Shri Lakshmi Puja and Talk before puja

Stamatis Boudouris summer house, Hydra (Greece)

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                       श्री लक्ष्मी पूजा

 हाइड्रा (ग्रीस), 24 जून 1990।

आज हम लक्ष्मी की पूजा करने जा रहे हैं और मैंने आपको पहले ही बताया है कि लक्ष्मी समुद्र से निकली थी।

और ग्रीस ब्रह्मांड की नाभी है। और जो भी लक्ष्मी, धन, उन्हें मिली है, उन्होंने इसे वहां की समुद्री यात्रा गतिविधियों से प्राप्त किया है। इसलिए यह बहुत उपयुक्त है कि हम ग्रीस में लक्ष्मी की पूजा करें और समझें कि लक्ष्मी का महत्व क्या है। क्या आप मुझे वहां सुन पा रहे हैं, आप सब? तो अब, मैं कई बार वर्णन कर चुकी हूँ, परन्तु फिर भी मैं तुम्हें उसका वर्णन करूँगी। लक्ष्मी वह है जो स्वभाव से माँ है। तो ऐसा व्यक्ति जिसके पास लक्ष्मी है, एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास धन है, उसके पास एक माँ सामान उदार स्वभाव होना चाहिए; यह पहली बात है। फिर दूसरी बात यह है कि वह जल में कमल पर खड़ी हैं। तो जिस व्यक्ति को लक्ष्मी मिली है, उसके पास संतुलन होना चाहिए। यदि वह इस ओर या उस ओर, बाएँ या दाएँ ओर जाता है तो वह तुरंत भवसागर के भीतर चला जाता है।

दूसरा, उनका एक हाथ दे रहा है और दूसरा हाथ इस तरह रक्षा कर रहा है। तो कम से कम जिस व्यक्ति को लक्ष्मी धन मिला है उसे उदार होना चाहिए, उसे दान देना चाहिए और दाहिने हाथ को उन सभी लोगों की रक्षा करनी चाहिए जो उसके अधीन काम कर रहे हैं या जो उससे संबंधित हैं, उसके संबंधी या अन्य चीजें या कोई अन्य संगठन या जिस किसी से कुछ भी वह जुड़ा हुआ है, उनका उसे सभी प्रकार के खतरों से संरक्षण और रक्षा करने का प्रयास करना चाहिए। दूसरा भाग यह है कि लक्ष्मी के एक हाथ में पुस्तक है और दूसरे भाग में लक्ष्मी के दो हाथ हैं जो सिर के ऊपर हैं और उनके हाथ में दो कमल हैं। इससे पता चलता है कि धनी व्यक्ति का हृदय कमल के समान होना चाहिए। कमल का ह्रदय इस प्रकार का ही है कि रात में एक बहुत ही काँटेदार प्रकार का कीड़ा भी कमल के पास सोने के लिए आ जाता है, कमल अपनी पंखुड़ियाँ खोल देता है और उस कांटेदार प्रकार के कीट को बहुत ही आरामदायक तरीके से सोने की अनुमति देता है।  ताकि वह वहां अच्छी तरह से सोए, उसे आराम दें। इसी तरह, एक व्यक्ति जो बहुत अमीर है, उसमें यह क्षमता होनी चाहिए कि वह अपने घर में मेहमानों को आने दे और मेहमानों की सुविधा का ध्यान रखे; उस अतिथि की स्थिति कैसी भी हो, उस अतिथि की परिस्थिति कैसी भी हो, लेकिन वह बात सारहीन है। महत्वपूर्ण बात यह है कि वह आपका अतिथि है और आपको उस अतिथि की देखभाल करनी है और वह जो कुछ भी मांगे वह आपको प्रदान करना चाहिए। बेशक आधुनिक समय में यह सब बातें पतली हवा में लुप्त हो गयी है। लेकिन हमारे पास भारत में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां एक बार एक मेहमान आया और उसने कहा कि वह राजा के बच्चे का मांस खाना चाहेगा। तो राजा ने कहा कि ठीक है तुम मांस खा सकते हो, और उसने मांस पकाया और अतिथि को दे दिया।

और अतिथि कोई और नहीं बल्कि श्री कृष्ण थे। आप श्री विष्णु कह सकते हैं। और पाँच मिनट बाद उन्होंने लड़के का नाम पुकारा और लड़का दौड़ता हुआ माता-पिता के पास आया। बहुत सारी कहानियाँ हैं। एक और हरिश्चंद्र हैं जिनके पास एक अतिथि था जो वामन के रूप में आया था। यह फिर से श्री विष्णु थे जो परीक्षा लेने के लिए आये है। और उन्होंने उनका सारा राज्य माँगा। तो, हरिश्चंद्र ने उन्हें अपना सारा राज्य दे दिया और अपनी पत्नी के साथ वन में चले गए और बहुत कष्ट सहे। लेकिन उस कष्ट में उसे अपना मोक्ष मिल गया और उसे फिर से अपने राज्य और सब कुछ का पूरा इनाम मिला। वह बहुत पवित्र हो गया।

