ईस्टर पूजा। सिडनी (ऑस्ट्रेलिया), 3 अप्रैल 1994।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आप यहाँ बहुत संख्या में आए हैं – और मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पूजा है, न केवल ऑस्ट्रेलिया के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए, क्योंकि इसमें सबसे बड़ा संदेश है जिसे हमने अब सहजयोग में साकार किया है।
हमें ईसा मसीह के संदेश को समझना होगा। इस दुनिया में बहुत से लोग हैं जो यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि वे बहुत महान तर्कवादी हैं और उन्हें कोई भी टिप्पणी करने का अधिकार है, जो उन्हें ईसा मसीह के बारे में पसंद है।
अख़बारों में आज मैं पढ़ रही थी, मुझे आश्चर्य हुआ कि वे सभी एक-एक करके यह कह रहे हैं कि, “मैं ईसा मसीह के इस हिस्से को अस्वीकार करता हूँ कि वे निरंजन गर्भधारण से पैदा हुऐ थे। मैं अस्वीकार करता हूँ कि वे पुनर्जीवित हो गए । मैं इसे अस्वीकार करता हूँ और मैं उसे अस्वीकार करता हूँ। ”
आप हैं कौन? क्योंकि आप लिख सकते हैं, क्योंकि आपके पास एक सूझ है, आप ऐसी बातें कैसे कह सकते हैं? बस बिना पता लगाए। आप एक विद्वान हैं, हो सकता है कि आप बहुत अच्छी तरह से पढ़े हों, हो सकता है कि आपको लगता है कि आप किसी भी विषय में जो कुछ भी पसंद करते हैं उसे कहने में सक्षम हैं, लेकिन आध्यात्मिकता के विषय को उन लोगों द्वारा नहीं निपटाया जा सकता जो आत्म- साक्षात्कारी भी नहीं हैं।
क्योंकि यह एक बहुत ही दिव्य जीवन है, यह एक बहुत ही अलग जीवन है।
यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ आपका मस्तिष्क प्रवेश नहीं कर सकता है। यह मस्तिष्क से परे है। और इसलिए कवि या कलाकार, उन सभी ने, जिन्होंने ईसा मसीह के जीवन पर काम किया है और उनके विषय में कहने का प्रयास किया है, अधिकतर साक्षात्कारी आत्मा थे और अगर वे नहीं थे, तो वे उनके जीवन के लिए कोई न्याय नहीं कर सकते थे।
यह बहुत अचम्भित करने वाली बात है कि मैं उनके पुनरुत्थान का उत्सव ऑस्ट्रेलिया में मना रही हूँगी। आप जानते हैं कि यह मूलाधार का देश है, और मूलधार तब स्वयं को स्वयं अभिव्यक्त करता है या आज्ञा में प्रकटित करता है। इतना महान संबंध आपसे है कि सबसे पहले यही देश है जहां मूलाधार स्थापित है, स्थापित किया गया था मुझे कहना चाहिए, और बाद में यह आज्ञा केंद्र पर मसीह के जीवन में प्रकट हुआ था।
मुझे कहना होगा कि आपने वास्तव में कुछ बहुत महान लोगों को बनाया है इस सुंदर अभिव्यक्ति को दर्शाने वाले, क्योंकि आपके पास डॉ. बोगदान हैं, जो एक ऑस्ट्रेलियाई हैं, इस अर्थ में कि वह यहाँ रहते थे और फिर वे रूस वापस चले गए, जो दाहिनी आज्ञा है, जहाँ उसने काम किया।
उसी तरह, जैसे सहजयोग यहाँ समृद्ध हुआ, प्रारम्भ में सभी यूरोपीय देशों के बीच, या हम कह सकते हैं उन सभी देशों के बीच जो भारतीय नहीं थे, अधिकतम विकास ऑस्ट्रेलिया में हुआ। और अब अधिकतम विकास सबसे पहले पूर्वी क्षेत्र में हुआ, रूस में।
अब आज्ञा का दूसरा हिस्सा चीन है और यह आप लोग ही हैं, केवल आप में से कुछ लोगों को ही इसकी देखभाल करनी है और जैसा कि आप सभी ताइवान, हांगकांग, थाईलैंड की देखरेख कर रहे हैं। ये सभी चीनी नस्लें हैं। इसके अलावा, वे बुद्ध की पूजा करते हैं। यह बहुत दिलचस्प है। बुद्ध, जैसा कि आप जानते हैं, आपके मेधा के बाईं ओर है, जैसा कि वे इसे कहते हैं, यह मेधा सतह है, मस्तिष्क की निचली सतह है।
तो ईसा मसीह केंद्र में है और हमें बुद्ध बायीं तरफ हैं – या आप उन देशों की भी देखरेख कर रहे हैं, जो बुद्ध से प्रभावित हैं। यह सब एक योजना की तरह काम कर रहा है।
