1997-08-22, श्री कृष्ण पूजा, कैबेला, इटली में शाम का कार्यक्रम
आप देख सकते हैं, मैं श्री कृष्ण के कारण आज काली हो गई हूं।
यह बहुत दिलचस्प है कि इस दुनिया में सब कुछ कैसे परम चैतन्य की इच्छा के अनुसार चलता है। यह बहुत आश्चर्यजनक है। मैं चाहती थी कि वे कट्टरवाद पर एक फिल्म बनाएं। यह बहुत अच्छा हुआ और हम इसे भारत में दिखाने में सक्षम हो सकते हैं, हो सकता है कि उन्होंने पहले ही मुझे अपने जीवन के कुछ कथांश बनाने के लिए कहा
हो। जिसे वे एक के बाद एक करके दिखाना चाहेंगे। किसी तरह भारत में दूरदर्शन पर, हमारे पास कई सहज योगी हैं जिन्हें मैं नहीं जानती निर्देशक, उप निर्देशक भी। वे सभी सहज योगी थे, और एक बार वे मुझे दिल्ली में हमारे आश्रम में देखने आए थे और मुझसे कहा था – (किसी ने कहा था) माँ, आपको मीडिया बिलकुल भी पसंद नहीं है, लेकिन दूरदर्शन का क्या? मैंने कहा कि मुझसे दूरदर्शन के बारे में बात मत करो, वे भयानक लोग हैं (माँ हँसती हैं) हमारे जीवन को नष्ट कर रहे हैं और मैंने एक बहुत बड़ा व्याख्यान दिया है जो लगभग पाँच मिनट का है । इसलिए मेरे सामने दो व्यक्ति कान पकड़कर आए। उन्होंने कहा कि माँ, हमें खेद है, लेकिन हम दूरदर्शन से संबंधित हैं । ओह, मुझे नहीं पता है कि अगर मैंने कुछ कहा तो मुझे खेद है … उन्होंने कहा कि मैं निर्देशक हूं और वह उप निर्देशक हैं। दूरदर्शन के अखिल भारतीय संस्थान … क्या आप कल्पना कर सकते हैं ? हे भगवान, मैंने कहा कि मैं कभी नहीं जानती थी कि आप यहां हैं और मैंने जो कुछ भी कहा गया है उसके लिए मुझे खेद है … इसलिए वे मेरा (साक्षात्कार)लेना चाहते थे। मुझे लगता है कि उनके साथ मेरे तीन साक्षात्कार थे। उन्होंने कहा कि माँ हम आपसे एक भी प्रश्न नहीं पूछेंगे … फिर … आप जहाँ बैठना चाहती हैं वहाँ आकर बैठें और हम सब कुछ व्यवस्थित करेंगे और हम लोगों को दिखाना चाहते हैं कि वास्तविकता क्या है। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ और उन्होंने इसमें कोई संदेह नहीं किया लेकिन पिछली बार जब वे ऐसा करना चाहते थे तब मैं दिल्ली में नहीं थी। और मैं ऐसा नहीं कर सकी … इसलिए मैंने कहा कि अगली बार मैं कुछ करने का प्रयत्न करूंगी। उन्होंने कहा कि आप हमें कुछ (धारावाहिक) कथांश क्यों नहीं देतीं?