और एक राजा के पास श्री विष्णु का वामन के रूप में आना भी है। और उन्होंने याचना की कि तुम्हें मुझे उतनी भूमि देनी होगी जो मेरे तीन पगों से नापी जाए। बाली राजा थे। उसने कहा: “ठीक है, तुम जो कहो”। तो उसने एक पैर से आकाश को छू लिया; दूसरे पैर से उन्होंने धरती माता को छुआ। तीसरा पैर उसने बाली के सिर पर रखा और उसे पाताल लोक में, पाताल में रख दिया। और इस तरह वामन का अवतार आया। और इस तरह हमारे पास भारत में ऐसे कई उदाहरण हैं। कि जब मेहमान हों तो हमें उनके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए और हमें कैसे पूरी तरह से उनके अधीन रहना चाहिए और उनकी पूरी तरह से देखभाल करनी चाहिए। और हमारी सहज संस्कृति को हमें सम्मान पूर्वक देखना चाहिए।

यही हमारी सहज संस्कृति है। लेकिन मैं देखती हूं कि आधुनिक समय में लोग इसे पसंद नहीं करते क्योंकि लोग बहुत स्वार्थी हो गए हैं। लेकिन यह हमेशा पारस्परिक होता है। यदि आपके घर में मेहमान हैं और आप उनकी देखभाल करते हैं तो आपको इसका प्रतिफल हमेशा कई तरह से मिलता है। मैंने अपने जीवन काल में देखा है कि आप किसी की थोड़ी सी भी मदद करते हैं तो वह बहुत बड़े पैमाने पर आपके पास वापस आती है। उदाहरण के लिए, वहाँ थे.. 

लेनिन क्या तुम ठीक से नहीं बैठ सकते? क्या यह लेनिन है? किसका बच्चा? क्या आप सहज योगी नहीं हैं? यह किसका बच्चा है?

वह एक नई सहज योगिनी है? अब अगर बच्चे बदतमीजी करते हैं, तो हम उन्हें पूजा से बाहर जाने के लिए कहेंगे, ठीक है? आप सभी बच्चों को अच्छा व्यवहार करना चाहिए और चुपचाप बैठना चाहिए।

.. तो एक बार मैं अपने घर के बाहर बैठीथी और मैं दिल्ली में कुछ बुन रही थी और तीन लोग आए और उन्होंने कहा कि, “हमारे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है, हम शरणार्थी हैं और आपके पास इतना बड़ा घर है, क्या आप हमें कमरा दे सकते हैं”, हम बहुत आभारी होंगे ”। और मेरा घर ऐसा था जिसमें एक कमरा था जो बिल्कुल बाहर था, वह घर से किसी तरह जुड़ा हुआ नहीं था। तो मैंने कहा: “ठीक है, कोई बात नहीं। आप हमारे साथ रह सकते हैं। आप जो चैतन्य दे रहे हैं – आप अच्छे लोग हैं, आप झूठ नहीं बोल रहे हैं। शाम को मेरा भाई आया और मेरे पति आए और उन दोनों ने कहा, अब ये कैसे लोग हैं, भगवान जाने, और ये हमारे साथ क्या करेंगे, यह और वह, बहुत गुस्से में। मैंने कहा, अब मैंने उन्हें घर दे दिया है, ठीक है।

यह मेरी जिम्मेदारी है। एक महीने के लिए,  वे बहुत परेशान हैं। वे घर के अंदर नहीं आ सकते। वे बाहर हैं। “क्या हर्ज है, ये शरणार्थी हैं, इन्हें रहने दो।” वे रुके रहे। वास्तव में वे बहुत प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। और फिर एक मुसलमान आदमी था। और दंगे हुए। इस सारी गड़बड़ी के बाद एक दंगा हुआ, वास्तव में बहुत ही खराब प्रकृति का।

और ये सभी सिख मेरे घर आए, और उन्होंने कहा कि हमने सुना है कि यहां मुसलमान रहते हैं। मैंने उनसे कहा कि कोई नहीं है। उन्होंने कहा: “आप ऐसा कैसे कह सकते हैं?” मैंने कहा: “आप देख रहे हैं कि मैंने इतनी बड़ी बिंदी लगा रखी है; मैं खुद एक हिंदू हूं। मैं अपने घर में एक मुसलमान को क्यों रखूंगी? तुम यहां से चले जाओ। अगर आपको दुर्व्यवहार करना है तो मैं पुलिस को बुलाऊंगी। तो यह आदमी बच गया आप देखिए और उसके बाद ऐसा क्या हुआ कि मैंने उन्हें खो दिया; वे चले गए, उन्हें कुछ नौकरियां मिलीं। फिर जो महिला आई वो बहुत ही बेहतरीन अदाकारा बनी। और वह आदमी, मुस्लिम सज्जन जो कवि थे [साहिर लुधियानवी?]