शायद आप इसके बारे में नहीं जानते हैं, कि हम सभी एक विराट से संबंधित लोग हैं और हमारी आवश्यकताएँ या हमारा काम, उन सभी का बहुत महत्व और सम्बन्ध है।
ऑस्ट्रेलिया के बारे में, भारत में एक मिथक है कि एक बड़े संत थे और वे बहुत अच्छे थे, लेकिन किसी तरह उन्होंने कुछ ग़लतियाँ की या शायद बहुत सारी ग़लतियाँ कीं।
इसलिए परमेश्वर ने उन्हें शाप दिया और कहा: “तुम भारत से दूर चले जाओ”। यह भारत और अफ़्रीका को जोड़ रहा था। इसलिए भूमि को इस बिंदु पर लाया गया।
उन्होंने उनको भूमि दी, ईश्वर ने, और उन्होंने कहा “अब तुम इस भूमि को फिर से जीवित करो और इसमें से कुछ बनाओ।”
और इस तारे को त्रिशंकु के रूप में कहा जाता है, जो आपका दक्षिणी क्रॉस है। इस दक्षिणी क्रॉस को त्रिशंकु कहा जाता है, जैसा कि हमारे पुराणों में इनका संत के रूप में उल्लेख किया गया है जो इस तरह से हैं और भगवान ने उन्हें एक सितारे में बनाया जो लटका हुआ है।
त्रिशंकु इस भूमि के ऊपर लटके हुए हैं और इस देश के निर्माण का कार्य कर रहे हैं ।
उनसे कहा गया था कि “तुम वहाँ जाओ और इंसानों के लिए स्वर्ग बनाओ”। इसकी बहुत सारी पौराणिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि हैं।
और कुछ बहुत अच्छे बिंदु भी हैं जो मैंने ऑस्ट्रेलिया के बारे में देखे हैं, जो बहुत ही आश्चर्यजनक हैं क्योंकि वे बहु-नस्लीय समाज में विश्वास करते हैं और वे इसे संरक्षित करते हैं। वे न्याय के माध्यम से लोगों की सहायता करने का प्रयत्न करते हैं अगर कुछ लोग परेशान और प्रताड़ित हैं।
यह प्रगति के लिए एक बहुत ही साहसिक रवैया है कि हमारा बहुसांस्कृतिक समाज होना चाहिए। और यह आता है, फिर से मैं कहूंगी, राजनीतिक विचार के पुनरुत्थान के बाद। अमेरिका बहुसांस्कृतिक समाज है, पूरा भरा हुआ , और इसके परिणामस्वरूप, वे आर्थिक रूप से बहुत आगे बढ़ चुके हैं। लेकिन उन्होंने बहुसांस्कृतिक समाज से कुछ भी नहीं सीखा।
उदाहरण के लिए, स्पेनिश वहाँ गए । स्पेनिश, जैसा कि आप जानते हैं, बुलफाइटर्स हैं। वे वहाँ गए उन्होंने प्राचीन काल की सभी संस्कृतियों को नष्ट कर दिया। और जो नए लोग गए हैं, उनके साथ कोई तालमेल नहीं है। जैसे भारतीयों की एक अलग पहचान है, वैसे हमारी अन्य संस्कृतियां हैं जैसे इस्लाम और सभी तरह की, इसलिए वे उनके साथ कोई संबंध नहीं रखते हैं।
मूल आदिवासियों को भी कुछ निम्न-स्तर पर रखा जाता है।
लेकिन यहाँ मुझे लगता है कि लोगों में जिज्ञासा है और अन्य संस्कृतियों के बारे में भी ज्ञान है जो उनके आसपास है। यह दर्शाता है कि सामूहिकता की भावना आपके जीन के भीतर है, हम कह सकते हैं, यह इस तरह से काम कर रहा है कि यह देश बहुसांस्कृतिक समाज में अभी भी विश्वास करता है।
ये सभी श्री गणेश के गुणों की अभिव्यक्ति हैं। देखिए, माना आपके यहाँ दस लोगों का समूह है पति और पत्नी का, और उनके पास श्री गणेश की पवित्रता नहीं है, तो उनका अस्तित्व नहीं हो सकता है, क्योंकि हमेशा बहुत बड़ा संघर्ष होता है पति और पत्नी के बीच, न केवल संघर्ष का ही भाग, किन्तु लोग अत्यधिक सतही हो जाएंगे।
जैसे अमेरिका में एक महिला एक पुरुष से शादी करती है क्योंकि वह एक तरह की पोशाक पहनता है, या एक महिला की सराहना की जाती है क्योंकि उसके पास एक विशेष प्रकार का केशविन्यास है। यदि केशविन्यास बदल जाता है तो आदमी तलाक़ मांग सकता है। वे इतने सतही हैं। लड़ाई पति के साथ है कि, “आपने एक विशेष कोट नहीं ख़रीदा जो मुझे पसंद था”, इसलिए तलाक़ है। यह बहुत सतही है।
इसलिए पति और पत्नी के बीच संबंध स्थापित किया गया है श्री गणेश द्वारा और वह आपको शुद्ध विचार देता है कैसे अपने विवाहित जीवन का आनंद लें । फ्राॅयड जैसे लोग इतने महत्वपूर्ण क्यों हो जाते हैं, वे मसीह की जगह लेने लगते हैं और लोग उसी पर मोहित हो जाते हैं।
