Shri Mahavira Puja

New Delhi (भारत)

Feedback
Share
Upload transcript or translation for this talk

श्री महावीर पूजा, नयी दिल्ली, भारत

कह रहे है की आज महावीर जयंती है। बड़ा अच्छा दिन है। और महावीर जी जो थे, वो हमारी इडा नाडी पर उनका राज्य है। और हमारे अंदर जो संस्कार, कुसंस्कार ये सब होते है उसको वो ठीक करते है। और उन्होंने नर्क की व्याख्या की है। नर्क के बारे में बताया की नर्क क्या है। मनुष्य नर्क में जाता है, तो उसका क्या हाल होता है और उसकी क्या दुर्दशा होती है, बहुत गहनता से समझाया उन्होंने। बुद्ध और महावीर दोनों समकालीन थे, और दोनों का ही जीवन बहुत तपस्विता का था। दोनों ही राजपुत्र थे, और तो भी उन्होंने अपने को बहुत तपस्या में ला के मनन से जान लिया की, जब मनुष्य गलतिया करता है और left side में जाता है तो कैसे नर्क में उतर के उसकी क्या दुर्दशा होती है। नर्क तो यही संसार में ही हमें भोगने का है। मरने से पहले ही मनुष्य भोग सकता है अगर वो बहुत ज्यादा पापी हो, और वो पाप करते ही जा रहा है, उससे भागता नहीं और समझता भी नहीं की ये गलत काम है। तो ऐसे लोग आजकल के आधुनिक काल में अपने आप ही नष्ट हुए जा रहे है, अंदर से ही। उसके लिए कोई बाह्य की शक्ती की जरुरत नहीं है, क्योंकि उनको दुर्बुद्धि ही इतनी आती है की, अपने को किस तरह से नष्ट किया जाय इसी की व्यवस्था करते है। कभी कभी ये भी सोचते है की हम बहुत ठीक है, हमे कौन हाथ लगा सकता है, ऐसे भी बहुत से लोग है। उन सबका का ही इस सत्ययुग में मर्दन होने वाला है। इतना ही नहीं जो लोग मनुष्य स्थिती से ऊँचे नहीं उठेंगे, न जाने उन में से कितने इस संसार में रह सकेंगे। क्योंकि, इतनी असुरी शक्तियां चल पड़ी है और इस तरह से वो आकृष्ट करती है लोगों को। लोग इसमें इस तरह से फसं रहे है की उस गर्त से बचना मुश्किल है। सहज ही एक ऐसा मार्ग है जिसमे हम इस दलदल से निकल सकते है और अपने को एक ऊँचे स्थान पे ले जा सकते है। अपने साथ हजारों को खीच भी सकते है और उनका भी जीवन बना सकते है। महावीर जी ने जो कुछ भी समझाया वो न जाने कितने जैन समझते है और बड़ी विडंबना उनकी की गयी है। जो बातें उन्होंने कही भी नहीं वो लगाके उनकी बड़ी विडंबना की है। ये तो सभी के बारे में हुआ, सभी बड़े बड़े अवतरणों का यही हाल रहा है। और अगर महावीर जी का भी लोगों ने ऐसा ही विपर्यास कर दिया तो उसे क्या कह सकते है , किसे दोष दे सकते है? सहज में हम लोग महावीर जी को बहुत मानते है और ये भी मानते है के वो भैरवनाथ के अवतरण है। इतना ही नहीं उन्होंने अनेक बार जन्म लिया और बाद में हसन हुसेन के जैसे हुसेन बनके वो आये थे। इसको बायबल में भैरवनाथ को Saint George भी कहते है कोई लोग और कोई लोग Saint Michael भी कहते है। सो ये आश्चर्य की बात है की लंदन जिसे हम ह्रदय मानते है, वहा का जो एंजेल है वो Saint George है, माने वो भी भैरवनाथ को मानते है। बराबर है क्योंकि अगर शिवाजी का स्थान ह्रदय में है वहा भैरवनाथ का होना जरुरी है। बहुत सी ऐसे बातें है की जो समझ कर पढ़ी जाये तो इतनी आपस में जुटी हुई लगती है और उनका सम्बंध न जाने कैसा है अपने आप घटित हुआ है। सहज की शक्ती में आप लोग विभोर हो जाते है, आनंद उठाते है, ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। सब संसार में लोग आनंद से रहे, सुख से रहे, परमात्मा ने ये सृष्टि आप के लिए बनाई है, इसका आनंद आप उठाएं इससे ज्यादा और क्या चाहते है? आप के अंदर अनेक शक्तियां है, उसको भी आप उपयोग में लाते है, उसका इस्तेमाल करते है, और आपने दूसरों को भी बहुत आनंद दिया हुआ है। ऐसे तरह से जैसे आपने कहा सहज का परिवार बहुत बढ़ना चाहिए और जितने लोगों को बचा सकते है बचना चाहिए। खासकर हमारे बच्चों के लिए बहुत ध्यान देना चाहियें, आजकल बहुत गलत सलत तरह की संस्कृती चल पड़ी है। इसमें अपने बच्चें बह रहे है, उनकी ओर चित्त देना चाहिए, ख़याल करना चाहिए, सहज में उतरने से फिर वो इधर उधर नहीं जायेंगे।
दिल्ली के वातावरण में सहज इतना जम गया है, ये बड़ी अच्छी बात है। यहाँ बहुत जरुरत है सहज की। सबसे ज्यादा मुझे लगता है दिल्ली में जरुरत है, क्योंकि यहाँ पर सारा राजकारण है, यही से राजपाट चलता है। धीरे धीरे आप लोगों के ही माध्यम से परमचैतन्य कार्यान्वित होगा और मुझे पूरी आशा है की अगले साल फिर जब मै यहाँ आउंगी तो अनेक लोग सहज में उतर जायेंगे।
[Clapping]