वह एक महान कवि थे और देखिए, हम कई सालों के बाद एक फिल्म बनाना चाहते थे और वे चाहते थे कि यह महिला उस फिल्म में मां बने। मैंने कहा मैं उससे नहीं पूछूंगा। वह नहीं जानती कि यहाँ मैं हूँ, और अन्यथा उसे सहमत होना पड़ेगा क्योंकि वह मेरे प्रति आभारी महसूस करेगी। मैं अभी कुछ नहीं कहना चाहती। तुम चाहो तो उससे संपर्क कर सकते हो और उसे मेरा नाम मत बताना। इसलिए, जब वे उसके पास गए तो उसने कहा, “नहीं, नहीं, मैं यह नहीं कर सकती”, और ऐसा और वैसा, आप जानते हैं। तो, उन्होंने कहा कि ठीक है, आप उद्घाटन समारोह में आएं, फिर हम देखेंगे कि आपको यह पसंद है या नहीं। वह कह रही थी: “मुझे एक साड़ी चाहिए, आपको मुझे एक साड़ी देनी होगी”, यह, वह और वे सभी चीजें जो वह मांग रही थीं और इतने पैसे। तो वह उस फिल्म के उदघाटन के लिए आई थीं। उसने मुझे बैठे देखा, बस मेरे पास आकर मुझे गले से लगा लिया और रोने लगी।

“आप यहाँ कैसे हो? आप यहां पर क्या कर रहे हैं? इतने लंबे समय के बाद मैं आपसे यहां मिल रही हूं। “, यह और वह। उन लोगों ने उसे बताया कि, “ये वही हैं जो इस फिल्म को बनाना चाहती हैं।” “अरे बाप रे! “, उसने कहा,” तुमने मुझे नहीं बताया। मैंने क्या पाप किया है। मैं इस महिला के लिए अपनी जान दे दूंगी। आप किसी का भला करते हैं तो छोटी-छोटी बातें कई तरह से सामने आती हैं। यहां तक ​​कि अगर आप उन लोगों के प्रति दयालु हैं जिन्हें इतना अच्छा नहीं माना जाता है, तो भी यह कार्यान्वित होता है ऐसा मुझे लगता है जैसा मेरे साथ, … एक लड़का बहुत बुरी तरह से चोटिल था: यहाँ, यहाँ पट्टी, यहाँ पट्टी और वहाँ पट्टी, वहाँ खड़े और उसने मुझे बताया कि, “मेरे पास कोई काम नहीं है, क्या मैं आपके पास आकर काम कर सकता हूँ?” मैंने कहा: “ठीक है, साथ आओ”।

तो, मैं उसे कार में बिठाकर घर ले आयी। तो हमेशा की तरह मेरे भाई और मेरे पति मुझ पर बहुत गुस्सा हुए। “यह कौन है जिसे तुम लाइ हो? कौन है ये? आखिर…”, यह और वह। मैंने कहा: “यह ठीक है, मैं उसका इलाज करूँगी, मैं उसे ठीक कर दूँगी, फिर यह ठीक है। मैं उसका इलाज कर रही थी, उन्होंने कहा: “तुम्हें पुलिस के पास जाना चाहिए, तुम्हें उसे पुलिस के पास भेजना चाहिए। हो सकता है, वह पुलिस से भागा हो। “, जो कुछ भी। करीब 8 दिन ऐसा हुआ कि वह ठीक हो गया।

मैंने कहा: “उसे ठीक होने दो और फिर जाने दो”। वह बहुत बेहतर था; और उस दिन रात को वह घर से भाग गया। क्योंकि वे उसे जाने के लिए मजबूर कर रहे थे। और उसने मेरे पति के सारे पैसे, उसके कोट और सूट और मेरे भाई का सब कुछ जो उसके पास था  ले लिया और मेरे गहने वहीं पड़े थे,उसने कुछ भी नहीं छुआ। सुबह ये दोनों उठे, यह तुम्हारा भतीजा भाग गया है? मैंने कहा “हाँ, लेकिन क्या?” “वह हमारा सब कुछ लेकर भाग गया है; हमारे जूते, हमारे कुरते और पैंट और तेरी वस्तुओं को उसने छुआ तक नहीं।” यहां तक कि मेरे जेवर, सोने के जेवर भी टेबल पर पड़े थे, उसने किसी चीज़ को हाथ नहीं लगाया। मैंने कहा: “यह वह चीज़ है जो तुम्हें सीखनी चाहिए। आप उसके जीवन के पीछे क्यों पड़े थे?

आखिरकार वह अच्छा कर रहा था, आप उसके जीवन के पीछे पड़े थे। तो उसे साबित करना होगा कि उसने किया है, आप पुलिस के पास जाएं। लेकिन, इस तरह आप इसे करने जा रहे हैं। इस तरह की बहुत सी चीजें जीवन में घटित होती हैं। यह देखना बहुत दिलचस्प है कि कैसे आप अचानक किसी से मिलते हैं और वे आपसे कहते हैं, “अरे आपको याद नहीं है? मैं यह था और मैं वह था, आपने मेरी इतनी मदद की है। इसलिए हमेशा,  अगर आप उदार हैं, तो आपको हमेशा कोई न कोई खिलाता है। जैसे एक कमरे का एक दरवाजा खोलोगे तो हवा नहीं आएगी। यदि आप दूसरा दरवाजा भी खोलते हैं तो हवा अंदर गुज़रने लगती है। तो यह उस व्यक्ति के गुणों में से एक है जो लक्ष्मीपति है, जिसके पास देने और रक्षा करने के लिए धन है।

