New Year Puja: Mother depends on us

Sangli (भारत)

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नव वर्ष पूजा

 सांगली (भारत), 1 जनवरी, 1990

कल का अनुभव यह रहा कि पूरा दिन पुलिस वालों को समझाने में बीत गया। और अब मुझे लगता है कि महाराष्ट्र में माफिया का राज है। और ऐसा कि, हमें इसका सामना करना है और हमें इसे साबित करना है।

मुझे खेद है कि कुछ लोगों को इतनी बुरी तरह चोट लगी है और मुझे लगता है कि पूजा के बाद वे आपको अस्पताल ले जाएंगे। यहाँ एक बहुत अच्छा अस्पताल है जहाँ हमारे पास बहुत अच्छे डॉक्टर हैं। और फिर मैं आपसे अनुरोध करूंगी कि आप यह जान लें कि अच्छे और बुरे को हमेशा संघर्ष और लड़ाई करना पड़ती है।

पहले इस महान देश महाराष्ट्र में सभी संतों को इतना प्रताड़ित किया जाता था कि आश्चर्य होता है कि इतना सब होते हुए भी उन्होंने अध्यात्म का परचम कैसे ऊंचा रखा।

वे अभी भी मौजूद हैं, वही लोग, जिन्होंने संतों को प्रताड़ित किया है और मुझे लगता है कि वे वही लोग हैं जिन्होंने आप सभी के प्रति इतना बुरा व्यवहार किया है। इस प्रकार की अहं-यात्रा सभी में निर्मित होती है – यहाँ तक कि सहजयोगियों में भी, यह निर्मित होती है। और वे (दुष्ट) हर समय एक अलग दृश्य पर होते हैं।

यह हिटलर के व्यवहार की शैली जैसा है कि आप किसी तरह का मुद्दा उठा लेते हैं। मुद्दा कुछ भी हो सकता है, जैसे वे कह रहे हैं कि “हम सभी अंधविश्वासों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं”।

मेरा मतलब है, मैंने इसे अठारह साल तक किया है, इससे ज्यादा वे क्या कर सकते हैं? और मैंने तुम्हारे सभी अंधविश्वासों को, हर तरह की बेवकूफी भरी बातों को दूर कर दिया है, जो तथाकथित धर्म तुम्हें सिखा रहा था। हर धर्म में,  केवल हिन्दू धर्म का ही सवाल नहीं है।

लेकिन यहां उनकी हिम्मत मुसलमानों के बारे में कुछ कहने की नहीं है क्योंकि हिंदू बहुत ही विनम्र लोग हैं। वे (मुस्लिम) चाहते हैं कि सभी मंदिरों को हटा दिया जाए, सभी देवी-देवताओं को फेंक दिया जाए। इन सब बातों का, मुझे लगता है कि रजनीश उनके गुरु हैं, क्योंकि उन्होंने एक… उन्होंने एक प्रदर्शनी लगाई थी, जिसमें उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की थी कि गणपति कुछ बहुत ही अजीब  हैं और वह सब। अब चिकित्सकीय रूप से आप सहज योग में जानते हैं, कि गणेश के बिना हम कई बीमारियों का इलाज नहीं कर सकते। एक तथ्य है।

तो इस तरह की बात करने वाला मूर्ख अब इन लोगों का गुरु बन गया है जिन्हें पूरी दुनिया में खारिज कर दिया गया है और जिनका अपमान किया गया है। तो, इन चंद अखबारों ने उन्हें गुरु बना दिया है, शायद इसलिए वे उनके कहने के तरीकों का अनुसरण कर रहे हैं कि हमें ऐसा होना चाहिए, हमें इन सभी विचारों और इस और उस से छुटकारा पाना चाहिए। लेकिन वे इस हद तक चले गए हैं कि सारी आध्यात्मिकता एक भ्रम है। यह एक ऐसा मजाक है (हंसते हुए)। और यह कि हमें अध्यात्म के बारे में सब कुछ पढ़ा हुआ और समझ को छोड़ देना चाहिए।

लेकिन वे नहीं जानते कि उनकी विरासत आध्यात्मिकता है। और पूरी दुनिया उसी पर निर्भर है। पूरी दुनिया, क्योंकि जब लोग औद्योगिक विकास के लिए आगे बढ़े, तो आप जानते हैं कि वे कहाँ तक चुके हैं और कितना खो चुके हैं। और आप उस झंझट में कहाँ तक उलझे थे। और सहज योग की आध्यात्मिकता के कारण आप कैसे वापस आए।

अब अगर अध्यात्म की जड़ों से यह पोषण पश्चिम तक नहीं पहुंचता है, तो वास्तविक ज्ञान, जैसा कि सहज योग में है, पश्चिम समाप्त हो जाएगा। पश्चिम समाप्त हो जाएगा, यह तुम अच्छी तरह जानते हो। न आनंद है, न प्रेम है, न कविता है, न संगीत है, न संस्कृति है।

लेकिन जैसा कि आप समझ गए हैं कि अब ये लोग “नो रिलीजन”, “कोई धर्म नहीं” की बात करने लगे हैं, जैसे कि आपके कई पश्चिमी देश भी कर चुके हैं, खासकर रूस ने ऐसा किया है, ऐसा कहते हुए कि ईश्वर जैसा कुछ भी नहीं है। , ऐसा कुछ नहीं है। और अब इतना सब होने के बाद अब वे परमात्मा के पास आ रहे हैं। तो अब हमें दूसरे चक्र से गुजरना होगा।