क्योंकि मनुष्य, अगर वे जानते कि सशक्त स्थिति में वे सभी दिव्य हैं, तो उन सभी को दिव्य बनना होगा और जानवरों के स्तर तक नहीं जाना चाहिए, इससे भी बदतर। यदि उन्हें अनुभव हो जीवन का मुख्य उद्देश्य पुनरुत्थान है, तो उन्हें जीवन के इन सभी तथाकथित प्रलोभनों से ऊपर उठना होगा। यदि वे इस क्षमता को जानते हैं, तो उन्हें इस पर विश्वास भी करना होगा,जिससे उनमें जीवन के प्रति ये बेतुके विचार न हों।
एक इंसान के रूप में, ईसा मसीह आये थे । वे एक इंसान के रूप में आये थे, लेकिन वे एक इंसान नहीं थे। वे दिव्य थे। बिल्कुल, वह ओंकार के अतिरिक्त कुछ नहीं थे। इसलिए वे पानी पर चल सके थे ।
उनमें कुछ भी भौतिकवादी नहीं था, आप कह सकते हैं, कोई पदार्थ नहीं था। अगर कोई पदार्थ होता, तो वे पानी पर नहीं चल सकते थे । लेकिन अगर लोग इन सभी तथ्यों को अमान्य करना शुरू कर देंगे, उनके जन्म के बारे में, उनके पानी पर चलने के बारे में इत्यादि, तो मसीह का क्या बचा क्या है, मैं नहीं समझ सकती ।
अब उनका पुनरुत्थान का यह संदेश बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन आप पाते हैं, जैसे आपको तीन दिन की छुट्टियां मिलती हैं, लोग बस वही कर रहे हैं जो किसी को नहीं करना चाहिए। वे किसी स्थानों पर जाते हैं, हो सकता है कि उनकी पत्नियों के साथ, हो सकता है पत्नियों के साथ नहीं, किसी के साथ, किसी प्रकार की बकवास में और वे उन चीज़ों का आनंद लेते हैं जो आनन्द किसी ऐसे के द्वारा नहीं लिया जा सकता जो कि एक साक्षात्कारी आत्मा है।
इसलिए हमें स्वयं को जानना होगा कि अब हमें अपना साक्षात्कार मिल गया है। आपको यह मिला। ऐसा नहीं है कि यह एक सशक्त स्थिति में है, लेकिन यह एक गतिज स्थिति में है। इसलिए, हमारे लिए, ईसा मसीह एक आदर्श होना चाहिए, हमें किस तरह का जीवन जीना चाहिए।
ईसा मसीह के दिनों में, कोई वायुयान नहीं थे, कोई कार नहीं थी, कुछ नहीं । लेकिन वह जगह-जगह गए और उनसे आध्यात्मिक जीवन के बारे में बात की। लोग अभी तक विकसित नहीं हुए थे। वे पर्याप्त परिपक्व नहीं थे। इसलिए वह उन्हें साक्षात्कार नहीं दे सके, लेकिन उन्होंने धार्मिक जीवन के बारे में बात की। वे दस आज्ञाओं के चरम पर चले गए, उन्होंने न केवल कहा कि आपको व्यभिचार नहीं करना चाहिए, बल्कि आपकी व्यभिचारी आँखें भी नहीं होनी चाहिए।
शुद्ध आँखें।
अब, यह कैसे संभव है? जब आप ईसाई और ईसाई राष्ट्रों को देखते हैं, तो वे शुद्ध आँखें न होने की बीमारी से पीड़ित होते हैं आंख में एक प्रकार की वासना और लालच है और वे इसके लिए लज्जित नहीं हैं।
परमेश्वर का धन्यवाद, दुनिया भर में सहज योगियों ने इतना बदल दिया है, बहुत बदल दिया है। वे इतने सुंदर हो गए हैं कि यह समस्या हमारे यहाँ नहीं है। और अगर किसी के यहाँ है, तो हम चाहते हैं कि वह व्यक्ति सहज योग से बाहर निकले जाए जब तक वह स्वयं को ठीक नहीं करता और सामान्य नहीं हो जाता। ईसाई राष्ट्र की मुख्य समस्या यह है कि वे बहुत अधिक मानसिक हो गए हैं। यहां तक कि सेक्स भी वे मानसिक रूप से करते हैं, इस अर्थ में कि वे चोंचले करते हैं। आँखें हर समय बहुत कुछ देखती हैं और उस पर प्रतिक्रिया करती हैं। वे साक्षीभाव नहीं रख सकते ।
जो कुछ भी वे देखेंगे वे इसके बारे में सोचना शुरू करते हैं, इस पर प्रतिक्रिया करते हैं।
फिर यह प्रतिक्रिया, क्योंकि वे विकसित नहीं हैं, उन्हें किसी भी निम्न स्तर की पशुता तक ले जा सकती है। जानवरों से भी बदतर। उदाहरण के लिए, एक निर्दोष व्यक्ति कुछ देखता है, वह विचारहीन जागरूकता में चला जाता है और वह केवल उसी की सुंदरता का आनंद लेता है, लेकिन एक व्यक्ति जो वासना और लालच से भरा है वह कभी भी कुछ भी आनंद नहीं ले सकता है।
