, पश्चिम में, लोग काफी धीमे हैं, सहज योगी अपनी आध्यात्मिकता के बारे में काफी धीमे हैं, और भारत में लोग बाहर अपनी अभिव्यक्ति के बारे में काफी धीमे हैं।

जब तक हम वास्तव में कुछ समर्पित प्रयास नहीं करेंगे तब तक यह काम नहीं करेगा। इसलिए मैं आशा करती हूं, जैसा कि हमने पत्रों को प्रसारित किया है, कि हम यहां मौज-मस्ती के लिए नहीं बल्कि समर्पण के लिए और अपने उत्थान के लिए आए हैं और यह एक तीर्थ है। बेशक व्यर्थ की चर्चा, छोटी-छोटी बातों पर बातें करना, आपस में झगड़ने का तो सवाल ही नहीं उठता है। लेकिन वर्चस्व, झूठ का भयानक वर्चस्व, सिर्फ ऐसा सोचना कि आप नेता हैं, या, “वह नेता क्यों है?”, आप जानते हैं, दिखाता है कि हम अभी तक योग्य नहीं हैं।

इसलिए, एक जहाज की योग्यता बहुत महत्वपूर्ण है अगर उसे समुद्र की उग्रता से संघर्ष करना है। यदि यह समुद्र की उथल-पुथल से नहीं लड़ सकता  है तो यह निश्चित रूप से समुद्र यात्राओं के योग्य नहीं है और यह बिल्कुल बेकार है क्योंकि यह पार नहीं जा सकता है। इसी तरह अगर आपको कुछ बनना है तो आपको इस तरह से काम करना होगा कि आप वास्तव में इस भ्रम के सागर को पार करने के योग्य बन जाएं और आपके साथ कई लोग पार हो सकें।

जैसे भारत में उन्होंने हर जगह, हर घर में, हर परिवार में, एक केंद्र की शुरुआत की है। अगर वे लोगों को आमंत्रित करते हैं, तो वे सहज योग के अलावा और कुछ नहीं बोलते हैं। अब आप इसके बारे में बात करने के लिए बाहर जा सकते हैं, मैं आपको उन्हें यह बताने की अनुमति देती हूं कि मैं आ गयी हूं, छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। और आपको जाकर कई चर्चों और कई मंदिरों और कई संगठनों के दरवाजे खोलने होंगे और उन्हें बताना होगा कि मैं वहां हूं।

अब समय आ गया है, आप इसे इतने स्पष्ट रूप से देख सकते हैं, यह इतना स्पष्ट है। पहले मैं कहती थी कि मैं अखबारों में नहीं जाऊंगी, यह ठीक नहीं है वह अच्छा नहीं है, चलिए इसे कार्यान्वित करते हैं। लेकिन अब यह वहाँ पहुंच गया है, कि मुझे बातें कहनी हैं और मैं उन्हें कहने जा रही हूं, बहुत खुले तौर पर, मैं उन्हें कहने जा रही हूं। लेकिन मैं चाहती हूं कि आप सभी ऐसे बनें कि कोई भी आप पर ऐसा कहने के लिए उंगली न उठाए, “ओह, यह एक सहज योगी है। और यह सहज योगी कैसा व्यवहार कर रहा है!” यदि कोई मूर्ख है और इसे ठीक नहीं कर रहा है, तो ऐसे व्यक्ति से छुटकारा पाना ही बेहतर है। या फिर उस व्यक्ति की मदद करो और उससे कहो कि, “तुम्हें उन्नत होना होगा। आप ऐसे बने नहीं सकते, हम यहां औसत दर्जे के लोग नहीं चाहते। हम कुछ बहुत ही असाधारण, शुद्ध लोगों को चाहते हैं।

पवित्रता मुख्य बिंदु है जो हमें रखना है। एक बार जब आप शुद्ध हो गए तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है, फिर मैं आपकी देखभाल करती हूं। लेकिन मन की पवित्रता, हृदय की शुद्धता और अपने चित्त की पवित्रता, ये तीन चीजें बहुत जरूरी हैं। जब यह काम करता है, तो आप हैरान होंगे, सामूहिकता कुछ ही समय में बढ़ेगी। सहज योगियों में भी, अभी भी, वापस उसी भौतिकवाद की ओर जाने की प्रवृत्ति है और अपना घर, अपना परिवार, अपने बच्चे रखने की कोशिश करना- एक तरह की बकवास है। हमें आश्रमों में रहना है और हमें इसे कार्यान्वित करना है, हमें इसे बहुत खूबसूरती से कार्यान्वित करना है कि हम सभी आश्रम में बहुत खुशी से रहते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि अभी भी लोग इसे इस तरह से कार्यान्वित नहीं कर पाते हैं। उन्हें अपने काम की ज्यादा चिंता है, अपनी चीजों की चिंता है।

एक बार जब तुम आश्रम में रहोगे, तो मैं सुनिश्चित करुँगी कि तुम्हें सब कुछ मिले। लेकिन अगर आप परमात्मा का आशीर्वाद नहीं चाहते हैं, तो कोई आपकी मदद कैसे कर सकता है? इतने जबरदस्त बलिदान की जरूरत है। बेशक, जैसा कि आप सहज योग में जानते हैं, मुझे आपसे कोई भी धन की आवश्यकता नहीं है, लेकिन त्याग बहुत महत्वपूर्ण है, और आपके पास जो निरर्थक विचार हैं, उनका त्याग। हमें हर तरह से यह दिखाना है कि हम सहज योगी हैं: जिस तरह से आप कपड़े पहनते हैं, जिस तरह से आप रहते हैं, जिस तरह से आप सोचते हैं, जिस तरह से व्यवहार करते हैं, जिस तरह से आप एक दूसरे के साथ संबंध रखते हैं और जिस तरह से आप अपना वैवाहिक जीवन का निर्वाह करते हैं और जिस तरह से आप अपने बच्चों को देखते हैं।

जब तक आपमें पवित्रता नहीं होगी, तब तक प्रेम का प्रकाश नहीं चमकेगा, प्रेम का प्रकाश नहीं चमकेगा। आपको अपने भीतर प्रेम के प्रकाश को आत्मसात करना होगा। लेकिन आप तब तक नहीं कर सकते जब तक आप एक शुद्ध व्यक्तित्व नहीं हैं। और उस शुद्ध व्यक्तित्व को आपके ध्यान से, मेहनत से विकसित होना है, यह कुछ सालों की बात है। 10 साल में हम पूरी दुनिया बदल सकते हैं, 10 साल में! लेकिन आपको वास्तव में बहुत समर्पित होना होगा। (तालियाँ)

