Birthday Puja

New Delhi (भारत)

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Birthday Puja 21st March 1999 Date : Place Delhi Type Puja : Hindi & English Speech

[Original transcript Hindi talk, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]

आप लोगों का ये प्यार देखकर के मेरा इस प्रकार कि आप ध्यान करें, सुबह-शाम। तो हृदय भर आया है और ये सोचकर कि प्यार आपके अन्दर के जो बुरे विचार हैं, जिससे आप कितनी बड़ी शक्ति है. इससे लोग इतने आकर्षित ईष्ष्या करते हैं और क्रोधित होते हैं और छोटी-छोटी होते हैं और आनन्दित होते हैं। ये बड़ी आश्चर्य बात पे बुरा मान जाते हैं. ऐसे सारे विचार खत्म की बात है। इस कलियुग में प्यार का महात्मय हो जाएंगे। उसके बाद बच क्या जाता है। निर्मल प्रेम। इस प्रेम से आप सारे संसार को एक नया इतना तो किसी ने नहीं देखा होगा मैं सोचती हूँ कि इसको देखकर के आप सभी लोग अपना जीवन दे सकते हैं। घ्यार बढ़ाना सीखें। यो चीज़ बहुत आसान है। वो परमात्मा आपको आशीर्वादित करें ন

[Hindi translation from English, scanned from Hindi Chaitanya Lahari]

से अपने प्रम का प्रदर्शन करना ही हिन्दी प्रवचन में मैन बताया, एक व्यक्ति प्रकार के प्रेम की अभिव्यक्ति आप यहाँ बहुत सी सर्वोत्तम है। आँखो में देख सकते हैं। आपके उत्साह को मैं एक उदाहरण दूँगी जिसे पहले भी देखकर मेरा हृदय प्रेम से भर गया, महान प्रेम बहुत बार दें चुकी हूँ। एक वार में गगनगिरी से। तो हम देख सकते हैं कि बह प्रेम कितना महान है! यदि आप सच्चे हदय से सुबह शाम ध्यान करें तो सभी प्रकार की दुर्भावनाओं, युराइयों और आत्मघातक तत्वों को भी सहजयोग में पूछने लगे “श्री माताजी, आखिर आप वहाँ क्यों महाराज के पास गई वे एक उ चे पहाड़ पर रहते थे जहाँ कार आदि बाहन ने जा सकते थे। अतः मुझे पैदल जाना पड़ा। सभी सहजयोगी जा रही हैं?” मैंने कहा, “आप चैतन्य लहरियाँ बड़ा सुगमता से सुधारा जा सकता है और नियंत्रित किया जा सकता है। परन्तु ध्यान करते देखें, अच्छी चैतन्य लहरियाँ आ रही है न हुए आपको अपनी बड़ियाँ नहीं देखनी चाहिए, आनन्द लेना चाहिए. ध्यान का आनन्द लेना लोगों को मेरे विषय में बताया था कि आदिशक्ति चाहिए। यह सोचकर कि आपके आत्मसम्मान मुम्बई में अवतरित हुई हैं. आप लोग मर पास को चुनौती दी गई है । छोटी-छोटी चीजों के लिए बुरा मानने चिड़चिड़ाने की अपेक्षा ध्यान आपको अन्य लोगों से प्रेम करने उन्हें क्षमा करने की शक्ति देगा। कई बार हम लोगों के बिना किसी दोष के. उनके प्रति आक्रामक हो उठते हैं, बहुत इसीलिए मैं जा रही हैँ।” गगनगिरी ने बहुत सें क्यों आते हैं? उन लोगों ने ये सब हमें बताया| मैंने साचा कि मुझे इस सन्त से मिलना चाहिए आर मैं उससे मिलने के लिए उसके स्थान पर गई। उसका वर्षा पर नियंत्रण था. वर्षा को बह नियंत्रित कर सकता था। जब मैं वहाँ पहुँची तो एक शिला पर बैठा गुस्से से वह अपना सिर वर्षा इतने जोर से हो रही थी कि जब मैं उसकी कुटिया पर पहुँची तब तक पूरी तरह से नही चुकी थी। मैं उस गुफा में गई जहाँ वह रहता था और वर्षा पर क्रोध से भरा हुआ। वह अन्दर आया। कहने लगा.” माँ आपने मुझे वर्षा रोकने क्यों नहीं दी?” मैने कहा, “मैंन एसा आक्ामक। सबसे अच्छा तरीका ये है कि हम दुसरे व्यक्ति की चैतनऱ्य लहरी को देखें। चैतन्य हिला रहा था। लहरियाँ यदि खराय हैं तो लड़ने का कोई लाभ नहीं। इससे और अधिक भ्रम पैदा हो जाएगा| जिस व्यक्ति की चैतन्य लहरियाँ खराब हैं उससे न तो आप झगड़ा कर सकते हैं और न ही उसे नियंत्रित कर सकते हैं। जो व्यक्ति स्वयं को बहुत महत्वपूर्ण मानता है उसे शान्त करने की कुछ नहीं किया।” “नहीं आपने ऐसा किया या उससे समझोता करने की या उसके मिथ्या क्योंकि मैं तो सदैव वर्षा को नियंत्रत करता हूँ। आज मरे निमंत्रण से आप यहां आ रही थीं तो अभियान को बढावा देने की आपको कोई आवश्यकता नहीं। ऐसा करकें आप उसे और अधिक विगाड़ते हैं। तो अत्यन्त मधुर एवं भिन्न कहा इस वर्षा को मर्यादा में रहना चाहिए धा।” मैंने ,” नहीं. नहीं, उसने कोई अपराध नहीं