इसके विपरीत, वह उस चीज़ को प्राप्त करना चाहेगा या अपने अधिकार की सीमा से परे जाकर किसी और की पत्नी, किसी और के पति का आनंद लेगा।
यह एक बहुत ही सूक्ष्म बात है जिसे हमें समझना चाहिए कि जब हम दूसरों से मित्रता करते हैं, तो हम मित्रता में क्या आनंद लेते हैं, हम उस मित्रता में क्या देखते हैं, जैसा कि साक्षात्कारी आत्मा,आपकी दोस्ती कैसी होनी चाहिए।
मित्रता शुद्ध होनी चाहिए -निर्वाज्य
यही है, आप किसी के साथ मित्रवत् हैं क्योंकि आप केवल शुद्ध मित्रता का आनंद लेते हैं, जहां अधिकार की भावना नहीं है या न ही विनाश की भावना। ऐसी मित्रता एक सहज मित्रता है।
मैंने दुनिया भर में लोगों को देखा है, जब वे गणपतिपुले में आते हैं, तो जिस तरह से वे हंसते हैं, जिस तरह से वे आनंद लेते हैं, और मुझे बहुत प्रसन्नता होती है कि इस तरह के निर्दोष लोगों की यह नई दुनिया मेरे जीवनकाल में इस पृथ्वी पर बनाई गई है।
आपको यह भी ज्ञात होना चाहिए कि आप अब बहुत उच्च प्रकार के लोगों से संबंधित हैं, बहुत उच्च प्रकार के। किसी भी सहज योगी के लिए इस तरह की गंदी चीज़ों में लिप्त होने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि वह इससे परे है। उन्होंने सौंदर्य और स्वच्छता की एक नई भावना विकसित की है। वह ऐसी कोई चीज़ सहन नहीं कर सकता है जो उसे एक हर प्रकार की गन्दी चीज़ों की ओर जाने वाले व्यक्ति की भाँति दिखाती है।
यह एक विशेषता है जो आपको मिली है, जो आपके भीतर संभावित रूप से थी और उस वातावरण के बावजूद जिसमें आप रहते थे और आपने देखा था, आप बस इससे बाहर निकले और गंदगी के तालाब में सुंदर कमल के समान बन गए।
और ये कमल स्वयं दूसरों को इतनी मोहक सुगन्ध दे सकते हैं कि वे पूरे तालाब को सुगंधित और मोहक बना सकते हैं।
तो आप पर जिम्मेदारी बहुत अधिक है, मैं कहूँगी, ईसा मसीह से, क्योंकि ईसा मसीह दिव्य थे । मैं उन्हें ‘देवी महात्म्यम्’ को पढ़ने लिए कह रही थी, यदि संभव हो, तो इसमें उन्हें भगवान कृष्ण और राधाजी के पुत्र के रूप में वर्णित किया गया है और उन्हें एक विशेष शक्ति दी गई है और उन्हें ब्रह्मांड का संबल कहा जाता है।
ज़रा कल्पना करें। मूलाधार। वे ब्रह्मांड का संबल हैं। और जन्म एक सुंदर तरीक़े से वर्णित है, कि पहले उन्हें एक अंडे की तरह बनाया गया था। इस पवित्रता, इस शुभता को एक अंडे में बनाया गया था। इसीलिए ईस्टर के दौरान आप लोग मित्रों को अंडे देते हैं।
अब इस अंडे को अच्छी तरह से युगों के लिए रखा गया था और फिर इसे दो हिस्सों में तोड़ दिया गया। पहला श्री गणेश बन गया और दूसरा, जो पूरी तरह अंडे की तरह विकसित हुआ और पूरी तरह परिपक्व हो गया, दूसरा ईसा मसीह था।
आप कह सकते हैं कि एक अंडे के दो रूप कैसे होते हैं? मुझे कहना होगा कि ये ईश्वरीय घटनाएँ हैं। वे सांसारिक दुनिया में जो कुछ भी देखते हैं उससे बहुत अलग हैं।
अब, यह अंडा, इसका दूसरा हिस्सा, एक बच्चा बन गया और वह अपने पिता के लिए रो रहा था।
अपने सम्पूर्ण जीवन में ईसा मसीह अपने पिता के लिए बात करते थे और जब उन्हें ज्ञात हुआ कि उन्हें क्रूस पर चढ़ाया जाएगा, तो उन्होंने
अपने पिता से प्रार्थना की कि “ओह, पिता, मुझे इस सलीबी मौत से बचाओ”।
उन्होंने प्रार्थना की। और अगर आप उनकी दो उंगलियां देखते हैं, तो ये दो उंगलियां सदैव बाहर हैं, उनके आशीर्वाद की अभिव्यक्ति।
यह है जो अभिव्यक्ति है, जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, श्री कृष्ण के लिए, और यह विष्णु के लिए।
इसलिए हमेशा उन्होंने ये दो उंगलियां दिखाईं।
ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं जिनके द्वारा हम, सहज योगियों के रूप में, यह पता लगा सकते हैं कि क्राइस्ट किस तरह से शासन कर रहे हैं। वे मरे नहीं हैं। उनका शरीर कश्मीर में नष्ट हो गया हो सकता है, जैसा कि वे कहते हैं, लेकिन वे आत्मा थे और आत्मा जो उनमें थी वह एक जीवित, सदा रहने वाली, महान व्यक्तित्व।
हम कह सकते हैं कि उसके पास थोड़ा सा था, हम कह सकते हैं, मानवीय पहलू स्वयं के छलावरण के लिए। आख़िर आत्मा बस यूँ ही नहीं आ सकता है, और वह मृत हो सकता है, वह हिस्सा, वे छलावरण जो वे उपयोग कर रहे थे ।
दिव्यता में, जैसा कि श्री गणेश शुद्ध हैं, वे किसी भी प्रकार के दूषितकरण से बिल्कुल परे हैं।
अन्य अवतार जो इस पृथ्वी पर आए, उन्हें कई काम करने पड़े, जैसे श्री कृष्ण को महाभारत के युद्ध में जाना पड़ा, राम को लोगों से निपटने के लिए जंगल में जाना पड़ा, उसी तरह ईसा मसीह के साथ, हम कह सकते हैं, कि वे इन सभी स्थानों पर गए, लेकिन उन्होंने कभी एक इंसान की तरह व्यवहार नहीं किया।
दूसरों ने किया। श्री राम बहुत रोए, अपनी पत्नी के लिए बहुत रोए। तब श्री कृष्ण ने कई बार विवाह किया क्योंकि वे उनकी शक्तियाँ थीं इसलिए उन्होंने उनसे विवाह किया।
इसलिए, हालांकि वे अवतार थे, उन्हें बहुत कुछ करना था जो मनुष्य करते हैं। ईसा मसीह की कभी शादी नहीं हुई थी। वे कभी नहीं रोए, जहां तक हम जानते हैं, सिवाए जब वह अपने पिता से प्रार्थना कर रहे थे । उन्होंने बस इतना ही पूछा, “अगर आप मेरे मुंह से इस (क्रूस के) प्याले को निकाल सकते हैं तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी”।
तो यह उनके चरित्र में दिखाया गया है कि वे इस पृथ्वी पर एक दिव्य व्यक्तित्व के रूप में आए, एक दिव्य व्यक्तित्व के रूप में जीवित रहे और एक दिव्य व्यक्तित्व के रूप में मृत्यु हुई । मुझे लगता है कि यह रास्ता बहुत आसान है क्योंकि आप एक दिव्य व्यक्ति हैं, आप आते हैं, कुछ उपदेश देते हैं, व्याख्यान देते हैं, यह, और बस चले जाते हैं।
उन्होंने लोगों को साक्षात्कार दिलाने का उत्तरदायित्व नहीं लिया, जो कि सबसे बड़ा सिरदर्द है, मुझे लगता है, कि लोगों को आत्म साक्षात्कार देना। क्योंकि, यदि आप उन्हें पुनरुत्थान देते हैं, यदि उन्हें आत्म साक्षात्कार प्राप्त हो जाता है ईसा मसीह ने उनके पुनरुत्थान को एक प्राकृतिक चीज़ के रूप में स्वीकार किया क्योंकि वे इसके बारे में सब जानते थे और उन्हें बदलना नहीं था, उन्हें स्वयं को बदलना नहीं था। वे जैसे थे वैसे ही थे क्योंकि उन्हें किसी पुनरुत्थान की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने अपने जीवन में केवल यह दिखाने का प्रयत्न किया कि हम, मनुष्य आत्म साक्षात्कार प्राप्त कर सकते हैं और हम पुनर्जीवित हो सकते हैं।
उसका संदेश क्रॉस नहीं बल्कि पुनरुत्थान था और यह पुनरुत्थान, यदि आप समझते हैं, तो एक बात और भी समझ सकते हैं, कि हम अब पुनर्जीवित हो गए हैं सामान्य मनुष्य से दिव्य स्तर तक ।
यह ईसा मसीह के लिए आसान था क्योंकि उन्हें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा था, जबकि आप उस मानव जीवन से इतने उच्च जीवन में आ रहे हैं। अचानक, यह बहुत अधिक है, मैं सहमत हूं। यह स्वीकार करना बहुत अधिक है।
लेकिन, क्योंकि आप अपने दिमाग़ से परे जाते हैं, यह कठिन नहीं है क्योंकि आपका दिमाग़ सोचना बंद कर देता है। अन्यथा, आमतौर पर लोग सोचते होंगे, “अब, मैं पुनर्जीवित हो गया हूँ। ठीक है। तो मुझे क्या करना चाहिए? मुझे क्या छोड़ना चाहिए? किन चीज़ों से दूर जाना चाहिए? क्या लक्ष्य है?”
मानव के इन सभी विचारों का आपने धीरे-धीरे पालन किया होगा। लेकिन नहीं। आपने अभी महसूस किया, “हम वहां हैं। अब क्या करें? हम वहाँ हैं।”
