Mahashivaratri Puja: How To Get Detached and Ascend Castle Mountain Camp, Wisemans Ferry (Australia)

                                              महाशिवरात्रि पूजा  26 फरवरी 1995, ऑस्ट्रेलिया आज हम यहां सदाशिव की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए हैं। वह, जो हमारे भीतर परिलक्षित होता है, वह शिव है, जो शुद्ध आत्मा है। हमारे भीतर यह शुद्ध आत्मा सर्वशक्तिमान, सदाशिव भगवान का प्रतिबिंब है। यह सूरज की तरह है जो पानी में गिरता है और एक स्पष्ट प्रतिबिंब देता है। या फिर यह पत्थर पर गिरता है, यह बिल्कुल भी प्रतिबिंब नहीं देता है। माना की यदि आप के पास दर्पण हो, सूर्य न केवल दर्पण पर गिरेगा, बल्कि इसके प्रकाश को वापस प्रतिबिंबित करेगा। उसी तरह से इंसान में भगवान सर्वशक्तिमान का प्रतिबिंब आपके व्यक्तित्व के अनुसार व्यक्त किया गया है। यदि आपका व्यक्तित्व साफ और स्पष्ट, निर्दोष है, तो प्रतिबिंब दर्पण की तरह हो सकता है। इस प्रकार संत लोग,  सर्वशक्तिमान ईश्वर को उचित तरीके से दर्शाते हैं, इस अर्थ में कि उनकी अपनी पहचान गलत चीजों के साथ नहीं है। जब ऐसी कोई पहचान नहीं होती है और जब कोई व्यक्ति बिलकुल शुद्ध आत्मा होता है, तो परमेश्वर का प्रतिबिंब दूसरों में परिलक्षित होता है। सौभाग्य से आप सभी को अपना आत्म साक्षात्कार मिला है। इसका मतलब है कि सर्वशक्तिमान ईश्वर का प्रतिबिंब पहले से ही आपके चित्त में कार्यरत है। आत्मा की शक्ति से चित्त प्रकाशित होता है। आत्मा की शक्ति यह है कि यह एक प्रतिबिंब है। अर्थात, प्रतिबिंब की पहचान कभी दर्पण से या पानी से नहीं की जाती है। यह तब तक होता है जब तक सूरज चमकता है, और जब कोई सूरज नहीं Read More …