Diwali Puja: Joy and Happiness

Campus, Cabella Ligure (Italy)

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क्षमा करें, मुझे प्रवेश करने से पहले कुछ कहना था, लेकिन यह अच्छा है कि ऐसा घटित हुआ है, क्योंकि अब मुझे आपको कुछ बातें बतानी हैं जो कि जीवन में महत्वपूर्ण हैं और यह विशेष रूप से मुझे महिलाओं के लिए यह बताना होगा ।

मैंने देखा है – जाहिर है, मैं भी एक महिला हूं – कि महिलाओं के पास रोने, आंसू बहाने की कुछ जल-शक्तियां हैं, और सोचना कि वे बहुत दुखी हैं और हर किसी को दुखी करना । यह उनकी शक्ति है । मैंने ऐसा देखा है । मेरा मतलब है कि, यह गीत सबसे खराब गीत है जिसे आप किसी भी दिन गा सकें, जैसा भी हो । लेकिन यह किसी के दिमाग में आया है, बहुत नकारात्मक है । और केवल यह ही नहीं, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति को दर्शाता है जो कभी भी खुश नहीं रह सकता, और किसी की खुशी नहीं चाहता है । जबकि हर महिला के अंदर मातृत्व है, बड़ी क्षमताएं हैं, त्याग, सब कुछ है । लेकिन इसके साथ, उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि वे बायीं-पक्षीय हैं । और हमारा आनंद जिसके बारे में हम बात करते हैं, हमारे हृदय के अंदर, उसे बाहर अभिव्यक्त होना चाहिये । लोगों को यह दिखना चाहिए कि हम आनंद में हैं, कि हम लोग खुश हैं, कि हम दूसरों की तरह नहीं हैं जो छोटी-छोटी बातों पर रोने लगते हैं ।

जैसे जब मेरे पिता की मृत्यु हुई, मुझे आश्चर्य हुआ कि अचानक मैं निर्विचार हो गयी, पूर्णतया निर्विचार । लगभग तीन दिनों तक मैं निर्विचार रही, न तो दर्द का विचार या अप्रसन्नता का विचार या अन्य कुछ आया, बस केवल निर्विचार । और हर कोई आश्चर्यचकित था, क्योंकि मैं उनकी देखभाल करती थी, और मेरा मतलब है, वे मुझसे बहुत आसक्त थे, मुझे बहुत प्यार करते थे, सब कुछ था । लेकिन मैं आश्चर्यचकित थी, ऐसा कैसे हुआ कि मैं अचानक निर्विचार हो गयी ?

इसलिए यदि आप सहजयोगिनी हैं, तो संकट के समय आपको निर्विचार हो जाना चाहिए, यह एक प्रकार का संकेत है । मैंने अपने साथ देखा है, अगर परिवार में कोई संकट है, मैं सिर्फ निर्विचार हो जाती हूं । इसका क्या मतलब है ? यह की परमात्मा आपको अपने में ले लेता है, आपकी समस्याओं को, वह अपना हाथ रखता है, वह अपनी सुरक्षा आपको प्रदान करता है और वह आपको उस स्थिति से निकाल लेता है, और आपको पूर्णतया निर्विचार कर देता है । और उस निर्विचारिता में आपको पता चलता है कि क्या सही है, क्या गलत है । तो संकट में भी, यह निर्विचारिता हर समय अत्यंत सतर्क रहती है । यह सामान्य से बहुत अधिक सतर्क हो जाती है, यह सहजयोगी का संकेत है और सहजयोगिनी का संकेत है ।

लेकिन मैंने इसे देखा है, बहुत आश्चर्य की बात है, विशेषकर फ्रांसीसी भारतीय लड़कियों के साथ, जो यहां आई थी, मैं हैरान थी कि वे बहुत बायीं-पक्षीय थीं, रोने वाली प्रकृति की, बेतुकी । और पुन: इस गीत को सुनने के बाद, मैं आश्चर्यचकित थी, कैसे वे ऐसा गीत कैसे गा सकतीं हैं, फ्रांस से ? जैसा कि है, यह फ्रांस, आप जानते हैं: समस्या यह है कि वे बहुत पीते हैं । मुझे खेद है, आज फ्रांस ने यह सुंदर काम किया है, लेकिन बेहतर है कि मैं बताऊं । अब, जब वे पीतें हैं, तो उन्हें लगता है कि वे बहुत खुश हैं, वे बहुत आनंदित हैं, लेकिन आप जानते हैं कि यह कितने समय तक रहता है, यह बस खत्म हो जाता है और वे कष्ट उठाते हैं । लेकिन पीने के परिणामस्वरूप, वे बहुत बायीं-पक्षीय हो जाते हैं और …. यदि आप एक फ्रांसीसी व्यक्ति को देखते हैं, वह हमेशा दुखी होता है । यहां तक ​​कि यह कहने के लिए कि वह खुश है वह संकोच महसूस करता है, क्योंकि लोग सोचेंगे कि वो जाहिल है । इसलिये उसे एक दुखी व्यक्ति होना चाहिए “लेस मिसरेबल”, यदि वह नहीं है, तो वह फ्रांसीसी नहीं है ।