लेकिन वे मुश्किल से बीस लोग ही हैं। तो हिटलर जैसा एक आदमी भी सब कुछ नष्ट कर सकता है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है – किसी चीज़ को नष्ट करने के लिए आपको केवल एक व्यक्ति की आवश्यकता होती है। लेकिन बनाए रखने और निर्माण करने के लिए आपको बहुत से लोगों की आवश्यकता होती है। एक जहाज को डुबाने के लिए, आपको उसमें केवल एक छेद की आवश्यकता होती है। लेकिन जहाज बनाने में आपको महीनों लग जाते हैं।

तो इन पिछले अठारह वर्षों के सहज योग के लिए जो काम किया गया है, वह वास्तव में जबरदस्त है। और इसके बारे में सच्चाई, आप निश्चित रूप से जानते हैं, कि इसने बहुत से लोगों की मदद की है।

हालांकि हम उतार-चढ़ाव इत्यादि से गुज़रे हैं, हम गलतियाँ करते रहे हैं, बेशक, लेकिन फिर भी, अब हम काफी स्थापित हैं और हम जानते हैं कि सहज योग क्या है। सहज योग का अनुभव आप सभी को हुआ होगा। आपने बहुतों को देखा है, (किसी की तरफ देख कर पूछा …) “ये क्या कर रही है? कृपया बैठें”।) चमत्कारी तस्वीरें आपने देखी हैं, आपके जीवन में दिन-प्रतिदिन इतने सारे चमत्कार। हर दिन चमत्कार होते हैं।

अब यह कहना कि कोई ईश्वर नहीं है आपके लिए असंभव है क्योंकि आपने इस सर्वव्यापी शक्ति, परमचैतन्य के चमत्कारों को महसूस किया है।

और साथ ही सभी धर्मों कि व्याख्या कि गयी है और उनका पूर्ण एकीकरण सम्मिलित किया गया है। लेकिन उसके लिए हमें जानना होगा, जैसा कि मैंने आपको ब्रह्मपुरी में बताया, कि सहजयोगियों को यह जानना होगा कि उन्हें गतिशील बनना है।

आपके पास जो भी ऊर्जाएं हैं, आपने अपने भीतर जो कुछ भी ऊर्जा हासिल की है, वह पर्याप्त नहीं है। आपको अभिव्यक्त करना है। और उस गत्यात्मकता (गतिवाद)में, मुझे लगता है कि लोग खो जाते हैं।

मैंने देखा है कि कुछ नेता डरावने हो जाते हैं। मेरा मतलब है, कभी-कभी उनकी विशुद्धि भयानक हो सकती है, फिर उनका ह्रदय प्रेमविहीन हो जाता है। इसलिए आपको एक महीने से ज्यादा किसी को नेता नहीं बनने देना चाहिए।

यह (अहंकार) चला जाता है। मैंने देखा है। क्‍योंकि आपका गुब्बारा पहले ही फूल चुका है और कुछ ही समय में फिर से फूल जाता है। (मराठी में बोलती हैं)। मुझे लगता है कि उन्होंने गंभीरता से सभी भारतीयों को बाहर रखा है। (मराठी में बोलती हैं)। मेरा मतलब है, वह यहां के आयोजक हैं। (मराठी में )।

तो हमारे देश की विरासत अध्यात्म है। और यही पोषण है। केवल पश्चिम में एकतरफ़ा विकास ने, मशीनरी के कारण या आप इसे कुछ भी कह सकते हैं, इसे पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। और एकतरफ़ा विकास ने इस देश में, और ऐसे तमाम देशों में, जहां धर्म अंधश्रद्धा बन गया है, उसे भी बर्बाद कर दिया है।

लेकिन सहज योग मध्य में है। अब तुम्हारी बुद्धि, तुम्हारी समझ, इतनी स्पष्ट है। मेरा मतलब है कि लोग यहां हर तरह के गुरुओं के पास गए हैं और हर एक के पास गए हैं, लेकिन वे किसी भी चीज के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। सिवाए जपने के  – कुछ ये हरे राम, बात करते हैं, “राम” “राम” – ऐसे। जबकि आप कुंडलिनी के बारे में सब कुछ जानते हैं। आप इसे उठाना जानते हैं। आप आत्मसाक्षात्कार देना जानते हैं। आप जानते हैं कि बीमारियाँ क्या होती हैं, इसे कैसे ठीक किया जाए और सब कुछ और हर एक चीज़ और सब कुछ। मेरा मतलब है, यह ऐसी अवस्था में आ गया है कि कोई भी मुझसे कोई प्रश्न नहीं पूछता है। (हँसी)

नहीं तो शुरू में लंदन में मेरा भाषण पांच मिनट का होता था और बाकी समय प्रश्न होते थे। तो अब आप इतना जान गए हैं। और जिसे समझाया भी नहीं जा सकता उसे भी तुम स्वीकार करते हो, क्योंकि तुम उसे जानते हो। उदाहरण के लिए, कोई मुझसे पूछेगा, “माँ, आपको ये तस्वीरें कैसे मिलीं?” हम इसके बारे में क्यों बात कर रहे हैं? मैं जानती हूं ऐसा कैसे होता है, कौन यह तरकीबे कर रहा है। लेकिन मैं आपको बताना नहीं चाहती (हँसी)। इसके अलावा, यदि आप कुछ माँगते हैं, तो मैं आपको कभी नहीं बताऊँगा।