आपको बदलना है, मुझे नहीं। आपको इसे कार्यान्वित करना है, मुझे नहीं। मैंने अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है लेकिन 10 वर्षों के भीतर यह संभव होना चाहिए कि हर सहजयोगी सहज योग की एक जबरदस्त शक्ति बन जाए। इसलिए, कृपया उन सभी से बचने का प्रयास करें जो औसत दर्जे के हैं। यदि आप औसत दर्जे का पाते हैं, तो नेताओं को उन्हें ठीक करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, उन्हें दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। बर्दाश्त मत करो आपको इस बिंदु पर बहुत नरम होने की जरूरत नहीं है। आपको उन्हें स्पष्ट रूप से बताना होगा कि, “देखिए अब आप सहज योग के लिए एक अत्यंत औसत दर्जे के व्यक्ति हैं”। यह औसत दर्जे वालों के लिए नहीं है। यह मूर्ख लोगों के लिए नहीं है, यह बेवकूफ लोगों के लिए नहीं है, यह किसी ऐसे व्यक्ति के लिए है जो सच्चाई के लिए कुछ भी कुर्बान करने को तैयार है।”

ये लोग कह रहे हैं कि, “आप विज्ञान के रास्ते पर क्यों नहीं जाते?” मैं कहती हूँ, “तुम सत्य के मार्ग पर क्यों नहीं जाते?” सत्य को अपनाओ। विज्ञान सत्य नहीं है। आज यह ऐसा प्रतीत हो सकता है, कल यह गायब हो जाएगा। आज आप सोच सकते हैं कि यह सही है लेकिन हर परिकल्पना को चुनौती दी जाती है, हर कानून को चुनौती दी जाती है, यह कोई कानून नहीं है। सहज योग का प्रयोग आपको समस्त व्यावहारिक जीवन में, हर जगह करना है। लेकिन किसी भी तरह से आपको इसके लिए कट्टर नहीं होना चाहिए।

जैसे मैंने देखा है कि कुछ लोग वायब्रेशन देना शुरू कर देते हैं या बंधन के लिए हाथ हिलाने लगते हैं, भले ही मैं वहीँ क्यों ना बैठी हूँ| वे ऐसा कर रहे हैं। इसमें कोई मूर्खता नहीं है, परन्तु इसे बहुत ही गरिमापूर्ण, शोभनीय और शालीन होना चाहिए। लेकिन इसके लिए हमें वास्तव में गुणवत्ता वाले लोगों की जरूरत है। और  मुझे कहना होगा, एक पूर्ण आज्ञाकारिता की आवश्यकता है।

मैंने उस समय भारतीय लोगों से कहा था कि उनके लिए एक उचित न्यायालयीन मामला होना चाहिए, उन्होंने उस समय मेरी बात नहीं मानी, उन्होंने कहा “माँ, आप ऐसा क्यों चाहती हो, आपको पता है, आप मुसीबत में पड़ोगी और सब वह”। अगर उन्होंने मेरी बात मानी होती तो आज कोई परेशानी नहीं होती। लेकिन जो मैं कहती हूं उसे तुम्हें सुनना चाहिए, मुझे स्पष्टीकरण मत दो, मुझे तर्क मत दो, लेकिन मैं वह सब कुछ जानती

 हूं जो तुम जानते हो। मुझे सब पता है।

अब हमारे पास आपके लिए कुछ अच्छा है वो है शादियों की लिस्ट। लेकिन शादी इतनी भी महत्वपूर्ण चीज नहीं है जिसके बारे में आप सोचें। यह आपके लिए इतनी महत्वपूर्ण बात नहीं है कि आप अपना सारा चित्त उसी पर लगा दें। यह वैसे ही है, क्योंकि आपको शादी करनी है, इसीलिए। कभी-कभी होने की भी कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन आपकी होना चाहिए, और फिर आपकी शादियों के बारे में पत्र के बाद पत्र, आपके बच्चों के बारे में, मैं बस इसे पढ़ना नहीं चाहती। सहज योग के बारे में कुछ नहीं। यदि आप अनासक्त हैं, तो आपकी पत्नी का गुण कुछ भी हो, आप नहीं गिरेंगे, आपके पति का गुण कैसा भी हो, आप नहीं गिरेंगे। इसलिए किसी भी व्यक्ति को कुछ परवाह इस बारे में होना चाहिए कि: हम क्या कर रहे हैं? हमने क्या हासिल किया है? हम दुनिया को क्या देने जा रहे हैं?

मेरे लिए, तुम मेरे साधन हो। मुझे किसी अन्य को कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है। आप मेरे यंत्र हैं और आपको इसे कार्यान्वित करना है। तुम मेरे लिए फालतू लोग नहीं हो, मैंने तुम्हारे साथ बहुत मेहनत की, बहुत मेहनत की। तो कृपया मेरी ऊर्जा को भी बर्बाद न करें और हर संभव तरीके से बहुत अच्छे सहजयोगी बनने की कोशिश करें, हर तरह से आपको समर्पित होना चाहिए, हर तरह से कुछ बहुत ही महान गुणों का बनने की कोशिश करें।

अब आप देख चुके हैं कि कैसे लोग हिंसक होते जा रहे हैं और हिंसा हो रही है। बेशक, यह जारी नहीं रह सकती है, लेकिन यह उन संकेतों में से एक है कि हमें बहुत शक्तिशाली लोग बनाने के लिए तैयार रहना होगा, बहुत मजबूत, और मुझे यकीन है कि यह काम करेगा। उन्होंने कम से कम 400 पत्थर फेंके, शायद पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा और बहुत कम लोगों को चोटें आईं। इसका क्या मतलब है? कि कोई है जो इन सब परेशानियों से बचा रहा है।

अपने आगे के दौरे के बारे में, अब मैंने तय किया है कि हम अतिथ नहीं जाएंगे क्योंकि वहाँ हैं- कमिश्नर, एसपी ने मुझसे कहा कि न जाना ही बेहतर है, यह बहुत है- ये लोग बहुत बुरे हैं और वे अपराधी हैं। इसलिए अब चुनाव आने तक वे इसी तरह का व्यवहार करते रहेंगे। चुनाव के बाद निश्चित रूप से उन्हें नीचे रखा जाएगा। तो आपको समय को समझते हुए और सीधे सांगली जाना चाहिए, तो हम सांगली जाएंगे, हम वहां पूजा करेंगे, आप जो चाहें खरीददारी कर सकते हैं और फिर वहां से गणपतिपुले जाएंगे। लेकिन यह मज़ेदार नहीं है, यह मज़ेदार नहीं है। यह हमारा विकास है। अन्यथा, आप भारत आ कर, खाली हाथ वापस वही जा रहे होंगे।

 मैं चाहती हूं कि, सहज योग के बारे में बात करने के लिए आप सभी अपने जीवन के क्षेत्र में बेहद सक्रिय हों। आपको मेरे बैज पहनने चाहिए, आपको मेरी अंगूठियां पहननी चाहिए, आपको मेरी माला पहननी चाहिए ताकि लोग आपसे पूछें “यह कौन है?” तब आपको बताना चाहिए, “वह होली घोस्ट (पवित्र आत्मा) है”। आप कह सकते हैं, “हमें लगता है कि वह पवित्र आत्मा है”। देखते हैं क्या होता है।

तो, यह एक इतनी गंभीर बात है कि मुझे लगा कि मुझे आपसे बात करनी है और हमें इस बारे में बहुत सावधान रहना होगा कि हम अपने आप को कैसे देखते हैं। हमें जागरूक होना होगा, हमें अपने बारे में जागरूक होना होगा और जो भी हो रहा है। यह मैं आपको कई बार बता चुकी हूं, हमें इस बात का बोध होना चाहिए कि हम क्या हैं और क्या हो रहा है। लेकिन अगर आपकी नौकरी महत्वपूर्ण है, बाकी अन्य सब कुछ महत्वपूर्ण है तो आप सहज योग कैसे करेंगे?