हम नहीं हैं, हम परमात्मा के साम्राज्य में हैं । किसी भी तरह से हम दुखी नहीं हैं, किसी भी तरह से नहीं । आखिरकार, जीवन में कुछ बातें घटित होती हैं, जीवन ऐसा ही है, किसी को मरना है, सब लोग एक साथ नहीं मरते – कल्पना कीजिये सबकी मृत्यु हो जाये, लोगों का क्या होगा, हमें कौन दफनाएगा ? मेरा मतलब है, सोच के देखो, अगर हम सभी एक साथ पैदा होते तो हमें कौन पैदा करता ? इसलिए प्रत्येक जो जन्म लेता है उसे मरना ही पड़ता है । लेकिन जिस तरह से उन्होंने मृत्यु को एक प्रकार का ओह ! जीवन की बड़ी घट्ना, बना दिया है, यह मात्र एक पल है, मात्र एक पल जो बीत जाता है । और आप जाते हैं और बदलते हैं, और फिर से वापस आ जाते हैं । लेकिन इस जीवन में, अगर आपको कुछ करना है, तो बस आनंद लेना है । अब तक जो उनका तत्त्वज्ञान है कि आपको शराबख़ाना जाना चाहिए क्योंकि, भगवान जानता है, जब हम मरेंगे, तो क्या होगा । इसलिए वे इसे दूसरे ढ़ंग से इस्तेमाल करते हैं, यह अंग्रेजी हैं, मैं फ्रांसीसी नहीं कह रही हूँ ।

लेकिन भारत में, जब किसी की मृत्यु होती है, तो वे वादक मंडली बुलाते हैं और सभी प्रकार का संगीत, और वे मृत शरीर के सामने बजातें रहते हैं । और वे क्यों बजातें हैं ? क्योंकि अगर वहाँ कोई भूत या अन्य कुछ होता हैं तो वे सभी भाग जाएंगे । साथ ही आपको दुखी नहीं होना चाहिए । उसे स्वीकार करें जो भी परमात्मा ने आपके लिये किया है, वो आपके भले के लिये है । और फिर वो बड़ा खाना करते हैं, दसवें के एक दिन बाद या तेरहवें दिन, बहुत बड़ा खाना करना होता है । यह बहुत आश्चर्य की बात है, आप जानते हैं, वह देश जो इतना गरीब है, यह इस तरह की समस्या है कि अगर पिता की मृत्यु हो जाती है, तो पूरा परिवार एक अनाथ जैसा हो जाता है, अनाथालय । इस सबके बावजूद, वे कोई काली पोशाक नहीं पहनते हैं । अन्यथा मैंने यहाँ लोगों को काले कपड़े पहने हुए देखा है । और एक महिला बहुत परेशान थी, उसने कहा “बैंक दस बजे खुलेगा, और मुझे अंतिम संस्कार में जाना है और मेरे गहने बैंक में हैं ।” लेकिन मैंने कहा “लेकिन आपके गहने आप अंतिम संस्कार के लिए नहीं पहनते हैं, क्या आप ?” “नहीं, नहीं, मेरे पास मेरे विशेष हैं, आपको पता है, मेरे पास बहुत अच्छे गहरे काले वाले हैं ।” और इसकी सबसे मुख्य बात, जिस दिन वे मरेंगे, उन्हें शँपेन लेनी ही चाहिए । जब व्यक्ति मरता है तो, शँपेन, जब वे घर वापस आते हैं तब एक बडा खाना और एक बड़ी पार्टी होनी ही चाहिए ।

तो इस तरह के विरोधाभासी जीवन में हम हैं, क्योंकि ईसाई धर्म में मृत्यु के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा गया है । ईसामसीह ने, अगर वो उन्हे जीवित रहने देते, इसके बारे में बात की होती । लेकिन उन्होंने कहा था कि आत्मा शाश्वत है । उन्होंने पुनर्जन्म की बात की थी, निसंदेह । लेकिन उन लोगों ने इस बारे में नहीं बताया । तो अब मृत्यु का मतलब है कि वह इंसान सदा के लिए खो गया है । या यह जीवन सदा के लिए खो हो गया है । फिर हम अधर में लटक जाते हैं, या हम कहीं और लटक जाते हैं, हम कभी वापस नहीं आते हैं । यह बिलकुल गलत है । ऐसा नहीँ है ।

तो आपको इस जीवनकाल में क्या हासिल करना है, सबसे बड़ी बात है, आपका उत्थान और परमात्मा के साम्राज्य में आपका स्थान । विशेष रूप से महिलाओं के लिए मुझे आपको बताना है, क्योंकि, आप देखिये, सब तरफ इन सभी दुखद घट्नाओं को पढ़ते हुए, इतनी सारी त्रासदियां, बाप रे बाप ! यह ग्रीक त्रासदी, यह त्रासदी, वह त्रासदी, यह बस महिलाओं की नसों में काम करना शुरू करता है । यदि कोई मामूली सी बात कह दे तो वह आक्सिमक बम की तरह हो जाती है, वे बस ऐसा व्यवहार करने लगती हैं जैसे कि “ओह, हे भगवान, क्या हो गया ? उसे ऐसा मुझसे नहीं कहना चाहिए था ।” लेकिन हम स्वयं के साथ क्या करते हैं, सबसे पहले हमें ये देखना चाहिए, हम स्वयं को क्या नुकसान पहुंचाते हैं, हम उसके लिए कभी नहीं रोते हैं । हमने देखा है कि कैसे पश्चिम की महिलाओं ने स्वयं को तबाह कर लिया है । वे उसके लिए कभी नहीं रोतीं, कभी नहीं, कभी नहीं। लेकिन वे रोतीं हैं अगर कोई उन्हें मामूली सी बात भी कह देता है । …. बेशक, भारत में भी । लेकिन, अन्यथा बहुत समझदार महिलाएं भी हैं, मैंने देखा है पूर्व और पश्चिम में, जिनके पास सहनशीलता की बड़ी समझ है, जीवन के प्रति राजसी रवैया है । जैसे कोई हाथी चल रहा है और कुत्ते भौंक रहे हैं, तो इससे क्या फर्क पड़ता है ? ऐसा वैभव तब आता है जब आपके भीतर वह आनंद होता है । “कोई भी मुझे दुखी नहीं कर सकता है” ऐसा ही, सिद्धांत होना चाहिए । “कुछ भी मुझे दुखी नहीं कर सकता है ।” अन्यथा, आप बाईं ओर जाना शुरू कर देतें हैं । या महिलायें रोने लगती है, और पुरुष बाईं ओर जाना शुरू कर देते हैं, और अचानक, पाते हैं कि उस पर दस भूत बैठे हैं । उस पर ये कैसे आते है ? “मैं कभी कब्रिस्तान नहीं गया, मैं ऐसी किसी जगह पर कभी भी नहीं गया, माँ, मैंने कभी किसी को मरते हुऐ नहीं देखा ।” “तो फिर आपको भूत कैसे लग गये ?” “मैं कभी किसी गुरु के पास नहीं गया ।” पत्नी को देखें, पत्नी एक रोती हुई गुड़िया है । हर चीज के लिए वह रोती है । यदि आप ऐसा नहीं करेंगे, तो रोना । यह एक दूसरे प्रकार की अहंकार की अभिव्यक्ति है, मैं आपको बता रही हूं, यह रोने की प्रवत्ति ।