अब ज्यादातर लोग जो अमीर लोग होते हैं, वे अपने नौकरों के प्रति बेहद कठोर होते हैं, जो लोग उन पर निर्भर होते हैं, वे बहुत आक्रामक होते हैं और अत्याचार करने की कोशिश करने लगते हैं। लेकिन लंबे समय में यह फायदेमंद नहीं होता है। मैंने देखा है। देखें कि क्या आप बहुत सावधान रहने की कोशिश करते हैं, जैसे मेरे घर में, मेरे नौकर मुझे कभी नहीं छोड़ेंगे। मेरा मतलब पता नहीं, सब कहते थे हमारा नौकर भाग गया है, कोई कहता था रहना नहीं है और हमारे पास तीन नौकर हैं, पांच नौकर हैं। अगर मेरे पास एक नौकर होता तो वह मेरे साथ मेरे मरने तक रहेगा, इस प्रकार| मैं सोचती थी कि इन लोगों को दिक्कत क्या है। दरअसल, शुरुआत में वे आते थे, उन्हें बहुत भूख लगती होगी, मैं उनके लिए सब कुछ खुला छोड़ देती थी। जितना मन करे खाओ। वे सब कुछ खा लेते थे और उन्हें बहुत तृप्ति का अनुभव होता था।

फिर ओह! यह तो ज्यादा है। और आप जो कुछ भी फ्रिज में रख दें, उसे कोई नहीं खाएगा। इसलिए मेरे घर में सब कुछ खुला रहता था। कभी बंद नहीं हुआ। वे चावल खाना चाहते थे जो वे खा सकते हैं। उन्हें जो करना है वो कर सकते हैं। और फिर वे घर का अभिन्न अंग बन गए और वे हर चीज की अच्छी तरह से देखभाल करने लगे। वे कभी कुछ नहीं चुराएंगे, इस तरह कभी कुछ नहीं खाएंगे, और कोई समस्या नहीं होगी। जबकि अन्य लोग सब कुछ बंद कर के रख देते हैं, यहां तक कि नमक भी बंद कर देते हैं।

और हर चीज़ की गिनती करते हैं और नौकर के साथ बहुत सख्ती करना और उनके नौकर 3 दिन या 4 दिन बाद भाग जाते। और उन्हें नौकरों की समस्या होगी। मेरे पास कभी भी, कहीं नहीं हुई। तो ऐसा है कि व्यक्ति को यह समझना है कि आप, उन लोगों से जो आपके निकट और प्रिय हैं, आप उनके साथ कैसा व्यवहार करते हैं, आपके पड़ोसी, आपके मित्र, वे लोग जो आप पर निर्भर हैं। अब कोई आप पर निर्भर है तो लोग उसे नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। हर समय एक तरह से ऐसा प्रदर्शित करते हैं कि व्यक्ति बहुत ज्यादा अपमानित महसूस करता है। फिर जब वह उस घर से बाहर निकलता है तो बदला लेता है। और उनके साथ बुरा व्यवहार करता है। इसलिए यह सुरक्षा होनी चाहिए। अब वह एक कमल पर खड़ी है, मतलब किसी ऐसी चीज पर जो बहुत ही सुंदर लेकिन बहुत नाजुक है।

इसलिए वह लोगों के साथ बहुत ही सलीके से व्यवहार करती हैं। और एक संतुलन पर वह है। अब जब लोगों के पास पैसा होता है तो वे बड़ी आसानी से असंतुलन में चले जाते हैं। आप किसी को कुछ पैसे दे दो, वह तुरंत पब में जाएगा, शराब पीएगा, उसके पास पांच, छह महिलाएं होंगी या अगर वह एक महिला है, तो वह पुरुषों के पीछे भागेगी और हर तरह की चीजें करेगी। तो पैसा बहुत ही खतरनाक चीज है, मुझे कहना चाहिए, क्योंकि यह आपको असंतुलन देता है। यह आपको भयानक असंतुलन देता है। अगर आपके पास पैसा है, बहुत ज्यादा पैसा है, तो आप ऐसे असंतुलन के काम करते हैं कि आप इससे बाहर नहीं निकल सकते। और बहुत सावधान रहना होगा। आपने देखा होगा जिन लोगों के पास पैसा होता है, उनके बच्चे कैसे बिगड़ते हैं, पति कैसे बिगड़ते हैं, पत्नी कैसे बिगड़ती है। हर तरह की चीजें हैं।

तो पैसे में बिगाड़ने का बहुत बड़ा प्रभाव होता है। और इसलिए वह कमल पर खड़ी होती हैं और जो कोई भी असंतुलन में जाता है, वह भवसागर में गिर जाता है। क्योंकि लक्ष्मी वही है जिन्हें आप विष्णु की पत्नी के रूप में जानते हैं। और वह समुद्र के किनारे रहती है। तो अब ‘मेरिन’ शब्द। ‘मेरिन’ भी उसी से आया है, क्योंकि हम उसे ‘मारिया’ कहते हैं। मारिया महालक्ष्मी हैं। वह, यह शब्द मेरिन से आया है, चूँकि वह समुद्र से पैदा हुई थी, और इसीलिए हम उसे मारिया कहते हैं। अब वह उत्पन्न हुई है, यह महालक्ष्मी एक उच्च सिद्धांत है। जब कोई व्यक्ति संतुलन में आ जाता है और लक्ष्मीपति की तरह व्यवहार करता है और उसके पास सारे ऐश्वर्य होते हैं, वह धार्मिक और समझदार होता है, तो क्या होता है कि वह अपने भीतर एक और तत्व विकसित कर लेता है, वह है महालक्ष्मी।