किया” “तो ऐसा क्यों हुआ?” वह अत्यन्त क्रोधित था मेंने कहा तुम शान्त हो जाओ बताती हैं कि क्या हुआ। देखो तुम एक सन्यासी हो और तुम मेरे लिए एक साड़ी खरीद कर लाए हों। सन्यासी से तो मैं साड़ी ले नहीं यद्यपि एक दो बार ऐसा जुलूस कबैला में सकती। तो वर्षा ने मेरे इस कार्य को आसान कर होगा? पर आज देखें वही दिल्ली कितनी महान मेंसुन्दर एवं उत्साह पूर्ण हो गई है। अपने झण्डे उठाए हुए मैने उन्हें देखा । मैं नहीं जानती थी कि झण्डों का इस प्रकार का जुलूस यहाँ होगा, अवश्य निकाला गया। किस तरह से वे एक दिया है। अब में पूरी तरह भीग गई हूँ इसलिए दूसरे का आनन्द उठा रहे थे! यह वास्तव में तुम्हारी साड़ी मुझे लेनी ही पड़ेगी। मैरे प्रति प्रशंसनीय उसका प्रेम उमड़ पड़ा और उसकी आँखों से लगेंगे तो कोई अन्य चीज आपको अच्छी नहीं अश्रुधारा बह निकली । मेरे चरणों पर वह गिर लगेगी परन्तु प्रेम अन्य लोगों के लिए होना गया कहने लगा माँ प्रेम की महानता मुझे अब चाहिए कंवल अपने लिए नहीं। आप देखेंगे कि है आप यदि प्रेम का आनन्द लेने आपका शरीर, मस्तिष्क और बिचार, सभी शक्तियाँ अन्य लोगों के लिए, अपने लिए नहीं, प्रेम का सृजन करने में लगी रहेंगी जिस प्रकार आप अन्धेरे में देख नहीं पाते और थोड़ा सा भी प्रकाश हो जाए तो बह चारों ओर फैल जाता है। पता लगी है। किस प्रकार यह सांसारिक चीजों तथा शुष्क आचरण से हटाकर एक ऐसे स्थान पर ले जाता है जहाँ आप प्रेम की वर्षा का आनन्द लेते हैं। मैं यह एक कहानी आपको सुना रही हूँ परन्तु इसके पीछे छिपा सार ये है कि आप अपने प्रेम, शुद्ध प्रेम की युक्तियों को इसी प्रकार सहजयोग में व्यक्ति का पूरा दृष्टिकोण आजमाएं और देखें कि यह किस प्रकार कार्य ही परिवर्तित हो जाता है। प्रकाश से किसी को करती है। शनै: शनै: आप इनको उपयोग करना सीख जाएंगे। ऐसा करना आप छोड़े नहीं। मैं है। आप सब भी अब साक्षात्कारी है, प्रेम के जानती हूँ कि कुछ लोग अत्यंत कठिन होते हैं मैं ी यह नहीं बताना पड़ता कि तुम्हें चहुँ ओर फैलना हुड प्रकाश से प्रकाशमान। प्रम का वह प्रकाश स्वत: इस बात से सहमत हूँ । परन्तु कम से कम उन लोगों पर तो इस प्रेम को आजमाएं जो बहुत कठोर नहीं हैं। आप हैरान होंगे. इस प्रकार आपको अच्छी संगति, बहुत से मित्र और मित्रता प्राप्त हो जाएगी, जैसे हमें सहजयोग में प्राप्त हुई है। पहली बार जब मैं दिल्ली आई थी तो इस स्थान से मुझे बहुत घबराहट हुई क्योंकि बहुत ही थोड़े सहजयोगी थे। न जाने क्यों वे मरी पूजा करने चाहते थे। हो सकता है मुम्बई के लोगों ने उन्हें कुछ बताया हो। वे कुमकूम तथा पूजा का अन्य सामान छोटी-छोटो प्लास्टिक की बोतलों चहुँ ओर फैलता है स्वतः, सहज। युवा शक्ति को नाचते और आनन्द लेते देखकर तो मैं में भाव-विभोर हो गई। यह अत्यन्त महान आशीर्य है क्योंकि आजकल हमारे युवा भटक रही है। अन्य देशों की तरह से तो वे नहीं बच्चे, युवा पोढ़ी ी भटक रहे हैं परन्तु उन्हें बिगाडने और भ्रष्ट पाश्चात्य व्यक्तित्व वनाने का प्रयत्न जोरों पर है। परन्तु अब मैंने देखा है कि युवा शक्ति के ये सहज बच्चे अपनी जाति-पाति को भुलाकर एक दूसरे की संगति का आनन्द ले रहे हैं। यह इस देश में तथा सभी देशों में घटित होना आवश्यक है। अत्यन्त आवश्यक है कि हम एक हॉकर एक दूसरे की एकाकारिता का आनन्द लें। एक में ले आए। उनकी अज्ञानता के कारण में तो मैंने सोचा अब क्या करें? क्या सिकुड़ गई।