यह उन विशेषताओं में से एक है जो मेरे पास है। आह, यदि आप विनम्र बात और जानने की सच्ची इच्छा के साथ आते हैं, तो मैं आपको हर चीज़ के बारे में बता सकती हूं, जो आप जानना चाहते हैं। लेकिन अगर आप सिर्फ मुझे मजबूर करना चाहते हैं और कहते हैं कि, “मैं आपको चुनौती देता हूं”, मैंने कहा, “मैं भी आपको चुनौती देती हूं। यहाँ से चले जाओ”। उस तरह। आप देखिए, यह प्रतिक्रिया नहीं करता है, इस तरह।

तो दैवीय स्वभाव बस ऐसा ही है कि यदि आप उत्तल (प्रतिकार करने वाले)हैं, तो परमात्मा भी उत्तल (प्रतिकार करने वाले) हो जाते हैं, और लड़ते हैं और कहते हैं, “नहीं, बाहर निकलो”। यदि आप अवतल (ग्रहणशील)हो जाते हैं, तो वह उत्सर्जित होकर ज्ञान देते है, या ज्ञान ग्रहण करता है। इसलिए विनम्र होना होगा। यह इसका बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। व्यक्ति को विनम्र होना चाहिए।

तो चेतना, मैं फिर से चेतना की बात करती हूं, आपके भीतर यह होना चाहिए कि हमने अपने बारे में कितना जान लिया है। हमें दूसरों के बारे में कितना जानना है? हम अपने अस्तित्व के बारे में कितना जानते हैं? हम चक्रों के बारे में कितना जानते हैं? इतने कम समय में हमें इसके बारे में कैसे पता चला?

जैसे हमें पता होना चाहिए कि, अगर आप कंप्यूटर के साथ काम कर रहे हैं, तो बिना इसे प्रोग्रामिंग किये आप सब कुछ जानते हैं कि कंप्यूटर कैसे काम करता है, इसकी गतिविधि कैसे होती है, इसे कैसे प्रोग्राम किया गया है,  बिना इस पर काम किए, बिना इसे बनाए। मेरा मतलब है, अगर आपने इसे बनाया हैं, और तब आप जानते हैं कि यह कैसे काम करता है। लेकिन बिना बिना बनाये,बिना इस पर काम किए बस यह ज्ञान होना कि कंप्यूटर कैसे काम करता है, और इसकी सारी मशीनरी के बारे में, यह एक जबरदस्त ज्ञान है।

और यह वह है जो हम सभी को जानना चाहिए कि हम मनुष्य के रूप में क्या हैं, और अन्य मनुष्यों के उत्थान के लिए हमें क्या करना है। बेशक, मैं यह नहीं कह सकती कि हर सहजयोगी उस स्तर का है, नहीं। या उस स्तर तक आ सकता है, लेकिन हर कोई कोशिश कर रहा है।

सहज योग को किसी ने नकारा नहीं है। किसी ने नहीं कहा है कि यह सच नहीं है। हर कोई अपनी आध्यात्मिकता की स्थिति में उच्च और उच्चतर प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है | यह बोलता नहीं है। यह कार्यान्वित होता है। यह हेरफेर नहीं करता है। यह कार्य करता है। और हमने देखा है कि यह कई चमत्कारी तरीकों से काम करता है।

तो, सबसे पहले इन सब बातों के बारे जानना, उस परमचैतन्य को महसूस करने के बाद, केवल इसके बारे में बात करने से भिन्न होता है| बहुतों ने इसके बारे में बात की है, लेकिन आपने इसे कभी महसूस नहीं किया। अब आपने इसे महसूस किया है, आपने इसे परखा है, आपने इसका प्रयोग किया है। और आपने यह पाया है कि, यह कुछ बिल्कुल वास्तविक है।

विज्ञान में, जैसा कि डॉ खान मुझे बता रहे थे, कि विज्ञान में आज जो एक सिद्धांत स्थापित है, वह कल खंडित हो सकता है। और एक अन्य सिद्धांत जो स्थापित हुआ है, उसका भी खंडन किया जा सकता है। यह जारी रहता है। अतः कोई भी सिद्धांत पूर्ण सिद्धांत नहीं है। लेकिन सहज योग में पिछले अठारह वर्षों से, मैं जो कुछ भी कह रही हूँ वह सत्य है। और निरपेक्ष है। इसे दोबारा चुनौती नहीं दी जा सकती। कोई नहीं कह सकता, “नहीं, माँ, ऐसा नहीं है”।

सीधी सी बात है, कोई आपके पास आता है और आप कहते हैं, एक अन्य दिन ऐसा ही हुआ कि, औरंगाबाद में एक डॉक्टर था, और उसने कहा कि, “मेरा कभी कोई गुरु नहीं रहा”। लेकिन उनका बायाँ स्वाधिष्ठान… और वो काफी परेशान दिख रहे थे। एक तरह से वह सहज योगी थे, सामान्य नहीं दिख रहे थे। “मेरे पेट में दर्द है,” और यह और वह। मैंने उनसे पूछा, “आपका कोई गुरु नहीं था?” उन्होंने कहा, “नहीं”। (मराठी भाषी)।

तो अब जैसे-जैसे विज्ञान ने प्रगति की है हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि उसके पास कोई ऐसा सिद्धांत नहीं है जो निरपेक्ष हो। लेकिन सहज योग में, जैसा कि मैंने आपको बताया, एक सज्जन, एक डॉक्टर थे, जो इनकार कर रहे थे, उन्होंने कहा, “मेरा कोई गुरु नहीं था”। मैंने उनसे पूछा, “क्या आप किताबें पढ़ते हैं?”, “हाँ – उन्होंने कहा – मैं विवेकानंद को पढ़ता हूँ”। मैंने कहा, “यह बात है”। उन्होंने कहा कि वह एक विशेष गुरु की किताब पढ़ रहे थे। हमने उस गुरु को बंधन दिया और इस शख्स को ठीक लगा।