महालक्ष्मी वह चीज है जिससे आप आत्मा को खोजना शुरू करते हैं। यह महालक्ष्मी सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण है और इस महालक्ष्मी सिद्धांत द्वारा पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र की देखभाल भी कि जाती है और संपूर्ण सुषुम्ना और कुछ नहीं बल्कि महालक्ष्मी है। तो जब हमारे भीतर यह सिद्धांत जाग्रत हो जाता है तो आप खोजना शुरू कर देते हैं। वे संतुष्ट लोग होते हैं जो दूसरों की चीजों के लिए लालायित नहीं होते हैं, लालची नहीं बनते हैं, और हम दूसरों की चीजों को हासिल करने की कोशिश नहीं करते हैं वरना अन्य सभी प्रकार के अवैध काम हम पैसे के लिए करते हैं या ये लोग अभी मैंने देखा नाव उन लोगों की तलाश कर रही है जो ड्रग्स की तस्करी कर रहे हैं ताकि यह सब पागलपन की चीजें हों क्योंकि यह व्यर्थ है; वे इतने पैसे का क्या करेंगे? लेकिन लोभ बढ़ता ही चला जाता है और इसका कोई अंत नहीं होता इसलिए लोग धन पाने के लिए तरह-तरह के घटिया काम करते हैं। लेकिन पैसा कभी आनंद नहीं देता, अगर उसने आनंद दिया होता तो लोग आनंदित होते, लेकिन ऐसा नहीं है। तो महालक्ष्मी सिद्धांत वहां से उठता है जहां आप परे खोजने की कोशिश करते हैं। निस्संदेह महालक्ष्मी सिद्धांत से आपको सभी प्रकार के सुख और सभी प्रकार के आशीर्वाद मिलते हैं। बेश,  आशीर्वाद तो मिल ही जाता है, लेकिन आप उसके लिए लालायित नहीं होते। और आप एमी लोगों को उनकी चीजों से वंचित नहीं करते हैं या वे किसी प्रकार से उन पर पैसे का बोझ नहीं डालते हैं।

आप परेशान नहीं होते हैं और पैसा आपके पीछे भागता है। जब आप महालक्ष्मी अवस्था में होते हैं तब कहते हैं कि लक्ष्मी आती हैं और आपके घर में जल भर देती हैं, ऐसे ही। तो कोई समस्या नहीं है। महालक्ष्मी सिद्धांत वह है जो आपको हर तरह की चीजें देता है जो आपको प्रसिद्धि के रूप में मिलती है फिर जीत भी, सफलता भी, संतुष्टि, गरिमा भी और ऐश्वर्या एक ऐसी संपत्ति है जो गरिमामय है। यह सब आप प्राप्त कर सकते हैं यदि आपका महालक्ष्मी सिद्धांत जागृत है। और फिर महालक्ष्मी सिद्धांत के माध्यम से ही आपको अपना बोध होता है। तो अब भारत में, उदाहरण के लिए, महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती के तीन मंदिर हैं। महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर में है, जो स्वयंभू है अर्थात धरती माता से प्रकट हुआ। और वहां है, यह तत्व है। और यह महालक्ष्मी मंदिर वहां लोग जाते हैं और इन नामदेव के गीत गाते हैं, जो आप ‘जोगवा’ योग प्रार्थना गाते हैं, क्योंकि केवल महालक्ष्मी नाड़ी में, जो सुषुम्ना है, ‘अंबे’ कुंडलिनी को उठना है।

इसलिए वे गीत गाते हैं कि आप यह हो… महालक्ष्मी नाड़ी में कुंडलिनी को उठने दो, वह उदे उदे अम्बे है, जिसका अर्थ है “हे कुंडलिनी तुम उठो”। लेकिन वे इसे महालक्ष्मी मंदिर में गाते हैं। किसी और, महाकाली या किसी और के मंदिर में नहीं बल्कि महालक्ष्मी के मंदिर में और लोगों को समझ नहीं आया कि ये लोग महालक्ष्मी के मंदिर में क्यों जाते हैं और गाते हैं। क्योंकि महालक्ष्मी मंदिर में ही, महालक्ष्मी नाड़ी में, इस कुण्डलिनी को उठना और जगाना है। अब यह महालक्ष्मी तत्व सबसे पहले श्री राम के समय सीता के रूप में प्रकट हुआ था। फिर यह बाद में महालक्ष्मी तत्व पर राधा, राधा के रूप में प्रकट हुई। रा का अर्थ है ऊर्जा, धा का अर्थ है ऊर्जा को धारण करने वाली। तो यह राधा के रूप में प्रकट हुई। और फिर यह ‘मारिया’, ईसा-मसीह की माँ के रूप में प्रकट हुई। वह स्वयं राधा है, लेकिन उसने अपने बच्चे की रचना खुद की।

जैसा कि राधा ने बनाया, उन्होंने, आप देखें, ‘देवी महात्म्यम’ में यह सब वर्णित है कि राधा, उन्होंने कैसे रूप बनाया और उन्होंने अपने बच्चे को भी बनाया जो कि हमारे प्रभु यीशु मसीह हैं। तो इस तरह मारिया के जीवन में महालक्ष्मी सिद्धांत सबसे अच्छा अभिव्यक्त हुआ। और फिर यह मारिया चुप रही। उसने कभी नहीं कहा कि वह कुछ भी थी। लेकिन ईसा-मसीह ने उसके बारे में कहा, और क्रूस पर उसने कहा, “माँ को देखो”। यानी महालक्ष्मी। महालक्ष्मी… महालक्ष्मी को देखना चाहिए। महालक्ष्मी। इसके कई मायने हैं। इसका अर्थ यह भी है, “आदि शक्ति को निहारना”।