इसलिए जागरूकता होनी चाहिए और आपकी जागरूकता से प्रकाश फैलेगा। लेकिन यह मौन नहीं है, आपको इसके बारे में बात करनी है। वाग्मिता की जरूरत है, इसे वाकपटु होना है, आपके संपूर्ण बोध को बोलना है, प्रकाश को कहना है, प्रकाश को अभिव्यक्त करना है और बहुत आत्मविश्वास से करना है। अब देखते हैं इस दौरे से जाने के बाद लोग नई-नई चीजें कहां तक स्थापित करते हैं।

अब तक, मेरी अपनी राय ऐसी है कि पश्चिम में 50% सहज योगी अभी भी काफी औसत दर्जे के हैं और उनमें से 25% सिर्फ लाभ लेने के लिए हैं। अगर उन्हें कुछ मुफ्त मिल सकता है तो वे इसे करना चाहेंगे। 25% लोग ऐसे हैं। यह बहुत दुखद है लेकिन ऐसा है। लेकिन मुझे कहना होगा कि भारतीय गरीब लोग हैं लेकिन वे कुछ नहीं करेंगे, वे मुझसे मुफ्त में कुछ भी नहीं लेंगे, कुछ भी नहीं। वे नहीं करेंगे, वे बहुत स्वाभिमानी हैं। और ऐसा ही हमें विकसित करना है, वो स्वाभिमान।

जैसा कि मैंने देखा है कि हाउंस्लो में मेरा एक घर था, हर कोई वहां जाता था और वहां मुफ्त में रहता था। अब हमारे पास शूडी कैंप में एक घर है जहां हर कोई जाता है, जिनके पास कोई नौकरी नहीं है और वहां रहते हैं। यह कितनी बेतुकी बात है। इसलिए, मुझे लंदन में कोई आश्रम शुरू करने से भी डर लगता है क्योंकि वही काम शुरू हो जाएगा। यदि वे लाभ उठा सकते हैं तो वे वहां रहना चाहेंगे। यहां तक कि एक चम्मच भी, वे ऐसे ही ले जाना चाहेंगे। मुझे लगता है कि एक सहज योगी के लिए ऐसा व्यवहार करना एक बेशर्म बात है। हमें पूरा स्वाभिमान रखना है| और हमें यह समझना चाहिए कि इसके बारे में कुछ करने के लिए हमें त्याग करना होगा।

चूँकि यह आखिरी चरण है, मैं कहूंगी, जब मैं यहां कृष्णा नदी के तट पर सुंदर वातावरण में आपसे इन सभी चीजों के बारे में बात करूंगी। हमें यह समझना होगा कि नदी बहती है, वह आवाज करती है, आवाज करती है यह दिखाने के लिए कि वह है- उसका अस्तित्व है। लेकिन हम केवल नदियाँ ही नहीं हैं, हम सारे पहाड़ हैं, नदियाँ हैं, ब्रह्मांड की हर चीज हम ही हैं। और हमारी अभिव्यक्ति एक बड़े शून्य की तरह है मानो धरती माता को खाली कर दिया गया हो। यह समय है कि हमें खुद को देखना चाहिए और खुद को देखना चाहिए कि हमारे साथ क्या गलत है। बहुत ज़रूरी। मुझे बार-बार यह कहना पड़ा, लेकिन मुझे ये बातें कहना पसंद नहीं है क्योंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं और मैं तुम्हारी बहुत परवाह करती हूं और तुम लोग भी मुझसे प्यार करते हो, लेकिन मुझे प्यार करना काफी नहीं है। आपको खुद से प्यार करना होगा और खुद का सम्मान करना होगा। केवल आपका स्व ही कार्यान्वित होगा। जैसा कि शिवाजी महाराज ने कहा, “स्व-धर्म राज्य” “आपको अपनी आत्मा का धर्म विकसित करना चाहिए”। हमें यही करना है, अपनी आत्मा के धर्म को विकसित करना है। और एक बार ऐसा हो जाए तो हम पूरी दुनिया को पूरी तरह से मुक्ति दिला सकते हैं। यह हमारा काम है और अगर हम असफल होते हैं तो यह सहजयोगियों की जिम्मेदारी है अन्य किसी की नहीं।

इसलिए, हर एक के लिए, मुझे आपको बताना होगा कि मुझे आपको खुश नहीं करना है बल्कि, आपको मुझे खुश करना है। एक छोटी सी बात के लिए लोग प्रतिक्रिया करते हैं, एक छोटी सी बात के लिए उन्हें बुरा लगता है। अगर मैं किसी को देखकर नहीं मुस्कुराती हूं तो उन्हें बुरा लगता है। छोटी-छोटी बातों में उन्हें बुरा लगता है और वे प्रतिक्रिया करते हैं। मैं कुछ कहती हूं तो वे प्रतिक्रिया करते हैं। तो आपके भीतर कुछ कैसे जा सकता है? यदि यह इतना उथला है, तो आप इसे कैसे अवशोषित करेंगे? यह महत्वपूर्ण है कि हमें विनम्रता से, समझ के साथ आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए। अब आप सहज योगी हैं, आप जानते हैं कि मैं आदि शक्ति हूं, आपके पास तस्वीरें हैं, आप जान गए हैं कि मैं आदि शक्ति हूं। लेकिन हम कितना अवशोषित कर रहे हैं? हम अपने भीतर कितना ले रहे हैं?

यह कार्य किसी भी एक अवतार से कहीं अधिक है। यह क्राइस्ट से कहीं अधिक है, राम से कहीं अधिक है, श्री कृष्ण से कहीं अधिक है। इसलिए अपने बीच ऐसे महान लोगों को पैदा करो, क्योंकि मेरे पास शक्ति है, केवल एक बात है कि, तुम्हारे पास अवशोषण शक्ति, स्वीकार्यता होनी चाहिए। लेकिन अगर आप किसी बहुत सस्ती और बहुत तुच्छ चीज के पीछे भागते हैं, तो यह असंभव है। आपको अपनी गहराई के लिए प्रार्थना करना है और जो कुछ भी मेरे अस्तित्व से निकल रहा है उसे लेना है। मुझे उम्मीद है कि अब आप सब इसे गंभीरता से लेंगे।  हर सुबह अपना ध्यान करें, चाहे जो भी समय हो। रोज सुबह हमें ध्यान करना होता है और हमें देखना होता है कि हम रात में अपना काम खत्म कर लें और फिर थोड़ा ध्यान करके सो जाएं।