आप सचेत हो गए, अपने गुणों के प्रति, अपनी विशेषताओं के प्रति, अपनी महानता के प्रति, और जो सचेत थे वे बहुत आश्वस्त हो गए कि हमारे पास ये महत्व पहले से मौजूद हैं, हमारे पास ये शक्तियां हैं जो प्रकट हो रही हैं और ये शक्तियां हमारे माध्यम से बह रही हैं।
किसी को सन्देह नहीं हुआ। कुछ ने किया, लेकिन बहुत कम ने। जैसे-जैसे आप बड़े होते गए, तुरंत आपको पता चल गया कि दिव्य आपके माध्यम से काम कर रहा है। वहां है। सब कुछ मूर्त है। आप अपने भीतर के बारे में सब कुछ जानते हैं। धीरे-धीरे, आप अपने आप को फैलाना शुरू करते हैं, अपने व्यक्तित्व को फैलाते हैं। और फिर आपके पास कमजोरियां नहीं होती हैं जैसा कि मनुष्य के पास है।
हमारे पास कुछ मज़ेदार लोग थे, निःसंदेह, मुझे पता है, कि लोग सोचने लगते हैं कि कैसे सहज योग से पैसा कमाया जाए, और यह एक मानवीय बकवास अभी भी चल रही है – या अपनी शक्तियों को कैसे दिखाया जाए, कैसे दिखाया जाए कि आपकी शक्तियां कैसे मुखर हो सकती हैं , कैसे लोगों को नीचा दिखाने के लिए अपने अहंकार का उपयोग करें।
ये सभी मानव जीवन शैलियाँ हैं और यह कुछ समय के लिए अस्तित्व में थीं, लेकिन अब मुझे लगता है कि आप सभी इस तरह से धुले हुए हैं मानो इस कुंडलिनी ने आपको पूरी तरह से धो दिया है।
आप सभी हो गए हैं बहुत सुन्दर लोग, अत्यन्त सुन्दर और यहां तक कि लोग, वे आपको हवाई अड्डे पर देखते हैं और उन्हें लगता है कि “ये कुछ अनोखे लोग हैं”। इस क्षेत्र में भी जब हम आए थे, वे मुझे बता रहे थे कि वह सज्जन जो अभीक्षक हैं, कह रहे थे कि उन्होंने कभी ऐसा समूह नहीं देखा है! “वे लड़ाई नहीं करते हैं, वे बहस नहीं करते हैं, वे पैसे नहीं कमाते हैं, बच्चे बहुत प्यारे हैं। यह उल्लेखनीय है, इस आधुनिक समय में ऐसा समाज, कभी भी कहीं भी विद्यमान नहीं था और यह कैसे है, यह यहाँ विद्यमान है ”।
वे काफ़ी आश्चर्यचकित थे, जैसा कि आपको भी होना चाहिए, कि आपने यह प्राप्त किया है बिना किसी प्रयास या किसी तपस्या के या हिमालय पर जाकर। आपको यह यहाँ मिला क्योंकि यह सब वहाँ था। यह सब वहां था और आपने इसे पाया। हमारी शादियाँ हैं, नब्बे प्रतिशत सफल होती हैं। हमें कभी-कभी माता-पिता से समस्या होती है, समाज से, लेकिन इतनी छोटी है कि उल्लेख करने के लिए नहीं है। और यह मेरे लिए एक अर्थ रखता है, कि हम वास्तव में इस दुनिया को बदल सकते हैं।
कोई संदेह नहीं।
यदि आपको याद है कि ईसा मसीह का संदेश पुनरुत्थान है, तो यह पहले ही हो चुका है।
अब पुनरुत्थान के बाद क्या? आपका चित्त वहाँ होना चाहिए। यदि यह अभी भी आपकी नौकरी पर है, आपके पैसे पर, आपकी कार पर, या आपके घर पर, यह है, तो आप अभी भी एक इंसान हैं।
आपने अभी तक उस लगाव को नहीं खोया है।
या अपने बच्चों और अपने जीवनसाथी और सभी पर। वह सब अभी भी पूरी तरह से मानव हैं।
लेकिन जो व्यक्ति दिव्य है, उसके सारे संबंध हैं, लेकिन आसक्त नहीं और संबद्ध नहीं है।
मैंने कई बार पेड़ों का बहुत अच्छा उदाहरण दिया है। पेड़ में देखें पौधों का रस जो कि उठता है, पेड़ के विभिन्न हिस्सों में चला जाता है, या तो यह वाष्पित हो जाता है या यह वापस धरती माँ पर चला जाता है। यह कभी किसी चीज़ से नहीं जुड़ता।
जब तक आप अपने बच्चों से जुड़े होते हैं, इससे जुड़े हैं, उससे जुड़े हैं, तब तक यह समझने का प्रयास करते हैं कि दिव्यता पूरी तरह से प्रकट नहीं हुई है। यह अलगाव उपेक्षा नहीं है। कभी नहीं। इसके विपरीत, यह सबसे शुद्ध अलगाव है जो वास्तव में आपके जीवन के हर क्षेत्र का पोषण करती है। आप जहां भी जाते हैं उसका पोषण होता है।
इसलिए आपको स्वयं को परखना होगा। किसी और को नहीं करना है। “मैं दूसरों के प्रति कितना दयालु रहा हूँ, मैं दूसरों के लिए कितना सहायक रहा हूँ, मैं कहां तक सामूहिक रहा हूँ?