इसलिए आज मैं आप सभी से एक वादा लेना चाहती हूं कि आप कभी भी रोने वाले नहीं हैं । फूलों के बदले, आप बस मुझे इस वादे का फूल दें । मैं कभी नहीं रोती । बेशक, कभी-कभी – “सांद्र करुणा” – एक आंसू या दो आंसू शायद मेरी आंखों से बाहर आ जाएँ । आखिरकार, मैं एक माँ हूं । लेकिन इस तरह नहीं, बैठना, रोना, रोना, अनियंत्रित मानसिक स्थिती का बनना । आपकी अपनी गरिमा होनी चाहिए । आप सभी सहज योगिनी हैं । ऐसी कोई भी किताब न पढ़ें जो रोने की बात करती हो । लेकिन जो किताबें गहरी होती हैं वे आपको महसूस कराती हैं कि आपको अंतर में बहुत छू गयी हैं, आपका रोने का मन कर रहा है, तो ठीक है । सिनेमा में वे एक महिला को अपने पति को प्रताड़ित करते देखतीं हैं, तो वे रो पड़ती हैं । घर पर, वे आएंगी और अपने पति को प्रताड़ित करेंगीं, क्या मतलब है ? मैंने ऐसे बहुतों को देखा है । सिनेमा में वे रो रही होंगी । जब बात किसी ओर की हो, तो वे दर्द को महसूस करती हैं, जब बात उनके अपने पर आती है तो वे कभी नहीं देखती कि वे क्या कर रही हैं ।

तो आज मेरी एक मांग यह है कि आपको रोना नहीं चाहिए । अब आप परमात्मा के साम्राज्य में हैं, और परमात्मा के साम्राज्य में आप रोते नहीं हैं । अब हमारे पास सारे संतों का दिन था, हमारे पास ये था, वो था, वे सब किया करते थे, भारत में उनके पास भी इस तरह की बेतुकी बातें हैं । ठीक है, उन्हें उनका हक़ दीजिये। लेकिन आप रो कर जश्न मत मनाइये । यह एक संकेत है कि आप वास्तव में आनंद मैं हैं । मेरा मतलब है, क्या गीत है सुनने के लिए ! मैं हैरान थी । इस गीत का सुझाव किसने दिया ? क्या मैं दोषी के बारे में पूछ सकती हूं ? मुझे पता है कि वो एक भारतीय महिला ही रही होंगी, होंगी ही ।

तो इन सुंदर चीजों को देखें जो उन्होंने बनाई हैं । अगर उनके स्वयं के भीतर कोई सुंदरता नहीं होती, तो वे बैठे होते और रो रहे होते । और क्या ? बेशक, वे लोग जो सुंदर हैं, वे कभी रोते नहीं हैं । शायद मगरमच्छ के आँसू कभी-कभी, बस दिखावा करने के लिए । लेकिन अंदर से वे रोते नहीं हैं । क्योंकि वे बहुत आत्मविश्वासी हैं, वे अपनी सुंदरता का आनंद लेते हैं, वे अपनी प्रतिष्ठा का आनंद लेते हैं, वे स्वयं का आनंद लेते हैं, उन्हें क्यों रोना चाहिए ? क्या ज़रुरत है ? और ऐसे व्यर्थ के आँसू किसी काम के नहीं हैं । तो आज हम यहां है, अपने आनंद का उपभोग करने के लिए, अपनी आत्मा का आनंद, निरानन्द, परमानन्द, इन सभी का उपभोग करने के लिए हम यहाँ हैं, जिनका मूल्य अनंत है । आपको यह अब समझना होगा कि अब, विश्वास करें कि आप परमात्मा के साम्राज्य में हैं । और आपके अस्तित्व की सभी सूक्ष्म सुंदरताए आपके सामने उजागर हो जाएंगी । आप स्वयं ही सारी सुंदरता को देख पायेगें । लेकिन यहाँ, अगर आपकी आँखें पहले से ही बंद हैं, अगर आपका ह्र्द्य पहले से ही बंद है और आप कुछ ऐसा नहीं देखना चाहते हैं जो इतना सुंदर हो, तो मैं यह कैसे कह सकती हूँ कि उन्होंने क्या सुंदर चीज़ बनाई है ?