ऐसी बहुत सी बातें हैं जिनके बारे में आपको जानना है। छोटी-छोटी चीजें हैं, जिन्हें सहज योग में समझना चाहिए। और उनके अनुसार ही करना चाहिए, क्योंकि यह तुम्हारे हित के लिए है। अब मान लीजिए मैं कहती हूं, ” इन चीजों को बस करो”। यदि आप मुझे स्वीकार नहीं करते हैं, तो मैं आपको क्यों बता रही हूँ? मैं आपको इसलिए नहीं बता रही हूं क्योंकि मुझे कुछ हासिल करना है। लेकिन आपके भले के लिए है। अब यदि आप मुझे स्वीकार नहीं करना चाहते हैं या यदि आप प्रतिक्रिया करते हैं, तो यह आपकी मदद नहीं करेगा। सहज योग मेरे लिए नहीं है, आपके लिए है। अब अगर आप सच्चाई से, ईमानदारी से, साधक हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि “मेरा लक्ष्य आध्यात्मिक रूप से उत्थान है”।

अब विज्ञान में तुम काफी ऊपर उठ चुके हो, इससे तंग आ चुके हो। अब आप वापस आध्यात्मिकता में आ गए हैं और आध्यात्मिकता के लिए आपको एक सूक्ष्म व्यक्ति बनना होगा। और इन सूक्ष्मताओं के लिए आपको अपने सभी संस्कारों को छोड़ना होगा। सभी अजीब कंडीशनिंग छोड़ दी जानी है और आपके पास जो सबसे खराब है, वह भाग है अहंकार का। यह बस उछलता है।

मैंने देखा है कि लोगों को अगुआ नियुक्त करना मैंने उनके लिए सबसे बड़ा हानिकारक कार्य किया है। उनमें से बहुत से बस खो गए, क्योंकि वे नेता बन गए। मेरा मतलब है, एक तरह का हिटलर, उनमें घुस जाता है। तो यह हमारे सबसे खराब संस्कारों में से एक है।

हमें बहुत सावधान रहना होगा कि हम दूसरों पर अपना अहंकार थोपने की कोशिश न करें। जब हम नेता बनते हैं या कोई पद हमें दिया जाता है, या कहा जाता है कि आपके अधिकार के माध्यम से कुछ प्राप्त किया जाना है।  हमारे पास केवल परमेश्वर का अधिकार है। जब तक हम उस तरह विनम्र नहीं बन जाते, तब तक कुछ भी प्रवाहित नहीं होने वाला है।

आप देख सकते हैं कि उंचाई सबसे कम समुद्र की है। और सारी नदियाँ और सब कुछ समुद्र में बह कर जाता है। और समुद्र से ही वर्षा होती है। मान लीजिए कि हिमालय के ऊपर कहीं समुद्र होता, तो हम सभी सहारा रेगिस्तान में रह रहे होते।

बड़ी सीधी सी बात है, विनम्र होना है – वह पहली निशानी है – विनम्र होना, अहिंसक होना, क्योंकि हम सर्वव्यापी शक्ति पर निर्भर हैं। यह एक ऐसी शक्ति है जो हमारे भीतर पूरी तरह से समाहित है। हम केवल अकेले नहीं हैं, हम इसके बारे में जागरूक होना चाहते हैं।

तो यह अज्ञान, यह अंधापन, अगर यह हम में से चला जाए, तो वह ईश्वरीय शक्ति अभिव्यक्त होगी। लेकिन हमारी शैलियाँ बहुत जटिल हैं। कभी-कभी मुझे समझ नहीं आता कि हमने खुद को इतना उलझा क्यों लिया है। मेरा मतलब है, फूलों को देखो, पत्तियों को देखो; वे एक पेड़ पर हैं, मान लीजिए। स्वचालित रूप से वे सूर्य की तरफ खुल जाएंगे। खुद ब खुद। आपको एक पत्ता भी सूरज की तरफ नहीं ले जाना है, बिलकुल नहीं। स्वतः ही खुल जाता है। आपने इसे हर दिन देखा है। खुद ब खुद। क्योंकि इसके लिए सूर्य की आवश्यकता होती है। अब आप अपने आप में आत्मा रखना चाहते हैं। आप आत्मा को प्राप्त करना चाहते हैं। तो स्वत: ही आपको चाहिए, वास्तव में स्वचालित रूप से, अगर यही आपकी इच्छा है, तो आपको, केवल अपनी इच्छा के माध्यम से ही आत्मा के प्रकाश तक पहुंचना चाहिए। और उसी भावना में यह जानते हुए विकसित होना चाहिए कि यही है वो जिसे आप पाना चाहते हैं।

लेकिन छोटी-छोटी बातें आपको परेशान कर देती हैं, जैसे किसी की शादी नहीं होती। अगले दिन आप उस व्यक्ति का चेहरा देखो, वह वहां इस तरह बैठा होगा जैसे कि परिवार में किसी की मृत्यु हो गई हो।