ध्यान के बिना आप विकसित नहीं हो सकते हैं और इसलिए आपको जो कुछ भी करना है, उसे जानना है कि आपको सुबह उठना है, अपना ध्यान करना है और फिर आप अपने काम पर लग सकते हैं। दिन के समय आप चाहें तो कुछ देर आराम कर सकते हैं। अब हम ऐसी जगह पर हैं कि हमारे पास थोड़ी देर आराम करने का समय है, लेकिन सुबह का समय आपको,( चाहे जिस समय सो सके हों), आपको उठना होगा। आपको अपनी नींद को थोडा जीतना होगा, यह आपको बहुत सुस्ती देती है। कल रात मुझे नहीं लगता कि मैं 3 बजे से पहले सोयी थी और फिर पूरे दिन मैं रिपोर्ट लिखवाने में व्यस्त रही, यह, वह। अगर मैं इस उम्र [66 साल] में प्रबंधन कर सकती हूं, तो आपकी इस उम्र में आपको ऐसा कुछ करने में सक्षम होना चाहिए। हमारे पास सोने का समय नहीं है, हमारे पास चर्चा करने, बहस करने या अपना खाना खाने का समय नहीं है। हमारे पास केवल ध्यान करने का समय है, बस इतना ही।

मेरी इच्छा है कि आप सभी मेरी बातों को आत्मसात करें और इस पर प्रतिक्रिया किए बिना इसे समझें। कृपया प्रतिक्रिया न दें। यह मत सोचो, “माँ तुम्हें ताड़ना देने की कोशिश कर रही है”। नहीं, मैं आपको बढ़ने में मदद करने की कोशिश कर रही हूं, इस तरह आप कभी-कभी बहुत तेजी से बढ़ते हैं। तो यह सिर्फ आपका विकास है जिसके बारे में मुझे चिंता है और कुछ नहीं।

ईश्वर की कृपा आप सब पर बनी रहे।

 जिस तरह से आप सभी गाने गा रहे थे और जिस तरह से आपने खुद को अभिव्यक्त किया, उससे मैं बहुत खुश थी।

[मराठी से हिंदी अनुवाद]

अब मैं अपने महाराष्ट्रीयन लोगों को बताना चाहती हूं कि हमारे देश में, एक नए प्रकार के भूत (राक्षसी गतिविधियां) शुरू हो गए हैं (मुझे एक हाथ से चलने वाला पंखा भेजें, श्री माताजी हिंदी में बोलती हैं) और इस प्रकार की राक्षसी प्रकृति या राक्षसी बुरी गतिविधियां प्रकृति बढ़ी है, जो हमने कल देखी। यह स्वभाव बहुत बढ़ गया है। (श्री माताजी हिंदी में बोलती हैं और पंखा पकड़ने वाले को दूसरी तरफ से आने के लिए कहती हैं) और ये हरकतें इतनी बढ़ गई हैं कि कल हदें पार कर गईं और इन लोगों को कल बहुत असुविधा का सामना करना पड़ा।

इसके लिए मुझे सहजयोगियों से कहना है कि हमें हमेशा तैयार रहना है। केवल मेरी पूजा करने या मेरी आरती करने से कुछ भी काम नहीं चलने वाला है। हमें बहुत कुछ करना है, और आगे आकर मिलकर (कंधे से कंधा मिलाकर) काम करना चाहिए। हमें यह कहते हुए जमीन पर डटे रहना है कि हम सहजयोगी हैं। लेकिन फिर भी हम बहुत कुछ ऐसा कर रहे हैं जो हमें कमज़ोर करती हैं| सबसे महत्वपूर्ण मैं हमेशा जाती व्यवस्था के बारे में बात करती हूँ,  उसका कारण क्या है। यदि आप जाति की बात करते हैं, मतलब  यही वो मूल चीज है जो आप में अन्दर तक उकेरी हुई है और यही आपको रोकती है। खुद को जाति से जोड़ना बहुत गलत है। यदि हम यह सब पहले ही छोड़ दिए होते तो यह अंधविश्वासी बातें पैदा ही नहीं होती।

चूंकि हम जानते हैं कि बोध के बाद अंधविश्वास दूर हो जाता है और फिर भी बोध के बाद भी हम जाति के पीछे चले जाते हैं, उसी जाति में विवाह कर लेते हैं, उसी जाति में संबंध बना लेते हैं और पागलों की तरह वैसा ही व्यवहार कर लेते हैं, तो आप किसी भी तरह से आगे नहीं बढ़ पाएंगे। यह सिर्फ एक राजनीतिक भेष की तरह होगा, ऐसा भेष धारण करने के बाद अगर हम सहज योगी बन जाते हैं तो क्या फायदा। हम अब भी वही रहेंगे। हमें बहुत सी चीजें छोड़नी होंगी, जैसे धार्मिक कट्टरता (धर्मांधता), जिसका अर्थ है कि पहले मैं कहती थी कि मंदिरों में मत जाओ, ब्राह्मण पुरोहिताई को कोई पैसा मत दो, किसी को भी अपने माथे पर कुमकुम लगाने की अनुमति ना दें, इस सब में थोड़ा सुधार हुआ है। इसका कारण यह है कि इन गतिविधियों के कारण लोगों को परेशानी होती है और इसलिए उन्होंने इसे करना बंद कर दिया है।

लेकिन फिर ब्राह्मण को घर में लाना और विवाह कर्मकांड करवाना भी गलत है। विवाह करवाने वाले ब्राह्मण कौन होते हैं? अभी तुम ब्राह्मण हो। तो फिर क्यों किसी ब्राह्मण को बुलाकर विवाह करना। विवाह केवल सहज योग तरीके (प्रक्रिया) में ही किए जाने चाहिए। अगर सहज योग प्रक्रिया के अनुसार विवाह नहीं किया जाता है तो मैं इसकी पुष्टि करने में असमर्थ हूं कि ये विवाह सफल कार्यान्वित होंगे या नहीं। फिर महाराष्ट्र में विवाह एक बहुत बड़ा धार्मिक समारोह है। विवाह क्या है? शादी यानी लड़की के लिए प्रपोजल देखना, ये करना, वो करना, शादी के लिए मौलभाव (देना और लेना) करना, गंदी बातें चलती हैं।

विवाह तो साधारण बात है। सहज योग में इसका इतना महत्व नहीं है। यदि एक सहजयोगी की दूसरी सहजयोगी से शादी हो जाती है तो यह इतनी बड़ी बात नहीं है कि हमें जीवन भर इसके लिए संघर्ष करना पड़े। जब हम एक ही जाति में विवाह करते हैं तो उसके दुष्परिणाम हमें मालूम होते हैं। लेकिन हम अभी भी इसमें फंस जाते हैं। इसलिए सभी को शपथ लेनी चाहिए कि हम किसी भी जाति, पंथ, धर्म, देश, राष्ट्र में शादी करेंगे। आपको जाति से बाहर करने का कोई कारण नहीं है क्योंकि वे आपके रिश्तेदार नहीं हैं और आपने देखा है कि वे कैसे व्यवहार करते हैं। कल तुमने देखा, गांव के लोगों ने ही तुम्हें परेशान किया। उन्होंने आपके मेहमानों को मारा। उन्होंने आपके सम्मान की परवाह कहाँ की? ये विदेशी आपके बारे में क्या सोच रहे होंगे। तो केवल मैं जो कहती हूं उसे सुन कर ऐसा कहना कि “माताजी ने यह कहा, लेकिन इसका इतना महत्व नहीं है”। हमें ऐसा नहीं कहना चाहिए। मैं जो कुछ भी कहती हूं वह बहुत महत्वपूर्ण है।