इसका अर्थ यह भी है, “निहारना महालक्ष्मी को”, अर्थात नाड़ी। इसका अर्थ यह भी है कि आपका महालक्ष्मी तत्व। तो उन्होंने यही कहा। यद्धपि क्रूस पर वह बहुत पीड़ा में था, लेकिन उसने कहा, “माँ को देखो”। और यही महत्व है कि इन लोगों को अपने महालक्ष्मी तत्व का भी ध्यान रखना है और साथ ही उन्हें आरोहण और आदि शक्ति का भी ध्यान रखना है। लेकिन यह महालक्ष्मी सिद्धांत अब हमारे भीतर जागृत हो गया है क्योंकि वे सभी सहज योगी हैं और कुंडलिनी ऊपर आ गई है। लेकिन फिर भी हम कई बार अपना संतुलन खो बैठते हैं। हम बाईं ओर या दाईं ओर जाते हैं। सहज योग में कुछ लोग हैं, सहज योग में आए और पैसा बना रहे थे और वह सब और वे गिर गए। सहज योग में आने के बाद भी हम अपनी सारी बेतुकी बातें करते रहते हैं। तो अगर आपको उत्थान करना है तो आपको पता होना चाहिए कि हमारा महालक्ष्मी तत्व बिल्कुल शुद्ध होना चाहिए।

और वह पवित्रता हमें प्राप्त करनी चाहिए और हमें अपना सारा चित्त अपने सहस्रार पर लगाना चाहिए। क्योंकि सहस्रार में वे कहते हैं कि महालक्ष्मी विराटांगना बन जाती हैं। वह विराट की शक्ति है। विराट का मतलब है कि, आप स्थूल जगत कह सकते हैं। स्थूल जगत। तो मस्तिष्क में वह विराटांगना बन जाती है। और वहां उसे मस्तिष्क की देखभाल करनी है। तो यह महालक्ष्मी तत्व जो मस्तिष्क में प्रवेश करता है और आपको, आपकी चेतना को नए आयाम देता है। और बहुत सारा ज्ञान, बहुत सारा ज्ञान जिसे आप जानते हैं और आप वास्तव में बहुत गतिशील हो जाते हैं। तो महालक्ष्मी तत्व के साथ आपके साथ पहली बात यह होती है कि आप बहुत बुद्धिमान हो जाते हैं और आप बहुत सी चीजों को आत्मसात करना शुरू कर देते हैं, जो आप सामान्य रूप से नहीं करते।

मसलन, हिंदी गाना और मराठी गाना गाना आसान नहीं है। लेकिन आपने देखा है कि कैसे सहजयोगी इसे इतनी आसानी से गाते हैं। केवल सहजयोगी ही गा सकते हैं और कोई नहीं गा सकता। तो इससे पता चलता है कि यह आपको एक नया आयाम देता है। साथ ही आप ऐसे कई संगीतकारों के बारे में जानते हैं जिन्होंने मेरे समक्ष बजाया और अचानक बहुत बड़े संगीतकार बन गए हैं और भारत में बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति बन गए हैं। इसलिए भारत के सभी संगीतकार मेरा बहुत सम्मान करते हैं और वे हमेशा चाहते हैं कि मैं उनका संगीत सुनूं। साथ ही यह हमारे हर रचनात्मक क्षेत्र में होता है। जैसे यह आपके व्यवसाय में भी मदद करता है। हमारे पास कुछ व्यवसायी हैं जो सहज योग में आए, अब वे अत्यंत सफल व्यवसायी बन गए हैं। तो महालक्ष्मी तत्व न केवल हमारे आर्थिक पक्ष, भौतिक पक्ष पर, बल्कि हमारे रचनात्मक पक्ष पर भी कार्य करता है।

हमारी कला में, हमारे साहित्य की अभिव्यक्ति में और उन सभी चीजों में बहुत रचनात्मक बन जाते हैं। तो यह तत्व मुख्य सिद्धांत है जिस पर हमें टिकना है वह है महालक्ष्मी तत्व और मुझे बहुत खुशी है कि इस दिन हम इस लक्ष्मी पूजा को मना रहे हैं, जो अंततः महालक्ष्मी पूजा बन गई है। लेकिन समस्या यह है कि अभी भी लोग… इन्हीं चीजों में खोये रहेंगे जो बहुत खतरनाक हैं और हानिकारक हैं। उनमें से पहली शराब है; शराब लक्ष्मी के खिलाफ है। कहते हैं शराब एक तरफ से आती है, बोतल एक दरवाजे से आती है, लक्ष्मी दूसरे दरवाजे से बहुत तेजी से भागती है। तो आपने देखा कि जो लोग शराब पीते हैं उनका परिवार कैसे बर्बाद हो जाता है और उनके पास बिल्कुल भी पैसे नहीं बचते हैं। दूसरा यह है जिसे आप जुआ कहते हैं। जुआ बिल्कुल खिलाफ है, क्योंकि यह लक्ष्मी तत्व का अनादर है, यह लक्ष्मी तत्व का अनादर है। क्योंकि लक्ष्मी की प्राप्ति क्षरण द्वारा या छल से या किसी प्रकार के टोटके या खेल से भी नहीं होनी चाहिए। ऐसा नहीं करना चाहिए और जब किया जाता है तो यह उसका सम्मान नहीं है, इसलिए वह चली जाती है।