(हँसी) सच में, मैंने ऐसा देखा है। तुरंत मैं पता लगा लेती हूँ कि किसकी सगाई अभी तक नहीं हुई है (हँसी)। फिर शादी के बाद मुझे फिर से वही बकवास मिलती है। क्योंकि वे विश्लेषण कर रहे हैं, “मुझे इस प्रकार का चाहिए, मुझे उस प्रकार का चाहिए। मुझे चाहिए”। मेरा मतलब है, यहाँ जो कुछ भी उपलब्ध है वह उपलब्ध है (हँसी)। जैसे जहाज पर, आपके पास कोई समस्या नहीं होती है, क्योंकि आपके पास उसका कोई समाधान ही नहीं होता है। यदि आप एक जहाज पर जा रहे हैं और आप ज़रा कुछ माँगते हैं, “अरे नहीं, यहाँ उपलब्ध नहीं है,” समाप्त (हँसी)।लेकिन फिर आप एक छोटी सी बेतुकी चीज के लिए सहज योग का सारा मजा खो देते हैं। इस बार नहीं तो अगले साल। इतना महत्वपूर्ण क्या है? मेरा मतलब है, निश्चित रूप से उम्र, ऊंचाई, यह, वह की सीमाएं हैं। फिर अगर आप उनकी शादी तय भी करते हैं, बहुत दिलचस्प है, तो वे आकर आपसे कहते हैं, “नहीं, नहीं, मैं इस लड़की से शादी नहीं करना चाहूंगा”। क्यों? “क्योंकि मुझे ऐसा और ऐसा चाहिए”। ठीक है, तो हम पाते हैं। “नहीं, नहीं, नहीं, वह अच्छी नहीं है। उसके पास ऐसी बातें हैं,” तो उसे आगे बढ़ाइए।

मेरा मतलब है कि यह तरीका नहीं है। आप यहां अपने लिए लड़की चुनने नहीं आए हैं। फिर कोई और है जो कह सकता है, “ठीक है, मैं नीचे आया, मैंने एक लड़की को देखा और प्यार हो गया”। तो आप प्यार में पड़ जाते हैं और बाहर निकल जाते हैं। यह बकवास चल रहा है। देखिए, आप में एक निश्चित मात्रा में गरिमा होनी चाहिए। आप सभी सहजयोगी हैं। और जब मैं इस तरह के बेवकूफी भरे रवैये को देखती हूं, तो मैं कहती हूं कि ये लोग सहज योग में कभी भी हासिल नहीं कर सकते।

भारत में,  आप हैरान रह जाएंगे। मेरा मतलब है, मेरी शादी भी एक ऐसे आदमी से हुई थी जो दूसरी जगह से था। बिल्कुल अलग (भारतीय) देश, अलग धर्म, अलग सब कुछ। और एक अलग व्यक्ति। तो कोई कह सकता है कि यह एक बहुत ही अपरंपरागत विवाह था, कोई कह सकता है। लेकिन मैं इस आदमी को कभी नहीं छूऊंगा या वह मुझे कभी नहीं छूएगा। और अगर वह मुझसे बात करेगा, दूसरों की मौजूदगी में ही। और इसके बावजूद हमारी शादी बहुत मजबूत है और हम बहुत खुश जोड़े हैं।

इन सभी बकवासों के साथ आप करते जाते हैं, इसे शारीरिक रूपरंग, भौतिक  समझ, अपने अहंकार, “मुझे यह चाहिए, मुझे वह चाहिए” के स्तर पर लाते हैं, आप पाते हैं कि शादी के ठीक बाद आप (आपका अहंकार) उतर जाते हैं। आप विश्लेषण करना शुरू करते हैं इसलिए आज मैं आपको बता रही हूं। हो सकता है कि मैं बाद में आपसे शादियों के बारे में बात न कर सकूँ कि, सावधान रहें।

और इसी तरह तुम मेरे लिए समस्याएँ लाए हो। आप देखिए, एक बार जब आप यह स्वीकार कर लेते हैं कि सहज योग में आप शादी करने जा रहे हैं, तो आपको यह स्वीकार करना चाहिए कि सहज योग के अपने मानदंड और शैलियाँ हैं जिसके द्वारा यह आपकी शादी करेगा और आपकी शादी की देखभाल करेगा और आपको आशीर्वाद देगा। लेकिन अगर आप विश्लेषण करना और गलत व्यवहार करना शुरू कर देंगे, तो यह काम नहीं करेगा, और आपको बहुत सारी समस्याएं होंगी। या तो आप सर्वव्यापी शक्ति में विश्वास करते हैं और अपने अहंकार को उसके सामने समर्पित कर देते हैं, या फिर आपको अपना अहंकार होता है।

सहज योग का निर्णय मेरे द्वारा, परमचैतन्य द्वारा किया जाता है। अब कभी-कभी सहज योग में ऐसा हो सकता है कि, हो सकता है, यह काम न करे। लेकिन निरपवाद रूप से मैंने देखा है, निरपवाद रूप से, इसमे मेरा कोई दोष नहीं है। मेरा कोई दोष नहीं।

ज्यादातर नेताओं ने गलत जानकारी दी है, ज्यादातर नेताओं ने पृष्ठभूमि के बारे में बात नहीं की. या हो सकता है कि लोगों के साथ किसी तरह का अहंकार हो गया हो और वे ही हमारे लिए समस्याएं पैदा कर रहे हों। लेकिन चीजें काम करती हैं। धीरे-धीरे, धीरे-धीरे हम सुधार कर सकते हैं। हमें धैर्य रखना चाहिए।

अगर पहले ही दिन आप कुछ ऐसा करने की मांग करने लगेंगे, तो यह काम नहीं करेगा। हमें देना सीखना चाहिए, शादी, यह देने का समायोजन है। यह मांग का समायोजन नहीं है। हमें देना है। हमें कुर्बानी देनी है। कुर्बान करने के लिए तुम्हारे पास क्या है, ये सब बकवास चीजें हैं।