जब तक इन जातिगत मुद्दों, दहेज के मुद्दों, अंधविश्वास के मुद्दों को खत्म नहीं किया जाता है और जब तक हम अपने समाज में इन मुद्दों के खिलाफ एक उदाहरण के रूप में खड़े नहीं होते हैं, तब तक हम मजबूत नहीं होते हैं। अब हम महान लोगों को देखेंगे जैसे हमारे पास तिलक, आगरकर, शिवाजी महाराज हैं, इन लोगों ने क्या किया, ये लोग महान क्यों बने, हमें इस पर ध्यान देना चाहिए। शिवाजी महाराज को चार बार विवाह करना पड़ा, उन्होंने राजनीतिक कारणों से विवाह किया।  खुद उनके लिए यह अप्रासंगिक था,  उन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि उन्हें यह करना पड़ा था, उन्होंने किया। उन्हें कुछ लोगों से दोस्ती निभानी थी इसलिए उन्होंने ऐसा किया। उन्होंने जाति, पंथ नहीं देखा। वह प्रस्ताव शायनावकुल (उच्च जाति का प्रकार) का होना चाहिए। उन्होंने ऐसा नहीं कहा कि यह किसी विशेष जाति से होना चाहिए। वर्षों पहले जिस समय गागाभट्ट को उनके राज्याभिषेक के लिए आना पड़ा था, उस समय जाति, पंथ पर चलने वाले इन लोगों ने इतनी बातें कही कि आप किसी विशेष कुल (कुनबे) के नहीं हैं, आप मराठा नहीं हैं।

आप लोग किसी भी जाति के हों, आज से आप सहजयोगी बन गए हैं। आपका धर्म बदल गया है, आपने अपनी जाति बदल ली है। यह विश्व निर्मल धर्म है जिसका आप में आह्वान किया गया है या आपको आत्मसाक्षात्कार दिया गया है। तो आपकी सभी बुरी आदतें चली गई हैं, लेकिन यह राक्षसी प्रकृति या जाति संरचना का भूत अभी भी नहीं गया है। अपनी जाति में किसी से नातेदारी नहीं करना चाहिए, क्योंकि तुम्हारी जाति के सब भूत-प्रेत हैं, पीते हैं, मारते-पीटते हैं। उन्हें पीने दो, उन्हें लोगों को मारने दो, उन्हें दहेज लेने दो लेकिन वे मेरी जाति के हैं, फिर मुझे बताओ कि कैसे तुम लोग सहज योगी हो? तो कृपया सहज योग छोड़ दें क्योंकि आप दो धर्मों का पालन नहीं कर सकते। नहीं, इसी वजह से ये बेचारे (मेहमान) गाँव वालों से पिटा गए।

ये परदेसी जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़ दिया, अपना धर्म छोड़ दिया, अपने देवताओं को छोड़ दिया। लोग ऐसे खड़े हो गए जैसे उन्होंने कुछ किया ही न हो और गांव वालों ने इन विदेशियों की पिटाई कर दी। मेरे हिसाब से इसका कारण यह है कि उन्होंने हमारी कमजोरी को पहचाना और हमने अंधविश्वास का समर्थन किया। लेकिन अगर आप कहते हैं कि हम सहज योगी हैं, हम किसी अंधविश्वास का पालन नहीं करते हैं, हम इसका पालन नहीं करते हैं और हम इन सबसे परे हैं और हम इसे करेंगे। उस समय उन्हें एहसास होगा कि हम खास लोग हैं। जब मैं अपने पिता को देखती हूं, तो गांधी जी ने मेरे पिता से कहा था कि अपने सभी बच्चों की शादी जाति से बाहर कर दो। मैं भी शान्नो कुल की(जाति का प्रकार) हूं। जहां किसी की भी शादी करने से पहले बहुत सी बातों का ध्यान रखा जाता है। मेरे पिता ने कहा कि कोई समस्या नहीं है और हम सभी की शादी जाति से बाहर कर दी। हमारे वैवाहिक जीवन में कुछ भी गलत नहीं हुआ। मेरे पिता ने कहा कि मैं कांग्रेस का आदमी हूं। मेरा कोई धर्म या जाति नहीं है। यही मेरा धर्म है- यानी गांधीधर्म।

इसलिए यदि आप किसी भी धर्म का पालन कर रहे हैं, तो आपको उसका पूरा पालन करना चाहिए| यह धर्म अध पके लोगों के लिए नहीं है। केवल तभी  तुम्हारे पास सच्ची शक्तियाँ होंगी, तभी तुम्हारे पास वह पवित्रता होगी जिससे तुम दूसरों की रक्षा कर सकोगे। यदि आप अध पके हुए हैं, तो आप किसी की रक्षा नहीं कर सकते, न अपनी, न दूसरों की। अपने अंदर वह पवित्रता लाने के लिए, आपका किसी समूह से संबंध नहीं होना चाहिए। जैसे हमारे देश में कितने महान लोग तिलक का उदाहरण लेते हैं – उन्होंने एक विधवा से विवाह किया। गांधीजी – हरिजन अछूत की झोपड़ी में भोजन करते थे, कृष्ण का उदाहरण लें, वे विदुर के यहाँ भोजन करते थे – (विदुर-महाकाव्य महाभारत – में केंद्रीय पात्रों में से एक, कुरु साम्राज्य के प्रधान मंत्री), राम का उदाहरण उन्होंने एक भीलनी से बैर खाया।

कोई भी उदाहरण ले लो, जो लोग महान हो गए हैं, उनमें कुछ श्रेष्ठ गुण है। यदि आप वास्तव में सहज योग में आना चाहते हैं तो आपको महान (विशाल) बनना होगा। तो जब आप सहज योग में आते हैं तो आप जीवन के बारे में अपनी संकीर्ण सोच को बदल देते हैं और महान इंसान बन जाते हैं। गीत में कहा गया है कि “सारी दुनिया मेरा घर है” (मराठी में पूर्ण विश्व तेची माझा घर कहते हैं)। यह केवल गाना नहीं होना चाहिए। अन्यथा इसका कोई अर्थ नहीं है। इन विदेशियों को देखिये ये अपनी संस्कृति को छोड़कर आपकी संस्कृति का पालन कर रहे हैं। वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें इसमें कुछ अच्छा नजर आ रहा है। आपको उनसे कुछ सीखना चाहिए, वे जाति, पंथ, देश नहीं देखते हैं। बहुत से लोगों ने भारतीय महिला से शादी की है और उन्होंने अपने जीवन में सुधार किया है। पहले अगर कोई अंग्रेज किसी भारतीय लड़की से शादी करता था तो वह उसे मारता था। अब भी है, लोग अब भी अपनी पत्नियों को मारते हैं। ऐसा अभी भी विद्यमान है। अपनी पत्नियों का सम्मान नहीं करते हैं, दूसरों के सामने उनसे लड़ते हैं, अपनी पत्नियों को काबू में रखते हैं, यह दूसरा तरीका है।