मुझे लगता है कि मैंने उन फ़िल्मों को देखा है जो इन अमेरिकियों ने बनाई हैं। लेकिन ईसाइयों के दूसरे भाग को भी एक संतुलन देने के लिए दिखाया जाना चाहिए।और मूर्ख हिंदू की भी, आप उन्हें झूठे गुरु कहते हैं ताकि हम इन तीन फिल्मों का संयोजन कर सकें। इसमें आप “हरे रामा” के बारे में दिखा सकते हैं कि वे कैसे भीख मांग रहे हैं और कैसे अन्य लोग “जियोवह” जैसे साक्षी हैं।
लेकिन इसके अतिरिक्त ईसाइयत सब कार्य गुप्त रूप से करती है…. आप देखिए …..अतः आपको वहां कुछ चीज़ें उजागर करनी हैं क्योंकि बात करने के लिए बाहर से यह बहुत सुन्दर है, बहुत अच्छा है इत्यादि किन्तु अन्दर से वे, सब प्रकार की चीज़ें कर रहे हैं और लोगों को ग्रहण करवा रहे हैं, जिसे आप अत्यधिक भयावह, कुछ (ऐसा जो) बहुत ग़लत कह सकते हैं।अब जब तक आप इन सभी तीन चीज़ों को उजागर नहीं करते हैं, तब इसमें संतुलन नहीं रहेगा, जो मुझे लगता है और फिर हम सहज योग के बारे में भी बात कर सकते हैं।
जिस तरह से फिल्म बनी है उससे मैं बहुत प्रसन्न हूं, मैं बहुत प्रसन्न हूं कि मुसलमान बचपन से ही एक निर्धन वस्तु हैं और सभी को घृणा करना सिखाया जाता है बचपन से। कम से कम ईसाई धर्म में, वे प्यार की बात करते हैं। बात-बात फिर मैं कहती हूं (मां हंसती है) क्योंकि उनके पास बहुत सारे युद्ध और बहुत सारी निरर्थक चीज़ें हैं। अब हम इन फ़िल्मों में ईसाइयों के लिए कहे गए शब्दों को आगे बढ़ा सकते हैं। हम प्रासंगिक को आगे को डाल सकते हैं, हम मुस्लिम बातों को आगे रख सकते हैं कि वास्तविक व्यक्ति अली कैसा था, उनकी हत्या कैसे हुई, उनकी पत्नी की हत्या कर दी गई, उनके बच्चों की हत्या कर दी गई।और अब क्या हो रहा है। यह एक बहुत ही साहसिक बात है जिसे आपको करना है।और इन सभी चीज़ों को करने से किसी को भी शांति या प्रसन्नता नहीं मिलती, जिसका वादा धर्म करता है।तो इन धर्मों का कोई अर्थ नहीं है, भीतर का धर्म बहुत अलग है जिसे जागृत किया जाना चाहिए और एक बार जागृत होने के बाद हम सभी एक हो जाते हैं हमें उस बिंदु पर आना होगा।इसलिए मुझे लगता है कि यह फ़िल्म ठीक है लेकिन यह इधर-उधर थोड़ी कम हो सकती है।साथ ही आपके पास एक और फ़िल्म और दूसरी फ़िल्म होनी चाहिए।फिर ये तीन फ़िल्में, अगर वे तैयार हैं तो मुझे विश्वास है कि हम उस बकवास को दिखा पाएंगे जो चल रही है।मुसलमान अधिक ईसाइयों के विरुद्ध हैं, यहूदियों के भी विरुद्ध, लेकिन ईसाई-वे इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने देखा है कि इस ईसाई धर्म में आपको जो पसंद है, उसे पूरी स्वतन्त्रता दी है, वहां महिलाएं नग्न हैं।वे बहुत ही डरावने कपड़े पहनते हैं।और महिलाएं जैसी हैं और महिलाएं वेश्याओं की तरह हैं और पुरुष ऐसे हैं जैसे मैं नहीं जानती कि वे क्या चलाते हैं, महिलाएं और पुरुष उनके पीछे दौड़ते हैं।बस उन्हें केवल एक ही काम आता है। उन्हें कुछ भी उच्चतर कुछ भी महान नहीं मिला, इसलिए वे विरुद्ध हैं।