आप अपनी आत्मा का त्याग नहीं कर सकते, इसलिए आप अपनी आत्मा पर कायम रहें। और इसके साथ रहो। आप क्या बलिदान करने जा रहे हैं? मेरा मतलब है, आपको क्या देना है? और तभी आपको मजा आएगा। तभी आप आत्मा का आनंद उठा पाएंगे। मुझे तुमसे शीतल बयार मिल रही है।

तो मैं चाहती हूँ कि आप बहुत महान सहजयोगी बनें, बहुत महान। और आपको वास्तव में अपनी ज्ञान की शक्तियों को अभिव्यक्त करना चाहिए। अब पुरुषों में अहंकार का हिस्सा होता है और महिलाओं का एक और पक्ष होता है कि वे कभी-कभी बहुत सुस्त होती हैं। अत्यंत नीरस। उन्हें नहीं लगता कि उन्हें बहुत गतिशील भूमिका निभानी है, जबकि वे शक्तियाँ हैं।

जैसे वे हाथ से ताली भी नहीं बजाएंगी, उनके पास यह देखने के लिए द्रष्टि  भी नहीं होगी कि क्या हो रहा है। कुछ नहीं। वे सोचती हैं कि वे केवल एक प्रकार के परजीवी हैं। यहां केवल पत्नियां या बहनें या जो कुछ भी हो, बनकर आ रही हैं,  साड़ी पहनकर। नहीं, आपको अत्यंत गतिशील होना होगा। आपको सहज योग के बारे में सब कुछ पता होना चाहिए। चक्रों के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे। आपको सब कुछ पता होना चाहिए।

भारत में, जब प्राचीन काल में, वे उन्हें भगवान, धर्म और उन सभी के बारे में पढ़ाते थे। हमारे पास कितनी महान महिलाएँ थीं, गार्गी और मैत्रेयी और वे सभी, जो बहुत ही विद्वान महिलाएँ थीं। तो किसी भी तरह से आपको केवल ऐसी महिला नहीं होना चाहिए जो सहज योग के बारे में कुछ भी नहीं जानती हो। सहज योग केवल पुरुषों के लिए नहीं है; यह आपके लिए है, आपके लिए और भी बहुत कुछ। क्योंकि तुम शक्ति हो और मैं तुम्हारी माता हूं।

इसलिए मुझे लगता है कि महिलाओं में इसकी कमी है। वे साड़ियों वगैरह के बारे में अधिक चिंतित हैं, और मेरा मतलब है, अब वे केश-सज्जा से लेकर साड़ियों तक आ गए हैं। मुझे यही महसूस होता है। ठीक है, यह वैसा ही है।

बेशक साड़ी एक बहुत अच्छी ड्रेस है। पहनना अच्छा है। इसके द्वारा हम भारत में अपने बुनकरों को बहुत प्रोत्साहन देते हैं। यह बहुत ही कलात्मक है, और अच्छा है जो एक बहुत ही स्त्री जैसी स्त्रीत्व का प्रतिनिधित्व भी करती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको इतना स्त्रैण होना चाहिए कि आप सहज योग को भी नहीं समझ सकें।

मैंने महिलाओं को देखा है कि वे नहीं जानतीं कि पैरों पर चक्र कहां है। भारतीय महिलाएं जानती हैं। पुरुष जानते हैं…. (सुधारता है) भारतीय महिलाएं जानती हैं, लेकिन पश्चिमी महिलाएं नहीं जानती हैं, उनमें से बहुत सी हैं। वे चक्रों के बारे में नहीं जानती। वे नहीं जानती कि कुंडलिनी को कैसे जगाया जाए। उन्हें नहीं पता कि समस्या क्या है। तो एक बार आपने उस जीवन को छोड़ दिया,  आपने साड़ी पहनी है, इसका मतलब यह नहीं है कि अब आप एक गोशा वाली महिला बन गई हैं। गोशा वह है जहाँ स्त्रियों को चादर ओढ़नी पड़ती है; चादर, वे इसे कहते हैं। नहीं, साड़ी का मतलब है कि आप भी बहुत गतिशील हो सकती हैं।

वही साड़ी जो आपने पहनी है, नौ गज की साड़ी भी, अंग्रेजों से लड़ने वाली हमारी रानियां रही हैं। झांसी की रानी के बारे में तो आपने सुना ही होगा। वह शायद बहुत कम ही उम्र की थी। वह अपने पीछे अपने बच्चे को बांधे अस्सी फीट की ऊंचाई से कूद गई। वह विधवा थी। और उसने अंग्रेजों से लोहा लिया। बाएँ और दाएँ। और जब वह मारी गई, तो जो व्यक्ति यहां था, वह अंग्रेज, राज्यपाल, उसने कहा, “हम युद्ध जीत गए हैं लेकिन गौरव झांसी की रानी को जाता है।”

फिर हमारी एक और थी, चांद-बीबी, एक और महिला, अहमदनगर में; वह लड़ी। हमारे पास ऐसी कई महिलाएं थीं। हमारे पास जबरदस्त प्रकार की महिलाएं थीं, हालांकि वे महिलाओं की तरह रहती थीं। हमारे पास पद्मिनी थी, हमारे पास नूरजहाँ थी, हमारे पास अहिल्याबाई थी, इतनी सारी महिलाएँ थीं। वे बिल्कुल मर्दाना नहीं थी। बिलकुल स्त्री जैसी।