तो यह शक्ति जो आपके पास है आपको इसकी देखभाल करना चाहिए। आपको इसे बढ़ाना चाहिए। आपको लड़कियों को शिक्षा देनी चाहिए, उनकी अच्छी देखभाल करनी चाहिए। आपको उनकी पसंद और चयन  के हिसाब से उनकी शादी कर देनी चाहिए। उन्हें सहज योग में विवाह करना चाहिए, जिससे उनके बच्चे भी सहजयोगी होंगे। कल जो बच्चे पैदा होने वाले हैं, नई पीढ़ी, आपको पता ही नहीं है कि आप किस पोस्ट पर बैठे हैं। आप इन लोगों की तरह नहीं हैं। शिवाजी महाराज के मावलों की तरह, आपको एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य करना है और एक महत्वपूर्ण पद पर बैठे हैं और सहज योग में आ गए हैं। अगर मेरे पास केवल दो सहज योगी हों, तो भी यह ठीक है, लेकिन वे पूर्ण सहजयोगी होने चाहिए, अन्यथा सहज योग में न आएं, सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात। दूसरी बात – मैं जो भी कहूँ, आपको मान लेना चाहिए, क्योंकि मैं सब कुछ देख सकती हूँ, मुझमें असीमित शक्ति है, मैं सब कुछ देख सकती हूँ, मैं सब कुछ समझती हूँ। तीसरी बात- ऐसा मत कहना कि माताजी ने ऐसा कहा था, मेरे नाम का उपयोग मत करना। माताजी ऐसी बातें नहीं कहेंगी, हम जानते हैं।

संक्षेप में आपसे इतनी अपेक्षाएँ क्यों हैं, कारण एक ही है, कि मैं बहुत शक्तिशाली हूँ, मेरे पास बहुत शक्तियाँ हैं, बस आप अपने दीयों को ही साफ कर लें, ताकि मैं आपको प्रकाश प्रदान करूँ। मैं तुम्हें महान व्यक्ति बना सकती हूं, गांधी, तिलक या अन्य किसी से भी बेहतर। आपके पास एक चमकदार उपलब्धि होगी (एक बहुत अच्छा गुण जिसकी हर कोई प्रशंसा करेगा)। आप महान व्यक्ति बन सकते हैं, महान सुधारक बन सकते हैं, लेकिन उससे पहले कृपया अपने दीयों को साफ कर लें। यदि आप अपने दीयों को साफ नहीं करते हैं, तो आपका दम घुट जाएगा और आप मर जाएंगे और सहज योग का नाम खराब कर देंगे।

इसलिए सभी को इस बात का अहसास होना चाहिए कि माताजी के पास बहुत शक्तियाँ हैं। यदि आप इन शक्तियों का उपयोग करना चाहते हैं तो हम निमित्त हैं, हम प्रकाश हैं। प्रकाश फैलाने के लिए आपको अपने दीयों को साफ करना चाहिए और इसके लिए आपको तैयार रहना चाहिए। आपको प्रतिदिन ध्यान करना चाहिए। सहज योग में जिन बातों का पालन नहीं करना चाहिए, वह आपको नहीं करनी चाहिए। सहज योग में ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनकी अनुमति नहीं है। आपको इसे छोड़ना होगा। बहुत से लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है, बहुत से विकार दूर हो गए हैं, लेकिन वित्तीय लेन-देन या पैसों के मामले में भी हमें सटीक रहना चाहिए।

जब आप किसी सभा में जाते हैं, तो आप सभी को बिना किसी डर के सहज योग के बारे में बोलना चाहिए। आपको चुप नहीं रहना चाहिए। आपको सहज योग के बारे में बोलना चाहिए। आपको सभी को बताना चाहिए कि सहज योग ही एकमात्र विश्व धर्म है और यदि आप इसे स्वीकार नहीं करते हैं या इसका पालन नहीं करते हैं, तो सभी को भुगतना होगा या परिणाम भुगतना होगा। अपने सभी रिश्तेदारों, दोस्तों, इसको, उसको, बताएं, सभी को पत्र लिखकर सहज योग के बारे में बताएं। जब आप लोग शादी के कार्ड छपवाते हैं तो आपको उस पर मेरा नाम छापना चाहिए। आप मेरे परिवार में आए हैं। अब मैं तुम्हारी कुलदेवी (कुलदेवता) हूँ। अन्य देवताओं को कुछ भी अर्पित करने की आवश्यकता नहीं है। मैं यह बहुत स्पष्ट कर रही हूं कि जिस शादी के कार्ड पर मेरा नाम नहीं होगा, उस शादी के कार्ड पर मेरा आशीर्वाद नहीं होगा। आज मैं जीवित हूँ और आपके सामने बैठी हूँ, यह अवतार आपके सामने आया है, फिर आप मानने के बजाय ऐसी चीज़ों पर विश्वास कर रहे हैं जो मौजूद नहीं हैं, इसका कोई अर्थ नहीं है। हमारे घर में हमारे बड़े बुजुर्ग ऐसा कहते हैं, वो कहते हैं कुछ नहीं। उनसे कहो कि हमारा तुमसे कोई संबंध नहीं है। हमारा संबंध केवल माताजी से है।

इसके उदाहरण हैं मिस्टर धूमल। मैं हमेशा उन्हें उनके रिश्तेदारों से दूर रहने के लिए कहती थी। कि, इनसे कोई संबंध न रखें, ये बहुत ही नेगेटिव लोग हैं। लेकिन उसकी पत्नी का उनसे बहुत लगाव था और उनके रिश्तेदारों ने ही उसकी जान ले ली। एक बार धूमल मेरे पास आए थे और फूट-फूट कर रो रहे थे और सबने सुना। उनके भाई ने उन्हें कई बार बताया था कि उन्होंने दीपा की शादी कहां तय की थी। मैंने उससे कहा था कि यह शादी टूटने वाली है, अब मेरा एक काम करो। कृपया उन रिश्तेदारों के पास न जाएं। जो कुछ हुआ सो हुआ। लेकिन जब उनकी मृत्यु हुई, तो उनके रिश्तेदार आए, उन्होंने रात में उनके शरीर को चुरा लिया और जंगल में कहीं उनका अंतिम संस्कार कर दिया। जीवन भर वे मुझसे कहा करते थे, “माताजी हमारे परिवार में एक माणिक साहब हैं, उनके रिश्तेदारों ने उनके शरीर पर मिट्टी का तेल लगा दिया और जंगल में कहीं जला दिया। तो कृपया माँ मुझे इस तरह से पीड़ित नहीं होना चाहिए “। कृपया मुझे मेरे रिश्तेदारों से बचाओ। लेकिन आप लोग सिर्फ अपने रिश्तेदारों के यहां जाना चाहते हैं। आप लोग केवल मगरमच्छ के जबड़ों में जाना चाहते हैं। एक पैर मगरमच्छ के मुंह में और एक पैर नाव पर रखना हो तो नाव छूट जाती है।