एक ही बात अब मुझे लगती है की इतने लोग सहजयोगी हो गए है, इतने लोग है सहजयोगी, लेकिन मै सबकी शकले तक नहीं जानती। ऐसे तो पहचान लेती हूँ शकल से, लेकिन मै पहचानती नहीं उनको की ये कौन हे, ये कौन है? तो आप लोगोंको अल्बम बनाना चाहिए, और उस अल्बम के द्वारा सबके जो भी लोग है उनके एक-एक फोटो अगर आप लोग भेज दे। मेरी आदत है सबेरे उठा के मै ऐसे अल्बम देखती रहती हूँ। सब देश से आये है, कुछ महाराष्ट्र के भी है। मैंने आप लोगों के लिए अल्बम की व्यवस्था की हुई है, तो आप सब लोग अगर कृपया अपना एक-एक फोटो रखे, उसमे नाम, कब realization हुआ तो बड़ा अच्छा रहेगा।
सबने दिया।
सब लोग कह रहे है की अगले साल भी जन्मदिन यही मनाया जाय, लेकिन इतने पैमाने पे नहीं होना चाहिए, बहुत ज्यादा हो गया।

सहजयोगी: इससे भी बड़े पैमाने पर होना चाहिए…[Clapping]
अनेक चमत्कार भी हो गए उसमे और बहुत सारे अच्छा भी लगा और तरह तरह की सब चिजे हो गयी। इस पर मैंने पहले भी विचार किया था की हमारी कला की दृष्टी से कैसे उन्नती होनी चाहिए, तो योगी जी के पास में मैंने उसकी कॉपीज दी हुई है। जो महाराष्ट्र में हम कर सकते है उसे यहाँ भी कर सकते है, जिससे हम में कलात्मकता आ जाय, और हमारी कलात्मक स्थिती भी ठीक होती जाये। जैसे नाटक, तरह तरह की चिजें मैंने उन्हें सब लिखा दिया है। अलग अलग प्रांगण में कार्य करना चाहिये।
सहजयोग अपने लिए नहीं है, सारी दुनिया के लिए है, पर सिर्फ आध्यात्म के लिए नहीं है। लेकिन आध्यात्म को संसार में उतारने के लिए है। जैसे कबीरदासजी ने कहा है की, मन मामताए याने left side को मै पंच महाभूत में मिला दूंगा, माने right side में, पंच महाभूत right side में है और मन ममता left में है, इसको इसमें मिला दूंगा, येही चीज है की जो हमारी फीलिंग्स (feelings) है, जो हमारी कलाएँ है, उसको हम पंच महाभूत में मिला देंगे। कलात्मकता और अनेक तरह के से जो हमारे मन में उठने वाली सृजन शक्ती है, जो हमारे अंदर क्रिएटिविटी (creativity) है उसको express करने के लिए, उसको व्यक्त, अभिव्यक्ति करने के लिए जो जो हम कर सकते है करना चाहिए, तो एक विशेष चीज हो जाएगी। सहजयोगी अगर कोई काम करते है, तो उसकी एक विशेष चीज होती है। जैसे बड़े-बड़े कलाकार जितने भी संसार में हो गए है सब realized souls थे, और वो realized souls नहीं तो उनकी कला इतने सालों तक चलती ही नहीं। कोई भी कला जो realized souls ने नहीं की है वो नष्ट हो गयी है, बंद हो गयी है। उसके प्रती किसी को भी आदर नहीं है। तो कोई सी भी ऐसी इच्छा नहीं है, जिसमे हम घूम नहीं सकते, विचरण नहीं कर सकते। किसी भी दिशा में जहा भी हमारा शौक हो कहना चाहिए, जहा हमारा interest हो उस तरफ सबको सोचना चाहिए की हम क्या कर सकते है, इसमें कैसे आध्यात्म ला सकते है और आध्यात्म लाना बहुत जरुरी है। क्योंकि आध्यात्म गर सिर्फ आपके तक सिमित रहा तो ये जो नया युग है इसमें आध्यात्म एक saint का नहीं है, एक ग्रुप का नहीं है लेकिन सारे विश्व का है। इसलिए हर जगह इस