Birthday Puja New Delhi (भारत)

Birthday Puja Date 21st March 1997 Delhi Place : Type Puja : Hindi & English आप सबको अनन्त आशीर्वाद | जब सब दुनिया सोती है तब एक सहजयोगी जागता है और जब सब दुनिया जागती है तो सहजयोगी सोता है। इसका मतलब ये होता है कि जिन चीज़ों की तरफ सहजयोगियों का रुख है उस तरफ और लोगों का रुख नहीं । उनका रुख और चीज़ों में है। किसी न किसी तरह से वो सत्य से विमुख हैं, मानें किसी को पैसे का चक्कर, किसी को सत्ता का चक्कर, न जाने कैसे-कैसे चक्कर में इंसान घूमता रहता है और भूला-भटका, सत्य से परे, उसकी ओर उसकी नज़र नहीं है। कोई कहेगा कि इसका कारण ये है, उसका कारण ये है कोई न कोई विश्लेषण कर सकता है। पर मैं सोचती हूँ अज्ञान! अज्ञान में मनुष्य न जाने क्या-क्या करता है। एक तरह का अंधकार, घना अंधकार, छा जाता है। जैसे अभी यहाँ अगर अंधकार हो जाए तो न जाने भगदड़ मच जाए, कुछ लोग उठकर भागना शुरु कर दें, कितने लोगों को गिरा दें, उनके ऊपर पाँव रख दें, उन्हें चोट लग जाए। कुछ भी हो सकता है। इस अंधकार में हम लोग जब रहते हैं तब हमारी निद्रा अवस्था है। लेकिन हम जब जागृत हो गए, जब कुण्डलिनी का जागरण हो गया और जब आप सत्य के सामने खड़े हो जाते हैं तो सत्य की महिमा का वर्णन कोई नहीं कर सकता। मैंने पूछा किसी से, ‘भई, सहज में तुम्हें क्या मिला?’ बोले, ‘माँ, ये नहीं बता सकते पर Read More …