जीवन में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि, एक बहुत ही सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाना । सहज योग के लिए भी । सहज योग में हमें स्वयं को भीतर में विकसित करना है । लेकिन ऐसा नहीं है। लोग कहेंगे “मेरी मां बीमार है, मेरे पिता बीमार हैं, मेरा भाई बीमार है, मेरी यह चीज, वो बीमार है ।” पहली, पहली बात यही है । मेरा मतलब है, कभी-कभी मैं सोचती थी कि मुझे आश्रम के बजाय सिर्फ एक अस्पताल शुरू करना होगा ! फिर दूसरा “मेरा पति ऐसा है, मेरे बच्चे ऐसे हैं, मेरी यह चीज वहां है, वो चीज ।” यह “मेरा, मेरा, मेरा” आप नहीं हैं ! आप क्या हैं ? आप एक सहजयोगी हैं । और सहज में, आपको यह जानना होगा कि आपके पास सभी प्रमाण हैं, आपके सामने जिससे आपको पता चले कि आप सहजयोगी हैं ।

अब अगर मुझे पता है कि मैं आदि शक्ति हूं, मान लीजिये, अगर मैं जानती हूं कि मैं आदि शक्ति हूं तो मैं जानती हूं । तो मुझे किसी से कोई मदद मांगने की जरूरत नहीं है, आख़िरकार मैं आदि शक्ति हूं, मुझसे यह आशा की जाती है सब कुछ करुं । यह मेरा काम है, क्योंकि मेरे पास वह शक्ति है । और मेरे पास वह शक्ति है बस सहज, मेरे पास वह शक्ति है, तो मुझे यह करना है । अब, मैं भी यह कह सकती हूं कि “मैं एक महिला हूं, मुझे बैठ जाना चाहिए और रोना चाहिए ।” पर नहीं, मेरे पास कोई अधिकार नहीं है, मैं चाहकर भी ऐसा नहीं कर सकती । मेरा काम आपको प्रोत्साहित करना है, आपको बताना है आपकी आंतरिक सूक्ष्मताओं के बारे में, आपकी सुंदरता के बारे में । अब क्या आप जानते हैं कि आप कितने सुंदर हैं ? आइए हम अपनी आंतरिक सुंदरता के बारे में बात करतें हैं । हम क्या हैं ? क्या हम सब ये पागल लोग हैं ? क्या हम सभी ऐसे लोग हैं जो हर समय दुखी रहते हैं, या क्या हम वे सभी लोग हैं जो हमेशा लड़ते रहते हैं, वो जो चीजों के प्रति हमेशा लालायित रहते हैं, वो, जिन पर यह बात हावी रहती हैं ? नहीं, हम आत्मा हैं । हम आत्मा हैं, हम सर्वशक्तिमान ईश्वर के प्रतिबिंब हैं, जो पवित्रता है, जो सत्य है, जो ज्ञान है । हम वो हैं । हम आम लोगों की तरह नहीं हैं । हम उस स्तर पर कैसे रह सकते हैं ? केवल यदि आप बाधित हैं, यदि आपका गुरु बुरा था या ऐसा ही कुछ, तो शायद आप यो-यो की ऊपर और नीचे तरह जा रहे हैं, ऊपर और नीचे, ऊपर और नीचे । लेकिन वो सब जो उन सभी सीमाओं को पार कर चुके हैं, जो उस अवस्था में पहुंच गए हैं, उन्हे इस बात को महत्व देना चाहिए कि वे आत्मा हैं ।

यहाँ इतनी सारी आत्माऐं बैठी हैं, सर्वशक्तिमान ईश्वर के प्रतिबिंब के रुप में । मैं ऐसी गौरवपूर्ण मां हूं, और आप सभी सक्षम हैं संसार के इतने सारे लोगो को जागृति देने के लिए । लेकिन आपके भीतर की सुंदरता यह है कि आप किसी अन्य से पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं । आप केवल स्वयं पर निर्भर हैं, अपनी आत्मा के स्रोत पर, अपनी आत्मा के आनंद पर । आप दूसरों से यह अपेक्षा नहीं करते कि वे आपको आनंद दें । मान लीजिए कि कल कोई आता है और मुझे गाली देता है । मैं कहूँगी, “सब ठीक है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता ।” यह मुझे कभी नहीं परेशान नहीं करता, क्योंकि मैं स्वयं के साथ हूं । वो जो बातें कह रहा है, इससे वो पीड़ित होगा या नही होगा, यह मुझे देखने का नही है ।

जब आप केवल अपने आप पर निर्भर होना शुरू करते हैं, बस एक घर की कल्पना करें जो चट्टानों पर खड़ा है, ऐसे हैं आप । इसे महसूस करने की कोशिश करें, अपने भीतर चट्टान को महसूस करें । समझने की कोशिश करें । हम अन्य लोगों की तरह व्यवहार नहीं करेंगे । यह सब ठीक है, जिन लोगों ने रेत पर अपने घर बनाए हैं उन्हें चिंता करनी है, हमें नहीं, हमने चट्टानों पर बनाया है । इसलिए हमें बहुत साहसी होना होगा । हमें बहुत निडर होना होगा, साथ ही बेहद विनम्र भी । जब पेड़ फलों से लद जाता है, तो वह नीचे की ओर झुक जाता है । इसलिए हम धरती माता की पूजा करते हैं, हम सूर्य की पूजा करते हैं, हम चंद्रमा की पूजा करते हैं, हम अपने आस-पास मौजूद हर चीज की पूजा करते हैं जिसने हमारी मदद की है, हम अपने माता-पिता की पूजा करते हैं, और सभी की । लेकिन सबसे ऊपर, हम स्वयं की पूजा करते हैं । क्योंकि हम पूजा करने योग्य हैं । अब आप सभी संत बन गए हैं । इसका मतलब यह नहीं है कि आप दाढ़ी बढ़ा लें और सभी प्रकार के अजीब कपड़े पहने और ऐसा सब कुछ – इस प्रकार का कुछ नहीं । आप संत हैं क्योंकि आपके अंदर सुगंध है, आपके कमल की सुंदर सुगंध, जो आत्मा है ।