आध्यात्म का स्वरुप दिखाना चाहिये और आशा है की थोड़े दिन में हम लोगोंको दिखायी देगा की हम लोगों की रहन-सहन में, बातचीत में, बोलने में, हर चीज में, सहज का असर आया हुआ है। और जिस दिन ये असर हमारे अंदर आ जाता है, लोग पहचान लेते है की ये कोई और चीज है। तो सहज की धारणा अंदर होते ही अनेक आप खुद तराशी साधते है, आप देखते बहुत से चमत्कार होते है, सब कुछ होता है, पर ये आप तक सीमित नहीं रखना है। इसको सब जगह बढ़ाना है, सब तरह के आयाम में dimension में इसको आपको दिखाना है। और वोह बहुत आसन चीज है। अब देख रहे है आप की म्युझिक में यही लोग कंपोज़ कर रहे है, यही लोग बना रहे है, येही कर रहे है। अब ये ही अगर आप villages में ले जाये, एक पार्टी चली गयी, आज भजन होने वाला है तो वहां villages में लोग आ जायेंगे। उनके सामने भजन गाईये। इससे बढ़ के तो और कोई प्रचार कार्य हो ही नहीं सकता। महाराष्ट्र में जो कुछ प्रचार किया जाता है अब तो भजन के ही through (द्वारा) । तो इस तरह से थोडा सा समय अगर दे, रविवार के दिन श्याम को या कुछ, सब लोग पार्टी ले के चले गए किसी गाव में भजन होनेवाला है, कोई नाटक बना लिया , कोई कुछ और इस तरह से लोगों के समझ में आएगा की हम है क्या और हमें क्या करना है। इस मामले में मै कहूँगी की परदेस में बहुत तरह तरह के बड़े अछे नाटक लोगों ने बनाये है। और म्युझिक भी बहुत अच्छा बिठाया हुआ है। खासकर उनको अब Indian Music (भारतीय संगीत) इतना अच्छा लगने लगा है की अपने म्युझिक की तरफ इतना ध्यान नहीं पर अपना भी म्युझिक बहुत उच्च श्रेणी का, बहुत high class बनाते है। बहुत ही high class। इसी प्रकार हम लोगों को भी और वो ऐसा होना चाहिए, इतना उच्च श्रेणी का होना चाहिए की हम लोग उसको सारी पब्लिक के सामने दिखा सकते है। धीरे धीरे धीरे धीरे आप देखियेगा की आप में ही सृजनता, creativity अपना पूरा असर दिखायेगी और फिर ये लोग भी क्या है जो बनाते है, नाटक, कुछ भी करते है, ये लोग भी क्या है? इंसान ही तो है लेकिन हम तो सहजयोगी है। तो हमारे अंदर बहुत सारी ऐसी शक्तियां है जिसके द्वारा हम लोगों को समझा सकते है, दिखा सकते है, आध्यात्म का परिचय दे सकते है।
तो आज इसे लिए मै कह रही हू की left side जो है ये संगीत, कला इसमे जो भावना है वो दिखाती है। माना की सरस्वती ने स्वर बनाया, सब कुछ किया उसके अंदर जो भावनाएं है उसके अंदर की भक्ती है, वो जो है वो महावीर के ही आशीर्वाद से ही आती है। महावीर ने बड़े इस पर मेहनत की मै कहती हूं क्योंकि उसने लोगों को डरा दिया, बता दिया की देखो गलत रास्ते पे जाने से तुम नर्क में जाओगे और सही रास्ते पर जाने पर क्या होगा की आप आनंद से विभोर हो जायेंगे, तो वो आप देख रहे है उसका प्रत्यक्ष आज।
इस तरह से हमें अपनी भक्ती को बढ़ाना चाहिये और भक्ती बढ़ाना ही महावीर का कार्य था, उसको सोच कर के आज के दिन बड़ी ख़ुशी हुई के आज ही के दिन ये सब कार्य भी हुआ, महावीर जयंती भी है और जो उनका कार्य था उसी को आप लोग सब कर रहे है। अनंत आशीर्वाद।