Public Program Day 1 (भारत)
Public Program [Hindi]. Hyderabad, Andhra Pradesh (India), 11 December 1991. सत्य को खोजने वाले आप सभी साधकों को हमारा नमस्कार। हम जब सत्य की बात कहते हैं तो यह पहले ही जान लेना चाहिए कि सत्य अपनी जगह अटल और अटूट है। उसे हम बदल नहीं सकते उसे हम अपने दिमाग से परिवर्तित नहीं कर सकते और उसके बारे में हम कल्पना भी नहीं कर सकते। सबसे तो दुख की बात यह है कि इस मानव चेतना से हम जान भी नहीं सकते कि सत्य क्या है। हम लोगों को यह सोचना चाहिए कि परमेश्वर ने यह इतनी सृष्टि सुंदर बनाई है, इतने सुंदर पेड़ हैं, फूल है, फल है, हमारा हृदय स्पंदित होता है यह सारी जीवित क्रिया कैसे होती है। हम कभी विचार भी नहीं करते यह हमारी आंख है देखिए कितना सुंदर कैमरा है। हम कभी विचार भी नहीं करते कि यह इतना सुंदर कैमरा, इतना बारीक, इतना नाजुक, किसने बनाया है और कैसे बनाया है। हम तो इसको मान लेते हैं, बस है हमारी आंख है, लेकिन यह आपके पास आई कैसे, इसके बनाने वाली कौन सी शक्ति है। यही शक्ति है जिससे कि पतंजलि योग में ऋतंभरा प्रज्ञा कहा गया है और उसे परम चैतन्य, ब्रह्मचैतन्य, रूह, ऑल परवेडिंग पॉवर ऑफ़ गोड्स लव कहते हैं। यह सब उसी एक शक्ति के नाम है, वही जीवंत शक्ति सभी कार्य करती है। उसी ने हमें अमीबा से इंसान बना दिया लेकिन अब हमें यह जानना चाहिए कि अगर इंसान बनाना है, आखिरी कार्य था तो इंसान तो Read More …