मैंने कई बार इस की झलक देखी है और इसने मुझे बहुत प्रसन्नता दी है। जैसे एक बार हमारे यहाँ सहज योगियों का कार्यक्रम था और सज्जन ने मुझे अकेले ही रात के खाने पर आमंत्रित किया था। तो कार्यक्रम था और मैंने केवल यह सोचा कि ये सभी लोग उसके घर में कैसे खा सकते हैं, आप देखें? इसलिए मैंने उनके जाने तक प्रतीक्षा की, सभी सहज योगी चले गए।
यह सज्जन आए कहने के लिए: “माँ, आपने उन्हें जाने के लिए क्यों कहा? मैंने उन सभी के लिए खाना बनाया था। ”
यह देख मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। उनका एक छोटा सा घर था। मुझे नहीं पता कि उन्होंने उन सभी के लिए खाना कैसे बनाया। और इतना भोजन उन्होंने पहले ही बना लिया था, और वे उन सभी के कुछ खाने की प्रतीक्षा कर रहे थे, और मैंने केवल यह सोचा कि इतने सारे लोगों को खाना खिलाना उनके लिए बहुत अधिक है।
उसी तरह, हमें यह अनुभव करना होगा कि हम सभी सामूहिक हैं और हमें एक-दूसरे की सहायता करनी होगी।
यह ऐसा है, जैसे शरीर में, अगर मुझे कोई भी समस्या है किसी भी उंगली, किसी भी हाथ, कहीं भी, तो पूरा शरीर इसके लिए साथ देता है, पूरा शरीर इसके लिए पीड़ित होता है, पूरे शरीर को इसके विषय में पता होता है।
इसी तरह सहज योग में एक समान भावना होनी चाहिए पूरी विश्व में ।
अगर यहां कुछ होता है, एक व्यक्ति प्रभावित होता है, पूरी दुनिया को पता होना चाहिए। केवल पता ही नहीं होना चाहिए, लेकिन उन्हें प्रयास करना चाहिए।
यदि एक व्यक्ति पीड़ित है तो पूरी दुनिया को उसके लिए दुख होगा और यही हमारी सामूहिकता की पराकाष्ठा है। जो लोग बाहर रहने का प्रयत्न करते हैं, आप देखते हैं, सामूहिकता में भी विकास नहीं हो सकता है।
मुझे बहुत सी बातों के बारे में कहना है, लेकिन विशेष रूप से मैं यह कहूँगी कि जब हम किसी को कठिनाइयों में देखते हैं, जैसे वित्तीय कठिनाइयों में, उस समय हमें उस व्यक्ति को सुझाव देने का प्रयास या सहायता करने का प्रयास करना चाहिए जैसे वह सम्पूर्ण का अंग प्रत्यंग हो । तब उस व्यक्ति को एहसास होगा कि, “मेरे यहाँ बहुत सारे लोग हैं। मैं अकेला नहीं हूँ “।
कोई अधिक प्राप्त कर सकता है, कोई कम प्राप्त कर सकता है, कोई अन्तर नहीं पड़ता। लेकिन सामूहिकता की गतिविधि ऐसी होनी चाहिए कि आप उस एकता का अनुभव करें, दूसरे व्यक्ति के लिए वह जन्मजात भावना, जन्मजात।
आपको इसके बारे में सोचने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यह जन्मजात है, आपको उस व्यक्ति के साथ जुड़ाव अनुभव करना चाहिए और आपको अनुभव करना चाहिए कि आपको इसके बारे में कुछ करना है। “अंततः, उसके पास मेरे जैसा आनंद क्यों नहीं होना चाहिए?”। तो पहली बात जो आप करेंगे, ऐसे लोगों की, सामान्यतः, उसे अपने चक्रों में सहायता करें, उसके प्रयासों में उसकी सहायता करें ।
सहज योग करना अब बहुत आसान है। पुराने समय में यह बहुत कठिन था। यदि आपने सहज योग का प्रयत्न किया होता, जैसे, ईसा मसीह के प्रारम्भिक समय में आप सभी को क्रूस पर चढ़ाया गया होगा। हो सकता है। आख़िर ईसा मसीह ने क्या किया?
उन्हें क्यों सूली पर चढ़ाया गया?
लेकिन आजकल ऐसा नहीं है। फिर आप, भारत के अन्य संतों और लोगों की तरह, “हज़ारों साल”, उन्होंने कहा, “हम ध्यान कर रहे हैं। हमने अपना ध्यान तब आरम्भ किया जब हम कुछ भी नहीं थे, और अब वर्षों- वर्षों के बाद हमारे अलग जन्मों- जन्मों के बाद, हमने इस स्थिति को पाने के लिए कठिन परिश्रम किया है, कि अब हमें आत्म साक्षात्कार मिला है ”।
आपको वह समस्या नहीं है। कोई समस्या ही नहीं है, एक को छोड़कर, कि आपको स्वयं का पूर्ण मूल्यांकन करना है, कि आप शुद्ध आत्मा हैं और आप परमेश्वर के राज्य में हैं। ईसा मसीह की तरह, यह उसके लिए कोई मायने नहीं रखता था। उन्हें कुछ ग़लत करने का विरोध करना था, उन्होंने ऐसा किया।
जब उन्हें किसी चीज़ का समर्थन करना पड़ा जो नष्ट की जा रही थी, वह बचाई, उन्होंने ऐसा किया।
मैरी मैग्डलीन के साथ उनका कोई लेना-देना नहीं था मैरी मैग्डलीन के साथ, लेकिन जब लोगों ने उसे पत्थर मारना शुरू किया, तो वे उसके सामने जाकर खड़ी हो गए और उन्होंने कहा, “जिन्होंने कोई पाप नहीं किया है, वे उस पर पत्थर फेंक सकते हैं।” इस साहस को देखें, यह आत्मविश्वास उनके अंदर था क्योंकि वे एक दिव्य व्यक्तित्व थे, दिव्यता के कारण। लेकिन आप दिव्य हो गए हैं। एक तरह से, आप जीवन के बारे में उनसे बेहतर जानते हैं, क्योंकि वे इन सभी बिंदुओं को कभी नहीं छू पाए थे, जिसे आपने छुआ है, किन समस्याओं से आप बाहर आए हैं।