इसलिए एक व्यक्ति जो घुड-दौड़ में जाता है आप पाएंगे कि वह कभी अमीर नहीं हो सकता। आज वह अमीर होगा, कल वह भिखारी होगा। तो ये सभी चीजें सहज योग में हैं यहां तक कि जो लोग इसे,  जिसे आप शेयर बाजार और शेयर बाजार कहते हैं और वह सब खेलते हैं, लक्ष्मी तत्व के विरुद्ध है। यह कार्यान्वित नहीं करता है। तो लक्ष्मी तत्व अगर यह अच्छी तरह से काम करे, तो आप पैसे की समस्या से बाहर निकल सकते हैं। लेकिन उसके लिए जरूरी है कि आपको ध्यान करना होगा और अपनी नाभी को शुद्ध करना होगा। और नाभी दाहिनी ओर हैं, मैं तुमसे कहती हूं, अवश्य ही राज- लक्ष्मी है, जो स्वाभिमान की रानी है, मुझे कहना चाहिए। लेकिन बाईं ओर पत्नी, गृह लक्ष्मी है। और जब गृह लक्ष्मी, पत्नियाँ, समझदार नहीं हैं, अगर वे अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझती हैं, तो संस्कृत में कहा गया है “[संस्कृत शब्द]”: जहां महिलाएं आदरणीय है और सम्मानित हैं,  केवल वहीँ  देवताओं का निवास होगा।

तो ऐसा होता है कि जब गृहिणियां अपनी गरिमा खो देती हैं, अपना उद्देश्य खो देती हैं, जीवन में अपना लक्ष्य खो देती हैं, तो पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की कोशिश में वे भी बहुत स्वच्छंद और मूर्ख हो जाती हैं। तब समाज अस्त-व्यस्त होने लगता है। धीरे-धीरे आप पाते हैं कि समाज का एक बड़ा विनाश और पतन हो रहा है। ऐसा आज हम पश्चिम में पाते हैं कि हम इसे एक पतनशील समाज कह सकते हैं, बहुत पतनशील और इसके लिए मुझे लगता है कि पश्चिम की महिलाएं जिम्मेदार हैं। यदि महिलाओं ने अपने पैर जमीन पर रखे होते, तो यह इतना पतनशील कभी नहीं होता। लेकिन अब यह हो गया है, सभी सहज योगिनियों की जिम्मेदारी है कि वे अच्छी गृहिणी बनें, धार्मिक [अश्रव्य] के साथ रहें, दूसरों के प्रति दयालु रहें, अन्य सहज योगियों की देखभाल करें, मैंने आज उन्हें पहले ही बताया है कि उन्हें कैसे व्यवहार करना चाहिए अन्य लोगों से और वे वहां संरक्षित करने के लिए हैं। वे हावी होने के लिए नहीं बल्कि सहज योगियों के समाज को संरक्षित करने के लिए हैं। अब इस स्थान पर शायद यहाँ हमारे ‘पूर्वज’ कुछ बहुत ही धार्मिक चीजें करते रहे होंगे या बहुत धार्मिक लोग हुए होंगे या बहुत ईश्वरवादी हो सकते हैं, तभी तो मैं यहां आ सकी हूँ और हम यह पूजा यहाँ कर पा रहे हैं। तो यह उनके पुण्यों का फल है, उनकी अच्छी चीजें हैं जो इस पूजा को यहां लाई हैं, और मुझे यकीन है कि वे सभी यहां आशिर्वादित होंगे और उनकी आत्माएं खुश होंगी; और ऐसा होगा कि वे अपना बोध पाने के लिए फिर से जन्म लेंगे। इसलिए यहां आना और यहां इस पूजा को प्राप्त करना बहुत अच्छी बात है।

मैं यहां आने के लिए आप सभी की बहुत आभारी हूं क्योंकि यह जगह एथेंस से थोड़ी दूर है, लेकिन पूजा के लिए इतनी शांतिपूर्ण और सुंदर जगह और जैसा कि आप देख रहे हैं कि आज चंद्रमा का प्रथम  दिवस है, आज का दिन बहुत शुभ है और ऐसा कहा जाता हैं कि यह ‘मंथन’ की पहली रात को निकली लक्ष्मी है। तो वह समुद्र से निकाली गई, लक्ष्मी समुद्र से निकाली गई। और जो चौदह चीजें समुद्र से निकली थीं, उनमें से एक लक्ष्मी भी थी। और यूनानियों ने इस बात को समझा और उन्होंने जहाजों के बेड़े के लिए बहुत मेहनत की और उन्होंने अपना पैसा केवल शिपिंग की गतिविधियों से बनाया, और इससे पता चलता है कि उन्हें लक्ष्मी तत्व के बारे में बहुत अच्छी तरह से पता था। एथेना (ग्रीस कि देवी)यहां थी और एक बार मैं जाकर संग्रहालय की शख्सियत से मिली और उसने मुझे बताया कि हम एथेना में, एक देवी में विश्वास करने वाले रहे हैं।