यही वो कमल जिसे आपने मेरे लिए यहां बनाया है । ऐसा सुंदर कमल, मैं सुंदर कमल में बैठी हूं । उसी तरह आपके ह्र्दय में यह प्रतिबिम्बित होता है, यह एक सुंदर कमल है । उस कमल को महसूस करें, कितना सुंदर, कितना कोमल है यह । यह गुलाबी है, क्योंकि गुलाबी कमल है जो सभी को आमंत्रित करता है, उदारता का प्रतीक, निमंत्रण का प्रतीक । गुलाबी रंग सभी प्रकार के कीड़ों को आकर्षित करता है, हरेक को । तो कमल गुलाबी है, और यह हर चीज को आमंत्रित करता है, हरेक चीज के लिए खुला है, किसी चीज से भयभीत नहीं है । लेकिन यह कीचड़ से निकलता है, अत्यंत गंदे तालाबों से निकलता है, इसके आसपास बहुत सारे कीड़े होते हैं, ठीक है । लेकिन यह सुगंध का उत्सर्जन करता है और पूरे तालाब को इतना सुंदर बना देता है । ऐसे ही आप हो । आप जहां भी होंगे, आप ऐसी सुंदरता का सृजन कर सकते हैं, आप उस सौंदर्य को प्रवाहित कर सकते हैं । आप लोगों को दिखा सकते हैं कि एक आध्यात्मिक व्यक्ति क्या है । आप सहजयोग के परावर्तक हैं, मैं नहीं । आपको सहजयोग को प्रसारित करना है । लेकिन ऐसे लोग हमेशा आनंद में रहते हैं, और सुबुद्धि में ।

श्री गणेश सुबुद्धि के दाता हैं । सुबुद्धि : किस समय कैसा व्यवहार करना है, किस समय कैसे कहना है, हर बात के लिए कहां तक जाना है । यह स्वभाविक रुप से हो जाना चाहिए, सहज, आपको इसे कार्यान्वित करने की जरूरत नहीं है, लेकिन पता होना चाहिए कि “अब मैं एक सहजयोगिनी हूं ।” हर सुबह यदि आप स्वयं को कहें “मैं एक सहजयोगिनी हूं । इसलिए मुझे कहां तक जाना चाहिए ? मुझे कैसा व्यवहार करना चाहिए, मुझे व्यवहार करना चाहिए ? मेरा दृष्टिकोण क्या होना चाहिए ?” यह सब बहुत आसानी से समझा जा सकता है यदि आप सुबुद्धि के इस कमल को विकसित कर लेते हैं तो । कमल कैसे निकलता है ? एक बीज है जो अंकुरित होता है, ऐसी ही सुबुद्धि है ….बीज आपके भीतर पहले से ही है, आप सभी को मिला है, और अब यह अंकुरित होने लगा है, क्योंकि आप आत्मसाक्षातकारी हो गए हैं । अपनी सुबुद्धि को अपने आपको संभालने दें ।

तो आप इसे कैसे करते हैं ? एक रास्ता है, मैं कहूंगी “मान लीजिए माँ को यह समस्या होती, तो वे क्या करती ?” बहुत अच्छा विचार है । “वे इससे कैसे निपट्ती ?” तब आप यह कह सकते हैं कि “मैं नहीं, हम माँ के अंदाज को नहीं समझते हैं, वो तरकीबो से परिपूर्ण हैं ।” सही बात है, मैं हूँ ! लेकिन ऐसा करने का एक बहुत ही सरल तरीका है कि “मै अपनी सुबुद्धि पर इसको समर्पित कर देती हूँ ।” और यही सुबुद्धि आप में है वह सक्रिय है । यह काम करेगी । यह बात भी हमें समझनी चाहिए, आपके भीतर की सुबुद्धि सक्रिय है ।

लंदन में हवाई अड्डे पर एक सज्जन काम कर रहे थे । वे सहजयोगी हैं, लेकिन वे सामूहिकता में नहीं आते हैं, उसके पास समय नहीं था । तो किसी ने उनसे कुछ अपशब्द कहे, वे घर गए, और उन्होने कहा कि “यह अच्छा नहीं है,” जो उसने मुझसे कहा, “आखिरकार, मैं सहजयोगी हूं ।” और अगले दिन उन्होने सुना कि वो व्यक्ति उसकी मोटर-साइकिल से गिर गया था । वे सज्जन यह समझ नहीं पाए होंगे “क्योंकि उन्होंने ये सारी बातें कही थीं, इसीलिए उनके साथ ऐसा हुआ है ।” तो सुबुद्धि में आप समझ जाते हैं कि सभी देवता बस आपके साथ हैं । और जो कुछ भी आपके साथ होता है, वो आपके सामने होते हैं । कोई आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकता । कोई आपको छू नहीं सकता । आप इतने संरक्षित हैं । कमल संरक्षित नहीं होते हैं । आप इतने संरक्षित हैं कि यदि कोई भी आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तो तुरंत सुरक्षा मिलती है । साथ ही आपकी स्वयं की सुरक्षा भी है, जैसा कि मैंने कहा, कि आप निरविचारिता में चले जाते हैं ।

कभी-कभी, हम स्वयं को नुकसान पहुंचाते है, उससे ज्यादा, जो कोई और पहुंचा सकता है । मेरी एक दोस्त, मैं जानती थी, वह थी, वह शुरु से बचपन से ही ऐसी ही थी । हमेशा हर बात पर रोना, हमेशा वह बिना किसी कारण के रोती रहती थी, क्योंकि वह इतनी बिगड़ी हुई बच्ची थी कि वह हमेशा रोती रहती थी । अब, आश्चर्य हुआ देखकर कि छोटी उम्र में ही वो अंधी हो गयी थी । मैंने कहा, “तुम इतनी अंधी कैसे हो गई ?” उसे एक बहुत मोटा चश्मा इस्तेमाल करना पड़ता था और वह सब । उसने कहा, “मैं बहुत रोती थी, आपको याद है ।” मैंने कहा, “कि मुझे याद है, लेकिन क्या तुम पाठशाला की शिक्षा के बाद भी रोती थी ?” “हां, मैं हमेशा से इसी तरह रोती रही थी ।” तो यह एक तरह का व्यक्तित्व है जिसे अपने में विकसित करते हैं कि “मैं ऐसी ही हूं, मैं बस रोती रहती हूं ।”