जो रिश्तेदार सहजयोगी नहीं हैं, उनके यहां भोजन भी नहीं करना चाहिए। तो तुम बीमार नहीं पड़ोगे, तुम्हें कोई बीमारी नहीं होगी। एक बार जब आप पूरी तरह से सहज धर्म में आ जाते हैं, तो आपको ईश्वर की भरपूर कृपा मिलेगी। आपको आश्चर्य होगा कि आप कितना समृद्ध होंगे। लेकिन अगर आप अधपके लोगों की तरह व्यवहार करेंगे तो आपको परिणाम भुगतने होंगे। मैंने तुमसे सच कहा है। मैं तुम्हारी माँ हूं। मुझे आपको सच बताना है। मैं किसी से नाराज या दुखी नहीं हूं। यह आपके अच्छे, लाभ और कल्याण के लिए है। आपको सत्य का पालन करना चाहिए। एक बार जब व्यक्ति इस सत्य का पालन करने लगता है कि व्यक्ति को अपने जीवन में कभी भी किसी प्रकार का नुकसान या हानि नहीं होगी। आज का दिन शुभ है। कृपया कल जो कुछ हुआ उसे भूल जाइए। इसे याद करने का कोई मतलब नहीं है। बात यह है कि हमारे पास अभी भी सहज योग की चिंगारी नहीं है, अन्यथा कोई भी यहाँ लड़ने और लोगों को मारने की हिम्मत नहीं करता। हमारे अंदर वह चिंगारी होनी चाहिए, एक दृष्टिपात से, उसे उस व्यक्ति को प्रतिक्रिया करने से रोकना चाहिए।

तो सभी सहज योगियों को हर छोटे-बड़े गाँवों, शहरों, जहाँ हम रहते हैं वहाँ से शुरू करना चाहिए, हमें सहज योग के बारे में बोलना चाहिए और सहज योग में हम क्या कर रहे हैं। यदि आप किसी ब्राह्मण को पूजा या सत्यनारायण पूजा करने के लिए घर बुलाना चाहते हैं, तो कृपया सहज योग में न आएं। सहज योग में अब आप ब्राह्मण बन गए हैं। सहज योग प्रक्रिया के अनुसार सभी क्रियाएं करें। जो भी गलत प्रथाएं हैं उन्हें हटाने या छोड़ने की जरूरत है। ताकि अंधविश्वासों के बारे में बोलने वाले लोग न हों क्योंकि हमने अंधविश्वासों को छोड़ दिया है। हमें गलत विचारों को छोड़ देना चाहिए और सभी पुरानी अप्रासंगिक आदतों और विचारों को हटा देना चाहिए, पुराने विचारों को त्याग देना चाहिए। हम पिछड़े लोग नहीं हैं।

इस समय आप बहुत उच्च कोटि के लोग हैं। गुणों में आपसे बढ़कर कोई नहीं है। लेकिन फिर भी तुम घटिया लोगों के साथ रहते हो, फिर तुम गंदे क्यों नहीं हो जाओगे। हीरे को मिट्टी में डालोगे तो खो जाएगा। तो कृपया सुनिए जो मैं कह रही हूँ। आपको बुरा नहीं मानना चाहिए या यह नहीं सोचना चाहिए कि माताजी ने हमें डांटा, गुस्सा किया और यह सब, आपको ऐसा नहीं कहना चाहिए। माताजी जो भी कहती हैं वह दिल से कहती हैं और मैं अपने दिल से कह रही हूं कि अपने बच्चों को सहज योग में दे दो। आप देखेंगे कि किसके बच्चे जीवन में आगे आते हैं, सहज योगियों या गैर सहज योगियों के बच्चे। अपने आप को पूरी तरह से सहज योग में समर्पित कर दें।

हमने अपना धर्म बदल लिया है। हमें उस तरह से सोचना चाहिए। अब यही हमारा धर्म है और हमारा कोई धर्म नहीं है। यदि आप इसे समझ गए तो आप न केवल अपने ऊपर उपकार करेंगे बल्कि इस देश और इस विश्व के लिए उपकार करेंगे। क्योंकि आपमें कुछ खास है। आपके भीतर बहुत अच्छाई या धार्मिक योग्यता है। इसलिए आपका जन्म भारत में हुआ है और वह भी महाराष्ट्र में। लेकिन आपकी मूर्खता के कारण यह सब बेकार जा रहा है।

बताइए अब तक किस संत ने जातिवाद को दूर करने में मदद नहीं की। दासगणू (संतों की जीवनियां लिखने वाले) ने भी कहा है कि तुम मुझे ब्राह्मण कहते हो, लेकिन मैं ब्रह्म को नहीं जानता, मैं ब्राह्मण कैसे हूं। ईश्वर सरस्वती भी ब्राह्मण थे और उन्होंने भी यही बात कही है। तो, हम सभी अंधविश्वासों का पालन करते हैं और वही करते हैं। ऐसा करना बिल्कुल गलत है। आपने महानता का स्वरूप देखा है। आपने मेरी तस्वीरें देखी हैं। सब कुछ कितना स्वर्गीय है।

इसे अर्जित करने के लिए या स्वर्गीय बनने के लिए आपको सर्वोच्च रूप से अच्छा होना चाहिए। तो अब सबसे महत्वपूर्ण मैं सबसे कह रही हूं, मैं आपसे अनुरोध करने नहीं वाली हूं, मैं आपको खुश नहीं करने जा रही हूं। वास्तव में मैं देवी हूँ और आपको मुझे प्रसन्न करना चाहिए और मुझे प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए। जो शक्ति आपने अपने भीतर संचित की है वह सारे विश्व पर प्रसारित होना चाहिए। आप ऐसा इन लोगों (विदेशियों) से बेहतर कर सकते हैं क्योंकि आपके भीतर वह संपन्नता है। इन लोगों के पास इतना ऐश्वर्य या भाग्य नहीं है लेकिन फिर भी वे इसे कार्यान्वित कर रहे हैं और आप लोगों के पास सभी स्रोत हैं लेकिन आप कुछ नहीं कर रहे हैं। ये दो प्रकार हैं।

तो अगली बार मुझ पर दया करो, मुझे अच्छी, बेहतर गुणवत्ता वाले बहुत से सहज योगी दिखाई देना चाहिए। सभी को सहज योग के बारे में भाषण देना चाहिए। मुझे अंगपुर (सतारा के पास की जगह) के लोगों से कहना है कि आपको सहज योग के लिए कल एक मीटिंग लेनी है। खुलकर भाषण दो। वहां एक बड़ा मैदान है, वहां सभा करो, सहज योग के बारे में खुल कर बोलो। सहज योग क्या है और सहज योग क्या नहीं है। सिर्फ एक भाषण की वजह से इन लोगों ने हम पर हमला किया और हम कोई भाषण नहीं देते. इस शख्स ने एक स्पीच दी और ये पुलिसवाला भी उसकी स्पीच से प्रभावित हो गया और आज जब उसे अहसास हुआ तो उसे बहुत बुरा लगा. हम कड़ी मेहनत नहीं कर रहे हैं। हम बोल नहीं रहे हैं।

