Diwali Puja: Sahaj Yog ki shuruvaat (भारत)

Diwali Puja – Sahajayog Ki Shuruvat Date 29th October 1995 : Place Nargol Puja Type Speech Language Hindi ये तो हमने सोचा भी नहीं था इस नारगोल में २५ साल बाद इतने सहजयोगी एकत्रित होंगे। जब हम यहाँ आये थे तो ये विचार नहीं था कि इस वक्त सहस्रार खोला जाए। सोच रहे थे कि अभी देखा जाय कि मनुष्य की क्या स्थिति है। मनुष्य अभी भी उस स्थिति पे नहीं पहुँचा जहाँ वो आत्मसाक्षात्कार को समझें। हालांकि इस देश में साक्षात्कार की बात अनेक साधू-संतों ने सिद्धों ने की है और इसका ज्ञान महाराष्ट्र में तो बहुत ज़्यादा है। कारण यहाँ जो मध्यमार्गी थे जिन्हें नाथ पंथी कहते हैं, कि नाथ लोग उन लोगों ने आत्मकल्याण के लिए एक ही मार्ग बताया था; आत्मबोध का। खुद को जाने बगैर आप कोई भी चीज़ प्राप्त नहीं कर सकते हो, ये मैं भी जानती थी। लेकिन उस वक्त जो मैंने मनुष्य की स्थिति देखी वो बहुत विचित्र सी थी। कि वो जिन लोगों के पीछे में भागते थे उनमें कोई सत्यता नहीं। उनके पास सिवाय पैसे कमाने के और कोई लक्ष्य नहीं था। और जब मनुष्य की स्थिति ऐसी होती है कि जहाँ वो सत्य को बिल्कुल ही नहीं पहचानता उसे सत्य की बात कहना बहुत कठिन है और लोग मेरी बात क्यों सुनेंगे? बार-बार मुझे लगता था कि अभी और भी मानव को बड़ना चाहिए। किन्तु मैंने देखा कि कलयुग की बड़ी घोर यातनायें लोग भोग रहे हैं। एक तो पूर्वजन्म में जिन्होंने अच्छे कर्म किये थे, उन लोगों को Read More …