लेकिन एक ऐसा व्यक्तित्व क्यों नहीं विकसित किया जाए कि “मैं हमेशा आनंद में हूं । मैं जो भी देखता हूं, मुझे खुशी महसूस होती है । मैं जो भी सुनता हूं, मुझे खुशी महसूस होती है । तब आपकी खुशबू का यह कमल सुधर जाएगा । और फिर, आपकी सुबुद्धि का कार्य यह होगा कि आप वह सब ले लेंगे जो बहुत सुंदर है, आसानी से, वह सब मिलेगा जो बहुत संतोषजनक है, बहुत सुखद है । यह आपके भीतर इस सुबुद्धि का एक प्रकार का कार्य है, जो आपको ऐसे लोगों की ओर ले जाती है, जो बहुत अच्छे हैं, उन स्थितियों के ओर जो बहुत खूबसूरत हैं, जहाँ आप अच्छी चीजों की खोज कर पाते हैं । या ऐसी सुंदर रचनाओं की ओर जिन्हें आप कभी देखने की उम्मीद नहीं करतें हैं । यह समझना बहुत बहुत महत्वपूर्ण है कि आप मुझे बताएं, “माँ कि ये चमत्कार हुआ, वो चमत्कार हुआ ।” यह कुछ भी नहीं है, आपकी ही सुबुद्धि है, आपकी अपनी आत्मा यह कार्यान्वित कर रही है । आपको कुछ करने की ज़रूरत नहीं है । आपको केवल यह याद रखना है कि आप एक सहजयोगिनी हैं और आपका चरित्र एक सहजयोगिनी जैसा होना चाहिए, आपके विचार सहजयोगिनी के जैसे होने चाहिए ।

इसी तरह सहजयोगियों के साथ भी । सहजयोगी, पुरुष होने के नाते, वे बहुत कुछ व्यक्त नहीं करतें हैं । लेकिन उनके स्वभाव को दिखाने के कुछ अन्य तरीके हैं । वे गुस्से में उलझ जाते हैं । और कभी-कभी गुस्सा इतना अधिक होता है कि आप देखने लग जाते हैं, “इस व्यक्ति के साथ क्या बात है ?” एक तरफ गुस्सा, दूसरी तरफ रोना । मेरा मतलब है, बीच में क्या रहता है, मुझे नहीं पता । दोनों की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है । आपको लोगों को बातें कहने के लिये सुधारना है । बस अभी मुझे कुछ कहना था, मैंने कह दिया, बात समाप्त । लेकिन यह गुस्सा नहीं है । यह सिर्फ, मुझे अभिनय करना था । अंतर इस तरह का है कि मैं इसमें उलझी नहीं हूं, भले ही मैं रोऊं, पर मैं इसमें उलझी नहीं हूं, मैं बस रो रही हूं । भले ही मैं गुस्से में हूं, पर मैं वास्तव में गुस्से में नहीं हूं, मैं सिर्फ एक अभिनय में गुस्सा करने की कोशिश कर रही हूं । ऐसा ही होता है, जब आप इसमें उलझते नहीं हैं । लेकिन अगर आप अपने क्रोध में उलझ जाते हैं, तो आनंद समाप्त हो जाता है, पूरी तरह से समाप्त हो जाता है

कुछ लोग यह भी सोचते हैं कि यदि आप खुश हैं, तो आपको बहुत गंभीर होना पड़ेगा । बिल्कुल भी नहीं । गंभीर होने के लिए यहां क्या है, इस दुनिया में इतना गंभीर क्या है ? सब कुछ मूर्खता है । मुझे इस दुनिया में कुछ भी गंभीर नहीं लगता । और मैं तीन मिनट से ज़्यादा समय तक गंभीर नहीं रह सकती । कभी-कभी लोग इसका फायदा उठाते हैं, लेकिन मैं क्या कर सकती हूं ? यही मेरा स्वभाव है । इतना गंभीर क्या है ? आपको सूरज की रचना करने की जरूरत नहीं है, आपको चाँद की रचना करने की ज़रूरत नहीं है, आपको धरती माँ की रचना करने की ज़रूरत नहीं है । इतना गंभीर क्या है ? आपको कौन से महान कार्य करने हैं ? आपके लिए यहां सब कुछ है, बस आनंद लीजिये । इतना गंभीर होने के लिए यहां क्या है ?

कुछ लोग, आप जानते हैं, अपनी गंभीरता से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं । एक बार मैंने एक महिला को खड़े देखा, बहुत गंभीरता से सोच रही थी । मैंने कहा, “आपको क्या है …. क्या समस्या है ?” “मैं नहीं जानती कि यहां कैसे झाड़ू लगाया जाए, मेरे पास झाड़ू नहीं है ।” मैंने कहा, “इतनी बड़ी समस्या है जैसे कि स्वर्ग गिर रहा हो ! कोई फर्क नहीं पड़ता, आज आप नहीं लगाइये । आप इसे कल कर सकते हैं, इतना क्या महत्वपूर्ण है ?” मेरा मतलब है कि अगर आपके पास कुछ नहीं है, तो ठीक है ।” “नहीं, नहीं, नहीं, मुझे लगाना ही चाहिए। आप देखिए, मुझे घर पर गर्व है ।” मैंने कहा, “यही मुख्य समस्या है, जो गंभीर है ।”