सहज योग के कारण केवल मित्रता होगी और कोई शत्रुता नहीं होगी। कल जो कुछ भी हुआ वह सही नहीं था और हम सभी को इसका बुरा लग रहा है। एक बैठक लो। जिसने भी इस हरकत से परेशान किया या यह कृत्य किया उसे सॉरी कहना चाहिए। जिसने भी ऐसा किया है उसे परिणाम भुगतने होंगे। मैं कितना भी माफ करने की कोशिश कर लूं, लेकिन उन्हें भुगतना ही पड़ेगा। यह होगा। लेकिन फिर भी आप उन्हें कहें कि जो कुछ हुआ बस उसे भूल जाओ। उन्हें बताएं कि यह परमात्मा का काम है। ऐसे लोगों को यहां इकट्ठा न होने दें। ऐसे संगठन को यहां नहीं आने देना चाहिए और अगर आता है तो पुलिस के पास जाकर शिकायत करें कि यह हमारे बच्चों को बिगाड़ रहा है, हमारे बच्चों का दिमाग खराब कर रहा है, उन्होंने इन बच्चों को पत्थर फेंकने को कहा है. सभी को शिकायत करनी चाहिए।

आपको गाँव के मुखिया को सहज योगी के रूप में चुनना चाहिए। ऐसा करने का प्रयास करें। इस देश में शरद पवार (महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री) नाम के एक शख्स हैं। वह बहुत ही घटिया बंदा है। उसके पास माफिया है और यह चल रहा है। उनकी पार्टी को वोट मत दो। किसी को भी दे दो। लेकिन उसे मत दो। सहजयोगियों को उनके विपरीत काम करना चाहिए। वह इतना बुरा आदमी है। वह भगवान में विश्वास नहीं करता है। उनके पास रजनीश (तथाकथित भगवान) के साथ एक टीम है। वह परमात्मा नहीं चाहता। उसकी मां के बारे में कोई जानकारी नहीं है और वह भगवान नहीं चाहता है। इसलिए जब कोई भगवान नहीं हो तो आप पी सकते हैं, आप सभी गलत गतिविधियां कर सकते हैं। इसलिए पैम्पलेट बनाकर उस पर यह सब छपवाएं और लोगों को बताएं कि हम इनसे नहीं जुड़े हैं। हम परमात्मा के साथ रहना चाहते हैं और उनके धर्म का पालन करना चाहते हैं। हमें और कुछ नहीं चाहिए।

सहज योग आपको भाग्यवादी (दुनिया को बदलने के लिए शक्तिहीन होने का भाव) नहीं बनाता है, बल्कि आपको एक ईश्वर से डरने वाला और मजबूत बनाता है। यह सभी डॉक्टरों से सबूत है| ये लोग कौन हैं जो हमें बता रहे हैं? कोई भी उठकर कुछ भी कह सकता है। डॉक्टरों ने इसे साबित कर दिया है और मुझे और क्या साबित करना चाहिए। जो संभव होगा मैं अखबारों को बता भी सकती हूं, लेकिन ऐसे गंदे अखबारों को मत पढ़ो। लोकसत्ता, केसरी इन अखबारों को पढ़ना छोड़ दो। डेली एक्या जैसे अखबार पढ़ना बंद करें। सतारा में एक और पेपर शुरू करें। ऐक्य को पढ़ना बंद करो, यह और भी बुरा है। हमें बहुत सी चीजें छोड़नी होंगी। गांधी जी ने लोगों से कहा था कि विदेशी वस्त्रों का प्रयोग न करें। लोगों ने उन कपड़ों को जला दिया। उन्होंने सोने की चूड़ियां मांगीं। सभी महिलाओं ने उन्हें दिया। आजादी पाने के लिए कितने लोगों ने, कितने बलिदान किए। लेकिन अपने खुद के आत्म-साक्षात्कार के लिए हम बलिदान करने के लिए तैयार नहीं हैं। सहज योग में केवल आशीर्वाद है लेकिन उसके लिए आपको अपना कर्तव्य करना चाहिए। हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने से भागना नहीं चाहिए।

आज हम सभी को अपने दिल में कहना चाहिए कि माताजी ने हमें यह सब बातें समझाई हैं। इसलिए हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वह आपको शक्ति प्रदान करें और शक्ति का विवेक पूर्ण ढंग से उपयोग करें ताकि माताजी ने जो कुछ भी हमें बताया है हम उसका पालन कर सकें। हमें छोटी छोटी और बेकार की बातों पर रोना बंद कर देना चाहिए। हमारी जो भी समस्याएँ हों, हमें यह सोचकर और प्रश्न पूछकर स्वयं ही समाधान करने का प्रयास करना चाहिए कि “मैं क्या कर रहा हूँ? ’ माताजी कहती हैं कि मैं बड़ा आदमी बन सकता हूं फिर मैं क्या कर रहा हूं? मेरे दोष क्या हैं? जब आप मुझे आदि शक्ति कहते हैं तो आपको और क्या चाहिए? आदि शक्ति ने इस पूरे संसार को बनाया है, और इस दुनिया में जो कुछ भी है वह मेरे द्वारा बनाया गया है तो आपको और क्या चाहिए? केवल आदि शक्ति, आदि शक्ति का जाप करो, मेरे नारे बोलो, मेरी स्तुति करो। लेकिन क्या आप को अहसास हैं कि आदि शक्ति क्या है? वह कितनी महान हैं, आप केवल उनका नाम ले रहे हैं, कहने के लिए।

यह बात अपने दिमाग में बिल्कुल स्पष्ट कर लें- आदि शक्ति ने आपको आपके सौभाग्य और पुण्य के कारण अपने काम के लिए चुना है। तो इसके काबिल बनो। छोटी छोटी बातों के लिए रोते नहीं रहो। यदि आप भी ऐसा ही करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि आप सहज योग को छोड़ दें। तो इस बात का ध्यान रखो जैसे देवी भवानी ने शिवाजी महाराज को तलवार देकर प्रभावशाली बनाया था वही भवानी आपके सामने बोल रही है। वह आपको एक ऐसे स्तर पर पहुंचा सकती है, जिसका आपको अंदाजा भी नहीं है। तो इस शुभ दिन पर शपथ लें और तय करें कि मैं सहज योगी हूं और मरते दम तक सहजयोगी रहूंगा। मृत्यु  के बाद भी मैं सहज योगी रहूंगा। हमने इसे अनंत से अर्जित किया है। आपको इस पर गर्व होना चाहिए और गर्व से जीना चाहिए। आपने कोई गलती नहीं की है। परमेश्वर का कार्य करने के लिए मैंने तुम्हें चुना है। तो उस तरह से व्यवहार करो और उस तरह से काम करो की परमात्मा आप पर गर्व करे |

परमात्मा आप को आशिर्वादित करे।