उन्हें लगता है कि उन्हें कुछ वर्जनाएं लगानी चाहिए, लेकिन मुझे कोलंबिया के इन लोगों के बारे में आपने जो तरीक़ा दिखाया है, वह मुझे पसंद आया है। मैं गणेश पूजा में उनके बारे में बात करने जा रही हूं । बहुत सारी चीज़ें हैं जो आप जानते हैं, इसलिए हमें देखना होगा ।
कि यह इन सब बातों में क्या ग़लत है । सहज योग में हम अपने आदि से चल रही वर्जनाओं में उपस्थित होते हैं वे अनादि हैं ये वर्जनाएँ अनंतकाल से हैं और यदि आप उन्हें पार करते हैं, और यदि आप अपनी “मर्यादाएँ ‘छोड़ देते हैं तो आप मुस्लिम हैं या हिन्दू आप बच नहीं सकते ।
आप अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए सहज योग में, हमारे भीतर का अंतर्निहित धर्म जागृत होता है और हम आदिकालीन वर्जनाओं को हटाते हैं, जो एक मनुष्य के लिए होती हैं। यदि मानव इन वर्जनाओं का पालन नहीं करता है तो क्या होता है। अमेरिका, या ईरान या किसी अन्य देश में क्या हुआ है। आदिम वर्जनाएँ क्या हैं? इन पर मैं गणेश पूजा में चर्चा करने जा रही हूं। और एक बार हमारे भीतर जागृति हो जाए। ‘मुझे बताने की आवश्यकता नहीं, यह मत करो और ऐसा मत करो। कहीं कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे सब तुम्हारे भीतर जाग्रत हैं और आप स्वयं यह नहीं करते। इसलिए, इस तरह से लाया जाना चाहिए, लेकिन फिल्मांकन बहुत अच्छा था। अभिनय उत्तम था मुझे कहना चाहिए लेकिन हम अगर संभव हो तो मेरे बिना एक और कहानी लिख सकते हैं क्योंकि यह सभी सही है-भारतीयों के लिए । वे समझ जाएंगे लेकिन अगर आप किसी मुस्लिम देश को यह दिखाएंगे तो चौंक जाएंगे। उसके लिए मैं कहना चाहूँगी कि यह सज्जन जो श्री रूहानी थे, श्री अतुल्ला रूहानी, उन्होंने एक बहुत अच्छा पत्र भेजा था जिसमें कहा गया था कि कुरान में यह लिखा है कि जिस धर्म के बारे में आप पढ़ेंगे लेकिन मुख्य बात यह है कि आप अपने आप को जानने के लिए यदि आप स्वयं को नहीं जानते हैं तो आप कभी नहीं जान सकते हैं कि ये ईश्वर स्पष्ट रूप से लिखा गए हैं। तो उनका कहना है कि यह महान कार्य श्री माताजी द्वारा किया गया है। यह इस्लाम का काम है जो वह कर रही हैं। यह एक बड़ी बात है जिसे आप एक बड़ा प्रमाणपत्र कह सकते हैं। क्योंकि वह पूरे “यूरोप के शिया” के प्रमुख हैं। इसलिए कि यदि वह लोगों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो हम उन्हें अनुशासित नहीं कर सकते। हम उन्हें यह नहीं बता सकते कि ऐसा मत करो। केवल आप ही उन्हें बेहतर जगाएँ जैसे ही आपके भीतर प्रकाश होता है, आप देखते हैं अपने आप के लिए क्या ग़लत है निःसन्देह कुछ लोग इसे बहुत शीघ्रता से प्राप्त करते हैं मुझे कहना चाहिए, बहुत गहरा है, लेकिन कुछ में अहंकार है कुछ में प्रतिहंकार है इसलिए और फिर भी वे इसमें पुनः वापस जाते हैं वे वापस आते हैं यह ऐसा ही है। लेकिन अधिकतर, सहज योगी, एक बार जब वे सहज योग को प्राप्त करते हैं, तो वे अधिकतर इसमें गहरे जाते हैं। और मुझे कहना होगा कि अब हम अधिकतर रूसियों को अमेरिका भेज रहे हैं। वे समस्या का हल करेंगे।
परमात्मा आपको आशीर्वादित करें ।