इसलिए, क्योंकि आप कुछ गंभीर बेकार की समस्याओं में ग्रस्त हैं, इसी कारण से आप गंभीर हो जाते हैं । और, गंभीर होकर, अगर आपको लगता है कि आपकी समस्याएं हल हो जाएंगी, तो वे नहीं होंगी । लेकिन साथ ही साथ, मुझे आपको बताना चाहिए कि हमें नासमझ नहीं बनना चाहिए । हमें अभद्र नहीं होना चाहिए, और न ही छिछोरा । ऐसा नहीं है ….  इन फूलों को देखें, उन्हें देखें, वे मेरे चैतन्य के साथ लहलहा रहे हैं, लेकिन उन्हें देखिए, उनकी अपनी गरिमा में । वे कल मरने वाले हैं, पर वे परेशान नहीं हैं । जब तक वे बिल्कुल ठीक हैं, वे अपने स्थान पर हैं, आपको आनंद और खुशी दे रहे हैं, बात समाप्त ।

एक दीपक का उपयोग क्या है, चलिये हम देखते हैं, एक दीपक के रूप में, जैसे हम हैं ? प्रकाश देने के लिए । इसलिए, हम यहां सबको आनंद और खुशी देने के लिए हैं, सभी को खुश करने के लिए हैं । दूसरों को खुश करने के बहुत सारे तरीके हैं । मैंने देखा है कि हमें सीखना भी होगा । इतनी सारी बातें हमें सीखनी हैं, दूसरों को कैसे खुश करना है । और फिर जब आप उन्हें खुश करते हैं, तब आप अपने भीतर उस आनंद को महसूस करते हैं । “ओह, वे बहुत खुश हैं !” उनकी खुशी देखें, तभी यह कमल और अधिक विकसित होता है, जैसे एक लहर चलती है, किनारे के छोर तक चलती रहती है, और फिर किनारे से वापस आप तक लौट आती है । उसी प्रकार, जब आपका आनंद दूसरों के आनंद तक पहुँचता है, तो आने वाले लहरें आपके जीवन का एक सुंदर स्वरूप बनाती हैं । बस ऐसी परिस्थितियों के बारे में सोचें, जहाँ आपने दूसरों के लिए कुछ अच्छा किया है, दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार किया है । और फिर आपको उस व्यक्ति में आनंद मिला, और कैसे वह आनंद आपके पास वापस आ गया । उस स्वरूप के बारे में सोचें जिसे आपने अपने जीवन में इतनी सूक्ष्मता से महसूस किया, यह अंदर कैसे बना है, जब भी आप सोचते हैं उस समय या उस क्षण या उस क्षेत्र के बारे, तो पूरी तस्वीर आपके सामने आ जाती है । और आप सोचते हैं, “क्या समय है !” लेकिन वह समय हमेशा के लिये आपके अंदर है, और इसीलिए दिवाली इतनी महत्वपूर्ण है । आप सब हैं, जैसा कि मैंने कहा, आप मेरा प्रकाश हैं, प्रकाश वहीं है जो एक शाश्वत प्रकाश है । ये दीपक समाप्त हो जायेगें, हमें उन्हें प्रत्येक वर्ष प्रकाशित करना होगा, लेकिन आप लोगों को नहीं । आपके पास अनन्त प्रकाश है, और यह प्रकाश आनन्द फैलाने वाला है ।

इस दुनिया की समस्या क्या है ? पूरी समस्या, आप समझ लीजिए । कहीं आनंद नहीं है । सरलता में, कोई आनंद नहीं है । अगर उनके पास आनंद होता तो, वे ये सब बेकार के काम नहीं करते, जिसमें कोई आनंद नहीं है ! जब आपके पास खुशी है, तो आप लड़ना नहीं चाहते हैं, आप ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहेगें जिससे किसी को हानि हो, आप किसी को कुछ भी अपशब्द नहीं कहना चाहेगें । इतना ही नहीं, आप ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहते जो धरती माता को हानि पहुंचाये या जो पर्यावरण की समस्या को पैदा करे, नहीं, आप यह बिल्कुल नहीं चाहते हैं । ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहते क्योंकि यह दूसरों को हानि पहुंचाता है । लोग इसे लेकर दुखी महसूस करते हैं चाहे वे यहां हो, भारत में, या और कहीं । आपको बस यही लगता है कि “मुझे ऐसा काम क्यों करना चाहिए जो दूसरों के लिए इतना अनुकूल नहीं है ?” मेरा मतलब है, यह आनंद देने वाला नहीं है । इसलिए जब आपके पास आनंद होता है तो, आपको आनंद देना भी होता है । और अगर आप खुशी देने वाले नहीं हैं, तो इसका मतलब है कि आपके सहजयोग में कुछ कमी है, और इसीलिए हमें अब ऊपर आना होगा । हमें सहजयोगिनी और सहजयोगी बनना है, जो कि आनंद देने वाला समाज है । आप चाहें तो हम अपना नाम बदल सकते हैं, यदि “सहजयोग” अच्छा नहीं है तो “आनंद देने वाली संस्था” ।

अब हमें यह भी पता लगाना चाहिए कि आनंद को क्या समाप्त करता है, यह महत्वपूर्ण है । आनंद को क्या मारता है ? मैंने पहले ही कहा है आपके पास सुबुद्धि होनी चाहिए । सुबुद्धि का अर्थ है कि यह आपको निर्लिप्तता देता है । निर्लिप्तता इन सब से : स्वार्थपरता, स्व-केन्द्रता, स्व-ग्रस्तता, अहंकार ; सब कुछ जो स्वयं से जुड़ा है, क्या आप कल्पना कर सकते हैं ? स्वार्थ जो स्वयं है, का अर्थ है आत्मा । स्वार्थपरता क्या है ? वह है जो स्वयं को पूरी तरह से अंधकार में कर देता है, क्योंकि आप सोचते हैं स्वयं के बारे में, अपने बच्चों के बारे में, अपने परिवार के बारे में, बस यही, अधिक से अधिक, वो भी कभी-कभी …. कभी-कभी केवल स्वयं के बारे में । और जब आप ऐसा सोचने लगते हैं, और जब आप शुरु हो जाते हैं तुच्छ बनना और तुच्छ, और तुच्छ और तुच्छ, तो कमल ढह जाता है । लेकिन दूसरों के बारे में सोचना इतना महान है ।