दूसरे का आनन्द यदि हम नहीं लंते ता हम समुद्र से बाहर पड़ी उस बूँद की तरह से हैं जो किसी भी समय सूख संकती हैं। परन्तु समुद्र के अंग-प्रत्यंग यदि आप बन जाएं तो उसकी हर लहर का आनन्द आप उठाते हैं। आप उसके लेकर आ रहा है जिन्हें हमें स्वीकार करना होगा। अंग-प्रत्यंग हैं क्योंकि अब आपका कोई भिन्न हमें स्वीकार करना होगा कि कलियुग समाप्त हो व्यक्तित्व नहीं है। कोई भी चीज़ जा हमें हमारे समाज, संस्कृति, आचरण या व्यक्तिगत जीवन लिए आप सबको, सभी देशों के सहजयोगियों में भिन्नता विशिष्टता दे उसे नियन्त्रत कर विशेषताओं में विश्वास नहीं करता। हम सब परस्पर एक हैं परवाह नहीं। मैं बहुत अधिक प्रभावित हुई क्यांकि नया वर्ष हमारे लिए बहुत सी चुनौतियाँ और बाह्य भंदभावां की हमें कोई गया है। हमें सत्ययुग स्थापित करना है। इसके को सोचना चाहिए। किस प्रकार आप यह कार्य अपने देश में तथा अन्य देशों में कर सकते हैं? अन्य देशों में क्या समस्याएं है? बाहर की आर दृष्टि डालें, केवल अपने तक ही इस सीमित न करें, ताकि आप ये न कहते रहें मुझे ये चाहिए, लिया जाना चाहिए। इससे पारिवारिक जीवन से लेकर राष्ट्रीय जीवन और अन्तराष्ट्रीय जीवन की बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। तो भिन्नता प्रदायक ऐसी भावनाएं नियन्त्रित कर लनी चाहिए जो हमें अपना घर, अपना तक मुझे वी चाहिए। हमे समझना चाहिए कि अन्य अपना राषट्र प्राप्त करने के लिए प्रेरित लोगों की आवश्यकता क्या राज्य, है? हमारे समाज, करती हों। शर्नैः शरनै: सभी राष्ट्र एक हो जाएंगा। राष्ट्र और विश्व के लोगों की क्या आवश्यकता मुझे इसका पूर्ण विश्वास है क्याक महान समय है। अच्छा हागा कि आप उनकी आवश्यकता आ रहा है और अधिकारी वर्ग के बहुत से लोग को लिख लें। एसा करना बहतर होगा. यह कार्य सहजयोग का अपना लेंगे एक बार जब ऐसा हो करेगा हो सकता है कि इसमें शुद्धिकरण किया जाएगा तो स्थिति बहुत भिन्न हो जाएगी। आज उनमें यह बात नहीं है, वे सहजयोगी नहीं हैं। कि बैठकर लिख लें कि विश्व की क्या हमारे प्रेम के इस महान आन्दोलन का उन्हें बिल्कुल ज्ञान नहीं है। यही कारण है कि वे जाए परन्तु सहजयोगियों के लिए आवश्यक है आवश्यकता है और क्या किया जाना चाहिए? आप सबके लिए इस प्रकार के एक रूप समाज, जैसा आज यहाँ पर है, की आकाक्षा करना आपके लिए वास्तव में बहुत अच्छा विचार है। आप हैरान होंगे, कि एक दिन हम सभी कुछ अलग से चाहते हैं। वे नहीं जानते कि उनके आस यास की गर्मी उन्हें झुलस देगी या भयानक बारिश उन्हें बहा कर ले जाएगी या पृथ्वी माँ उन्हें निगल लेंगी। अत: जितने चाहे अपने प्रेम. सम्मान और संवा से बाकी सभी भेदभाव हों हमें एक होकर रहना है आखिरकार लोगों का पथ-प्रदर्शन एवं नेतृत्व करेंगे। अतः आप भिन्न परिवारों में जन्मे हैं, सभी एक परिवार में तो जन्म नहीं ले सकते। परन्तु अब आप सहजयोग परिवार के हैं और सहजयोग परिवार एक है। यह भिन्न अस्तित्व या भिन्न यह समय बहुत महत्वपूर्ण है. आप सब लोगों को इस दिशा में सोचना चाहिए। हार्दिक धन्यवाद। परमात्मा आपको आशीर्वादित करें।