आखिरी थी शिवाजी की बहू,  शिवाजी की। वह केवल सत्रह वर्ष की थी, सत्रह वर्ष की। और उसने इस औरंगजेब से लड़ाई की और उसने ही उसे हराया था। इस भयानक शख्स औरंगजेब को कोई नहीं संभाल सका, उसने उसे हरा दिया। हालाँकि, आप देखते हैं, भारतीय महिलाएँ इतनी दब्बू और सरल दिखती हैं, लेकिन जब उनके चरित्र की बात आती है, तो वे जबरदस्त चीजों में सक्षम होती हैं।

तो यह चरित्र,  जब आप साड़ी पहन रही हैं तो आपको यह भी पता होना चाहिए कि पीठ को कैसे बांधना है और कैसे लड़ना है। नहीं तो आपमें सहज संस्कार नहीं है। या तो आप बहुत हावी हैं या आप बंदगोभी की तरह बहुत दब्बू हैं।

आपको समझना होगा कि हमें सतर्क रहना है, बहुत सतर्क रहना है। और माँ हम पर निर्भर है। अपने स्वयं के व्यक्तित्व पर, कि जिस तरह से हम अपना, अपने बच्चों का, अपने पतियों का, अपने सहज योग के समाज का, पूरे विश्व निर्मल धर्म का विकास करने जा रहे हैं।

समाज को बनाने वाली नारी है। सारा ब्रह्मांड उस महिला के हाथ में है जो बच्चे पैदा करती है। तो रूमानियत के मूर्खतापूर्ण विचार और यह सब बकवास समाप्त करना होगा।

पति पर कब्ज़ा – “आप किस समय आए,” “आप कब गए,” “आप कहाँ गए,” और यहाँ (भारत में) महिलाओं ने जब शिवाजी ने अपनी लड़ाई शुरू की तो उन्होंने अपनी उंगली, अंगूठा को चीर कर युद्ध में जाने वाले पतियों के माथे पर टीका (निशान) लगाने के लिए उपयोग किया और उन्होंने कहा, “अपनी पीठ दिखाकर मत आओ”।

इस महाराष्ट्र में जहाँ आप उन्हें बहुत विनम्र पाते हैं, हमें ऐसी महान महिलाएँ मिली हैं। अगर उनके देश की बात आती है, अगर उनके अपने चरित्र की बात आती है, उनकी खुद की पवित्रता या किसी भी चीज की बात आती है, तो वे जबरदस्त हैं। शेरनियों की तरह। तो इस साड़ी के साथ बहुत सी चीजें साथ-साथ चलती हैं। यह केवल वह साड़ी नहीं है जिसे आप पहन रही हैं, बल्कि आप अपने भीतर बहुत गतिशीलता का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

अब जब हम अपने आगे के कार्यक्रमों की बात करते हैं तो लोग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कोल्हापुर में हमारा कार्यक्रम हर हाल में होना चाहिए। लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं सहजयोगियों को वहां नहीं जाने दूंगी क्योंकि उन्हें इतनी बुरी तरह चोट लगी है। लेकिन आप में से कुछ आ सकते हैं, आप सब नहीं। मैं बल्कि चिंतित रहूंगी। मुझे नहीं लगता कि कोई आपको चोट पहुंचाएगा और वे कह रहे हैं कि वे व्यवस्था करेंगे। इसलिए यदि आप आना चाहते हैं, यदि आप डरते नहीं हैं…(तालियां)।

लेकिन एक वादे पर। कि कोई किसी को पीटने वाला नहीं है। मैं कह रही हूँ, “पीटो मत। मत मारो” और किसी ने सुना, “मारो”। मेरा मतलब है, मेरा मतलब है, मैंने इस तरह की बात कभी नहीं सुनी है, जब मैं इस बात पर कह रही हूं कि, “मारो मत। मत मारो,” तब कोई सुनता है कि, “उन्हें मारो। उन्हें मारो”। (हँसी) मुझे समझ नहीं आता कि ऐसा कैसे हो सकता है। तो आपको वास्तव में किसी को पीटने की जरूरत नहीं है। कोई जरूरत नहीं है। आप जानते हैं कि परमचैतन्य काम कर रहा है। यह सब भी परमचैतन्य का कार्य है।

दोपहर में योगी महाजन मेरे साथ वकील की तरह बड़ी गंभीरता से चर्चा कर रहे थे और कह रहे थे कि, “मां हम उन पर कोई आपराधिक मामला नहीं बना सकते, क्योंकि कोई सबूत नहीं है”। दोपहर। और शाम को अब हमारे पास सबूत है (तालियाँ)। और फिर वे उल्टा लिख रहे हैं कि उन्हें पीटा गया और तुमने उन पर पत्थर फेंके। और इनमें से कोई भी घायल नहीं हुआ। मुझे लगता है कि वे सब चैतन्यित पत्थर रहे होंगे (हँसी और तालियाँ)।

तुम कैसे कर सकते हो? उन्हें कोई चोट नहीं आई थी। उन्होंने लिखा है कि उन्हें कोई चोट नहीं आई है। तो इसके लिए आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। इन सबके साथ कम से कम चार सौ से अधिक पत्थर आए और केवल अठारह लोगों को चोटें आईं। और गंभीरता से वास्तव में, मुझे लगता है, एक या दो। इसलिए कुछ भी नहीं है और मैं आप सभी को ठीक कर सकती हूं, [आप] यह अच्छी तरह जानते हैं (हंसी और तालियां)।

कुल मिलाकर, आप देख रहे हैं कि यह देश, विशेष रूप से महाराष्ट्र, ईश्वर के प्रति इतनी भक्ति से भरा हुआ है। जैसे ये चीजें काम नहीं करने वाली हैं। लेकिन वे से बहुत खतरनाक लोग हैं, आप देखिए, हिटलर की तरह , वे इधर-उधर घूमने लगते  और कुछ विचार देते हैं और वह सब। इसलिए उन्हें उसी समय समाप्त करना बेहतर है जब वे समृद्ध हो रहे हैं, जैसा कि वे खुद को निर्मूलन कहते हैं, जड़ों को हटाना है। तो हमें इस निर्मूलन का निर्मूलन करना है।