मेरे मामले में, यह अलग है । अगर मैं वास्तव में स्वयं के बारे में सोचती हूं, मैं आपको बताती हूं, मैं बहुत खुश, अच्छा, आनंदित महसूस करती हूं, मुझे यह आपको बताना चाहिए, मुझे स्वीकार करना चाहिए । लेकिन कुछ लोगों के बारे में सोचते ही, तुरंत मेरे चक्र पकड़ने लगते हैं और मुझे लगता है, “हे भगवान, मैंने ऐसे व्यक्ति के बारे में क्यों सोचा ?” मेरा मतलब है, चक्र उस व्यक्ति के लिए तेजी से चलना शुरू कर देते हैं, क्योंकि यह शरीर इतना उदार है, कि आप कल्पना नहीं कर सकते हैं, भले ही मैं किसी को देखती हूं, अचानक चक्र उस के लिए कार्य करना शुरू कर देतें है जैसे कि मैं जिम्मेदार हूं हर किसी के चक्रों के लिए, जो पकड़ गये हैं, जो मैं एक तरह से हूं, लेकिन इस हद तक । लेकिन फिर भी, मैं सोचती हूं उन लोगों के बारे में जो मुसीबत में हैं, आप सब के बारे में । क्यों ? मै क्यों सोचती हूँ ? क्योंकि मुझे पता है कि अगर मैं आपके चक्रों को सुधार सकती हूं, तो आप खुश होंगे । मुझे तर्कसंगत रूप से उस बात पर जाने की जरूरत नहीं है, लेकिन सिर्फ मेरा शरीर इसे जानता है । यह कार्य करता है । यह कार्य करता है और बहुत खुशी महसूस करता है । जब मैं किसी को अपना आत्मसाक्षात्कार लेते हुए देखती हूं तो यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात होती है । जब मैं किसी को समस्या से मुक्त होते हुए देखती हूं, तो मेरे लिए आनंद की बात होती है क्योंकि आनंद देना स्वभाव है, आत्मा का स्वभाव । यदि आप अपनी आत्मा को इसकी प्रकृति के अनुसार करने की अनुमति नहीं देंगे और इसके स्वभाव के अनुसार, तो आत्मा स्वयं अभिव्यक्त नहीं होने वाली है ।

तो आप वाहन हैं, आप दीपक हैं आप यह कह सकते हैं, जहां तक ​​शरीर, मन की बात है । लेकिन आत्मा का यह प्रकाश, अगर इसे अभिव्यक्त करना है, तो यह एक बहुत ही अद्वितीय प्रकार से होना चाहिए कि यह अपने सारे प्रकाश को बाहर प्रसारित करे, यह दूसरों को प्रकाश दे । और यह प्रकाश देने वाले गुण का आपको सुधार करना है, धीरे-धीरे । आपको आश्चर्य होगा, यदि आप प्रयत्न करते हैं अपने जीवन में, अपने रिश्तों में, अपने प्रयासों में, दूसरों को प्रकाश देने के लिए, उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए, दिखावा करने के लिए नहीं, अहंकारी होने के लिए नहीं, बल्कि बहुत प्रेममय, सुंदर तरीके से, आप सच में समझ जाएंगे कि आप आत्मा हैं, क्योंकि आत्मा प्यार करती है । यह प्यार करती है । और प्रेम में आप क्षमाशील होते हैं, बहुत क्षमाशील । कभी-कभी, अगुआ मुझसे नाराज हो जाते हैं कि मैं माफ कर देती हूं । मैं क्या कर सकती हूँ ? यही मेरा स्वभाव है, मैं इसे बदल नहीं सकती, क्योंकि मैं प्यार करती हूं, आप जानते हैं । यदि आप किसी व्यक्ति से प्यार करते हैं, तो आप क्षमा करते हैं । आप बुरा नहीं मानते । ‘क्षमा नहीं करना’ कठिन है, लेकिन क्षमा करना सबसे बेहतर है । कम से कम, जब आप क्षमा करते हैं तो आपके लिए कोई सिरदर्द नहीं रहता ।

तो यह प्रेम, जो खुशी है, जैसा वास्तव में मुझे लगता है, जब यह प्रेम प्रवाहित होता है और नदी की तरह बहता है जो पोषण देती है किनारे पर आस-पास के सभी पेड़ों को, यही समय है, वैयक्तिकता के पूरे होने का या एक व्यक्तित्व का जो प्रेम करता है । और यही समय है, उसे पूर्ती महसूस होती है । केवल ऐसा नहीं है कि आपके पास कोने में एक प्रकाश है, लेकिन इसे फैलना होगा, इसे आगे चलना होगा, इसको पोषण देना होगा । प्रेम कोई म्रत वस्तु नहीं है, जैसे पत्थर । जब यह प्रवाहित होता है, तो यह सब कुछ घेर लेता है, और इसके साथ सब कुछ बहुत सुंदर हो जाता है ।

इसलिए आपको पहले यह समझना होगा कि जीवन दूसरों को आनंद देने के लिए है क्योंकि आप अब संत हो गए हैं और आपके प्रकाश को आनंद प्रदान करना है । थोड़ा सा आपको सहन करना होगा, हां, आपके पास सहन करने की शक्तियाँ हैं, आपके पास सभी शक्तियां हैं। और इसलिए मैं शुभकामनाएं देती हूँ अगले वर्ष के लिये और बहुत समृद्धि के लिये ।

परमात्मा आपको आशिर्वादित करे ।