लेकिन जब कुछ भारतीयों ने आकर हमें बताया कि यही देवी तीन रूप लेती हैं। ये महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के तीन रूप हैं। ये हैं तीन शक्तियां […], साथ ही उन्होंने कुंडलिनी के बारे में भी सुना होगा, जिस तरह से उन्होंने सर्प का रूप प्रस्तुत किया हैं। इसलिए हमारे लिए जरूरी है कि हम नई परंपराओं और नए व्यवहार और एक नए प्रकार का समाज की शुरुआत करें , एक नई जाति जिसे लोग देखें और जानें कि ये वही लोग हैं जो वास्तव में अपने महालक्ष्मी सिद्धांत पर काम कर रहे हैं। 

परमात्मा आप को आशिर्वादित करें।

बच्चों को मेरे पैर धोने के लिए ऊपर आना पड़ता है। सभी बच्चे, ठीक है। आना! यह तो बस शुरुआत है, अभी भी वहां नहीं पहुंचे है। ध्यान से; तुम्हारे पीछे एक प्रकाश है। मेरी तस्वीर है, लेकिन तस्वीर गायब है। यहां चैतन्य है| लोगों के साथ ऐसा ही होता है। यह छोटा सा प्रकाश उन तक पहुंचता है। वे सभी सहजयोगी बैठे हुए हैं। रेखाएं सब कुछ बांध रही हैं।

मां कहती हैं कि रेखाएं सबको बांध रही हैं। वे ॐ बनाते हैं। ओंकार बाद में ह्रदय की तरह लग रहा है। यहां ओंकार ने हृदय का रूप धारण कर लिया है। यह गणेश हैं। यहां प्रकाश माँ के नाम का रूप लेता है। तुम सब मेरे साथ एकाकार हो गए हो। मां कहती हैं हम सब मां के साथ एक हो गए हैं। अन्य सभी रोशनी भी नहीं दिखतीं। देखें कि माँ से कितना प्रकाश है और फोटो में अन्य लैंप से रोशनी दिखाई नहीं दे रही है।

ॐ………….. [अश्रव्य] मुझे आशा है कि आपने मेरे पिछले सहस्रार को देखा होगा जहां संपूर्ण [अश्रव्य] है। मेरे विचार से आप सभी को उन्हें देखना चाहिए। मुझे उन्हें अपने साथ ले जाना चाहिए। मुझे पता है.. देवताओं, एक बार इतनी सारी तस्वीरें हैं। एथेना और सूर्य का मंदिर; बहुत अधिक सूर्य ताप। ज़ीउस। तो यह आज बहुत अच्छा है क्योंकि आखिर लक्ष्मी एक … हैं…ज़्यूस परशुराम अवतार हैं और महालक्ष्मी। ये इटली के फूलदान हैं। नमस्ते! यह क्या है?

यह कितना मजेदार उपहार है। काफी दिलचस्प। एक द्वार है इसमें एक मध्य नाभी है और आप की तरह शहद से भरा हुआ है। जो आप हमेशा से देते आ रहे हैं। ये अंदर क्या है… मधु है? ओह शहद की बोतल। वहां नाभी है। यह खूबसूरत है। यह हास्यास्पद नहीं है। बहुत ही रोचक।

फिनिश योगिनियों ने आपके लिए स्वयं कुछ रोटी बनाईं। लेकिन क्योंकि पूजा में देरी हो गई थी, इसलिए यह थोड़ी सूख गयी [अश्रव्य] क्या मैं ले सकती हूँ? यह आपके लिए केवल एक प्रतीकात्मक उपहार है, माँ। यह लिया जा सकता है। बहुत अच्छा। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। यह खूबसूरत है। यह पानी के लिए क्या है? शरबत [शरबत ठंडा पेय] यह मूंगा है। कि वह पेंट करना नहीं जानती थी और अचानक उसने मुझसे पूछा।

उसे नहीं पता था कि कैसे पेंट करना है, उसने बस मेरे [अश्रव्य] से सहजता से पूछा कि उसने इसे चित्रित किया है। वह नहीं जानती थी कि कैसे पेंट करना है और क्या पेंट करना है, और अचानक उसके पास श्री विष्णु के प्रतीक डॉल्फ़िन हैं। श्री माताजी! डॉल्फ़िन दोस्ती का प्रतीक है और यह ग्रीक से, नोसोस से है। न केवल…। विकास डॉल्फिन पहली मछली थी जो धरती माता से निकली थी। देखिए विष्णु ने डॉल्फिन का भी रूप धारण किया। नहीं उसे भी पकड़ने दो, साथ चलो, सब बच्चों को पकड़ना है। हर बच्चे को इसे पकड़ना है, ठीक है। यह खूबसूरत है। यह बच्चों से है?

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। शैलजा कौन है? आपका क्या नाम है? जानकी। जानकी आ ! श्री माताजी बुला रही हैं। राधिका कौन है? सुंदर राधिका! आपने बहुत अच्छा किया है! यही है ना?

कौन हैं राधिका 5 साल? कमला कौन है? कमला कहाँ है? वो यहाँ नहीं है? वह सो रही है। गणेश कौन हैं? स्पेन का। क्या चल रही थी लड़ाई? निरानंद कहाँ है? वह राधिका है?

आह! खूबसूरती से आपने किया है। छोटी शक्ति कहाँ है? वह सो रही है जेन कहाँ है? वे सब सो रहे हैं? विद्या कौन है? आपका क्या नाम है? अच्छी पूजा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।