Shri Ganesha Puja

(भारत)

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(श्रीमाताजी निर्मला देवी, श्री गणेश पूजा, कलवे (भारत, 31 दिसम्बर 1991)

मैं उनको बता रही थी कि श्री गणेश की पूजा करना कितना महत्वपूर्ण है। आप सब फोटोग्राफ्स ( माइरेकल फोटोग्राफ्स) आदि के माध्यम से जानते ही हैं कि वे जागृत देवता हैं और उनका निवास स्थान मूलाधार पर है। वास्तव में वह सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं … मैं कहना चाहती हूं कि वह तो सारे चक्रों पर विराजमान हैं। उनके बिना कुछ भी कार्यान्वित नहीं हो सकता क्योंकि वह तो स्वयं साक्षात्
 पवित्रता हैं। अतः जहां भी हमारी कुंडलिनी जाती है वह वहां वहां पवित्रता की वर्षा करते हैं और उनकी स्वच्छ करने की शक्ति के कारण श्री गणेश आपके चक्रों को स्वच्छ करते हैं। अतः श्री गणेश के गुणों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि किस तरह से वह आपके चक्रों पर कार्य करते हैं और किस तरह से वह आपकी सहायता करते हैं। हम उनकी कितनी ही पूजा करें, कितना ही उनका गुणगान करें लेकिन हमें
 यह भी देखना है कि हमने उनकी पवित्रता, पावनता और विवेकशीलता जैसे गुणों में से कितने गुणों को आत्मसात् किया है। हमें यह समझना है कि विवेक कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे किसी के अंदर जागृत किया जा सके या इसे सूझ-बूझ से किसी के अंदर स्थापित किया जा सके। ये तो एक ऐसा अंतर्जात गुण है जिसे परिपक्वता से ही प्राप्त किया जा सकता है और इस परिपक्वता को कुंडलिनी पर चित्त डालकर ही प्राप्त
 किया जा सकता है ….. कुंडलिनी को परमात्मा की सर्वव्याप्त शक्ति से जोड़कर ही प्राप्त किया जा सकता है। और ऐसा नियमित ध्यान धारणा करके ही संभव हो सकता है। ध्यान कर्मकांड नहीं है परंतु आप जब भी चाहें ध्यान कर सकते हैं और कुछ समय बाद आपको स्वयं लगने लगेगा कि आप सदैव ध्यान में ही हैं। आपको ध्यान के लिये बैठने की आवश्यकता भी नहीं है लेकिन आप हर वक्त ध्यान में होते हैं। उनकी शैली
 इतनी महान है कि उसका वर्णन करने के लिये शब्द कम पड़ते हैं। मैं जो चीज आपको बताना चाहती हूं वह यह कि वह एक नन्हें बालक हैं ….. एक चिरबालक हैं और इसी गुण के कारण … चिरबालक होने के कारण वह एक बच्चे सम अबोध हैं। हम अबोधिता को किसी पर थोप नहीं सकते क्योंकि हम बड़े हो चुके हैं और हमने इस दौरान काफी कुटिलता सीख ली है। जब कुंडलिनी जागृत होना प्रारंभ होती है तो वह हमारे चक्रों को
 आशीर्वादित करने लगती है और स्वयं ही हमें लगने लगता है कि हम अबोध बनने लगे हैं। हमारे हृदय, मस्तिष्क और प्रेम सभी में अबोधिता दृष्टिगोचर होने लगती है। यही सरल अबोध व्यक्तित्व एक अच्छे सहजयोगी का लक्षण है। और तब वह निश्चित रूप से अपने अनुभव से जानता है कि उसकी देखभाल श्रीगणेश के गणों द्वारा की जा रही है। चाहे आप रूस या इंग्लैंड या फिर भारत में हों … वे सभी जगह विद्यमान हैं
 और आपको देख रहे हैं … वे आपका मार्गदर्शन कर रहे हैं …. आपकी सहायता कर रहे हैं और ये सभी बातें आपको अपने अनुभवों से ज्ञात हुई हैं और आप जानते ही हैं कि कितने लोग इसके बारे में …. अपने अनुभवों के बारे में लिख चुके हैं कि हम अभी तक उन्हें एक पुस्तक के रूप में भी संकलित नहीं कर सके हैं। लेकिन ये सभी गण अत्यंत दयालु और अत्यंत अच्छे हैं…. लेकिन उससे भी ज्यादा बड़ी बात ये है कि ये सदैव
 आपको देखते रहते हैं …. आपके व्यवहार को देखते रहते हैं। यदि किसी कारणवश आपने सहजयोग का फायदा उठाने का प्रयास किया तो उनके द्वारा आपको सजा दी जा सकती है और वे आपके विरोध में भी खड़े हो सकते हैं। मैंने आपको कई बार चेतावनी भी दी है कि अपने लाभ के लिये सहजयोग का फायदा न उठायें। आपको आत्मसाक्षात्कार मिल चुका है। लेकिन आपको इसका फायदा बिल्कुल नहीं उठाना चाहिये। इसके विपरीत
 सहजयोग का आनंद उठाते हुये सहजयोग को जानना सबसे अच्छी बात है। अब तक हमें कुछ बुरे अनुभव भी हुये हैं … परंतु बहुत ही कम।
आश्चर्य की बात है कि जो लोग गणपति का …ग.. भी नहीं जानते थे वे भी श्री गणेश के बहुत बड़े भक्त बन चुके हैं और उन्हें अबोधिता और पवित्रता का महत्व भी समझ में आने लगा है। आज मैं काफी उदास हूं कि आज सभी योगीजन अपने-अपने देश लौट जायेंगे और मैं आशा करती हूं कि वे अपने-अपने देशों को श्रीगणेश की इस पवित्रता को अपने साथ ले जायेंगे जिसकी उनके देशों में बहुत अधिक आवश्यकता है …. इसको वहां
 फैलाये जाने की आवश्यकता है। इसके लिये आपको इच्छा मात्र करनी है और ये कार्य हो जायेगा। मैं जानती हूं कि बहुत जल्दी चीजें बदल जायेंगी और आप सब लोगों का अच्छा ….. बहुत अच्छा समय आयेगा। मुझे यह भी मालूम है कि कई लोग इस सत्य की खोज में है और वे इस पवित्रता को भी खोज रहे हैं। अतः आपको मात्र इतना करना है …. खोज करनी है कि वे कौन से लोग है जो सत्य के साधक हैं … आप उन्हें खोजने का प्रयास
 करें। लेकिन उऩ्हें ढूंढने के बाद उनके साथ वाद विवाद न करें …. बस उन्हें आत्म साक्षात्कार दे दें … उन्हें चैतन्य का अनुभव करने दें और फिर सब अपने आप ठीक हो जायेगा। इस विश्व में बहुत सी बेकार बातें हैं … कई चीजें झूठ से भरी हुई हैं … लेकिन कोई बात नहीं। सारा झूठापन …सभी ऐसी चीजें आपके सत्य द्वारा ….. सत्य के प्रकाश के द्वारा आसानी से मिटा दी जायेंगी। परमात्मा आप सबको
 आशीर्वादित करें।