अब अपनी शक्तियों को पहचानिये। जैसे कल उसने … निशात खान ने राग दरबारी गाया या बजाया …तो आप इस समय दरबार में हैं … परमात्मा के दरबार में। अपने दायित्वों को पहचानिये। प्रत्येक को अपने दायित्वों को पहचानना है और समझना है कि आप कौन हैं …. आपकी शक्तियां क्या हैं और आप क्या-क्या कर सकते हैं? अब वे दिन गये जब आप अपने आशीर्वादों को गिना करते थे। अब आपको अपनी शक्तियों को देखना है कि मेरी कौन-कौन सी शक्तियां हैं और मैं इनका किस प्रकार से उपयोग कर सकता हूं?
आपके साथ जो भी चमत्कार घटित हुये हैं अब उनको गिनने से कुछ फायदा नहीं है। आपने ये सिद्ध करने के लिये कई चमत्कार देख लिये हैं कि आप सहजयोगी हैं और परमचैतन्य आपकी सहायता कर रहा है। लेकिन अब आपको जानना होगा कि उस परमचैतन्य का आप कितना उपयोग कर रहे हैं?आप इसको किस प्रकार से नियोजित कर सकते हैं और किस प्रकार से इसको कार्यान्वित कर सकते हैं?
आज से एक नये युग का प्रारंभ होने जा रहा है। मैं इसी दिन का इंतजार कर रही थी कि आप सब लोग जान जांय कि आप मात्र अपने स्वार्थ के लिये सहजयोगी नहीं हैं … न अपने परिवारों के लिये और न ही अपने समुदाय के लिये न अपने देश के लिये बल्कि पूरे विश्व के लिये हैं। अपना विस्तार करिये ….. आपके अंदर वो दूरदृष्टि होनी चाहिये जिसको मैंने आप लोगों के सामने कई बार रखा है कि आपको मानवता को मोक्ष दिलवाना है।
अब आपके अंदर संकोच नहीं होना चाहिये। सबसे पहले तो आपको ये नहीं सोचना चाहिये कि हम सब बहुत साधारण लोग हैं …… या हम अत्यंत साधारण लोग हैं। हमारे अंदर कुछ भी विशेष नहीं है। ये कार्य किन्हीं विशेष व्यक्तियों के द्वारा नहीं किया जाना है क्योंकि उनके अंदर एक प्रकार का अहंभाव होता है। ये उन लोगों के द्वारा किया जाना है जिनके अंदर अपनी सफलताओं, उपलब्धियों और अपनी धन संपदा का अहंकार नहीं है। यदि वे इन चीजों से छुटकारा पा सके तभी वे इसे कार्यान्वित कर सकते हैं। इसीलिये आपको समझना है कि ईसा ने क्या कहा है …. कि एक ऊंट को सुई के अंदर से गुजारा जा सकता है लेकिन एक अमीर आदमी को नहीं क्योंकि उसका अहंभाव अत्यंधिक होता है … एक ऊंट से… एक हाथी से या किसी भी बड़े जानवर से भी अधिक होता है। इसीलिये अब हम एक नई चेतना में प्रवेश कर रहे हैं … अतः हमें अपनी नकारात्मक सोच के विषय में अधिक चिंता नहीं करनी चाहिये।
सो पहले तो संकोच होता है कि ऐसा कैसे हो सकता है ? मैं इस कार्य के लिये ठीक नहीं हूं। मैं तो ऐसा था … मैं ऐसा कर रहा था … मैंने ऐसा किया है। आपको अंदर कई प्रकार के अपराध बोध आ खड़े होते हैं जिन्हें मुझे पृष्ठ दर पृष्ठ फेंक देना चाहिये या जला कर राख कर देना चाहिये।
लेकिन अब अपराध बोध की कोई आवश्यकता नहीं है। केवल एक ही बात समझनी और कहनी है कि मैं एक सहजयोगी हूं और इक्कीसवें सहस्त्रार दिवस के बाद अब मैं एक महायोगी भी हूं। बस आपको यही स्वाकारोक्ति करनी है। अब उन बेकार की बातों का कोई अर्थ नहीं है जो लोग कहा करते थे। हमने उन्हें छोड़ दिया है और हम सहजयोग में अपने उत्थान के लिये आये हैं। हमने लोगों को मोक्ष देने के लिये अपना उत्थान प्राप्त कर लिया है …. उन्हें भ्रम के जाल से …. अंधेरे से मुक्त करने के लिये अपना उत्थान प्राप्त कर लिया है। मेरा मानना है कि इस समय राजनैतिक कारण उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं जितनी धर्मांधता से संबंधित कारण। अतः हमें खुलकर इन धर्मांध लोगों से कहना होगा कि आप लोग एकदम मूर्ख हैं … आपको सत्य का ज्ञान नहीं है ….. आप सत्य को नहीं जानते हैं। आप नहीं जानते हैं कि आप केवल एक आत्मा हैं … आप नहीं जानते हैं कि आपके अंदर एक शक्ति कार्य कर रही है। आपको उन्हें ये बातें स्पष्ट रूप से बतानी होंगी कि आप सभी मूर्खों की तरह से एक मृगतृष्णा के पीछे भाग रहे हैं और एक दिन आप सभी एक खाई में गिर जायेंगे जिसके बारे में सभी धर्मग्रंथों में पहले से ही बता दिया गया है। हमें उनको खुल कर ये बात बतानी होगी। जिस तरह से भी आप बताना चाहें। आप इस विषय पर किताब लिख सकते हैं … उसको प्रकाशित करवा सकते हैं या आप लोगों को ऐसे ही बता सकते हैं।
झूठ के पीछे भागने से आप परमात्मा को नहीं पा सकते हैं। क्योंकि इसके लिये वे घृणा की शक्ति का प्रयोग कर रहे हैं। अतः आपको उन्हें बताना होगा कि हम प्रेम की शक्ति में विश्वास करते हैं न कि घृणा की जिसमें आप विश्वास करते हैं। हममें में से प्रत्येक व्यक्ति में सत्य को ढूंढने की और उस स्वर्ग तक पंहुचने की क्षमता है जिसका हमें वचन दिया गया है ……परमात्मा का साम्राज्य।
अतः हम सबको चाहे हम इस समुदाय के हों या उस समुदाय के, इस जाति के हों या उस जाति के… जो कुछ भी हों ….. हमें पूरा विश्वास है कि हम सभी इस कार्य के लिये पूरी तरह से सक्षम हैं और परमात्मा द्वारा आशीर्वादित हैं कि हमें परमात्मा के साम्राज्य में प्रवेश करना है।
यदि आपका नजरिया सकारात्मक है तो आपके अंदर की नकारात्मकता स्वयमेव ही चली जायेगी। नकारात्मक शक्तियां आपको नीचे खींचने का प्रयास करती हैं खासकर सहजयोग में आने के बाद। सहजयोग में आने से पहले आप किसी परिवार या अन्य चीज से जुड़े हुये नहीं थे। सहजयोग में आने के बाद आप अपने परिवारों से गोंद की तरह से चिपक गये हैं … पूरी तरह से चिपक गये हैं। मेरा मतलब है कि मैंने प्रत्येक परिवार की समस्याओं का समाधान कर दिया है।
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