इसलिए, आपको उन लोगों के लिए बहुत अधिक समझ होनी चाहिए जो सहज योग में नहीं हैं या जो सहज योग में आना चाहते हैं।
जैसे, जैसे ही वे किसी कार्यक्रम में आते हैं, आपको यह कहना आरम्भ नहीं करना चाहिए कि “आप एक भूत हैं, आप वह हैं”। आप यहाँ आने से पहले एक भूत थे। काफ़ी बड़े भूत, अगर आप मुझसे पूछें तो मैं आपको बता सकता हूँ।
लेकिन जब आपको एहसास होता है कि आपका क्या महत्व है – अब आप योग्य हो जाते हैं ।
आप इसके बारे में सब कुछ जानते हैं। जब आप जानते हैं कि ऐसा हुआ है, तो सहज योग के बारे में कुछ नियमों का पालन करने का प्रयास करें।
बहुत सरल है आपके लिए अनुसरण करना क्योंकि आप दिव्य हैं । समस्या नहीं । समस्या नहीं । आप इसे बहुत अच्छी तरह से पालन कर सकते हैं, लेकिन मानव दबाव से विवश न हो,जो अभी भी आपके अंदर विद्यमान है या समाज में हो सकता है।
आप अपना स्वयं का व्यवहार रखें, अपनी स्वयं की शैली रखें और आप चकित होंगे कि शेष संसार आपकी पूजा करेगा – आपको फांसी नहीं, बल्कि आपकी पूजा करेगा।
आपके जीवनकाल में यह होने जा रहा है, लेकिन यह समझने की चेष्टा करें कि आपको एक उद्देश्य के लिए पुनर्जीवित किया गया है, और यह उद्देश्य है इस दुनिया को एक सुंदर स्थान में बदलना, जिसके लिए आप सभी को पूरे ध्यान के साथ, अपने बारे में, अपनी ज़िम्मेदारियों के बारे में पूरी समझ के साथ इसमें लग जाना चाहिए।
ऑस्ट्रेलिया का एक विशेष दायित्व है, जैसा कि मैंने आपको बताया कि कुछ इतने अति उत्तरदायी हैं और कुछ बिल्कुल नहीं हैं। मैं समझ नहीं पा रही हूं कि ऐसा क्यों है, ऐसा क्यों हो रहा है।
मैं ऐसे लोगों को देखती हूँ जो बहुत सचेत हैं और कुछ जिनका चित्त अभी भी ठीक नहीं है, इस तरह से घूम रहा है, उस तरह से घूम रहा है ।
इसलिए आपको उन लोगों का अनुसरण करने का प्रयास करना चाहिए जो एक निश्चित ऊँचाई तक पहुँच चुके हैं। उनके जीवन, उनकी जीवन शैली का पालन करने की चेष्टा करें, और फिर आप आश्चर्यचकित होंगे कि आप इसे बहुत आसानी से कर सकते हैं क्योंकि आप परिपक्व हैं।
यह ऐसा है, मैंने कहा है कि हम एक अंडे की तरह हैं और इसे एक बार फोड़ना होता है परिपक्व होने पर, लेकिन कुछ चूज़े बाहर निकल आते हैं और बस अच्छी तरह से चलना शुरू कर देते हैं, छोटे- छोटे पैरों के साथ, आप देखें, बहुत अच्छी तरह से मां की ओर चलते हुए (हँसी) )।
और अन्य अभी भी उन पर सभी प्रकार की गंदगी से ढके हुए हैं और चलने में सक्षम नहीं हैं; और फिर ये जो चल सकते हैं वे बस उन्हें लाते हैं, आप देखते हैं, वे उन्हें अपनी चोंच से मारते हैं और कहते हैं, “साथ आओ, साथ आओ, साथ आओ”, और वे इन्हें मां के पास लाते हैं। यह बहुत दिलचस्प है। आप उन्हें अवश्य देखें।
इस ईस्टर का एक बड़ा अर्थ है कि हम अब नए जन्मे चूज़े हैं और हमें अब एक नए मार्ग का अनुसरण करना होगा। यह एक बहुत ही सरल मार्ग है, लेकिन अब भी हम रुढ़िवादी हैं इसलिए हम शायद डरते हैं, संभवतः, या हमें अहंकार है, जो भी हो।
इसलिए इन सब चीज़ों को छोड़ दो। बस विनम्र हो जाइए और सहज के इस पथ पर चलना शुरू कीजिए और एक दिन ऑस्ट्रेलिया पूरी दुनिया को आच्छादित करने में सक्षम होना चाहिए, मैं नहीं समझ सकती कि क्यों नहीं, आख़िरकार आप मूलाधार हैं और मूलधार को अपनी भूमिका निभानी चाहिए सबसे बुद्धिमान लोगों के रूप में ।
प्रज्ञता वह शक्ति है जो आपको श्री गणेश से प्राप्त होती है। तो आपको समझदार होना होगा, बिलकुल बुद्धिमान और जानना होगा कि आप साधक रहे हैं। आपको यह नहीं मिला क्योंकि मैंने आपसे पूछा था, या, या कुछ भी। हमने आपको दिया था, लेकिन आप साधक थे सत्य को जानने के लिए संघर्ष कर रहे थे और यह इस तरह आपको मिला, और एक बार जब आप इसे प्राप्त कर लेते हैं, तो आपको इसे अपने जीवन में पूर्णतः स्थापित करना चाहिए और दूसरों के जीवन में भी ।
दूसरों को भी अनुभव करने दें, “देखें, यह सज्जन बहुत ही अनूठे हैं, या यह महिला बहुत विशिष्ट है, वह बहुत अलग है, वह स्वार्थी नहीं है, वह धूर्त नहीं है, वह हेरफेर नहीं करती है, लेकिन किसी भी तरह अपने चरित्र से, अपने स्वभाव से वह हमारे लिए प्रकाश बनाने का प्रयास कर रही है और हमारे पथ को प्रबुद्ध कर रही है, दूसरों के मार्ग को प्रबुद्ध कर रही है।
परमात्मा आप सबको आशीर्वाद दें।