ठीक है। तो अब आज हम पूजा करेंगे। फिर उसके बाद आप चाहें तो अपनी खरीददारी के लिए कोल्हापुर जा सकते हैं। लेकिन यह शुरू होती है, दुकानें काफी देर से शुरू होती हैं और आठ बजे तक काफी देर तक चलेंगी और कल पूरा दिन आपके लिए उपलब्ध है। तो आप अपनी बसें ले सकते हैं। आप वहां नीचे जा सकते हैं, और आप अपनी खरीददारी और वह सब कुछ ले सकते हैं, फिर यहां वापस आ सकते हैं। कल भी आप ऐसा ही कर सकते हैं।

परसों हमारे श्री गोविन्द जी ने बड़ी कृपा करके आप सबको अपने यहाँ आमंत्रित किया है, क्योंकि वे बड़े उदार व्यक्ति हैं। तो,…(तालियां)। और जब मैंने उससे कहा कि, “तुम्हें मुझसे पैसे लेने चाहिए”, तो वह बस मुझसे लड़ रहा था, “माँ, मुझे यह पहला मौका दो। यह मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है कि…(किसी को मराठी और हिंदी बोलना) तो…(किसी से बोलना)। उन्हें आने दो, अगर वे आना चाहते हैं।”

तो फिर कार्यक्रम परसों का है, इस बात के बाद वह कहता है कि यह 12:30 या एक बजे तक समाप्त हो जाएगा। तो आपके पास खरीददारी के लिए आज रात और कल पूरा दिन होगा। लेकिन मुझे लगता है कि तब आपको खरीददारी के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिए। आपको जो कुछ भी करना है, बेहतर होगा कल पूरा कर लें। और फिर आपको कार्यक्रम में भी आना होगा।

परसों अगर रुके रहेंगे तो बड़ी मुश्किल होगी। इसलिए आप सभी वहां जाएं, भोजन करें और फिर गणपतिपुले जाएं। यह कार्यक्रम है। तो आप शाम को गणपतिपुले पहुंच जाएं। मुझे आशा है कि यह आपके लिए सब कुछ स्पष्ट है। और आपको जो भी खरीदना है, आपको यहां से खरीदना होगा। लेकिन मैं कहूंगी कि आप में से कुछ वास्तव में नहीं जानते कि असली रेशम क्या है।

और मैंने कुछ लोगों को कुछ फालतू ख़रीदते देखा है। और बहुत पतला रेशम आपको नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि यह केवल आठ दिनों तक चलेगा। और फिर यह खत्म हो जाएगा. इसलिए सस्ती चीजों के लिए मत जाइए। एक साड़ी जो अच्छी साड़ी है, रेशम की साड़ी, दस खराब साड़ियों से बेहतर है।

सौभाग्य से अब हमारे पास कुछ साड़ियां हैं जो आप चाहती थीं, प्रिंटेड साड़ियां जो मैं आपको गणपतिपुले में दे सकती हूं। अच्छी प्रिंटेड साड़ियां, टसर और सिल्क की भी। हम उन्हें वहां रखेंगे। आप सब वहाँ खरीद सकते हैं। और कुछ? क्योंकि मुझे नहीं लगता कि हम गणपतिपुले जाने तक शायद आपसे और मिलेंगे।

अब भी यदि वह भजन सामग्री मिल सके तो कृपया खरीद लें। मैंने तुम्हें दो बार उपहार दिए हैं। लेकिन आप उन्हें अपने दौरे पर कभी नहीं लाते हैं और इस बार फिर मैं इस तरह की चीज नहीं चाहती। (हिंदी)। बस उन्हें दिखाओ। इस तरह का कुछ भी, कृपया इसे प्राप्त करें। बहूत ज़रूरी है। मैंने आपको दो बार उपहार के रूप में दिया है लेकिन हर बार दुकान पर जाना और आपके लिए इसे प्राप्त करना बहुत कठिन होता है। यदि आप उन्हें प्राप्त कर सकते हैं तो कृपया खरीदें। आप में से कुछ लोगों को कम से कम उन्हें साथ (मराठी बोलते हुए किसी को) रखना चाहिए। वह व्यवस्थित करेगा, आप बेहतर खरीद लें।

अब व्यावहारिक रूप से सभी शादियां तय हो चुकी हैं। एक-दो बचे हैं, जिन्हें भी उन्होंने एडजस्ट कर लिया है। अब जिनकी उम्र अधिक थी या ऐसा ही कुछ, हम उनकी शादियां तय नहीं कर सकते थे। कोई फर्क नहीं पड़ता। यह काम कर सकता है, काम नहीं भी कर सकता। कोई फर्क नहीं पड़ता। आखिरकार, आप सहज योग में हैं। मेरा मतलब है, वास्तव में आप सहज योग से विवाहित हैं, बस इतना ही।

यह कुछ बगल से गुज़रता सा है, आप देखिए। तो अपने जीवन को बहुत दुखमय मत बनाओ, इसलिए पूरे रास्ते तुम यह जानने के लिए आए हो कि तुम नहीं हो… हम तुम्हारी शादी की व्यवस्था नहीं कर पाए हैं। यह उचित नहीं है। बस आनंद लो। इस बात को ना चूको।

परमात्मा आप पर कृपा करे।